बोंगोसागर 2025: भारत-बांग्लादेश नौसेना का संयुक्त अभ्यास, जानें खास बातें


भारत-बांग्लादेश नौसैन्य अभ्यास बोंगोसागर 2025 और एक समन्वित गश्त का आयोजन इस सप्ताह बंगाल की खाड़ी में किया गया। इस अभ्यास में भारतीय नौसेना की ओर से आईएनएस रणवीर और बांग्लादेश की नौसेना की तरफ से बीएनएस अबू उबैदा ने भाग लिया।

इस अभ्यास से दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच आपसी सहभागिता व युद्धक क्षमता बढ़ी है और साझा समुद्री सुरक्षा चुनौतियों के लिए सहयोगात्मक प्रतिक्रिया में आवश्यक प्रगति हुई है।

इस अभ्यास की प्रमुख गतिविधियों में सतह पर गोलीबारी, सामरिक युद्धाभ्यास, प्रक्रियागत पुनःपूर्ति कार्रवाई, विजिट-बोर्ड-सर्च-सीजर (वीबीएसएस) क्रॉस बोर्डिंग, संचार अभ्यास, ऑप्स टीम और जूनियर अधिकारियों के लिए व्यावसायिक विषयों तथा स्टीम पास्ट पर प्रश्नोत्तरी सहित कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन शामिल थे।

इस अभ्यास ने दोनों देशों की नौसेनाओं को निर्बाध समुद्री संचालन हेतु सामरिक योजना, समन्वय और सूचना साझाकरण में घनिष्ठ संबंध विकसित करने का अवसर प्रदान किया। इस अभ्यास से दोनों नौसेनाओं के बीच समन्वय एवं आत्मविश्वास का विस्तार हुआ है, जिससे साझा नौसैन्य संचालन करने व समुद्र में उभरते खतरों के खिलाफ तेजी से और प्रभावी ढंग से सामना करने की क्षमता में सुधार हुआ है।

दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच नौसैन्य संचालन में बढ़ा हुआ तालमेल, वास्तव में इस क्षेत्र के लिए सुरक्षा और स्थिरता के प्रति वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने की साझा प्रतिबद्धता का प्रमाण है, जो भारत की समुद्र में सभी की सुरक्षा एवं विकास (सागर) पहल को बढ़ावा देता है।

वडुवूर पक्षी अभयारण्य: साइबेरियन सारस, ग्रे पेलिकन, पेंटेड स्टॉर्क, स्पूनबिल जैसे पक्षियों का स्थल

Vaduvur

Vaduvur Bird Sanctuar: वडुवूर पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु के तिरुवरूर जिले में स्थित है, जो एक बड़ा मानव निर्मित सिंचाई तालाब है, जो कावेरी डेल्टा के हिस्से के साथ नीदमंगलम तालुक में स्थित है. यह तंजावुर से लगभग 25 किमी और तिरुवरूर से 30 किमी दूर स्थित है। यह अभयारण्य हरे-भरे जलाशयों, दलदली भूमि और घास के मैदानों से घिरा हुआ है जो पक्षियों के लिए अनुकूल पर्यावास प्रदान करते हैं। यहाँ कई  प्रकार कि प्रवासी पक्षी जैसे  साइबेरियन सारस, ग्रे पेलिकन, पेंटेड स्टॉर्क, स्पूनबिल, फ्लेमिंगो, ब्लैक-टेल्ड गॉडविट आदि आते हैं। इसके अतिरिक्त स्थानीय पक्षी जैसे  भारतीय बगुला, किंगफिशर, कॉर्मोरेंट, डार्टर्स, एग्रेट आदि का भी स्थल है। 

वडुवूर पक्षी अभयारण्य 112.638 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ है, यह एक बड़ा मानव निर्मित सिंचाई जलाशय और प्रवासी पक्षियों के लिए आश्रय है क्योंकि यह भोजन, आश्रय और प्रजनन के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करता है। 

इन जलाशयों में निवासी और सर्दियों के पानी के पक्षियों की अच्छी आबादी को शरण देने की क्षमता है लेकिन इसकी पुष्टि के लिए कोई अध्ययन नहीं किया गया है। 

सर्वेक्षण किए गए अधिकांश जलाशयों में भारतीय जलाशय बगुला अर्देओला ग्रेई पाया गया। यूरेशियन विजोन अनस पेनेलोप, नॉर्दर्न पिंटेल अनस एक्यूटा, गार्गनी अनस क्वेरक्वेडुला जैसे सर्दियों के जलपक्षी की बड़ी उपस्थिति जलाशयों में दर्ज की गई थी। 

वडुवूर पक्षी अभ्यारण्य में विविध निवास स्थान हैं जिनमें कई इनलेट और आसपास के सिंचित कृषि क्षेत्र शामिल हैं जो पक्षियों के लिए अच्छा घोंसला बनाने और चारागाह प्रदान करते हैं। इस प्रकार, यह स्‍थल उपर्युक्‍त सूचीबद्ध प्रजातियों को उनके जीवन-चक्र के महत्वपूर्ण चरणों के दौरान सहायता प्रदान करती है।

पक्षी प्रजातियाँ

प्रवासी पक्षी: साइबेरियन सारस, ग्रे पेलिकन, पेंटेड स्टॉर्क, स्पूनबिल, फ्लेमिंगो, ब्लैक-टेल्ड गॉडविट।

स्थानीय पक्षी: भारतीय बगुला, किंगफिशर, कॉर्मोरेंट, डार्टर्स, एग्रेट आदि।

Chaitra Navratri 2025: जानें माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा तिथि, महत्व और अन्य जानकारी

Navratri Manifestation  of 9 Goddess form of Dugra
Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्र इस वर्ष 30 मार्च से आरंभ हो चुका है जो खासतौर पर मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष  चैत्र नवरात्रि की अष्टमी 05 अप्रैल 2025 को और राम नवमी 06 अप्रैल को मनाई जाएगी।  नौ दिनों तक चलने वाले इस महान पर्व के दौरान भक्तगन माँ  दुर्गा के 9 रूपों का पूजन करते हैं ।  शारदीय  नवरात्र का पावन अवसर है जब  देवी दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा कि जाती है जो आम तौर पर नवरात्र शैलपुत्री या प्रतिपदा, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री सहित नौ देवी की पूजा की  जाती है। 
यह एक नौ दिवसीय त्योहार है जो हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की पूजा के लिए मनाया जाता है. नवरात्रि का पहला दिन प्रतिपदा और नौवां दिन दशमी के रूप में जाना जाता है. 

क्या होता है चैत्र और शारदीय नवरात्र दोनों मे विशेष अंतर?

चैत्र और शारदीय नवरात्रि दोनों ही  नवरात्रि का अलग-अलग रूप है जो हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार हैं। लेकिन इन दोनों में कुछ अंतर होते हैं। चैत्र नवरात्रि सामान्यत: हिंदू कैलेंडर के अनुसार हिन्दी के चैत्र मास में मनाई जाती है। वहीं शारदीय नवरात्रि सामान्यत: आश्विन मास के अश्विनी पक्ष में मनाया जाता है, जो सितंबर या अक्टूबर में होता है।

चैत्र नवरात्रि खासतौर पर ज्यादातर उत्तर भारतीय राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं शारदीय नवरात्री  उत्सव भारत भर में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, खासकर पश्चिमी भारत में। नवरात्री के इन दिनों में, लोग धार्मिक परंपराओं, रस्मों, और उत्सवों में भाग लेते हैं, जिनमें दंगल, रास लीला, गरबा, दंडिया रास, और दुर्गा पूजन शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि शारदीय नवरात्री का त्योहार हिंदुओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. नवरात्रि के दौरान, लोग देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. वे देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री.

