Daily GK Current Affairs: मन की बात 111 वीं कड़ी पर MCQ Quiz


संकलन: शिवम द्वारा 

Mann Ki Baat:  मार्च महीने में आचार संहिता लागु होने के कारण  मन की बात कार्यक्रम का अगला एपिसोड अर्थात 111 वां संस्करण तीन महीने के बाद प्रसारण आज अर्थात जून 30, 2024 को प्रसारित हुआ।  हम यहाँ पर लाएं हैं आपके लिए मन की बात की 111वीं कड़ी में प्रधानमंत्री द्वारा उल्लेखित विभिन्न पर्सनलिटी और स्थान पर आधारित GK Quiz जो प्रतियोगिता परीक्षा कि तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए खास रूप से तैयार किया गया है। 

  • वीर सिद्धो-कान्हू  का संबंध किस राज्य से है- झारखंड 
  • कार्थुम्बी छाता का संबंधी किस राज्य से है-केरल 
  • कार्थुम्बी छाते’ और इन्हें तैयार किया जाता है केरला के अट्टापडी में
  •  इन छातों को ‘वट्टालक्की सहकारी कृषि सोसाइटी’ की देखरेख में बनाया जाता है। 
  • किस देश सरकार ने अपने National Radio पर एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया है हिन्दी में-कुवैत 

किस देश ने  गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी  को सम्मान  दिया है-तुर्कमेनिस्तान

तुर्कमेनिस्तान में इस साल मई में वहाँ के राष्ट्रीय कवि की 300वीं जन्म-जयंती मनाई गई। इस अवसर पर तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने दुनिया के 24 प्रसिद्ध कवियों की प्रतिमाओं का अनावरण किया। इनमें से एक प्रतिमा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी की भी है। ये गुरुदेव का सम्मान है, भारत का सम्मान है।

  • Araku coffee का संबंध किस राज्य से है-आंध्र प्रदेश 
  •  ये अपने rich flavor और aroma के लिए जानी जाती है।

कब्बन पार्क का संबंधी किस शहर से है- बेंगलुरू 

बेंगलुरू में एक पार्क है- कब्बन पार्क ! इस पार्क में यहाँ के लोगों ने एक नई परंपरा शुरू की है। यहाँ हफ्ते में एक दिन, हर रविवार बच्चे, युवा और बुजुर्ग आपस में संस्कृत में बात करते हैं। इतना ही नहीं, यहाँ वाद- विवाद के कई session भी संस्कृत में ही आयोजित किए जाते हैं। इनकी इस पहल का नाम है – संस्कृत weekend ! इसकी शुरुआत एक website के जरिए समष्टि गुब्बी जी ने की है। 

  • आज 30 जून को आकाशवाणी का संस्कृत बुलेटिन अपने प्रसारण के 50 साल पूरे कर रहा है। 

अभ्यास- हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट का सफलतापूर्वक परीक्षण पूरा : Facts in Brief

ABHYAS High Speed Expendable Aerial Target Facts in Brief

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आइटीआर) से उन्नत बूस्टर कॉन्फिगरेशन के साथ हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (एचईएटी) ‘अभ्यास’ के लगातार छह विकासात्मक परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। इसके साथ ही, ‘अभ्यास’ ने सिस्टम की विश्वसनीयता को प्रदर्शित करते हुए 10 विकासात्मक परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं।

परीक्षण उन्नत रडार क्रॉस सेक्शन, विजुअल और इन्फ्रारेड वृद्धि प्रणालियों के साथ किए गए थे। परीक्षणों के दौरान, बूस्टर की सुरक्षित मुक्ति, लॉन्चर क्लीयरेंस और धीरज प्रदर्शन को कवर करने वाले विभिन्न मिशन संबंधी उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया। 

न्यूनतम रसद के साथ संचालन की आसानी को प्रदर्शित करते हुए 30 मिनट के अंतराल में दो लॉन्च किए गए। विभिन्न सेनाओं के प्रतिनिधियों ने उड़ान परीक्षणों को देखा।

जानें क्या है अभ्यास?

‘अभ्यास’ को डीआरडीओ के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान, बेंगलुरु द्वारा डिजाइन किया गया है और उत्पादन एजेंसियों - हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और लार्सन एंड टुब्रो के माध्यम से विकसित किया गया है। यह हथियार प्रणालियों के लिए एक यथार्थवादी जोखिम से निपटने का परिदृश्य प्रदान करता है।

 यह स्वदेशी प्रणाली एक ऑटो पायलट, विमान एकीकरण, प्री-फ्लाइट चेक और स्वायत्त उड़ान के लिए लैपटॉप-आधारित ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम की मदद से स्वायत्त उड़ान के लिए डिजाइन की गई है। 

इसमें उड़ान के बाद के विश्लेषण के लिए उड़ान के दौरान डेटा रिकॉर्ड करने की सुविधा भी है। बूस्टर को एडवांस्ड सिस्टम्स लेबोरेटरी और नेविगेशन सिस्टम को रिसर्च सेंटर इमारत द्वारा डिजाइन किया गया है। पहचान की गई उत्पादन एजेंसियों के साथ, ‘अभ्यास’ अब उत्पादन के लिए तैयार है।


Stamp Collection: महात्मा गांधी पर सबसे दुर्लभ डाक टिकट संग्रह, जिन्हे आपने पहले कहीं नहीं देखा होगा

भारतीय इतिहास के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक महात्मा गांधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे, जो न केवल उनके जीवन के लिए बल्कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए भी एक महत्वपूर्ण क्षण था। गांधी की वापसी उनकी सक्रियता में एक नए चरण की शुरुआत थी, जो अंततः 1947 में ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता का कारण बनी।

फिलेटली प्लैनेट को गांधी जी से संबंधित डाक टिकट प्रदर्शित करने पर गर्व है, जो एक साधारण जीवन जीने वाले और नैतिक उपदेशक थे, जिन्होंने अपने नेतृत्व के माध्यम से देश को एक नई दिशा दी।

अहिंसा और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का विश्व प्रशंसित दर्शन वर्तमान समय में अधिक प्रासंगिक है। चरखा, चरखा और खादी के प्रतीकों के माध्यम से, उन्होंने आत्मनिर्भरता और श्रम की गरिमा के संदेश पर जोर दिया। महात्मा गांधी ने स्वच्छता को तीन आयामों के रूप में देखा- स्वच्छ मन, स्वच्छ शरीर और स्वच्छ परिवेश। उनका जीवन सार्वजनिक स्वच्छता, व्यक्तिगत स्वच्छता और पर्यावरणीय स्वच्छता का प्रतीक है।

मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें बापू के नाम से जाना जाता है और जिन्हें आमतौर पर ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से जाना जाता है, धरती पर एक अद्वितीय व्यक्तित्व हैं, जो अपनी सादगी और बेहतरीन विचारों के लिए जाने जाते हैं।

अहिंसा और स्वतंत्रता के पर्यायवाची और कई लोगों के प्रिय महात्मा गांधी, फिलेटली प्लैनेट उन पर जारी किए गए दुर्लभ डाक टिकटों को प्रस्तुत करके उन्हें श्रद्धांजलि देता है।

