11 October: अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस, Facts, Date Significance


हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस, दुनिया भर में बालिकाओं को सशक्त बनाने और उनके लिए समाज में सुरक्षित माहौल बनाने की ज़रूरत को पुरजोर तरीके से याद दिलाता है। यह दिन बालिकाओं के अधिकारों और वैश्विक स्तर पर उनसे जुड़ी चुनौतियों के प्रति जागरूक  करने के लिए समर्पित है। अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस बालिकाओं को सशक्त बनाने और उनके मानवाधिकारों को सुरक्षित करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

  • 2024 का थीम -भविष्य के लिए लड़कियों का दृष्टि कोण 
  • बीजिंग में 1995 में महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर आयोजित पर विश्व सम्मेलन,  दुनिया भर में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 दिसंबर, 2011 को संकल्प संख्या 66/170 को पारित किया और 11 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की गई।
  • गर्ल्स विजन फॉर द फ्यूचर:  थीम 2024

भारत सरकार ने समाज में बालिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से कई योजनाएं शुरू की हैं-

  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ  योजना 
  •  सुकन्या समृद्धि योजना 
  •  किशोरियों के लिए योजना (एसएजी) 
  •  मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता
  • अभिनव परियोजना ‘उड़ान’ 
  • बालिकाओं को प्रोत्साहन देने की राष्ट्रीय योजना (एनएसआईजीएसई)
Facts in Brief 
  • आज, 20 से 24 वर्ष की आयु की पाँच में से एक युवती बचपन में ही विवाहित हो गई थी।
  • लगभग चार में से एक विवाहित किशोरियों ने यौन या शारीरिक शोषण का अनुभव का सामना करना  पड़ा  है।
  • विश्व स्तर पर, किशोरों में 75% नए एचआईवी संक्रमण लड़कियों में होते हैं।
  • तीन में से एक किशोर लड़की एनीमिया से पीड़ित है, जो कुपोषण का एक रूप है।
  • लड़कों की तुलना में लगभग दोगुनी संख्या में किशोर लड़कियाँ (चार में से एक) किसी भी तरह की शिक्षा, रोजगार या प्रशिक्षण में नहीं हैं।

Shree Astrology:अक्टूबर मे जन्मे लोगों की खासियत जान आप भी हो जाएंगे हैरान-गांधी, आइंस्टीन, मंडेला आदि मिलिये इन महापुरुषों से

People Born In October Prediction Traits Characteristic

Shree Astrology : अक्टूबर महीने में जन्म लेने वाले लोगों के सबसे बढ़ी खासियत होती है कि ऐसे लोग अक्सर  स्वतंत्र और जिज्ञासु प्रवृति के होते हैं। महात्मा गांधी,  अल्बर्ट आइंस्टीन,  मार्टिन लूथर किंग, जूनियर, नेल्सन मंडेला जैसे महान विभूतियों ने अक्तूबर महीने में जन्म लिया और अपने अपने क्षेत्रों में संसार को नई राह दिखाई।   स्वतंत्रता उनकी चाहत होती है और इनकी यह प्रवृति इनकी सोच और कार्यों में से भी जाहिर होती है. अक्टूबर में जन्म लेने वाले लोग अक्सर नई चीजें सीखने में रुचि रखते हैं साथ ही वाे रचनात्मक और कलात्मक होते हैं और अपने विचारों को व्यक्त करने के नए तरीके खोजते हैं।आइए हम देखते हैं अक्टूबर महीने में जन्म लेने वाले व्यक्तियों की क्या होती है विशेषता, करिअर, स्वभाव और अन्य एस्ट्रोलॉजर कुंडली शास्त्री हिमांशु रंजन शेखर से.

अक्टूबर के कुछ महापुरुषों में शामिल हैं:
  • अल्बर्ट आइंस्टीन, भौतिक विज्ञानी
  • माइकल एंजेलो, चित्रकार और मूर्तिकार
  • वॉल्ट डिज़नी, एनिमेटर और फिल्म निर्माता
  • मार्टिन लूथर किंग, जूनियर, नागरिक अधिकार कार्यकर्ता
  • नेल्सन मंडेला, दक्षिण अफ्रीकी नेता
  • एलेना रॉबिन्सन, आयरिश लेखिका
  • अरविंदो घोष, भारतीय दार्शनिक और योगी
  • महात्मा गांधी, भारतीय स्वतंत्रता सेनानी

 आदर्शवाद के प्रति उनके जीवन में काफी गहरी आस्था
अक्टूबर में जन्म लेने वाले व्यक्ति को नैतिक सिद्धांतों और आदर्शवाद के प्रति उनके जीवन में काफी गहरी आस्था होती है. जहां तक बात धन और संपत्ति की है उनके लिए यह बातें यह चीजें बहुत ज्यादा महत्व की नहीं होती है हां अध्ययन के मामले में वे काफी गंभीर होते हैं और अक्सर वे गूढ़ या रहस्यों से भरे  विषयों को अपनाना चाहते हैं और वे इसमें सफल होते हैं. 

जीवन के कला का विशेष स्थान 

अक्टूबर महीने में जन्म लेने वाले व्यक्ति कला यात्रा के प्रति काफी गंभीर होते हैं और किसी भी प्रकार की कला या कलात्मक चीजों को वे काफी पसंद करते हैं. संगीत हो या पेंटिंग हो या क्राफ्ट हर प्रकार की कलात्मक चीजों को जीवन में हुए काफी महत्व देते हैं.  ऐसे लोग खुद भी इस प्रकार के किसी ने किसी कला को अपने  हॉबी के रूप में अपनाते हैं.  वह वातावरण या परिवार या आसपास के प्रति हर तरफ से कला की चीजों को अपने जीवन में काफी महत्व देते हैं

शांत स्वभाव 

अक्टूबर महीने में जन्म लेने वाले व्यक्तियों की सबसे बड़ी विशेषता होती है कि वे अपने जीवन में काफी गंभीर स्वभाव के होते हैं. आमतौर पर वे लोग जीवन में अशांति या उपद्रव वाली स्थिति  से बचना चाहते हैं या उनसे खुद को अप्रभावित रखते हैं.  उन्हें लगता है कि जीवन में शांति ही प्रगति का एकमात्र सही रास्ता है और अंदर से और बाहर की परिस्थितियों को भी वे आमतौर पर शांति और गंभीरता के साथ पेश आते हैं या इस तरह के किसी भी चीजों से दूर करते हैं जो उनके को असंतुलित करती है या प्रभावित करती है. 

संवेदनशील और गंभीर प्रकृति 

अक्टूबर महीने में जन्म लेने वाले व्यक्ति आमतौर पर काफी संवेदनशील और गंभीर प्रकृति के होते हैं उनके लिए संवेदनशीलता या गंभीरता उनकी कमजोरी नहीं बल्कि जीवन में आगे बढ़ने का उनका हथियार होता है. ऐसा नहीं है कि वह अपने आसपास या परिवार या खुद के प्रति होने वाले उथल-पुथल या  उत्पन्न विपरीत परिस्थितयों को नजरअंदाज करते हैं बल्कि सच यह है कि वे इन परिस्थितियों से निकलने के लिए अपना विकल्प और रास्ता गंभीरता और मिस्टर कूल होकर निकालते हैं. 

