Mann Ki Baat: 117 वें एपिसोड मे PM मोदी ने किये इनकी चर्चा-KTB, एरीका ह्युबर, कैंसर, बस्तर ऑलिंपिक्स, महाकुंभ और अन्य



PM Modi Mann Ki Baat : मन की बात कार्यक्रम के  117 वें संस्करण के प्रसारण दिसंबर 29 , 2024 को हुआ। इसके साथ हीं देश के इस सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम के प्रसारण मे प्रधान मंत्री मोदी ने जनता को संबोधित किया। इस कार्यक्रम मे प्रधान मंत्री मोदी ने देश एवं विदेश  के अलग-अलग हिस्सों के छुपे हुए जिन प्रतिभाओं के बारे मे चर्चा किया उनमें  शामिल हैं-एरीका ह्युबर, पराग्वे  और अन्य।  

117वीं कड़ी के छुपे रुस्तम

एरीका ह्युबर, पराग्वे

एरीका ह्युबर जो  पराग्वे  (दक्षिण अमेरिका) कि रहने वाली है वह free आयुर्वेद consultation देती हैं। उलेखनिय है कि पराग्वे में  रहने वाले भारतीयों की संख्या एक हजार से ज्यादा नहीं होगी। पराग्वे में एक अद्भुत प्रयास हो रहा है। वहाँ भारतीय दूतावास में एरीका ह्युबर free आयुर्वेद consultation देती हैं। आयुर्वेद की सलाह लेने के लिए आज उनके पास स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में पहुँच रहे हैं। एरीका ह्युबर ने भले ही engineering की पढ़ाई की हो, लेकिन उनका मन तो आयुर्वेद में ही बसता है। उन्होंने आयुर्वेद से जुड़े Courses किए थे और समय के साथ वे इसमें पारंगत होती चली गई।

कालाहांडी की ‘सब्जी क्रांति’

ओडिशा के कालाहांडी में जहां कभी किसान, पलायन करने को मजबूर थे, वहीं आज, कालाहांडी का गोलामुंडा ब्लॉक एक vegetable hub बन गया है। यह परिवर्तन कैसे आया? इसकी शुरुआत सिर्फ 10 किसानों के एक छोटे से समूह से हुई। इस समूह ने मिलकर एक FPO - ‘किसान उत्पाद संघ’ की स्थापना की, खेती में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया, और आज उनका ये FPO करोड़ों का कारोबार कर रहा है। आज 200 से अधिक किसान इस FPO से जुड़े हैं, जिनमें 45 महिला किसान भी हैं। ये लोग मिलकर 200 एकड़ में टमाटर की खेती कर रहे हैं, 150 एकड़ में करेले का उत्पादन कर रहे हैं। अब इस FPO का सालाना turnover भी बढ़कर डेढ़ करोड़ से ज्यादा हो गया है। आज कालाहांडी की सब्जियां, न केवल ओडिशा के विभिन्न जिलों में, बल्कि, दूसरे राज्यों में भी पहुँच रही हैं, और वहाँ का किसान, अब, आलू और प्याज की खेती की नई तकनीकें सीख रहा है।

 ‘वन भैंसा’ और ‘पहाड़ी मैना’
प्रधान मंत्री नें बताया कि बस्तर, छत्तीसगढ़  में एक अनूठा Olympic शुरू हुआ है! जी हाँ, पहली बार हुए बस्तर Olympic से बस्तर में एक नई क्रांति जन्म ले रही है। ये बहुत ही खुशी की  बात है कि बस्तर Olympic का सपना साकार हुआ है। आपको भी ये जानकार अच्छा लगेगा कि यह उस क्षेत्र में हो रहा है, जो कभी माओवादी हिंसा का गवाह रहा है। बस्तर Olympic का शुभंकर है – ‘वन भैंसा’ और ‘पहाड़ी मैना’। इसमें बस्तर की समृद्ध संस्कृति की झलक दिखती है। इस बस्तर खेल महाकुंभ का मूल मंत्र है –

‘करसाय ता बस्तर बरसाए ता बस्तर’

यानि ‘खेलेगा बस्तर – जीतेगा बस्तर’।

बस्तर Olympic

पहली ही बार में बस्तर Olympic में 7 जिलों के एक लाख 65 हजार खिलाड़ियों ने भाग लिया है। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है – यह हमारे युवाओं के संकल्प की गौरव-गाथा है। Athletics, तीरंदाजी, Badminton, Football, Hockey, Weightlifting, Karate, कबड्डी, खो-खो और Volleyball – हर खेल में हमारे युवाओं ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है। कारी कश्यप जी जो एक छोटे से गांव से आती है  ने तीरंदाजी में रजत पदक जीता है। वे कहती हैं – “बस्तर Olympic ने हमें सिर्फ खेल का मैदान ही नहीं, जीवन में आगे बढ़ने का अवसर दिया है”।
 सुकमा की पायल कवासी जी की बात भी कम प्रेरणादायक नहीं है। Javelin Throw में स्वर्ण पदक जीतने वाली पायल जी कहती हैं – “अनुशासन और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है”। 
सुकमा के दोरनापाल के पुनेम सन्ना जी की कहानी तो नए भारत की प्रेरक कथा है। एक समय नक्सली प्रभाव में आए पुनेम जी आज wheelchair पर दौड़कर मेडल जीत रहे हैं। उनका साहस और हौसला हर किसी के लिए प्रेरणा है। कोडागांव के तीरंदाज रंजू सोरी जी को ‘बस्तर youth Icon’ चुना गया है। उनका मानना है – बस्तर Olympic दूरदराज के युवाओं को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने का अवसर दे रहा है।  

Cancer से मुकाबला 
Cancer से मुकाबले के लिए एक ही मंत्र है - Awareness, Action और Assurance. Awareness यानि cancer और इसके लक्षणों के प्रति जागरूकता, Action यानि समय पर जांच और इलाज, Assurance यानि मरीजों के लिए हर मदद उपलब्ध होने का विश्वास। आईए, हम सब मिलकर cancer के खिलाफ इस लड़ाई को तेजी से आगे ले जाएं और ज्यादा-से-ज्यादा मरीजों की मदद करें।

WAVES summit, दावोस

अगले साल हमारे देश में पहली बार World Audio Visual Entertainment Summit यानि WAVES summit का आयोजन दावोस मे होने वाला है।  उसी तरह WAVES summit में दुनिया-भर के media और entertainment Industry के दिग्गज, creative world के लोग भारत आएंगे। यह summit भारत को global content creation का hub बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस summit की तैयारी में हमारे देश के young creators भी पूरे जोश से जुड़ रहे हैं। जब हमारा देश  5 trillion dollar economy की ओर बढ़ रहे हैं, तब हमारी creator economy एक नई energy ला रही है। प्रधान मंत्री ने  भारत की पूरी entertainment और creative Industry से कहा कि  – चाहे आप young creator हों या established artist, Bollywood से जुड़े हों, या regional cinema से, TV Industry के professional हों, या animation के expert, gaming से जुड़े हों या entertainment technology के Innovator, आप सभी WAVES summit का हिस्सा बनें।

मन की बात: 116वीं कड़ी 

मन की बात कार्यक्रम के  116 वें संस्करण के प्रसारण  नवंबर 24, 2024 को हुआ। इसके साथ हीं देश के इस सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम के प्रसारण मे प्रधान मंत्री मोदी ने जनता को संबोधित किया। इस कार्यक्रम मे प्रधान मंत्री मोदी ने देश के अलग-अलग हिस्सों के छुपे हुए जिन प्रतिभाओं के बारे मे चर्चा किया उनमें  शामिल हैं- वीरेंद्र- लखनऊ, महेश- भोपाल, राजीव-अहमदाबाद ,श्रीराम गोपालन जी, चेन्नई, ‘Food for Thought’ Foundation, हैदराबाद,‘Prayog Library, गोपालगंज बिहार , कूडुगल ट्रस्ट, चेन्नई और अन्य।

 116वीं कड़ी के छुपे रुस्तम


स्वामी विवेकानंद जी की 162वीं जयंती

12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर देश 'युवा दिवस' मनाता है.  इस अवसर पर 11-12 जनवरी को दिल्ली के भारत मंडपम में युवा विचारों का महाकुंभ होने जा रहा है, और इस पहल का नाम है 'विकसित भारत Young Leaders Dialogue’। भारत-भर से करोड़ों युवा इसमें भाग लेंगे। गाँव, block, जिले, राज्य और वहाँ से निकलकर चुने हुए ऐसे दो हजार युवा भारत मंडपम में 'विकसित भारत Young Leaders Dialogue' के लिए जुटेंगे। 
‘विकसित भारत Young Leaders Dialogue'  ऐसा प्रयास है इसमें देश और विदेश से experts आएंगे। अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हस्तियाँ भी रहेंगी। मैं भी इसमें ज्यादा-से-ज्यादा समय उपस्थित रहूँगा। युवाओं को सीधे हमारे सामने अपने Ideas को रखने का अवसर मिलेगा। देश इन Ideas को कैसे आगे लेकर जा सकता है? कैसे एक ठोस roadmap बन सकता है?

 वीरेंद्र, लखनऊ


वीरेंद्र बुजुर्गों को Digital life certificate के काम में मदद करते हैं। आप जानते हैं कि नियमों के मुताबिक सभी Pensioners को साल में एक बार Life Certificate जमा कराना होता है। 2014 तक इसकी प्रक्रिया यह थी इसे बैंकों में जाकर बुजुर्ग को खुद जमा करना पड़ता था आप कल्पना कर सकते हैं कि इससे हमारे बुजुर्गों को कितनी असुविधा होती थी। अब ये व्यवस्था बदल चुकी है। अब Digital Life Certificate देने से चीजें बहुत ही सरल हो गई हैं, बुजुर्गों को बैंक नहीं जाना पड़ता। बुजुर्गों को Technology की वजह से कोई दिक्कत ना आए, इसमें, वीरेंद्र जैसे युवाओं की बड़ी भूमिका है। वो, अपने क्षेत्र के बुजुर्गों को इसके बारे में जागरूक करते रहते हैं। इतना ही नहीं वो बुजुर्गों को tech savvy भी बना रहे हैं ऐसे ही प्रयासों से आज Digital Life certificate पाने वालों की संख्या 80 लाख के आँकड़े को पार कर गई है। इनमें से दो  लाख से ज्यादा ऐसे बुजुर्ग हैं, जिनकी आयु 80 के भी पार हो गई है।


महेश, भोपाल


भोपाल के महेश ने अपने मोहल्ले के कई बुजुर्गों को Mobile के माध्यम से Payment करना सिखाया है। इन बुजुर्गों के पास smart phone तो था, लेकिन, उसका सही उपयोग बताने वाला कोई नहीं था। बुजुर्गों को Digital arrest के खतरे से बचाने के लिए भी युवा आगे आए हैं। 

 राजीव,  अहमदाबाद 


Digital Arrest जैसे अपराध के सबसे ज्यादा शिकार बुजुर्ग ही बनते हैं। ऐसे में उन्हें जागरूक बनाना और  और cyber fraud से बचने में मदद करना बहुत जरूरी है ।अहमदाबाद के राजीव, लोगों को Digital Arrest के खतरे से आगाह करते हैं। हमें बार-बार लोगों को समझाना होगा कि Digital Arrest नाम का सरकार में कोई भी प्रावधान नहीं है - ये सरासर झूठ, लोगों को फ़साने का एक षड्यन्त्र है मुझे खुशी है कि हमारे युवा साथी इस काम में पूरी संवेदनशीलता से हिस्सा ले रहे हैं और दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं।

 श्रीराम गोपालन जी, चेन्नई 


‘किताबें’ इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं, और अब इस दोस्ती को मजबूत करने के लिए, Library से ज्यादा अच्छी जगह और क्या होगी। चेन्नई मे बच्चों के लिए एक ऐसी library तैयार की गई है, जो, creativity और learning का Hub बन चुकी है। इसे प्रकृत् अरिवगम् के नाम से जाना जाता है। इस library का ।dea, technology की दुनिया से जुड़े श्रीराम गोपालन जी की देन है। विदेश में अपने काम के दौरान वे latest technology की दुनिया से जुड़े रहे। लेकिन, वो, बच्चों में पढ़ने और सीखने की आदत विकसित करने के बारे में भी सोचते रहे। भारत लौटकर उन्होंने प्रकृत् अरिवगम् को तैयार किया। इसमें तीन हजार से अधिक किताबें हैं, जिन्हें पढ़ने के लिए बच्चों में होड़ लगी रहती है। किताबों के अलावा इस library में होने वाली कई तरह की activities भी बच्चों को लुभाती हैं। Story Telling session हो, Art Workshops हो, Memory Training Classes, Robotics Lesson या फिर Public Speaking, यहां, हर किसी के लिए कुछ-न-कुछ जरूर है, जो उन्हें पसंद आता है।

‘Food for Thought’ Foundation, हैदराबाद 


‘Food for Thought’ Foundation, हैदराबाद  ने भी कई शानदार libraries बनाई हैं।  इनका भी प्रयास यही है कि बच्चों को ज्यादा-से-ज्यादा विषयों पर ठोस जानकारी के साथ पढ़ने के लिए किताबें मिलें।


‘Prayog Library, गोपालगंज बिहार

 
बिहार में गोपालगंज के ‘Prayog Library’ की चर्चा तो आसपास के कई शहरों में होने लगी है। इस library से करीब 12 गांवों के युवाओं को किताबें पढ़ने की सुविधा मिलने लगी है, साथ ही ये, library पढ़ाई में मदद करने वाली दूसरी जरूरी सुविधाएँ भी उपलब्ध करा रही है। कुछ libraries तो ऐसी हैं, जो, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में students के बहुत काम आ रही हैं।

‘एक पेड़ मां के नाम’ इंदौर


 मध्य प्रदेश के इंदौर में ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत, पेड़ लगाने का record बना है - यहां 24 घंटे में 12 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए गए। इस अभियान की वजह से इंदौर की Revati Hills के बंजर इलाके, अब, green zone में बदल जाएंगे। राजस्थान के जैसलमेर में इस अभियान के द्वारा एक अनोखा record बना - यहां महिलाओं की एक टीम ने एक घंटे में 25 हजार पेड़ लगाए। माताओं ने मां के नाम पेड़ लगाया और दूसरों को भी प्रेरित किया। यहां एक ही जगह पर पाँच हज़ार से ज़्यादा लोगों ने मिलकर पेड़ लगाए - ये भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है । 

कूडुगल ट्रस्ट, चेन्नई 


 गौरेया को तमिल और मलयालम में कुरुवी, तेलुगु में पिच्चुका और कन्नड़ा में गुब्बी के नाम से जाना जाता है। हर भाषा, संस्कृति में, गौरेया को लेकर किस्से-कहानी सुनाए जाते हैं। हमारे आसपास Biodiversity को बनाए रखने में गौरेया का एक बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है, लेकिन, आज शहरों में बड़ी मुश्किल से गौरेया दिखती है । बढ़ते शहरीकरण की वजह से गौरेया हमसे दूर चली गई है । आज की पीढ़ी के ऐसे बहुत से बच्चे हैं, जिन्होंने गौरेया को सिर्फ तस्वीरों या वीडियो में देखा है । ऐसे बच्चों के जीवन में इस प्यारी पक्षी की वापसी के लिए कुछ अनोखे प्रयास हो रहे हैं । 

चेन्नई के कूडुगल ट्रस्ट ने गौरेया की आबादी बढ़ाने के लिए स्कूल के बच्चों को अपने अभियान में शामिल किया है । संस्थान के लोग स्कूलों में जाकर बच्चों को बताते हैं कि गौरेया रोज़मर्रा के जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है । ये संस्थान बच्चों को गौरेया का घोंसला बनाने की training देते है । इसके लिए संस्थान के लोगों ने बच्चों को लकड़ी का एक छोटा सा घर बनाना सिखाया । इसमें गौरेया के रहने, खाने का इंतजाम किया । ये ऐसे घर होते हैं जिन्हें किसी भी इमारत की बाहरी दीवार पर या पेड़ पर लगाया जा सकता है । बच्चों ने इस अभियान में उत्साह के साथ हिस्सा लिया और गौरेया के लिए बड़ी संख्या में घोंसला बनाना शुरू कर दिया ।  पिछले चार वर्षों में संस्था ने गौरेया के लिए ऐसे दस हज़ार घोंसले तैयार किए हैं । कूडुगल ट्रस्ट की इस पहल से आसपास के इलाकों में गौरेया की आबादी बढ़नी शुरू हो गई है। आप भी अपने आसपास ऐसे प्रयास करेंगे तो निश्चित तौर पर गौरेया फिर से हमारे जीवन का हिस्सा बन जाएगी ।

