Point Of View : सकारात्मक सोचें, सकारात्मक पक्षों को देखें और सकारात्मक दृष्टिकोण रखें

Inspiring Thoughts Positive Attitude and its Importance in Life
Point Of View:  
क्या कभी आपने  इस विषय पर  विचार किया है कि आखिर आज के भाग-दौड़ के निवान मे सकारात्मक रहना और पाज़िटिव सोच क्यों महत्वपूर्ण है? आपको भले ही या अविसविश्वानीय लगे लेकिन यह सच है कि सकारात्मक सोच महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर लाभकारी प्रभाव डालती  है। जो लोग जीवन के प्रति अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, वे तनाव से बेहतर तरीके से निपटते हैं, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है और समय से पहले मृत्यु का जोखिम कम होता है।इस सच्चाई से भला किसे इनकार हो सकता है कि जीवन में मुश्किलें आती रहती हैं और जीवन कभी भी फूलों का सेज नहीं रहा। आप इतिहास उठाकर देख लें, जिसकों जीवन मे जितना ऊपर जाना होता है, उसके रास्ते मे प्रकृति ने उतने ही बाधाओं एयर काँटों को बिछाकर उनका परीक्षा लेती है। कहते हैं न,
" वही पथ क्या  पथिक परीक्षा क्या,  जिस पथ मे बिखरे शुल न हो। 
नाविक कि धैर्य परीक्षा क्या,  यदि धाराएं प्रतिकूल न हो। 
सकारात्मक दृष्टिकोण हमें सकारात्मक सोचने में आसान बनाता है और यह हमें चिंताओं और नकारात्मक सोच से बचने की कला भी सिखाता है.

लेकिन याद रखें, जीवन मे इन बाधाओं और परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए हमें सकारात्मक सोच रखना बहुत ज़रूरी है। सकारात्मक सोच एक विकल्प है।  यह हमेशा आसान नहीं होता है, लेकिन यह अभ्यास के साथ बेहतर होता जाता है। आपको हमेशा इसका ध्यान रखना होगा कि जिन लोगों के साथ आप समय बिताते हैं, उनका आपके मूड पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है इसलिए हमेशा हीं सकारात्मक और उत्साही लोगों के साथ समय बिताने कि कोशिश करें।  

जीवन में सफलता के लिए यह जरुरी है कि हम नकारात्मक सोच और ऐसी प्रवृति वाले लोगों से एक खास दुरी बनाकर अपने प्रयासों पर फोकस करें। यह सकारात्मक दृष्टिकोण का अभ्यास हीं है जो आपके जीवन में आशावाद और आशावादी दृष्टिकोण लाता है। 


बेशक अगर सकारात्मक और आशा के अनुरूप घटने वाली घटनाओं का हम स्वागत  करते हैं लेकिन थोड़ी से कुछ अप्रिय घटनाएं  हमारे  जीवन में दस्तक  देती  हैं कि हम अपने जीवन और परिस्थितियों को कोसना आरम्भ कर देते हैं.....



 .... लेकिन हमें यह याद रखना होगा कि केवल सकारात्मक दृष्टिकोण ही हमें जीवन के दैनिक जटिल और अप्रिय मामलों से अधिक आसानी से निपटने में मदद करता है।

धैर्य और आत्मविश्वास का नहीं छोड़े दामन.... मिलेगी विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता

... यह सकारात्मक दृष्टिकोण का अभ्यास है जो आपके जीवन में आशावाद और आशावादी दृष्टिकोण लाता है। सकारात्मक दृष्टिकोण हमें सकारात्मक सोचने में आसान बनाता है और यह हमें चिंताओं और नकारात्मक सोच से बचने की कला भी सिखाता है...


 अपने जीवन में सफल होने के लिए, यदि कोई आपके जीवन में कुछ रचनात्मक परिवर्तन की उम्मीद कर रहा है, तो सकारात्मक दृष्टिकोण को जीवन के तरीके के रूप में अपनाने की आवश्यकता है।


Inspiring  Thoughts: आपकी प्रसन्ता में छिपा है जीवन की सफलता का रहस्य.... 

Attitude  भले एक छोटी से चीज सही लेकिन सच यह है कि जीवन के इसी बड़े और महत्वपूर्ण फर्क लाने के लिए यह बहुत प्रभावी भूमिका निभाती है....


 सकारात्मक और आशावादी दृष्टिकोण  की मदद से कई लोगों यहाँ तक की कई प्रसिद्ध हस्तियों ने कई बड़ी बीमारियों या संघर्षों के साथ अपनी लड़ाई जीत ली है.... वावजूद इस तथ्य के कि जीतना मुश्किल था….वास्तव में केवल एटीट्यूड ही काफी नहीं है..लेकिन जीवन में हमारी सफलता के लिए सकारात्मक और आशावादी दृष्टिकोण की आवश्यकता है...


 ..... मनोवृत्ति मूल रूप से वह तरीका है जिसमें हम किसी चीज़ के प्रति व्यवहार करते हैं या सोचते हैं या महसूस करते हैं ... आम तौर पर हम अपनी सोच, भावनाओं तथा  अन्य पहलुओं के संदर्भ में अपना दृष्टिकोण प्रदर्शित करते हैं। वास्तव में आपकी सोच गठन के पीछे मूल कारण है किसी चीज के प्रति आपका नजरिया...

यदि आप सकारात्मक सोचने के आदि  हैं और किसी भी घटना का केवल सकारात्मक पक्ष देखते हैं तो आप अपने जीवन के बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं ... आप जिस मुद्दे से निपट रहे हैं, उसके बारे में बात करें ...और इसके लिए नेगेटिव विचारों को अपने मन में घर नहीं करने दें...

याद रखें... प्रकृति भी   आपके अंदर उत्पन्न विचारों को हीं सशक्त करने और उसे पूरा करने की लिए बल देती है... और इसलिए हैं हमें बचपन से यह पढ़ाया जाता है कि -" हमें अपने मन में बुरे विचारों को  लाने से बचना चाहिए..... "

आपका Attitude  आपके आस-पास हो रही घटनाओं के बारे में आपकी राय बनाने में आपकी मदद करता है... सोचने के तरीके ने आपके विचारों को तय किया और निश्चित रूप से यह आपके कार्यों में दिखाई देता है। जिस वातावरण में आप रह रहे हैं, वह भी आपके दृष्टिकोण के प्रभाव  प्रदर्शित करता है...

दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने अपनी मामूली चोटों और जीवन की कठिनाइयों के कारण जीवन के निराशावादी और नकारात्मक रवैये के कारण दम तोड़ दिया है….