प्रखर तर्क शक्ति के स्वामी 

अक्टूबर महीने में जन्म लेने वाले व्यक्तियों की सबसे बड़ी विशेषता होती है कि वह तर्कशक्ति के मामले में सशक्त होते हैं वह आसानी से किसी बात या किसी विचारधारा या किसी स्थान सिद्धांत को नहीं अपनाते हैं. अपने सामने आने वाले किसी भी सिद्धांत या विचारधारा क पहले वे अपने तर्कशक्ति के तराजू पर तौलते हैं और संतुष्ट होने के बाद ही उन्हें अपने जीवन में अपनाते हैं. लेकिन सच यह भी है कि एक बार अगर उन्हें किसी सिद्धांत या विचारधारा ने प्रभावित कर दिया तो वह उस रास्ते पर अपना सब कुछ छोड़ कर निकल जाते हैं. 

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।

नवरात्रि: माँ अम्बे की आरती


भगवान की आरती  उतरना हम सभी बचपन मे हीं अपने घरों से सीखते हैं। शायद ही कोई ऐसा हिन्दू घर होगा जहां पूजा पाठ के दौरान बच्चा आरती से रु बरु नहीं होता है। आरती के दौरान हमेशा खड़ा हो जाना और अंत मे दीपक के लौ को अपने बाल पर लगाना और फिर भगवान का आशीर्वाद लेना हम अपने घरों से हीं सीखते हैं। आरती के दौरान भक्तगन आरती मे जलते दीपक की लौ को देवता के समस्त अंग-प्रत्यंग में बार-बार इस प्रकार घुमाया जाता है कि  हम सभी भक्तगण आरती के प्रकाश में भगवान के चमकते हुए आभूषण और अंगों का प्रत्‍यक्ष दर्शन कर सकें और संपूर्ण आनंद को प्राप्‍त कर सकें।

माँ अम्बे की आरती 

ॐ जय अम्बे गौरी…

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।

सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।

मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,

भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।

शारदीय नवरात्रि 2024 : जानें माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों का पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

 

Chaitra Navtarti 2024 Shailpurti and Nine form of Goddess Durga

शारदीय नवरात्रि 2024 तिथि: 
नवदुर्गा माता के चौथे रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को जीवन की उत्पत्ति को बनाए रखने वाली देवी के रूप में दर्शाया जाता है। कुष्माण्डा माँ का स्वरूप बहुत ही भयंकर और प्रभावशाली होता है। 
 शारदीय नवरात्रि  2024 का आरंभ इस वर्ष  03 अक्टूबर 2024  से आरंभ हो चुकी है । नौ दिनों तक चलने वाले इस महान पर्व के दौरान भक्तगन माँ  दुर्गा के 9 रूपों का पूजन करते हैं ।  शारदीय  नवरात्र का पावन अवसर है जब  देवी दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा कि जाती है जो आम तौर पर नवरात्र शैलपुत्री या प्रतिपदा, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री सहित नौ देवी की पूजा की  जाती है।


दिन और तारीखें                             नवरात्रि पूजा/ तिथि 
गुरुवार, 3 अक्टूबर, 2024             (दिन 1) घटस्थापना/शैलपुत्री प्रतिपदा 
शुक्रवार, 4 अक्टूबर, 2024             ब्रह्मचारिणी द्वितीया 
शनिवार, 5 अक्टूबर, 2024             चंद्रघंटा तृतीया 
रविवार, 6 अक्टूबर, 2024              कुष्मांडा चतुर्थी 
सोमवार, 7 अक्टूबर, 2024              स्कंदमाता पंचमी 
मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024              कात्यायनी षष्ठी 
बुधवार। 9 अक्टूबर, 2024               कालरात्रि सप्तमी
 गुरुवार, 10 अक्टूबर, 2024             महागौरी अष्टमी 
शुक्रवार, 11 अक्टूबर, 2024             सिद्धिदात्री नवमी 
शनिवार, 12 अक्टूबर, 2024             दशहरा दशमी 


नवरात्रि 2024 के अनुसार, माता दुर्गा के नौ रूपों का वर्णन निम्नलिखित है:

शैलपुत्री : 

पहला रूप शैलपुत्री है, जो शैल (पर्वत) की पुत्री कहलाती हैं। इस रूप में माता का ध्यान शुद्धता और त्याग में होता है। वह एक कमंडलु और लोटा धारण करती हैं। देवी शैल पुत्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं जिन्हें भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती के रूप में जाना जाता है। शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना गया है जिसका उल्लेख पुराण में किया गया है। ऐसा कहा गया है कि देवी दुर्गा के सभी नौ स्वरूपों में शैपुत्री प्रथम हैं। जैसा कि हिंदू पौराणिक कथाओं में उल्लेख किया गया है, शैलपुत्री को सती का पुनर्जन्म माना जाता है और वह दक्ष शैलपुत्री की बेटी थीं।

ब्रह्मचारिणी:

 दूसरे रूप में माता ब्रह्मचारिणी हैं, जो तपस्या, ध्यान, और संतान की कल्याण की प्रतीक्षा करती हैं। ब्रह्मचारिणी देवी का नाम नवदुर्गा माता के नौ रूपों में से एक है। इस रूप में माँ दुर्गा को तपस्या, ध्यान, और संतान की कल्याण की प्रतीक्षा का दर्शाया जाता है। 

ब्रह्मचारिणी का स्वरूप उत्तम ध्यान, तपस्या, और संयम का प्रतीक है।  ब्रह्मचारिणी के हाथों में माला और कमंडलु होती है। माला का प्रतीक है ध्यान और मनन, जबकि कमंडलु तपस्या और ब्रह्मचर्य के प्रतीक होती है। वे साधारणतः सफेद वस्त्र पहनती हैं जो उनकी शुद्धता और सात्विकता को दर्शाता है।

चंद्रघंटा: 

तीसरे रूप में माता चंद्रघंटा हैं, जो चंद्र के आकार की स्थापना करती हैं। वह चंद्रमा के रूप में विशेष आसन पर बैठती हैं।  वे चाँद से प्रकाशित होती हैं और उनके मुख पर एक विशालकाय चंद्रमा की प्रतिमा होती है।

चंद्रघंटा माँ के चेहरे की दृष्टि शांतिप्रद होती है, लेकिन उनका रूप विक्रमी और महान होता है। वे अपने दो हाथों में वीणा धारण करती हैं और अपने चेहरे पर चंद्रमा के रूप का चंद्रकोटि धारण करती हैं। चंद्रघंटा माँ के चंद्रकोटि के बीच एक तिरंगा होता है, जो अभिनवता और शक्ति का प्रतीक होता है। उनके साथ अक्षमाला, बेल, और धूप-दीप का सामान होता है, जो पूजन के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। चंद्रघंटा माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उन्हें भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि माँ चंद्रघंटा हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।

कुष्माण्डा देवी:

नवदुर्गा माता के चौथे रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को जीवन की उत्पत्ति को बनाए रखने वाली देवी के रूप में दर्शाया जाता है। कुष्माण्डा माँ का स्वरूप बहुत ही भयंकर और प्रभावशाली होता है। उनकी आंखों का रंग लाल होता है और उनके मुख पर एक उग्र मुस्कान होती है। उनके मुख के एक स्वरूप में उनके आंतरिक शक्तियों को दर्शाता है। कुष्माण्डा माँ के चार हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में छड़ी और दूसरे हाथ में कमंडलु होती है। वे एक शूल और एक बिखरी चाकू धारण करती हैं, जो उनकी उत्पत्ति की प्रतीक हैं। कुष्माण्डा माँ का वाहन एक शेर होता है, जो उनकी शक्ति और साहस को प्रतिनिधित करता है। कुष्माण्डा माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में उत्पन्न होने वाली समस्त समस्याओं और बाधाओं का निवारण प्राप्त करते हैं, और उन्हें सार्थक और समृद्धिशाली जीवन प्राप्त होता है। उनकी पूजा भक्तों को शक्ति और साहस का आशीर्वाद प्रदान करती है।

