Chhath Puja 2023: जाने खरना का क्या है महत्त्व, कैसे और क्यों मनाते हैं?

Chhath Puja 2030: Kharna Importance

नहाय खाय के साथ आस्था के महापर्व छठ का आरम्भ हो जाता है और खरना इस महा व्रत का दूसरा चरण होता है. इस साल खरना नवंबर 18,  मनाया जा रहा है.  छठ पूजा के दूसरे दिन, जिसे खरना कहा जाता है, का विशेष महत्व है। बिना जल के व्रत के लिए फ़ास्ट करना आसान नहीं होता है और यही वजह है कि छठ के पूजा के लिए शारीरिक रूप से अतिरिक्त मानसिक रूप से भी व्रती को तैयार रहना पड़ता है.

 खरना इस प्रकार से एक महत्वपूर्ण पड़ाव है क्योंकि इस दिन व्रती महिलाएं और पुरुष छठी माता की पूजा के लिए प्रसाद तैयार करते हैं। खरना के प्रसाद में गन्ने के रस में बनी खीर, दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी शामिल होती है। इस प्रसाद में नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है।

खरना का महत्व निम्नलिखित है:

तन और मन की शुद्धिकरण: खरना के दिन व्रती तन और मन दोनों की शुद्धिकरण करते हैं। इस दिन व्रती स्नान करके साफ कपड़े पहनते हैं। प्रसाद को मिट्टी के चूल्हे पर तैयार किया जाता है, जो प्रकृति के साथ जुड़ाव को दर्शाता है। 36 घंटे के निर्जला व्रत की तैयारी: खरना के बाद व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं। खरना के प्रसाद से व्रती को उर्जा मिलती है, जो उन्हें निर्जला व्रत के लिए तैयार करता है।

छठी माता की पूजा: खरना के प्रसाद को छठी माता को अर्पित किया जाता है। इससे छठी माता प्रसन्न होती हैं और व्रती की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

शुद्धिकरण और स्व-तैयारी:

खरना व्रती की शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों तरह से शुद्धिकरण प्रक्रिया का प्रतीक है। खरना के दिन, वे कठोर उपवास करते हैं, शाम को केवल एक बार भोजन करते हैं, जिसमें गुड़ से बनी खीर और एक विशेष प्रकार के चावल जिसे अरवा चावल कहा जाता है, शामिल होता है। ऐसा माना जाता है कि यह सरल और शुद्ध भोजन शरीर और मन को शुद्ध करता है, उन्हें गहन भक्ति और तपस्या के लिए तैयार करता है।

छठी मैया के प्रति भक्ति और कृतज्ञता:

खरना भक्तों के लिए छठी मैया के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का समय है। वे प्रार्थना करते हैं और अनुष्ठान करते हैं, समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। खरना पर बनाई जाने वाली विशेष खीर सिर्फ एक भोजन नहीं है बल्कि देवी को एक प्रसाद है, जो उनकी अटूट आस्था और समर्पण का प्रतीक है।

समापन अनुष्ठान की तैयारी:

खरना छठ पूजा के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों के लिए एक तैयारी चरण के रूप में कार्य करता है, अर्थात् डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देना। खरना पर सख्त उपवास और शुद्धिकरण प्रक्रिया भक्तों को अर्घ्य प्रसाद के दौरान मनाए जाने वाले 36 घंटे के निर्जला व्रत, पानी के बिना निरंतर उपवास, का सामना करने के लिए आवश्यक शारीरिक और मानसिक शक्ति विकसित करने में मदद करती है।

संक्षेप में, खरना छठ पूजा यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह भक्तों की आस्था के प्रति प्रतिबद्धता, छठी मैया के प्रति उनके समर्पण और इस प्राचीन और अत्यधिक पूजनीय त्योहार के सार का प्रतीक अंतिम अनुष्ठानों के लिए उनकी तैयारी का प्रतीक है।

दीपावली 2023 : जानें माँ लक्ष्मी के साथ क्यों करते हैं भगवन गणेश का पूजन

diwali why we worship Lakshmi with Ganesh

दीपावली के अवसर पर हम  धन, समृद्धि और वैभव की देवी मां लक्ष्मी की पूजन करते हैं. अगर पौराणिक कथाओं और हिन्दू पंचांग के मानें तो  लक्ष्मी को धन, समृद्धि और वैभव की देवी माना जाता है, जबकि भगवान गणेश को बुद्धि, ज्ञान और शुभता के देवता माना जाता है। माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन हिन्दू धर्म में अद्वितीय देवी-देवता के साथ सम्बंधित है और इसमें विशेष आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व है। इन दोनों देवताओं की पूजा एक साथ करने के कई कारण हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

धन और बुद्धि का समन्वय

 माँ लक्ष्मी को धन, धान्य, और समृद्धि की देवी माना जाता है। उनकी पूजा से व्यापारिक सफलता और धन संबंधित समस्याएं दूर होती हैं। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता (विघ्नों को दूर करने वाला) माना जाता है, और उनकी कृपा से कोई भी कार्य सुरक्षित रूप से संपन्न होता है। माँ लक्ष्मी के बिना धन का कोई उपयोग नहीं है। यदि धन में बुद्धि का अभाव हो, तो वह विपत्ति का कारण बन सकता है। इसलिए, धन और बुद्धि के समन्वय के लिए माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा एक साथ की जाती है। 

दैवीय शक्तियों का संयोजन

साधना में सुरक्षा: भगवान गणेश की पूजा करने से साधना में सुरक्षा और सफलता होती है। गणेश विघ्नों के देवता हैं, इसलिए उनकी कृपा से कोई भी कार्य बिना किसी रुकावट के संपन्न होता है। इसके अतिरिक्त माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश दोनों ही दैवीय शक्तियों के प्रतीक हैं। माँ लक्ष्मी की कृपा से धन-धान्य की प्राप्ति होती है, जबकि भगवान गणेश की कृपा से सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। इसलिए, इन दोनों देवताओं की पूजा एक साथ करने से जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।

