देवों के देव महादेव: जानें क्या क्या है भगवान शिव का रहस्य- त्रिपुंड, नंदी बैल, अर्धनारीश्वर, रुद्र और अन्य

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 सावन का पावन महीना  शुरू हो चुका  है और  इस साल अर्थात सावन 2024 के लिए सबसे खास बात यह है कि सावन का महीना  का आरंभ ही सोमवार से हुआ है। हिन्दू धर्म में सावन का महीना बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है  जो देवों के देव महादेव की पूजा के लिए पूरी तरह से समर्पित होता है। हिन्दू देवताओं में भगवान शिव को सर्वोच्च भगवान माना जाता है भगवान सबसे अधिक पूजे जाने वाले देवी-देवताओं में से भी एक है. हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार यह मान्यता है कि सावन के पावन महीने में विधिपूर्वक भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने और उनके निमित्त व्रत रखने से वे अपने सभी भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं. बाबा भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती का भी भक्तों को आशीर्वाद मिलता है। 

भगवान शिव के रहस्य 
भगवान शिव के रहस्य को समझना आसान नहीं है  और सच तो यह है कि यह एक निरंतर खोज है जो भक्तों को आत्म-ज्ञान और आध्यात्मिक विकास की ओर ले जाती है। शिव पुराण और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव स्वयंभू है जिनका न कोई आदि है और न ही कोई अंत। उन्हीं के होने से ये समस्त संसार गतिमान है। जबकि विष्णु पुराण में भगवान शिव का जन्म भगवान विष्णु के द्वारा हुआ है। भगवान शिव के निराकार रूप की पूजा करने के लिए सबसे उत्तम नर्मदेश्वर शिवलिंग (Narmadeshwar Shivling) माना जाता है। भगवान शिव का रहस्य एक जटिल और बहुआयामी विषय है, जिसमें कई पहलू हैं।

विनाश और रचना का चक्र:

भगवान शिव का रहस्य विनाश और रचना का चक्र है। यह चक्र हमें जीवन के नैसर्गिक क्रम को समझने और इसके साथ तालमेल बिठाने में मदद करता है। भगवान शिव को अक्सर विनाश के देवता के रूप में देखा जाता है, लेकिन वे रचना के देवता भी हैं। वे 'सृष्टि चक्र' का प्रतीक हैं, जिसमें जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म शामिल हैं। भगवान शिव को अक्सर 'महाकाल' या 'काल' कहा जाता है, जो समय का देवता है। समय सभी चीजों को नष्ट कर देता है, और भगवान शिव इस विनाशकारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं। 

भगवान शिव 'नाटराज' के रूप में भी जाने जाते हैं, जो 'नृत्य' के देवता हैं। उनका 'तांडव' नृत्य ब्रह्मांड के विनाश का प्रतीक है, लेकिन यह एक नए ब्रह्मांड के निर्माण का भी प्रतीक है।

 ज्ञान और ध्यान:

 ज्ञान और ध्यान जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ज्ञान हमें सही और गलत के बीच अंतर करने में मदद करता है, और ध्यान हमें शांत और एकाग्र रहने में मदद करता है। भगवान शिव को ज्ञान और ध्यान का देवता भी माना जाता है। वे योग, तपस्या और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रतीक हैं। भगवान शिव को 'ज्ञान का भंडार' माना जाता है। वे 'वेद', 'शास्त्र', और 'ज्ञान' के सभी रूपों के ज्ञाता हैं। भगवान शिव 'ध्यान' के प्रतीक हैं। वे 'समाधि' की अवस्था में रहते हैं, जो 'आत्म-ज्ञान' की प्राप्ति का मार्ग है।

त्रिपुंड:

त्रिपुंड भगवान शिव के माथे पर लगाई जाने वाली तीन क्षैतिज रेखाएं हैं। यह भस्म, चंदन या मिट्टी से बनाया जा सकता है। त्रिपुंड का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है और इसे भगवान शिव के कई पहलुओं का प्रतीक माना जाता है। भगवान शिव के माथे पर लगा त्रिपुंड तीन गुणों (सत्व, रज, तम) का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि वे इन तीनों गुणों से परे हैं।

त्रिपुंड के तीन अर्थ हैं:

सृष्टि, संरक्षण और विनाश: त्रिपुंड की तीन रेखाएं ब्रह्मांड के तीन गुणों का प्रतीक हैं: सृष्टि, संरक्षण और विनाश। भगवान शिव को इन तीनों गुणों का स्वामी माना जाता है।

अतीत, वर्तमान और भविष्य: त्रिपुंड की तीन रेखाएं भी समय के तीन पहलुओं का प्रतीक हैं: अतीत, वर्तमान और भविष्य। भगवान शिव को समय का देवता माना जाता है।

आत्मा, मन और शरीर: त्रिपुंड की तीन रेखाएं मनुष्य के तीन पहलुओं का प्रतीक हैं: आत्मा, मन और शरीर। भगवान शिव को इन तीनों पहलुओं का स्वामी माना जाता है।

 नंदी बैल:

नंदी बैल भगवान शिव का वाहन है। यह शक्ति, धैर्य और भक्ति का प्रतीक है। नंदी को आमतौर पर शिव मंदिरों के द्वार पर बैठा हुआ देखा जाता है। भगवान शिव का वाहन नंदी बैल, 'शक्ति' और 'धैर्य' का प्रतीक है।