स्कंदमाता: 

पांचवे रूप में माता स्कंदमाता हैं, जो स्कंद (कार्तिकेय) की माँ हैं। स्कंदमाता, नवदुर्गा माता के पांचवे रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को स्कंद (कार्तिकेय) की माँ के रूप में पूजा जाता है। स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत प्रसन्न और सुंदर होता है। वह एक बालक को अपने गोद में ले कर बैठती हैं, जो कार्तिकेय (स्कंद) को प्रतिनिधित करता है। उनकी विगति आध्यात्मिक और आनंदमयी होती है, और वे आकर्षक साध्वी के रूप में विशेषता दिखाती हैं।स्कंदमाता माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में बच्चों की संतान, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके परिवार की सुरक्षा के लिए आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

कात्यायनी: 

छठे रूप में माता कात्यायनी हैं, जो महिषासुर के वध के लिए उत्तर कुमार की पूजा करती हैं। कात्यायनी देवी का स्वरूप अत्यंत महान और उदार होता है। वह चेहरे पर प्रसन्नता और सौम्यता का प्रतीक होती हैं, लेकिन उनकी दृष्टि उग्र और प्रभावशाली होती है। कात्यायनी देवी के चार हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में खड़ा त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में वीणा होती है। उनके दो हाथ और एक मुद्रा में विशेषता दिखाते हैं, जो उनके शक्ति को प्रतिनिधित करते हैं। कात्यायनी देवी का वाहन सिंह होता है, जो उनकी शक्ति और वीरता को प्रतिनिधित करता है। कात्यायनी माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में स्थिरता, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके सभी कार्यों में सफलता के लिए संयम और निर्णय देती हैं। 

कालरात्रि: 

सातवें रूप में माता कालरात्रि हैं, जो कालरात्रि की उत्पत्ति को बनाए रखने वाली देवी हैं।कालरात्रि देवी का स्वरूप अत्यधिक उग्र और भयंकर होता है। वह काली के रूप में प्रतिष्ठित होती हैं, जिनका चेहरा उग्रता और अद्भुतता से भरा होता है। उनके मुख पर विशालकाय चाकु की प्रतिमा होती है, और उनके आंखों में अग्नि की ज्वाला लगती है। कालरात्रि देवी के चार हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में खड़ा त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में काले रंग का घड़ा होता है। उनकी तीसरी हाथ में दमरू होता है, और चौथे हाथ में वरदान का मुद्रा होता है, जो उनकी शक्ति को प्रतिनिधित करते हैं। कालरात्रि देवी का वाहन भालू होता है, जो उनकी शक्ति और संरक्षण को प्रतिनिधित करता है। कालरात्रि माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में शक्ति, साहस, और अभय की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके सभी भयों और संकटों को दूर करती हैं, और उन्हें संरक्षण और सम्मान का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। 

महागौरी देवी

 नवदुर्गा माता के आठवें रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को शुभ और पवित्र स्वरूप में पूजा जाता है। इस रूप में माँ दुर्गा को उनकी विशेषता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। महागौरी देवी का स्वरूप शानदार और दिव्य होता है। उनका चेहरा प्रकाशमय होता है और वे अत्यंत पवित्र दिखाई देती हैं। वे श्वेत वस्त्र पहनती हैं, जो उनकी निर्मलता और पवित्रता को दर्शाता है। महागौरी देवी के दो हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में वरदान का मुद्रा होता है। उनके चेहरे पर एक मुस्कान होती है, जो उनकी दयालुता और प्रसन्नता को प्रतिनिधित करती है। महागौरी देवी का वाहन सिंह होता है, जो उनकी शक्ति और साहस को प्रतिनिधित करता है। महागौरी माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में शुभ और पवित्र गुणों को प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके सभी दुःखों और बुराइयों को दूर करती हैं, और उन्हें शांति और सुख का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

सिद्धिदात्री:

 नौवें रूप में माता सिद्धिदात्री हैं, जो सभी सिद्धियों की देवी हैं। वह अपने दोनों हाथों में वरदान और वाहन को धारण करती हैं। ये नौ रूप माता दुर्गा के अद्वितीय और प्रतिष्ठित रूप हैं, जो नवरात्रि के नौ दिनों में पूजे जाते हैं। सिद्धिदात्री देवी, नवदुर्गा माता के नौवें और अंतिम रूप में से एक हैं। इस रूप में माँ दुर्गा को सर्वशक्तिमान सिद्धिदात्री के रूप में पूजा जाता है, जो अपने भक्तों को सिद्धियाँ (अच्छे परिणाम) प्रदान करती हैं।

सिद्धिदात्री देवी का स्वरूप अत्यधिक प्रसन्न और उदार होता है। उनका चेहरा प्रकाशमय होता है और उनकी आंखों में अनंत दया और स्नेह की भावना होती है। सिद्धिदात्री देवी के दो हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में खड़ा त्रिशूल होता है और दूसरे हाथ में वरदान का मुद्रा होता है। उनके हाथों में उज्जवल और शुभता की भावना होती है। सिद्धिदात्री देवी का वाहन गदा होता है, जो उनकी सामर्थ्य और शक्ति को प्रतिनिधित करता है। सिद्धिदात्री माँ की पूजा से भक्त अपने जीवन में सिद्धियाँ, सफलता, और अनुग्रह प्राप्त करते हैं। उनकी पूजा से माँ उनके सभी कार्यों में सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।


दशहरा 2024: असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छे के विजय का प्रतीक है विजयादशमी

Happy Dussehra Wishes Facts

दशहरा 2024 :
नवरात्रि जो कि माँ दुर्गा के विभिन्न 9  रूपों के पूजन के बाद  दशहरा या विजयदशमी 2024  का त्यौहार  है. नवरात्रि के दौरान हम माता दुर्गा के सभी रूपों का पूजन करते हैं।  9 दिनों से माँ दुर्गा के अलग-अलग रूपों के पूजन के बाद आने वाले दशहरा या विजयदशमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो मुख्यत:बुराई पर अच्छाई की जीत के  उपलक्ष्य में मनाया जाता है. 

नवरात्र के 10 दिनों के लंबे उत्सव के बाद, अंतिम दिन को विजयदशमी और दशहरा के रूप में भी जाना जाता है। पूरे देश के लिए दशहरे का अपना महत्व है जो भारत के लोगों द्वारा मनाया जा जाता है जो इस वर्ष 12 अक्टूबर को मनाई जाएगी। 

दशहरा या विजयादशमी के अवसर पर लोग रावण, मेघनाद और कुंभकरण का पुतला जलाते हैं। कहने की जरूरत नहीं है, अगर आप रामायण के महाकाव्य के माध्यम से जाते हैं, तो रावण, मेघनाद और कुंभकरण सभी बुराई के प्रतीक थे। उन्होंने रामायण की कहानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है लेकिन गलत कारण के लिए और इसलिए लोग हमारे समाज में बुराई का संदेश देने के लिए तीनों का पुतला जलाते हैं।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, विजयादशमी या दशहरा लंबे दस दिनों के नवरात्रि उत्सव की परिणति पर मनाया जाता है। नवरात्रि त्योहार के दसवें दिन, लोग बुराई पर अच्छाई की जीत को चिह्नित करने के लिए विजयदशमी या दशहरा मनाते हैं।

हालाँकि विजयदशमी या दशहरा हिंदू परंपरा के अनुसार इसलिए भी मनाया जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि यह देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का भी प्रतीक है. लोग बुराई (महिषासुर) पर अच्छाई (देवी दुर्गा) की जीत का कारण मनाने के लिए विजयदशमी या दशहरा मनाते हैं। साथ ही लोग विजयदशमी या दशहरा के दिन को रावण पर भगवान राम की जीत के रूप में भी मनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह विजयदशमी या दशहरा का दिन था जब भगवान राम को बुराई पर सफलता मिलती थी, यानी रावण जिसे बुराई का प्रतीक माना जाता है. 