शैलपुत्री : 

पहला रूप शैलपुत्री है, जो शैल (पर्वत) की पुत्री कहलाती हैं। इस रूप में माता का ध्यान शुद्धता और त्याग में होता है। वह एक कमंडलु और लोटा धारण करती हैं। देवी शैल पुत्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं जिन्हें भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती के रूप में जाना जाता है। शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना गया है जिसका उल्लेख पुराण में किया गया है। ऐसा कहा गया है कि देवी दुर्गा के सभी नौ स्वरूपों में शैपुत्री प्रथम हैं। जैसा कि हिंदू पौराणिक कथाओं में उल्लेख किया गया है, शैलपुत्री को सती का पुनर्जन्म माना जाता है और वह दक्ष शैलपुत्री की बेटी थीं।

ब्रह्मचारिणी:

दूसरे रूप में माता ब्रह्मचारिणी हैं, जो तपस्या, ध्यान, और संतान की कल्याण की प्रतीक्षा करती हैं। ब्रह्मचारिणी देवी का नाम नवदुर्गा माता के नौ रूपों में से एक है। इस रूप में माँ दुर्गा को तपस्या, ध्यान, और संतान की कल्याण की प्रतीक्षा का दर्शाया जाता है। 

चंद्रघंटा: 

तीसरे रूप में माता चंद्रघंटा हैं, जो चंद्र के आकार की स्थापना करती हैं और वे  चाँद से प्रकाशित होती हैं और उनके मुख पर एक विशालकाय चंद्रमा की प्रतिमा होती है। चंद्रघंटा माँ के चेहरे की दृष्टि शांतिप्रद होती है, लेकिन उनका रूप विक्रमी और महान होता है। वे अपने दो हाथों में वीणा धारण करती हैं और अपने चेहरे पर चंद्रमा के रूप का चंद्रकोटि धारण करती हैं। चंद्रघंटा माँ के चंद्रकोटि के बीच एक तिरंगा होता है, जो अभिनवता और शक्ति का प्रतीक होता है। 

कुष्माण्डा देवी:

नवदुर्गा माता के चौथे रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को जीवन की उत्पत्ति को बनाए रखने वाली देवी के रूप में दर्शाया जाता है। कुष्माण्डा माँ का स्वरूप बहुत ही भयंकर और प्रभावशाली होता है। उनकी आंखों का रंग लाल होता है और उनके मुख पर एक उग्र मुस्कान होती है। उनके मुख के एक स्वरूप में उनके आंतरिक शक्तियों को दर्शाता है। कुष्माण्डा माँ के चार हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में छड़ी और दूसरे हाथ में कमंडलु होती है।

स्कंदमाता: 

पांचवे रूप में माता स्कंदमाता हैं, जो स्कंद (कार्तिकेय) की माँ हैं। स्कंदमाता, नवदुर्गा माता के पांचवे रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को स्कंद (कार्तिकेय) की माँ के रूप में पूजा जाता है। स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत प्रसन्न और सुंदर होता है। वह एक बालक को अपने गोद में ले कर बैठती हैं, जो कार्तिकेय (स्कंद) को प्रतिनिधित करता है। 

कात्यायनी: 

छठे रूप में माता कात्यायनी हैं, जो महिषासुर के वध के लिए उत्तर कुमार की पूजा करती हैं। कात्यायनी देवी का स्वरूप अत्यंत महान और उदार होता है।  कात्यायनी देवी का वाहन सिंह होता है, जो उनकी शक्ति और वीरता को प्रतिनिधित करता है। कात्यायनी माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में स्थिरता, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके सभी कार्यों में सफलता के लिए संयम और निर्णय देती हैं। 

कालरात्रि: 

सातवें रूप में माता कालरात्रि हैं, जो कालरात्रि की उत्पत्ति को बनाए रखने वाली देवी हैं।कालरात्रि देवी का स्वरूप अत्यधिक उग्र और भयंकर होता है। वह काली के रूप में प्रतिष्ठित होती हैं, जिनका चेहरा उग्रता और अद्भुतता से भरा होता है। कालरात्रि देवी के चार हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में खड़ा त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में काले रंग का घड़ा होता है। उनकी तीसरी हाथ में दमरू होता है, और चौथे हाथ में वरदान का मुद्रा होता है, जो उनकी शक्ति को प्रतिनिधित करते हैं। कालरात्रि देवी का वाहन भालू होता है, जो उनकी शक्ति और संरक्षण को प्रतिनिधित करता है। 

महागौरी देवी

 नवदुर्गा माता के आठवें रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को शुभ और पवित्र स्वरूप में पूजा जाता है। इस रूप में माँ दुर्गा को उनकी विशेषता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। महागौरी देवी का स्वरूप शानदार और दिव्य होता है। उनका चेहरा प्रकाशमय होता है और वे अत्यंत पवित्र दिखाई देती हैं। वे श्वेत वस्त्र पहनती हैं, जो उनकी निर्मलता और पवित्रता को दर्शाता है। महागौरी देवी के दो हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में वरदान का मुद्रा होता है। 

सिद्धिदात्री:

 नौवें रूप में माता सिद्धिदात्री हैं, जो सभी सिद्धियों की देवी हैं। वह अपने दोनों हाथों में वरदान और वाहन को धारण करती हैं। ये नौ रूप माता दुर्गा के अद्वितीय और प्रतिष्ठित रूप हैं, जो नवरात्रि के नौ दिनों में पूजे जाते हैं। सिद्धिदात्री देवी का स्वरूप अत्यधिक प्रसन्न और उदार होता है। उनका चेहरा प्रकाशमय होता है और उनकी आंखों में अनंत दया और स्नेह की भावना होती है। सिद्धिदात्री देवी के दो हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में खड़ा त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में वरदान का मुद्रा होता है। उनके हाथों में उज्जवल और शुभता की भावना होती है। सिद्धिदात्री देवी का वाहन गदा होता है, जो उनकी सामर्थ्य और शक्ति को प्रतिनिधित करता है।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।

INIOCHOS 25: भारतीय वायु सेना का अभ्यास का आयोजन ग्रीस मे होगा-Facts in Brief


भारतीय वायु सेना (आईएएफ) हेलेनिक वायु सेना द्वारा ग्रीस के एंड्राविडा एयर बेस मे आयोजित होने वाले प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय वायु अभ्यास इनीयोकॉस-25  मे हिस्सा लेगी। यह अभ्यास 31 मार्च 2025 से 11 अप्रैल 2025 तक ग्रीस के एंड्राविडा एयर बेस पर होगा। भारतीय वायुसेना के दल में एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के साथ-साथ लड़ाकू क्षमता वाले आईएल-78 और सी-17 विमान शामिल होंगे।

मुख्य उदेश्य 

इनीयोकॉस हेलेनिक वायु सेना द्वारा आयोजित एक द्विवार्षिक बहुराष्ट्रीय वायु अभ्यास है। यह वायु सेनाओं के लिए अपने कौशल को निखारने, सामरिक ज्ञान का आदान-प्रदान करने और सैन्य संबंधों को मजबूत करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।  एंड्राविडा से संचालित सभी ऑपरेशनों से भारतीय वायुसेना की भागीदारी न केवल इसकी परिचालन क्षमताओं को मजबूत करेगी अपितु भाग लेने वाले देशों के बीच आपसी सीखने और बेहतर समन्वय में भी योगदान देगी।

इस अभ्यास में वास्‍तविक युद्ध परिदृश्यों के अन्‍तर्गत पंद्रह देशों की कई वायु और सतही इकाइयां शामिल होंगी। इसे आधुनिक समय की हवाई युद्ध चुनौतियों का अनुकरण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

सहयोग, तालमेल और अंतर-संचालन की रणनीति का अभ्यास 

भारतीय वायुसेना को अभ्यास इनीयोकॉस 25 में भाग लेने की उम्मीद है। यह भाग लेने वाली वायु सेनाओं के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, तालमेल और अंतर-संचालन को बढ़ाने का एक मंच है। यह अभ्यास संयुक्त वायु संचालन की योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने, जटिल वायु युद्ध परिदृश्यों में रणनीति को परिष्कृत करने और परिचालन संबंधी सर्वोत्तम प्रणालियों में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगा। एंड्राविडा से संचालित सभी ऑपरेशनों से भारतीय वायुसेना की भागीदारी न केवल इसकी परिचालन क्षमताओं को मजबूत करेगी अपितु भाग लेने वाले देशों के बीच आपसी सीखने और बेहतर समन्वय में भी योगदान देगी।

इनीयोकॉस-25 में भारतीय वायुसेना की भागीदारी वैश्विक रक्षा सहयोग और परिचालन उत्कृष्टता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह अभ्यास भारत की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा-और मित्र देशों के साथ संयुक्त अभियानों में इसकी क्षमताओं को बढ़ाएगा।

Chaitra Navratri 2025 : जानें माँ दुर्गा के 9 रूपों का पूजन और अनुष्ठान, तिथि और भी बहुत कुछ

Navratri Know the 9 Manifestation of Goddess Dugra

Chaitra Navratri 2025 : हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल चैत्र नवरात्रि की अष्टमी 5 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी जबकि राम नवमी या नवमी 6 अप्रैल को होगी. 
चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है और भक्तगण इस दिन कलश स्थापना करते हैं। नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और  माँ दुर्गा की पूजा के लिए कलश स्थापना कर पहला व्रत रखा जाता है. 