पौराणिक कथाओं का आधार

माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा एक साथ करने की परंपरा पौराणिक कथाओं पर आधारित है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, माता लक्ष्मी को कोई संतान नहीं थी। एक दिन उन्होंने माता पार्वती से अपने मन की व्यथा बताई। माता पार्वती ने उन्हें अपने पुत्र गणेश को अपना दत्तक पुत्र बना लेने का सुझाव दिया। माता लक्ष्मी ने गणेश जी को दत्तक पुत्र के रूप में स्वीकार कर लिया। उस पौराणिक कथा के अनुसार, लक्ष्मी और गणेश का एक विवाह के चरण में हुआ था। इस कथा के आधार पर लोग मानते हैं कि इन दोनों देवताओं का साथी पूजन करना उनकी कृपा को बढ़ाता है। इस प्रकार, माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश एक परिवार बन गए। इसलिए, इन दोनों देवताओं की पूजा एक साथ की जाती है।

सामाजिक कारण और दैहिक, मानसिक और आध्यात्मिक समृद्धि: 

गणेश और लक्ष्मी का संयोजन दैहिक, मानसिक, और आध्यात्मिक समृद्धि के साथ जुड़ा होता है। इस पूजा से भक्तों को नैतिकता, ध्यान, और आत्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। भारतीय समाज में माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश को विशेष महत्व दिया जाता है। इन दोनों देवताओं की पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। इसलिए, लोग इन दोनों देवताओं की पूजा एक साथ करते हैं।

इन कारणों से ही माँ लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

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Bed of roses का हिंदी में मतलब आरामदायक जीवन होता है। यह एक मुहावरा है जिसका प्रयोग किसी ऐसे व्यक्ति या स्थिति के लिए किया जाता है जो बहुत ही आसान और सुखद होता है। उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति कह सकता है, "मेरा जीवन एक बेड ऑफ रोज़ेस है।" इसका मतलब यह होगा कि उसके जीवन में कोई परेशानी या कठिनाई नहीं है।

Bed of roses का प्रयोग निम्नलिखित वाक्यों में किया जा सकता है:

मेरे नए नौकरी एक बेड ऑफ रोज़ेस है।

उसका बचपन एक बेड ऑफ रोज़ेस था।

मेरी शादी एक बेड ऑफ रोज़ेस नहीं है, लेकिन मैं खुश हूं।

Bed of roses का प्रयोग अन्य मुहावरों के साथ भी किया जा सकता है, जैसे:

To live on a bed of roses का मतलब है आरामदायक जीवन जीना।

To make someone's life a bed of roses का मतलब है किसी के जीवन को आसान और सुखद बनाना।

Bed of roses एक खूबसूरत मुहावरा है जो किसी व्यक्ति या स्थिति की सुखदता और आरामदायकता को व्यक्त करता है।

करवा चौथ: क्या होता है सरगी, इसे कौन देता है, क्या और कब खाना चाहिए- जानें सब कुछ

Importance of sargi in Karwa chauth

करवा चौथ एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो खासतौर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए मनाती हैं। करवा चौथ का सामान्यत: कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है  इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला रहती हैं और रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। इस व्रत का एक प्रमुख पड़ाव होता है जिसे सरगी के नाम से जाना जाता है. क्योंकि करवाचौथ वाले दिन एक स्त्री पूरा दिन निर्जला व्रत रखना पड़ता है इसलिए सरगी से व्रत का आरम्भ होता है. सरगी क्या चीज होती है, करवा चौथ की सरगी कौन देता है, सरगी खाने के बाद क्या करना चाहिए, और करवा चौथ के दिन सरगी में क्या क्या खाना चाहिए आदि सभी सवालों के जवाब आप यहाँ प्राप्त कर सकते हैं.

सामान्यत: ऐसा माना जाता है की सरगी सास के द्वारा दी जाती है. लेकिन कई परिवारों में जब सास न हो तो घर की दूसरी बड़ी महिलाएं जैसे बड़ी ननद या जेठानी भी सरगी देती है.क्योकि करवा चौथ  दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती है इसलिए सरगी लेने का सही समय करवा चौथ के दिन सूरज निकलने से पहले सुबह तीन से चार बजे के आस-पास महिलाएं सरगी लेती हैं.

करवा चौथ के व्रत में सरगी का विशेष महत्व होता है। सरगी एक प्रकार की रस्म होती है जिसमें सास अपनी बहू को सुहाग का सामान, फल, ड्राय फ्रूट्स और मिठाई देखकर सुखी वैवाहिक जीवन जीने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। परंपरा के अनुसार, सरगी में रखे व्यंजनों को ग्रहण करके ही इस व्रत का शुभारंभ किया जाता है। यदि किसी महिला की सास ना हो तो यह रसम उसकी जेठानी या फिर बहन भी कर सकती है।

सरगी का महत्व निम्नलिखित है:

  • यह व्रत की शुरुआत का संकेत है। सरगी खाने के बाद ही महिलाएं व्रत शुरू करती हैं।
  • यह व्रत के लिए ऊर्जा प्रदान करती है। सरगी में पौष्टिक और आसानी से पचने वाले व्यंजन होते हैं जो व्रतियों को पूरे दिन ऊर्जावान बनाए रखते हैं।
  • यह सुहाग का प्रतीक है। सरगी में सुहाग का सामान होता है जो व्रतियों को सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देता है।