नवरात्री के दौरान देश में खास तौर पर रामलीला का मंचन किया जाता है जहाँ भगवान् राम और रामायण के प्रसंगों  को भी प्रदर्शित किया जो दस दिनों के नवरात्रि उत्सव के दौरान का प्रमुख उत्सव हैं। नवरात्री के अंत में लोग असत्य पर सत्य के विजयस्वरुप परंपरागत रूप से, रावण, मेघनाद और कुंभकरण के तीन पुतलों को बुराई को चिह्नित करने के लिए दशहरे पर जलाया जाता है।

शारदीय नवरात्रि 2024 : जानें माँ दुर्गा के 9 रूपों का पूजन और अनुष्ठान, तिथि और भी बहुत कुछ

Navratri Know the 9 Manifestation of Goddess Dugra

शारदीय नवरात्रि 2024 : देवी दुर्गा के चौथे स्वरुप के अंतर्गत माँ  कूष्मांडा की पूजा चतुर्थ दिन अर्थात चतुर्थी को की जाती है।  ऐसी मान्यता है कि मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं और मां सिंह की सवारी करती हैं जिनमें से 7 भुजाओं में वे कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत कलश, चक्र और गदा धारण करती हैं.

नवरात्रि प्रसिद्ध हिन्दू त्योहार है जो माता  दुर्गा की पूजा करने का गौरवशाली अवसर है। जैसा कि  हम सभी जानते हैं कि सामान्यता  दो नवरात्रि के प्रमुख अवसर होते हैं-चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र.  चैत्र नवरात्र मूल रूप से चैत्र के महीने में आते हैं, जो कि 12 हिंदी महीने का पहला महीना है। शरद नवरात्र आमतौर पर हिंदी महीने में अश्विन के महीने में पड़ता है। आम तौर पर माँ दुर्गा के 9 रूपों का पूजन किया जाता है जो हैं-शैलपुत्री या प्रतिपदा, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।

इस साल साल 2024  की शारदीय नवरात्रि 03  अक्टूबर से शुरू होगी और 12  अक्टूबर को समाप्त होगी.  शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में, देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है.

शारदीय नवरात्रि 2024 : जानिए देवी दुर्गा के नौ अवतार

दिन और तारीखें                             नवरात्रि पूजा/ तिथि 
गुरुवार, 3 अक्टूबर, 2024             (दिन 1) घटस्थापना/शैलपुत्री प्रतिपदा 
शुक्रवार, 4 अक्टूबर, 2024             ब्रह्मचारिणी द्वितीया 
शनिवार, 5 अक्टूबर, 2024             चंद्रघंटा तृतीया 
रविवार, 6 अक्टूबर, 2024              कुष्मांडा चतुर्थी 
सोमवार, 7 अक्टूबर, 2024              स्कंदमाता पंचमी 
मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024              कात्यायनी षष्ठी 
बुधवार। 9 अक्टूबर, 2024               कालरात्रि सप्तमी
 गुरुवार, 10 अक्टूबर, 2024             महागौरी अष्टमी 
शुक्रवार, 11 अक्टूबर, 2024             सिद्धिदात्री नवमी 

शनिवार, 12 अक्टूबर, 2024             दशहरा दशमी 


नवरात्र के अवसर पर हम नवदुर्गा या दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। हालाँकि, पहले दिन हम देवी शैलपुत्री की पूजा करते हैं, जो देवी दुर्गा के सभी नौ रूपों में सबसे पहले हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा के कुल नौ स्वरूपों की पूजा की गई है- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।

शैलपुत्री को पर्वत हिमालय की पुत्री माना जाता है जिसका उल्लेख पुराण में मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि शैपुत्री देवी दुर्गा के सभी नौ रूपों में प्रथम है। देवी शैलपुत्री को प्रकृति माता का पूर्ण रूप माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि शैलपुत्री का जन्म पर्वतों के राजा, हिमालय शैल के घर में हुआ था और इसलिए उन्हें "शैलपुत्री" के नाम से जाना जाता है।

ब्रह्मचारिणी देवी दुर्गा की दूसरी अभिव्यक्ति है जिसे हम नवरात्र के दूसरे दिन पूजा करते हैं। देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप का नाम चंद्रघंटा है और हम नवरात्र के तीसरे दिन पूजा करते हैं।

कुष्मांडा देवी दुर्गा की चौथी अभिव्यक्ति है और नवरात्र के चौथे दिन इनकी पूजा की जाती है। पांचवीं कुष्मांडा, छठी कात्यायनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और देवी सिद्धिदात्री देवी दुर्गा की नौवीं अभिव्यक्ति हैं।

Shardiya Navratri 2024 : जानें माँ दुर्गा के 9 रूपों के बारे में, महत्व और पूजन विधि


Navratri Maa Dugra ke 9 rup aur significance

नवरात्री 2024: देवी दुर्गा के चौथे स्वरुप के अंतर्गत माँ  कूष्मांडा की पूजा चतुर्थ दिन अर्थात चतुर्थी को की जाती है।  ऐसी मान्यता है कि मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं और मां सिंह की सवारी करती हैं जिनमें से 7 भुजाओं में वे कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत कलश, चक्र और गदा धारण करती हैं.
मां दुर्गा  की आराधना और माता रानी के पूजन को समर्पित नवरात्रि  2024  का आरंभ 03  अक्टूबर 2024 से आरंभ हुई जो 12  अक्टूबर को समाप्त होगी.  हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है। साल भर में चैत्र और शारदीय नवरात्रि का खास महत्व होता है जब हम माता दुर्गा के सभी रूपों का पूजन करते हैं। नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-आराधना करने का विधान होता है। 

शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में, देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. ये रूप हैं:
  1. शैलपुत्री
  2. ब्रह्मचारिणी
  3. चंद्रघंटा
  4. कुष्मांडा
  5. स्कंदमाता
  6. कात्यायनी
  7. कालरात्रि
  8. महागौरी
  9. सिद्धिदात्री

दिन और तारीखें                             नवरात्रि पूजा/ तिथि 
गुरुवार, 3 अक्टूबर, 2024             (दिन 1) घटस्थापना/शैलपुत्री प्रतिपदा 
शुक्रवार, 4 अक्टूबर, 2024             ब्रह्मचारिणी द्वितीया 
शनिवार, 5 अक्टूबर, 2024             चंद्रघंटा तृतीया 
रविवार, 6 अक्टूबर, 2024              कुष्मांडा चतुर्थी 
सोमवार, 7 अक्टूबर, 2024              स्कंदमाता पंचमी 
मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024              कात्यायनी षष्ठी 
बुधवार। 9 अक्टूबर, 2024               कालरात्रि सप्तमी
 गुरुवार, 10 अक्टूबर, 2024             महागौरी अष्टमी 
शुक्रवार, 11 अक्टूबर, 2024             सिद्धिदात्री नवमी 
शनिवार, 12 अक्टूबर, 2024             दशहरा दशमी 