बदल सकते हैं आपदा को अवसर में…जानें कैसे 

अपने जीवन में हर असफलता के लिए अपने आस-पास की परिस्थितियों को दोष न दें… आपके जीवन में कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए अपनी मानसिकता और दृष्टिकोण को बदलने की आवश्यकता है…।

आपके सकारात्मक और आशावादी दृष्टिकोण में आपके जीवन में आपकी हर सफलता/असफलता का कारण प्रदान करने की शक्ति है और इसलिए अपने सोचने के तरीके को नज़रअंदाज़ न करें… निश्चित रूप से यह आपके जीवन में कठिन परिस्थितियों से निपटने का मूल तरीका है…

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आपको अपने जीवन में आने वाली हर घटना के साथ सकारात्मक दृष्टिकोण रखना होगा चाहे वह पेशेवर हो या व्यक्तिगत…। यह एक भावनात्मक स्थिति हो सकती है जिस पर आपको ध्यान देने की आवश्यकता है… सभी घटनाओं से निपटने के लिए आपको सकारात्मक और आशावादी रवैया रखना होगा। मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक सहित ....



विश्वास करें….आपमें परिस्थितियों को बदलने के लिए एटीट्यूड की शक्ति है क्योंकि आप अपनी खुद की परिस्थितियों के निर्माता हैं… अपने सकारात्मक और आशावादी दृष्टिकोण के साथ।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।

Daily GK Current Affairs Sep 14 2024: भारतीय लाइट टैंक ज़ोरावर, स्पेक्ट्रम, मिशन मौसम


डीआरडीओ ने भारतीय लाइट टैंक ‘ज़ोरावर’ के सफल फील्ड फायरिंग परीक्षण किए

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भारतीय लाइट टैंक ज़ोरावर के सफल प्रारंभिक ऑटोमोटिव परीक्षण किए। यह ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनाती में सक्षम अत्यधिक बहुउपयोगी  प्लेटफ़ॉर्म है।

ज़ोरावर: Facts in Brief 

  • डीआरडीओ की इकाई सीवीआरडीई द्वारा लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के सहयोग से सफलतापूर्वक विकसित किया गया है। 
  • यह एंफिबियस है. यानी जमीन पर चल सकता है, साथ ही नदियों में तैर सकता है. किसी भी तरह के जलस्रोत को पार कर सकता है. 
  • इसका वजन मात्र 25 टन है. इसमें 105 मिलिमीटर की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) भी लगा सकते हैं. 
  • इस टैंक का नाम जनरल ज़ोरावर सिंह कहलूरिया के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1841 में चीन-सिख युद्ध के समय कैलाश-मानसरोवर पर मिलिट्री एक्सपेडिशन किया था. 


ब्रिक्स साहित्य फोरम 2024 का आरंभ 11 सितंबर 2024 बुधवार को रूस के कजान में हुआ।

  • साहित्यिक ब्रिक्स के 2024 संस्करण का थीम "नए यथार्थ में विश्व साहित्य, परंपराओं, राष्ट्रीय मूल्यों और संस्कृतियों का संवाद" है।
  •  भारत का प्रतिनिधित्व साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री माधव कौशिक और साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव  ने किया।


बेस रिपेयर डिपो नजफगढ़, नई दिल्ली ने 13 सितंबर 24 को ईडब्ल्यू सम्मेलन “स्पेक्ट्रम” का सफल आयोजन किया। 


मिशन मौसम का अनावरण : वर्ष 2026 तक भारत के मौसम और जलवायु पूर्वानुमान को उन्नत करने के लिए दो हजार करोड़ की पहल

मिशन का लक्ष्य ...

  • 50 डॉप्लर मौसम रडार(डीडब्ल्यूआर),
  •  60 रेडियो सोंडे/रेडियो विंड(आरएस आरडब्ल्यू) स्टेशन, 
  • 100 डिस्ड्रोमीटर,10 विंड प्रोफाईलर, 
  • एक शहरी टेस्ट बेड, 
  • एक प्रक्रिया टेस्ट बेड, 
  • एक महासागर अनुसंधान स्टेशन और ऊपरी वायु निगरानी के साथ 
  • 10 समुद्रीय स्वचालित मौसम स्टेशन स्थापित करना है।


ज़ोरावर: भारतीय लाइट टैंक का सफल परीक्षण, जाने खास बातें


रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भारतीय लाइट टैंक ज़ोरावर के सफल प्रारंभिक ऑटोमोटिव परीक्षण किए। यह ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनाती में सक्षम अत्यधिक बहुउपयोगी  प्लेटफ़ॉर्म है। रेगिस्तानी इलाकों में किए गए फील्ड परीक्षणों के दौरान, लाइट टैंक ने असाधारण प्रदर्शन करते हुए  सभी इच्छित उद्देश्यों को कुशलतापूर्वक पूरा किया। प्रारंभिक चरण में, टैंक के फायरिंग प्रदर्शन का कड़ाई से मूल्यांकन किया गया और इसने निर्दिष्ट लक्ष्यों पर आवश्यक सटीकता हासिल की।

ज़ोरावर: Facts in Brief 

  • डीआरडीओ की इकाई सीवीआरडीई द्वारा लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के सहयोग से सफलतापूर्वक विकसित किया गया है। 
  • यह एंफिबियस है. यानी जमीन पर चल सकता है, साथ ही नदियों में तैर सकता है. किसी भी तरह के जलस्रोत को पार कर सकता है. 
  • इसका वजन मात्र 25 टन है. इसमें 105 मिलिमीटर की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) भी लगा सकते हैं. 
  • इस टैंक का नाम जनरल ज़ोरावर सिंह कहलूरिया के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1841 में चीन-सिख युद्ध के समय कैलाश-मानसरोवर पर मिलिट्री एक्सपेडिशन किया था. 

ज़ोरावर को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की इकाई, लड़ाकू वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (सीवीआरडीई) द्वारा लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के सहयोग से सफलतापूर्वक विकसित किया गया है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) सहित अनेक भारतीय उद्योगों ने विभिन्न उप-प्रणालियों के विकास में योगदान देते हुए देश के भीतर स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षमताओं के सामर्थ्यब को प्रदर्शित किया।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने भारतीय लाइट टैंक के सफल परीक्षणों के लिए डीआरडीओ, भारतीय सेना और सभी संबद्ध उद्योग भागीदारों की सराहना की। उन्होंने इस उपलब्धि को महत्वपूर्ण रक्षा प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों में भारत के आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर करार दिया है। 

चार धाम: जाने चार दिशाओं में स्थित इन चार महान धामों के बारे में


चार दिशाओं में हैं चार धाम: उत्तर में बद्रीनाथ, पूर्व में जगन्नाथ पुरी, दक्षिण में रामेश्वरम और पश्चिम में  द्वारका- पाएं विस्तृत जानकारी