करवा चौथ की सरगी में आमतौर पर निम्नलिखित चीजें शामिल होती हैं:

  • फल और सब्जियां: आम, केला, जामुन, अंगूर, सेब, गाजर, मूली, खीरा, आदि।
  • ड्रायफ्रूट्स: बादाम, काजू, किशमिश, अंजीर, आदि।
  • मिठाइयां: गुलाब जामुन, लड्डू, मिठाई, आदि।
  • सुहाग का सामान: चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, सिंदूर, इत्र, आदि।

करवा चौथ की सरगी को सूर्योदय से पहले ग्रहण करना चाहिए। इसे ग्रहण करने के लिए महिलाएं हाथों में पानी लेकर सरगी की थाली को अपने सिर पर रखती हैं और सास से आशीर्वाद लेती हैं। फिर, वे थाली में रखे व्यंजनों को ग्रहण करती हैं।

FAQs

करवा चौथ की सरगी कौन देता है?

सामान्यत: ऐसा माना जाता है की सरगी सास के द्वारा दी जाती है. लेकिन कई परिवारों में जब सास न हो तो घर की दूसरी बड़ी महिलाएं जैसे बड़ी ननद या जेठानी भी सरगी देती है

सरगी क्या चीज होती है?

यह व्रत की शुरुआत का संकेत है। सरगी खाने के बाद ही महिलाएं व्रत शुरू करती हैं।

करवा चौथ के दिन सरगी में क्या क्या खाना चाहिए?

आप इन चीजों का सरगी के रूप में ले सकते हैं जैसे फल और सब्जियां-आम, केला, जामुन, अंगूर, सेब, गाजर, मूली, खीरा, बादाम, काजू, किशमिश, अंजीर, गुलाब जामुन, लड्डू, मिठाई, आदि।


Point Of View करवा चौथ: जाने कैसे बनाएं पत्नी के करवाचौथ को रोमांटिक और यादगार

najariya jine ka karwachauth how to make moment memorable

Point Of View :  करवा चौथ सुहगिनो का एक प्रमुख त्यौहार है और इसके लिए प्रत्येक सुहागन कई दिनों के पहले से ही इंतजार करती है। न केवल इस त्यौहार को मनाने के लिए बल्कि पत्नियों के लिए इस पर्व का प्रत्येक मोमेंट खास होता है चाहे वह पूजा हो या फिर  सजने सवरने की तैयारी तक, सब कुछ बहुत खास होता है ।  

करवा चौथ एक हिंदू त्योहार है जो विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए मनाती हैं। करवाचौथ वाले दिन एक स्त्री पूरा दिन निर्जला व्रत करके अपने पति की लंबी आयु व उसके बेहतर स्वास्थ्य की कामना करती है। वैसे तो हर स्त्री के लियें ये व्रत महत्वपूर्ण है लेकिन लेकिन अगर शादी के बाद पहला करवा चौथ हो तो फिर बात ही कुछ और है। जब एक नई दुल्हन पूरा शृंगार करके तैयार होती है और पति के लिए सजती संवारती है वो उसके लियें बहुत खास होता है ।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने पत्नी को बताएं कि आप उसे कितना प्यार करते हैं और उसकी कितनी परवाह करते हैं। करवा चौथ एक ऐसा दिन है जब आप अपने प्यार को व्यक्त कर सकते हैं और अपने रिश्ते को मजबूत कर सकते हैं।

करवा चौथ को यादगार बनाने के लिए कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:

प्रेम और सम्मान दिखाएं: करवा चौथ एक प्रेम और सम्मान का त्योहार है। अपने पत्नी को बताएं कि आप उसे कितना प्यार करते हैं और उसकी कितनी परवाह करते हैं। उसे एक उपहार दें, उसे एक प्यारा सा संदेश लिखें, या उसके लिए कुछ खास करें।

व्रत को आसान बनाएं: करवा चौथ एक कठिन व्रत हो सकता है, खासकर अगर आप पहली बार मना रही हों। अपने पत्नी को व्रत रखने में मदद करने के लिए कुछ कदम उठाएं। उदाहरण के लिए, आप उसे सुबह नाश्ता बना सकते हैं, उसके लिए पानी का ध्यान रख सकते हैं, या शाम को उसे व्रत तोड़ने में मदद कर सकते हैं।

एक रोमांटिक रात बनाएं: करवा चौथ एक विशेष दिन है, इसलिए इसे एक रोमांटिक रात के साथ समाप्त करें। एक साथ डिनर करें, एक फिल्म देखें, या बस बात करें और एक-दूसरे के साथ समय बिताएं।

यहां कुछ विशिष्ट विचार दिए गए हैं जो आप अपने पत्नी के करवा चौथ को यादगार बनाने के लिए कर सकते हैं:

  • उसके लिए एक खूबसूरत साड़ी या लहंगा खरीदें।
  • उसे एक खूबसूरत सा हार या झुमके दें।
  • उसके लिए एक प्रेम पत्र लिखें।
  • उसके लिए एक रोमांटिक डिनर का प्लान बनाएं।
  • उसके लिए एक कैंडल लाइट डिनर का आयोजन करें।
  • उसके लिए एक सरप्राइज पार्टी का आयोजन करें।


काज़िंड-2023: भारत और कजाकिस्तान के बीच होने वाला संयुक्त सैन्य अभ्यास, Facts in Brief

Exercise karzind 2023 Facts in brief

भारत और कजाकिस्तान के बीच होने वाला संयुक्त सैन्य अभ्यास है काज़िंड-2023 जिसका आयोजन 30 अक्टूबर से 11 नवंबर 2023 तक कतर, कजाकिस्तान में किया जाएगा। भारतीय थलसेना और भारतीय वायु सेना की 120 सैन्‍य कर्मियों वाली टुकड़ी संयुक्त सैन्य ‘अभ्‍यास काज़िंड-2023’ के 7वें संस्करण में भाग लेंगी । 