गंगा नदी:

भगवान शिव अपनी जटाओं में गंगा नदी धारण करते हैं। यह दर्शाता है कि वे 'पवित्रता' और 'शुद्धि' का प्रतीक हैं।

अर्धनारीश्वर:

भगवान शिव 'अर्धनारीश्वर' रूप में भी दर्शाए जाते हैं, जिसमें वे आधे पुरुष और आधी स्त्री हैं। यह दर्शाता है कि वे 'स्त्री-पुरुष समानता' और 'संपूर्णता' का प्रतीक हैं।

 मृत्युंजय:

भगवान शिव को 'मृत्युंजय' भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'मृत्यु को जीतने वाला'। यह दर्शाता है कि वे 'अमरता' और 'जीवन शक्ति' का प्रतीक हैं।

त्रिनेत्र:

भगवान शिव के तीन नेत्र हैं, जो 'अतीत, वर्तमान और भविष्य' का प्रतीक हैं। यह दर्शाता है कि वे 'सर्वज्ञ' और 'सर्वव्यापी' हैं।

 नाग:

भगवान शिव अपने गले में नाग धारण करते हैं। यह दर्शाता है कि वे 'विष' और 'बुराई' पर विजय प्राप्त करते हैं।

रुद्र:

भगवान शिव को 'रुद्र' भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'विनाशकारी'। यह दर्शाता है कि वे 'अन्याय' और 'अधर्म' का नाश करते हैं।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।


सावन का दूसरा सोमवार 2024 : जानें क्यों भगवान् शंकर को चढ़ाते हैं बेलपत्र

Savan Somvar: Why Belpatra Used to Worship Lord Shankar

सावन सोमवार 2024 :2024 मे सावन का सुभारम्भ 22 जुलाई 2024 से हुआ और इस महीने मे कुल पाँच सोमवार पड़ेंगे।  जुलाई 29, 2024 अर्थात सावन का दूसरा सोमवार या सोमवारी है।  श्रावण में भगवान शिव की पूजा करने के लिए सबसे पवित्र महीना माना जाता है और हिंदुओं के बीच सावन का गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। भक्त भगवान शिव और देवी पार्वती की अपार भक्ति और समर्पण के साथ प्रार्थना करते हैं। वैसे तो श्रावण मास का पूरा दिन भगवान शिव या भगवान शंकर की पूजा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, हालाँकि हिंदू पंचांग के अनुसार, पवित्र महीने सावन का सोमवार भगवान शिव की पूजा करने के लिए एक उत्कृष्ट दिन है। सावन महीने का सोमवार महत्वपूर्ण दिन माना जाता है जिस दिन भक्त उपवास करते हैं और इसे आमतौर पर सोमवार, या श्रावण सोमवार या सावन सोमवार के रूप में जाना जाता है।

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पूजन के तौर पर  श्रदालु  भगवान शिव के लिंग को फूल, फल पानी (जल जिसे जलाभिषेक के रूप में जाना जाता है) के साथ चढ़ाते हैं। फूल और फलों के अलावा, भक्त भगवान शिव को प्रसन्न  करने के लिए भांग और धतूरा भी चढ़ाते हैं। हालाँकि, बेलपत्र सबसे महत्वपूर्ण वस्तु है जो सावन सोमवार के दिन भगवान शिव लिंग को अर्पित की जाती है। क्या आप जानते हैं कि भगवान शंकर को बेलपत्र क्यों चढ़ाई जाती है ?
सावन के सोमवार को भगवान् शिव की विशेष पूजा अर्चना कर और बेलपत्र अर्पित कर, भक्तजन उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है और आज भी श्रद्धालुओं द्वारा श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाई जाती है।

वैदिक शास्त्र और शिव पुराण कहते हैं कि भक्त माघ या फाल्गुन के महीने में घटते चंद्रमा के 14 वें दिन बेलपत्र के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं जो भगवान शिव को अधिक आनंद प्रदान करते हैं।

बेलपत्र को भगवान् शंकर को चढ़ाने के कारण:

पवित्रता और शुद्धता: बेलपत्र को पवित्र और शुद्ध माना जाता है। यह तीन पत्तियों वाला होता है, जिसे ब्रह्मा, विष्णु, और महेश का प्रतीक माना जाता है। इसे शिवलिंग पर चढ़ाने से तीनों देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

शिव का प्रिय: धार्मिक कथाओं के अनुसार, बेलपत्र भगवान् शिव को अत्यंत प्रिय है। इसे चढ़ाने से भगवान् शिव प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं।

एक और कारण है जिसका विभिन्न पवित्र पुस्तकों में उल्लेख किया गया है कि बेलपत्र जो तीन पत्रों (तीन पत्तों का सेट) का संग्रह है, त्रिनेत्र जैसा दिखता है ... जो भगवान शिव का दूसरा नाम है जिन्हें भगवान के रूप में जाना जाता है त्रि नेत्र के साथ (तीन आंखें।)

औषधीय गुण: बेलपत्र में औषधीय गुण होते हैं जो वातावरण को शुद्ध करते हैं और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। यह एक प्रकार से भगवान् शिव को उनकी तपस्या और त्याग की याद दिलाने का प्रतीक भी है।

आध्यात्मिक महत्व: बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने से मानसिक शांति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह भक्त के मन को शांति और संतुलन प्रदान करता है।