भारत के चार धाम चार प्रमुख हिंदू तीर्थस्थल हैं जो देश के चार दिशाओं में स्थित हैं। ये चार धाम जिन्हे प्रमुख तौर पर जाना जाता है-बद्रीनाथ (उत्तर दिशा), द्वारका (पश्चिम दिशा), पुरी (पूर्व दिशा) तथा रामेश्वरम (दक्षिण दिशा) का हिंदू धर्म में विशेष महत्त्व है और इन्हें जीवन में एक बार अवश्य दर्शन करने योग्य माना जाता है। ये चार धाम तीर्थस्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व भी अत्यधिक हैं। यहां की यात्रा आत्मिक शांति और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है। आइए, इन चार धामों के बारे में विस्तार से जानते हैं:

 हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार बद्रीनाथ (उत्तराखंड),द्वारका (गुजरात), जगन्नाथ पुरी (उड़ीसा) और रामेश्वरम (तमिलनाडू) चार धाम है जो विभिन्न देवी-देवताओं और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं.आश्चर्यजनक रूप से ये चरों धार भारत के चारों दिशाओं में स्थित है. आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा परिभाषित ये चार वैष्णव तीर्थ हैं जहाँ हर हिंदू को अपने जीवन काल मे अवश्य जाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इन तीर्थ स्थलों पर जाने से हिंदुओं को मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलती है । इसमें उत्तर दिशा मे बद्रीनाथ, पश्चिम की ओर द्वारका, पूर्व दिशा मे जगन्नाथ पुरी और दक्षिण मे रामेश्वरम धाम है। आइये जानते हैं इन प्रमुख चार धामों के बारे में विस्तृत जानकारी. 

भारत के चार धाम और सम्बंधित राज्य निम्न हैं. 

  • बद्रीनाथ (उत्तराखंड)
  • द्वारका (गुजरात)
  • जगन्नाथ पुरी (उड़ीसा)
  • रामेश्वरम (तमिलनाडू )


बद्रीनाथ (Badrinath): 

यह धाम उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है  यहां बद्रीनाथ मंदिर है, जिसमें विष्णु के बद्रीनाथ रूप की मूर्ति प्रतिष्ठित है। यह मंदिर चार धामों में से एक है और चार धाम यात्रा का पूर्वी धाम है। बद्रीनाथ भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है. यह अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है और चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और यह भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की एक चरणपादुका (पैर की छाप) स्थापित है. बद्रीनाथ मंदिर को 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने बनवाया था. मंदिर परिसर में कई अन्य मंदिर और धार्मिक स्थल भी हैं, जिनमें से कुछ हैं:

तप्त कुंड: यह एक गर्म पानी का कुंड है, जिसका पानी पवित्र माना जाता है.

नारद कुंड: यह एक पवित्र कुंड है, जिसका पानी भगवान नारद को समर्पित है.

ब्रह्म कुंड: यह एक पवित्र कुंड है, जिसका पानी भगवान ब्रह्मा को समर्पित है.

गरुड़ चट्टान: यह एक चट्टान है, जिस पर भगवान गरुड़ का पदचिह्न है.

वेद व्यास गुफा: यह एक गुफा है, जहां वेद व्यास ने महाभारत की रचना की थी.

बद्रीनाथ एक अत्यंत लोकप्रिय तीर्थस्थल है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं. मंदिर परिसर को चारों ओर से हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों से घेरा हुआ है, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ा देता है. बद्रीनाथ एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक स्थान है, जहां लोग आकर आराम और शांति पा सकते हैं.

जगन्नाथ पुरी (Jagannath Puri): 

जगन्नाथ पुरी भारत के ओडिशा राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है. यह भगवान जगन्नाथ को समर्पित एक विशाल मंदिर के लिए जाना जाता है. मंदिर को 12वीं शताब्दी में ओडिशा के राजा अनंतवर्मन ने बनवाया था. मंदिर का निर्माण लाल और सफेद बलुआ पत्थर से किया गया है और यह 135 फीट ऊंचा है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां स्थापित हैं. भगवान जगन्नाथ को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है.

जगन्नाथ पुरी एक अत्यंत लोकप्रिय तीर्थस्थल है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं. मंदिर परिसर को चारों ओर से दीवारों से घेरा हुआ है और केवल हिंदू ही मंदिर के अंदर प्रवेश कर सकते हैं. मंदिर के परिसर में एक विशाल रथ यात्रा होती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को मंदिर से बाहर निकालकर शहर के चारों ओर घुमाया जाता है. रथ यात्रा एक अत्यंत भव्य और रंगीन उत्सव है, जो लाखों लोगों को आकर्षित करती है. यह धाम ओडिशा राज्य के पुरी जिले में स्थित है। जगन्नाथ पुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बालभद्र, और सुभद्रा की मूर्तियां प्रतिष्ठित हैं। यह मंदिर चार धामों में से पश्चिमी धाम है।


रामेश्वरम् (Rameswaram):

 यह धाम तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम जिले में स्थित है। रामेश्वरम में श्री रामेश्वर स्वामी मंदिर है, जिसमें शिव के पृथ्वी तत्व को दर्शाने वाली ज्योतिर्लिंग की पूजा की जाती है। यह मंदिर चार धामों में से दक्षिणी धाम है। 

रामेश्वरम भारत के तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित एक द्वीप शहर है. यह शहर हिंदुओं के चार धामों में से एक है और भगवान शिव को समर्पित रामेश्वरम मंदिर के लिए प्रसिद्ध है. रामेश्वरम मंदिर एक प्राचीन मंदिर है, जिसका निर्माण भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद किया था. मंदिर में भगवान शिव का एक लिंग स्थापित है, जिसे रामलिंगम कहा जाता है. रामेश्वरम मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं.

रामेश्वरम एक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है. यह शहर रामायण के कई घटनाओं से जुड़ा हुआ है. रामेश्वरम में रामेश्वरम द्वीप, रामेश्वरम मंदिर, धनुषकोटि, सीतामीनार और रामेश्वरम रेलवे स्टेशन जैसे कई ऐतिहासिक स्थल हैं. रामेश्वरम एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है और यहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं.

रामेश्वरम एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है. यह शहर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है और यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है.

द्वारका (Dwarka):

 यह धाम गुजरात राज्य के द्वारका जिले में स्थित है। द्वारका में द्वारकाधीश मंदिर है, जिसमें श्री कृष्ण की मूर्ति प्रतिष्ठित है। यह मंदिर चार धामों में से एक है और चार धाम यात्रा का पश्चिमी धाम है। 

द्वारका भारत के गुजरात राज्य के देवभूमि द्वारका ज़िले में स्थित एक प्राचीन नगर और नगरपालिका है. द्वारका गोमती नदी और अरब सागर के किनारे ओखामंडल प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर बसा हुआ है. यह हिन्दुओं के चारधाम में से एक है और सप्तपुरी (सबसे पवित्र प्राचीन नगर) में से भी एक है. यह श्रीकृष्ण के प्राचीन राज्य द्वारका का स्थल है और गुजरात की सर्वप्रथम राजधानी माना जाता है.