भारत सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्यों को तेजी से हासिल करना शुरू कर दिया है, जो गांधीजी की जयंती पर उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि और सम्मान की अभिव्यक्ति होगी।

पृष्ठभूमि: दक्षिण अफ्रीका में गांधी

गांधी 1893 में एक युवा वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका गए थे। वहां अपने 21 वर्षों के दौरान, उन्होंने अपने राजनीतिक और नैतिक विचारों, विशेष रूप से सत्याग्रह या अहिंसक प्रतिरोध की अवधारणा को विकसित किया। नस्लीय भेदभाव के साथ उनके अनुभव और दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए लड़ने के उनके प्रयासों ने उनकी रणनीतियों और दर्शन को आकार दिया।

भारत वापसी

गाँधी 9 जनवरी, 1915 को 45 वर्ष की आयु में भारत लौटे। उनके आगमन का स्वागत काफ़ी उत्सुकता और उत्साह के साथ किया गया। दक्षिण अफ़्रीका में बिताए वर्षों ने उन्हें एक प्रसिद्ध व्यक्ति बना दिया था, और भारत में कई लोग यह देखने के लिए उत्सुक थे कि उनके तरीकों और विचारों को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष में कैसे लागू किया जा सकता है।


उन्होंने कई प्रमुख गतिविधियों और आंदोलनों में भाग लिया, जो भारतीय राजनीति में उनकी भूमिका को परिभाषित करेंगे:

चंपारण और खेड़ा आंदोलन (1917-1918):

गाँधी ने चंपारण (बिहार) और खेड़ा (गुजरात) में किसानों की शिकायतों को दूर करने के लिए सफल अभियान चलाए, जिनका अंग्रेजों द्वारा शोषण किया जा रहा था।

ये आंदोलन महत्वपूर्ण थे क्योंकि वे भारत में सत्याग्रह के पहले प्रमुख अनुप्रयोगों में से थे।

असहयोग आंदोलन (1920-1922):

जलियांवाला बाग हत्याकांड और दमनकारी रौलेट अधिनियम के जवाब में, गांधी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया, जिसमें भारतीयों से ब्रिटिश संस्थानों से हटने, विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने का आग्रह किया गया।

इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण वृद्धि को चिह्नित किया और गांधी के तरीकों के लिए व्यापक समर्थन प्रदर्शित किया।

नमक मार्च (1930):

गांधी का दांडी तक 240 मील का नमक मार्च नमक पर ब्रिटिश एकाधिकार के खिलाफ एक सीधा अभियान था।

सविनय अवज्ञा के इस कृत्य ने अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया और स्वतंत्रता आंदोलन के नेता के रूप में गांधी की भूमिका को और मजबूत किया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन:

यह आंदोलन, ब्रिटिश सरकार के कुछ कानूनों, मांगों और आदेशों का पालन करने से इनकार करने की विशेषता रखता है, स्वतंत्रता के संघर्ष में एक और महत्वपूर्ण चरण था। गांधी का अहिंसक प्रतिरोध पर जोर इन प्रयासों की आधारशिला बना रहा।

नालंदा विश्वविद्यालय, बिहार: जिसकी विरासत आज भी विद्वानों और छात्रों को प्रेरित करती है-Five Facts

Nalanda University five facts you need to know

नालंदा विश्वविद्यालय भारत के प्राचीन मगध (आधुनिक बिहार) राज्य में एक बौद्ध महाविहार (मठ-विश्वविद्यालय) था। यह स्थल पटना से लगभग 95 किलोमीटर (59 मील) दक्षिण-पूर्व में बिहार शरीफ़ शहर के पास स्थित है, और पाँचवीं शताब्दी ई. से 1200 ई. तक शिक्षा का केंद्र था। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है।

 नालंदा विश्वविद्यालय वास्तव में एक अद्वितीय संस्थान था और इसका दुनिया में ज्ञान के विकास पर गहरा प्रभाव पड़ा। यह शिक्षा के महत्व और दुनिया को बदलने के लिए ज्ञान की शक्ति की याद दिलाता है।

  • इसकी स्थापना 5वीं शताब्दी ई. में गुप्त साम्राज्य द्वारा की गई थी। यह दुनिया के पहले विश्वविद्यालयों में से एक था, और इसने पूरे एशिया से विद्वानों को आकर्षित किया।
  • यह बौद्ध धर्म, दर्शन, गणित, खगोल विज्ञान और चिकित्सा के अध्ययन का केंद्र था।
  • इसमें 9 मिलियन से अधिक पुस्तकों वाला एक बड़ा पुस्तकालय था।
  • इसे 1193 ई. में बख्तियार खिलजी की आक्रमणकारी सेना ने नष्ट कर दिया था।
  • इसे 21वीं सदी में एक आधुनिक विश्वविद्यालय के रूप में फिर से बनाया गया।
  • नालंदा विश्वविद्यालय 700 से अधिक वर्षों तक दुनिया में शिक्षा के सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक था।
  • यह एक ऐसा स्थान था जहाँ पूरे एशिया से विद्वान दर्शन, धर्म और विज्ञान के महान प्रश्नों का अध्ययन और बहस करने आते थे।
  • नालंदा का विनाश दुनिया में ज्ञान के विकास के लिए एक बड़ा झटका था, लेकिन इसकी विरासत आज भी विद्वानों और छात्रों को प्रेरित करती है।
  • विश्वविद्यालय को 8 कॉलेजों में विभाजित किया गया था, जिनमें से प्रत्येक एक अलग विषय में विशेषज्ञता रखता था।
  • नालंदा के छात्रों को बौद्ध धर्म, दर्शन, गणित, खगोल विज्ञान और चिकित्सा सहित कई विषयों का अध्ययन करना पड़ता था। विश्वविद्यालय में 9 मिलियन से अधिक पुस्तकों वाला एक बड़ा पुस्तकालय था। नालंदा के शिक्षकों का बहुत सम्मान किया जाता था और वे पूरे एशिया से आते थे।
  •  विश्वविद्यालय संस्कृत से अन्य भाषाओं में ग्रंथों के अनुवाद का केंद्र था। नालंदा विश्वविद्यालय बौद्ध धर्म के प्रसार का एक प्रमुख केंद्र था।

Point Of View: मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व, स्पष्ट दृष्टि और लोकप्रियता ने फेरा विपक्षी मंसूबों पर पानी