प्रथम दुर्गा मां शैलपुत्री 

  • नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है।
  • ऐसी मान्यता है कि पर्वतराज हिमालय के घर देवी ने पुत्री के रूप में जन्म लिया और इसी कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। 
  • मां ब्रह्मचारिणी दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमण्डल लिए हुई हैं।
  • मां शैलपुत्री को प्रकृति का प्रतीक माना जाता है तथा भक्त यह मानते हैं कि माता शैलपुत्री जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता का सर्वोच्च शिखर प्रदान करती हैं। 
  • माता शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल रहता है तथा इनका वाहन वृषभ (बैल) है।
  •  मां शैलपुत्री का पूजन घर के सभी सदस्य के रोगों को दूर करता है एवं घर से दरिद्रता को मिटा संपन्नता को लाता है। 


द्वितीय दुर्गा मां ब्रह्मचारिणी

  • नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाती है.
  • ऐसी मान्यता है कि  शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और उन्हें ब्रह्म ज्ञान प्राप्त हुआ था, इसीलिए इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। 
  •  मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में जप की माला रहती है। 
  •  देवी दुर्गा का यह स्वरूप हमें  संघर्ष से विचलित हुए बिना सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
  • कहा जाता है कि  मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने और उनका कृपा प्राप्त करने के लिए कमल और गुड़हल के पुष्प अर्पित करने चाहिए।

तृतीय दुर्गा चंद्रघण्टा

  • नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है.
  • मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चंद्रमा विराजमान है, जिस वजह से मां का नाम चंद्रघंटा पड़ा।
  • मां चंद्रघंटा के दस हाथ हैं जिनमें कमल का फूल, कमंडल, त्रिशूल, गदा, तलवार, धनुष और बाण है।
  • माता का एक हाथ जहाँ आशीर्वाद देने की मुद्रा में रहता है वही  दूसरा हाथ सदैव भक्तों के लिए अभय मुद्रा में रहता है, जबकि शेष बचा एक हाथ वे अपने हृदय पर रखती हैं।
  • मां चंद्रघंटा का वाहन बाघ है। 
  • ऐसी मान्यता है कि  माँ चंद्रघंटा की कृपा से भक्तों को सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा इनकी कृपा से भक्तों को अपने  मन को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है।


चतुर्थ दुर्गा कूष्मांडा

  • देवी दुर्गा के चौथे स्वरुप के अंतर्गत माँ  कूष्मांडा की पूजा की जाती है 
  • ऐसी मान्यता है कि मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं और मां सिंह की सवारी करती हैं जिनमें से 7 भुजाओं में वे कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत कलश, चक्र और गदा धारण करती हैं.
  • माँ कूष्मांडा काआठवां हस्त सर्व सिद्धि और सर्व निधि प्रदान करने वाली जपमाला से सुशोभित रहती हैं। 


पंचम दुर्गा मां स्कंदमाता 

  • नवरात्रि के पांचवे दिन देवी स्कंदमाता का पूजन किया जाता है।
  •  ऐसी मान्यता है कि स्कंदमाता का वर्ण पूर्णत: श्वेत है
  •  मां की चार भुजाएं हैं और मां ने अपनी दाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान कार्तिकेय को पकड़ा हुआ है और ऊपर वाली बाई भुजा से आशीर्वाद देती हैं। 
  • मां  स्कंदमाता का वाहन सिंह हैऔर इस रूप को पद्मासना के नाम से भी जाना जाता है। 
  • ऐसा कहा जाता है कि मां स्कंदमाता वात्सल्य विग्रह होने के कारण इनकी हाथों में कोई शस्त्र नहीं होता। 
  • मां स्कंदमाता के स्वरुप के पूजन और प्रसन्नता से भक्तगण को ज्ञान की प्राप्ति होती है क्यंकि माँ स्कन्द माता को  को ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।


षष्ठी दुर्गा मां कात्यायनी 

  • नवरात्री के छठे दिन मां कात्यायनी स्वरुप का पूजा किया जाता है. 
  • ऐसी मान्यता है कि ऋषि के गोत्र में जन्म लेने के कारण इन देवी का नाम कात्यायनी पड़ा।
  • मां का रंग स्वर्ण की भांति अन्यन्त चमकीला है और इनकी चार भुजाएं हैं। 
  • मां कात्यायनी देवी को अति गुप्त रहस्य एवं शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. 
  • ऐसी मान्यता है कि मां कात्यायनी के पूजन से मनुष्य के आंतरिक सूक्ष्म जगत से नकारात्मकता होता है तथा वहां सकारात्मक  ऊर्जा प्राप्त होती है.  
  • देवी कात्यायनी का वाहन खूंखार सिंह है जिसकी मुद्रा तुरंत झपट पड़ने वाली होती है। 


सप्तम दुर्गा मां कालरात्रि 

  • देवी कालरात्रि की पूजा हम नवरात्रि के सातवें दिन करते हैं।
  • मां कालरात्रि के बारे में कहा जाता है कि इनकी पूजा मात्र से हीं मनुष्यों को भय से मुक्ति प्राप्त हो जाती है. 
  •  माता कालरात्रि तमाम आसुरिक शक्तियों का विनाश करने वाली हैं। 
  • मां के चार हाथ और तीन नेत्र हैं। 
  • मां  कालरात्रि की पूजन से अनिष्ट ग्रहों द्वारा उत्पन्न दुष्प्रभाव और बाधाएं भी नष्ट हो जाती हैं.
  • माता कालरात्रि का यह रूप उग्र एवं भयावह है जिनके बारे में मान्यता है की वह काल पर भी विजय प्राप्त करने वाली हैं। 
  • इनका वाहन गर्दभ (गधा) होता है। 


अष्टम दुर्गा मां महागौरी

  • नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी का पूजन किया जाता है.
  • ऐसी मान्यता है कि जब माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था. \
  • ऐसी मान्यता है कि प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अर्धांगिनी रूप में स्वीकार किया तथा भगवन की कृपा से पवित्र गंगा की जलधारा जब माता पर अर्पित की तो उनका रंग गौर हो गया। 
  • माता महागौरी का वाहन वृषभ है। 


नवम दुर्गा माँ सिद्धिदात्री

  • नवरात्रि के अंतिम दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा होती है.
  •  जैसा कि नाम से ही प्रतीत होती है, देवी का यह स्वरुप सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं.
  • सिद्धिदात्री माता के कारण ही अर्धनारीश्वर का जन्म हुआ है जिनका वाहन सिंह है। 
  • माँ सिद्धिदात्री के दाएं और के ऊपर वाले हाथ में गदा और नीचे वाले हाथ में चक्र रहता है.
  • नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा के उपरांत कन्या पूजन करना चाहिए जिससे देवी सबसे अधिक प्रसन्न होती हैं

शारदीय नवरात्री 2024: जानें माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा तिथि, महत्व और अन्य जानकारी

Navratri Manifestation  of 9 Goddess form of Dugra
शारदीय नवरात्रि 2024: 
शारदीय नवरात्रि  2024 का आरंभ इस वर्ष  03 अक्टूबर 2024  से आरंभ हो चुकी है । नौ दिनों तक चलने वाले इस महान पर्व के दौरान भक्तगन माँ  दुर्गा के 9 रूपों का पूजन करते हैं ।  शारदीय  नवरात्र का पावन अवसर है जब  देवी दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा कि जाती है जो आम तौर पर नवरात्र शैलपुत्री या प्रतिपदा, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री सहित नौ देवी की पूजा की  जाती है। 
यह एक नौ दिवसीय त्योहार है जो हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की पूजा के लिए मनाया जाता है. नवरात्रि का पहला दिन प्रतिपदा और नौवां दिन दशमी के रूप में जाना जाता है. 

क्या होता है चैत्र और शारदीय नवरात्र दोनों मे विशेष अंतर?