भारतीय सेना के दल में डोगरा रेजिमेंट की एक बटालियन के नेतृत्व में 90 सैन्‍य कर्मी शामिल हैं। कजाकिस्तान के सैन्‍य दल का प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से कजाख ग्राउंड फोर्सेज के दक्षिण क्षेत्रीय कमान के सैन्‍य कर्मियों द्वारा किया जाता है। इस सैन्‍य अभ्यास के वर्तमान संस्करण में सेना की टुकड़ियों के साथ दोनों पक्षों से वायु सेना के 30 सैन्‍य कर्मी भी भाग लेंगे।

2016 में शुरू किया गया

भारत और कजाकिस्तान के बीच संयुक्त अभ्यास को वर्ष 2016 में ‘एक्सरसाइज प्रबल दोस्‍तीक’ के रूप में शुरू किया गया था। दूसरे संस्करण के बाद, अभ्यास को कंपनी-स्तरीय अभ्यास में अपग्रेड किया गया और इसका नाम बदलकर ‘एक्सरसाइज काज़िंड’ कर दिया गया। इस वर्ष वायु सेना को शामिल करके अभ्यास को द्वि-सेवा अभ्यास के रूप में अपग्रेड किया गया है। 

अभ्यास के इस संस्करण में, दोनों सैन्‍य पक्ष संयुक्त राष्ट्र के अधिदेश के अंतर्गत उप-औपचारिक वातावरण में आतंकवाद विरोधी अभियानों के संचालन का अभ्यास करेंगे। यह टुकड़ियां संयुक्त रूप से विभिन्न सामरिक अभ्यासों का अभ्यास करेंगी, जिसमें छापेमारी, खोज और विनाश संचालन, छोटी टीम प्रविष्टि और निष्कर्षण संचालन आदि शामिल हैं। अभ्यास के कार्यक्षेत्र में काउंटर मानव रहित हवाई प्रणाली संचालन भी शामिल है।

एक्सरसाइज काज़िंड-2023: Facts

‘एक्सरसाइज काज़िंड-2023’ दोनों सैन्‍य पक्षों को एक-दूसरे की रणनीति, युद्ध अभ्यास और प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी प्राप्‍त करने का अवसर प्रदान करेगा, जो संयुक्त राष्ट्र कार्यक्षेत्र के अंतर्गत कार्य संचालन के लिए जरूरी है। इस संयुक्त प्रशिक्षण से अर्ध-शहरी और शहरी परिस्थितियों में संयुक्त सैन्य अभियान के संचालन के लिए अपेक्षित कौशल, लचीलापन और समन्वय को विकसित करेगा।

दोनों सैन्य पक्षों को युद्ध कौशल के व्यापक स्पेक्ट्रम पर अभ्यास करने और एक-दूसरे से पारस्परिक रूप से सीखने का अवसर प्राप्‍त होगा। यह अभ्यास प्रतिभागियों को विचारों का आदान-प्रदान करने और सर्वश्रेष्‍ठ अभ्‍यासों को साझा करने का अवसर प्रदान करेगा। ‘एक्सरसाइज काज़िंड-2023’ दोनों सेनाओं के बीच संबंधों को और अधिक प्रबल करेगा।

G-20 की मेजबानी के लिए सजी दिल्ली: देखें खूबसूरती की झलकियां

 जी-20 समिट के लिए दिल्ली पूरी तरह से सजकर तैयार है। केजरीवाल सरकार और एमसीडी ने राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले विदेशी मेहमानों का दिल जीतने के लिए अपनी तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ी है।



केजरीवाल सरकार और दिल्ली नगर निगम की तरफ से जी-20 की तैयारियों को अंतिम रूप देने के बाद बुधवार को पीडब्ल्यूडी मंत्री आतिशी और शहरी विकास मंत्री ने दिल्ली सचिवालय में प्रेसवार्ता कर यह जानकारी साझा की।



 दिल्ली को खूबसूरत और आकर्षक बनाने के लिए सरकार ने यूरोपियन स्टैंडर्ड की कई नई सड़कें बनाई है और प्रमुख सड़कों को रीडिजाइन कर उनका सौंदर्यीकरण किया है।



 विभिन्न सड़कों पर आकर्षक विशाल मूर्तियां और फब्बारे लगवाए गए हैं।



 साथ ही, विभिन्न प्रकार के डेढ़ लाख से अधिक खूबसूरत पौधों से सड़कों को सजा दिया है और अब दिल वालों की दिल्ली’ आने वाले अपने विदेशी मेहमानों का स्वागत करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। 





दिल्ली की पीडब्ल्यूडी मंत्री आतिशी ने बताया कि दिल्ली जी-20 के लिए पूरी तरह से तैयार है। दिल्ली सरकार द्वारा जी-20 के डेलीगेट्स को रिसीव करने के लिए सारी तैयारियां कर ली गई हैं। 



दिल्ली और देशवासियों के लिए यह बहुत ही खुशी का मौका है। क्योंकि हमारे देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दुनिया भर के बड़े-बड़े देशों के प्रतिनिधि आ रहे हैं। 




आज दिल्ली उन सभी का स्वागत करने के लिए तैयार है।  इस बात का पूरा भरोसा है कि दिल्ली जी-20 के सभी डेलीगेट्स का दिल जीत लेगी।


कांग्रेस द्वारा किये गए 15 वर्षों वाले दिल्ली का चहुॅमुखी विकास आज भी प्रगति की मिसाल: अरविन्दर सिंह लवली