 ‘Early Bird’ मैसुरू, कर्नाटक


कर्नाटका के मैसुरू की एक संस्था ने बच्चों के लिए ‘Early Bird’ नाम का अभियान शुरू किया है । ये संस्था बच्चों को पक्षियों के बारे में बताने के लिए खास तरह की library चलाती है ।  इतना ही नहीं, बच्चों में प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का भाव पैदा करने के लिए ‘Nature Education Kit’ तैयार किया है। इस Kit में बच्चों के लिए Story Book, Games, Activity Sheets और jig-saw puzzles हैं । ये संस्था शहर के बच्चों को गांवों में लेकर जाती है और उन्हें पक्षियों के बारे में बताती है । इस संस्था के प्रयासों की वजह से बच्चे पक्षियों की अनेक प्रजातियों को पहचानने लगे हैं । 

‘Kanpur Ploggers Group


साफ-सफाई को लेकर UP के कानपुर में भी अच्छी पहल हो रही है। यहाँ कुछ लोग रोज सुबह Morning Walk पर निकलते हैं और गंगा के घाटों पर फैले Plastic और अन्य कचरे को उठा लेते हैं। इस समूह को ‘Kanpur Ploggers Group’ नाम दिया गया है। इस मुहिम की शुरुआत कुछ दोस्तों ने मिलकर की थी। धीरे-धीरे ये जन भागीदारी का बड़ा अभियान बन गया। शहर के कई लोग इसके साथ जुड़ गए हैं। इसके सदस्य, अब, दुकानों और घरों से भी कचरा उठाने लगे हैं। इस कचरे से Recycle Plant में tree guard तैयार किए जाते हैं, यानि, इस Group के लोग कचरे से बने tree guard से पौधों की सुरक्षा भी करते हैं|

 इतिशा, असम

छोटे-छोटे प्रयासों से कैसी बड़ी सफलता मिलती है, इसका एक उदाहरण असम की इतिशा भी है।  इतिशा की पढ़ाई-लिखाई दिल्ली और पुणे में हुई है। इतिशा corporate दुनिया की चमक-दमक छोड़कर अरुणाचल की सांगती घाटी को साफ बनाने में जुटी हैं। पर्यटकों की वजह से वहां काफी plastic waste जमा होने लगा था। वहां की नदी जो कभी साफ थी वो plastic waste की वजह से प्रदूषित हो गई थी। इसे साफ करने के लिए इतिशा स्थानीय लोगों के साथ मिलकर काम कर रही है। उनके group के लोग वहां आने वाले tourist को जागरूक करते हैं और plastic waste को collect करने के लिए पूरी घाटी में बांस से बने कूड़ेदान लगाते हैं।

 111 वां संस्करण 


मन की बात कार्यक्रम के  111 वें संस्करण के प्रसारण  30, 2024 को संपन्न हुआ। इसके साथ हीं इस लोकप्रिय कार्यक्रम का प्रसारण करीब तीन महीने के बाद प्रारंभ हुआ।

लोक सभा चुनाव के पहले प्रधान मंत्री ने कहा था कि आचार संहिता लागु होने के बाद अब अगले संस्करण  जो कि 111 वां संस्करण होगा उसका प्रसारण अब ठीक 3 महीने के बाद होगा. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 111 शुभ अंक होता है और इससे अच्छा भला और क्या होगा सकता है कि इसके बाद 111 वे अंक का प्रसारण होगा।

मन की बात के पहले एपिसोड  एपिसोड का प्रसारण कब हुआ था?
  • पहला मन की बात कार्यक्रम 3 अक्टूबर 2014 को विजयादशमी के अवसर पर सबसे पहले प्रसारित किया गया था। कार्यक्रम के दूसरे ससंस्करन का प्रसारण इसके बाद 2 नवंबर 2014 को दूसरा प्रसारण किया गया था। 30 अप्रैल 2023 को इसका सौवाँ प्रसारण हुआ।

मन की बात की 111वीं कड़ी : खास हस्तियाँ 
सिद्धो-कान्हू
30 जून का ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन को हमारे आदिवासी भाई-बहन ‘हूल दिवस’ के रूप में मनाते हैं। यह दिन वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस से जुड़ा है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का पुरजोर विरोध किया था। वीर सिद्धो-कान्हू ने हजारों संथाली साथियों को एकजुट करके अंग्रेजों का जी-जान से मुकाबला किया, और जानते हैं ये कब हुआ था ? ये हुआ था 1855 में, यानी ये 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी दो साल पहले हुआ था, तब, झारखंड के संथाल परगना में हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठा लिया था। हमारे संथाली भाई-बहनों पर अंग्रेजों ने बहुत सारे अत्याचार किए थे, उन पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगा दिए थे। इस संघर्ष में अद्भुत वीरता दिखाते हुए वीर सिद्धो और कान्हू शहीद हो गए। झारखंड की भूमि के इन अमर सपूतों का बलिदान आज भी देशवासियों को प्रेरित करता है।

कार्थुम्बी छाता-केरला 
बारिश के इस मौसम में सबके घर में जिस चीज की खोज शुरू हो गई है, वो है ‘छाता’। ‘मन की बात’ में  प्रधान मंत्री म ने  एक खास तरह के छातों के बारे में बताया।  ये छाते तैयार होते हैं हमारे केरला में। वैसे तो केरला की संस्कृति में छातों का विशेष महत्व है। छाते, वहाँ कई परंपराओं और विधि-विधान का अहम हिस्सा होते हैं। लेकिन मैं जिस छाते की बात कर रहा हूँ, वो हैं ‘कार्थुम्बी छाते’ और इन्हें तैयार किया जाता है केरला के अट्टापडी में। ये रंग-बिरंगे छाते बहुत शानदार होते हैं। और खासियत ये इन छातों को केरला की हमारी आदिवासी बहनें तैयार करती हैं। आज देशभर में इन छातों की मांग बढ़ रही हैं। इनकी Online बिक्री भी हो रही है। इन छातों को ‘वट्टालक्की सहकारी कृषि सोसाइटी’ की देखरेख में बनाया जाता है। इस सोसाइटी का नेतृत्व हमारी नारीशक्ति के पास है। महिलाओं के नेतृत्व में अट्टापडी के आदिवासी समुदाय ने Entrepreneurship की अद्भुत मिसाल पेश की है। इस society ने एक बैंबू-हैंडीक्राफ्ट यूनिट की भी स्थापना की है। अब ये लोग एक Retail outlet और एक पारंपरिक cafe खोलने की तैयारी में भी हैं। इनका मकसद सिर्फ अपने छाते और अन्य उत्पाद बेचना ही नहीं, बल्कि ये अपनी परंपरा, अपनी संस्कृति से भी दुनिया को परिचित करा रहे हैं। आज कार्थुम्बी छाते केरला के एक छोटे से गाँव से लेकर Multinational कंपनियों तक का सफर पूरा कर रहे हैं।
कुवैत रेडियो
कुवैत सरकार ने अपने National Radio पर एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया है। और वो भी हिन्दी में। ‘कुवैत रेडियो’ पर हर रविवार को इसका प्रसारण आधे घंटे के लिए किया जाता है। इसमें भारतीय संस्कृति के अलग-अलग रंग शामिल होते हैं। हमारी फिल्में और कला जगत से जुड़ी चर्चाएं वहाँ भारतीय समुदाय के बीच बहुत लोकप्रिय हैं।  कुवैत के स्थानीय लोग भी इसमें खूब दिलचस्पी ले रहे हैं। प्रधान  मंत्री मोदी ने कुवैत की सरकार और वहाँ के लोगों का हृदय से धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने ये शानदार पहल की है।

तुर्कमेनिस्तान: गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी  को सम्मान 

 अब जैसे, तुर्कमेनिस्तान में इस साल मई में वहाँ के राष्ट्रीय कवि की 300वीं जन्म-जयंती मनाई गई। इस अवसर पर तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने दुनिया के 24 प्रसिद्ध कवियों की प्रतिमाओं का अनावरण किया। इनमें से एक प्रतिमा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी की भी है। ये गुरुदेव का सम्मान है, भारत का सम्मान है।

सूरीनाम  और Saint Vincent and the Grenadines
 इसी तरह जून के महीने में दो कैरेबियाई देश सूरीनाम और Saint Vincent and the Grenadines ने अपने Indian heritage को पूरे जोश और उत्साह के साथ celebrate किया। सूरीनाम में हिन्दुस्तानी समुदाय हर साल 5 जून को Indian Arrival Day और प्रवासी दिन के रूप में मनाता है। यहाँ तो हिन्दी के साथ ही भोजपुरी भी खूब बोली जाती है। Saint Vincent and the Grenadines में रहने वाले हमारे भारतीय मूल के भाई-बहनों की संख्या भी करीब छ: हजार है। उन सबको अपनी विरासत पर बहुत गर्व है। एक जून को इन सबने Indian Arrival Day को जिस धूम-धाम से मनाया, उससे उनकी ये भावना साफ झलकती है। दुनियाभर में भारतीय विरासत और संस्कृति का जब ऐसा विस्तार दिखता है तो हर भारतीय को गर्व होता है।

Araku coffee, आंध्र प्रदेश 
 Araku coffee. Araku coffee आंध्र प्रदेश के अल्लुरी सीता राम राजू जिले में बड़ी मात्रा में पैदा होती है। ये अपने rich flavor और aroma के लिए जानी जाती है। Araku coffee की खेती से करीब डेढ़ लाख आदिवासी परिवार जुड़े हुए हैं। Araku coffee को नई ऊंचाई  देने में Girijan cooperative की बहुत बड़ी भूमिका रही है। इसने यहाँ के किसान भाई बहनों को एक साथ लाने का काम किया और उन्हें Araku coffee की खेती के लिए प्रोत्साहन दिया। इससे इन किसानों की कमाई भी बहुत बढ़ गई है। इसका बहुत लाभ कोंडा डोरा आदिवासी समुदाय को भी मिला है। कमाई के साथ साथ उन्हें सम्मान का जीवन भी मिल रहा है। मुझे याद है एक बार विशाखापत्नम में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू गारु के साथ मुझे इस coffee का स्वाद लेने का मौका मिला था। इसके taste की तो पूछिए ही मत ! कमाल की होती है ये coffee ! Araku coffee को कई Global awards मिले हैं। दिल्ली में हुई G-20 समिट में भी coffee छाई हुई थी। आपको जब भी अवसर मिले, आप भी Araku coffee का आनंद जरूर लें।

कब्बन पार्क,  बेंगलुरू 
 बेंगलुरू में एक पार्क है- कब्बन पार्क ! इस पार्क में यहाँ के लोगों ने एक नई परंपरा शुरू की है। यहाँ हफ्ते में एक दिन, हर रविवार बच्चे, युवा और बुजुर्ग आपस में संस्कृत में बात करते हैं। इतना ही नहीं, यहाँ वाद- विवाद के कई session भी संस्कृत में ही आयोजित किए जाते हैं। इनकी इस पहल का नाम है – संस्कृत weekend ! इसकी शुरुआत एक website के जरिए समष्टि गुब्बी जी ने की है। कुछ दिनों पहले ही शुरू हुआ ये प्रयास बेंगलुरूवासियों के बीच देखते ही देखते काफी लोकप्रिय हो गया है। अगर हम सब इस तरह के प्रयास से जुड़ें तो हमें विश्व की इतनी प्राचीन और वैज्ञानिक भाषा से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

संस्कृत बुलेटिन
 आज 30 जून को आकाशवाणी का संस्कृत बुलेटिन अपने प्रसारण के 50 साल पूरे कर रहा है। 50 वर्षों से लगातार इस बुलेटिन ने कितने ही लोगों को संस्कृत से जोड़े रखा है।

 110वां एपिसोड : 25 फरवरी, 2024  
ऊललेखनिय है कि पिछले एपिसोड 25 फरवरी 2024 को प्रधनामंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो प्रोग्राम मन की बात का के 110वां एपिसोड को सम्बोधित किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Modi ) के रेडियो प्रोग्राम मन की बात  ( Mann Ki Baat ) का पिछला एपीसोड 25 फरवरी, 2024  को अर्थात 110वां एपिसोड सुबह 11 बजे से ब्रॉडकास्ट हुआ था।  यहाँ पाएं 110 वें एपिसोड कि खास झलकियां। 

मोहम्मद मानशाह, गान्दरबल (जम्मू-कश्मीर )
जम्मू-कश्मीर में गान्दरबल के मोहम्मद मानशाह जी पिछले तीन दशकों से गोजरी भाषा को संरक्षित करने के प्रयासों में जुटे हैं। वे गुज्जर बकरवाल समुदाय से आते हैं जो कि एक जनजातीय समुदाय है। उन्हें बचपन में पढ़ाई के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ा था, वो रोजाना 20 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करते थे। इस तरह की चुनौतियों के बीच उन्होंने Masters की Degree हासिल की और ऐसे में ही उनका अपनी भाषा को संरक्षित करने का संकल्प दृढ़ हुआ।
साहित्य के क्षेत्र में मानशाह जी के कार्यों का दायरा इतना बड़ा है कि इसे करीब 50 संस्करणों में सहेजा गया है। इनमें कविताएं और लोकगीत भी शामिल हैं। उन्होंने कई किताबों का अनुवाद गोजरी भाषा में किया है।

बनवंग लोसू, अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश में तिरप के बनवंग लोसू जी एक टीचर हैं। उन्होंने वांचो भाषा के प्रसार में अपना अहम योगदान दिया है। यह भाषा अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और असम के कुछ हिस्सों में बोली जाती है। उन्होंने एक Language school बनवाने का काम किया है। 
इसके वांचो भाषा की एक लिपि भी तैयार की है। वो आने वाली पीढ़ियों को भी वांचो भाषा सिखा रहे हैं ताकि इसे लुप्त होने से बचाया जा सके।

 वेंकप्पा अम्बाजी सुगेतकर, कर्नाटक
कर्नाटका के वेंकप्पा अम्बाजी सुगेतकर उनका जीवन भी इस मामले में बहुत प्रेरणादायी है। यहां के बागलकोट के रहने वाले सुगेतकर जी एक लोक गायक हैं। इन्होनें 1000 से अधिक गोंधली गाने गाए हैं, साथ ही, इस भाषा में, कहानियों का भी खूब प्रचार- प्रसार किया है। उन्होंने बिना फीस लिए, सैकड़ों विद्यार्थियों, को Training भी दी है। 

‘मेरा पहला वोट - देश के लिए’
कुछ दिन पहले ही चुनाव आयोग ने एक और अभियान की शुरुआत की है – ‘मेरा पहला वोट - देश के लिए’। इसके जरिए विशेष रूप से first time voters से अधिक-से-अधिक संख्या में मतदान करने का आग्रह किया गया है। भारत को, जोश और ऊर्जा से भरी अपनी युवा शक्ति पर गर्व है। हमारे युवा-साथी चुनावी प्रक्रिया में जितनी अधिक भागीदारी करेंगे, इसके नतीजे देश के लिए उतने ही लाभकारी होंगे। 18 का होने के बाद आपको 18वीं लोकसभा के लिए सदस्य चुनने का मौका मिल रहा है। यानि ये 18वीं लोकसभा भी युवा आकांक्षा का प्रतीक होगी।

बिहार में भोजपुर के भीम सिंह भवेश जी
प्रधान मंत्री ने बताया कि अपने क्षेत्र के मुसहर जाति के लोगों के बीच भीम सिंह भवेश जी के  कार्यों की खूब चर्चा है।  बिहार में मुसहर एक अत्यंत वंचित समुदाय रहा है, बहुत गरीब समुदाय रहा है। भीम सिंह भवेश जी ने इस समुदाय के बच्चों की शिक्षा पर अपना focus किया है, ताकि उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके। उन्होंने मुसहर जाति के करीब 8 हज़ार बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया है। 
उन्होंने एक बड़ी Library भी बनवाई है, जिससे बच्चों को पढाई-लिखाई की बेहतर सुविधा मिल रही है। भीम सिंह जी, अपने समुदाय के सदस्यों के जरूरी Documents बनवाने में, उनके Form भरने में भी मदद करते हैं। इससे जरुरी संसाधनों तक गाँव के लोगों की पहुँच और बेहतर हुई है। लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हो, इसके लिए उन्होंने 100 से अधिक Medical Camps लगवाए हैं।
 जब कोरोना का महासंकट सिर पर था, तब, भीम सिंह जी ने अपने क्षेत्र के लोगों को Vaccine लगवाने के लिए भी बहुत प्रोत्साहित किया। देश के अलग-अलग हिस्सों में भीम सिंह भवेश जी जैसे कई लोग हैं, जो समाज में ऐसे अनेक नेक कार्यों में जुटे हैं। 