चैत्र नवरात्रि:  माँ दुर्गा 9  स्वरूपों होती है पूजा 

नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है जिनमे शामिल है- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री और प्रत्येक रूप एक अद्वितीय गुण का प्रतिनिधित्व करता है।

सामान्यता  दो नवरात्रि के प्रमुख अवसर होते हैं-चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र.  चैत्र नवरात्र मूल रूप से चैत्र के महीने में आते हैं, जो कि 12 हिंदी महीने का पहला महीना है। शरद नवरात्र आमतौर पर हिंदी महीने में अश्विन के महीने में पड़ता है। आम तौर पर माँ दुर्गा के 9 रूपों का पूजन किया जाता है जो हैं-शैलपुत्री या प्रतिपदा, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।

नवरात्र के अवसर पर हम नवदुर्गा या दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। हालाँकि, पहले दिन हम देवी शैलपुत्री की पूजा करते हैं, जो देवी दुर्गा के सभी नौ रूपों में सबसे पहले हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा के कुल नौ स्वरूपों की पूजा की गई है- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।

प्रथम शैलपुत्री

शैलपुत्री को पर्वत हिमालय की पुत्री माना जाता है जिसका उल्लेख पुराण में मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि शैपुत्री देवी दुर्गा के सभी नौ रूपों में प्रथम है। देवी शैलपुत्री को प्रकृति माता का पूर्ण रूप माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि शैलपुत्री का जन्म पर्वतों के राजा, हिमालय शैल के घर में हुआ था और इसलिए उन्हें "शैलपुत्री" के नाम से जाना जाता है।

द्वितीय ब्रह्मचारिणी 

ब्रह्मचारिणी देवी दुर्गा की दूसरी अभिव्यक्ति है जिसे हम नवरात्र के दूसरे दिन पूजा करते हैं। 

तृतीय चंद्रघंटा

देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप का नाम चंद्रघंटा है जो चंद्रमा की आकृति स्थापित करती हैं। वे चंद्रमा के रूप में एक विशेष आसन पर विराजमान हैं। वे चंद्रमा से प्रकाशित हैं और उनके मुख पर एक विशाल चंद्रमा की छवि है।

चंद्रघंटा माँ के चेहरे का दृश्य शांतिपूर्ण है, लेकिन उनका रूप भयंकर और महान है। वे अपने दोनों हाथों में वीणा धारण करती हैं और अपने मुख पर चंद्रमा के आकार की चंद्रकोटि धारण करती हैं।

चतुर्थ कुष्मांडा देवी

नवदुर्गा माता के चौथे स्वरूपों में से एक हैं। इस रूप में मां दुर्गा को जीवन की उत्पत्ति को बनाए रखने वाली देवी के रूप में दर्शाया गया है। मां कुष्मांडा का स्वरूप बहुत ही भयंकर और प्रभावशाली है। उनकी आंखों का रंग लाल है और उनके चेहरे पर एक उग्र मुस्कान है। उनके चेहरे का एक रूप उनकी आंतरिक शक्तियों को दर्शाता है। मां कुष्मांडा की चार भुजाएं हैं, जिसमें वह एक हाथ में छड़ी और दूसरे हाथ में कमंडल धारण करती हैं। वह एक शूल और धारदार चाकू धारण करती हैं, जो उनकी उत्पत्ति का प्रतीक है। कुष्मांडा मां का वाहन शेर है, जो उनकी शक्ति और साहस का प्रतिनिधित्व करता है। कुष्मांडा मां की पूजा करने से भक्तों को उनके जीवन में आने वाली सभी समस्याओं और बाधाओं से मुक्ति मिलती है, और उन्हें एक सार्थक और समृद्ध जीवन मिलता है। उनकी पूजा से भक्तों को शक्ति और साहस का आशीर्वाद मिलता है।

पांचवीं मां स्कंदमाता

पांचवें स्वरूप में मां स्कंदमाता हैं, जो स्कंद (कार्तिकेय) की माता हैं। स्कंदमाता नवदुर्गा माता के पांचवें स्वरूप में से एक हैं। इस रूप में मां दुर्गा को स्कंद (कार्तिकेय) की माता के रूप में पूजा जाता है। स्कंदमाता का स्वरूप बहुत ही प्रसन्न और सुंदर है। वह अपनी गोद में एक बच्चे के साथ बैठती हैं, जो कार्तिकेय (स्कंद) का प्रतिनिधित्व करता है। उनकी लीलाएँ आध्यात्मिक और आनंदमय हैं, और उन्हें एक आकर्षक साध्वी के रूप में जाना जाता है। स्कंदमाता माँ की पूजा करने से भक्तों को अपने जीवन में संतान, सुख और समृद्धि की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। उनकी पूजा करने से माँ उनके परिवार की सुरक्षा का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

छठी कात्यायनी

छठा रूप है मां कात्यायनी, जो महिषासुर के वध के लिए उत्तर कुमार की पूजा करती हैं। देवी कात्यायनी का स्वरूप बहुत ही महान और उदार है। उसका चेहरा खुशी और सौम्यता का अवतार है, लेकिन उसकी निगाहें भयंकर और आज्ञाकारी हैं। कात्यायनी देवी के चार हाथ हैं, जिसमें एक हाथ में खड़ा त्रिशूल है और दूसरे हाथ में वीणा है। उनके दो हाथ और एक मुद्रा है जो उनकी शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है। कात्यायनी देवी का वाहन शेर है, जो उनकी ताकत और बहादुरी का प्रतिनिधित्व करता है। देवी कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को अपने जीवन में स्थिरता, समृद्धि और सफलता प्राप्त करने का आशीर्वाद मिलता है। उनकी पूजा करने से माँ उनके सभी कार्यों में सफलता के लिए संयम और निर्णय प्रदान करती हैं।

सातवीं कालरात्रि

सातवां रूप है माँ कालरात्रि, जो कालरात्रि की उत्पत्ति को बनाए रखने वाली देवी हैं। देवी कालरात्रि का रूप अत्यंत उग्र और भयंकर है। वह काली के रूप में पूजनीय हैं, जिनका चेहरा उग्रता और आश्चर्य से भरा है। उनके चेहरे पर एक विशाल चाकू की मूर्ति है, और उनकी आँखों में आग की लपटें दिखाई देती हैं। देवी कालरात्रि के चार हाथ हैं, जिनमें से एक हाथ में खड़ा त्रिशूल और दूसरे हाथ में एक काला घड़ा है। अपने तीसरे हाथ में उन्होंने डमरू और चौथे हाथ में वरदान की मुद्रा धारण की है, जो उनकी शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं। देवी कालरात्रि का वाहन एक भालू है, जो उनकी शक्ति और सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करता है। कालरात्रि मां की पूजा करने से भक्तों को अपने जीवन में शक्ति, साहस और निर्भयता प्राप्त करने का आशीर्वाद मिलता है। उनकी पूजा करने से, माँ उनके सभी भय और संकट को दूर करती हैं, और उन्हें सुरक्षा और सम्मान का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

आठवीं महागौरी 

मां महागौरी नवदुर्गा माता के आठवें स्वरूपों में से एक हैं। इस स्वरूप में मां दुर्गा की पूजा शुभ और पवित्र स्वरूप में की जाती है। इस स्वरूप में मां दुर्गा को उनकी विशेषता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। महागौरी देवी का स्वरूप भव्य और दिव्य है। उनका चेहरा ज्योतिर्मय है और वे अत्यंत पवित्र दिखाई देती हैं। वे सफेद वस्त्र पहनती हैं, जो उनकी पवित्रता और शुद्धता को दर्शाता है। महागौरी देवी के दो हाथ हैं, जिसमें एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में वरदान मुद्रा है। इनके चेहरे पर मुस्कान है, जो उनकी दयालुता और खुशी को दर्शाती है। महागौरी देवी का वाहन सिंह है, जो उनकी शक्ति और साहस को दर्शाता है। महागौरी मां की पूजा करने से भक्तों को अपने जीवन में शुभ और पवित्र गुणों की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा करने से माता उनके सभी दुखों और बुराइयों को दूर करती हैं और उन्हें सुख-शांति का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

नौवीं सिद्धिदात्री

नौवां रूप है मां सिद्धिदात्री, जो सभी सिद्धियों की देवी हैं। वे अपने दोनों हाथों में वरदान और वाहन धारण करती हैं। ये नौ रूप देवी दुर्गा के अद्वितीय और प्रतिष्ठित रूप हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के नौ दिनों में की जाती है। सिद्धिदात्री देवी नवदुर्गा माता के नौवें और अंतिम रूपों में से एक हैं। इस रूप में, माँ दुर्गा को सर्वशक्तिमान सिद्धिदात्री के रूप में पूजा जाता है, जो अपने भक्तों को सिद्धियाँ (अच्छे परिणाम) प्रदान करती हैं।

Chaitra Navratri 2025: जानें माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों का पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

 

Chaitra Navtarti 2024 Shailpurti and Nine form of Goddess Durga

Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्र इस वर्ष आज अर्थात 30 मार्च से शुरू हो रहा है जो खासतौर पर मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। नवरात्र इस दौरान लोग मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं और कठिन व्रत का पालन करते हैं। चैत्र महीने में पड़ने की वजह से इसे चैत्र नवरात्र के नाम से जाना जाता है। 
नौ दिनों तक चलने वाले इस महान पर्व के दौरान भक्तगन माँ  दुर्गा के 9 रूपों का पूजन करते हैं ।  शारदीय  नवरात्र का पावन अवसर है जब  देवी दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा कि जाती है जो आम तौर पर नवरात्र शैलपुत्री या प्रतिपदा, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री सहित नौ देवी की पूजा की  जाती है।