 वैदिक शास्त्रों और शिव पुराण के अनुसार,ऐसी मान्यता है कि  भगवान शिव ने देवी पार्वती से कहा था कि जब भक्त फाल्गुन महीने (हिंदी महीने के 12 वें महीने का अंतिम महीना) में घटते चंद्रमा के 14 वें दिन उनकी पूजा करते हैं, तो  इस पूजन से उन्हे अत्यधिक प्रसन्नता प्राप्त होती है और उन श्रदालुओ और भक्तों पर  भगवन शिव काफी उदार होते हैं ।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।




चराईदेव मैदाम महान: यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल

 Moidams of Charaideo Ahom dynasty in UNESCO


चराईदेव मैदाम को सांस्कृतिक श्रेणी में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई है। ये प्रतिष्ठित सम्मान अहोम राजवंश के समृद्ध इतिहास की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित करती है।

श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “चराईदेव मैदाम महान अहोम राजाओं की वीरता और अदम्य भावना का प्रतीक हैं, जो असमिया समुदाय के स्वाभिमान और सांस्कृतिक गौरव के अनूठे प्रतीक के रूप में खड़े हैं। ये एक सुखद समाचार है कि चराईदेव मैदाम को सांस्कृतिक श्रेणी में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई है। ये प्रतिष्ठित सम्मान अहोम राजवंश के समृद्ध इतिहास की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित करती है। मैं विश्व मंच पर ताई अहोम के जीवंत इतिहास को प्रदर्शित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।

ये बताना महत्वपूर्ण है कि असम के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान श्री सोनोवाल ने इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2020 में श्री सोनोवाल ने चराईदेव में राज्य सरकार की पहल "मी-डैम-मी-फी" के आयोजन का नेतृत्व किया। श्री सोनोवाल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को चराईदेव के महत्व के बारे में बताने की पहल की और उनसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी मान्यता को बढ़ाने का आग्रह किया। श्री सोनोवाल के नेतृत्व में चराईदेव मैदाम को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिलाने के लिए असम सरकार के संबंधित मंत्रियों के साथ कई समीक्षा बैठकें की गईं।

फरवरी 2017 में श्री सोनोवाल ने पूर्वांचल ताई साहित्य सभा के चराईदेव सत्र में भाग लिया, जहां उन्होंने चराईदेव क्षेत्र में एक सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना की घोषणा की और 5 करोड़ रुपये का प्रारंभिक बजट देने की प्रतिबद्धता जताई। इस प्रतिबद्धता को उस वर्ष के बजट में आवंटन के साथ पूरा किया गया। अगले वर्ष पुरातत्व विभाग के अंतर्गत विश्व धरोहर स्थल के लिए 25 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया, उस समय केशव महंत संबंधित मंत्री थे।

केन्‍द्रीय बजट 2024-25: जानें खास बातें (वन लाइनर के रूप में )

Union Budget 2024 highlight main points

Union Budget 2024 Updates: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी  के नेतृत्व में लगातार तीसरी एनडीए सरकार का पहला बजट पेश किया. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार हर साल एक लाख छात्रों को सीधे ई-वाउचर उपलब्ध कराएगी, जिसमें ऋण राशि का तीन प्रतिशत ब्याज अनुदान भी शामिल होगा. इस बजट की प्रमुख बातें निम्‍नलिखित हैं :

भाग- ए

बजट अनुमान 2024-25:

o  ऋण को छोड़कर कुल प्राप्तियां: 32.07 लाख करोड़ रुपये 

o  कुल व्‍यय: 48.21 लाख करोड़ रुपये

o  सकल कर प्राप्ति: 25.83 लाख करोड़

o  वित्‍तीय घाटा: जीडीपी का 4.9 प्रतिशत।

•  सरकार का लक्ष्‍य घाटे को अगले साल 4.5 प्रतिशत से नीचे लाना है।

•  मुद्रास्‍फीति कम, स्‍थायी और 4 प्रतिशत के लक्ष्‍य की ओर जारी है।

•  कोर मुद्रास्‍फीति (गैर-खाद्य, गैर-ईंधन) 3.1 प्रतिशत।

•  बजट में रोजगारकौशलएमएसएमई और मध्‍य वर्ग पर विशेष ध्‍यान है

रोजगार और कौशल पर प्रधानमंत्री की पांच योजनाएं

•  4.1 करोड़ युवाओं के लिए पांच साल में रोजगार-कौशल और अन्‍य अवसरों के लिए प्रधानमंत्री की पांच योजनाएं और पहल।

1. योजना कपहली बार वालों के लिए : ईपीएफओ में पंजीकृत पहली बार रोजगार पाने वाले कर्मचारियों को 15 हजार रुपये तक के एक महीने का वेतन जिसे तीन किस्तों में दिया जाएगा।

2. योजना खविनिर्माण में रोजगार सृजन : कर्मचारी और नियोक्‍ता दोनों को सीधे विनिर्दिष्‍ट स्‍केल पर प्रोत्‍साहन राशि उपलब्‍ध कराना जो नौकरी के पहले चार साल में दोनों के ईपीएफओ योगदान पर निर्भर है।

3. योजना गनौकरी देने वाले को मदद : सरकार नियोक्‍ता को उसके ईपीएफओ योगदान के लिए दो साल तक हर अतिरिक्‍त कर्मचारी पर 3000 हजार रुपये प्रत्‍येक महीना भुगतान करेगी।