द्वारका का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने मथुरा से निकाले जाने के बाद द्वारका नगरी बसाई थी. द्वारका नगरी सोने और चांदी से बनी थी और यह बहुत ही समृद्ध थी. द्वारका नगरी में भगवान कृष्ण ने अपने सभी भाइयों और परिवार के साथ रहकर अपना राज्य चलाया था.

द्वारका नगरी का वर्णन महाभारत के आठवें स्कंध में मिलता है. महाभारत में कहा गया है कि द्वारका नगरी एक बहुत ही सुंदर नगरी थी. द्वारका नगरी में कई मंदिर और महल थे. द्वारका नगरी में एक बहुत ही विशाल समुद्र तट भी था. द्वारका नगरी में भगवान कृष्ण ने अपने सभी भाइयों और परिवार के साथ रहकर अपना राज्य चलाया था.

द्वारका नगरी आज भी एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है. द्वारका नगरी में भगवान कृष्ण के कई मंदिर हैं. द्वारका नगरी में एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है, जिसका नाम द्वारकाधीश मंदिर है. द्वारकाधीश मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है. द्वारकाधीश मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है.


द्वारका नगरी एक बहुत ही पवित्र नगरी है. द्वारका नगरी में भगवान कृष्ण ने अपना राज्य चलाया था और उन्होंने अपने भक्तों को बहुत सारी शिक्षाएं दी थीं. द्वारका नगरी एक बहुत ही ऐतिहासिक नगरी भी है. द्वारका नगरी में कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जो आज भी मौजूद हैं.

द्वारका नगरी एक बहुत ही लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है. द्वारका नगरी में हर साल लाखों पर्यटक आते हैं. द्वारका नगरी में भगवान कृष्ण के मंदिरों के अलावा, कई अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं. द्वारका नगरी में एक बहुत ही सुंदर समुद्र तट भी है. द्वारका नगरी एक बहुत ही शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक स्थान है.


चार धाम यात्रा का क्रम क्या है?

ऐसा माना जाता है कि यमुनोत्री से यात्रा की शुरुआत करने पर बिना किसी बाधा के आपकी चारधाम यात्रा पूर्ण हो जाती है। इसके साथ ही शास्त्रों में वर्णित है कि, यात्रा की शुरुआत पश्चिम से की जाती है और पूर्व में समाप्त होती है इसलिए भी सबसे पहले यमुनोत्री धाम के दर्शन किये जाते हैं। तीर्थयात्रा यमुनोत्री से शुरू होती है, गंगोत्री की ओर बढ़ती है, केदारनाथ पर जाती है और अंत में बद्रीनाथ में समाप्त होती है। यात्रा सड़क या हवाई मार्ग से पूरी की जा सकती है। कुछ भक्त दो धाम यात्रा या दो तीर्थस्थलों - केदारनाथ और बद्रीनाथ की तीर्थयात्रा भी करते हैं।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।


Born of Saturday: बुद्धिमान, व्यावहारिक, अनुशासनप्रिय, धुन का पक्का और भी बहुत कुछ

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Born on Saturday:

जैसा कि आप जानते हैं कि सप्ताह में सात दिन होते हैं और हर दिन का एक स्वामी ग्रह होता है। हिन्दू पंचांग और ज्योतिष के अनुसार किसी खास दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति पर उसके स्वामी ग्रह का प्रभाव देखने को मिलता है। यहां हम बात करेंगे शनिवार को जन्म लेने वाले लोगों जिस दिन के देवता भगवान शनिदेव होते हैं।  शनि के प्रभाव से व्यक्ति काफी मेहनती होता है साथ ही जैसा कि शनि प्लानेट कि गति काफी धीमी होती है, वैसे ही वह धीरे-धीरे ही सही, लेकिन ये अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल होते हैं. जानिये शनिवार को जन्म लेने वाले लोगों के व्यक्तित्व से जुड़े अन्य पहलुओं के बारे में मोटिवेटर और एस्ट्रोलॉजर हिमांशु रंजन शेखर से.

शनिवार को जन्मे लोग दृढ़निश्चयी होने के साथ ही साथ वे मेहनती और जीवन के प्रति सख्त दृष्टिकोण अपनाते हैं। अनुशासन प्रिय तथा बुद्धिमान और पेशेवर होते हैं जिनके लिए जीवन का खास महत्व होता है। एस्ट्रोलॉजी और विज्ञान के अनुसार शनि गृह अपने पथ पर काफी धीमी गति से घूमता है और जाहिर है कि शनिवार को जन्म लेने वाले लोगों पर शनि ग्रह का काफी इन्फ्लुएंस रहते है.  

अनुशासनप्रिय होते हैं 

वे धीमे होने के साथ  स्थिर, मेहनती, अनुशासित और दूसरों से अलग होते हैं। शनिवार को जन्मे लोगों की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि वे  बुद्धिमान और व्यावहारिक होते हैं साथ हीं इनके जीवन में सख्त सीमाएँ  और अनुशासनप्रिय होते हैं शनिवार को जन्मे लोग शनि ग्रह के प्रभाव में पैदा होते हैं और जाहिर  है कि उनका जीवन शनि ग्रह के प्रभाव के अनुसार होता है। उनका संघर्ष निरंतर रहता है जो उन्हें मजबूत बनाता है और हर चीज से उबरने के लिए दृढ़ संकल्पित होना होता है अर्थात  उनके जीवन मे संघर्ष लगा रहता है । वे के साथ ही वे अत्यधिक अनुशासित हैं।

मेहनती और धुन का पक्का

शनि के प्रभाव से व्यक्ति काफी मेहनती और धुन का पक्का होता है. भले ही सफलता मिलने में कुछ देरी हो सकती है लेकिन वह व्यक्ति  धीरे-धीरे ही सही, लेकिन अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल होते हैं. ये लोग थोड़े गंभीर प्रवृति के होते हैं और खुलने में काफी वक्त ले ले सकते हैं.  लेकिन परिवार के लोगों के साथ इनके संबंधों में कई बार मतभेद देखने को मिलते हैं. शनिवार को जन्मे लोग हमेशा मदद के लिए तैयार रहते हैं. वैसे इनका स्वभाव क्रोधी हो सकता है. 