नवरात्रि 2025 के अनुसार, माता दुर्गा के नौ रूपों का वर्णन निम्नलिखित है:

शैलपुत्री : 

पहला रूप शैलपुत्री है, जो शैल (पर्वत) की पुत्री कहलाती हैं। इस रूप में माता का ध्यान शुद्धता और त्याग में होता है। वह एक कमंडलु और लोटा धारण करती हैं। देवी शैल पुत्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं जिन्हें भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती के रूप में जाना जाता है। शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना गया है जिसका उल्लेख पुराण में किया गया है। ऐसा कहा गया है कि देवी दुर्गा के सभी नौ स्वरूपों में शैपुत्री प्रथम हैं। जैसा कि हिंदू पौराणिक कथाओं में उल्लेख किया गया है, शैलपुत्री को सती का पुनर्जन्म माना जाता है और वह दक्ष शैलपुत्री की बेटी थीं।

ब्रह्मचारिणी:

 दूसरे रूप में माता ब्रह्मचारिणी हैं, जो तपस्या, ध्यान, और संतान की कल्याण की प्रतीक्षा करती हैं। ब्रह्मचारिणी देवी का नाम नवदुर्गा माता के नौ रूपों में से एक है। इस रूप में माँ दुर्गा को तपस्या, ध्यान, और संतान की कल्याण की प्रतीक्षा का दर्शाया जाता है। 

ब्रह्मचारिणी का स्वरूप उत्तम ध्यान, तपस्या, और संयम का प्रतीक है।  ब्रह्मचारिणी के हाथों में माला और कमंडलु होती है। माला का प्रतीक है ध्यान और मनन, जबकि कमंडलु तपस्या और ब्रह्मचर्य के प्रतीक होती है। वे साधारणतः सफेद वस्त्र पहनती हैं जो उनकी शुद्धता और सात्विकता को दर्शाता है।

चंद्रघंटा: 

तीसरे रूप में माता चंद्रघंटा हैं, जो चंद्र के आकार की स्थापना करती हैं। वह चंद्रमा के रूप में विशेष आसन पर बैठती हैं।  वे चाँद से प्रकाशित होती हैं और उनके मुख पर एक विशालकाय चंद्रमा की प्रतिमा होती है।

चंद्रघंटा माँ के चेहरे की दृष्टि शांतिप्रद होती है, लेकिन उनका रूप विक्रमी और महान होता है। वे अपने दो हाथों में वीणा धारण करती हैं और अपने चेहरे पर चंद्रमा के रूप का चंद्रकोटि धारण करती हैं। चंद्रघंटा माँ के चंद्रकोटि के बीच एक तिरंगा होता है, जो अभिनवता और शक्ति का प्रतीक होता है। उनके साथ अक्षमाला, बेल, और धूप-दीप का सामान होता है, जो पूजन के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। चंद्रघंटा माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उन्हें भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि माँ चंद्रघंटा हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।

कुष्माण्डा देवी:

नवदुर्गा माता के चौथे रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को जीवन की उत्पत्ति को बनाए रखने वाली देवी के रूप में दर्शाया जाता है। कुष्माण्डा माँ का स्वरूप बहुत ही भयंकर और प्रभावशाली होता है। उनकी आंखों का रंग लाल होता है और उनके मुख पर एक उग्र मुस्कान होती है। उनके मुख के एक स्वरूप में उनके आंतरिक शक्तियों को दर्शाता है। कुष्माण्डा माँ के चार हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में छड़ी और दूसरे हाथ में कमंडलु होती है। वे एक शूल और एक बिखरी चाकू धारण करती हैं, जो उनकी उत्पत्ति की प्रतीक हैं। कुष्माण्डा माँ का वाहन एक शेर होता है, जो उनकी शक्ति और साहस को प्रतिनिधित करता है। कुष्माण्डा माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में उत्पन्न होने वाली समस्त समस्याओं और बाधाओं का निवारण प्राप्त करते हैं, और उन्हें सार्थक और समृद्धिशाली जीवन प्राप्त होता है। उनकी पूजा भक्तों को शक्ति और साहस का आशीर्वाद प्रदान करती है।

स्कंदमाता: 

पांचवे रूप में माता स्कंदमाता हैं, जो स्कंद (कार्तिकेय) की माँ हैं। स्कंदमाता, नवदुर्गा माता के पांचवे रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को स्कंद (कार्तिकेय) की माँ के रूप में पूजा जाता है। स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत प्रसन्न और सुंदर होता है। वह एक बालक को अपने गोद में ले कर बैठती हैं, जो कार्तिकेय (स्कंद) को प्रतिनिधित करता है। उनकी विगति आध्यात्मिक और आनंदमयी होती है, और वे आकर्षक साध्वी के रूप में विशेषता दिखाती हैं।स्कंदमाता माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में बच्चों की संतान, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके परिवार की सुरक्षा के लिए आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

कात्यायनी: 

छठे रूप में माता कात्यायनी हैं, जो महिषासुर के वध के लिए उत्तर कुमार की पूजा करती हैं। कात्यायनी देवी का स्वरूप अत्यंत महान और उदार होता है। वह चेहरे पर प्रसन्नता और सौम्यता का प्रतीक होती हैं, लेकिन उनकी दृष्टि उग्र और प्रभावशाली होती है। कात्यायनी देवी के चार हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में खड़ा त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में वीणा होती है। उनके दो हाथ और एक मुद्रा में विशेषता दिखाते हैं, जो उनके शक्ति को प्रतिनिधित करते हैं। कात्यायनी देवी का वाहन सिंह होता है, जो उनकी शक्ति और वीरता को प्रतिनिधित करता है। कात्यायनी माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में स्थिरता, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके सभी कार्यों में सफलता के लिए संयम और निर्णय देती हैं। 

कालरात्रि: 

सातवें रूप में माता कालरात्रि हैं, जो कालरात्रि की उत्पत्ति को बनाए रखने वाली देवी हैं।कालरात्रि देवी का स्वरूप अत्यधिक उग्र और भयंकर होता है। वह काली के रूप में प्रतिष्ठित होती हैं, जिनका चेहरा उग्रता और अद्भुतता से भरा होता है। उनके मुख पर विशालकाय चाकु की प्रतिमा होती है, और उनके आंखों में अग्नि की ज्वाला लगती है। कालरात्रि देवी के चार हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में खड़ा त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में काले रंग का घड़ा होता है। उनकी तीसरी हाथ में दमरू होता है, और चौथे हाथ में वरदान का मुद्रा होता है, जो उनकी शक्ति को प्रतिनिधित करते हैं। कालरात्रि देवी का वाहन भालू होता है, जो उनकी शक्ति और संरक्षण को प्रतिनिधित करता है। कालरात्रि माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में शक्ति, साहस, और अभय की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके सभी भयों और संकटों को दूर करती हैं, और उन्हें संरक्षण और सम्मान का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। 

महागौरी देवी

 नवदुर्गा माता के आठवें रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को शुभ और पवित्र स्वरूप में पूजा जाता है। इस रूप में माँ दुर्गा को उनकी विशेषता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। महागौरी देवी का स्वरूप शानदार और दिव्य होता है। उनका चेहरा प्रकाशमय होता है और वे अत्यंत पवित्र दिखाई देती हैं। वे श्वेत वस्त्र पहनती हैं, जो उनकी निर्मलता और पवित्रता को दर्शाता है। महागौरी देवी के दो हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में वरदान का मुद्रा होता है। उनके चेहरे पर एक मुस्कान होती है, जो उनकी दयालुता और प्रसन्नता को प्रतिनिधित करती है। महागौरी देवी का वाहन सिंह होता है, जो उनकी शक्ति और साहस को प्रतिनिधित करता है। महागौरी माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में शुभ और पवित्र गुणों को प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके सभी दुःखों और बुराइयों को दूर करती हैं, और उन्हें शांति और सुख का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

सिद्धिदात्री:

 नौवें रूप में माता सिद्धिदात्री हैं, जो सभी सिद्धियों की देवी हैं। वह अपने दोनों हाथों में वरदान और वाहन को धारण करती हैं। ये नौ रूप माता दुर्गा के अद्वितीय और प्रतिष्ठित रूप हैं, जो नवरात्रि के नौ दिनों में पूजे जाते हैं। सिद्धिदात्री देवी, नवदुर्गा माता के नौवें और अंतिम रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को सर्वशक्तिमान सिद्धिदात्री के रूप में पूजा जाता है, जो अपने भक्तों को सिद्धियाँ (अच्छे परिणाम) प्रदान करती हैं।