Najariya: Why Modi is Unbeatable Against Opposition

Point Of View : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार शपथ लेकर विपक्ष को यह क्लियर मैसेज दे दिया है कि वे इतनी आसानी से हार मानने वाले नही है। नरेंद्र मोदी  जिन्होंने हमेशा से चुनाव को अपने खुद के दम से न केवल भाजपा और एन डी ए , बल्कि विपक्ष के मुद्दों के स्ट्रैटिजी को भी वो खुद तैयार करने कि जिम्मेदारी बखूबी निभाते हैं, वो अक्सर कहा करते थे कि विपक्ष को उनके राजनीतिक सूझ बूझ पर किसी प्रकार की कोई शंका नहीं होनी चाहिए। इस बार भी बहुमत से दूर होते हुए भी बिना किसी परेशानी के जिस प्रकार से उन्होंने गठबंधन वाली सरकार शुरू किया है, उसका संदेश भी साफ है कि वो समझौता करने वाले नही हैं।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो अपने कौशल और वाकपटुता के साथ ही राजनितिक सूझबूझ के लिए भी जाने जाते हैं.और उनकी इस खूबियों का कायल उनके विरोधी भी हैं. उनके विरोधी भी मोदी को भली भांति जानते हैं कि उन्हें हराना इतना आसान नहीं है क्योंकि मोदी का करिश्माई व्यक्तित्व, स्पष्ट दृष्टि और मजबूत लोकप्रियता उन्हें और भी अजेय बनाती है.
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प्रधान मंत्री मोदी के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि वह अपने विरोधियों को कभी कोई मौका नहीं देते हैं और उनके वार और आक्रमण की तीर में ही उनके लिए मुद्दे छुपे होते हैं। यहां तक कि उनके आलोचक भी आसानी से विपक्ष के सामने आत्मसमर्पण नहीं करने के उनके कौशल और उनके दृढ़ निश्चय की सराहना करते हैं।

 विपक्षी दलों और नेताओं के मुद्दे और गलतियाँ आम तौर पर मोदी को एक मंच प्रदान करते हैं और वे विरोधी दलों को अपने मुद्दों से हराते हैं। नरेंद्र मोदी अपने कदमों से अपने आलोचकों को प्रभावित करने की इच्छाशक्ति और कौशल के लिए जाने जाते हैं।

 यह उसके स्वभाव की विशेषता है और आसपास की चीजों से निपटने की उसकी क्षमता भी। इसलिए उनके विरोधी भी बेशक चुपचाप और कभी-कभार उनकी तारीफ करते हैं।

मोदी का करिश्माई व्यक्तित्व:

  • उत्साही और प्रेरक वक्ता: मोदी अपनी ऊर्जावान और प्रेरक भाषणों के लिए जाने जाते हैं। वे जनता से जुड़ने और उन्हें प्रेरित करने में माहिर हैं।
  • मजबूत नेतृत्व: मोदी एक मजबूत और निर्णायक नेता के रूप में देखे जाते हैं। वे अपनी नीतियों पर दृढ़ रहते हैं और कठिन परिस्थितियों में भी पीछे नहीं हटते।
  • लोकप्रिय छवि: मोदी एक साधारण और जमीन से जुड़े नेता के रूप में लोकप्रिय हैं। वे सोशल मीडिया का सक्रिय रूप से उपयोग करते हैं और युवाओं से जुड़ने में सफल रहे हैं।

स्पष्ट दृष्टि:

  • विकास और समृद्धि: मोदी का मुख्य लक्ष्य भारत को एक विकसित और समृद्ध राष्ट्र बनाना है। उन्होंने 'मेक इन इंडिया', 'डिजिटल इंडिया' और 'स्वच्छ भारत अभियान' जैसे कई महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किए हैं।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा: मोदी राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भी बहुत गंभीर हैं। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है और भारत की सैन्य शक्ति को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
  • सामाजिक न्याय: मोदी सभी वर्गों के लोगों के लिए समान अवसरों की वकालत करते हैं। उन्होंने गरीबों और वंचितों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।

मजबूत लोकप्रियता:

  • चुनावी सफलता: मोदी 2014 और 2019 में लोकसभा चुनावों में भारी बहुमत से जीते। यह उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है।
  • जन समर्थन: मोदी देश भर में, विशेष रूप से युवाओं में, बहुत लोकप्रिय हैं। उनकी नीतियों और उनके नेतृत्व में लोगों का विश्वास है।
  • विश्व नेता: मोदी को एक मजबूत और प्रभावशाली विश्व नेता के रूप में देखा जाता है। उन्होंने कई देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया है और भारत की वैश्विक छवि को बेहतर बनाया है।

नरेंद्र मोदी अलग तरीके से काम करते हैं और शायद इसीलिए वे नरेंद्र मोदी हैं। 2014 में अपने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान याद करें जब उन्होंने समारोह के दौरान सभी सार्क देशों के प्रमुखों को बुलाने का फैसला किया था, जिसकी विशेषज्ञों द्वारा व्यापक रूप से सराहना की गई थी। निश्चित रूप से इन राष्ट्रों के प्रमुख को आमंत्रित करने का कदम पूरी दुनिया को स्पष्ट और प्रभावशाली संदेश दिया ।

उसके बाद तो मोदी ने देश से परे हटकर दुनिया में अपने व्यक्तित की ऐसे छाप छोड़ी की दुनिया के दिग्गज देशों की राष्ट्रपतियों को पीछा छोड़कर आज वे दुनिये के सबसे लोकप्रिय नेताओं की सूची में सर्वोच्च स्थान पर हैं. 

Point Of View: पढ़ें और भी...

रिश्ते खास हैं, इन्हे अंकुरित करें प्रेम से, जिंदा रखें संवाद से और दूर रखें गलतफहमियों से

इमोशनल हैं, तो कोई वादा नहीं करें और गुस्से में हों तो इरादा करने से परहेज करें

स्व-अनुशासन के महत्त्व को समझे और जीवन को बनाएं सार्थक 

रखें खुद पर भरोसा,आपकी जीत को कोई ताकत हार में नहीं बदल सकती

जाने क्या कहते हैं ये हस्तियां नागरिक विश्वास और समावेशी विकास के सन्दर्भ में




मोदी 3.0: मिलिये उन पूर्व मुख्यमंत्रियों से जो अब टीम मोदी के हिस्सा हैं

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इतिहास रच दिया जब उन्होंने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में वापसी किया है। प्रधान मंत्री के रूप मे तीसरी बार शपथ लेने के साथ हीं अब वे जवाहरलाल नेहरू के बाद या कारनामा करने वाले दूसरे प्रधानमंत्री बन गए। आज मंत्री पद के लिए शपथ लेने वाले नेताओं मे सबसे बड़ी खासियत यह रही कि लगभग 6 ऐसे मंत्री जिन्होंने शपथ लिया वे अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्री रह चुके हैं जैसे राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर, एचडी कुमारस्वामी, सर्बानंद सोनोवाल और जीतन राम मांझी।

उल्लेखनीय है कि आज से शुरू होने वाले मोदी 3.0 मंत्रिमंडल मे एनडीए के सहयोगी पार्टियों जिनमे शामिल हैं चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जेडीयू, चिराग पासवान की एलजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना, पवन कल्याण की अगुवाई वाली जन सेना और जयंत चौधरी की आरएलडी। इन दलों से भी आज की मंत्रियों ने शपथ लिया।

मिलिये उन मुख्यमंत्रियों से जिन्होंने अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्री पद पूर्व मे सफलता पूर्वक संभाला और अब से मोदी 3.0 मे मंत्री पद का शपथ लिए हैं।

  

राजनाथ सिंह: लखनऊ, उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद के रूप मे चुनकर आए हैं। पिछली केन्द्रीय सरकार मे वे रक्षा मंत्री का पद संभाल चुके हैं।  