ड्रोन दीदी-उत्तर प्रदेश के सीतापुर
उत्तर प्रदेश के सीतापुर की रहने वाली सुनीता देवी हैं जिन्हे ड्रोन दीदी के नाम से जाना जाता है जिनकी चर्चा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 110 वें  संस्करण में किया। सुनीता देवी   बताया की ड्रोन की कृषि सम्बंधित कार्यों के बारे में उन्होंने बताया की  जैसे अभी फसल बड़ी हो रही है। बरसात का मौसम या कुछ भी ऐसे, बरसात में दिक्कत होती खेत में फसल में हम लोग घुस नहीं पा रहे हैं तो कैसे मजदूर अन्दर जाएगा, तो इसके माध्यम से बहुत फायदा किसानों को होगा और वहाँ खेत में घुसना भी नहीं पड़ेगा। हमारा drone जो हम मजदूर लगाकर अपना काम करते हैं वो हमारा drone से मेढ़ पे खड़े होके, हम अपना वो कर सकते हैं, कोई कीड़ा-मकोड़ा अगर खेत के अन्दर है उससे हमें सावधानी भी बरतनी रहेगी, कोई दिक्कत नहीं हो सकती है और किसानों को भी बहुत अच्छा लग रहा है। उन्होंने बताया कि  हमने 35 एकड़ spray कर चुके हैं अभी तक।  
उन्होंने बताया कि किसानों को बहुत संतुष्ट होते हैं कह रहे हैं बहुत अच्छा लग रहा। समय का भी बचत होता है,सारी सुविधा आप खुद देखती हैं, पानी, दवा सब कुछ साथ-साथ में रखती है और  लोगों को सिर्फ आकर खेत बताना पड़ता है कि कहां से कहां तक मेरा खेत है और सारा काम आधे घंटे में ही निपटा देती हूँ।

कल्याणी प्रफुल्ल पाटिल जी, महाराष्ट्र
प्राकृतिक खेती में इन्होने अपना खास योगदान दिया है. उनके अनुसार दस प्रकार के हमारी वनस्पति है उसको एकत्रित करके उससे उन्होंने  organic फवारणी(spray) बनाया जैसे कि जो हम pesticide वगैहरा spray करते तो उस से pest वगैरह जो हमारी मित्र कीट(pest) रहती है वो भी नष्ट हो रहे, और हमारी soil का pollution होता है जो तो तब chemical चीज़े जो पानी में घुल-मिल रही हैं उसकी वजह से हमारी body पर भी हानिकारक परिणाम दिख रहे हैं उस हिसाब से हमने कम से कम pesticide का use कर के।  
  
प्राकृतिक खेती में अनुभव के सम्बन्ध में कल्याणी जी ने बताया कि  हमारी महिलाएं हैं, उनको जो खर्च है, वो, कम लगा और जो product हैं, तो वो समाधान पाकर, हमने, without pest वो किया क्योंकि अब cancer के प्रमाण जो बढ़ रहे हैं जैसे शहरी भागों में तो है ही लेकिन गाँव में भी हमारी उसका प्रमाण बढ़ रहा है तो उस हिसाब से अगर आप अपने आगे के परिवार को अपने सुरक्षित करना है तो ये मार्ग अपनाना जरूरी है इस हिसाब से वो महिलाएं भी सक्रिय सहभाग इसके अन्दर दिखा रही हैं।  

मन की बात: 22 भारतीय 11 विदेशी भाषाओं में ब्रॉडकास्ट

इस खास कार्यक्रम का प्रसारण सुबह  11 बजे से ब्रॉडकास्ट  किया जायेगा जिसका प्रसारण  22 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों के अलावा 11 विदेशी भाषाओं में भी किया जायेगा. इसके अतिरिक्त 11 विदेशी भाषाओं में भी होता है मन की बात का प्रसारण जिसमे शामिल है फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू, फारसी, दारी और स्वाहिली। 

मन की बात : 101वीं कड़ी
International Museum Expo: कुछ दिन पहले ही भारत में International Museum Expo का भी आयोजन किया था। इसमें दुनिया के 1200 से अधिक Museumsकी विशेषताओं को दर्शाया गया
Museo Camera संग्रहालय, गुरुग्राम 
इसमें 1860 के बाद के 8 हजार से ज्यादा कैमरों का collection मौजूद है।
Museum of Possibilities, तमिलनाडु 
इस म्यूज़ीअम  को हमारे दिव्यांगजनों को ध्यान में रखकर,design किया गया है।
मुंबई का छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय 
जिसमें 70 हजार से भी अधिक चीजेंसंरक्षित की गई हैं।
Indian Memory Project 
साल 2010 में स्थापित, एक तरह का Online museum है।
यह दुनियाभर से भेजी गयी तस्वीरों और कहानियों के माध्यम से भारत के गौरवशाली इतिहास की कड़ियों को जोड़ने में जुटा है। विभाजन की विभिषिका से जुड़ी स्मृतियों को भी सामने लाने का प्रयास किया गया है।

FluxGen
यह एक  Start-Up IOT enabled  है जो तकनीक के जरिए water management के विकल्प देता है। ये technology पानी के इस्तेमाल के patterns बताएगा और पानी के प्रभावी इस्तेमाल में मदद करेगा। एक और startupहैLivNSense। ये artificial intelligence और machine learning पर आधारित platform है। इसकी मदद से water distribution की प्रभावी निगरानी की जा सकेगी। इससे ये भी पता चल सकेगा कि कहाँ कितना पानी बर्बाद हो रहा है।

‘कुंभी कागज (KumbhiKagaz)’
यह कुंभी कागज (KumbhiKagaz) भी एक स्टार्ट अप  है जिसने एक विशेष काम शुरू किया है। वे जलकुंभी से कागज बनाने का काम कर रहे हैं, यानी, जो जलकुंभी, कभी, जलस्त्रोतों के लिए एक समस्या समझी जाती थी, उसी से अब कागज बनने लगा है।

शिवाजी शामराव डोले ,  महाराष्ट्र
 महाराष्ट्र के श्रीमान् शिवाजी शामराव डोले जी। शिवाजी डोले, नासिक जिले के एक छोटे से गाँव के रहने वाले हैं। वो गरीब आदिवासी किसान परिवार से आते हैं, और, एक पूर्व सैनिक भी हैं। फौज में रहते हुए उन्होंने अपना जीवन देश के लिए लगाया।Retire होने के बाद उन्होंने कुछ नया सीखने का फैसला किया और Agriculture में Diploma किया, यानी,वो, जय जवान से, जय किसान की तरफ बढ़ चले। अब हर पल उनकी कोशिश यही रहती है कि कैसे कृषि क्षेत्र में अपना अधिक से अधिक योगदान दें। अपने इस अभियान में शिवाजी डोले जी ने 20 लोगों की एक छोटी-सी Team बनाई और कुछ पूर्व सैनिकों को भी इसमें जोड़ा। 
इसके बाद उनकी इस Team ने Venkateshwara Co-Operative Power & Agro Processing Limitedनाम की एक सहकारी संस्था का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया।ये सहकारी संस्था निष्क्रिय पड़ी थी, जिसे revive करने का बीड़ा उन्होंने उठाया। देखते ही देखते आज Venkateshwara Co-Operative का विस्तार कई जिलों में हो गया है। आज ये team महाराष्ट्र और कर्नाटका में काम कर रही है। 
इससे करीब 18 हजार लोग जुड़े हैं, जिनमें काफी संख्या में हमारे Ex-Servicemen भी हैं। नासिक के मालेगाँव में इस team के सदस्य 500 एकड़ से ज्यादा जमीन में Agro Farming कर रहे हैं। ये team जल संरक्षण के लिए भी कई तालाब भी बनवाने में जुटी है। खास बात यह है कि इन्होंने Organic Farming और Dairy भी शुरू की है। अब इनके उगाए अंगूरों को यूरोप में भी export किया जा रहा है। 
इस team की जो दो बड़ी विशेषतायें हैं, जिसने मेरा ध्यान आकर्षित किया है, वो ये है – जय विज्ञान और जय अनुसंधान। इसके सदस्य technology और Modern Agro Practices का अधिक से अधिक उपयोग कर रहे हैं। दूसरी विशेषता ये है कि वे export के लिए जरुरी कई तरह के certifications पर भी focus कर रहे हैं।

109वीं कड़ी: जनवरी 28, 2024 
मन की बात रेडियो कार्यक्रम का जनवरी 28, 2024 को मन की बात की 109वीं कड़ी का प्रसारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  किया। आज का यह कार्यक्रम नए साल अर्थात 2024 का पहला ‘मन की बात’का कार्यक्रम है।
मन की बात रेडियो कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रम है जिसने देश की जनता को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक ओर जहां इंटरनेट और टीवी के साथ ही ओटीटी प्लेटफॉर्म ने मनोरंजन के नए सोपान स्थापित कर रहे हैं ऐसे माहौल में आउटडेटेड हो चुके रेडियो की बदौलत मन की बात एक जन आंदोलन का रूप ले चुका हैं। निश्चित इसका पूरा श्रेय जाता है प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की चमत्कारिक व्यक्तित्व को।

मन की बात रेडियो कार्यक्रम का आज अर्थात जनवरी 28, 2024 को मन की बात की 109वीं कड़ी का प्रसारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  किया। आज का यह कार्यक्रम नए साल अर्थात 2024 का पहला ‘मन की बात’का कार्यक्रम है।

मन की बात की 109वीं कड़ी की खास बातें 

  • इस साल हमारे संविधान के भी 75 वर्ष हो रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के भी 75 वर्ष हो रहे हैं।
  • 26 जनवरी की परेड बहुत ही अद्भुत रही-Women Power  को लेकर।
  • इस बार परेड में मार्च करने वाले 20 दस्तों में से 11 दस्ते महिलाओं के थे।
  • अर्जुन अवार्ड समारोह- इस बार 13 Women Athletes को Arjun Award से सम्मानित किया गया है।
  •  इन women athletes ने अनेकों बड़े टूर्नामेंटों में हिस्सा लिया और भारत का परचम लहराया। 
  • कार्यक्रम का इतिहास:

    • पहला मन की बात 3 अक्टूबर 2014 को प्रसारित किया गया था।
    • 30 अप्रैल 2023 को इसका 100वां प्रसारण हुआ।
    • 2 जून 2017 से यह कार्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध है।

सुश्री यानुंग जामोह लैगो-अरुणाचल प्रदेश 

यानुंग जामोह लैगो की भी तस्वीर आ रही हैं। सुश्री यानुंग अरुणाचल प्रदेश की रहने वाली हैं और हर्बल औषधीय विशेषज्ञ हैं। इन्होंने आदि जनजाति की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को पुनर्जीवित करने के लिए काफी काम किया है। इस योगदान के लिए उन्हें इस बार पद्म सम्मान भी दिया गया है। इसी तरह इस बार छत्तीसगढ़ के हेमचंद मांझी उनको भी पद्म सम्मान मिला है। 

वैद्यराज हेमचंद मांझी-छत्तीसगढ़

वैद्यराज हेमचंद मांझी भी आयुष चिकित्सा पद्धति की मदद से लोगों का इलाज करते हैं। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में गरीब मरीजों की सेवा करते हुए उन्हें 5 दशक से ज्यादा का समय हो रहा है। 

आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा- डेटा  का वर्गीकरण

आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा से जुड़े डेटा और शब्दावली का वर्गीकरण किया है, इसमें, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मदद की है। दोनों के प्रयासों से आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा में बीमारी और इलाज से जुड़ी शब्दावली की coding कर दी गयी है। इस coding की मदद से अब सभी डॉक्टर prescription या अपनी पर्ची पर एक जैसी भाषा लिखेंगे। इसका एक फायदा ये होगा कि अगर आप वो पर्ची लेकर दूसरे डॉक्टर के पास जाएंगे तो डॉक्टर को इसकी पूरी जानकारी उस पर्ची से ही मिल जाएगी। 
आपकी बीमारी, इलाज, कौन-कौन सी दवाएं चली हैं, कब से इलाज चल रहा है, आपको किन चीज़ों से allergy है, ये सब जानने में उस पर्ची से मदद मिलेगी। इसका एक और फायदा उन लोगों को होगा, जो research के काम से जुड़े हैं। दूसरे देशों के वैज्ञानिकों को भी बीमारी, दवाएं और उसके प्रभाव की पूरी जानकारी मिल जाएगी। 
Research बढ़ने और कई वैज्ञानिकों के साथ-साथ जुड़ने से ये चिकित्सा पद्धति और बेहतर परिणाम देंगे और लोगों का इनके प्रति झुकाव बढ़ेगा। मुझे विश्वास है, इन आयुष पद्धतियों से जुड़े हमारे चिकित्सक, इस coding को जल्द से जल्द अपनाएंगे।

कार्यक्रम 'हमर हाथी - हमर गोठ’: छत्तीसगढ़ 

छत्तीसगढ़ में आकाशवाणी के चार केन्द्रों अंबिकापुर, रायपुर, बिलासपुर और रायगढ़ से हर शाम इस कार्यक्रम का प्रसारण होता है और आपको जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ के जंगल और उसके आसपास के इलाके में रहने वाले बड़े ध्यान से इस कार्यक्रम को सुनते हैं। ‘हमर हाथी - हमर गोठ’ कार्यक्रम में बताया जाता है कि हाथियों का झुण्ड जंगल के किस इलाके से गुजर रहा है। ये जानकारी यहाँ के लोगों के बहुत काम आती है। लोगों को जैसे ही रेडियो से हाथियों के झुण्ड के आने की जानकारी मिलती है, वो सावधान हो जाते हैं। जिन रास्तों से हाथी गुजरते हैं, उधर जाने का ख़तरा टल जाता है। इससे जहाँ एक ओर हाथियों के झुण्ड से नुकसान की संभावना कम हो रही है, वहीँ हाथियों के बारे में data जुटाने में मदद मिलती है। इस data के उपयोग से भविष्य में हाथियों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी। यहाँ हाथियों से जुड़ी जानकारी social media के जरिए भी लोगों तक पहुंचाई जा रही है। इससे जंगल के आसपास रहने वाले लोगों को हाथियों के साथ तालमेल बिठाना आसान हो गया है। छत्तीसगढ़ की इस अनूठी पहल और इसके अनुभवों का लाभ देश के दूसरे वन क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी उठा सकते हैं।

Beach Games-दीव

Beach Games  का आयोजन दीव के अन्दर उसका आयोजन हुआ था।  ‘दीव’ केन्द्रशासित प्रदेश है, सोमनाथ के बिलकुल पास है। इस साल की शुरुआत में ही दीव में इन Beach Games का आयोजन किया गया। ये भारत का पहला multi-sports beach games था। इनमें  Tug of war, Sea swimming, pencaksilat, मलखंब, Beach volleyball, Beach कबड्डी, Beach soccer,और Beach Boxing जैसे competition हुए। इनमें हर प्रतियोगी को अपनी प्रतिभा दिखाने का भरपूर मौका मिला। इस Tournament  में ऐसे राज्यों से भी बहुत से खिलाड़ी आए,जिनका दूर दूर तक समंदर से कोई नाता नहीं है। इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा Medal  भी मध्य प्रदेश ने जीते, जहाँ कोई Sea Beach नहीं है। खेलों के प्रति यही Temperament  किसी भी देश को sports की दुनिया का सरताज बनाता है।

 पिछले दिनों नवंबर 26, 2023 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 107 वे मन की बात रेडियो कार्यक्रम के संस्करण के अंतर्गत सम्बोधन किया. यूपी के रामसिंह, आंध्र प्रदेश के बेल्जिपुरम, तमिलनाडू के लोगनाथन जिनकी चर्चा पी एम ने किया है  प्रत्येक महीने आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम ने कई ऐतिहासिक ऊंचाइयों को छुआ है और इसमें  किसी को संदेह नहीं होने चाहिए। 

