T20 World Cup 2024: धुआँ धार बल्लेबाजी के रोमांचक किस्से -भारत-पाकिस्तान @2022

T20 World Cup nail biting finishes India-Pakistan 2022

बहुप्रतीक्षित टी20 विश्व कप 2024 1 जून, 2024 से शुरू होने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह ऐतिहासिक कार्यक्रम दुनिया भर में 20 अंतरराष्ट्रीय टीमों और उनके प्रशंसकों के लिए एक सुनहरा अवसर प्रदान करने के लिए पूरी तरह से तैयार है । टी20 विश्व कप 2024 संयुक्त राज्य अमेरिका और वेस्टइंडीज में आयोजित किया जाना है जो नौ स्थानों पर अपनी मनमोहक और प्रभावशाली व्यवस्था से दुनिया को मंत्रमुग्ध कर देगा। 

यहां टी20 विश्व कप के इतिहास में अब तक हुए मैचों में से हम उन रोमांचक मुकाबलों के बारे मे बताएंगे जो कि धुआँ धार बल्लेबाजी या बाउलिंग के रोमांचक किस्सों के कारण स्वर्णिम मैच बन गए। ऐसा ही मैच 2022 मे भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ जिस रोमांचक मुकाबले मे भारत ने पाकिस्तान को मात दिया। 

 टी20 वर्ल्ड कप: भारत-पाकिस्तान @2022 

2022 में, भारत ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आखिरी गेंद पर रोमांचक मुकाबले में पाकिस्तान को हराकर सबसे यादगार फिनिश में से एक की पटकथा लिखी।

पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत के खिलाफ 20.0 ओवर में 159/8 का शानदार स्कोर बनाया, जब शान मसूद ने 52 और हारिस रऊफ ने 6 रन का योगदान दिया। 

हालाँकि पाकिस्तान के लिए यह अच्छी शुरुआत नहीं रही और उसके दोनों सलामी बल्लेबाज, बाबर आज़म केवल शून्य और मोहम्मद रिज़वान केवल चार रन बनाकर लौट गए।  

यह मध्य क्रम था जिसने शान मसूद (42 गेंदों में 52 रन) और इफ्तिखार अहमद (34 गेंदों में 51 रन) के साथ उपयुक्त आधार प्रदर्शित करते हुए 160 रन का उचित लक्ष्य बनाया। शाहीन शाह अफरीदी ने 08 गेंदों में 16 रनों का योगदान दिया.

स्कोर का पीछा करने उतरी भारत ने भी अपनी पारी की शुरुआत कुछ आक्रामक अंदाज में की और केएल राहुल और रोहित शर्मा अपनी पारी में नाकाम रहे. केएल राहुल और रोहित शर्मा दोनों 04-04 रन बनाकर पवेलियन लौटे. 

लेकिन वह विराट कोहली ही थे जिन्होंने हार्दिक पंड्या (37 गेंदों पर 40 रन) की स्थिर पारी के साथ साझेदारी करके ठोस आधार प्रदान किया। उन्होंने उस मैच में भारत की उम्मीद बरकरार रखी जो भारत के कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ था। 

विराट कोहली ने अपनी शानदार पारी में 53 गेंदों में चार छक्के और छह चौकों की मदद से 82 रन बनाए. हार्दिक पंड्या ने 37 गेंदों में 40 रन बनाए और भारत के लक्ष्य का पीछा करने में कोहली को विश्वसनीय समर्थन प्रदान किया।

जब भारत को आखिरी तीन गेंदों पर 13 रन चाहिए थे, लेकिन मोहम्मद नवाज की एक नो बॉल ने मैच का रुख भारत के पक्ष में कर दिया। कोहली ने इस पर छक्का जड़ा और भारत के लक्ष्य को तीन गेंदों पर छह रनों तक पहुंचा दिया. 

अंततः रविचंद्रन अश्विन ने गेंद को मिड-ऑफ के ऊपर से उछाला और पाकिस्तान के खिलाफ इतिहास रचा और उस इतिहास को बरकरार रखा जिसने विश्व कप मैचों में पाकिस्तान के खिलाफ भारत की जीत जारी रखी।

साइक्लोन: जानें क्या होता है साइक्लोन और कैसे होता है इसका निर्माण


साइक्लोन एक प्रकार की तीव्र वायुवीय प्रणाली होती है जिसमें हवा बहुत तेज गति से घूमती है और यह केंद्र की ओर खिंचती है। यह वायुमंडल में कम दबाव वाले क्षेत्र के कारण होता है। वास्तव में  चक्रवात यानी साइक्लोन शब्द ग्रीक भाषा साइक्लोस से लिया गया है जिसका अर्थ ‘सांप की कुंडली’ होता है। साइक्लोन के बनने में साइक्लोजेनेसिस महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

उष्णकटिबंधीय चक्रवात गर्म महासागरों के ऊपर बनता है जो कम वायुमंडलीय दाब के कारण बनता है और तेज हवा का रूप ले लेता है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर के ऊपर बनते हैं। 

कैसे पड़ा इस चक्रवाती तूफान का नाम रेमल?