  • राज्य-उत्तर प्रदेश
  • मुख्यमंत्री काल- 2000 से 2002 तक
  • क्रम 19वां
  • पार्टी-भाजपा

 

शिवराज सिंह चौहान (विदिशा मध्य प्रदेश से भाजपा सांसद के रूप मे चुनकर आए हैं।

  • राज्य- मध्य प्रदेश
  • मुख्यमंत्री काल- 2005 से 2018 तक और फिर 2020 से 2023
  • पार्टी-भाजपा

 





मनोहर लाल खट्टर: करनाल, हरियाणा से भाजपा के रूप मे चुनकर आए हैं।


  • राज्य- हरियाणा
  • मुख्यमंत्री काल- 2014 से मार्च 2024 तक
  • क्रम 10वां
  • पार्टी-भाजपा

 





सर्बानंद सोनोवाल: डिब्रूगढ़, असम से भाजपा के सांसद के रूप मे चुनकर आए हैं।

  • राज्य- असम
  • मुख्यमंत्री काल- 2016 से 2021 तक
  • क्रम 14 वां
  • पार्टी- भाजपा

 



एचडी कुमारस्वामी: कर्नाटक से मंड्या से जेडी(एस) के संसद के रूप मे चुनकर आए हैं।

  • राज्य- कर्नाटक
  • मुख्यमंत्री काल- 2006 से 2007 और 2018 से 2019 तक
  • पार्टी- जेडी(एस

जीतन राम मांझी:  वह बिहार के गया संसदीय क्षेत्र से हम पार्टी कि टिकट पर साँसद चुनकर आए हैं।

  • राज्य- बिहार
  • मुख्यमंत्री काल- 2014 से फरवरी 2015
  • क्रम 23 वां
  • पार्टी- भाजपा

 

Point Of View: नेहरू के बाद लगातार तीन कार्यकाल हासिल करने वाले दूसरे प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी


2024 के लोकसभा चुनावों के हाल मे हुए एग्जिट पोल साफ संकेत देते हैं कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में ऐतिहासिक तीसरा कार्यकाल हासिल करने के लिए तैयार हैं। लगभग सभी न्यूज चैनल कि आंकड़ों पर अगर गौर करें तो यह साफ है कि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 350 से अधिक सीटें जीतने का अनुमान है और इसके साथ ही एक बार फिर से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी देश के नेतृत्व के लिए तैयार हैं। यह जीत इस मायने मे एतिहासिक होगी क्योंकि  यह जीत मोदी को जवाहरलाल नेहरू के बाद लगातार तीन कार्यकाल हासिल करने वाले दूसरे प्रधानमंत्री बना देगी।

अब जबकि अंतिम राउंड का चुनाव बाकी है, राजनीतिक दलों के नेतागण अपने मन के मुताबिक आंकड़ों की व्याख्या करते हुए अपने दल की जीत को संभव बनाने में लगे हैं। हाल ही में अंतरिम जमानत पर रिहा होने के बाद अरविंद केजरीवाल द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर किए गए हमले के बावजूद, I.N.D.I.A गठबंधन इस तथ्य से परिचित है कि देश की जनता उसके नेताओं पर आसानी से भरोसा करने वाली नहीं है। अरविंद केजरीवाल का बीजेपी पर ताजा हमला शायद ही भारत के लोगों को समझ आएगा क्योंकि 2024 में आम चुनाव के मद्देनजर नरेंद्र मोदी को हराने के लिए विपक्ष द्वारा शुरू किए गए सभी प्रयासों के बावजूद, भ्रष्टाचार और छवि पर लोगों पर भरोसा करना बहुत मुश्किल है। सच तो यह है कि वर्तमान मे I.N.D.I.A के तहत आने वाले विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए एकजुट रहने की मजबूरी है और इन नेताओं के पास मोदी को हराने के लिए एक छत्र के नीचे रहने का कोई अन्य विकल्प नहीं है, हालांकि वे अच्छी तरह से जानते हैं कि मोदी को हराने के लिए रास्ता इतना आसान भी नहीं है।

करिश्मा और आत्मविश्वास:

नरेंद्र मोदी का करिश्मा और आत्मविश्वास उन्हें लोगों के बीच पसंदीदा बनाता है। उनकी भाषा, उनकी भाषण की क्षमता, और उनका व्यक्तित्व लोगों को प्रभावित करता है। न केवल भारत के लोग, बल्कि बाकी दुनिया भी इस तथ्य को जानती है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की मजबूत विशेषताएं राष्ट्र के प्रति निस्वार्थ प्रतिबद्धता हैं, इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए। विपक्षी नेता भी तथ्यों से परिचित हैं, लेकिन खुले तौर पर स्वीकार करने में रुचि नहीं रखते, क्योंकि यह उनके विपक्षी धर्म की मजबूरी है। राष्ट्रीय हित में किसी भी चीज़ के प्रति मोदी का निडर दृष्टिकोण और भारत के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को किसी सत्यापन की आवश्यकता नहीं है।

कठिन निर्णय लेने की क्षमता:

मोदी ने कई महत्वपूर्ण और कठिन निर्णय लिए हैं, जैसे कि नोटबंदी और जीएसटी जैसे विषयों पर। उनकी निर्णय लेने की क्षमता उन्हें राष्ट्र के प्रधानमंत्री के रूप में मजबूत करती है। सच तो यह है कि देश की जनता ने इस बात को आत्मसात कर लिया है कि एक नेता के तौर पर वह हमेशा अपने विरोधियों से कई कदम आगे रहते हैं और यही वजह है जो उन्हें बाकी राजनेताओं से अलग करती है।

तकनीकी उन्नति:

मोदी सरकार ने तकनीकी उन्नति को महत्व दिया है और इसे अपने कार्यकाल में बढ़ावा दिया है। उनके डिजिटल भारत अभियान, आधार, और डिजिटल वित्तीय सेवाएं आदि इस दिशा में प्रमुख उपाय हैं।  हालाँकि, नरेंद्र मोदी के खिलाफ आम चुनाव 2024 के लिए विपक्षी गठबंधन के भविष्य की निश्चित रूप से भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी, खासकर विशिष्ट राजनीतिक घटनाओं या चुनाव परिणामों के संबंध में।

2024 के आम चुनाव में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ किसी भी विपक्षी गठबंधन की सफलता या भविष्य राजनीतिक गतिशीलता, क्षेत्रीय गतिशीलता, सार्वजनिक भावना, पार्टी रणनीतियों और प्रत्येक पार्टी द्वारा मैदान में उतारे गए विशिष्ट उम्मीदवारों जैसे कई कारकों पर निर्भर करेगा।

चुनाव में सत्तारूढ़ दल के प्रभुत्व को चुनौती देने में विपक्षी गठबंधन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वे अपने समर्थन आधार को मजबूत करने, संसाधनों को एकत्रित करने और मौजूदा पार्टी के खिलाफ एकजुट मोर्चा पेश करने के उद्देश्य से विभिन्न राजनीतिक दलों को एकजुट करने की कोशिश कर सकते हैं।

ऐसे गठबंधन संभावित रूप से अपनी चुनावी ताकत को मिलाकर विपक्ष की सफलता की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं।

हालाँकि, विपक्षी गठबंधन की सफलता विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। इनमें गठबंधन के भीतर एकता बनाए रखने की क्षमता, भाग लेने वाले दलों के बीच परस्पर विरोधी विचारधाराओं या हितों को संबोधित करना, मतदाताओं तक अपने एजेंडे और नीतियों को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करना और जमीन पर समर्थन जुटाना शामिल है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राजनीतिक परिदृश्य गतिशील है, और नए घटनाक्रम चुनावी परिणामों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। आर्थिक स्थिति, सार्वजनिक भावना, क्षेत्रीय गतिशीलता और विशिष्ट अभियान रणनीति जैसे कारक चुनाव के नतीजे को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

हालाँकि, वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर सटीक और नवीनतम जानकारी के लिए इंतजार करना और देखना उचित होगा, भारतीय राजनीति में नवीनतम घटनाओं पर अपडेट रहना उचित होगा।

Exit Poll 2024: एग्जिट पोल क्या है, कैसे सम्पन्न होते हैं और कितनी होती है इसकी सटीकता?