4. कौशल के लिए नई केन्‍द्र प्रायोजित योजना

•  अगले पांच साल की अवधि में 20 लाख युवाओं का कौशल बढ़ाया जाएगा।

•  1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्‍थानों का उन्‍नयन किया जाएगा।

5. पांच साल में एक करोड़ युवाओं को पांच सौ टॉप कंपनियों में इंटर्नशिप के लिए  नई योजना।

‘विकसित भारत’ की दिशा में नौ बजट प्राथमिकताएं :

1. कृषि में उत्पादकता और अनुकूलनीयता

2. रोजगार और कौशल प्रशिक्षण

3. समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय

4. विनिर्माण और सेवाएं

5. शहरी विकास

6. ऊर्जा सुरक्षा

7. अवसंरचना

8. नवाचार, अनुसंधान और विकास, और

9. अगली पीढ़ी के सुधार

 प्राथमिकता 1: कृषि में उत्पादकता और अनुकूलनीयता

•  कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये का आवंटन। 

•  किसानों की खेतीबाड़ी के लिए 32 कृषि और बागवानी फसलों की नई 109 उच्च पैदावार वाली और जलवायु अनुकूल किस्में जारी की जाएंगी।

•  प्रमाण-पत्र और ब्रांडिंग व्यवस्था के साथ अगले दो वर्षों में पूरे देश में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक कृषि से जोड़ा जाएगा।

•  प्राकृतिक खेती के लिए 10,000 आवश्यकता आधारित जैव-आदान संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

•  तीन साल में किसानों और उनकी जमीन को शामिल करने हेतु कृषि में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) को लागू किया जाएगा।  

प्राथमिकता 2: रोजगार और कौशल प्रशिक्षण

•  प्रधानमंत्री पैकेज के भाग के रूप में ‘रोजगार संबद्ध प्रोत्साहन’ के लिए निम्नलिखित 3 योजनाओं योजना क- पहली बार रोजगार पाने वाले, योजना ख- विनिर्माण  में रोजगार सृजन,  योजना ग- नियोक्‍ताओं को मदद।

•  कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए

o  औद्योगिक सहयोग से महिला छात्रावास और क्रेचों की स्‍थापना। 

o  महिला केन्द्रित कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन

o  महिला स्‍वयं सहायता समूह उद्यम को बाजार तक पहुंच को बढ़ाना

कौशल विकास 

o  प्रधानमंत्री के पैकेज के तहत पांच साल की अवधि में 20 लाख युवाओं के कौशल विकास के लिए केन्‍द्र प्रायोजित नई योजना।

o  7.5 लाख रुपये तक के ऋण की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मॉडल कौशल ऋण योजना।

o  सरकार की योजनाओं और नीतियों के तहत किसी लाभ के लिए पात्र नहीं होने वाले युवाओं को घरेलू संस्थानों में उच्चतर शिक्षा के लिए 10 लाख रुपये तक के ऋण हेतु वित्तीय सहायता।

प्राथमिकता 3: समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय

पूर्वोदय

•  अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारे के साथ गया में औद्योगिक केंद्र का विकास।

•  21,400 करोड़ रुपये की लागत से विद्युत परियोजनाएं आरंभ की जाएंगी जिसमें पिरपैंती में 2400 मेगावाट का नया विद्युत संयंत्र शामिल।

आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम

•  बहुपक्षीय विकास एजेंसियों के माध्यम से मौजूदा वित्त वर्ष में 15,000 करोड़ रुपये की  विशेष वित्तीय सहायता।

•  विशाखापत्तनम-चेन्नई औद्योगिक गलियारे में कोप्पार्थी क्षेत्र और हैदराबाद–बेंगलुरु औद्योगिक गलियारे में ओरवाकल क्षेत्र में औद्योगिक केन्‍द्र।

महिलाओं के नेतृत्‍व विकास 

  • महिलाओं और लड़कियों को फायदा पहुंचाने वाली योजनाओं के लिए कुल तीन लाख करोड़ रुपये का आवंटन।

प्रधानमंत्री जनजातीय उन्‍नत ग्राम अभियान

•  जनजातीय-बहुल गांवों और आकांक्षी जिलों में जनजातीय परिवारों का सामाजिक-आर्थिक विकास, इसमें 63,000 गांवों के 5 करोड़ जनजातीय लोग लाभार्थी होंगे। 

उत्‍तर-पूर्वी क्षेत्र में बैंक शाखाएं

  • उत्‍तर-पूर्वी क्षेत्र में इंडिया पोस्‍ट पेमेंट बैंक की 100 शाखाएं खोलना।

प्राथमिकता 4: विनिर्माण और सेवाएं

विनिर्माण क्षेत्र में एमएसएमई के लिए ऋण गारंटी योजना

•  गिरवी या तृतीय पक्ष गारंटी के बिना मशीनरी और उपकरण की खरीद के लिए एमएसएमई को आवधिक ऋण की सुविधा देने के लिए ऋण गारंटी योजना।

संकट की अवधि के दौरान एमएसएमई को ऋण सहायता

• एमएसएमई को उनके संकट अवधि के दौरान बैंक ऋण जारी रखने की सुविधा के लिए एक नई व्यवस्था।

मुद्रा लोन

•  ‘तरुण’ श्रेणी के अंतर्गत मुद्रा ऋणों की सीमा को उन उद्यमियों के लिए मौजूदा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया जाएगा जिन्होंने पहले के ऋणों को सफलतापूर्वक चुका दिया है।