Arvinder Singh Lovely on Delhi Politics Congress hope

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नवनियुक्त अध्यक्ष श्री अरविन्दर सिंह लवली ने कहा है कि  दिल्ली की कांग्रेस सरकार ने 15 वर्षों के कार्यकाल में जो दिल्ली का चहुॅमुखी विकास किया, वो दिल्ली में प्रगति की मिसाल है और दिल्लीवासी आज भी उसको याद करते है।

अरविन्दर सिंह लवली से मिलने वालों में सामाजिक संस्थाओं,  आर.डब्लू.ए. से जुड़े लोगों के अलावा कांग्रेस कार्यकर्ताओं व आम लोगों ने श्री लवली को आश्वासन जताया कि हम कांग्रेस संगठन के साथ हैं और कहा कि दिल्ली की कांग्रेस सरकार ने 15 वर्षों के कार्यकाल में जो दिल्ली का चहुॅमुखी विकास किया, वो दिल्ली में प्रगति की मिसाल है और दिल्लीवासी आज भी उसको याद करते है।

अरविन्दर सिंह लवली ने कहा कि मुझे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की जो महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है, उस पर खरा उतरने की कोशिश करूंगा और संगठन को हर स्तर पर मजबूत बनाने के लिए काम करूंगा।

अरविन्दर सिंह लवली से मिलने वालों में पूर्व विधायक श्री भीष्म शर्मा, श्री वीर सिंह धींगान, श्री विपिन शर्मा, जिला अध्यक्ष श्री जुबैर अहमद, जिला अध्यक्ष एडवोकेट दिनेश कुमार और धर्मपाल चंदेला सहित निगम पार्षद व भारी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल थे।


Aditya L1 Mission: सूर्य की स्टडी करने की दिशा में भारत का महत्वपूर्ण छलांग-Facts in Brief

Aditya L1 Mission details facts in brief

चंद्रयान की व्यापक सफलता के बाद इसरो के वैज्ञानिकों ने आज, 02 सितंबर, 2023 को 11.50 बजे, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी57) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के दूसरे लॉन्च पैड से आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।

63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान अवधि के बाद, आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के चारों ओर 235x19500 किमी की अण्डाकार कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया।

आदित्य-एल1 पहली भारतीय अंतरिक्ष आधारित वेधशाला है जो पहले सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा से सूर्य का अध्ययन करती है, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित है।

आदित्य-एल1 अंतरिक्षयान को लैग्रेंज बिंदु एल1 की ओर स्थानांतरण कक्षा में स्थापित करने से पहले चार पृथ्वी-कक्षीय प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। लगभग 127 दिनों के बाद आदित्य-एल1 के एल1 बिंदु पर इच्छित कक्षा में पहुंचने की उम्मीद है।


आदित्य-एल1 इसरो और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए), बेंगलुरु और इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए), पुणे सहित राष्ट्रीय अनुसंधान प्रयोगशालाओं द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित सात वैज्ञानिक पेलोड ले जाता है।

आदित्य एल1: Facts in Brief 

आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन होगा। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लाग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है। एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में रखे गए उपग्रह को सूर्य को बिना किसी आच्छादन/ग्रहण के लगातार देखने का प्रमुख लाभ है। यह वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अधिक लाभ प्रदान करेगा। अंतरिक्ष यान वैद्युत-चुम्बकीय और कण और चुंबकीय क्षेत्र संसूचकों का उपयोग करके फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए सात नीतभार ले जाएगा। विशेष सहूलियत बिंदु एल1 का उपयोग करते हुए, चार नीतभार सीधे सूर्य को देखते हैं और शेष तीन नीतभार लाग्रेंज बिंदु एल1 पर कणों और क्षेत्रों का यथावस्थित अध्ययन करते हैं, इस प्रकार अंतर-ग्रहीय माध्यम में सौर गतिकी के प्रसार प्रभाव का महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अध्ययन प्रदान करते हैं।

आदित्य एल1 नीतभार के सूट से कोरोनल तापन, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों और उनकी विशेषताओं, अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता, कण और क्षेत्रों के प्रसार आदि की समस्या को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने की उम्मीद है।

आदित्य-एल1 मिशन के प्रमुख विज्ञान उद्देश्य

  • सौर ऊपरी वायुमंडलीय (क्रोमोस्फीयर और कोरोना) गतिकी का अध्ययन।
  • क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल तापन, आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा की भौतिकी, कोरोनल मास इजेक्शन की शुरुआत, और फ्लेयर्स का अध्ययन
  • सूर्य से कण की गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करने वाले यथावस्थित कण और प्लाज्मा वातावरण का प्रेक्षण
  • सौर कोरोना की भौतिकी और इसका ताप तंत्र।
  • कोरोनल और कोरोनल लूप प्लाज्मा का निदान: तापमान, वेग और घनत्व।
  • सी.एम.ई. का विकास, गतिशीलता और उत्पत्ति।
  • उन प्रक्रियाओं के क्रम की पहचान करें जो कई परतों (क्रोमोस्फीयर, बेस और विस्तारित कोरोना) में होती हैं जो अंततः सौर विस्फोट की घटनाओं की ओर ले जाती हैं।
  • कोरोना में चुंबकीय क्षेत्र टोपोलॉजी और चुंबकीय क्षेत्र माप।
  • हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता।


आदित्य-एल1 के उपकरणों को मुख्य रूप से क्रोमोस्फीयर और कोरोना सौर वातावरण का निरीक्षण करने के लिए ट्यून किया गया है। यथावस्थित यंत्र एल1 पर स्थानीय पर्यावरण का निरीक्षण करेंगे। ऑन-बोर्ड कुल सात नीतभार हैं, जिनमें से चार सूर्य की सुदूर संवेदन करने वाले और उनमें से तीन यथावस्थित प्रेक्षण करने वाले नीतभार हैं। (Source ISRO)

Idiom Hot Potato: जाने क्या होता है अर्थ, कैसे बनाएं वाक्य

Idioms Hot Potato meaning use

"हॉट पोटैटो" एक इडियम है, जिसका इस्तेमाल किसी ऐसी चीज़ के लिए किया जाता है, जिसे कोई नहीं चाहता है. यह अक्सर ऐसे मुद्दों या स्थितियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है,  "हॉट पोटैटो" एक बहुत ही आम इडियम है, जिसका इस्तेमाल कई तरह के संदर्भों में किया जा सकता है. यह एक ऐसा इडियम है, जिसे हर कोई समझता है और इसका इस्तेमाल आसानी से किया जा सकता है.