What is exit poll and how it is analysed

एग्जिट पोल मतदाताओं के मतदान केंद्रों से बाहर निकलने के तुरंत बाद लिए गए सर्वेक्षण होते हैं। इनका उपयोग चुनाव के परिणाम की भविष्यवाणी करने, यह समझने के लिए किया जाता है कि लोगों ने जिस तरह से मतदान किया, मतदान किन मुद्दों पर किया और क्या है मतदाताओं से संबंधित जनसांख्यिकीय डेटा। उन आंकड़ों को एकत्र करना और फिर उनका विश्लेषण कर के फिर अंतिम रूप से आँकड़े तैयार किए जाते हैं।  

एग्जिट पोल एक काफी व्यापक प्रक्रिया होती है और इसके सटीकता के लिए काफी सफाई और प्रोफेशनल तरीके से इन्हे कन्डक्ट किया जाता है। इस पर विस्तृत जानकारी यहाँ दी गई है-

सर्वेक्षण की रूपरेखा: 

यह एग्जिट पोल प्रक्रिया सबसे पहली चरण होती है जिसमें संबंधित एजेंसी एक प्रश्नावली बनाते हैं जिसमें मतदाता ने चुनाव में किसे चुना, उनकी जनसांख्यिकीय जानकारी जैसे आयु, लिंग, जाति, आदि क्या है  और प्रमुख मुद्दों पर उनकी राय के बारे में प्रश्न शामिल होते हैं। 

नमूनाकरण योजना: 

इसके बाद यह सुनिश्चित किया जाता है कि सर्वेक्षण के परिणाम समग्र मतदान आबादी को दर्शाते हैं साथ ही मतदान केंद्रों का एक प्रतिनिधि नमूना के लिए चुना जाता है। इस नमूने को अक्सर विविध भौगोलिक क्षेत्रों और समुदायों के प्रकारों को शामिल करने के लिए वर्गीकृत किया जाता है। 

मतदान केंद्रों का चयन: 

मतदान केंद्रों का चयन भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि की सारे फैक्टर जैसे मतदान पैटर्न, जनसांख्यिकी और भूगोल आदि का अध्ययन करने के बाद इनका निर्धारण किया जाता है। इसका लक्ष्य शहरी, उपनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों के व्यापक और प्रतिनिधि मिश्रण को कवर करना है। 

साक्षात्कारकर्ताओं को प्रशिक्षित करना:

साक्षात्कारकर्ताओं का प्रोफेशनल और विद्वान होना जरूरी है क्योंकि उन्हे मतदाताओं से लगातार और गैर-हस्तक्षेपपूर्ण तरीके से संपर्क कर प्रश्न कर उनकी सटीकता के साथ उनका विचार जानना जरूरी होता है। इसके लिए प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित किया जाता है, ताकि उच्च प्रतिक्रिया दर और सटीक डेटा संग्रह सुनिश्चित किया जा सके। उन्हें पूर्वाग्रह से बचने के लिए सर्वेक्षण के लिए यादृच्छिक रूप से मतदाताओं का चयन करने के तरीके के बारे में निर्देश दिया जाता है।

सर्वेक्षण का संचालन करना:

चुनाव के दिन, साक्षात्कारकर्ता खुद को चयनित मतदान केंद्रों के बाहर रखते हैं और मतदाताओं के बाहर निकलते ही यादृच्छिक रूप से उनसे संपर्क करते हैं। वे आमतौर पर एक व्यवस्थित यादृच्छिक नमूनाकरण पद्धति का उपयोग करते हैं, जैसे कि हर मतदाता से संपर्क करना।

मतदाताओं को सर्वेक्षण को गुमनाम रूप से पूरा करने के लिए कहा जाता है, जो सेटअप के आधार पर कागज पर या इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जा सकता है।

डेटा एकत्र करना और उसका विश्लेषण करना:

फिर एकत्रित किए गए आंकड़ों को जमा कर उनका अध्ययन भी काफी जरूरी चरण होता है। पूरे किए गए सर्वेक्षणों को एकत्र किया जाता है और डेटा प्रविष्टि और विश्लेषण के लिए एक केंद्रीय स्थान पर भेजा जाता है। इस प्रक्रिया में कागजी सर्वेक्षणों के लिए मैन्युअल प्रविष्टि या डिजिटल सर्वेक्षणों के लिए सीधे इलेक्ट्रॉनिक प्रसारण शामिल हो सकते हैं।

मतदाता डेटा को तौलने के लिए सांख्यिकीय विधियों का उपयोग करते हैं, किसी भी नमूना पूर्वाग्रह को ठीक करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि नमूना व्यापक मतदान आबादी को सटीक रूप से दर्शाता है।

मतदान के लिए समायोजन:

मतदाता वास्तविक मतदाता मतदान के आधार पर अपने मॉडल को समायोजित करते हैं, जो प्रारंभिक नमूने की प्रतिनिधित्व क्षमता को प्रभावित कर सकता है। इसमें जनसांख्यिकीय समूह द्वारा ज्ञात मतदान पैटर्न के साथ संरेखित करने के लिए सर्वेक्षण डेटा को फिर से भारित करना शामिल हो सकता है।

परिणाम जारी करना:

एग्जिट पोल के प्रारंभिक परिणाम अक्सर मतदान बंद होने के तुरंत बाद उपलब्ध होते हैं, लेकिन चुनाव परिणाम को प्रभावित करने से बचने के लिए आमतौर पर सभी मतदान केंद्रों के बंद होने तक उन्हें प्रतिबंधित कर दिया जाता है।

अंतिम परिणाम और विस्तृत विश्लेषण बाद में जारी किए जाते हैं, जो मतदान पैटर्न, जनसांख्यिकीय रुझान और मतदाता प्रेरणाओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।

एग्जिट पोल चुनावों को समझने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण हो सकते हैं, लेकिन वे अचूक नहीं हैं। वे गैर-प्रतिक्रिया पूर्वाग्रह, गलत नमूनाकरण और उत्तरदाताओं की अपनी वास्तविक मतदान पसंद का खुलासा करने की अनिच्छा जैसे कारकों से प्रभावित हो सकते हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, जब सख्ती से आयोजित किया जाता है, तो एग्जिट पोल चुनावी परिणामों और मतदाता व्यवहार के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं।


Exit Poll 2024: क्या होता है एग्जिट पोल और क्या होती है इसकी प्रामाणिकता क्या है?