मन की बात: Facts in Brief 
  • शुरुआत: मन की बात रेडियो कार्यक्रम की शुरुआत 26 मई, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी।
  • प्रसारण: यह कार्यक्रम हर महीने के अंतिम रविवार को प्रसारित होता है।
  • प्रसारण का समय: यह कार्यक्रम सुबह 11:00 बजे से 11:15 बजे तक प्रसारित होता है।
  • प्रसारण के माध्यम: यह कार्यक्रम All India Radio (AIR) के सभी चैनलों पर प्रसारित होता है। इसके अलावा, इसे Doordarshan, YouTube, Twitter, Facebook और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी प्रसारित किया जाता है।
  • श्रोताओं की संख्या: इस कार्यक्रम को हर महीने करोड़ों लोग सुनते हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार, 2023 में इस कार्यक्रम को लगभग 100 करोड़ लोग सुन चुके हैं।

राम सिंह बौद्ध जी: उत्तर प्रदेश
मुझे उत्तर प्रदेश में अमरोहा के राम सिंह बौद्ध जी  पिछले कई दशकों से रेडियो संग्रह करने के काम में जुटे हैं। उनका कहना है कि ‘मन की बात’ के बाद से, उनके Radio Museum के प्रति लोगों की उत्सुकता और बढ़ गई है। उनका कहना है कि ‘मन की बात’ के बाद से, उनके Radio Museum के प्रति लोगों की उत्सुकता और बढ़ गई है।

बेल्जिपुरम Youth club’:  काकुलम आँध्रप्रदेश 
आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में है और इसका नाम ‘बेल्जिपुरम Youth club’है।Skill development पर focus कर ‘बेल्जिपुरमYouth club’ने करीब 7000 महिलाओं को सशक्त बनाया है। इनमें से अधिकांश महिलाएं आज अपने दम पर अपना कुछ काम कर रही हैं। इस संस्था ने बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को भी कोई ना कोई हुनर सिखाकर उन्हें उस दुष्चक्र से बाहर निकालने में मदद की है।‘

बेल्जिपुरमYouth club’की टीम ने किसान उत्पाद संघ यानि FPOs से जुड़े किसानों को भी नई Skill सिखाई जिससे बड़ी संख्या में किसान सशक्त हुए हैं। स्वच्छता को लेकर भी ये Youth club गांव–गांव में जागरूकता फैला रहा है। इसने अनेक शौचालयों का निर्माण की भी मदद की है।

लोगनाथन: कोयम्बटूर,   तमिलनाडु 
तमिलनाडु के कोयम्बटूर में रहने वाले लोगानाथन जी भी बेमिसाल हैं। बचपन में गरीब बच्चों के फटे कपड़ों को देखकर वे अक्सर परेशान हो जाते थे। इसके बाद उन्होंने ऐसे बच्चों की मदद का प्रण लिया और अपनी कमाई का एक हिस्सा इन्हें दान देना शुरू कर दिया। जब पैसे की कमी पड़ी तो लोगानाथन जी ने Toilets तक साफ़ किये ताकि जरूरतमंद बच्चों की मदद हो सके। वे पिछले 25 सालों से पूरी तरह समर्पित भाव से अपने इस काम में जुटे हैं और अब तक 1500 से अधिक बच्चों की मदद कर चुके हैं। 

सफाई संडे सूरत 
सूरत में स्वक्षता अभियान का आरंभ जिसमे ताप्ती नदी की सफाई की गई. लगभग 50 हजार की संख्या में युवाओं ने जमीनी स्तर पर शुरू किया गया. 

प्रधान मंत्री ने विदेशों में होने वाले शादियों पर कहा कि शादी और व्याह जैसे त्यौहार अपने देश में करना लोकल पर वोकल ध्यान देने की जरुरत. 

सऊदी अरब में संस्कृत मेले का आयोजन 
सऊदी अरब में ‘संस्कृत उत्सव’ नाम का एक आयोजन हुआ। यह अपने आप में बहुत अनूठा था, क्योंकि ये पूरा कार्यक्रम ही संस्कृत में था। संवाद, संगीत, नृत्य सब कुछ संस्कृत में, इसमें, वहाँ के स्थानीय लोगों की भागीदारी भी देखी गयी।

श्रीनगर में ‘छऊ’ पर्व का आयोजन

15  से 17 नवम्बर तक एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना के साथ श्रीनगर में ‘छऊ’ पर्व का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सबने ‘छऊ’ नृत्य का आनंद उठाया। श्रीनगर के नौजवानों को ‘छऊ’ नृत्य की training देने के लिए एक workshop का भी आयोजन हुआ। इसी प्रकार, कुछ सप्ताह पहले ही कठुआ जिले में ‘बसोहली उत्सव’ आयोजित किया गया। ये जगह जम्मू से150 किलोमीटर दूर है। इस उत्सव में स्थानीय कला, लोक नृत्य और पारंपरिक रामलीला का आयोजन हुआ।


अंबाजी:  ‘भादरवी पूनम मेले’ का आयोजन
कुछ सप्ताह पहले वहां अंबाजी में ‘भादरवी पूनम मेले’ का आयोजन किया गया था इस मेले में 50 लाख से ज्यादा लोग आए।ये मेला प्रतिवर्ष होता है। इसकी सबसे ख़ास बात ये रही कि मेले में आये लोगों ने गब्बर हिल के एक बड़े हिस्से में सफाई अभियान चलाया। मंदिरों के आसपास के पूरे क्षेत्र को स्वच्छ रखने का ये अभियान बहुत प्रेरणादायी है।

एक तरफ जहां टेलीविजन और इंटरनेट का युग नए नए मनोरंजन का आयाम प्रस्तुत कर रहा है, ऐसे समय में लगभग आउटडेटेड हो चुका रेडियो कार्यक्रम मन की बात जनांदोलन बन चुका हैं निसंदेह इसका पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को जाता है।  उल्लेखनीय है कि मन की बात  का पहले संस्करण कार्यक्रम 3 अक्टूबर 2014 को विजयादशमी के अवसर पर प्रसारित किया गया था। प्रत्येक महीने में इसका आयोजन होता है और 30 अप्रैल 2023 को इसका सौवाँ प्रसारण हुआ था ।


हाल हीं में 29 अक्टूबर 2023 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 106वीं कड़ी के अंतर्गत सम्बोधन किया.  जब पूरा देश  त्योहारों की उमंग में डूबा है ऐसे समय में मन की बात के 106वीं कड़ी के सम्बोधन में  मन की बात के 106वीं कड़ी के सम्बोधन में प्रधान  मंत्री ने जिन खास  मुद्दों को याद किया उनमे शामिल है-गांधी जयन्ती के अवसर पर दिल्ली में खादी की रिकॉर्ड बिक्री, मेरा युवा भारत, यानी MYBharat. MYBharat संगठन, लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म-जयंती,हमारा साहित्य, literature, कन्याकुमारी के थिरु ए. के. पेरूमल जी 15 नवंबर को पूरा देश जनजातीय गौरव दिवस तथा और भी बहुत कुछ. 

मन की बात की 106वीं कड़ी अक्टूबर 29, 2023 Facts in Brief

मन की बात के 106वीं कड़ी के सम्बोधन में प्रधान मंत्री ने एक बार फिर से इस कार्यकर्म में उन हीरो का जिक्र किया जिन्होंने देश और समाज को एक नहीं दिशा और ऊंचाई दिया है.  जैसा कि जाहिर है, इस कार्यक्रम में प्रधान मंत्री उन लोगों का ज़िक्र करते हैं जो हमारे Heroes हैं और जिन्होंने इस कार्यक्रम को जीवंत बनाया है। तो आइये  106वीं कड़ी के अंतर्गत सम्बोधन में प्रधान मंत्री ने मन की बात के जिन Heroes का चर्चा किया उन पर एक नजर डालते हैं. 
15 नवंबर-भगवान बिरसा मुंडा की जन्म-जयंती-जनजातीय गौरव दिवस 
15 नवंबर को पूरा देश जनजातीय गौरव दिवस मनाएगा। यह विशेष दिन भगवान बिरसा मुंडा की जन्म-जयंती से जुड़ा है। भगवान बिरसा मुंडा हम सब के ह्रदय में बसे हैं। सच्चा साहस क्या है और अपनी संकल्प शक्ति पर अडिग रहना किसे कहते हैं, ये हम उनके जीवन से सीख सकते हैं। उन्होंने विदेशी शासन को कभी स्वीकार नहीं किया।

 उन्होंने ऐसे समाज की परिकल्पना की थी, जहाँ अन्याय के लिए कोई जगह नहीं थी। वे चाहते थे कि हर व्यक्ति को सम्मान और समानता का जीवन मिले। भगवान बिरसा मुंडा ने प्रकृति के साथ सद्भाव से रहना इस पर भी हमेशा जोर दिया। आज भी हम देख सकते हैं कि हमारे आदिवासी भाई-बहन प्रकृति की देखभाल और उसके संरक्षण के लिए हर तरह से समर्पित हैं। हम सब के लिए, हमारे आदिवासी भाई-बहनों का ये काम बहुत बड़ी प्रेरणा है।

कन्याकुमारी के थिरु ए. के. पेरूमल
कन्याकुमारी के थिरु ए. के. पेरूमल जी का काम भी बहुत प्रेरित करने वाला है। उन्होंने तमिलनाडु के ये जो storytelling tradition है उसको संरक्षित करने का सराहनीय काम किया है। वे अपने इस मिशन में पिछले 40 सालों से जुटे हैं। इसके लिए वे तमिलनाडु के अलग-अलग हिस्सों में Travel करते हैं और Folk Art Forms को खोज कर उसे अपनी Book का हिस्सा बनाते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उन्होंने अब तक ऐसी करीब 100 किताबें लिख डाली हैं। इसके अलावा पेरूमल जी का एक और भी Passion है। तमिलनाडु के Temple Culture के बारे में Research करना उन्हें बहुत पसंद है। उन्होंने Leather Puppets पर भी काफी Research की है, जिसका लाभ वहाँ के स्थानीय लोक कलाकारों को हो रहा है। शिवशंकरी जी और ए. के. पेरूमल जी के प्रयास हर किसी के लिए एक मिसाल हैं। भारत को अपनी संस्कृति को सुरक्षित करने वाले ऐसे हर प्रयास पर गर्व है, जो हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूती देने के साथ ही देश का नाम, देश का मान, सब कुछ बढ़ाये।

तमिल की प्रसिद्ध लेखिका बहन शिवशंकरी जी

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिल की प्रसिद्ध लेखिका बहन शिवशंकरी जी का चर्चा किया. उन्होंने बताया कि शिवशंकरी जी ने एक Project किया है – Knit India, Through Literature इसका मतलब है – साहित्य से देश को एक धागे में पिरोना और जोड़ना। वे इस Project पर बीते 16 सालों से काम कर रही है। इस Project के जरिए उन्होंने 18 भारतीय भाषाओं में लिखे साहित्य का अनुवाद किया है। 

उन्होंने कई बार कन्याकुमारी से कश्मीर तक और इंफाल से जैसलमेर तक देशभर में यात्राएँ की, ताकि अलग - अलग राज्यों के लेखकों और कवियों के Interview कर सकें। शिवशंकरी जी ने अलग - अलग जगहों पर अपनी यात्रा की, travel commentary के साथ उन्हें Publish किया है। यह तमिल और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में है।
 इस Project में चार बड़े volumes हैं और हर volume भारत के अलग-अलग हिस्से को समर्पित है। 

असम स्थित Akshar Forum खास स्कूल 

प्रधान मंत्री ने बतायाकि सम के Kamrup Metropolitan District में Akshar Forum इस नाम का एक School बच्चों में, Sustainable Development की भावना भरने का, संस्कार का, एक निरंतर काम कर रहा है। यहां पढ़ने वाले विद्यार्थी हर हफ्ते Plastic Waste जमा करते हैं, जिसका उपयोग Eco- Friendly ईटें और चाबी की Chain जैसे सामान बनाने में होता है। यहां Students को Recycling और Plastic Waste से Products बनाना भी सिखाया जाता है। कम आयु में ही पर्यावरण के प्रति ये जागरूकता, इन बच्चों को देश का एक कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनाने में बहुत मदद करेगी।  

मीराबाई की 525वीं जन्म-जयंती

 देश इस वर्ष महान संत मीराबाई की 525वीं जन्म-जयंती मना रहा है। वो देशभर के लोगों के लिए कई वजहों से एक प्रेरणाशक्ति रही हैं। अगर किसी की संगीत में रूचि हो, तो वो संगीत के प्रति समर्पण का बड़ा उदाहरण ही है, अगर कोई कविताओं का प्रेमी हो, तो भक्तिरस में डूबे मीराबाई के भजन, उसे अलग ही आनंद देते हैं, अगर कोई दैवीय शक्ति में विश्वास रखता हो, तो मीराबाई का श्रीकृष्ण में लीन हो जाना उसके लिए एक बड़ी प्रेरणा बन सकता है। मीराबाई, संत रविदास को अपना गुरु मानती थी। वो कहती भी थी- 

गुरु मिलिया रैदास, दीन्ही ज्ञान की गुटकी। 

प्रधान मंन्त्री ने बताया कि देश की माताओं-बहनों और बेटियों के लिए मीराबाई आज भी प्रेरणापुंज हैं। उस कालखंड में भी उन्होंने अपने भीतर की आवाज़ को ही सुना और रुढ़िवादी धारणाओं के खिलाफ खड़ी हुई। एक संत के रूप में भी वे हम सबको प्रेरित करती हैं। वे भारतीय समाज और संस्कृति को तब सशक्त करने के लिए आगे आईं, जब देश कई प्रकार के हमले झेल रहा था। सरलता और सादगी में कितनी शक्ति होती है, ये हमें मीराबाई के जीवनकाल से पता चलता है।

अंबाजी मंदिर, गुजरात

प्रधान मंत्री ने गुजरात के तीर्थक्षेत्र अंबाजी मंदिर के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि  यह एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है, जहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां अंबे के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यहां गब्बर पर्वत के रास्ते में आपको विभिन्न प्रकार की योग मुद्राओं और आसनों की प्रतिमाएं दिखाई देंगी। क्या आप जानते हैं कि इन प्रतिमाओं की खास क्या बात है ? दरअसल ये Scrap से बने Sculpture हैं, एक प्रकार से कबाड़ से बने हुए और जो बेहद अद्दभुत हैं। यानि ये प्रतिमाएं इस्तेमाल हो चुकी, कबाड़ में फेक दी गयी पुरानी चीजों से बनाई गई हैं। अंबाजी शक्ति पीठ पर देवी मां के दर्शन के साथ-साथ ये प्रतिमाएं भी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई हैं। 

MYBharat संगठन

प्रधान मंत्री ने घोषणा किया कि MYBharat संगठन की जो भारत के युवाओं को राष्ट्रनिर्माण के विभिन्न आयोजनों में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर देगा। उन्होंने कहाः कि, "31 अक्टूबर को एक बहुत बड़े राष्ट्रव्यापी संगठन की नींव रखी जा रही है और वो भी सरदार साहब की जन्मजयन्ती के दिन। इस संगठन का नाम है – मेरा युवा भारत, यानी MYBharat. MYBharat संगठन, भारत के युवाओं को राष्ट्रनिर्माण के विभिन्न आयोजनों में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर देगा। 

ये, विकसित भारत के निर्माण में भारत की युवा शक्ति को एकजुट करने का एक अनोखा प्रयास है। मेरा युवा भारत की वेबसाइट MYBharat भी शुरू होने वाली है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किय कि  MYBharat.Gov.in पर register करें और विभिन्न कार्यक्रम के लिए Sign Up करें। 

वल्लभभाई पटेल की जन्म-जयंती- 31 अक्टूबर 

हम भारतवासी सरदार पटेल को कई वजहों से याद करते हैं, और श्रद्धापूर्वक नमन करते हैं। सबसे बड़ी वजह है – देश की 580 से ज्यादा रियासतों को जोड़ने में उनकी अतुलनीय भूमिका।  हर साल 31 अक्टूबर को गुजरात में Statue of Unity पर एकता दिवस से जुड़ा मुख्य समारोह होता है। इस बार इसके अलावा दिल्ली में कर्तव्य पथ पर एक बहुत ही विशेष कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। आपको याद होगा, मैंने पिछले दिनों देश के हर गाँव से, हर घर से मिट्टी संग्रह करने का आग्रह किया गया था।