The phrase ' a hot potato' can be understand as a delicate subject which people have different opinions and feel very emotional about. 

Example of use:  We should never ask about anyone's marital status. it can be a hot potato.

एक मुद्दा या प्रश्न जिसके बारे में लोगों की अलग-अलग राय है और बहुत दृढ़ता से महसूस करते हैं    आप कह सकते हैं कि  विवादास्पद या जोखिम भरे होते हैं.एक समस्या या स्थिति जिससे निपटना कठिन है और बहुत अधिक असहमति का कारण बनती है

उदाहरण के लिए, अगर कोई पार्टी में किसी ऐसे व्यक्ति के साथ बातचीत करना नहीं चाहता है, जिससे वह सहज नहीं महसूस करता है, तो वह कह सकता है कि वह "हॉट पोटैटो" से बच रहा है. या, अगर कोई कंपनी किसी ऐसे प्रोजेक्ट को नहीं लेना चाहती है, जो बहुत जोखिम भरा है, तो वह कह सकती है कि वह "हॉट पोटैटो" को नहीं पकड़ना चाहती है.

"हॉट पोटैटो" का इस्तेमाल अक्सर बच्चों के खेल में भी किया जाता है, जिसमें बच्चे एक-दूसरे को एक गर्म आलू पास करते हैं. जो बच्चा आलू पास करने से बचता है, वह खेल से बाहर हो जाता है. यह खेल लोगों को एक-दूसरे के साथ बातचीत करने और सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है.

Here are some examples of how to use the idiom "hot potato":

  • The abortion issue is a hot potato in American politics.
  • The company is trying to avoid taking on any more hot potatoes.
  • The teacher dropped the hot potato of discipline to the principal.
  • The two friends passed the hot potato of who would pay the bill back and forth.



चन्द्रमा पर मानव के बढ़ते कदम: जाने चंद्र अभियानों का इतिहास, स्पुतनिक से लेकर चंद्रयान तक का टाइमलाइन-Facts in Brief

Mission Moon History Timeline Facts in Brief

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को छूने में रूस के लूना-25 मिशन की दुखद विफलता के बाद, अब भारत का चंद्रयान-3 मिशन जिसके पूरा होने का पूरी दुनिया बेसब्री से इंतजार कर रही है। यदि सब कुछ सुचारू रहा, तो बहुप्रतीक्षित LVM3-M4-चंद्रयान-3 मिशन प्रगति पर है और यह 17:20 बजे सॉफ्ट-लैंडिंग शुरू होने का गवाह बनेगा। IST 23 अगस्त, 2023 को। यहां स्पुतनिक से चंद्रयान तक मनुष्य के चंद्रमा मिशन का पूरा इतिहास है।

चंद्र अभियानों का इतिहास अंतरिक्ष दौड़ के शुरुआती दिनों में खोजा जा सकता है, जब सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका चंद्रमा पर सबसे पहले पहुंचने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे थे।

चंद्र अभियानों का इतिहास अंतरिक्ष दौड़ के शुरुआती दिनों में खोजा जा सकता है, जब सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका चंद्रमा पर सबसे पहले पहुंचने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे थे। 

पहला सफल चंद्र मिशन सोवियत संघ का लूना 2 था, जो 14 सितंबर, 1959 को चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। चंद्रमा पर पहली सफल सॉफ्ट लैंडिंग सोवियत संघ के लूना 9 द्वारा 3 फरवरी, 1966 को हासिल की गई थी।

संयुक्त राज्य अमेरिका का पहला सफल चंद्रमा मिशन अपोलो 11 मिशन था, जिसने 20 जुलाई, 1969 को नील आर्मस्ट्रांग और बज़ एल्ड्रिन को चंद्रमा पर उतारा था। तब से, कुल बारह सफल चालक दल चंद्रमा पर उतरे हैं, जिनमें से सभी को चंद्रमा पर उतारा गया था। संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा बाहर.

चालक दल के मिशनों के अलावा, चंद्रमा पर कई रोबोटिक मिशन भी हुए हैं। इन मिशनों का उपयोग चंद्रमा की सतह, संरचना और इतिहास का अध्ययन करने के लिए किया गया है।

 कुछ सबसे उल्लेखनीय रोबोटिक चंद्रमा मिशनों में शामिल हैं:

चंद्रयान-1: चंद्रमा पर भारत का पहला मिशन, 2008 में लॉन्च किया गया। इसने चंद्रमा पर पानी की खोज की।

चांग’3: चीन का पहला चंद्र लैंडर, जो 2013 में चंद्रमा पर उतरा। यह युतु रोवर ले गया, जिसने कई महीनों तक चंद्र सतह का पता लगाया।

GRAIL: नासा और जर्मन एयरोस्पेस सेंटर का एक संयुक्त मिशन, 2011 में लॉन्च किया गया। इसने चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को अभूतपूर्व विस्तार से मैप किया।

