आप खुद इस बात का अनुभव करेंगे कि अगर आपका चित प्रसन्न है तो आप बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं और आखिर जीवन में सफल होने के लिए आपके बेहतर प्रदर्शन के अतिरिक्त और क्या चाहिए.
सच्चाई तो यह है कि जीवन मे सच्ची खुशी भीतर से आती है। जब आप अपने जीवन की छोटी-छोटी बातों में खुशी ढूंढने लगते हैं, तो जीवन सफल होने लगता है और यही वह वास्तविकता है जिसे हम खुद के अंदर नहीं ढूंढ पाते हैं।
प्रसन्नता : एक यात्रा है, एक गंतव्य नहीं है. आप अपने दैनिक जीवन में अपने जीवन के लिए खुशी की स्थिति पर विचार करें तो पाएंगे कि प्रसन्न रहने की कला आपके द्वारा घटनाओं को देखने की दृष्टिकोण और मन की स्थिति में निहित है.
आप भले हीं इस पर विश्वास नहीं करें लेकिन जीवन कि वास्तविकता यही है कि "खुशी किसी मंज़िल तक पहुँचने का परिणाम नहीं है, बल्कि यह सफर के दौरान हमारे नजरिये की अभिव्यक्ति है।"
धैर्य और आत्मविश्वास का नहीं छोड़े दामन.... मिलेगी विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता
आपको अपने हर एक उस परिवेश में खुश होने का एक कारण खोजने की कोशिश करनी होगी जिसमें हम रहते हैं,बावजूद इसके कि आपके आस-पास आपको दुखी रखने के लिए पर्याप्त कारक मौजूद है।
"सफलता और खुशी दोनों एक-दूसरे से जुड़ी हैं। खुश रहोगे, तो सफलता अपने आप आपके करीब आएगी।"
हमारे जीवन का अंतिम गंतव्य तो वह टारगेट है जिसके लिए हम अपने जीवन को एक कारण बनाते हैं. लेकिन प्रसन्नता सिर्फ एक यात्रा है और हमारे प्रदर्शन और हमारे जीवन के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रयासों को प्रोत्साहित करने का साधन है.
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जीवन में प्रसन्नता प्रदान करने वाले कारणों को नोट करें और इस बात को आत्मसात करें कि "जिंदगी छोटी है, इसलिए हर पल में खुशी ढूंढो। खुश रहने वाले लोग ही अपनी दुनिया बदल सकते हैं।"
आपको खुश रखने और अपने लक्ष्य को हासिल अभिप्रेरक बनने वाले कारणों को अपने डायरी में लिखें.... आपको प्रसन्न रखने वाले आपके जीवन में तब आपके लिए खास भूमिका निभाएंगे जब आपके दिमाग में निराशावादी और नकारात्मक दृष्टिकोण का विचार आएगा।
गगन पर दो सितारे: एक तुम हो,
धरा पर दो चरण हैं: एक तुम हो,
‘त्रिवेणी’ दो नदी हैं! एक तुम हो,
हिमालय दो शिखर है: एक तुम हो,
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के
-माखनलाल चतुर्वेदी
कहने की जरूरत नहीं है, यदि आप दुखी मनोदशा की स्थिति में आप कोई कार्य कर रहे होते हैं तो आप देखेंगे कि आपके काम की दर बहुत धीमी है साथ हीं आपसे अक्सर गलतियां भी काफी होती है. जाहिर है कि अप्रसन्नता की स्थिति में आप प्रदर्शन सही नहीं रख पाते हैं साथ ही अंत में आप मानसिक तनाव के से भी पीड़ित होते हैं....
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लेकिन अगर आप प्रसन्नता की स्थिति में कोई मुश्किल कार्य को भी करने का बीड़ा उठाते हैं तो काम को एन्जॉय गलतियों की सम्भावना भी कम होती है साथ ही आपका काम निर्धारित समय के भीतर पूरा भी हो जाता है...
जाहिर है...प्रसन्नता की स्थिति में आप अपने प्रदर्शन को अच्छे से दुहरा पाते हैं. पाते हैं....
किसी के रोके न रुक जाना तू,
लकीरें किस्मत की खुद बनाना तू,
कर मंजिल अपनी तू फतह,
कामयाबी के निशान छोड़ दे,
घुट-घुट कर जीना छोड़ दे,
-नरेंद्र वर्मा
सभी के पास खुश होने या दुखी होने का कारण मौजूद है क्योंकि यह आपके मन की स्थिति पर निर्भर करता है.... बस आप कल्पना करें ... आपको किसी भी प्रतीक्षित यात्रा के लिए अपना दिन शुरू करना है तो क्या अप्रसन्नता और नकारात्मक मन की स्थिति के साथ हमारी उस बहुप्रतीक्षित यात्रा को शुरू करना उचित है ...
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क्या आप इस तरह के आधे-अधूरे प्रयासों में यात्रा के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं ... . निश्चित रूप से आपकी अंतरात्मा भी आपको अपनी यात्रा के दौरान खुश रहने की सलाह देगी और अपनी यात्रा के बेहतर परिणाम के लिए प्रसन्न रहने के अतिरिक्त और कोई भी बढ़िया इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपको अपने जीवन की बेहतरी के लिए दुखी और नकारात्मक मानसिकता को नजरअंदाज करना होगा।
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