 हर घर से मिट्टी संग्रह करने के बाद उसे कलश में रखा गया और फिर अमृत कलश यात्राएं निकाली गईं। देश के कोने-कोने से एकत्रित की गयी ये माटी, ये हजारों अमृत कलश यात्राएं अब दिल्ली पहुँच रही हैं। यहाँ दिल्ली में उस मिट्टी को एक विशाल भारत कलश में डाला जाएगा और इसी पवित्र मिट्टी से दिल्ली में ‘अमृत वाटिका’ का निर्माण होगा।

 यह देश की राजधानी के हृदय में अमृत महोत्सव की भव्य विरासत के रूप में मौजूद रहेगी। 31 अक्टूबर को ही देशभर में पिछले ढ़ाई साल से चल रहे आजादी के अमृत महोत्सव का समापन होगा। आजादी के अमृत महोत्सव में, लोगों ने अपने स्थानीय इतिहास को, एक नई पहचान दी है। इस दौरान सामुदायिक सेवा की भी अद्भुत मिसाल देखने को मिली है।

Special Olympics World Summer Games 

प्रधान मंत्री ने Special Olympics World Summer Games का चर्चा भी मन की बात के 106 थे संस्करण में किया जिसका आयोजन बर्लिन में हुआ था। ये प्रतियोगिता हमारे Intellectual Disabilities वाले एथलीटों की अद्भुत क्षमता को सामने लाती है। इस प्रतियोगिता में भारतीय दल ने 75 Gold Medals सहित 200 पदक जीते। Roller skating हो, Beach Volleyball हो, Football हो, या Tennis, भारतीय खिलाड़ियों ने Medals की झड़ी लगा दी। इन पदक विजेताओं की Life Journey काफ़ी Inspiring रही है।
 हरियाणा के रणवीर सैनी ने Golf में Gold Medal जीता है। बचपन से ही Autism से जूझ रहे रणवीर के लिए कोई भी चुनौती Golf को लेकर उनके जुनून को कम नहीं कर पाई। उनकी माँ तो यहाँ तक कहती हैं कि परिवार में आज सब Golfer बन गए हैं। पुडुचेरी के 16 साल के टी-विशाल ने चार Medal जीते। गोवा की सिया सरोदे ने Powerlifting में 2 Gold Medals सहित चार पदक अपने नाम किये। 9 साल की उम्र में अपनी माँ को खोने के बाद भी उन्होंने खुद को निराश नहीं होने दिया। छत्तीसगढ़ के दुर्ग के रहने वाले अनुराग प्रसाद ने Powerlifting में तीन Gold और एक Silver Medal जीता है। ऐसे ही प्रेरक गाथा झारखंड के इंदु प्रकाश की है, जिन्होंने Cycling में दो Medal जीते हैं। ब

हुत ही साधारण परिवार से आने के बावजूद, इंदु ने गरीबी को कभी अपनी सफलता के सामने दीवार नहीं बनने दिया। मुझे विश्वास है कि इन खेलों में भारतीय खिलाड़ियों की सफलता Intellectual Disabilities का मुकाबला कर रहे अन्य बच्चों और परिवारों को भी प्रेरित करेगी। प्रधानमंत्री ने लोगों से कहा किआपके गाँव में, आपके गाँव के अगल-बगल में, ऐसे बच्चे, जिन्होंने इस खेलकूद में हिस्सा लिया है या विजयी हुए हैं, आप सपरिवार उनके साथ जाइए। उनको बधाई दीजिये। और कुछ पल उन बच्चों के साथ बिताइए। आपको एक नया ही अनुभव होगा। परमात्मा ने उनके अन्दर एक ऐसी शक्ति भरी है आपको भी उसके दर्शन का मौका मिलेगा।

आदिवासी योद्धाओं का समृद्ध इतिहास 

प्रधान मंत्री ने कहा कि देश आदिवासी समाज का कृतज्ञ है, जिन्होंने राष्ट्र के स्वाभिमान और उत्थान को हमेशा सर्वोपरि रखा है। भारतवर्ष में आदिवासी योद्धाओं का समृद्ध इतिहास रहा है। इसी भारत भूमि पर महान तिलका मांझी ने अन्याय के खिलाफ बिगुल फूंका था। इसी धरती से सिद्धो-कान्हू ने समानता की आवाज उठाई। हमें गर्व है कि जिन योद्धा टंट्या भील ने हमारी धरती पर जन्म लिया।
 हम शहीद वीर नारायण सिंह को पूरी श्रद्धा के साथ याद करते हैं, जो कठिन परिस्थितियों में अपने लोगों के साथ खड़े रहे। वीर रामजी गोंड हों, वीर गुंडाधुर हों, भीमा नायक हों, उनका साहस आज भी हमें प्रेरित करता है। अल्लूरी सीताराम राजू ने आदिवासी भाई-बहनों में जो अलख जगाई, उसे देश आज भी याद करता है।

 North East में कियांग नोबांग और रानी गाइदिन्ल्यू जैसे स्वतंत्रता सेनानियों से भी हमें काफी प्रेरणा मिलती है। आदिवासी समाज से ही देश को राजमोहिनी देवी और रानी कमलापति जैसी वीरांगनाएं मिलीं। देश इस समय आदिवासी समाज को प्रेरणा देने वाली रानी दुर्गावती जी की 500वीं जयंती मना रही हैं। 

मन की बात -100वीं कड़ी

मन की बात की 100वीं कड़ी में आज प्रधान मंत्री ने देश को सम्बोधन किया. 3 अक्टूबर, 2014,  विजय दशमी के दिन ‘मन की बात’ की यात्रा शुरू हुई  थी। विजय दशमी यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व। 

इस अवसर पर प्रधान मंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा- यकीन नहीं होता कि ‘मन की बात’ को इतने महीने और इतने साल गुजर गए। हर एपिसोड अपने आप में खास रहा। हर बार, नए उदाहरणों की नवीनता, हर बार देशवासियों की नई सफलताओं का विस्तार। ‘मन की बात’ में पूरे देश के कोने-कोने से लोग जुड़े, हर आयु-वर्ग के लोग जुड़े। बेटी-बचाओ बेटी-पढ़ाओ की बात हो, स्वच्छ भारत आन्दोलन हो, खादी के प्रति प्रेम हो या प्रकृति की बात, आजादी का अमृत महोत्सव हो या फिर अमृत सरोवर की बात, ‘मन की बात’ जिस विषय से जुड़ा, वो, जन-आंदोलन बन गया, और इसे  लोगों ने बना दिया। 

प्रधान मंत्री के अनुसार मन की बात’ में जिन लोगों का हम ज़िक्र करते हैं वे सब हमारे Heroes हैं जिन्होंने इस कार्यक्रम को जीवंत बनाया है। आज जब यह 100वें एपिसोड के पड़ाव पर पहुंचे हैं, तो फिर प्रधन मंत्री मोदी ने  इन सारे Heroes और उनकी यात्रा के बारे में विस्तार से चर्चा किया ।

हरियाणा के भाई सुनील जगलान जी।

सुनील जगलान जी का मेरे मन पर इतना प्रभाव इसलिए पड़ा क्योंकि हरियाणा में Gender Ratio पर काफी चर्चा होती थी. प्रधान मंत्री ने  भी ‘बेटी बचाओ-बेटी पढाओ’ का अभियान हरियाणा से ही शुरू किया था। और इसी बीच जब सुनील जी के ‘Selfie With Daughter’ Campaign पर प्रधान मंत्री की नजर पडी। 

छत्तीसगढ़ के देउर गाँव 

छत्तीसगढ़ के देउर गाँव की महिलाओं की चर्चा पहले किया जा चूका है. ये महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के जरिए गाँव के चौराहों, सड़कों और मंदिरों के सफाई के लिए अभियान चलाती हैं। 

 तमिलनाडु की वो आदिवासी महिलाएं


तमिलनाडु की वो आदिवासी महिलाएं, जिन्होंने हज़ारों Eco-Friendly Terracotta Cups (टेराकोटा कप्स) निर्यात किए, उनसे भी देश ने खूब प्रेरणा ली। तमिलनाडु में ही 20 हजार महिलाओं ने साथ आकर वेल्लोर में नाग नदी को पुनर्जीवित किया था। 

मंजूर अहमद, जम्मू-कश्मीर 

मंजूर अहमद। ‘मन की बात’ में, जम्मू-कश्मीर की Pencil Slates (पेन्सिल स्लेट्स) के बारे में बताते हुए मंजूर अहमद  जी का जिक्र पहले के मन की बात  संस्करण में हुआ था।
प्रधानमंत्री  द्वारा यह पूछने पर की ये पेंसिल- स्लेट्स वाला काम कैसा चल रहा है, मंजूर जी  ने बताया कि बहुत अच्छे से चल रहा है सर बहुत अच्छे से, जब से सर  आपने हमारी बात, ‘मन की बात’ में कही सर तब से बहुत काम बढ़ गया सर और दूसरों को भी रोज़गार यहाँ बहुत बढ़ा है इस काम में।

विशाखापट्नम के वेंकट मुरली प्रसाद जी

विशाखापट्नम के वेंकट मुरली प्रसाद जी ने एक आत्मनिर्भर भारत Chart Share किया था। उन्होंने बताया था कि वो कैसे ज्यादा से ज्यादा भारतीय products ही इस्तेमाल करेंगे। जब बेतिया के प्रमोद जी ने LED बल्ब बनाने की छोटी यूनिट लगाई या गढ़मुक्तेश्वर के संतोष जी ने mats बनाने का काम किया, ‘मन की बात’ ही उनके उत्पादों को सबके सामने लाने का माध्यम बना। हमने Make in India के अनेक उदाहरणों से लेकर Space Start-ups तक की चर्चा ‘मन की बात’ में की है।
 

मणिपुर की बहन विजयशांति देवी जी

मणिपुर की बहन विजयशांति देवी जी का भी जिक्र पहले की मन की बात सेक्सकरन में किया था। विजयशांति जी कमल के रेशों से कपड़े बनाती हैं। ‘मन की बात’ में उनके इस अनोखे eco-friendly idea की बात हुई तो उनका काम और popular हो गया।

प्रदीप सांगवान जी 


‘मन की बात’ के पहले के संस्करण में प्रधान मंत्री ने  प्रदीप सांगवान जी के ‘हीलिंग हिमालयाज़’ अभियान की चर्चा की थी। प्रदीप जी ने बताया कि शुरुआत बहुत nervous हुई थी बहुत डर था इस बात को लेके कि जिंदगी भर ये कर पाएँगे कि नहीं कर पाएँगे पर थोड़ा support मिला और 2020 तक हम बहुत struggle भी कर रहे थे honestly। लोग बहुत कम जुड़ रहे थे बहुत सारे ऐसे लोग थे जो कि support नहीं कर पा रहे थे। हमारी मुहिम को इतना तवज्जो भी नहीं दे रहे थे। But 2020 के बाद जब ‘मन की बात’ में जिक्र हुआ उसके बाद बहुत सारी चीज़े बदल गई। मतलब पहले हम, साल में 6-7 cleaning drive कर पाते थे, 10 cleaning drive कर पाते थे। आज की date में हम daily bases पे पाँच टन कचरा इक्कठा करते हैं। अलग-अलग location से। 

झारखण्ड के संजय कश्यप जी


झारखण्ड के गांवों में Digital Library चलाने वाले संजय कश्यप जी हों, Covid के दौरान E-learning के जरिये कई बच्चों की मदद करने वाली हेमलता N.K. जी हों, ऐसे अनेक शिक्षकों के उदाहरण हमने ‘मन की बात’ में लिये हैं। हमने Cultural Preservation के प्रयासों को भी ‘मन की बात’ में लगातार जगह दी है।

Point of View: इमोशनल हैं, तो कोई वादा नहीं करें और गुस्से में हों तो इरादा करने से परहेज करें

Point of View: इमोशनल हैं, तो कोई वादा नहीं करें और गुस्से में हों तो इरादा करने से परहेज करें

Point Of View:
भय, क्रोध, गुस्सा, भावनात्मक स्थिति, दुःख या विरह की घड़ी, ख़ुशी के क्षण  आदि जीवन के कुछ ऐसे पल होते हैं जो हमारे रोज के जीवन का अभिन्न अंग है.  हमारा जीवन इन्ही मनोभाओं और इस प्रकार के अनगिनत रंगों से परिपूर्ण होता है इसमें किसी को संदेह नहीं होनी चाहिए क्योंकि जीवन की परिपूर्णता के लिए यही तो उसके रूप रंग होते हैं जो अलग-अलग रूपों में हमारे सामने आते हैं. 

लेकिन अब सवाल यह उठता है कि भले हैं उपरोक्त वर्णित अवस्थाएं हमारी जीवन कई हिस्सा हैं लेकिन क्या इन परिस्थितियों का सामना करते हुए क्या हमें ठोस निर्णय लेनी चाहिए? क्या किसी कारण से हम अगर क्रोध और गुस्सा से भरे हुए हैं तो उस समय जीवन से कोई महत्वपूर्ण फैसला लेना नुद्धिमानी होगी? प्रेम  या समर्पण जैसे क्षणिक आवेश में आकर या किसी तात्कालिक भावनात्मक लगाव के तहत कोई वादा करना न्यायपूर्ण कदम कही जा सकती है? 


कहने की जरुरत नहीं है दोस्तों कि भले ही भय, क्रोध, गुस्सा, भावनात्मक स्थिति, दुःख या विरह की घड़ी, ख़ुशी के क्षण  आदि स्थितियां हमारे जीवन का हिस्सा है और हमें इनसे दो-चार होना है पड़ता है अपने रोज के जीवन में लेकिन क्या इन परिस्थितयों के रुबरु होते हुए क्या जीवन से जुडी महत्वपूर्ण निर्णय लेना न्यायोचित कही जा सकती है. 

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क्रोध की स्थिति में संयम रखें 

अगर आप जीवन में किसी कारण से काफी  क्रोध और  गुस्सा की स्थिति में है तो ऐसे स्थिति में भला आपका विवेक आपके पास कहाँ रहता है. अगर आपके विवेक आपके साथ होगा तो कदाचित आप गुस्सा हीं करेंगे और शांति और संयम से मामले को देखकर उसे हल करने का प्रयास करेंगे। लेकिन अगर आप गुस्से में लाल-पीले हो रहें हैं तो आपके लिए यह जरुरी है कि आप संयम का परिचय दें और तत्काल उसे परिस्थिति को वेट एंड वाच की तर्ज पर गुजरने का इंतजार करें. 

विश्वास करें, क्रोध और गुस्से की स्थिति में लिया गया निर्णय कभी भी आपके लिए उचित नहीं होती और यह आपके लिए हमेशा प्रतिकूल परिस्थिति का निर्माण करेगी और आपको परेशानी में दाल सकती है. 

सुख और दुःख के दिन 

कहते हैं न, " सुख के दिन कब बीत जाते हैं पता नहीं चलता ये तो दुःख और विरह के दिन होते हैं जो काटे नहीं कटती.... " हाँ ये सच है कि जीवन में दुःख और सुख का आना-जाना लगा रहता है लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या घोर विपन्नता और दुःख की स्थिति में हमें जीवन से जुडी महत्वपूर्ण निर्णय लेनी चाहिए? 

मुंशी प्रेमचद की उस कथन को याद रखें-" गले पर पड़े पैर को सहलाना   श्रेयस्कर होता है... " जाहिर है, अगर किसी के पैरों के नीचे आपका गला दबा हो तो फिर आपके लिए चुप रहने और उस संकट की स्थिति से बाहर आने के लिए शांति और समझदारी का रास्ता ही चुनना बेहतर होगी. 

भावना और सहानुभूति में वादा नहीं करें 

जीवन में भावनात्मक लगाव और सहानुभूति के शब्दों से हमें आमना-सामना होना पड़ता है और जाहिर है कि क्षणिक आवेंग में आकर हमें जल्दबाजी में कोई वादा नहीं करनी चाहिए। खासकर अगर पुरुष या महिला हों लेकिन युवावस्था के दौर में हैं तो आपको विशेष रूप से सावधान रहने की जरुरत है. 


नजरिया जीने का: पढ़ें और भी...