ट्रेड्स में अनिवार्य रूप से शामिल होने के लिए और अधिक संभावना

•  खरीददारों को ट्रेड्स प्लेटफॉर्म पर अनिवार्य रूप से शामिल करने के लिए कारोबार की सीमा को 500 करोड़ रुपये से घटाकर 250 करोड़ रुपये कर दिया गया। 

फूड इरेडिएशनगुणवत्ता और सुरक्षा परीक्षण के लिए एमएसएमई इकाइयां

•  एमएसएमई क्षेत्र में 50 मल्टी-प्रोडक्ट फूड इरेडिएशन इकाइयां स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी।

ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र

•  एमएसएमई तथा पारंपरिक कारीगरों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपने उत्पादों को बेचने में सक्षम बनाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

महत्वपूर्ण खनिज मिशन

•  घरेलू उत्पादन, महत्वपूर्ण खनिजों की रिसाइक्लिंग और विदेशों में महत्वपूर्ण खनिज संपदा का अधिग्रहण करने के लिए महत्वपूर्ण खनिज मिशन की स्थापना होगी।

खनिजों का अपतटीय खनन

•  पहले से किये गए खोज के आधार पर खनन के लिए अपतटीय ब्लॉकों के पहले भाग की नीलामी शुरू होगी।

डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) अनुप्रयोग

•  ऋण, ई-कॉमर्स, शिक्षा, स्वास्थ्य, विधि और न्याय, लॉजिस्टिक्स, एमएसएमई, सेवा प्रदायगी और शहरी शासन के क्षेत्र में डीपीआई अनुप्रयोगों का विकास।

प्राथमिकता 5: शहरी विकास 

आवागमन उन्मुखी विकास

•  30 लाख से अधिक जनसंख्या वाले 14 बड़े शहरों के लिए कार्यान्वयन और वित्तपोषण रणनीति के साथ आवागमन उन्मुखी विकास योजनाएं तैयार की जाएंगी।

शहरी आवास

•  प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी 2.0 के अंतर्गत, 2.2 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता सहित 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश से अगले पांच वर्ष में 1 करोड़ शहरी गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों की आवास जरूरतों का समाधान किया जाएगा। 

स्ट्रीट मार्केट

•  अगले पांच वर्षों में प्रत्येक वर्ष चुनिंदा शहरों में 100 साप्ताहिक ‘हाट’ या स्ट्रीट फूड हब के विकास में सहायता के लिए नई योजना।

प्राथमिकता 6: ऊर्जा सुरक्षा

ऊर्जा परिवर्तन

•  रोजगार, विकास और पर्यावरण स्थायित्व की आवश्यकता के बीच संतुलन कायम करने के लिए समुचित ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में एक नीतिगत दस्तावेज।

पम्प्ड स्टोरेज पॉलिसी

•  विद्युत भंडारण के लिए पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाओं को बढ़ावा देने की एक नीति।

छोटे तथा मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरों का अनुसंधान और विकास

•  भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर के अनुसंधान एवं विकास तथा परमाणु ऊर्जा के लिए और भारत स्मॉल रिएक्टर की स्थापना के लिए नई प्रौद्योगिकियों के लिए सरकार निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करेगी।

उन्नत अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट

•  उन्नत अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल (एयूएससी) प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके परिपूर्ण 800 मेगावाट का वाणिज्यिक संयंत्र स्थापित करने के लिए एनटीपीसी और बीएचईएल के बीच एक संयुक्त उद्यम प्रस्‍तावित।


‘हार्ड टू एबेट’ उद्योगों के लिए रोडमैप

• ‘हार्ड टू एबेट’ उद्योगों को वर्तमान के ‘परफॉर्मएचीव एंड ट्रेड’ पद्धति से ‘इंडियन कार्बन मार्केटपद्धति में परिवर्तित करने के लिए उपयुक्त विनियम।

प्राथमिकताः 7 अवसंरचना

केंद्र सरकार द्वारा अवसंरचना में निवेश

  • पूंजीगत व्यय के लिए `11,11,111 करोड़ रुपये (जीडीपी का 3.4 प्रतिशत) का प्रावधान।

राज्य सरकारों द्वारा अवसंरचना में निवेश

•  राज्यों को उनके संसाधन आवंटन में सहायता करने के लिए इस वर्ष भी 1.5 लाख करोड़ रुपये के ब्याज रहित दीर्घावधि ऋण का प्रावधान।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई)

• 25,000 ग्रामीण बसावटों के लिए बारहमासी सड़क संपर्क उपलब्ध कराने हेतु पीएमजीएसवाई का चरण IV आरंभ किया जाएगा।

सिंचाई और बाढ़ उपशमन

• बिहार में कोसी-मेची अंतर्राज्यीय लिंक और अन्‍य योजनाओं जैसी परियोजनाओं के लिए 11,500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता।

  • सरकार बाढ़भूस्‍खलन और अन्‍य संबंधित परियोजनाओं के लिए असमहिमाचल प्रदेशउत्‍तराखंड और सिक्किम को सहायता प्रदान करेगी। 

पर्यटन

  • विष्णुपद मंदिर गलियारामहाबोधि मंदिर गलियारा और राजगीर का व्‍यापक विकास। 

•  ओडिशा के मंदिरोंस्मारकशिल्पवन्य जीव अभयारण्यप्राकृतिक भू-दृश्य और प्राचीन समुद्री तट के विकास हेतु सहायता