क्रोधी, धैर्य की काफी कमी 
गुस्से पर काबू पाने में अक्सर ये लोग काफी असफल होते हैं और शायद यही वजह है कि इनके अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी काफी काम निभती है. ऐसे जातक अगर अपनी गुस्से पर नियंत्रण करना सीख लें तो जीवन में काफी आगे जा सकते हैं. 






प्यार व्यक्त करने में होते हैं कंजूस
जिन जातकों का जन्म शनिवार को होता है वो सामान्यत:  अंतर्मुखी प्रतिभा के धनी होते है. एकांतप्रिय होने के साथ ही वो अपनी बातों को व्यक्त करने में जल्दीबाजी कभी नहीं करते. यही वजह होता है कि प्रेम के मामलों में भी वो अपने बातों को व्यक्त नहीं कर पाते हैं. अपने प्यार का इजहार करने में काफी विलम्ब करते हैं और चाहते हैं कि  उनका पार्टनर उनके फीलिंग्स को पहचान ले... 

परिस्थितियों के गुलाम नहीं होते 
शनिवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति परिस्थितियों के स्वामी होते हैं और कभी भी उन्हें अपने ऊपर हावी नहीं होने देते.... भले ही उनके जीवन में कितने भी संघर्ष वाले दिन या संकट आये, वे उससे निकलने के लिए सही वक्त का इन्तजार करते हैं और हिम्मत नहीं हारते.... 

दृढ निश्चय के मालिक 
शनिवार को जन्म लेने वाले जातक दृढ इच्छा शक्ति के स्वामी होते हैं और अपने कार्यों को हर हाल में पूरा करना चाहते हैं. अपने लक्ष्य को पाने के लिए संसाधनों की कमी हो तो भी ये इन्हे जुटाने की क्षमता रखते हैं.  जिस किसी क्षेत्र में इन्हे कार्य का अवसर प्रदान की जाए, उसमे हीं ये सफलता के नए सोपान प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं. 

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।





Born on Monday : सोमवार को जन्में लोगों के गुण आपको कर देंगे हैरान -सहज, विनम्र और दयालु

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Born on Monday: मंडे अर्थात सप्ताह के दूसरे दिन  का  स्वामी चंद्रमा होता है और ज्योतिष शास्त्र  के अनुआर यह  एक अद्भुत ग्रह है जो पृथ्वी के बहुत निकट है।  पृथ्वी कि निकटता के कारण हीं और पृथ्वी पर इसका प्रभाव देखने को मिलता है और यही कारण है कि ज्योतिष के अनुसार सोमवार को जन्मे लोगों पर चंद्रमा का विशेष प्रभाव पड़ता है। अस्ट्रालजी के अनुसार चंद्रमा मन का स्वामी होता है और यह ग्रह घरेलू जीवन, पारिवारिक संबंधों आदि को नियंत्रित करता है। सोमवार को जन्मे व्यक्ति के लिए चंद्रमा  कि गुणों कि गणना विशेष रूप से करना जरूरी है क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा शीतलता के साथ मन कि भाव को भी गाइड करता है।
 एक मजबूत दिमाग व्यक्तियों को कठिन समय के दौरान शांत रहने और समस्या का समाधान निकालने में मदद कर सकता है, जबकि एक कमजोर दिमाग भावनात्मक अस्थिरता का कारण बन सकता है। सोमवार को जन्मे लोग सहज, विनम्र और दयालु होते हैं तथा वे  पारिवारिक संबंधों और मित्रता को महत्व देते हैं। वे  स्थितियों का व्यवस्थित रूप से विश्लेषण करने के बजाय अपने मन की भावनाओं के अनुसार चलने की प्रवृत्ति रखते हैं।विपरीत और विरोधावासी प्रवृति को जीना पसंद करते हैं. जैसे विषय वासना और भोग को वे गलत नहीं समझते लेकिन फिर भी उच्च चरित्र उनके लिए हमेशा महत्वपूर्ण होता है सोमवार जन्म लेने वाले लोगों के बारे में विस्तार से जाने विख्यात मोटिवेटर, ज्योतिष और कुंडली विशेषज्ञ हिमांशु रंजन शेखर से. 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा  एक अद्भुत ग्रह है जो पृथ्वी के बहुत करीब है इसलिए इसका प्रभाव पृथ्वी पर बहुत प्रमुख है। ऐस्टरोलोजी के अनुसार चंद्रमा मन का स्वामी है. यह ग्रह घरेलू जीवन, पारिवारिक संबंधों और आनुवंशिकी को नियंत्रित करता है। चंद्रमा को सोम देवता के रूप में पूजा जाता है और इसे जीवन के सुख-शांति का प्रतीक माना जाता है.

हालांकि हिंदू पंचांग के अनुसार,सोमवार को भगवान शंकर  का दिन माना जाता है और इसलिए ऐसी मान्यता है कि सोमवार को जन्म लेने वाले जातकों पर भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा रहती है। सोमवार को जन्मे व्यक्ति की सबसे प्रमुख विशेषता होती है कि वे दयालु, विनम्र, अनुकूलनीय, स्वामित्व रखने वाला, देखभाल करने वाला और मातृवत् प्रकृति के होते हैं। 
गंभीर प्रकृति के स्वामी 
सोमवार को जन्म लेने वाले व्यक्तियों की सबसे बड़ी खासियत होती है कि वे गंभीर प्रकृति के होते हैं. सोमवार को जन्म लेने वाले व्यक्तियो का व्यक्तित्व चन्द्रमा के गुणों  से प्रभावित  होता है इसलिए वे धार्मिक स्वाभाव के होते हैं. काफी परिश्रमी होने के साथ ही  ऐसे लोग सुख और दुःख दोनों हीं परिस्थितियों में एक सामान होते हैं और जल्दी विचलित होना पसंद नहीं करते.

सोमवार को जन्मे बच्चे का नाम क्या रखें
सोमवार को हम भगवन शंकर अर्थान शिव दिन मान कर पूजा करते हैं और इसलिए सोमवार को जन्म लेने वाले लोगों का व्यक्तित्व भगवन शंकर के समान माना जाता है. सोमवार को जन्मे बच्चे का नाम क्या रखें सोमवार को जन्मे बच्चे का नामकरण और उनको उपयुक्त नाम रखने के लिए अक्सर माता पिता उत्सुक और परेशान रहते हैं। 

हालाँकि नामकरण के पीछे भी सामान्यत:कुंडली और जन्म के समय ग्रहों की स्थिति और घर के अनुसार रखने की परंपरा होती है और सच तो यह है कि बच्चे का नाम रखने में ज्योतिष और परंपरागत फैक्टर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. हालांकि सोमवार को जन्म लेने वाले बच्चों के नाम के लिए आप निचे दिए गए कुछ नामों पर विचार कर सकते हैं। 

  • शिवेश
  • शिव
  • नवनीत
  • सोम्या
  • शिवानी
  • शुभम्
  • शिक्षा
  • शिवंशी
  •  उदय 
  • शाइनी

परिश्रमी: सोमवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति काफी  परिश्रमी और मेहनती होते हैं. ऐसे व्यक्ति कभी भी शांति से बैठना पसंद नहीं करते हैं और हमेशा खुद को व्यस्त रखना चाहते हैं. समय का सदुपयोग करने में ऐसे लोग काफी सक्रिय रहते हैं और अगर अच्छे और क्रियाशील प्रवृति के स्वामी होने पर ऐसे जातक जीवन में कई सारे कार्यों को अपने हाथ में एक साथ लेकर सफलतापूर्वक उसे अंजाम तक पहुंचाते हैं. 