रिश्ते खास हैं, इन्हे अंकुरित करें प्रेम से, जिंदा रखें संवाद से और दूर रखें गलतफहमियों से

इमोशनल हैं, तो कोई वादा नहीं करें और गुस्से में हों तो इरादा करने से परहेज करें

स्व-अनुशासन के महत्त्व को समझे और जीवन को बनाएं सार्थक 

रखें खुद पर भरोसा,आपकी जीत को कोई ताकत हार में नहीं बदल सकती


Happy New Year 2025: अपनों को भेजें नए साल पर यह महापुरुषों का कोट्स, संदेश, ग्रीटिंग्स

Happy New Year 2025: अपनों को भेजें नए साल पर यह महापुरुषों का कोट्स, संदेश, ग्रीटिंग्स

बस अब हम 2025 में प्रवेश करने से चंद घंटे दूर हैं, यह खुशी, उम्मीद और सकारात्मकता फैलाने का समय है। नए साल का जश्न दोस्तों, परिवार और प्रियजनों को हार्दिक शुभकामनाओं और संदेशों के बिना अधूरा है और सच तो यह है कि नए साल के अवसर पर अपने मित्रों और संबंधियों के बधाई और उनके शुभकामनाओं के बगैर नए साल का इंतजार अधूरा ही रहेगा। तो फिर देर किस बात कि है, अगर आप नए साल की शुभकामनाओं को बेहतरीन तरीके से लिखने के लिए प्रेरणा की तलाश कर रहे हैं, तो हमने आपके संदेशों को अलग बनाने के लिए आइडिया संकलित किए हैं।

नया साल मुबारक हो!

ये साल आपकी ज़िंदगी में नई खुशियाँ, नई आशाएँ और नई उपलब्धियाँ लेकर आए। आपको और आपके परिवार को ढेर सारी शुभकामनाएँ! 

साल बदल रहा है, सपने नहीं!

आपके सपने इस साल नई ऊंचाइयों को छुएं। आपके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे। हैप्पी न्यू ईयर! 

नए साल की हार्दिक शुभकामनाएँ!

ये साल आपको ढेर सारी खुशियाँ, अच्छा स्वास्थ्य और अपार सफलता दे। आप हमेशा मुस्कुराते रहें! 

नया साल नई शुरुआत का संकेत है।

इस साल हर दिन आपके लिए खुशियाँ और प्यार लेकर आए। आपके जीवन में शांति और समृद्धि बनी रहे। हैप्पी न्यू ईयर!

नए साल में आपका हर दिन शुभ हो।

इस साल आपके सभी सपने पूरे हों और आपकी मेहनत रंग लाए। आपको और आपके अपनों को नए साल की शुभकामनाएँ! 

"Write it on your heart that every day is the best day in the year."

– Ralph Waldo Emerson

(अपने दिल पर लिख लें कि हर दिन साल का सबसे अच्छा दिन है।)

"Cheers to a new year and another chance for us to get it right."

– Oprah Winfrey

(नए साल की जय हो और हमें इसे सही करने का एक और मौका मिले।)

"The magic in new beginnings is truly the most powerful of them all."

– Josiyah Martin

(नई शुरुआत में जादू सचमुच सबसे शक्तिशाली होता है।)

"Tomorrow is the first blank page of a 365-page book. Write a good one."

– Brad Paisley

(कल 365 पन्नों की किताब का पहला खाली पन्ना है। इसे अच्छा लिखें।)

"New year—a new chapter, new verse, or just the same old story? Ultimately, we write it. The choice is ours."

– Alex Morritt

(नया साल—एक नया अध्याय, नई पंक्ति, या वही पुरानी कहानी? अंततः, इसे हम लिखते हैं। चुनाव हमारा है।)

"Be at war with your vices, at peace with your neighbors, and let every new year find you a better person."

– Benjamin Franklin

(अपनी बुराइयों से युद्ध करो, अपने पड़ोसियों से शांति रखो, और हर नया साल तुम्हें एक बेहतर व्यक्ति बनाए।)

"Celebrate endings—for they precede new beginnings."

– Jonathan Lockwood Huie



महाकुंभ 2025; महत्व, महत्वपूर्ण तिथियां, शाही स्नान, और अन्य जानकारी


2025 का महाकुंभ मेला 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2024 तक उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक प्रयागराज में आयोजित होने वाला है। महाकुंभ मेला के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मेजबानी के लिए वैश्विक मानकों को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार पूरी तरह से तैयार है। महाकुंभ मेला 2025 आस्था, संस्कृति और इतिहास का एक असाधारण उत्सव है, जो सभी उपस्थित लोगों के लिए एक समृद्ध यात्रा प्रदान करता है। कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसमें लाखों तीर्थयात्री पवित्र नदियों में स्नान के लिए आते हैं। यह स्नान आध्यात्मिक सफाई और नवीनीकरण का प्रतीक है। 

यह हर 12 साल में चार बार होता है, गंगा पर हरिद्वार, शिप्रा पर उज्जैन, गोदावरी पर नासिक और प्रयागराज, जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती मिलती हैं। उत्तर प्रदेश सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, हिंदू धर्म में कुंभ मेला एक धार्मिक तीर्थयात्रा है जो 12 वर्षों के दौरान चार बार मनाई जाती है। 

कुंभ मेले की भौगोलिक स्थिति का अनुसर भारत में चार महत्वपूर्ण स्थानों पर फैली हुई है और जो चार पवित्र नदियों पर स्थित जिन चार तीर्थस्थलों पर आयोजन होता है वे निम्न हैं-

महत्वपूर्ण शहर और नदियाँ

  • हरिद्वार, उत्तराखंड में, गंगा के तट पर
  • उज्जैन, मध्य प्रदेश में, शिप्रा के तट पर
  • नासिक, महाराष्ट्र में, गोदावरी के तट पर
  • प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में, गंगा, यमुना और पौराणिक अदृश्य सरस्वती के संगम पर।


प्रत्येक स्थल का उत्सव सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की ज्योतिषीय स्थितियों के एक अलग सेट पर आधारित है।

कुंभ मेला एक आध्यात्मिक सभा से कहीं अधिक है। यह संस्कृतियों, परंपराओं और भाषाओं का एक जीवंत मिश्रण है, जो एक "लघु-भारत" को प्रदर्शित करता है, जहाँ लाखों लोग बिना किसी औपचारिक निमंत्रण के एक साथ आते हैं। यह आयोजन विभिन्न पृष्ठभूमियों से तपस्वियों, साधुओं, कल्पवासियों और साधकों को एक साथ लाता है, जो भक्ति, तप और एकता का प्रतीक है। 2017 में यूनेस्को द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता प्राप्त, कुंभ मेला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत मूल्यवान है। प्रयागराज 2025 में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक फिर से इस भव्य आयोजन की मेजबानी करेगा, जिसमें अनुष्ठान, संस्कृति और खगोल विज्ञान का मिश्रण होगा।

महाकुंभ मेला 2025: आध्यात्मिकता और नवाचार का एक नया युग

2025 में महाकुंभ मेला प्रयागराज में आध्यात्मिकता, संस्कृति और इतिहास के एक अनूठे मिश्रण का वादा करता है। 13 जनवरी से 26 फरवरी तक, तीर्थयात्री न केवल आध्यात्मिक अनुष्ठानों की एक श्रृंखला में शामिल होंगे, बल्कि एक ऐसी यात्रा पर भी निकलेंगे जो भौतिक, सांस्कृतिक और यहाँ तक कि आध्यात्मिक सीमाओं से परे होगी। 

शहर की जीवंत सड़कें, चहल-पहल भरे बाज़ार और स्थानीय व्यंजन इस अनुभव में एक समृद्ध सांस्कृतिक परत जोड़ते हैं। अखाड़ा शिविर एक अतिरिक्त आध्यात्मिक आयाम प्रदान करते हैं, जहाँ साधु और तपस्वी चर्चा, ध्यान और ज्ञान साझा करने के लिए एक साथ आते हैं। ये तत्व मिलकर महाकुंभ मेला 2025 को आस्था, संस्कृति और इतिहास का एक असाधारण उत्सव बनाते हैं, जो सभी उपस्थित लोगों के लिए एक समृद्ध यात्रा प्रदान करता है।

आगामी 2025 महाकुंभ मेला भी उन्नत सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के साथ भक्तों के अनुभव को बढ़ाने के लिए तैयार है, जो सभी प्रतिभागियों के लिए एक सहज, सुरक्षित और अधिक आकर्षक यात्रा सुनिश्चित करता है। बेहतर सफाई व्यवस्था, विस्तारित परिवहन नेटवर्क और उन्नत सुरक्षा उपायों से एक सहज, सुरक्षित और अधिक समृद्ध अनुभव प्रदान करने की उम्मीद है। अभिनव समाधानों को शामिल करते हुए, 2025 महाकुंभ मेला इस परिमाण के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मेजबानी के लिए वैश्विक मानकों को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार है।

प्रयागराज: समय के साथ जानें शहर कि  यात्रा

एक समृद्ध इतिहास वाला प्रयागराज 600 ईसा पूर्व का है जब वत्स साम्राज्य फला-फूला और कौशाम्बी इसकी राजधानी थी। गौतम बुद्ध ने कौशाम्बी का दौरा किया था। बाद में, सम्राट अशोक ने मौर्य काल के दौरान इसे एक प्रांतीय केंद्र बनाया, जो उनके अखंड स्तंभों से चिह्नित था। शुंग, कुषाण और गुप्त जैसे शासकों ने भी इस क्षेत्र में कलाकृतियाँ और शिलालेख छोड़े।

7वीं शताब्दी में, चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने प्रयागराज को "मूर्तिपूजकों का महान शहर" बताया, जो इसकी मजबूत ब्राह्मणवादी परंपराओं को दर्शाता है। शेर शाह के शासनकाल में इसका महत्व बढ़ गया, जिन्होंने इस क्षेत्र से होकर ग्रैंड ट्रंक रोड का निर्माण कराया। 16वीं शताब्दी में, अकबर ने इसका नाम बदलकर 'इलाहाबास' कर दिया, जिससे यह एक किलेबंद शाही केंद्र और प्रमुख तीर्थ स्थल बन गया, जिसने इसकी आधुनिक प्रासंगिकता के लिए मंच तैयार किया।

प्रयागराज के प्रमुख स्थल और आध्यात्मिक स्थल

त्रिवेणी संगम वह स्थान है जहाँ गंगा, यमुना और रहस्यमयी सरस्वती मिलती हैं। माना जाता है कि अदृश्य सरस्वती कुंभ मेले के दौरान प्रकट होती है, जो ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है। भक्त अपने पापों को धोने के लिए आते हैं, जो इसे कुंभ मेले का केंद्र बनाता है, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक भव्य उत्सव है।

त्रिवेणी संगम पर आने वाले तीर्थयात्री प्रयागराज में कई प्रतिष्ठित मंदिरों का भी भ्रमण करते हैं। संत समर्थ गुरु रामदासजी द्वारा स्थापित दारागंज में श्री लेटे हुए हनुमान जी मंदिर में शिव-पार्वती, गणेश, भैरव, दुर्गा, काली और नवग्रह की मूर्तियाँ हैं। पास में, श्री राम-जानकी और हरित माधव मंदिर आध्यात्मिक वातावरण में चार चांद लगाते हैं। 

जानें क्या है KTB जिसका चर्चा प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात मे किया है


बच्चों की पसंदीदा animation series और उसका नाम है KTB – भारत हैं हम। KTB यानी कृष, तृष और बाल्टीबॉय. आपको शायद पता होगा कि ये बच्चों की पसंदीदा animation series है और इसका नाम है KTB– भारत हैं हम.

अब इसका दूसरा season भी आ गया है। ये तीन animation character हमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन नायक-नायिकाओं के बारे में बताते हैं जिनकी ज्यादा चर्चा नहीं होती। हाल ही में इसका season-2 बड़े ही खास अंदाज में Iinternational Film Festival of India, Goa में launch हुआ। सबसे शानदार बात ये है कि ये series न सिर्फ भारत की कई भाषाओं में बल्कि विदेशी भाषाओं में भी प्रसारित होती है। इसे दूरदर्शन के साथ-साथ अन्य OTT platform पर भी देखा जा सकता है।

यह एनिमेटेड सीरीज़ दो सीज़न की है, जिसका निर्माण केंद्रीय संचार ब्यूरो, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और ग्राफिटी स्टूडियो ने किया है। 

इस सीरीज़ में  1500 के दशक से लेकर 1947 तक के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की कहानियाँ हैं। इस सीरीज़ को प्रतिष्ठित एनिमेटेड किरदार कृष, त्रिश और बाल्टी बॉय होस्ट कर रहे हैं। इस सीरीज़ को ग्राफिटी स्टूडियो के मुंजाल श्रॉफ और तिलकराज शेट्टी की क्रिएटर जोड़ी ने बनाया है।

यह श्रृंखला युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में कम ज्ञात लेकिन महत्वपूर्ण योगदान देने वाले लोगों के बारे में शिक्षित करने का एक प्रयास है, जिन्हें अतीत की शिक्षा प्रणाली द्वारा भुला दिया गया था, और जिनका पर्याप्त उल्लेख नहीं किया गया है। इस सीरीज़ का एक प्रमुख केंद्र बिंदु विदेशी उपनिवेशवादियों के खिलाफ़ संघर्ष में महिलाओं और आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने भारत के बच्चों के बीच हमारे गौरवशाली स्वतंत्रता संग्राम और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले असंख्य नायकों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक अभियान शुरू करने का निर्णय लिया।

प्रत्येक एपिसोड में लोकप्रिय पात्र कृष, ट्रिश और बाल्टीबॉय होंगे - जो पहले प्रशंसित केटीबी मूवी श्रृंखला से प्रसिद्ध थे, और उनके संवाद इन गुमनाम नायकों की कहानियों पर आधारित होंगे।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम की विविधता को समेटते हुए, यह श्रृंखला विभिन्न क्षेत्रों की यात्रा करेगी, जिसमें हिमाचल प्रदेश, बंगाल, पंजाब, केरल और अन्य जगहों से आए स्वतंत्रता सेनानियों को दिखाया जाएगा। केंद्रीय संचार ब्यूरो और ग्राफिटी स्टूडियो द्वारा निर्मित यह श्रृंखला धार्मिक बाधाओं को पार करते हुए आस्था और एकता की एक ऐसी कहानी है जो देश की आस्थाओं और विश्वासों को एक करती है।

रानी अब्बक्का, तिलका मांझी, तिरोत सिंह, पीर अली, तात्या टोपे, कोतवाल धन सिंह, कुंवर सिंह (80 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी), रानी चेन्नम्मा, टिकेन्द्र जीत सिंह आदि जैसे अनगिनत वीर व्यक्तित्व अंततः इस एनिमेटेड उत्कृष्ट कृति के माध्यम से इतिहास में अपना उचित स्थान लेंगे।

यह श्रृंखला निम्नलिखित 12 भाषाओं में निर्मित  है :

Hindi (Master), Tamil, Telugu, Kannada, Malayalam, Marathi, Gujarati, Punjabi, Bengali, Assamese, Odia and English.