एग्जिट पोल एक प्रकार का सर्वेक्षण है जो मतदान या चुनाव के अंतिम फेज कि समाप्ति के बाद किया जाता है। वास्तव मे एग्जिट पोल मतदाताओं के मतदान केंद्रों से बाहर निकलने के तुरंत बाद उनके साथ किया जाने वाले सर्वेक्षण जिसका उद्देश्य चुनाव के परिणाम की भविष्यवाणी करना, मतदाता व्यवहार को समझना और मतदाताओं पर जनसांख्यिकीय डेटा एकत्र करना है।

एग्जिट पोल उद्देश्य: 

जाहिर है कि एग्जिट पोल का मुख्य उद्देश्य चुनाव परिणामों की भविष्यवाणी करना हीं होता है जो कि आधिकारिक परिणामों की घोषणा से कई घंटे पहले, रुझानों के बारे में एक प्रारंभिक संकेत देते हैं। 

एग्जिट पोल के अंतर्गत संबंधित एजेंसियाँ मतदाता व्यवहार को समझकर वे इस बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं कि लोगों ने जिस तरह से मतदान किया, उसमें प्रमुख मुद्दों और उम्मीदवार वरीयताओं पर उनकी राय शामिल है। 

मतदान पैटर्न का विश्लेषण करने के लिए मतदाता मतदाताओं की जनसांख्यिकी, जैसे आयु, लिंग, जाति और सामाजिक आर्थिक स्थिति पर डेटा एकत्र करते हैं। इसके साथ ही मतदाताओं की पसंद, जनसांख्यिकीय जानकारी और राय पर प्रश्न पूछते  हैं। 

डेटा संग्रह एग्जिट पोल के लिए सबसे जरूरी कम्पोनेन्ट होता है जो  प्रशिक्षित साक्षात्कारकर्ता प्रतिभागियों द्वारा यादृच्छिक नमूनाकरण विधियों का उपयोग करके चयनित मतदान केंद्रों पर मतदाताओं से संपर्क करते हैं। इसके बाद प्राप्त डेटा का विशेषज्ञों द्वारा विश्लेषित किया जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि यह व्यापक मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करता है।

एग्जिट पोल की प्रामाणिकता

एग्जिट पोल कि प्रामाणिकता हमेशा से चर्चा का विषय रहा है क्योंकि अगर भारत के संदर्भ मे चुनाव परिणामों को देखी जाए तो कुछ एग्जिट पोल सटीकता मे वास्तविक परिणामों के काफी करीब होते हैं। लेकिन अधिकांश एग्जिट पोल के परिणाम वास्तविक परिणामों से काफी दूर भी होते हैं। 

प्रामाणिकता को प्रभावित करने वाले कारक:

नमूना सटीकता: 

चयनित मतदान केंद्रों की प्रतिनिधित्व क्षमता और मतदाता चयन प्रक्रिया की यादृच्छिकता सटीक परिणामों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

प्रतिक्रिया दर:

 उच्च प्रतिक्रिया दर सटीकता में सुधार करती है। यदि कुछ प्रकार के मतदाताओं के भाग लेने की संभावना कम है, तो कम प्रतिक्रिया दर पूर्वाग्रह ला सकती है।

प्रश्नावली डिजाइन: 

एक्सपर्ट द्वारा  तैयार किए गए प्रश्नावली भी काफी महत्वपूर्ण होते हैं जो मतदाताओं से पूछे जाते हैं। प्रश्नों कि सटीकता और क्लेरिटी भी जरूरी होती है क्योंकि सत्य प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए स्पष्ट, निष्पक्ष प्रश्न हीं बेहतर परिणाम देने वाले होते हैं। 

भार और समायोजन: 

ज्ञात पूर्वाग्रहों और मतदान पैटर्न के लिए डेटा को समायोजित करने के लिए उचित सांख्यिकीय विधियों का उपयोग किया जाना चाहिए।

समयबद्धता और डेटा हैंडलिंग:

 परिणामों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए तेज़ और सटीक डेटा संग्रह और प्रसंस्करण आवश्यक है।

प्रामाणिकता के लिए चुनौतियाँ:

मतदाताओं का गैर-प्रतिक्रिया पूर्वाग्रह होना :

 यदि मतदाताओं के कुछ समूहों द्वारा प्रतिक्रिया देने की संभावना कम है, या वे किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं  तो परिणाम विषम हो सकते हैं। ऐसी स्थिति मे एग्जिट पोल के परिणाम, वास्तविक परिणामों से काफी अलग हो सकते हैं। 

सामाजिक वांछनीयता पूर्वाग्रह: 

मतदाता हमेशा सत्य उत्तर नहीं दे सकते हैं, खासकर यदि उन्हें लगता है कि उनके विकल्पों को सामाजिक रूप से कलंकित किया जाता है। ऐसी स्थिति मे प्रतिनिधि का यह कर्तव्य है कि वह वास्तविकता कि करीब तक जाने कि कोशिश करें और मतदाताओं से यथार्थ जानने का प्रयत्न करें। 

मतदान विसंगतियाँ: 

एग्जिट पोल को अपने मॉडल को सही ढंग से समायोजित करने के लिए मतदाता मतदान का सटीक अनुमान लगाना चाहिए। गलत अनुमान लगाने से गलत भविष्यवाणियाँ हो सकती हैं।

हैदराबादी चिकन मसाला :अगर नॉनवेज खाने के शौकीन हैं तो घर पर करें ट्राई

Hyderabadi Chicken Masala Method Ingredients and others

अगर आप नॉन वेज खाने के शौकीन हैं तो 
फिर यह खास डिश हैदराबादी चिकन रेसिपी खास तौर पर आपके लिए हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि हैदराबाद अपने स्वादिष्ट चिकन व्यंजनों और बहुत कुछ के लिए बहुत प्रसिद्ध है। हैदराबादी चिकन मसाला करी' भी अलग नहीं है, मसाला करी में पकाया गया चिकन रसीला और रसदार होता है, मसालों से भरपूर होता है। हैदराबादी चिकन मसाला एक प्रसिद्ध और स्वादिष्ट दक्षिण भारतीय डिश है जो चिकन को अद्वितीय मसालों के साथ बनाया जाता है।

 हैदराबादी चिकन मसाला करी'के लिए सीधी, आसानी से मिलने वाली सामग्री की आवश्यकता होती है और इसे बनाने मे  मुख्य रूप से एक ही बर्तन में पकाया जाता है, इसलिए सफाई करना भी आसान है। हैदराबादी व्यंजन कि सबसे बड़ी खासियत होती है कि यह अपनी खाना पकाने की तकनीक और असामान्य मसाला मिश्रणों के लिए प्रसिद्ध है।