एलआरओ: नासा का चंद्र टोही ऑर्बिटर, जो 2009 से चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है। इसने चंद्रमा की सतह की लाखों छवियां ली हैं और कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोजें की हैं।

चंद्रमा की खोज एक सतत प्रक्रिया है और भविष्य में कई और मिशनों की योजना बनाई गई है। ये मिशन हमें चंद्रमा के अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में और अधिक जानने में मदद करेंगे।

Man Mission To Moon: Time Line 

  • 1959: लूना 2 चंद्रमा पर प्रभाव डालने वाला पहला अंतरिक्ष यान बना।
  • 1966: लूना 9 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला अंतरिक्ष यान बना।
  • 1969: अपोलो 11 ने नील आर्मस्ट्रांग और बज़ एल्ड्रिन को चंद्रमा पर उतारा।
  • 1972: अपोलो 17 चंद्रमा पर अंतिम मानवयुक्त मिशन था।
  • 1990: क्लेमेंटाइन दृश्य प्रकाश में संपूर्ण चंद्रमा का मानचित्रण करने वाला पहला अंतरिक्ष यान बना।
  • 1994: गैलीलियो चंद्रमा की परिक्रमा करने वाला पहला अंतरिक्ष यान बना।
  • 2008: चंद्रयान-1 चंद्रमा की कक्षा में जाने वाला पहला भारतीय अंतरिक्ष यान बना।
  • 2011: एलआरओ ने चंद्रमा की परिक्रमा शुरू की।
  • 2013: चांग'ई 3 चंद्रमा पर उतरने वाला पहला चीनी अंतरिक्ष यान बना।
  • 2019: चांग'ई 4 चंद्रमा के सुदूर हिस्से पर उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान बना।

चंद्र अभियानों का इतिहास बहुत लंबा और दिलचस्प है। यह मानवीय सरलता और दृढ़ता की कहानी है, और यह एक ऐसी कहानी है जो अभी भी लिखी जा रही है।

नशे की राजधानी बनाने और 8000 करोड़ विज्ञापन पर खर्च करने में देश में नंबर 1 स्थान पर पहुंची दिल्ली: कांग्रेस

Congress blames on AAP for Corruption and Mismanagement

कांग्रेस ने कहा है कि 9 वर्षों में दिल्ली सरकार पर भाष्टाचार के गंभीर मामले सामने आ रहे है दिल्ली सरकार की नाकामयाबी की वजह से देश की राजधानी चाहे बेरोजगारी, दिल्ली में कोविड संक्रमण में सबसे अधिक मौतें होना, प्रदूषण से बीमारियाँ, महिला उत्पीड़न में, दिली को नशे की राजधानी बनाने में, 8000 cr का विज्ञापन पर खर्च करने में देश में नंबर 1 स्थान पर पहुँच गई है ।

AICC के दिल्ली प्रभारी श्री दीपक बाबरिया ने कहा कि 16 अगस्त को नई दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय में हुई बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय मल्लीकार्जुन खरगे साहब, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राहुल गांधी जी और महासचिव संगठन श्री के.सी. वेनूगोपल जी के मार्गदर्शन में हमारी जो बैठक थी उसके मुख्य केंद्र बिंदु आगामी लोकसभा के चुनाव के लिए पार्टी की रन नीति क्‍या होनी चाहिए, दिल्ली राज्य की जानता की क्या क्या प्रमुख समस्‍याएं हैं और किस प्रकार से पार्टी को आगे बढ़ना चाहिए तथा AICC के उदयपुर चिंतन शिविर से संगठन ज़मीनी स्तर पर और विस्तार करने की नीति बनाने पर विचार विमर्श हुआ ।

श्री बाबरिया ने कहा कि मौजूदा हालत में  देश की राजधानी जिसे कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार ने अपने 15 वर्ष के शासन में दिल्ली में अभूतपूर्व विकास कर दिल्ली को विश्वस्तरीय शहर बनाया लेकिन बीते 9 वर्षों में आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार और भाजपा की केंद्र सरकार ने काम न कर  केवल झूठे प्रचार दिल्ली के विकास की गति को रोक दिया है  ।

श्री बाबरिया ने कहा  कि 9 वर्षों में दिल्ली सरकार पर भाष्टाचार के गंभीर मामले सामने आ रहे है दिल्ली सरकार की नाकामयाबी की वजह से देश की राजधानी चाहे बेरोजगारी, दिल्ली में कोविड संक्रमण में सबसे अधिक मौतें होना, प्रदूषण से बीमारियाँ, महिला उत्पीड़न में, दिली को नशे की राजधानी बनाने में, 8000 cr का विज्ञापन पर खर्च करने में देश में नंबर 1 स्थान पर पहुँच गई है ।

उन्होंने कहा कि दिल्ली में क़ानून व्यवस्था जिसकी ज़िम्मेदारी भाजपा की केंद्र सरकार के अधीन दिल्ली पुलिस की है जो की पूरी तरह से विफल साबित हुई है और स्तिथि बद से बदतर हो गई है चाहे महिलाओं के साथ जघन्य बलात्कार व हत्याओं के कांड, सारेआम लूट पाट होना, हत्याएँ, डकैती अब आम बात हो गई है लेकिन जनता में भय का माहोल है ।उन्होंने कहा कि दिल्ली और केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों  का कांग्रेस पार्टी द्वारा पुर ज़ोर तरीके से विरोध कर आंदोलन भी किया जाएगा ।