चैत्र और शारदीय नवरात्रि दोनों ही  नवरात्रि का अलग-अलग रूप है जो हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार हैं। लेकिन इन दोनों में कुछ अंतर होते हैं। चैत्र नवरात्रि सामान्यत: हिंदू कैलेंडर के अनुसार हिन्दी के चैत्र मास में मनाई जाती है। वहीं शारदीय नवरात्रि सामान्यत: आश्विन मास के अश्विनी पक्ष में मनाया जाता है, जो सितंबर या अक्टूबर में होता है।

चैत्र नवरात्रि खासतौर पर ज्यादातर उत्तर भारतीय राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं शारदीय नवरात्री  उत्सव भारत भर में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, खासकर पश्चिमी भारत में। नवरात्री के इन दिनों में, लोग धार्मिक परंपराओं, रस्मों, और उत्सवों में भाग लेते हैं, जिनमें दंगल, रास लीला, गरबा, दंडिया रास, और दुर्गा पूजन शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि शारदीय नवरात्री का त्योहार हिंदुओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. नवरात्रि के दौरान, लोग देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. वे देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री.


मुख्य तौर पर नवरात्री वर्ष में दो अवसरों पर मनाये जाते हिन् जिन्हे हम मौसम के अनुसार विभाजित करते हैं-चैत्र और शरद नवरात्र। चैत्र नवरात्र मूल रूप से चैत्र के महीने में आते हैं, जो कि 12 हिंदी महीने का पहला महीना है।

नवरात्रि मनाने के लिए, भक्त एक ही देवता की पूजा करते हैं, विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। नवरात्र के अवसर पर हम नवदुर्गा या दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। हालाँकि, पहले दिन हम देवी शैलपुत्री की पूजा करते हैं, जो देवी दुर्गा के सभी नौ रूपों में सबसे पहले हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा के कुल नौ रूपों की पूजा की गई है- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।

दिन और तारीखें                             नवरात्रि पूजा/ तिथि 
गुरुवार, 3 अक्टूबर, 2024             (दिन 1) घटस्थापना/शैलपुत्री प्रतिपदा 
शुक्रवार, 4 अक्टूबर, 2024             ब्रह्मचारिणी द्वितीया 
शनिवार, 5 अक्टूबर, 2024             चंद्रघंटा तृतीया 
रविवार, 6 अक्टूबर, 2024              कुष्मांडा चतुर्थी 
सोमवार, 7 अक्टूबर, 2024              स्कंदमाता पंचमी 
मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024              कात्यायनी षष्ठी 
बुधवार। 9 अक्टूबर, 2024               कालरात्रि सप्तमी
 गुरुवार, 10 अक्टूबर, 2024             महागौरी अष्टमी 
शुक्रवार, 11 अक्टूबर, 2024             सिद्धिदात्री नवमी 
शनिवार, 12 अक्टूबर, 2024             दशहरा दशमी 


 शैलपुत्री को पर्वत हिमालय की पुत्री माना जाता है जिसका उल्लेख पुराण में मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि शैपुत्री देवी दुर्गा के सभी नौ रूपों में प्रथम है। देवी शैलपुत्री को प्रकृति माता का पूर्ण रूप माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि शैलपुत्री का जन्म पर्वतों के राजा, हिमालय शैल के घर में हुआ था और इसलिए उन्हें "शैलपुत्री" के नाम से जाना जाता है।

आमतौर पर हम नवरात्र को मनाने के लिए दो अवसरों का उपयोग करते हैं जिन्हें चैत्र नवरात्र और आश्विन नवरात्र के नाम से जाना जाता है। प्रसिद्ध हिंदू चैत्र नवरात्रि हिंदी कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने में शुरू होती है। चैत्र हिंदी 12 महीने का पहला महीना है जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मार्च/अप्रैल में माना जाता है।

 ब्रह्मचारिणी देवी दुर्गा की दूसरी अभिव्यक्ति है जिसे हम नवरात्र के दूसरे दिन पूजा करते हैं। देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप का नाम चंद्रघंटा है और हम नवरात्र के तीसरे दिन पूजा करते हैं।

 कुष्मांडा देवी दुर्गा की चौथी अभिव्यक्ति है और नवरात्र के चौथे दिन इनकी पूजा की जाती है। पांचवीं कुष्मांडा, छठी कात्यायनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और देवी सिद्धिदात्री देवी दुर्गा की नौवीं अभिव्यक्ति हैं।

नवरात्रि में भक्तगण माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं और मनाने के लिए, भक्त एक ही देवता की पूजा और अनुष्ठान करते हैं।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने  पेशेवर सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।

Point Of View : सेल्फ डिसिप्लिन के महत्त्व को समझे, विकसित करने के टिप्स, महत्वपूर्ण कोट्स

  Point of View Point of View najariya importance of self discipline in life


Point of View: सेल्फ डिसिप्लिन लाइफ या स्व-अनुशासन एक शक्तिशाली कौशल है जो आपको अपने जीवन में न केवल महत्वपूर्ण लक्ष्य  हासिल करने आपको मदद करता है बल्कि यह आपके जीवनशैली को एक परफेक्ट लाइफस्टाइल में बदल देता है. सेल्फ डिसिप्लिन लाइफ या स्व-अनुशासन ठीक वैसे ही हैं जैसे हम खुद के लिए नियमों को बनाने वाले होते हैं और उसे पालन करने में खुद को मजबूर भी करते हैं. आप कह सकते हैं यह अपने आप में ठीक वैसे ही है जैसे आप नियम निर्माता भी हैं, पालन करने वाले भी हैं और उन्हें मॉनिटरिंग करने वाले भी खुद है. यह आपको सिखाती है कि अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कैसे अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करने और अपने सपनों को पूरा करने में सक्षम बनाता है. यदि आप स्व-अनुशासन विकसित करना चाहते हैं, तो भले हीं  शुरू में आपक्को कुछ परेशानी हो लेकिन यह असंभव भी नहीं है. आप इन टिप्स की मदद से इसे लागु कर सकते हैं.

सेल्फ डिसिप्लिन लाइफ या स्व-अनुशासन हमारे जीवन में इतना महत्वपूर्ण है जिसके माध्यम से हम बिना किसी अतिरिक्त मोटिवेशनल डोज़ लिए हम अपने जीवन की सार्थकता को साबित कर सकते हैं. सेल्फ डिसिप्लिन लाइफ या स्व-अनुशासन का महत्त्व हमारे जीवन में ठीक ऐसा ही है जैसे कि हमारे शरीर के लिए हवा की जरुरत होती है वैसे ही हमें इस अपने जीवन का अभिन्न अंग की तरह बनाकर अपने साथ रखना होगा. 

आत्म-अनुशासन जीवन का अभ्यास आपको वह करने की क्षमता प्रदान करता है जो आपके जीवन की सार्थकता और सम्पूर्णता को प्राप्त करने में सहायता करती है. क्योंकि आप जानते हैं कि आप अपने मन में किसी भी सपने को प्राप्त करना सीख सकते हैं ... इसलिए जीवन में आत्म अनुशासन के लिए जरुरी पांच स्तंभों को हमेशा याद रखें जो आपको जीवन के किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने और जीवन की सम्पूर्णता की और ले जाती है -स्वीकृति, इच्छाशक्ति, कठोर परिश्रम, मेहनती और दृढ़ता।

स्व-अनुशासन को  विकसित करने के टिप्स 

  • अपने लक्ष्यों को निर्धारित करें और उन्हें प्राप्त करने के लिए एक योजना बनाएं.
  • अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प और समर्पण रखें.
  • अपने आप को नियमित रूप से प्रेरित करें और प्रोत्साहित करें.
  • अपने आप को छोटी-छोटी उपलब्धियों के लिए पुरस्कृत करें.
  • स्व-अनुशासन एक जीवन भर की यात्रा है, लेकिन यह एक यात्रा है जो आपको अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल करने में मदद कर सकती है. इसलिए, आज ही स्व-अनुशासन विकसित करना शुरू करें और अपने सपनों को पूरा करें.