चरित्रवान: सोमवार को जन्म लेने वाले  व्यक्तियों की यह खासियत होती है कि  वे उच्च चरित्र वाले होते हैं और खुद की चरित्र की उन्हें काफी परवाह रहती हैं. हालाँकि जातक विपरीत और विरोधावासी प्रवृति को जीना पसंद करे हैं. जैसे विषय वासना और भोग को वे गलत नहीं समझते लेकिन फिर भी उच्च चरित्र उनके लिए हमेशा महत्वपूर्ण होता है और इसके लिए वे सामान्यत: कोई समझौता पसंद नहीं करते हैं. 

धार्मिक/सामाजिक कार्यों में भाग लेने वाले: सोमवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति सामान्यत: धार्मिक प्रवृति के होते हैं  धार्मिक  कार्यों और पूजा पाठ में उनकी विशेष रूचि होती है. भले है वे अधिक देर  तक पूजा करने  विश्वाश नहीं करें लेकिन धार्मिक और सामाजिक कार्यों में वे विशेष रूचि दिखाते  हैं. 

रविवार को हुआ है जन्म तो आप होंगे: दृढ इच्छा शक्ति के मालिक

सुख दुःख में समान रहेगा: ऐसे व्यक्ति सुख और दुःख दोनों हीं परिस्थितियों में एक सामान होते हैं और जल्दी विचलित होना पसंद नहीं करते. सुख की स्थिति में भी ये सामान्यत: अपने आपको दिखावे और आडंवर से बचाए रखते हैं. वहीँ दुःख की स्थिति में भी ये अपने सम्मान को नहीं छोड़ते हैं और जल्दी किसी के सामने हाथ फैलाना पसंद नहीं करते हैं. 

स्वास्थय और व्यक्तित्व : ऐसे  व्यक्तियों  का चेहरा सामान्यत: गोल होता  ऐसे लोगों को स्वास्थ्य को लेकर कोल्ड या ठंडी से विशेष सावधान रहने की जरुरत होगी. ऐसे लोग सर्दी या जुकाम से काफी संवेदनशील होते हैं और उन्हें इससे विशेष परहेज लेने की जरुरत होती है. हल्का कोल्ड भी इन्हे परेशान करती है और इन्हे सर्दी या जुकाम अपने चपेट में ले सकती है. इसके साथ ही सोमवार को जन्म लेने वाले जातको का शरीर  वात  और कफ से युक्त होता है इसलिए इन्हे विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।


योग गठिया के रोगियों को पीड़ा से राहत पहुंचा सकता है योग: एम्स अध्ययन

Yoga effective for Rheumatoid Arthritis patients AIIMS

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के एक नए अध्ययन से पता चलता है कि योगाभ्यास से गठिया (रूमेटाइड अर्थराइटिस-आरए) के रोगियों के स्वास्थ्य में काफी सुधार आ सकता है। अध्ययन ने गठिया के रोगियों में सेलुलर और मोलेक्यूलर स्तर पर योग के प्रभावों की खोज की है। इससे पता चला है कि कैसे योग पीड़ा से राहत देकर गठिया के मरीजों को लाभ पहुंचा सकता है।

आरए एक पुरानी ऑटोइम्यून बीमारी है जो जोड़ों में सूजन का कारण बनती है। यह जोड़ों को नुकसान पहुंचाती है और इस रोग में दर्द होता है। इसके कारण फेफड़े, हृदय और मस्तिष्क जैसे अन्य अंग प्रणालियां भी प्रभावित हो सकती हैं। परंपरागत रूप से, योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है।

डीएसटी द्वारा समर्थित, मोलेक्यूलर री-प्रोडक्शन एंड जेनेटिक्स प्रयोगशाला, एनाटॉमी विभाग और रुमेटोलॉजी विभाग एम्स, नई दिल्ली द्वारा एक सहयोगी अध्ययन ने गठिया के रोगियों में सेलुलर और मोलेक्यूलर स्तर पर योग के प्रभावों की खोज की है। इससे पता चला है कि कैसे योग पीड़ा से राहत देकर गठिया के मरीजों को लाभ पहुंचा सकता है।

पता चला है कि योग सेलुलर क्षति और ऑक्सीडेटिव तनाव (ओएस) को नियंत्रित करके सूजन को कम करता है। यह प्रो- और एंटी-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स को संतुलित करता है, एंडोर्फिन के स्तर को बढ़ाता है, कोर्टिसोल और सीआरपी के स्तर को कम करता है तथा मेलाटोनिन के स्तर को बनाए रखता है। इसके जरिये सूजन और अतिसक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली चक्र का विघटन रुक जाता है।

मोलेक्यूलर स्तर पर, टेलोमेरेज़ एंजाइम और डीएनए में सुधार तथा कोशिका चक्र विनियमन में शामिल जीन की गतिविधि को बढ़ाकर, यह कोशिकाओं की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। इसके अतिरिक्त, योग माइटोकॉन्ड्रियल फ़ंक्शन को बेहतर बनाता है, जो ऊर्जा चयापचय को बढ़ाकर और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करके टेलोमेर एट्रिशन व डीएनए क्षति से बचाता है।

डीएसटी द्वारा समर्थित, एम्स के एनाटॉमी विभाग के मोलेक्यूलर री-प्रोडक्शन एंड जेनेटिक्स प्रयोगशाला में डॉ. रीमा दादा और उनकी टीम द्वारा किए गए एक अध्ययन में दर्द में कमी, जोड़ों की गतिशीलता में सुधार, चलने-फिरने की कठिनाई में कमी और योग करने वाले रोगियों के लिए जीवन की समग्र गुणवत्ता में वृद्धि दर्ज की गई। ये समस्त लाभ योग की प्रतिरक्षात्मक सहनशीलता और मोलेक्यूलर रेमिशन स्थापित करने की क्षमता में निहित हैं।