सिद्धिदात्री देवी का स्वरूप अत्यधिक प्रसन्न और उदार होता है। उनका चेहरा प्रकाशमय होता है और उनकी आंखों में अनंत दया और स्नेह की भावना होती है। सिद्धिदात्री देवी के दो हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में खड़ा त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में वरदान का मुद्रा होता है। उनके हाथों में उज्जवल और शुभता की भावना होती है। सिद्धिदात्री देवी का वाहन गदा होता है, जो उनकी सामर्थ्य और शक्ति को प्रतिनिधित करता है। सिद्धिदात्री माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में सिद्धियाँ, सफलता, और अनुग्रह प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके सभी कार्यों में सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।


डेजर्ट हंट-2025 अभ्‍यास: उभरती सुरक्षा चुनौतियों को समर्पित अभ्यास-Facts in Brief

Exercise Desert Hunt exercise facts in brief

डेजर्ट हंट-2025 जो कि भारतीय वायु सेना द्वारा आयोजित किया जाता है, 24 से 28 फरवरी 2025 तक वायु सेना स्टेशन, जोधपुर मे सम्पन्न हुआ। यह एक एकीकृत त्रि-सेवा विशेष बल अभ्यास का आयोजन है जिसका उद्देश्य उभरती सुरक्षा चुनौतियों के प्रति त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए तीन विशेष बल इकाइयों के बीच अंतर-संचालन, समन्वय और सामंजस्‍य को बढ़ाना है। 

डेजर्ट हंट-2025 : हिस्सा लेने वाले विशिष्ट फोर्स 

भारतीय वायु सेना ने 24 से 28 फरवरी 2025 तक वायु सेना स्टेशन, जोधपुर में डेजर्ट हंट-2025 नामक एक एकीकृत त्रि-सेवा विशेष बल अभ्यास का आयोजन किया। इस अभ्यास में भारतीय सेना के विशिष्ट पैरा (विशेष बल), भारतीय नौसेना के मरीन कमांडो और भारतीय वायु सेना के गरुड़ (विशेष बल) ने एक कृत्रिम युद्ध वातावरण में एक साथ भागीदारी की।

डेजर्ट हंट-2025 : उद्देश्य 

इस जबरदस्‍त-तीव्रता वाले अभ्यास का उद्देश्य उभरती सुरक्षा चुनौतियों के प्रति त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए तीन विशेष बल इकाइयों के बीच अंतर-संचालन, समन्वय और सामंजस्‍य को बढ़ाना था। अभ्यास में हवाई संचालन, सटीक हमले, बंधक बचाव, आतंकवाद विरोधी अभियान, युद्ध मुक्त पतन और शहरी युद्ध परिदृश्य शामिल थे, जिसमें यथार्थवादी परिस्थितियों में बलों की युद्ध तत्परता का परखा गया।

वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने संयुक्त सिद्धांतों को मान्यता देते हुए अभ्यास की निगरानी के साथ-साथ निर्बाध अंतर-सेवा सहयोग के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों की प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने के‍ लिए एक मंच भी प्रदान किया।

GT vs RCB :अरशद खान ने किया किंग कोहली को आउट

 


गुजरात टाइटन और रॉयल चैलिन्जर बेंगलुरू के मैच में सबसे सनसनीखेज रहा अरशद खान द्वारा लिया गया विराट कोहली का विकेट। गुजरात टाइटन और रॉयल चैलिन्जर बेंगलुरू के हाई प्रोफ़ाइल मैच मे  दौरान  अरशद खान ने अपने पहले ही ओवर और पारी के दूसरे ओवर में विराट कोहली का बेशकीमती विकेट चटकाकर अपनी काबिलियत साबित की। बाएं हाथ के तेज गेंदबाज अरशद खान ने जब  कोहली को डीप स्क्वायर लेग पर प्रसिद्ध कृष्णा ने कैच करवाया तब कोहली मात्र 7 रन बना पाए थे। 

आइए जानते हैं अरशद खान के बारे में जिनका जन्म 20 दिसंबर, 1997 को गोपालगंज (सिवनी), मध्य प्रदेश में हुआ था। मुंबई इंडियंस (MI) की स्काउटिंग टीम ने अरशद खान की प्रतिभा को पहचाना और उन्हे एक मौका दिया। हालांकि आज के मैच मे जिस तरह से खान ने विराट कोहली को आउट किया, निश्चित हीं उन्होंने साबित कर दिया ही गुजरात टाइटन्स  ने उन्हे चुनकर कोई गलती नहीं किया। 

उल्लेखनीय है कि उन्हें 2022 की आईपीएल नीलामी में MI ने 20 लाख रुपये में खरीदा था, लेकिन दुर्भाग्य से चोट के कारण बाहर हो गए। 

इसके पहले खान लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) के साथ भी जुड़े थे।   गुजरात टाइटन्स ने  2025 की आईपीएल के लिए उन्हें 1.3 करोड़ रुपये में खरीदा।

आईपीएल करियर

 अरशद खान ने आईपीएल में अब तक कुल 12 मुकाबलों में हिस्सा लिया है जिसमें उन्होंने 8 पारियों में 145.71 के शानदार स्ट्राइक रेट से 102 रन बनाए हैं। इन मैचों में उन्होंने 7 विकेट अपने नाम किये। एक अर्धशतकीय पारी भी अरशद खान के बल्ले से देखने को मिली है जहां  नाबाद 58 उनका बेस्ट स्कोर है।

अरशद खान ने अभी तक 12 आईपीएल मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 8 पारियों में 145.71 के शानदार स्ट्राइक रेट से 102 रन बनाए हैं।



Daily GK Current Affairs: मन की बात के कार्यक्रम पर आधारित MCQ Quiz, व्याख्या के साथ


संकलन: शिवम द्वारा 

Mann Ki Baat:  मन की बात प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित एक भारतीय रेडियो कार्यक्रम है जिसमें वे ऑल इंडिया रेडियो, डीडी नेशनल और डीडी न्यूज़ पर भारतीयों को संबोधित करते हैं। 3 अक्टूबर 2014 को कार्यक्रम का पहला शो प्रसारित हुआ जो आज दुनिया मे अपना इतिहास बना चुका है। इस कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ता प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी हैं जिसके माध्यम से वह  देश के नागरिकों के साथ बातचीत करते हैं और उनकी सोच, दृष्टिकोण और राष्ट्र के मुद्दों पर विचारों को साझा करते हैं।यह कार्यक्रम हर महीने के अंतिम रविवार को प्रसारित किया जाता है, जिसमें प्रधानमंत्री विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार साझा करते हैं. हम यहाँ पर लाएं हैं आपके लिए मन की बात में प्रधानमंत्री द्वारा उल्लेखित विभिन्न पर्सनलिटी और स्थान पर आधारित GK Quiz जो प्रतियोगिता परीक्षा कि तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए खास रूप से तैयार किया गया है। 


गडग जिला का संबंधी किस राज्य से है? 

  • कर्नाटका के गडग जिले के लोगों ने भी मिसाल कायम की है। कुछ साल पहले यहाँ के दो गाँव की झीलें पूरी तरह सूख गईं। एक समय ऐसा भी आया जब वहाँ पशुओं के पीने के लिए भी पानी नहीं बचा। 
  • धीरे-धीरे झील घास-फूस और झाड़ियों से भर गई। लेकिन गाँव के कुछ लोगों ने झील को पुनर्जीवित करने का फैसला किया और काम में जुट गए। 


Fit India Carnival

दिल्ली में एक और भव्य आयोजन ने लोगों को बहुत प्रेरणा दी है, जोश से भर दिया है। एक Innovative Idea के रूप में पहली बार Fit India Carnival का आयोजन किया गया। 

Rapper Hanumankind (हनुमान काइन्ड) 

 मशहूर Rapper Hanumankind (हनुमान काइन्ड) का नया Song “Run It Up” काफी Famous हो रहा है। इसमें कलारिपयट्टू, गतका और थांग-ता जैसी हमारी पारंपरिक Martial Arts को शामिल किया गया है। 

फगवा चौताल का संबंध किस राज्य से है?

यह फ़िजी का बहुत ही लोकप्रिय ‘फगवा चौताल’ है।  ये गीत और संगीत हर किसी में जोश भर देता है। यह फ़िजी का बहुत ही लोकप्रिय ‘फगवा चौताल’ है। 

Singapore Indian Fine Arts Society

यह एक संगठन है जो वर्षों से भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने का कार्य कर रहा है। भारतीय नृत्य, संगीत और संस्कृति को संरक्षित करने में जुटे इस संगठन ने अपने गौरवशाली 75 साल पूरे किए हैं।

Textile waste

Textile waste से निपटने में कुछ शहर भी अपनी नई पहचान बना रहे हैं। हरियाणा का पानीपत textile recycling के global hub के रूप में उभर रहा है।

  • बेंगलुरू भी Innovative Tech Solutions से अपनी एक अलग पहचान बना रहा है। यहाँ आधे से ज्यादा Textile waste को जमा किया जाता है, जो हमारे दूसरे शहरों के लिए भी एक मिसाल है। 
  • इसी प्रकार तमिलनाडु का Tirupur Waste Water Treatment  और renewable energy के माध्यम से textile waste management में जुटा हुआ है।


2025 के योग दिवस का थीम क्या है?