सेल्फ डिसिप्लिन लाइफ या स्व-अनुशासन: महत्वपूर्ण कोट्स 

  • "सफलता का रहस्य स्व-अनुशासन है." - एलेन वार्क
  • "स्व-अनुशासन ही वह शक्ति है जो आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाती है." - लाओ त्ज़ू
  • "स्व-अनुशासन ही वह कौशल है जो आपको अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाता है." - ब्रूस ली
  • "स्व-अनुशासन ही वह शक्ति है जो आपको अपने जीवन को नियंत्रित करने और अपने सपनों को पूरा करने में सक्षम बनाती है." - नेपोलियन हिल
  • "स्व-अनुशासन ही वह नींव है जिस पर आप अपने जीवन का निर्माण कर सकते हैं." - विलियम जेम्स

आत्म-अनुशासन आपके जीवन के हर प्रयास में बनने वाला अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण कारक है..जो न केवल आपके जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है..बल्कि यह भ्रम की स्थिति में भी आपके जीवन को हमेशा सही रास्ते पर लाता है और यह हमारे जीवन में क्या करना है और क्या नहीं करना है के बीच की रेखा का सीमांकन करता है।



 दैनिक जीवन ... आत्म-अनुशासन वह कारक है जो आपको अपने आवेगों, भावनाओं, प्रतिक्रियाओं और व्यवहारों को नियंत्रित करने के लिए प्रदान करता है। अपने जीवन में आत्म-अनुशासन के महत्व को नियंत्रित करें और समझें... यह आपको अल्पकालिक संतुष्टि के बदले दीर्घकालिक संतुष्टि और लाभ के बारे में सोचने के लिए परिपूर्ण बनाएगा।

नजरिया जीने का: पढ़ें और भी...

रिश्ते खास हैं, इन्हे अंकुरित करें प्रेम से, जिंदा रखें संवाद से और दूर रखें गलतफहमियों से

इमोशनल हैं, तो कोई वादा नहीं करें और गुस्से में हों तो इरादा करने से परहेज करें

स्व-अनुशासन के महत्त्व को समझे और जीवन को बनाएं सार्थक 

रखें खुद पर भरोसा,आपकी जीत को कोई ताकत हार में नहीं बदल सकती



Point Of View: ख़ामोशी आपकी कमजोरी नहीं, भविष्य की सफलता वाले धमाका का बुनियाद है ये

Inspiring Thoughts How Silence Speaks

Point Of View :  आपकी चुप्पी, शांत नेचर और गंभीर व्यक्तित्व जिसे दुनिया ख़ामोशी कहती है वास्तव में यह आपकी सकारात्मक ऊर्जा है जो एक दिन सफलता का धमाका करने वाली शक्ति का काम करेगी.  आपके अंदर अगर उपरोक्त वर्णित खूबियां है तो फिर आप इसे अपनी कमजोरी नहीं समझे क्योंकि आपकी सफलता और लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यह सबसे सुन्दर और प्रभावी हथियार है जो एक दिन धमाका करके आपकी प्रयासों को नया आयाम देगी. हाँ,  ये सच है कि  इस भाग-दौड़ के जीवन में शांति और स्थिरता की तलाश मुश्किल है लेकिन क्या यह भी सच नहीं है कि इसी शांति अर्थात मौन और स्थिरता के आभाव में हम अपना आज और कल भी बर्बाद कर रहे हैं. 

व्यस्तता जरुरी है क्योंकि आज की जीवन में भाग दौड़ और आराम का नहीं होना प्रगति और आगे बढ़ते रहते का पैमाना बना दिया गया है. जो आज जितना व्यस्त है, उसका कल उतना हीं सुरक्षित है. लेकिन क्या, खुद से बात करने के लिए अगर हमारे पास 24 घंटे में 10 मिनट भी नहीं है, तो क्या हम इस जीवन की बदौलत ही आज और कल सुरक्षित रख सकेंगे? 

याद रखना दोस्तों... अगर 24 घंटे में 10 मिनट खुद से बात करने के लिए आपके पास नहीं हैं तो तो फिर आप संसार के सबसे सुन्दर व्यक्तित्व से रुबरु होने के मौके को गंवा रहे है.... 

आप एक बार अपने तमाम व्यस्तता से प्रति दिन 10 मिनट निकल कर खुद के लिए सोच कर तो देखिये...ये 10 मिनट की साइलेंस ये शांति और चुप्पी की महत्ता को आप तब समझेंगे जब एक बार स्थिर रह कर खुद से बात करने का वक्त निकलना शुरू करेंगे...

असफलता एक चुनौती है… स्वीकार करो…

क्या कमी रह गयी, देखो और सुधार करो…

जब तक ना सफल हो नींद-चैन को त्यागो तुम…

संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम…

कुछ किये बिना ही जयजयकार नहीं होती…

हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती…

-हरिवंश राय बच्चन


उम्र बीत जाती है खुद से बात किये और तब आप खुद से बात करके ही क्या करेंगे जब शरीर पर खुद का नियंत्रण हीं नहीं होगा... तब तो आप खुद से बात करने को मजबूर होंगे...क्योकि तब दुनिया भी आपको आउटडेटेड समझ चुकी होंगी और आप असहाय होकर खुद से बात करने को मजबूर होंगे... 

विश्वास करें,,, जिस व्यस्त जीवन में खोकर आप आज खुद के लिए 10 मिनट नहीं निकल पा रहे हैं, इस जीवन की असलियत भी यही है...आखिर हम काटेंगे तो वही न जिसे आज बो रहे है... 

आप खुद से बात करना शुरू तो कीजिये...यह आपके न केवल आज बल्कि आपके सुन्दर और सुरक्षित भविष्य के लिए भी जरुरी है... आपके परिवार के उन सदस्यों के सुरक्षित भविष्य के लिए भी जरुरी है जिनके सुख सुविधा के इंतजाम के लिए आज आप व्यस्त होने को जीवन की सफलता का पैरामीटर बना चुके हैं... 

नर हो, न निराश करो मन को

 कुछ काम करो, कुछ काम करो

 जग में रहकर कुछ नाम करो

-मैथिलीशरण गुप्त


एक बार आप खुद के अलावा अपने परिवार के उन सदस्यों के साथ..खास तौर पर बुजुर्ग माता पिता के साथ बैठकर उनके संघर्ष वाले दिनों की चर्चा को हीं  सुन लीजिये,. बस इस बारे में सोचें कि आपके जीवन में आपके लिए क्या महत्वपूर्ण है... विश्वास कीजिये, उनके चेहरा पर मिलने वाले संतोष और आनंद आपके व्यस्तता के लाइफ को और भी उत्साह से भर देगा... आप अपने भविष्य के लिए और भी दुगुना लगन और उत्साह के साथ जुट जायेगें... 