 यह साधारण चिकन करी वह सब और उससे भी अधिक का वादा करती है। इस रेसिपी को बड़ी मात्र मे भी पकाना आसान है, जिससे यह एक विशेष अवसर के लिए एकदम सही चॉइस हो सकती है खासकर तब जब अपने घर मे कोई छोटी से पार्टी का आयोजन कर रहे हैं।

यहाँ एक सरल विधि है जिससे आप इसे घर पर बना सकते हैं:

सामग्री:

  • चिकन (मुर्गा) - 500 ग्राम, मोटे टुकड़ों में कटा हुआ
  • प्याज़ - 2 मध्यम, कटा हुआ
  • टमाटर - 2 बड़े, पेस्ट किया हुआ
  • दही - 1/2 कप
  • तेल - 3-4 टेबल स्पून
  • अदरक लहसुन का पेस्ट - 1 टेबल स्पून
  • हरा धनिया (ताजा) - बारीक कटा हुआ, सजाने के लिए
  • हल्दी पाउडर - 1/2 चमच
  • लाल मिर्च पाउडर - 1 चमच
  • धनिया पाउडर - 1 चमच
  • गरम मसाला पाउडर - 1/2 चमच
  • नमक – स्वादानुसार
देखें विडिओ 

 ग्रेवी के लिए:

  • 2 बड़े प्याज, बारीक कटे हुए
  • अदरक, कद्दूकस किया हुआ
  • 4 लौंग
  • 4 काली इलायची
  • 2 दालचीनी की छड़ें
  • 1 स्टार ऐनीस
  • 3 हरी मिर्च, कटी हुई
  • 2 टेबलस्पून धनिया पाउडर
  • 1 टेबलस्पून लाल मिर्च पाउडर
  • 1/2 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर
  • 1/4 छोटा चम्मच गरम मसाला
  • 1/4 कप कटे हुए धनिये के पत्ते
  • 2 कप पानी
  • नमक स्वादअनुसार
  • तेल

विधि:

एक कड़ाही में तेल गरम करें। फिर इसमें प्याज़ और अदरक लहसुन का पेस्ट डालें और उन्हें सुनहरा होने तक भूनें।

अब इसमें टमाटर पेस्ट डालें और अच्छे से मिला दें। फिर इसमें हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, और नमक डालें।

मसाले अच्छे से मिलाने के बाद दही डालें और उसे अच्छे से मिला दें।

अब इसमें कटा हुआ चिकन डालें और उसे मसाले में अच्छे से लपेट दें। इसे ढककर रखें और मीडियम आंच पर 10-12 मिनट तक पकाएं।

चिकन पकने के बाद उसमें गरम मसाला पाउडर और ताजा हरा धनिया डालें।

आपका हैदराबादी चिकन मसाला तैयार है। इसे गरमा गरम चावल या नान के साथ परोसें और मज़े करें।

ध्यान दें कि आप मसाले की मात्रा को अपने स्वादानुसार बढ़ाएं या घटाएं, और चिकन की पकाने की समय अनुसार उसे अच्छे से पकाएं ताकि वह नरम और जूसी हो।

Point Of View : संकटमोचन भगवान हनुमान के बारे में जानें खास बातें


Point Of View : भगवान  हनुमान सबसे प्रसिद्ध देवताओं में से एक हैं और ऐसी मान्यता है कि वह आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं। कहा जाता है कि प्रभु हनुमान इस घोर कलयुग मे एक मात्र देवता हैं जो अपने भक्तों के द्वारा कम पूजन पर भी आसानी से उनका कल्याण करते हैं।

संकट मोचन भगवान हनुमान के बारे में जानें खास बातें
यह सच है कि हमें अपने लक्ष्य को पाने की खातिर हर संभव प्रयासों को अपनाने में कोताही नहीं बरतनी चाहिए। निरंतर प्रयास करते करते अगर आपको लगता है कि कुछ ब्रेक की जरूरत है तो इंस्पायर होने के लिए आप किसी भी अन्य महापुरुषों और व्यक्तित्व का अध्ययन कर सकते हैं क्योंकि यह न केवल मोटिवेट करेगा बल्कि आपको नई आज से सराबोर भी करेगा।

विशेषताएं
बल और बुद्धि:
हनुमान जी अपार बल और बुद्धि के धनी हैं। उन्हें असाधारण शक्ति और बुद्धिमानी का प्रतीक माना जाता है।
अजर-अमर:
वे अजर-अमर हैं, अर्थात उनका न तो कोई जन्म है और न ही कोई मृत्यु।
रामभक्ति:
 वे भगवान राम के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं और उन्होंने रामायण के दौरान उनकी सेवा की थी।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान हनुमान अपने गुरु रामचंद्र के चरण कमलों के प्रति काफी समर्पित रहते हैं और इसलिए प्रभु राम को प्रसन्न करके भी लोग भगवान हनुमान को खुश और प्रसन्न करने के लिए मंदिरों और घरों मे पूजन आयोजित करते हैं।
 भगवान हनुमान की पूजा करने के दो तरीके हैं; पारंपरिक पूजा और हनुमान के गुणों का ध्यान।  

प्रमुख घटनाएं
लंकादहन: 
जब रावण ने माता सीता का अपहरण किया था, तब हनुमान जी ने लंका जाकर उसे जलाया था।
संजिवनी बूटी: 
लक्ष्मण जी के मूर्छित होने पर हनुमान जी संजीवनी बूटी लाए थे।
सुंदरकांड: 
रामायण के सुंदरकांड में हनुमान जी की वीरता और भक्ति का वर्णन है।
ऐसी मान्यता है कि भगवान इस लोक मे तब तक  तक गुप्त रूप से पृथ्वी पर रहेंगे जब तक भगवान राम का नाम गाया जाएगा , महिमामंडित और स्मरण और पूजा किया जाएगा।
विशेष गुण
संकटमोचन: 
हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है क्योंकि वे भक्तों के सभी संकटों का निवारण करते हैं।
अष्टसिद्धि और नव निधि: 
उन्हें अष्टसिद्धि (आठ प्रकार की सिद्धियाँ) और नव निधि (नौ प्रकार की धन) का वरदान प्राप्त है।

लेकिन याद रखें दोस्तों, अपने लक्ष्य को पाने के लिए जिस डिटरमिनेशन या इच्छा शक्ति की जरूरत है, उसे आपको अपने अंदर ही तलाश करनी होगी। इच्छा शक्ति अगर महबूत है तो फिर आपको इंस्पायर होने की जरूरत काम पड़ेगी, क्योंकि यह आपको थकने नही देगा।

प्रसिद्ध कवि जय शंकर प्रसाद की इन पंक्तियों को अपने जीवन का मूल मंत्र बना लें " महाशक्तियों के बेग में रोड़े अटकाने से उनका बेग काम नहीभोता बल्कि वे दुगुने बेग से आगे बढ़ती हैं"

अपने इच्छाशक्ति को मजबूत बनाकर खुद को एक महाशक्ति के समान कठोर बना लें, फिर आपके और आपके लक्ष्य की बीच कोई बाधा टिक नहीं पाएगी।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।