प्राथमिकता 8: नवाचारअनुसंधान और विकास

• मूलभूत अनुसंधान और प्रोटोटाइप विकास के लिए अनुसंधान नेशनल रिसर्च फंड। 

• वाणिज्यिक स्तर पर निजी क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के वित्तीय पूल व्यवस्था।

अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था

• अगले 10 वर्षों में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को 5 गुणा बढ़ाने पर निरन्तर जोर देते हुए 1,000 करोड़ रुपये की उद्यम पूंजी निधि।

प्राथमिकता 9: अगली पीढ़ी के सुधार

ग्रामीण भूमि संबंधी कार्य

• सभी भू-खण्डों के लिए अनन्य भूखंड पहचान संख्या (यूएलपीआईएन) अथवा भू-आधार

• संवर्गीय मानचित्रों का डिजिटलीकरण,

• वर्तमान स्वामित्व के अनुसार मानचित्र उप-प्रभागों का सर्वेक्षण

• भू-रजिस्ट्री की स्थापनाऔर

• कृषक रजिस्ट्री से जोड़ना।

शहरी भूमि संबंधी कार्य

• शहरी क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों को जीआईएस मैपिंग के साथ अंकीकृत किया जाएगा।

श्रमिकों के लिए सेवाएं

• ऐसे वन स्‍टॉप समाधान के लिए ई-श्रम पोर्टल को अन्‍य पोर्टलों से जोड़ना।

• तेजी से बदलते श्रमिक बाजार,  कौशल संबंधी जरूरतों और उपलब्‍ध रोजगार की भूमिकाओं के लिए मुक्‍त आर्किटेक्‍चर डाटाबेस।

• रोजगार के इच्‍छुक लोगों को संभावित नियोक्‍ताओं और कौशल प्रदाताओं के साथ जोड़ने के लिए प्रणाली।

एनपीएस वात्‍सल्‍य

• नाबालिगों के लिए माता-पिता और अभिभावकों द्वारा योगदान हेतु एक योजना के रूप में एनपीएस वात्‍सल्‍य।

खंड-बी

अप्रत्‍यक्ष कर

जीएसटी

• जीएसटी की सफलता से उत्‍साहित होकरजीएसटी के शेष क्षेत्रों तक विस्‍तार हेतु सरलीकृत एवं तर्कसंगत कर संरचना।

क्षेत्र विशेष के लिए सीमा शुल्‍क के प्रस्‍ताव

औषधियां एवं चिकित्‍सा उपकरण

• कैंसर की तीन दवाइयां- ट्रेस्‍टुजुमाब डिरूक्‍सटीकेनओसिमर्टिनिब और डुर्वालुमैब को सीमा शुक्‍ल से पूरी तरह छूट।

• चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम के तहत एक्‍सरे ट्यूब और मेडिकल एक्‍सरे मशीनों में इस्‍तेमाल हेतु फलैट पैनल डिडेक्‍टरों पर मूलभूत सीमा शुल्‍क में बदलाव।

मोबाइल फोन और संबंधित पुर्जे

• मोबाइल फोनमोबाइल प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेम्‍बली (पीसीबीए) और मोबाइल चार्जर पर मूलभूत सीमा शुल्‍क को घटाकर 15 प्रतिशत किया गया।

कीमती धातु

• सोने और चांदी पर सीमा शुल्‍क घटाकर 6 प्रतिशत किया गया और प्‍लेटिनम पर 6.4 प्रतिशत किया गया।

अन्‍य धातु

• लौहनिकेल और ब्लिस्‍टर तांबे पर मूलभूत सीमा शुल्‍क हटाया गया।

• लौह स्क्रैप और निकेल कैथोड पर मूलभूत सीमा शुल्‍क हटाया गया।

• तांबा स्‍क्रैप पर 2.5 प्रतिशत रियायती मूलभूत सीमा शुल्‍क।

इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स

• रेजिस्‍टरों के विनिर्माण हेतु ऑक्‍सीजन मुक्‍त तांबे पर कुछ शर्तों पर मूलभूत सीमा शुल्‍क हटाया गया।

रसायन एवं पेट्रोकेमिकल्स

• अमोनियम नाइट्रेट पर मूलभूत सीमा शुल्‍क को 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया गया।

प्‍लास्टिक

  • पीवीसी फ्लैक्‍स बैनरों पर मूलभूत सीमा शुल्‍क को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया गया।

दूरसंचार उपकरण

• विनिर्दिष्ट दूरसंचार उपकरण के पी.सी.बी.ए. पर बीसीडी को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का प्रस्ताव।

व्यापार सुविधा

• घरेलू विमानन और नाव तथा जलयान के एमआरओ उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से मरम्मत के लिए आयात की गई वस्‍तुओं के निर्यात के लिए समयावधि को छह महीनों से बढ़ाकर एक वर्ष करने का प्रस्ताव।

• वारंटी वाली वस्‍तुओं को मरम्मत के लिए पुनः आयात करने की समय-सीमा को 3 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष करने का प्रस्ताव।

महत्वपूर्ण खनिज

• 25 महत्वपूर्ण खनिजों को सीमा शुल्क से पूरी तरह छूट।

• 2 महत्वपूर्ण खनिजों पर बीसीडी को कम करने का प्रस्ताव।

सौर ऊर्जा

• सोलर सैल और पैनलों के विनिर्माण में इस्तेमाल होने वाली पूंजीगत वस्तुएं सीमा शुल्‍क के दायरे से बाहर।