शारदीय नवरात्रि मां ब्रह्मचारिणी: जानें महिमा, कैसे करें पूजन

Goddess Brahmacharini how to worshipp

नवरात्रि के दूसरे दिन हम मां दुर्गा के जिस स्वरूप को पूजा करते हैं उन्हें  मां ब्रह्मचारिणी के नाम से बुलाते हैं।

मां ब्रह्मचारिणी नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाती है जिनके बारे में मान्यता है कि उन्हें ब्रह्म ज्ञान प्राप्त हुआ था, इसीलिए इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।

ऐसी मान्यता है कि  शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और उन्हें ब्रह्म ज्ञान प्राप्त हुआ था, इसीलिए इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।

 मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में जप की माला रहती है। 

 देवी दुर्गा का यह स्वरूप हमें  संघर्ष से विचलित हुए बिना सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।कहा जाता है कि  मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने और उनका कृपा प्राप्त करने के लिए कमल और गुड़हल के पुष्प अर्पित करने चाहिए।

महात्मा गांधी विश्व नेताओं की नज़र में @अल्बर्ट आइंस्टीन, मार्टिन लूथर किंग, दलाई लामा, नेल्सन मंडेला और अन्य


मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है, भारत के एक प्रमुख राजनीतिक और आध्यात्मिक नेता थे, जिन्हें राष्ट्रपिता के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने देश की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उन्होंने 1922 में असहयोग आंदोलन और 1930 में नमक मार्च और बाद में 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में देश का नेतृत्व किया।

महात्मा गांधी वह व्यक्तित्व थे जिन्होंने सत्य और अहिंसा के अपने दर्शन से लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया। अहिंसक प्रतिरोध के उनके दर्शन, जिसे अक्सर "सत्याग्रह" के रूप में संदर्भित किया जाता है, ने दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया और आज भी नेताओं और कार्यकर्ताओं को प्रभावित करना जारी रखता है।

गांधी ने दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया, जिनमें महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन, प्रसिद्ध आध्यात्मिक नेता दलाई लामा और शामिल हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के सबसे प्रसिद्ध नागरिक अधिकार नेताओं में से एक, मार्टिन लूथर किंग जूनियर किंग ने गांधी के बारे में उनके लेखन और 1959 में भारत की यात्रा के माध्यम से जाना। किंग ने अपने नागरिक अधिकार अभियान में अहिंसा के गांधीवादी सिद्धांत से बहुत कुछ सीखा।

महात्मा गांधी के विचार शांति, सेवा, करुणा और अहिंसा के प्रतीक हैं और वे आज भी हमारे समाज के लिए आवश्यक हैं। महात्मा गांधी की शिक्षाएं एक सामंजस्यपूर्ण, समावेशी और समृद्ध वैश्विक भविष्य के लिए हमारे सामूहिक दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करने के लिए पर्याप्त हैं।

आने वाली पीढ़ियां, शायद ही कभी यह विश्वास करेंगी कि इस तरह का एक व्यक्ति कभी इस धरती पर चला था।अल्बर्ट आइंस्टीन

"महात्मा गांधी मेरे राजनीतिक गुरु हैं। उनकी शिक्षाओं ने मुझे स्वतंत्रता के लिए हमारे संघर्ष के सबसे अंधेरे क्षणों में एक नैतिक दिशा प्रदान की।"- नेल्सन मंडेला

"ईसा मसीह ने हमें प्रेम का लक्ष्य दिया और गांधी ने हमें विधि दी।" बराक ओबामा: "गांधी ने मुझे प्रेम और करुणा से संचालित होने वाली दुनिया के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित किया।"- मार्टिन लूथर किंग जूनियर

"गांधी की विरासत मानवता के लिए शांति और आशा की विरासत है।"- एंजेला मर्केल

"महात्मा गांधी मानव स्वभाव की गहरी समझ रखने वाले एक महान इंसान थे और उन्होंने मानव क्षमता के सकारात्मक पहलुओं के पूर्ण विकास को प्रोत्साहित करने और नकारात्मक को कम करने या नियंत्रित करने के लिए हर संभव प्रयास किया।" - दलाई लामा

जस्टिन ट्रूडो: "महात्मा गांधी इतिहास में एक महान व्यक्ति थे, और उनकी शिक्षाएँ दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करती रहती हैं।"

महात्मा गांधी की शिक्षाएँ और विचार आज भी लोगों को प्रकाश प्रदान कर रहे हैं और उनके उद्धरण आपको प्रज्वलित करने के लिए पर्याप्त शक्ति रखते हैं।

गांधी के उद्धरण।

"आपको वह बदलाव खुद बनना चाहिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।"

"खुद को खोजने का सबसे अच्छा तरीका है दूसरों की सेवा में खुद को खो देना।"

"आँख के बदले आँख लेने से पूरी दुनिया अंधी हो जाती है।"

"आप मुझे जंजीरों में जकड़ सकते हैं, आप मुझे यातना दे सकते हैं, आप इस शरीर को नष्ट भी कर सकते हैं, लेकिन आप मेरे दिमाग को कभी कैद नहीं कर सकते।"

"अगर इसमें गलती करने की आज़ादी शामिल नहीं है, तो आज़ादी बेकार है।"

"किसी देश की महानता और उसकी नैतिक प्रगति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसके जानवरों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है।" पहले, वे आपको अनदेखा करते हैं, फिर वे आप पर हंसते हैं, फिर वे आपसे लड़ते हैं, फिर आप जीत जाते हैं।"

"ऐसे जियो जैसे कि कल ही मरना है। ऐसे सीखो जैसे कि हमेशा के लिए जीना है।"

Point Of View : अपनों की कीमत को पहचाने, घृणा, लालच और उपेक्षा से नहीं करें संबंधों की हत्या


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Point Of View: हमें कोई अधिकार नहीं है कि हम कुछ अपने गलत आदतों या मानवीय दुष्कृतियों जैसे लोभ, लालच, द्वेष आदि के कारण उन अपनों से मुँह मोड़ लेना जिनके बगैर कभी हम जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते थे. आये दिन आप  यह पढ़ते हैं कि छोटे-छोटे विवादों में भाई न भाई पर आघात किया, क्या इसे प्रासंगिक कही ना सकती है. वही दोनों भाई जब छोटे होते हैं तो एक के बगैर दूसरा नहीं रह पाता लेकिन घृणा, लालच और उपेक्षा जब दोनों के बीच में आ जाती है तो एक दूसरे के वे शत्रु बन जाते हैं वह भी तब जब वे समझदार हो जाते हैं. क्या यही है हमारी शिक्षा और नैतिकता की चरम स्थिति. 

आज की इस व्यस्त जीवन शैली में मौजूद परेशानियों ओर जीवन के भागदौड़ में अक्सर हम अपनों से दूर होते जा रहे हैं। निसंदेह आज के इस दौड़ में जहां जीवन की प्रगति का माध्यम भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से मापी जाती है, ऐसी स्थिति में यह स्वाभाविक भी है। 



लेकिन क्या जीवन में संबंधों की गलाघोंटने और उन्हें खत्म करने के लिए सिर्फ व्यस्त जीवनशैली ही जिम्मेदार है? क्या यह सच नहीं कि हम अपने कर्मों और अपने आचरणों से इन संबंधों की हत्या कर अपने संबंधियों से दूर नही होते जा रहे।

सच तो यह  है कि सम्बन्धों की कभी भी अपनी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती है बल्कि इनकी हत्या सदैव मनुष्य ही अपने कर्मों या असामान्य और कभी कभी कभी जान बूझकर अपने कलुषित आचरणों से इनकी हत्या करता है।

आखिर ये मानवीय भूल या आचरण ही तो हैं जिन्हे हम घृणा कहें या क्रोध या लालच, को अक्सर हमारे अपनों को हमसे दूर करते हैं।




कभी हम उपेक्षा करके या कभी भ्रम या संदेह से तो इन संबंधों का पलीता लगाते हैं जो न केवल हमें अपनों से दूर करते हैं बल्कि हमें अकेला बनाकर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक जहरीला परिवेश का निर्माण करते हैं।

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