T20 World Cup 2024: धुआँ धार बल्लेबाजी के रोमांचक किस्से -भारत-पाकिस्तान @2022

T20 World Cup nail biting finishes India-Pakistan 2022

बहुप्रतीक्षित टी20 विश्व कप 2024 1 जून, 2024 से शुरू होने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह ऐतिहासिक कार्यक्रम दुनिया भर में 20 अंतरराष्ट्रीय टीमों और उनके प्रशंसकों के लिए एक सुनहरा अवसर प्रदान करने के लिए पूरी तरह से तैयार है । टी20 विश्व कप 2024 संयुक्त राज्य अमेरिका और वेस्टइंडीज में आयोजित किया जाना है जो नौ स्थानों पर अपनी मनमोहक और प्रभावशाली व्यवस्था से दुनिया को मंत्रमुग्ध कर देगा। 

यहां टी20 विश्व कप के इतिहास में अब तक हुए मैचों में से हम उन रोमांचक मुकाबलों के बारे मे बताएंगे जो कि धुआँ धार बल्लेबाजी या बाउलिंग के रोमांचक किस्सों के कारण स्वर्णिम मैच बन गए। ऐसा ही मैच 2022 मे भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ जिस रोमांचक मुकाबले मे भारत ने पाकिस्तान को मात दिया। 

 टी20 वर्ल्ड कप: भारत-पाकिस्तान @2022 

2022 में, भारत ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आखिरी गेंद पर रोमांचक मुकाबले में पाकिस्तान को हराकर सबसे यादगार फिनिश में से एक की पटकथा लिखी।

पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत के खिलाफ 20.0 ओवर में 159/8 का शानदार स्कोर बनाया, जब शान मसूद ने 52 और हारिस रऊफ ने 6 रन का योगदान दिया। 

हालाँकि पाकिस्तान के लिए यह अच्छी शुरुआत नहीं रही और उसके दोनों सलामी बल्लेबाज, बाबर आज़म केवल शून्य और मोहम्मद रिज़वान केवल चार रन बनाकर लौट गए।  

यह मध्य क्रम था जिसने शान मसूद (42 गेंदों में 52 रन) और इफ्तिखार अहमद (34 गेंदों में 51 रन) के साथ उपयुक्त आधार प्रदर्शित करते हुए 160 रन का उचित लक्ष्य बनाया। शाहीन शाह अफरीदी ने 08 गेंदों में 16 रनों का योगदान दिया.

स्कोर का पीछा करने उतरी भारत ने भी अपनी पारी की शुरुआत कुछ आक्रामक अंदाज में की और केएल राहुल और रोहित शर्मा अपनी पारी में नाकाम रहे. केएल राहुल और रोहित शर्मा दोनों 04-04 रन बनाकर पवेलियन लौटे. 

लेकिन वह विराट कोहली ही थे जिन्होंने हार्दिक पंड्या (37 गेंदों पर 40 रन) की स्थिर पारी के साथ साझेदारी करके ठोस आधार प्रदान किया। उन्होंने उस मैच में भारत की उम्मीद बरकरार रखी जो भारत के कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ था। 

विराट कोहली ने अपनी शानदार पारी में 53 गेंदों में चार छक्के और छह चौकों की मदद से 82 रन बनाए. हार्दिक पंड्या ने 37 गेंदों में 40 रन बनाए और भारत के लक्ष्य का पीछा करने में कोहली को विश्वसनीय समर्थन प्रदान किया।

जब भारत को आखिरी तीन गेंदों पर 13 रन चाहिए थे, लेकिन मोहम्मद नवाज की एक नो बॉल ने मैच का रुख भारत के पक्ष में कर दिया। कोहली ने इस पर छक्का जड़ा और भारत के लक्ष्य को तीन गेंदों पर छह रनों तक पहुंचा दिया. 

अंततः रविचंद्रन अश्विन ने गेंद को मिड-ऑफ के ऊपर से उछाला और पाकिस्तान के खिलाफ इतिहास रचा और उस इतिहास को बरकरार रखा जिसने विश्व कप मैचों में पाकिस्तान के खिलाफ भारत की जीत जारी रखी।

Point Of View : बुद्ध पूर्णिमा कब है और इसे क्यों मनाया जाता है?


Point Of View : बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वेसाक या बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है, इस वर्ष यह 23 मई, 2024  को मनाई जा रही है। बुद्ध पूर्णिमा खासतौर पर बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और मृत्यु (या परिनिर्वाण) का दिन है और इस कारण से इस महत्वपूर्ण दिवस का खास पहचान है। हिन्दू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा जो प्रत्येक माह मे मनाई जाती है, इसका खास महत्व है।  यह भारतीय और बौद्ध कैलेंडर के अनुसार वैशाख महीने की पूर्णिमा को आता है, जो आमतौर पर अप्रैल या मई के महीने में पड़ता है। 

किसी कवि ने गौतम बुद्ध के बारे मे क्या खूब लिखा है-
"गौतम के दूसरा गौतम नहीं हुआ,
निकले  तो बेशुमार हैं घरबार  छोड़कर "

बुद्ध पूर्णिमा  केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह मानवता के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी है। यह हमें सिखाता है कि हम कैसे अच्छे जीवन जी सकते हैं और दुनिया को एक बेहतर जगह बना सकते हैं। 
भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बुद्धत्व या संबोधि) और महापरिनिर्वाण ये तीनों वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुए थे। इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति भी हुई थी। 

बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था और  इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था।

बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति

 बिहार स्थित बोधगया नामक स्थान हिन्दू व बौद्ध धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थ स्थान हैं। गृहत्याग के पश्चात सिद्धार्थ सत्य की खोज के लिए सात वर्षों तक वन में भटकते रहे। यहाँ उन्होंने कठोर तप किया और अंततः वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई।

गौतम बुद्ध का जन्म:

गौतम बुद्ध का जन, 563 ई.पू. बैसाख मास की पूर्णिमा को  नेपाल के लुंबिनी, शाक्य राज्य  में हुआ था। इस पूर्णिमा के दिन ही 483 ई. पू. में 80 वर्ष की आयु में 'कुशनारा' में में उनका महापरिनिर्वाण हुआ था। वर्तमान समय का कुशीनगर ही उस समय 'कुशनारा' था। 

 बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही सिद्धार्थ गौतम का जन्म हुआ था, जो आगे चलकर गौतम बुद्ध के नाम से जाने गए। उनके जन्म को एक दिव्य घटना के रूप में माना जाता है। कहते हैं कि उनके जन्म के समय उनके शरीर पर 32 शुभ लक्षण थे, जो उन्हें एक महान व्यक्ति के रूप में दर्शाते थे।

ज्ञान प्राप्ति: 

बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही बोध गया में बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था।बुद्ध पूर्णिमा का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसी दिन गौतम बुद्ध को बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान करते हुए ज्ञान प्राप्त हुआ था। यह घटना उन्हें 'बुद्ध' (जाग्रत) बना देती है, और इसके बाद उन्होंने अपने ज्ञान को लोगों के साथ साझा किया।

महापरिनिर्वाण:

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व तीसरे कारण से भी है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध ने 80 वर्ष की आयु में कुशीनगर (वर्तमान में उत्तर प्रदेश, भारत) में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था, जो उनके जीवन के अंतिम क्षणों को दर्शाता है।