 श्री बाबरिया ने कहा कि बैठक में AICC के उदयपुर चिंतन शिविर से संघटन को ज़मीनी स्तर पर और विस्तार देने का खाका तैयार हुआ है जिस्म हर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अधीन 2 मंडलम अध्यक्ष और 2 -3 सेक्टर अध्यक्ष बनाने का दिल्ली कांग्रेस ने परिसीमन करने को कमेटियों का गठन कर लिय है और शीघ्र ही इसका स्वरूप भी तैयार हो जाएगा जिससे कांग्रेस कार्यकर्ता जानता से और अधिक नज़दीक होकर कर स्म्पर्क साध उनकी समयसयों से जोड़ सकेगा ।


 


Independence Day 2023: 15 अगस्त को लाल किले से ही क्यों फहराते हैं तिरंगा-जाने तथ्य

यह सवाल अक्सर हमारे मन में उठता है और यह स्वाभाविक भी है कि  आखिर 15 अगस्त को लाल किले से ही क्यों तिरंगा फहराया जाता है? भारत के इतिहास में अनगिनत ऐतिहासिक धरोहर है और  कई तो दिल्ली में ही अवस्थित है. तो फिर आखिर  15 अगस्त को लाल किले से ही क्यों तिरंगा फहराया जाता है.  जैसा कि हम सभी जानते हैं कि  लाल किला भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का एक महत्वपूर्ण स्थल है. यह किला मुगल सम्राट शाहजहाँ द्वारा 17वीं शताब्दी में बनवाया गया था और यह भारत के मुगल साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था.

लाल किला: ऐतिहासिक महत्त्व 

1857 के भारतीय विद्रोह के बाद ब्रिटिश सरकार ने लाल किले पर कब्जा कर लिया और इसे अपना निवास स्थान बना लिया. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लाल किले का इस्तेमाल एक महत्वपूर्ण सैन्य छावनी के रूप में किया गया था. 15 अगस्त 1947 को भारत के स्वतंत्रता के बाद लाल किले से पहली बार तिरंगा फहराया गया था. तब से हर साल 15 अगस्त को लाल किले से तिरंगा फहराया जाता है.


लाल किले से तिरंगा फहराने का एक और कारण यह है कि यह किला भारत की राजधानी दिल्ली के केंद्र में स्थित है. दिल्ली भारत के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण शहरों में से एक है. लाल किले से तिरंगा फहराने से यह संदेश जाता है कि भारत एक स्वतंत्र और संप्रभु देश है.

लाल किला: प्रधानमंत्री के भाषण का महत्त्व 

सभी प्रधानमंत्रियों ने अपने भाषण में देश के लोगों को एकजुट होने और देश के विकास के लिए काम करने का आह्वान किया है.प्रधानमंत्री के लाल किले से भाषण देश के लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत हैं. ये भाषण देश के लोगों को एकजुट करते हैं और उन्हें देश के लिए काम करने के लिए प्रेरित करते हैं.

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री लाल किले से देश को संबोधित करते हैं और उन्हें देश के लिए अपनी प्रतिबद्धता के बारे में याद दिलाते हैं. प्रधानमंत्री अपने भाषण में देश के सामने आने वाली चुनौतियों और उन चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकार की नीतियों के बारे में भी बात करते हैं.

प्रधानमंत्री का लाल किले से भाषण हमेशा देश के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत होता है. यह उन्हें देश के लिए अपनी प्रतिबद्धता और देश के विकास के लिए अपनी आकांक्षाओं को याद दिलाता है. प्रधानमंत्री का भाषण देश के लोगों को एकजुट करने और उन्हें देश के लिए काम करने के लिए प्रेरित करता है.

प्रधानमंत्री का लाल किले से भाषण एक ऐतिहासिक अवसर है जो देश के लोगों को एकजुट करता है और उन्हें देश के लिए काम करने के लिए प्रेरित करता है. यह एक अवसर है जब प्रधानमंत्री देश के लोगों को बधाई देते हैं और उन्हें देश के लिए अपनी प्रतिबद्धता के बारे में याद दिलाते हैं.

इतिहास 

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 15 अगस्त 1947 को लाल किले से अपना पहला स्वतंत्रता दिवस का भाषण दिया था.

प्रधानमंत्री नेहरू ने अपने भाषण में कहा था कि "आज हम एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं. आज हम एक स्वतंत्र देश हैं. आज हम अपनी किस्मत के मालिक हैं."

प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपने भाषण में देश के लोगों को एकजुट होने और देश के विकास के लिए काम करने का आह्वान किया था.

प्रधानमंत्री नेहरू के बाद लाल किले से भाषण देने वाले अन्य प्रधानमंत्रियों में लाल बहादुर शास्त्री, इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह, नरेंद्र मोदी शामिल हैं.

प्रधानमंत्री के लाल किले से भाषण का  इतिहास: तथ्य

  • भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 15 अगस्त 1947 को लाल किले से अपना पहला स्वतंत्रता दिवस का भाषण दिया था.
  • प्रधानमंत्री नेहरू ने अपने भाषण में कहा था कि "आज हम एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं. आज हम एक स्वतंत्र देश हैं. आज हम अपनी किस्मत के मालिक हैं."
  • प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपने भाषण में देश के लोगों को एकजुट होने और देश के विकास के लिए काम करने का आह्वान किया था.
  • प्रधानमंत्री नेहरू के बाद लाल किले से भाषण देने वाले अन्य प्रधानमंत्रियों में लाल बहादुर शास्त्री, इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह, नरेंद्र मोदी शामिल हैं.
  • सभी प्रधानमंत्रियों ने अपने भाषण में देश के लोगों को एकजुट होने और देश के विकास के लिए काम करने का आह्वान किया है.
  • प्रधानमंत्री के लाल किले से भाषण देश के लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत हैं. ये भाषण देश के लोगों को एकजुट करते हैं और उन्हें देश के लिए काम करने के लिए प्रेरित करते हैं.