क्या आप जानते हैं कि किसी भी साइक्लोन  का नामकरण साल 2004 के एक अंतर्राष्ट्रीय समझौते  के तहत किया जाता है। विभिन्न क्षेत्रों में स्थित देशों के द्वारा विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की देखरेख में इन तूफ़ानों को नाम प्रदान किया जाता है। सूत्रों के अनुसार  हिन्द महासागर क्षेत्र में आने वाले तूफ़ानों के नाम रखने के लिए सितंबर 2004 में एक समझौता हुआ। इस समझौते के तहत हिन्द महासागर क्षेत्र के आठ देश, बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्याँमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड तूफ़ानों के लिए नामों का एक समूह देंगे, जिसमें से बारी-बारी से तूफान का नामकरण होगा। हालाँकि, अब इस समझौते में देशों की संख्या बढ़कर 13 हो गई है। आमतौर पर सदस्य देशों की भाषाओं और संस्कृतियों से प्रेरित होते हैं, और उनका उद्देश्य आसानी से याद रखे जाने वाले और उच्चारण में सरल नाम देना होता है। इस चक्रवाती तूफान का नाम रेमल है'रेमल' एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है 'रेत'.  यह नाम ओमान का दिया हुआ है. 

साइक्लोन का निर्माण

साइक्लोन का निर्माण जटिल प्रक्रियाओं का परिणाम है जिसमें वातावरण के कई तत्व शामिल होते हैं। साइक्लोन का निर्माण आमतौर पर गर्म समुद्री सतहों के ऊपर होता है, जहाँ समुद्र का तापमान 26.5°C या उससे अधिक होता है। गर्म पानी हवा को गर्म करता है, जिससे वह हल्की होकर ऊपर उठती है। जैसे ही गर्म हवा ऊपर उठती है, सतह पर कम दबाव का क्षेत्र बन जाता है। यह कम दबाव वाला क्षेत्र आसपास की ठंडी हवा को खींचता है, जिससे हवा की गति तेज हो जाती है।

साइक्लोन बनने के लिए कुछ महत्वपूर्ण स्थितियां आवश्यक होती हैं:

गर्म समुद्री सतह: 

साइक्लोन का निर्माण आमतौर पर गर्म समुद्री सतहों के ऊपर होता है, जहाँ समुद्र का तापमान 26.5°C या उससे अधिक होता है। गर्म पानी हवा को गर्म करता है, जिससे वह हल्की होकर ऊपर उठती है।

कम दबाव का क्षेत्र: 

जैसे ही गर्म हवा ऊपर उठती है, सतह पर कम दबाव का क्षेत्र बन जाता है। यह कम दबाव वाला क्षेत्र आसपास की ठंडी हवा को खींचता है, जिससे हवा की गति तेज हो जाती है।

वाष्पीकरण और संघनन: 

जब गर्म हवा ऊपर उठती है, तो इसमें मौजूद नमी वाष्पित होती है। ऊँचाई पर पहुँचकर यह नमी संघनित होती है और बादलों का निर्माण करती है। इस प्रक्रिया में ऊष्मा मुक्त होती है, जो हवा को और भी अधिक गर्म करके उसे और तेजी से ऊपर उठाती है।

कैरिओलिस बल: 

पृथ्वी के घूमने के कारण हवा की दिशा में एक घूर्णन बल उत्पन्न होता है, जिसे कैरिओलिस बल कहते हैं। यह बल हवा को एक सर्पिल (spiral) आकार में घुमाने में मदद करता है, जिससे साइक्लोन का घूर्णन प्रारंभ होता है।

वायु का चक्रवातीय प्रवाह:

 हवा का चक्रवातीय प्रवाह साइक्लोन के केंद्र की ओर होता है, जिससे हवा का दबाव और भी कम हो जाता है। इस प्रक्रिया में, हवा तेजी से घूमने लगती है और साइक्लोन का केंद्र (आँख) स्पष्ट होता है, जहाँ हवा का दबाव सबसे कम होता है।