श्रृंखला को निम्नलिखित अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में भी डब किया जाएगा :

फ्रेंच, स्पेनिश, रूसी, अरबी, चीनी, जापानी और कोरियाई।


सूर्य किरण: भारत-नेपाल संयुक्त सैन्य अभ्यास-Facts in Brief

 

Surya kiran india nepal exercise facts in brief

भारत और नेपाल के बीच संयुक्त अभ्यास सूर्य किरण के 18 वें संस्करण का आयोजन 31 दिसंबर 2024 से 13 जनवरी 2025 तक नेपाल के सलझंडी में किया जाएगा। यह एक वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम है जो दोनों देशों में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है। अभ्यास सूर्य किरण भारत और नेपाल के बीच मौजूद मित्रता, विश्वास और साझा सांस्कृतिक संबंधों के मजबूत बंधन को दर्शाता है।

भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व 11वीं गोरखा राइफल्स की एक बटालियन द्वारा किया जाएगा। नेपाली सेना की टुकड़ी का प्रतिनिधित्व श्रीजंग बटालियन द्वारा किया जाएगा।

सूर्य किरण अभ्यास: उद्देश्य

सूर्य किरण अभ्यास का उद्देश्य जंगल में युद्ध, पहाड़ों में आतंकवाद विरोधी अभियानों और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अंर्तगत मानवीय सहायता और आपदा राहत में अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाना है। अभ्यास में परिचालन तैयारियों, विमानन पहलुओं, चिकित्सा प्रशिक्षण और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इन गतिविधियों के माध्यम से, सैनिक अपनी परिचालन क्षमताओं को बढ़ाएंगे, अपने युद्ध कौशल को निखारेंगे और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में एक साथ काम करने के लिए अपने समन्वय को मजबूत करेंगे।

Highlights

  • अभ्यास सूर्य किरण का यह संस्करण नेपाल के सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी की सफल यात्राओं और नेपाली सेना के सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगडेल की भारत यात्रा के बाद आयोजित किया जा रहा है ।
  •  यह अभ्यास भारत और नेपाल के सैनिकों को विचारों और अनुभवों का आदान-प्रदान करने, सर्वोत्तम व्यवस्थाओं को साझा करने और एक-दूसरे की परिचालन प्रक्रियाओं की गहरी समझ को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
  • अभ्यास सूर्य किरण भारत और नेपाल के बीच मौजूद मित्रता, विश्वास और साझा सांस्कृतिक संबंधों के मजबूत बंधन को दर्शाता है।
  •  यह एक सृजनात्मक और पेशेवर जुड़ाव के लिए मंच तैयार करता है जो व्यापक रक्षा सहयोग के प्रति दोनों देशों की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 
  • यह अभ्यास साझा सुरक्षा उद्देश्यों को भी प्राप्त करेगा और दो मित्रवत पड़ोसियों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देगा।


नए साल मे इन टिप्स से बढ़ाएं अपने बच्चों में ध्यान केंद्रित करने की क्षमता


अपने बच्चों मे कंसन्ट्रेशन (ध्यान केंद्रित करने) की क्षमता को बढ़ाना सभी पेरेंट्स का प्रमुख उदेश्य होता है क्योंकि इसका सीधा संबंध न केवल उनके पढ़ाई बल्कि उनके करियर से भी संबंधित है। खासतौर पर आजकल जिस तरह से  मोबाईल और इंटरनेट ने हमारे जीवन के हर छोटे से छोटे से ऐक्टिविटी मे भी सीधा हस्तक्षेप कर चुका है, आज कल के बच्चों मे कंसन्ट्रेशन (ध्यान केंद्रित करने) की क्षमता को बढ़ाना ज्यादा जरूरी बन चुका है। यहाँ कुछ स्टेप्स दिए गए है जो आपके बच्चों के कंसन्ट्रेशन (ध्यान केंद्रित करने) की क्षमता को बढ़ाने मे  सहायक हो सकते हैं-

नियमित ध्यान (मेडिटेशन) के लिए जागरूक करें

कान्सन्ट्रैशन बढ़ाने के लिए सबसे जरूरी है कि बच्चों के दिमाग मे जो हलचल और फास्ट लाइफ के जो कीड़े भर चुके हैं, उनसे उन्हे बाहर निकालने के लिए उन्हे नियमित ध्यान (मेडिटेशन) के लिए प्रेरित करें। बेशक यह अचानक मे नहीं होगा लेकिन आप खुद भी बच्चों के साथ समय निकालकर उनके साथ नियमित ध्यान के लिए मोटिवेट करें। प्रतिदीन कम से काम  10-15 मिनट का मेडिटेशन आपके दिमाग को न केवल शांत करता है बल्कि उनके मस्तिष्क को कस बढ़ाने में मदद करता है। ध्यान के  दौरान शुरू मे गहरी सांस लें और अपने दिमाग को बिल्कुल चिंतमुक्त और बाहरी वातावरण से अप्रभावित रखें। आप अपने बच्चों को खेल के तौर पर इसे शुरुआत करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। 

रविवार के दिन  पैदा हुए लोगों पर होती है भगवान सूर्य की विशेष कृपा

मल्टीटास्किंग से बचें

आज कल के भाग दौड़ वाले जीवन मे न केवल पेरेंट्स बल्कि बच्चे को भी मल्टीटास्क को निपटाने के लिए बाध्य कर दिया गया है। आप देखेंगे कि कोरोना के काल से भले दुनिया बाहर या चुका है लेकिन आज भी स्कूल से उनके काम मोबाईल के माध्यम से भेजे जाते हैं। यहाँ तक कि बच्चों के पढ़ाई के एक जरूरी माध्यम मोबाईल को बना दिया गह है और इसके कारण बच्चे भी मल्टी टास्क करने के लिए बाध्य हो गए हैं। इसके लिए यह जरूरी है कि आप बच्चों को एक बार मे  एक वर्क निपटाने के लिए कहें ताकि वह अनावश्यक स्ट्रेस से बचे और अनुशासन के साथ टाइम  फ्रेम मे  काम निपटाना सीखे। 

फोन और सोशल मीडिया का उपयोग सीमित करें

न केवल बच्चे बल्कि सभी पेरेंट्स भी इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि मोबाईल और सोशल मीडिया ने हमेशा से हमारी ध्यान और एकाग्रता को बुरी तरह से प्रभावित किया है। आप खुद अगर सोशल मीडिया पर विज़िट करें तो पाएंगे की आपके अंदर अवसाद और नकारात्मक चीजें ज्यादा हावी होती है क्योंकि यह हमारी विडंबना है की मोबाईल और सोशल मीडिया पर ऐसे ही कंटेन्ट परोसे जाते हैं जो हमारे अंदर नकारात्मकता को ओर धकेल रहे होते हैं। आप सहज ही अंदाज लगा सकते हैं की जब पेरेंट्स के लिए ये चीजें इतनी हानिकारक हैं तो बच्चों के कोमल मस्तिष्क पर इनका गलत प्रभाव पड़ता होगा। इसके लिए यह जरूरी है की आप बच्चों के लिए जहां तक हो सकें फोन और सोशल मीडिया के उपयोग को सीमित करें। 

डायरी लिखने की आदत डालें

बच्चों को लिखने और पढ़ने की आदत डालें साथ ही उनके डायरी लिखने के लिए प्रेरित करें। उन्हे बताएं की डायरी लिखने के लिए समय कैसे निकली जा सकती है और साथ ही डायरी लिखने के क्या लाभ हैं। डायरी मे प्रतिदिन के अपने प्राइऑरटी और उन्हे समय पर निपटाने के लिए डायरी पर एंट्री करने से उनके अंदर डायरी लिखने की और साथ हीं अपनी प्रतिमिकताओं को समय पर निपटाने मे मदद मिलेगी। 

पढ़ने के तरीके को बदलें

बच्चों को पढ़ने और उन्हे याद करने की पारंपरिक तरीकों से अलग कुछ नया टेक्निक की मदद लेना सिखाएं। यहाँ ध्यान देने की जरूरी है की पढ़ाई के  पारंपरिक तरीके आज भी आउट डेटेड नहीं है, बल्कि उन्हे नए अंदाज मे प्रस्तुत किया जाना चाहिए जिसे मे बच्चे उन्हे ठीक ढंग से आत्मसात कर सकें। ध्यान रखें की पढ़ना और याद करने मे फर्क होता है और बच्चों को पढ़ने से अलग समझकर याद करने के लिए प्रेरित किया जाना जरूरी है।  साथ हीं उन्हे यह भी बताया जाना जरूरी है कि पढ़ने से आपकी मानसिक स्पष्टता बढ़ती है। जो सीखा है, उसे लिखने से ध्यान केंद्रित करने की क्षमता मजबूत होती है।

पर्याप्त नींद जरूरी 

आज कल बच्चे अपने पेरेंट्स के तमाम  व्यस्तताओं और ऑफिस और घर के कार्यों की अधिकता के कारण देर रात तक जगे रहते हैं। ऑफिस का बर्डन और घर के अतिरिक्त कार्यों के कारण पेरेंट्स के लिए देर रात तक जागना तो मजबूरी है, लेकिन बच्चों के  लिए पर्याप्त नींद का होना जरूरी है इसके लिए यह जरूरी है की आप खुद के रूटीन से बच्चों को अलग रखें और उन्हे समय पर सोने के लिए भेजना सुनिश्चित करें। पर्याप्त नींद के अभाव मे बच्चों मे अनिद्रा और मानसिक रूप से अवसाद की समस्या से भी गुजरना पड़ सकता है। 


Born on Sunday: होते हैं महत्वाकांक्षी ,आत्मविश्वासी, प्रभावशाली, सकारात्मक, नेतृत्वकर्ता, मेहनती और संवेदनशील

Born on Sunday: जानें क्या होती है खासियत- व्यवहार, सफलता, करिअर और भी बहुत कुछ

 रविवार को जन्मे लोग लीक से हटकर सोचने के आदी होते हैं और वे अपने अंदर सर्वोत्तम विचारों की कल्पना करते हैं। ऐसे व्यक्तित्व विशेष रूप से अपने जीवन में कठिनाई की आवश्यकता पर उपयुक्त विचार और समाधान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हैं। रविवार को जन्मे लोगों की महत्वाकांक्षाएं बहुत अधिक होती हैं और उनके जीवन में आत्मविश्वास भी चरम पर होता है।वास्तव में, आप कह सकते हैं कि जिन लोगों को किसी भी गंभीर स्थिति के लिए विचारों या समाधान के संदर्भ में किसी भी मदद की आवश्यकता है, आप उनसे संपर्क कर सकते हैं, निश्चित रूप से आपको सर्वोत्तम विचार मिलेंगे। रविवार को जन्मे लोग अपने व्यक्तित्व से प्रभावशाली, सकारात्मक, प्रसिद्ध, नेतृत्वकारी, मेहनती और थोड़े संवेदनशील भी होते हैं।  आइये जानते हैं रविवार को जन्म लेने वाले लोगों की खासियत, उनके लिए रखे जाने वाले नाम तथा अन्य विशेषताएं विशेषज्ञ हिमांशु रंजन शेखर (एस्ट्रॉलोजर और मोटिवेटर) द्वारा.


रविवार को जन्मे लोगों का व्यक्तित्व सूर्य द्वारा शासित होने के कारण, ये लोग हमेशा आकर्षण का केंद्र बने रहना चाहते हैं और अपने घरेलू और सामाजिक मोर्चे पर राज करना चाहते हैं। अक्सर लोगों के जहाँ मे यह सवाल होता है कि आखिर रविवार को जन्म का क्या मतलब है और ऐसे लोगों कि क्या खासियत होती है। दोस्तों, रविवार को जन्म लेने वाले लोगों कि सबसे बड़ी विशेषता होती है कि ऐसे लोग अक्सर रचनात्मक, आत्मविश्वासी और आशावादी होते हैं जो सुर्खियों में रहना पसंद करते हैं और दूसरों के साथ घुलना-मिलना पसंद करते हैं।

परिवार के लिए खास

ऐसे लोग अपने परिवार के लिए खास होता हैं और भरपूर मौज-मस्ती और उद्देश्यपूर्ण जीवन उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होती है। हालाँकि वे अधिकांश समय आश्वस्त दिखाई देते हैं, लेकिन परेशानियों और चुनौतियों का सामना करते समय वे गंभीर रूप से व्यथित हो सकते हैं। वे केवल उन्हीं लोगों से मित्रता करेंगे जो उन्हें केंद्र में रहने की अनुमति देंगे। 
  • वे आत्मविश्वासी और दृढ़निश्चयी होते हैं।
  • वे नेतृत्व क्षमताओं से भरपूर होते हैं।
  • वे साहसी और जोखिम लेने वाले होते हैं।
  • वे मिलनसार और सामाजिक होते हैं।
  • वे सफलता के लिए प्रतिबद्ध होते हैं।

 रविवार का दिन अद्भुत और खास

विश्व की लगभग अधिकांश हिस्सों में रविवार का दिन अद्भुत और खास होता है जिसे परंपराओं में सप्ताह का पहला दिन माना जाता है। लोग रविवार का उपयोग आने वाले सप्ताह की तैयारी, आराम के साथ ही अपने परिवार के सदस्यों के साथ देता पसंद करते हैं। कुल मिलाकर रविवार का दिन खास दिन होता है जिसका  इन्तजार परिवार के सभी सदस्यों को रहता है. और ज्योतिष के अनुसार ऐसा मान्यता है कि इस अद्भुत दिन का स्वामी सूर्य है और दिन को जन्मे लोग सचमुच सूर्य की तरह चमकते सितारे होते हैं।

आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी 

रविवार का दिन सूर्य ग्रह से विशेष रूप से प्रभावित होता है और आप जानते हैं कि सूर्य हमेशा के हमारी सौर्य मंडल का केंद्र रहा है. ठीक उसी प्रकार से रविवार को जन्म लेने वाले लोगों का व्यक्तित्व भी आकर्षक होता है. इसके साथ ही sunday को जन्म लोगों का कद, लम्बा, चौड़ी छाती, चेहरे का रंग साफ होता है. ऐसे व्यक्ति साहसी, धर्मात्मा, दानी, मेधावी, हंसमुख और महत्वाकांक्षी होते हैं. ऐसे व्यक्ति बल पूर्वक न्याय हासिल करना चाहतें हैं. कोई इन पर रहम करें यह उन्हें पसंद नहीं होता. इस दिन उत्पन्न व्यक्ति अपनी बातों के पक्के होते हैं. इनके पास पैसों की कमी नहीं रहती है, ये अपने बल पर पैसे कमाने की क्षमता रखते हैं.

रविवार को जन्मे लोग करियर: 

रविवार को जन्मे लोग अपने करियर में भी हमेशा स्वतंत्रता और स्वतंत्रता पसंद करते हैं। सामान्यत: ऐसे  लोग उन व्यवसायों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं जिसे वे अकेले करते हैं. अर्थात आप कह सकते हैं कि ऐसे लोग  समझौता नहीं करना चाहते हैं. नेतृत्व की भूमिकाएँ आपके लिए सबसे उपयुक्त रहेंगी। आपकी चतुराई और आत्म-प्रेरणा आपको अपने करियर के लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगी। हालाँकि, किसी संगठन के लिए काम करते समय यह आवश्यक है कि आप एक टीम के रूप में अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम होने के लिए दूसरों के प्रति सहिष्णुता विकसित करें।

 स्वतंत्रता पसंद

रविवार को जन्मे लोग प्यार में रविवार को जन्मे व्यक्ति के रूप में आप हमेशा स्वतंत्रता पसंद करते हैं। अंतर्मुखी एवं शर्मीले स्वाभाव के होने के इनके मित्रों की संख्या सीमित हो सकती है. धोखा मिलने के डर से आप आसानी से दूसरों पर भरोसा नहीं करते और इसका असर आपके लाइफ पार्टनर के चुनाव पर भी पड़ सकती है  हालाँकि, एक बार जब आपको सही व्यक्ति मिल जाए जिस पर आप भरोसा कर सकें, तो आप उनसे बिना शर्त प्यार करना शुरू कर देंगे। 

जिद्दी और गुस्सैल स्वभाव 

ऐसे लोग सामान्यता: जिद्दी और गुस्सैल स्वभाव और जल्दी हार नहीं मानने वाले होते हैं. इस स्वाभाव का असर आपको पर्सनल जीवन से लेकिन प्रोफेशनल और अन्य जगहों पर भी देखने को मिल सकती है. ऑफिस में, स्कूल या कॉलेज या अपने दोस्तों के साथ भी आपको इस स्वाभाव के कारण परेशानियों को झेलना पड़ेगा इसलिए यह अच्छा होगा की समझौतावादी होना सीखें और हर जगह अपनी बातों को ऊपर रखने से बच्चें भले हीं वह पर्सनल मैटर हो या प्रोफेशनल. 

 घरेलू और सामाजिक जीवन में संतुलन जरुरी 

रविवार को जन्मे जातकों के दांपत्य जीवन और सामाजिक में मिश्रित संभावनाएं रहेंगी। आप एक मिलनसार व्यक्ति हैं और जीवन में अपनी प्राथमिकताओं का आनंद लेने के लिए अपना व्यक्तिगत स्थान और स्वतंत्रता चाहेंगे। आपको अपने घरेलू और सामाजिक जीवन में संतुलन बनाना मुश्किल होगा। एक अच्छी समझ विकसित करने और अपने साथी की भावनात्मक जरूरतों पर विचार करने से एक सफल वैवाहिक जीवन सुनिश्चित होगा. 