समुद्री उत्पाद

• कुछ ब्रूडस्टॉकपॉलीकीट वॉर्म्सश्रिम्प और फिश फीड पर बीसीडी को घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव।

• श्रिम्प और फिश फीड के विनिर्माण में इस्‍तेमाल होने वाले विभिन्‍न कच्‍चे माल को भी सीमा शुल्क से छूट देने का प्रस्ताव।

चमड़ा और कपड़ा

• बत्तख या हंस से मिलने वाले रियल डाउन फिलिंग मैटेरियल पर बीसीडी को कम करने का प्रस्ताव।

• स्पैन्डेक्स यार्न के विनिर्माण के लिए मिथाइलेन डाईफिनाइल डाईआईसोसाएनेट (एमडीआई) पर बीसीडी को कुछ शर्तों के साथ 7.5 से घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव।

प्रत्यक्ष कर

• करों को सरल बनानेकरदाता सेवाओं में सुधार करनेकर निश्चितता प्रदान करने और मुकदमेबाजी को कम करने के प्रयासों जारी रहेंगे।

• सरकार की विकास और कल्याणकारी योजनाओं के वित्तपोषण के लिए राजस्व बढ़ाने पर जोर।

• वित्त वर्ष 2022-23 में 58 प्रतिशत कॉरपोरेट टैक्स सरलीकृत कर व्यवस्था द्वारा जमा हुआ। वित्त वर्ष 2023-24 में दो तिहाई से अधिक करदाताओं ने सरलीकृत कर व्‍यवस्‍था का लाभ उठाया।

धर्मार्थ संस्थाओं और टीडीएस का सरलीकरण

• धर्मार्थ संस्थाओं के लिए कर में छूट की दो व्यवस्थाओं को मिलाकर एक करने का प्रस्ताव।

• विभिन्‍न भुगतानों पर 5 प्रतिशत टीडीएस दर को घटा कर 2 प्रतिशत टीडीएस दर किया जाएगा।

• म्युचुअल फंडों या यूटीआई द्वारा यूनिटों की पुनः खरीद पर 20 प्रतिशत टीडीएस दर को समाप्त करने का प्रस्‍ताव।

• ई-कॉमर्स ऑपरेटरों पर टीडीएस दर को 1 प्रतिशत से घटाकर 0.1 प्रतिशत करने का प्रस्ताव।

• टीडीएस के भुगतान में विलम्ब को टीडीएस के लिए विवरणी फाइल करने की नियत तारीख तक डिक्रिमिनलाईज करने का प्रस्ताव।

पुनः निर्धारण का सरलीकरण

  • किसी कर निर्धारण वर्ष के समाप्त होने के तीन से पांच वर्षों के बाद किसी कर निर्धारण को नए सिरे से केवल तभी खोला जा सकेगा जब कर से छूट प्राप्त आय 50 लाख या उससे अधिक हो।
  • सर्च मामलों में समय सीमा को दस वर्षों की मौजूदा समय सीमा के स्थान पर सर्च के वर्ष से पहले छह वर्ष की समय सीमा करने का प्रस्ताव।

कैपिटल गेन का सरलीकरण और युक्तिकरण

• कुछ वित्तीय परिसंपत्तियों के संबंध में लघु अवधि के लाभ पर 20 प्रतिशत कर लगेगा।

• सभी वित्तीय और गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों पर दीर्घ अवधि के लाभों पर 12.5 प्रतिशत की दर से कर लगेगा।

• परिसंपत्तियों पर कैपिटल गेन के छूट की सीमा को बढ़ाकर 1.25 लाख प्रतिवर्ष करने का प्रस्ताव।

करदाता सेवाएं

• सीमा शुल्क और आयकर की सभी शेष सेवाओं जिनमें ऑर्डर गिविंग इफेक्ट व रैक्टिफिकेशन सम्मिलित हैंको अगले दो वर्षों के दौरान डिजिटलीकरण किया जाएगा।

मुकदमेबाजी और अपील

• अपील में लंबित कतिपय आयकर विवादों के समाधान के लिए विवाद से विश्वास योजना2024 का प्रस्ताव।

• टैक्स अधिकरणोंउच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में प्रत्यक्ष करोंउत्पाद शुल्क और सेवा कर से संबंधित अपीलों को दायर करने के लिए मौद्रिक सीमाओं को क्रमशः 60 लाख रुपये2 करोड़ रुपये और 5 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का प्रस्ताव।

• अंतरराष्ट्रीय कराधान में मुकदमेबाजी को कम करने और निश्चितता प्रदान करने के लिए सेफ हार्बर नियमों के दायरे का विस्तार।

रोजगार और निवेश

• स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को प्रोत्साहित करने के लिए सभी वर्गों निवेशकों के लिए एंजेल टैक्स को समाप्त करने का प्रस्ताव।

• भारत में क्रूज पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए घरेलू क्रूज का संचालन करने वाली विदेशी शिपिंग कंपनियों के लिए कर व्यवस्था को सरल करने का प्रस्ताव।

  • देश में अपरिष्कृत हीरा बेचने वाली विदेशी खनन कंपनियों के लिए सेफ हार्बर दरों का प्रावधान।

•  विदेशी कंपनियों पर कारपोरेट कर दर को 40 प्रतिशत से घटाकर 35 प्रतिशत करने का प्रस्ताव।