साल 2025 के योग दिवस की theme रखी गई है, ‘Yoga for One Earth One Health’. यानि हम योग के जरिए पूरे विश्व को स्वस्थ बनाने की कामना करते हैं।

Somos India 

 Somos India नाम की team जिसके बारे मे प्रधान मंत्री ने चर्चा किया।  Spanish में इसका अर्थ है - We are India. यह टीम करीब एक दशक से योग और आयुर्वेद को बढ़ावा देने में जुटी है। उनका focus treatment के साथ-साथ educational programmes पर भी है। वे आयुर्वेद और योग से संबंधित जानकारियों को Spanish language में translate भी करवा रहे हैं। 

महुआ के फूल

  • मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में महुआ के फूल से cookies बनाए जा रहे हैं। 
  • राजाखोह गांव की चार बहनों के प्रयास से ये cookies बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं। इन महिलाओं का जज्बा देखकर एक बड़ी company ने इन्हें factory में काम करने की training दी।
  •  तेलंगना के आदिलाबाद जिले में भी दो बहनों ने महुआ के फूलों से नया experiment किया है। वो इनसे तरह-तरह के पकवान बनाती हैं, जिन्हें लोग बहुत पसंद करते हैं। 


कृष्ण कमल

  • कृष्ण कमल एक शानदार फूल है जो गुजरात मे पाया जाता है। 
  •  गुजरात के एकता नगर में Statue of Unity के आसपास आपको ये कृष्ण कमल बड़ी संख्या में दिखेंगें।
  •  ये कृष्ण कमल एकता नगर के आरोग्य वन, एकता नर्सरी, विश्व वन और Miyawaki forest में आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं। 


  •  श्री अब्दुल्ला अल-बारुन ने रामायण और महाभारत का अरबी में अनुवाद किया है का संबंध किस देश से है- कुवैत
  • एरलिंदा गार्सिआ (Erlinda Garcia) जो  युवाओं को भरतनाट्यम सिखा रही हैं और मारिया वालदेस (Maria Valdez) ओडिसी नृत्य का प्रशिक्षण दे रही हैं, उनका संबंधी किस देश से है- पेरू 

Deer Women के नाम से किसे बुलाया जाता है?

  • अनुराधा राव, अंडमान निकोबार-अनुराधा राव, अंडमान निकोबार का नाता अंडमान निकोबार आइलैंड से रहा है। अनुराधा जी ने कम उम्र में ही Animal Welfare के लिए खुद को समर्पित कर दिया था। तीन दशकों से उन्होंने हिरण और मोर की रक्षा को अपना mission बनाया। यहां के लोग तो उन्हें ‘Deer Woman’ के नाम से बुलाते हैं। 

कार्थुम्बी छाता का संबंधी किस राज्य से है-केरल 

  • कार्थुम्बी छाते’ को  तैयार किया जाता है केरला के अट्टापडी में  इन छातों को ‘वट्टालक्की सहकारी कृषि सोसाइटी’ की देखरेख में बनाया जाता है।

किस देश सरकार ने अपने National Radio पर हिन्दी मे एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया?-कुवैत 


किस देश ने  गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी  को सम्मान  दिया है? 

  • तुर्कमेनिस्तान

तुर्कमेनिस्तान में इस साल मई में वहाँ के राष्ट्रीय कवि की 300वीं जन्म-जयंती मनाई गई। इस अवसर पर तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने दुनिया के 24 प्रसिद्ध कवियों की प्रतिमाओं का अनावरण किया। इनमें से एक प्रतिमा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी की भी है। ये गुरुदेव का सम्मान है, भारत का सम्मान है।

Araku coffee का संबंध किस राज्य से है?

  • आंध्र प्रदेश 
  •  ये अपने rich flavor और aroma के लिए जानी जाती है।

कब्बन पार्क का संबंधी किस शहर से है- बेंगलुरू 

बेंगलुरू में एक पार्क है- कब्बन पार्क ! इस पार्क में यहाँ के लोगों ने एक नई परंपरा शुरू की है। यहाँ हफ्ते में एक दिन, हर रविवार बच्चे, युवा और बुजुर्ग आपस में संस्कृत में बात करते हैं। इतना ही नहीं, यहाँ वाद- विवाद के कई session भी संस्कृत में ही आयोजित किए जाते हैं। इनकी इस पहल का नाम है – संस्कृत weekend ! इसकी शुरुआत एक website के जरिए समष्टि गुब्बी जी ने की है। 

  • 30 जून को आकाशवाणी का संस्कृत बुलेटिन अपने प्रसारण के 50 साल पूरे कर रहा है। 

Firefly
  •  एक भारतीय space-tech start-up बेंगलुरू के Pixxel (पिक्सेल) ने भारत का पहला निजी satellite constellation – ‘Firefly’ (फायर-फ्लाई), सफलतापूर्वक launch किया है।

‘चिटे लुई’-मिज़ोरम 

  • मिज़ोरम की राजधानी आइजवाल में एक खूबसूरत नदी है ‘चिटे लुई’, जो बरसों की उपेक्षा के चलते, गंदगी और कचरे के ढेर में बदल गई |
  •  पिछले कुछ वर्षों में इस नदी को बचाने के लिए प्रयास शुरू हुए हैं |
  •  इसके लिए स्थानीय एजेंसियां, स्वयंसेवी संस्थाएं और स्थानीय लोग, मिलकर, save चिटे लुई action plan भी चला रहे हैं | 

Spacde Docking  करने वाला चौथा देश बना भारत 

  • जब अंतरिक्ष में दो spacecraft connect किए जाते हैं, तो, इस प्रक्रिया को Space Docking कहते हैं।
  • यह तकनीक अंतरिक्ष में space station तक supply भेजने और crew mission के लिए अहम है।
  •  भारत ऐसा चौथा देश बना है, जिसने ये सफलता हासिल की है।

Point Of View: सपने सभी देखते हैं, लेकिन धैर्य रखने वाले ही सपनों को हकीकत में बदलते हैं


Point Of View: 
मुश्किल और विपरीत परिस्थितियों मे अधीर हो जाना और धैर्य खोना एक सामान्य स्वभाव है और इससे हम अलग नहीं है। लेकिन यह भी एक साथ है कि धैर्य से अधिक मजबूत और कोई ताकत नहीं है और इसकी विशालता का अंदाज इससे हीं लगाया जा सकता है कि  यह हर तूफान को शांत कर सकता है।
धैर्य का जीवन में एक गहरा महत्व है और जीवन मे  सफलता के लिए यह सबसे जरूरी शर्त भी है। विश्वास करें, धैर्य हीं वह कुंजी है जिसके माध्यम से हम  असंभव के किसी भी दरवाजों को खोलने का मार्ग प्रशस्त करती है। यह हमें कठिन परिस्थितियों में स्थिर रहने और सफलता की ओर अग्रसर रहने में सहायता करता है। 

जीवन मे सफलता प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम के अलावा भी हमें धैर्य और आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी है। आपका इस तथ्य को समझना होगा कि आजकल के कठिन और कम्पेटिटिव माहौल मे जहां सफलता आसान नहीं रहा गया है, हमें धैर्य और आत्मविश्वास को अपनाने कि नितांत जरूरत हैं। विंस्टन चर्चिल के उस कथन को आप हमेशा याद रखें जिसमें उन्होंने कहता था कि-"हार मत मानो। हारने वाले ही हारते हैं।"

धैर्य वह है जो हमें चुनौतियों का सामना करने और लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है, भले ही परिणाम तुरंत न मिलें। यह हमें हार न मानने और प्रयास करते रहने की शक्ति प्रदान करता है। वहीं आत्मविश्वास हमें अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने और अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने में मदद करता है। यह हमें जोखिम लेने और नए अवसरों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित करता है।



 याद रखें तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हम अपने लाइफ में सफल हो सकते हैं और इसके लिए सबसे जरुरी फैक्टर हैं  आपके अंदर आत्मविश्वास और धैर्य का होना.

धैर्य का अर्थ हीं है अपने संघर्ष और लड़ाई मे हर परिस्थिति को स्वीकार करना और सही समय का इंतजार करना। क्योंकि किसी भी विपत्ति और असामान्य परिस्थिति मे हमारी व्यग्रता और उतावलापन हमारे द्वारा होने वाली गलतियों की संभावना को बढ़ायेगा जोकि हमारी लंबे लड़ाई को और भी कमजोर करती है। 

आप विश्वास कीजिए जिनके पास आत्मविश्वास है वह इन विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सफलता का मार्ग लेते हैं और इसके लिए सबसे जरूरी है  सकारात्मक और पॉजिटिविटी का होना.