साइंटिफिक रिपोर्ट्स, 2023 में प्रकाशित अध्ययन  से पता चलता है कि योग तनाव को कम करने में मदद कर सकता है, जो गठिया  के लक्षणों के लिए एक ज्ञात कारण है। कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन को कम करके, योग अप्रत्यक्ष रूप से सूजन को कम कर सकता है, माइटोकॉन्ड्रियल फ़ंक्शन में सुधार कर सकता है, जो ऊर्जा उत्पादन और सेलुलर स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और 𝛽-एंडोर्फिन, मस्तिष्क-व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफ़िक कारक (बीडीएनएफ), डीहाइड्रोएपियनड्रोस्टेरोन (डीएचईए), मेलाटोनिन और सिरटुइन-1 (एसआईआरटी-1) के बढ़े हुए स्तरों से को-मॉर्बिड डिप्रेशन की गंभीरता को कम कर सकता है। योग न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ावा देता है और इस प्रकार रोग निवारण रणनीतियों में सहायता करता है तथा को-मॉर्बिड डिप्रेशन की गंभीरता को कम करता है।

इस शोध से गठिया रोगियों के लिए पूरक चिकित्सा के रूप में योग की क्षमता का प्रमाण मिलता है। योग न केवल दर्द और जकड़न जैसे लक्षणों को कम कर सकता है, बल्कि रोग नियंत्रण और जीवन की बेहतर गुणवत्ता में भी योगदान दे सकता है। दवाओं के विपरीत, योग के कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं और यह गंभीर ऑटोइम्यून स्थितियों के प्रबंधन के लिए एक सस्ता व प्रभावी तथा स्वाभाविक विकल्प प्रदान करता है। (श्रोत: PIB)

Point Of View @पैरेंटिंग टिप्स: प्रशंसा करें, यह आपके बच्चों के आत्मविश्वास और आत्म-बोध को बढ़ाती है

Parent tips Najariya jine ka Praise increases Confidence

पैरेंटिंग टिप्स
: आप अपने बच्चों के लिए सबसे अच्छे पेरन्ट बनना चाहते हैं तो उनके साथ फ़्रेंडली होने के साथ हीं उनके एफर्ट और गुड वर्क को प्रोत्साहन और प्रशंसा करना सीखें, याद रखें, आपके प्रोत्साहन और प्रशंसा के शब्दों मे वह ताकत हैं जिनकी मदद से आपके बच्चे सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने कि कोशिश करते रहने के साथ आशावादी होने की अधिक संभावना रखते हैं।

आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक 
बच्चों की परवरिश में प्रशंसा का बहुत बड़ा महत्व है। बच्चों को सच्ची और ईमानदार प्रशंसा की ज़रूरत होती है। जब वे कुछ अच्छा करें या कुछ नया सीखें, तभी उनकी प्रशंसा करें। इससे वे जान पाएंगे कि उनकी मेहनत और प्रयास की सराहना हो रही है।एक ऐसा वातावरण बनाएँ जहाँ बच्चा सुरक्षित और खुश महसूस करे। यह उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करेगा।

कुछ बच्चों, खासकर जो दूसरों की तुलना में कम आत्मविश्वासी होते हैं, उन्हें दूसरों की तुलना में ज़्यादा प्रोत्साहन की ज़रूरत होती है। जब प्रशंसा प्रयास पर केंद्रित होती है, तो बच्चे कड़ी मेहनत को अपने आप में अच्छा मानते हैं। 

सकारात्मक तरीके से करें प्रयास   

विश्वास करें, प्रशंसा आपके बच्चे के आत्मविश्वास और आत्म-बोध को बढ़ाती है। प्रशंसा का उपयोग करके, आप अपने बच्चे को दिखा रहे हैं कि खुद के बारे में सकारात्मक तरीके से कैसे सोचना और बात करना है। आप अपने बच्चे को यह सीखने में मदद कर रहे हैं कि जब वे अच्छा करते हैं तो उन्हें कैसे पहचानना है और खुद पर गर्व महसूस करना है।

तुलना से बचे

बच्चों के अंदर मानसिक रूप से क्या चल रहा है इसकी समझ भी पैरेंट को पता होना जरूरी है खासकर तब जब बच्चे किसी कुंठा या किसी दूसरे अपने सहपाठी से किए गए तुलना से परेशान होते हैं। याद रखें, बच्चों कि किसी अन्य बच्चे के साथ कि गई अनावश्यक तुलना उनको मानसिक रूप से अधिक परेशान कर सकती है।

फ़्रेंडली बनकर उसे प्रोत्साहित करें 

इसके लिए जरूरी है कि आप फ़्रेंडली बनकर उसे प्रोत्साहित करें कि नेक्स्ट टाइम वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगा। यह बात और है कि वह प्रदर्शन हम पैरेंट कि ही जिम्मेदारी है लेकिन उसमें आप चुनौतीपूर्ण और सकारात्मक व्यवहार को प्रोत्साहित करने के लिए प्रशंसा और प्रोत्साहन का उपयोग कर सकते हैं।

परिवर्तनों को नजरंदाज नहीं करें

बच्चे के अंदर चल रहे छोटे बदलावों और परिवर्तनों को नजरंदाज नहीं करें और हमेशा उन पर ध्यान दें। उसके द्वारा किए गए किसी भी प्रयास या सुधार की प्रशंसा करें भले हीं वह छोटी से सफलता हो या लघु उपलब्धि हो, बजाय इसके कि जब तक आपका बच्चा कुछ बढ़िया न कर ले, तब तक प्रतीक्षा करें।

खूबियों की प्रशंसा करें

अपने बच्चे की खूबियों की प्रशंसा करें और अपने बच्चे को उसकी खुद की रुचियों के बारे में उत्साहित महसूस करने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे आपके बच्चे में गर्व और आत्मविश्वास की भावना विकसित करने में मदद मिलेगी।

स्वतंत्रता दें

 बच्चों को अपने निर्णय खुद लेने का मौका दें इससे उनके अंदर निर्णय लेने कि भावना विकसित होगी। इसके साथ ही उनमें  जिम्मेदारी और परिणाम पर विचार करने का स्कोप मिलेगा। एक पैरेंट होने के नाते यह जरूरी है कि उनके फैसलों की इज्जत करें और उसका विश्लेषण कर उसे उनसे प्रभाव को बताएं क्योंकि इससे उनका आत्म-बोध बढ़ेगा और वे आत्मनिर्भर बनेंगे।



Point Of View : जानें जन्माष्टमी कि तिथि , पूजा विधि, ‘माखन चोर’ की लीलाएं और उनकी शिक्षाएं


 