कर आधार का विस्तार

•  फ्यूचर्स और ऑप्सन्स के विकल्पों पर सिक्यूरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स को बढ़ाकर क्रमशः 0.02 प्रतिशत और 0.1 प्रतिशत करने का प्रस्ताव।

• प्राप्तकर्ता के द्वारा शेयरों की पुनः खरीद पर प्राप्त आय पर कर लगेगा।

सामाजिक सुरक्षा लाभ

  • एनपीएस में नियोजनकर्ता द्वारा किए जा रहे योगदान को कर्मचारी के वेतन के 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने का प्रस्ताव।

•  20 लाख रूपये तक की चल परिसंपत्तियों की सूचना न देने को गैर-दांडिक बनाने का प्रस्ताव।

वित्त विधेयक के अन्य प्रमुख प्रस्ताव

• 2 प्रतिशत के इक्वलाइजेशन लेवी को वापस।

नई कर व्‍यवस्‍था के तहत व्यक्तिगत आयकर में बदलाव

• वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 रूपये से बढ़ाकर 75,000 रूपये करने का प्रस्ताव।

• पेंशनभोगियों के लिए पारिवारिक पेंशन पर कटौती को 15,000 रूपये से बढ़ाकर 25,000 रूपये करने का प्रस्ताव।

(Source PIB)

बनाएं कच्चे केले की मसालेदार कोफ्ता करी: स्वाद ऐसा की भूल नहीं पाएंगे


कच्चे केले की मसालेदार कोफ्ता करी एक स्वादिष्ट और पौष्टिक भारतीय व्यंजन है। कच्चे केले के कोफ्ते या केला कोफ्ता करी कई तरीकों से बनाए जा सकते हैं,इसे बनाने के लिए निम्नलिखित सामग्री और विधि का पालन करें:

सामग्री:

कोफ्ते के लिए:

4-5 कच्चे केले (उबले और मैश किए हुए)

2-3 हरी मिर्च (बारीक कटी हुई)

1 चम्मच अदरक-लहसुन पेस्ट

1/2 कप बेसन (बेसन)

1/2 चम्मच गरम मसाला

1/2 चम्मच लाल मिर्च पाउडर

1/4 चम्मच हल्दी पाउडर

नमक स्वादानुसार

तेल (तलने के लिए)

करी के लिए: 

अच्छा केला कोफ़्ता के लिए यह जरूरी है कि कोफ़्ता के साथ साथ करी भी स्वादिष्ट और देखने मे सुंदर हो। इसके लिए यह जरूरी है कि सबसे पहले एक पैन या कड़ाही में तेल गरम करें और उसमे एक तेज पत्ता डालें। इसके बाद तेजपात को कुछ देर तक भूनें और फिर प्याज़ का पेस्ट, अदरक-लहसुन का पेस्ट डाल कर उसे धीमी आंच पर भुने. बढ़िया और स्वादिष्ट करी के लिए यह जरूरी है कि आप उसे तब तक भूनें जब तक कि तेल अलग न होने लगे।

Video: बनाएं कच्चे केले की मसालेदार कोफ्ता करी



2 बड़े प्याज (बारीक कटे हुए)

2 टमाटर (बारीक कटे हुए)

1 चम्मच अदरक-लहसुन पेस्ट

2-3 हरी मिर्च (बारीक कटी हुई)

1/2 चम्मच हल्दी पाउडर

1 चम्मच धनिया पाउडर

1 चम्मच गरम मसाला

1/2 चम्मच लाल मिर्च पाउडर

1/2 कप दही (फेंटी हुई)

2-3 चम्मच तेल

नमक स्वादानुसार

हरा धनिया (सजाने के लिए)

विधि:

कोफ्ते बनाने की विधि:

1. एक बड़े बाउल में उबले और मैश किए हुए केले और आलू लें।

2. इसमें हरी मिर्च, अदरक-लहसुन पेस्ट, बेसन, गरम मसाला, लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर और नमक मिलाएं।

3. सबको अच्छी तरह मिलाकर छोटे-छोटे कोफ्ते बना लें।

4. एक कड़ाही में तेल गरम करें और कोफ्तों को सुनहरा भूरा होने तक तल लें। तले हुए कोफ्तों को पेपर टॉवल पर निकालकर रख लें।

करी बनाने की विधि:

1. एक पैन में तेल गरम करें और उसमें बारीक कटे प्याज डालकर सुनहरा भूरा होने तक भूनें।

2. अदरक-लहसुन पेस्ट और हरी मिर्च डालकर कुछ मिनट भूनें।

3. बारीक कटे टमाटर डालें और टमाटर के नरम होने तक पकाएं।

4. हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर, गरम मसाला, और लाल मिर्च पाउडर डालकर मसालों को अच्छी तरह से मिलाएं।

5. दही डालकर अच्छी तरह से मिलाएं और करी को कुछ मिनट तक पकने दें।

6. नमक डालकर मिलाएं और फिर से कुछ मिनट तक पकाएं।

अंतिम प्रक्रिया:

1. तैयार कोफ्ते करी में डालें और कुछ मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं ताकि कोफ्ते करी का स्वाद सोख लें।

2. हरे धनिये से सजाएं और गरमा गरम परोसें।

आपकी कच्चे केले की मसालेदार कोफ्ता करी तैयार है। इसे चपाती, पराठा, या चावल के साथ परोसें।