दोस्तों विपरीत परिस्थितियों में सफलता प्राप्त करने के लिए धैर्य  का होना बहुत जरूरी है पर यह याद रखें यह आपको अपने अंदर ही विकसित करनी होगी.  

किसी कवि की ये पंक्तियाँ आप को विपरीत परिस्थितियों में लड़ने में सार्थंक हो सकती है. 
वह पथ क्या पथिक परीक्षा क्या
जिस पथ में बिखरे शूल ना हो
नाविक की धैर्य परीक्षा क्या 
यदि धाराएं प्रतिकूल ना हो. 


आप इतिहास के तमाम महापुरुषों की जीवन वृतांत को देखें तो यह साबित हो जाएगा की रातों-रात सफलता किसी को नहीं मिलती और यह भी उतना ही बड़ा सच है कि जिसने जितनी बड़ी सफलता हासिल किया है उसके मार्ग पर प्रकृति ने उतने ही कांटे और फूल बिछा कर रखे थे ऐसा नहीं है कि वे महापुरुषों और उन बाधाओं को देख अपने कदम वापस खींच लिए. 




तू रुख हवाओं का मोड़ दे,
हिम्मत की अपनी कलम उठा,
लोगों के भरम को तोड़ दे।
-नरेंद्र वर्मा

किसी भी कार्य को करने के बहुत सारे तरीके हो सकते हैं. और आपको भी अपने लिए तरीकों को चुनने की पूरी आजादी है. लेकिन यह याद रहें दोस्तों . अपने चुने गए तरीकों को जस्टिफाई करना भी आपको ही होगा. हाँ इसके लिए आप सफल महापुरुषों के अनुभवो और बताये गए रास्तों को आधार बना सकते हैं. 

विख्यात कवि/ साहित्यकार की उस कथन को याद करों दोस्तों..."महाशक्तियों के वेग में रोड़े अटकाने से उनके वेग कम नहीं होता बल्कि वो दुगुने वेग से आगे बढ़ती है." दोस्तों अब फैसला आपको करना है कि आप खुद का तुलना किसी मामूली शक्ति करते हैं या किसी महाशक्ति. अगर उत्तर महाशक्ति में है तो फिर याद रखें.आप इन बाधाओं को पार करने और निकलने के लिए दुगुने वेग से प्रयास करने वालों में से हैं. 
अक्सर ऐसा होता है कि अपनी राहों में मिलने वाले थोड़ी से चुनौतियों को हम बाधा का नाम देकर उससे परेशान हो जाते हैं कि हम खुद को परिस्थति के आगे विवश और लाचार समझने लगते हैं. पता नहीं हमें ऐसा क्यों लगता है कि परिस्थितियों का हमेशा हमारे पक्ष में हीं होनी चाहिए.

लेकिन क्या यह सच नहीं है दोस्तों कि परिस्थितियों हमेशा हमारे अनुकूल रहे हैं ऐसा नहीं करना चाहिए आखिर यह संसार सिर्फ हमारे लिए हीं तो नहीं बनी है. 

दोस्तों आपको आश्चर्य होगा के हम जिन बाधाओं और परिस्थितियों को अपनी सफलता के मार्ग का सबसे बाड़ा बाधा बताते हैं. सच्चाई तो यह है कि हम अपनी सफलता के मार्ग का बाधा खुद होते हैं. 

हमारी नेगेटिव सोच और खुद का अंदर पैदा किया गया नकारात्मक माइंडसेट प्रमुख बाधा होती है हमारी असफलता के पीछे….लेकिन हम दोष देते हैं उन परिस्थितियों और बाधाओं को. 
प्रमुख कोट्स:
  • "धैर्य ही शक्ति है। शांत रहकर आप किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकते हैं।" - महात्मा गांधी
  • "आत्मविश्वास सफलता की पहली कुंजी है।" - स्वामी विवेकानंद
  • "अगर आप खुद पर विश्वास करते हैं, तो आप कुछ भी कर सकते हैं।" - अननोद मॉरिल
  • "धैर्यवान व्यक्ति ही विजेता होता है।" - विलियम आर्थर वॉर्ड
  • "हार मत मानो। हारने वाले ही हारते हैं।" - विनस्टन चर्चिल
  • "धैर्य वह कुंजी है जो असंभव दरवाजों को भी खोल सकती है।"
  • "हर बड़ी उपलब्धि के पीछे धैर्य और निरंतर प्रयास छिपे होते हैं।"
  • "धैर्य रखने वालों को उनके सपने जरूर मिलते हैं, बस सही समय पर।"
  • "धैर्य का अर्थ है परिस्थिति को स्वीकार करना और सही समय का इंतजार करना।"
  • "जल्दी में सब कुछ खो सकता है, लेकिन धैर्य से हर चीज जीती जा सकती है।"
  • "धैर्य से अधिक मजबूत और कोई ताकत नहीं है। यह हर तूफान को शांत कर सकता है।"
  • "कठिन समय में धैर्यवान रहना, सच्ची ताकत का प्रतीक है।"
  • "एक बूँद की तरह गिरते रहो, समय आने पर पत्थर भी कट जाएगा।"
  • "धैर्य वह जड़ है, जिससे सफलता का वृक्ष फलता-फूलता है।"
  • "सपने देखने वाले कई होते हैं, लेकिन धैर्य रखने वाले ही अपने सपनों को हकीकत में बदलते हैं।"

तंपारा झील ओडिशा: पक्षियों की 60, मछलियों की 46 और फाइटोप्लांकटन की 48 प्रजातियों से पूर्ण, जाने खासियत

Tampara Lake freshwater lakes Odisha Facts In Brief

तंपारा झील, ओडिशा  राज्य के गंजाम जिले में स्थित एक खूबसूरत और शांत जलाशय है जो वहाँ के  प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। तंपारा झील एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप मे विख्यात है और अपनी सुंदरता के कारण पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। पर्यटक यहाँ बोटिंग और वॉटर स्पोर्ट्स का आनंद ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त यह अपनी जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है क्योंकि झील के आसपास कई प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं, जो इसे बर्ड वॉचिंग के लिए एक बेहतरीन स्थान बनाते हैं।तम्पारा झील पक्षी प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान है क्योंकि यहां प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की कई प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं।

यह झील पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। यह स्थल प्रकृति प्रेमियों, फोटोग्राफरों और उन सभी के लिए आकर्षण का केंद्र है जो शांति और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेना चाहते हैं। यहां का शांत वातावरण और सुंदर परिदृश्य मन को शांति और सुकून प्रदान करते हैं।
तंपारा झील एक मीठे पानी की झील है जो लगभग 300 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है. यह ओडिशा राज्य की सबसे बड़ी मीठे पानी की झीलों में से एक है जो राज्य की खूबसूरत झीलों मे से एक है। यह आर्द्रभूमि दुर्लभ प्रजातियों जैसे कि साइप्रिनस कार्पियो, कॉमन पोचार्ड (अथ्या फेरिना), और रिवर टर्न (स्टर्ना औरंतिया) के लिए एक महत्वपूर्ण निवास स्थान है।

 यह रुशिकुल्या नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है जो एक प्राकृतिक स्थल होने के साथ ही यह महत्वपूर्ण पक्षी विहार और एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैतंपारा झील एक महत्वपूर्ण पक्षी विहार है और यहां पर कई प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं. यह झील एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है और यहां पर लोग तैराकी, बोटिंग और मछली पकड़ने का आनंद लेते हैं. झील के किनारे पर कई होटल और रेस्तरां हैं, जहां पर लोग भोजन और आराम कर सकते हैं.

तंपारा झील: 
भारत में स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में देश में 13,26,677 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हुए कुल 75 रामसर स्थलों को बनाने के लिए रामसर स्‍थलों की सूची में 11 और आर्द्रभूमि शामिल हो गई हैं। रामसर स्थलों के रूप में नामित 11 आर्द्रभूमियों में से  ओडिशा स्थित तंपारा झील भी शामिल है. 