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Point Of View: जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म की याद में मनाई जाती है, जो पृथ्वी पर भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं। इस दिन भक्तगण भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं और उनकी लीलाओं का स्मरण करते हैं। भगवान कृष्ण का जन्म बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन, भगवान कृष्ण के भक्त प्रार्थना करते हैं, और पूरे देश में बाल कृष्ण के जीवन से प्रेरित विभिन्न अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। यह पवित्र दिन भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न प्रकार की स्थानीय परंपराओं और अनुष्ठानों के अनुसार मनाया जाता है। भगवान कृष्ण का जन्म 5,000 साल पहले मथुरा शहर में राजा वासुदेव और रानी देवकी के घर हुआ था।  कृष्ण का जन्म एक महत्वपूर्ण घटना है क्योंकि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। वे दुष्ट राजा कंस का नाश करने के लिए इस दुनिया में आए थे।

 भगवान कृष्ण का बचपन अद्भुत कहानियों से भरा पड़ा है जो हमें महत्वपूर्ण सबक सिखाती हैं। वह एक शरारती बच्चा था, जिसे अक्सर मक्खन के प्रति अपने प्रेम के लिए जाना जाता था, जिसके कारण उसे "माखन चोर" उपनाम मिला। लेकिन इस चंचल स्वभाव के पीछे एक दिव्य प्राणी था जिसने कई चमत्कार किए और एक बच्चे के रूप में भी असाधारण ज्ञान दिखाया।

इस वर्ष अर्थात 2024 में जन्माष्टमी अगस्त 26 को मनाई जाएगी। आप यहाँ देख सकते हैं आने वाले 2030 तक जन्माष्टमी को मनाई जाने वाली तिथियाँ-

 2024 सोमवार, 26 अगस्त

2025 शुक्रवार, 15 अगस्त

2026 शुक्रवार, 4 सितंबर

2027 बुधवार, 25 अगस्त

2028 रविवार, 13 अगस्त

2029 शनिवार, 1 सितंबर

2030 बुधवार, 21 अगस्त

 देश भर में जो लोग श्री कृष्ण जयंती मनाते हैं, वे इस दिन भगवान कृष्ण के जन्म के समय आधी रात तक उपवास रखते हैं। उनके जन्म के प्रतीक के रूप में, देवता की मूर्ति को एक छोटे से पालने में रखा जाता है और प्रार्थना की जाती है। इस दिन भजन और भगवद गीता का पाठ किया जाता है।

'जन्म' का अर्थ है जन्म और 'अष्टमी' का अर्थ है आठवां। भगवान कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे, जिसमें उनका जन्म आठवीं तिथि को वासुदेव और यशोदा के आठवें पुत्र के रूप में हुआ था।

 पौराणिक कथाओं के अनुसार, कृष्ण राजकुमारी देवकी और उनके पति वासुदेव की आठवीं संतान थे, जो मथुरा के यादव वंश से संबंधित थे। देवकी के भाई कंस, जो उस समय मथुरा के राजा थे, ने देवकी द्वारा जन्म दिए गए सभी बच्चों को मार डाला, ताकि वह उस भविष्यवाणी से बच सकें जिसमें कहा गया था कि कंस की मृत्यु देवकी के आठवें पुत्र द्वारा की जाएगी। जब कृष्ण का जन्म हुआ, तो वासुदेव शिशु कृष्ण को मथुरा के एक जिले गोकुल में अपने मित्र के घर ले गए। इसके बाद, कृष्ण का पालन-पोषण गोकुल में नंद और उनकी पत्नी यशोदा ने किया।

 जन्माष्टमी की पूजा विधि:

प्रातःकाल स्नान: भक्तगण प्रातःकाल स्नान करके पवित्र होते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं।

मंदिर की सजावट: भगवान कृष्ण के मंदिर या पूजा स्थल को फूलों, रंगोली और दीपों से सजाया जाता है। भगवान कृष्ण की मूर्ति को नए वस्त्र, आभूषण और माला पहनाई जाती है।

पूजन सामग्री: पूजन के लिए विशेष सामग्री जैसे पंचामृत, फल, फूल, तुलसी दल, मक्खन और मिश्री आदि तैयार किए जाते हैं।

कलश स्थापना: पूजा स्थल पर कलश की स्थापना की जाती है और उसमें आम के पत्ते और नारियल रखकर उसका पूजन किया जाता है।

भगवान कृष्ण का अभिषेक: भगवान कृष्ण की मूर्ति का दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक किया जाता है।

कथा और भजन: भगवान कृष्ण की जन्मकथा सुनाई जाती है और उनके भजन-कीर्तन गाए जाते हैं।

मध्यरात्रि पूजा: चूंकि भगवान कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था, इसलिए रात 12 बजे विशेष पूजा और आरती की जाती है।

प्रसाद वितरण: पूजा के बाद भक्तों के बीच प्रसाद बांटा जाता है। मक्खन और मिश्री को भगवान कृष्ण के प्रिय भोजन के रूप में प्रसाद में वितरित किया जाता है।

व्रत का पारण: अगले दिन भक्तगण व्रत का पारण करते हैं और सामूहिक भोज का आयोजन करते हैं।

 भगवान कृष्ण की लीलाएं:

बाल लीलाएं: भगवान कृष्ण की बाल्यावस्था में की गई लीलाएं, जैसे कि माखन चुराना, गोपियों के साथ रासलीला, कालिया नाग का वध, गोवर्धन पर्वत उठाना आदि, अत्यंत प्रसिद्ध हैं।

रासलीला: भगवान कृष्ण की गोपियों के साथ की गई रासलीला उनकी प्रेम और भक्ति की भावना को प्रदर्शित करती है। यह लीला भगवान के प्रेममय स्वरूप का प्रतीक है।

कृष्ण-अर्जुन संवाद: महाभारत में अर्जुन को श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया ज्ञान, जो भगवद्गीताके रूप में संकलित है, अत्यंत महत्वपूर्ण लीला है। इसमें जीवन के मूलभूत सिद्धांतों और धर्म के मार्ग का उपदेश दिया गया है।

 भगवान कृष्ण की शिक्षाएं:

कर्मयोग: भगवान कृष्ण ने गीता में कर्मयोग का उपदेश दिया, जिसमें बिना किसी फल की इच्छा के अपने कर्तव्यों का पालन करने की बात कही गई है।

भक्ति योग: कृष्ण भक्ति को सर्वोच्च मानते हैं और प्रेम के माध्यम से भगवान से जुड़ने का मार्ग बताते हैं।

धर्म और अधर्म का ज्ञान: श्रीकृष्ण ने धर्म और अधर्म के बीच के भेद को स्पष्ट किया और सदा धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

सर्वधर्म समभाव: कृष्ण ने सभी धर्मों को समान रूप से मान्यता देने की बात कही और कहा कि सभी मार्ग अंततः एक ही ईश्वर तक पहुंचते हैं।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।