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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।






Born on Sunday: सूर्य की तरह चमकते सितारे होते है रविवार को जन्मे लोग-प्रतिभावान, आत्मविश्वासी और आशावादी और नेतृत्व की क्षमता वाले

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Born on Sunday:
 रविवार को जन्मे लोगों को सबसे बड़ी विशेषता होती है कि ऐसे लोग  मेहनती होने के साथ हीं भाग्यशाली, प्रतिभावान, रचनात्मक, आत्मविश्वासी और आशावादी होते हैं। उनमें व्यक्तित्व मे एक स्वाभाविक करिश्मा होता है जो दूसरों को उनकी ओर आकर्षित करता है और शायद यही वजह होता है कि ऐसे लोग अक्सर पार्टियों और महफिलों की जान होते हैं। अपनी इसी खासियत के कारण वे सुर्खियों में रहना पसंद करते हैं और दूसरों के साथ घुलना-मिलना पसंद करते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रविवार को जन्म लेने वाले व्यक्तियों का सीधा संबंध सूर्य से होता है और इस दिन पैदा होने वाले लोगों में सूर्य सा तेज होने के मान्यता है। सूर्य के तरह ऐसे लोग खुद को स्टार मानते हैं और ये लोग बहुत ही क्रिएटिव प्रवृति के होते हैं चाहे वह जीवन के किसी भी प्रफेशन मे  होते हैं।
ये लोग आस्थावान होते हैं. इसके अलावा इनके परिजनों, दोस्तों और रिश्तेदारों से अच्छे संबंध होते हैं.  रविवार को जन्मे ऐसे शानदार व्यक्तित्व वाले लोग हैं बराक ओबामा, बिल क्लिंटन, ड्वेन जॉनसन, मेरिल स्ट्रीप, एम्मा वाटसन, केट ब्लैंचेट, एंजेलिना जोली और जूलिया रॉबर्ट्स। 

अक्सर लोगों के जेहन में यह सवाल होता है कि आखिर रविवार को जन्म का क्या मतलब है और ऐसे लोगों कि क्या खासियत होती है।

सूर्य की तरह चमकते सितारे 
रविवार को जन्मे लोग सचमुच सूर्य की तरह चमकते सितारे होते हैं। ज्योतिष के अनुसर अलग-अलग दिन के अनुसार जन्‍में लोगों का व्यक्तित्व भी अलग ही होता है और इस प्रकार से तरह रविवार को जन्‍में लोगों की भी कुछ स्पेशल विशेषताएं होती है. ऐसे लोगों पर भगवान सूर्य की कृपा हमेशा बनी रहती है और यही कारण है कि इसलिये इनके जीवन पर सूर्यदेव काफी गहरा असर छोड़ते हैं। 

रविवार को जन्मे बच्चे का नाम क्या रखें
रविवार को जन्म लेने वाले व्यक्तित्व का जीवन सूर्य के समान चमकीला होता है क्योकि आप जानते हैं कि सूर्य रविवार का स्वामी होते हैं. ऐसे लोग जीवन में थोड़े से संतुष्ट कभी नहीं होना चाहते भले ही वह सफलता हीं क्यों नहीं हो.

रविवार को जन्मे बच्चे का नामकरण और उनको उपयुक्त नाम रखने के लिए अक्सर माता पिता उत्सुक और परेशान रहते हैं. हालाँकि नामकरण के पीछे भी सामान्यत:कुंडली और जन्म के समय ग्रहों की स्थिति और घर के अनुसार रखने की परंपरा होती है और सच तो यह है कि बच्चे का नाम रखने में ज्योतिष और परंपरागत फैक्टर की भूमिका महत्पूर्ण होती है. 

इसके साथ हीं  परिवार की पसंद और आपकी खुद की राय भी जरुरी होत्ती है. हालाँकि  जन्म के दिन के आधार पर नाम रखने की परंपरा के अनुसार बच्चे के नाम का चयन भी हो सकता है। आप चाहें तो रविवार को जन्म लेने वाले बच्चों के लिए निम्न नामों को एक सुझाव के तौर पर ले सकते हैं. 

रविवार को जन्मे बच्चे के लिए कुछ नाम 

सूरज: सूरज रविवार का प्रतीक होता है और यह एक पॉवरफुल नाम हो सकता है।
आदित्य: आदित्य भी सूरज के देवता का नाम है और यह एक प्रसिद्ध हिन्दू नाम है।
दिनेश: दिनेश भी सूरज का एक अन्य नाम हो सकता है, जो रविवार के साथ जुड़ा होता है।
आर्यम: यह एक पॉप्युलर हिन्दू नाम है जो सूर्य के रूप में जाना जाता है।

याद रखें कि नाम चुनते समय व्यक्तिगत पसंद और परंपराओं का महत्वपूर्ण होता है, इसलिए यह आपके परिवार और आपके स्वयं के मूड और समर्थन के आधार पर आधारित होना चाहिए।

रविवार को जन्म लेने वाले लोग दूसरों को प्रेरित करते हैं और अपने जीवम वे बहुत सफल होते हैं तथा काफी सफलताएं  हासिल करते हैं. रविवार को जन्म लेने वाले लोगों का जीवन बहुत खुशहाल और सफल होता है. वे दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत होते हैं और हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं. वे अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल करते हैं और दुनिया को एक बेहतर जगह बनाते हैं.

Sunday को जन्म लेने वाले लोग अपने क्रिएटिव के बदौलत काफी नाम कमाते हैं और जीवन के हर क्षेत्र में सफल होते हैं. 


नेतृत्व की क्षमता 
रविवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति सूर्य के गुणों से युक्त होते हैं और वे भीड़ का हिस्सा शायद ही बनकर रहें. वे हमेशा नेतृत्व करने का हौसला रखते है. ऐसे जातक जातक किसी की अधीनता स्वीकार नहीं करना चाहते हैं और न हीं किसी के अंदर  कार्य करना पसन्द करते हैं. ये अपना रास्ता खुद बनाना चाहते हैं और इसमें अक्सर सफल भी होते हैं. ये अच्छे व्यवस्थापक और कठोर नियम कानून में रहने के अभ्यस्त होते हैं. 

सुन्दर नेत्र और आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी 
रविवार को जन्मे व्यक्ति सुन्दर नेत्रों वाले तथा आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक होते हैं. अपने इष्ट देव भगवान् सूर्य के तरह गंभीर व्यक्तित्व वाले होते हैं. अपने आकर्षक छवि जिसमे इनके व्यक्तित्व और बोलने की कला और दूसरे खूबियों  के कारण अन्य लोगों को शीघ्र ही अपनी ओर आकर्षित कर लेते है.

स्वाभिमानी अपमान स्वीकार नहीं 
रविवार को जन्मे लोगों के लिए स्वाभिमान और आत्म सम्मान की भूख अधिक होती है. यह अपने आत्म-सम्मान और अपने सम्मान के लिए हर प्रकार की कुर्बानी  के लिए तैयार रहते हैं. अपने रिश्तों के साथ हीं साथ अपने वातावरण के प्रति जहाँ ये रहते हैं, बेहद संवेदनशील होते है. किसी की अप्रिय या कड़वी बातों को भूलना इनके लिए आसान नहीं होता है और ये उसे अक्सर काफी दिनों तक भूल नहीं पाते हैं. 

घूमने का शौक़ीन 
रविवार को जन्मे जातक घूमने-फिरने के शौक़ीन होते हैं और एक जगह शायद ही स्थिर रहना चाहें. मजबूरी  के कारण उन्हें ऐसा करना पड़े तो और बात है लेकिन स्वाभाव से ये घूमने के काफी शौक़ीन होते हैं और उसे पूरा भी करते हैं. 

स्पष्ट बोलने वाले और निश्चल 
रविवार को जन्मे व्यक्ति सामान्यत स्पष्ट बोलने वाले होते हैं और स्टेट फॉरवर्ड संबंधों में विश्वास करते हैं. न्यायप्रिय होते हैं लेकिन  बल पूर्वक न्याय हासिल करना अपना धर्म समझते हैं. हालाँकि ये स्वभाव से  निश्छल होते हैं और दूसरों का अहित सोच नहीं सकते हैं. 

अनुशासन युक्त जीवन 
रविवार को जन्मे जातकों में अनुशासन की भावना सर्वोपरि होती है और ये लोग खुद पर भी अनुशासन लागु करने में आगे रहते हैं. सफलता कहाँ तक मिलती है ये दूसरे बातों पर भी निर्भर करती है लेकिन अपनी ओर से अनुशासन में रहने इनकी प्राथमिकता और स्वाभाव होती है. 

महत्वकाँक्षी एवं दृढ इच्छा शक्ति के धनी 
रविवार को जन्में लोग काफी महत्वाकांक्षी होते हैं. जीवन में  ये बड़े-बड़े सपने देखते हैं और उसे पूरा करने के लिए अपनी ओर  से पूर्ण कोशिश भी करते हैं. इनके पास  दृढ इच्छा शक्ति होती है और इसकी मदद से ऐसे जातक अपने उदेश्यों को पूरा करने में जी जान लगा देते हैं और उसे पूरा भी करते है. 

रविवार को जन्म लेने वाले बच्चों के बारे में
आम तौर पर ऐसा माना  जाता है कि रविवार को जन्मे लेने वाला बच्चा आकर्षक,प्रसन्न रहने वाला और बुद्धिमान होता है।  सकारात्मक गुणों से भरपूर होने क्व साथ ही रविवार को पैदा होने बच्चा भाग्यशाली और खुश माना जाता है। 

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।

इस दिन पैदा हुए लोगों पर होती है भगवान सूर्य की विशेष कृपा


रविवार को जन्मे लोगों कि सबसे बड़ी खासियत होती है कि वे अत्यंत महत्वाकांक्षी और भीड़ का हिस्सा नहीं बनने वाले होते हैं। Sunday को जन्मे लोगों का यह विश्वास होता है कि वे भगवान ने उन्हे भीड़ का हिस्सा बन कर जीने के लिए पैदा नहीं किया है और ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि रविवार जिसे सप्ताह का पहला दिन माना जाता है, और रविवार के दिन जन्में लोगों का स्वामी अस्ट्रालजी के अनुसार हमेशा भगवान सूर्य को माना जाता है। स्ट्रालजी और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रविवार को जन्में लोगों पर भगवान सूर्य की कृपा बनी रहती है क्योंकि  भगवान सूर्य को इनका इष्ट देव कहा जाता है। आइये जानते हैं विशेषज्ञ हिमांशु रंजन शेखर (एस्ट्रॉलोजर और मोटिवेटर) द्वारा कि रविवार को जन्म लेने वाले लोगों की क्या होती है खासियत और उनके विशेषताएं-

नेतृत्व क्षमता से पूर्ण 

रविवार के दिन जन्में लोगों का स्वामी अस्ट्रालजी के अनुसार हमेशा भगवान सूर्य को माना जाता है और यही कारण है कि ऐसे जातकों कि जीवन पर भगवान सूर्य का गहरा प्रभाव होता है। सूर्य हमारे सौरमंडल के केंद्र होता है जिसके चारों ओर सभी गृह चक्कर लगते हैं और यही सोच रविवार के दिन जन्मे लोगों कि होती है जिनका मानना होता है कि वे नेतृत्व करने के लिए पैदा हुए हैं और यही सोच उन्हे जीवन में मुश्किलों के बावजूद  वे नेतृत्व के गुणों से संपन्न होते हैं और भीड़ का हिस्सा नहीं बनकर बल्कि उनके नेतृत्वकर्ता और हमेशा आगे रहने वाले होते हैं। 

व्यक्तित्व और आदतें 

रविवार को जन्में लोगों का व्यक्तित्व और आदतें अन्य दिनों में जन्मे लोगों से बिल्कुल अलग होती हैं और ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि आप जानते हैं कि रविवार को सप्ताह का पहला दिन माना जाता है और दूसरा सूर्य, जिनके इर्द-गिर्द हमारे सौरमंडल के सभी ग्रह चक्कर लगाते हैं, वह  रविवार को जन्मे लोगों के स्वामी होता हैं। ऐसे लोगों पर हमेशा भगवान सूर्य की कृपा बनी रहती और इसकी कारण से  ऐसे लोग मेहनती, महत्वाकांक्षी, दृढ़ इच्छाशक्ति वाले और आकर्षक व्यक्तित्व वाले होते हैं। सूर्य कि तरह चमकना इनका स्वभाव होता है और ये हमेशा नेतृत्व करने वाले होते हैं। इसके साथ हीं ऐसे लोगों का मन बहुत साफ होता है और ये बिना किसी शर्त के प्यार करते हैं।

आकर्षक व्यक्तित्व  के मालिक 

सूर्य जो कि सौरमंडल के केंद्र होता है उसी के समान रविवार को जन्में लोगों आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं और हमेशा पार्टियों और महफिलों कि जान होते हैं। इनके चेहरे का तेज और चमक हमेशा दूसरों को आकर्षित करता है। आकर्षक कद, लंबा और चौड़ी छाती होने के साथ ये अक्सर सुंदर चेहरे वाले होते हैं। कुल मिलकर कहा जाए तो इनका व्यक्तित्व नेतृत्व करने वाला तो होता हीं है,  ये दूसरों को बहुत शीघ्र अपनी ओर आकर्षित भी कर लेते हैं। 

आत्मसम्मान कि गहरी ललक 

 रविवार को जन्में लोगआत्म सम्मान को हमेशा सर्वोपरि रखते हैं और इसकी खातिर वे बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने को तैयार रहते हैं। बोलने मे जल्दबाजी नहीं करने वाले और खासतौर पर रविवार को जन्मे लोग  कम बोलने में विश्वास रखते हैं। बोलने के लिए  शब्दों का चयन और भाषा पर इनकी बहुत पकड़ होती है  और वे जो भी बोलते हैं, सोच-समझकर बोलते हैं। पहले ही कहा जा चुका है कि ऐसे लोग नेतृत्व करने वाले होते हैं और इसलिए इनकी बातों का सामने वाले पर अलग और गहरा असर होता है। 

संवेदनशील लेकिन दृढ़ संकल्प शक्ति वाले 

रविवार जो जन्मे लोगों कि सबसे बड़ी खासियत होती है कि वे बहुत संवेदनशील होते हैं लेकिन इसके साथ हीं मजबूत मनोबल, दृढ़ संकल्प शक्ति और इच्छाशक्ति होते हैं। अगर कोई बात बुरी लग गई तो वे जल्दी उन्हे भुला नहीं पाते लेकिन निर्णय लेने मे कोई जल्दबाजी भी नहीं करते। संदेड़नशीलता के साथ ही ये बहुत रचनात्मक प्रवृति के होते हैं और साथ हीं बहुत महत्वाकांक्षा रखने वाले और मजबूत इरादे वाले होते हैं। 


SLINEX 24: श्रीलंका-भारत नौसेनिक अभ्यास-Facts in Brief

SLINEX 24: श्रीलंका-भारत नौसेनिक अभ्यास-Facts in Brief

एसएलआईएनईएक्स 24 (श्रीलंका-भारत अभ्यास 2024) जो भारत और श्रीलंका के बीच का नौसेनिक अभ्यास है  जिसका आयोजन 17 से 20 दिसंबर तक विशाखापत्तनम में पूर्वी नौसेना कमान के तत्वावधान में दो चरणों में हुआ। बंदरगाह चरण 17 से 18 दिसंबर तक और समुद्री चरण 19 से 20 दिसंबर तक आयोजित किया गया।

भारत की ओर से पूर्वी बेड़े के आईएनएस सुमित्रा ने विशेष बल टीम के साथ इसमें भागीदारी की, जबकि श्रीलंका नौसेना की ओर से अपतटीय गश्ती पोत एसएलएनएस सयूरा ने विशेष बल टीम के साथ भाग लिया ।

अभ्यास का उद्घाटन समारोह 17 दिसंबर को हुआ और उसके बाद हार्बर चरण हुआ, जिसके दौरान प्रतिभागियों ने पेशेवर और सामाजिक आदान-प्रदान किया। 19 दिसंबर को शुरू हुए समुद्री चरण में दोनों नौसेनाओं के विशेष बलों द्वारा संयुक्त अभ्यास, गन फायरिंग, संचार प्रक्रियाएं, नाविक कौशल के साथ-साथ नेविगेशन विकास और हेलीकॉप्टर संचालन सम्मिलित थे।

दोनो देशों के मध्य द्विपक्षीय अभ्यासों की एसएलआईएनईएक्स श्रृंखला वर्ष 2005 में प्रारंभ की गई थी और तब से नियमित अभ्यास का आयोजन किया जा रहा है। अभ्यास के वर्तमान संस्करण ने दोनों समुद्री पड़ोसियों के बीच संबंधों को और सशक्त किया है और एक सुरक्षित और नियम-आधारित समुद्री डोमेन बनाने में योगदान दिया है, जिससे भारत सरकार के क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) के संकल्प और दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया जा सके ।