तंपारा झील: Facts in Brief 

तंपारा झील गंजम जिले में स्थित ओडिशा राज्य की सबसे प्रमुख मीठे पानी की झीलों में से एक है। यहां की भूमि का क्षेत्र धीरे-धीरे वर्षा जल के प्रवाह से भर गया और इसे अंग्रेजों द्वारा "टैम्प" कहा गया और बाद में स्थानीय लोगों द्वारा इसे "तंपारा" कहा गया।

आर्द्रभूमि पक्षियों की कम से कम 60 प्रजातियों, मछलियों की 46 प्रजातियों, फाइटोप्लांकटन की कम से कम 48 प्रजातियों और स्थलीय पौधों और मैक्रोफाइट्स की सात से अधिक प्रजातियों का पालन करती है। 

तंपारा झील एक महत्वपूर्ण पक्षी विहार है. यहां पर कई प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • सारस
  • बगुला
  • हंस
  • कबूतर
  • तोता
  • मैना
  • कोयल
  • मोर
  • चकवा
  • बतख

आर्द्रभूमि दुर्लभ प्रजातियों जैसे कि साइप्रिनस कार्पियो, कॉमन पोचार्ड (अथ्या फेरिना), और रिवर टर्न (स्टर्ना औरंतिया) के लिए एक महत्वपूर्ण निवास स्थान है। प्रति वर्ष 12 टन की अनुमानित औसत मछली उपज के साथ, आर्द्रभूमि स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

 यह आर्द्रभूमि मछलियों के साथ-साथ कृषि और घरेलू उपयोग के लिए पानी जैसे प्रावधान की सेवाएं भी उपलब्‍ध कराती है और यह एक प्रसिद्ध पर्यटन और मनोरंजन स्थल भी है।

तम्पारा  झील: जाने क्या है खासियत? 

तम्पारा  एक मीठे पानी की झील है जो राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या  5 के निकट (छत्रपुर से) सुंदर में स्थित है. तंपारा झील की सबसे बड़ी खासियत है कि इसके  किनारे पर हल्की लहरें उठती हैं और या वाटर सम्बंधित गतिविधियों के लिए शानदार डेस्टिनेशन है,तट के किनारे स्थित काजू के बागानों से होकर बंगाल की खाड़ी के अविर्जिन समुद्र तट तक जाने वाली रोमांचक यात्रा का आनंद भी आप उठा सकते हैं. 

FAQ

पर्यटकों के लिए तम्पारा पहुँचने के लिए किस प्रकार के मार्ग उपलब्ध है?

हवाई जहाज

अगर आप हवाईजहाज से जाना चाहते हैं तो निकटतम हवाई अड्डा भुवनेश्वर है.

 ट्रेन से

अगर आप ट्रेन से तम्पारा पहुंचना चाहते हैं तो निकटतम रेलवे स्टेशन छत्रपुर है. 

सड़क द्वारा 

यह झील ओडिशा के छत्रपुर शहर के पास स्थित है और राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-16) से आसानी से पहुँचा जा सकता है। अगर आप सड़क द्वारा जाना चाहते हैं तो सड़क मार्ग से यह छत्रपुर से 4 किमी दूर है. 

Amazon-Flipkart के गोदामों पर छापा: नकली आईएसआई लेबल वाले 3,500 से अधिक उत्पाद जब्त

 

Amazon-Flipkart raid goods seized raid by BIS

भारतीय राष्ट्रीय मानक निकाय, भारतीय मानक ब्यूरो की दिल्ली शाखा ने दिल्ली के मोहन कोऑपरेटिव औद्योगिक क्षेत्र में स्थित अमेज़न सेलर्स प्राइवेट लिमिटेड के गोदामों में तलाशी और जब्ती अभियान चलाया। यह अभियान 15 घंटे से अधिक समय तक चला और बिना आईएसआई मार्क वाले और नकली आईएसआई लेबल वाले 3,500 से अधिक उत्पाद जब्त किए गए। जब्त किए गए उत्पादों जैसे गीजर, फूड मिक्सर और अन्य बिजली के उपकरणों की कुल अनुमानित कीमत लगभग 70 लाख रुपये है।

दिल्ली के त्रिनगर में स्थित फ्लिपकार्ट की सहायक कंपनी इंस्टाकार्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड पर की गई एक अन्य छापेमारी में बिना आईएसआई मार्क और निर्माण की तारीख के डिस्पैच के लिए पैक किए गए स्पोर्ट्स फुटवियर का स्टॉक बरामद हुआ। इस कार्रवाई के दौरान करीब 6 लाख रुपये की कीमत के करीब 590 जोड़ी स्पोर्ट्स फुटवियर जब्त किए गए।

पिछले एक महीने में, बीआईएस टीम ने देश के विभिन्न हिस्सों में इसी तरह की कार्रवाई की है और दिल्ली, गुड़गांव, फरीदाबाद, लखनऊ और श्रीपेरंबदूर में कई घटिया सामान जब्त किए हैं। ये छापे उपभोक्ता संरक्षण के लिए गुणवत्ता मानकों के अनुपालन को लागू करने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो के चल रहे प्रयासों का हिस्सा हैं। वर्तमान में विभिन्न नियामकों और भारत सरकार के संबंधित मंत्रालयों द्वारा अनिवार्य प्रमाणन के लिए 769 उत्पाद अधिसूचित हैं। बीआईएस से वैध लाइसेंस या अनुपालन प्रमाणपत्र (सीओसी) के बिना इन उत्पादों का निर्माण, आयात, वितरण, बिक्री, किराए पर लेना, पट्टे पर देना, भंडारण या प्रदर्शन (बिक्री के लिए) करना प्रतिबंधित है।

कोई भी व्यक्ति जो इस आदेश के प्रावधानों का उल्लंघन करेगा, उसे बीआईएस अधिनियम, 2016 की धारा 29 की उपधारा (3) के अंतर्गत कारावास, जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा। (Source: PIB)

Yogi Adityanath Biopic: अजेय- द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ ए योगी पहला लुक जारी


योगी आदित्यनाथ के प्रेरक परिवर्तन और उनके जीवन के पहलुओं को समेटे हुए लाजवाब फिल्म अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ ए योगी का पहला लुक जारी किया है। यह मूवी शांतनु गुप्ता की बेस्टसेलिंग किताब ‘द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ से प्रेरित  है। सम्राट सिनेमैटिक्स द्वारा निर्मित यह फिल्म पोस्टर योगी आदित्यनाथ के प्रेरक परिवर्तन की एक झलक पेश करता है, जो उनके आध्यात्मिक और राजनीतिक मार्ग को आकार देने वाले फैसलों को दिखाता है।

 किताब ‘द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ से प्रेरित 

मूवी उनके जीवन के पहलुओं को समेटे हुए है। उनके शुरुआती साल, नाथपंथी योगी के रूप में संन्यास लेने का उनका निर्णय और उत्तर प्रदेश के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को नया रूप देने वाले नेता के रूप में उनका विकास। सम्राट सिनेमैटिक्स के बैनर तले ऋतु मेंगी द्वारा निर्मित और रवींद्र गौतम (महारानी 2 फेम) द्वारा निर्देशित यह मूवी शांतनु गुप्ता की बेस्टसेलिंग किताब ‘द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ से प्रेरित  है। इसमें ड्रामा, इमोशन, एक्शन और बलिदान का एक रोमांचक मिश्रण देखने को मिलेगा।

 मूवी में अनंत जोशी ने योगी आदित्यनाथ की भूमिका निभाई है, जबकि फिल्म में परेश रावल, दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’, अजय मेंगी, पवन मल्होत्रा, राजेश खट्टर, गरिमा सिंह ने भी दमदार अभिनय किया है। 2025 में दुनिया भर में भव्य रिलीज के लिए तैयार फिल्म हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और मलयालम में भी दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खीचेगी। फिल्म का संगीत मीट ब्रदर्स द्वारा दिया गया है, लेखन दिलीप बच्चन झा और प्रियंक दुबे ने किया है। निर्देशक फोटोग्राफी विष्णु राव एवं प्रोडक्शन डिज़ाइनर उदय प्रकाश सिंह हैं।

योगी आदित्यनाथ का जीवन चुनौतियों और परिवर्तन से भरा 

सम्राट सिनेमैटिक्स की निर्माता रितु मेंगी ने कहा, “योगी आदित्यनाथ का जीवन चुनौतियों और परिवर्तन से भरा है। हमारी फिल्म उनके सफर को आकर्षक और नाटकीय तरीके से पेश करती है, और उन घटनाओं को जीवंत करती है जिन्होंने उन्हें आकार दिया। कलाकारों की शानदार टोली और एक मनोरंजक कहानी के साथ, हम इस प्रेरणादायक कहानी को दुनिया भर के दर्शकों के सामने लाने के लिए उत्साहित हैं।”

उत्तराखंड के एक सुदूर गांव से शुरू है कहानी 

निर्देशक रवींद्र गौतम ने कहा, “हमारी फिल्म हमारे देश के युवाओं के लिए अविश्वसनीय रूप से प्रेरणादायक है, जो उत्तराखंड के एक सुदूर गांव के एक साधारण मध्यमवर्गीय लड़के को चित्रित करती है, जो भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य का मुख्यमंत्री बन जाता है। उनकी यात्रा दृढ़ संकल्प, निस्वार्थता, विश्वास और नेतृत्व की है, और हमने एक ऐसा अनुभव बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है जो उनके अविश्वसनीय जीवन के साथ न्याय करता है।”