ऊपरी वायुमंडलीय प्रवाह: 

साइक्लोन के शीर्ष पर हवा का बहिर्गमन (outflow) होता है, जिससे निचले स्तर पर हवा के आगमन (inflow) को बनाए रखने में मदद मिलती है। यह प्रवाह साइक्लोन को ऊर्जा प्रदान करता रहता है।

साइक्लोन के प्रकार

साइक्लोन मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:

1. ट्रॉपिकल साइक्लोन: ये साइक्लोन उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बनते हैं, जैसे कि हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और कैरिबियन सागर। ये साइक्लोन बहुत तीव्र होते हैं और इनमें भारी वर्षा और तेज हवाएँ होती हैं। ट्रॉपिकल साइक्लोन को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे कि:

हुर्रिकेन: उत्तरी अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत महासागर में।

टाइफून: पश्चिमी प्रशांत महासागर में।

साइक्लोन: भारतीय महासागर और दक्षिणी प्रशांत महासागर में।

2. एक्स्ट्रा-ट्रॉपिकल साइक्लोन: ये साइक्लोन उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के बाहर बनते हैं और आमतौर पर ठंडे या समशीतोष्ण क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इनका निर्माण वायुमंडल के उच्च और निम्न दबाव क्षेत्रों के परस्पर क्रिया से होता है। ये साइक्लोन आमतौर पर कम तीव्र होते हैं लेकिन फिर भी भारी वर्षा और तेज हवाएं ला सकते हैं।



Point Of View : बुद्ध पूर्णिमा कब है और इसे क्यों मनाया जाता है?


Point Of View : बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वेसाक या बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है, इस वर्ष यह 23 मई, 2024  को मनाई जा रही है। बुद्ध पूर्णिमा खासतौर पर बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और मृत्यु (या परिनिर्वाण) का दिन है और इस कारण से इस महत्वपूर्ण दिवस का खास पहचान है। हिन्दू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा जो प्रत्येक माह मे मनाई जाती है, इसका खास महत्व है।  यह भारतीय और बौद्ध कैलेंडर के अनुसार वैशाख महीने की पूर्णिमा को आता है, जो आमतौर पर अप्रैल या मई के महीने में पड़ता है। 

किसी कवि ने गौतम बुद्ध के बारे मे क्या खूब लिखा है-
"गौतम के दूसरा गौतम नहीं हुआ,
निकले  तो बेशुमार हैं घरबार  छोड़कर "

बुद्ध पूर्णिमा  केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह मानवता के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी है। यह हमें सिखाता है कि हम कैसे अच्छे जीवन जी सकते हैं और दुनिया को एक बेहतर जगह बना सकते हैं। 
भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बुद्धत्व या संबोधि) और महापरिनिर्वाण ये तीनों वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुए थे। इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति भी हुई थी। 

बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था और  इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था।

बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति

 बिहार स्थित बोधगया नामक स्थान हिन्दू व बौद्ध धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थ स्थान हैं। गृहत्याग के पश्चात सिद्धार्थ सत्य की खोज के लिए सात वर्षों तक वन में भटकते रहे। यहाँ उन्होंने कठोर तप किया और अंततः वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई।

गौतम बुद्ध का जन्म:

गौतम बुद्ध का जन, 563 ई.पू. बैसाख मास की पूर्णिमा को  नेपाल के लुंबिनी, शाक्य राज्य  में हुआ था। इस पूर्णिमा के दिन ही 483 ई. पू. में 80 वर्ष की आयु में 'कुशनारा' में में उनका महापरिनिर्वाण हुआ था। वर्तमान समय का कुशीनगर ही उस समय 'कुशनारा' था। 

 बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही सिद्धार्थ गौतम का जन्म हुआ था, जो आगे चलकर गौतम बुद्ध के नाम से जाने गए। उनके जन्म को एक दिव्य घटना के रूप में माना जाता है। कहते हैं कि उनके जन्म के समय उनके शरीर पर 32 शुभ लक्षण थे, जो उन्हें एक महान व्यक्ति के रूप में दर्शाते थे।

ज्ञान प्राप्ति: 

बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही बोध गया में बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था।बुद्ध पूर्णिमा का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसी दिन गौतम बुद्ध को बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान करते हुए ज्ञान प्राप्त हुआ था। यह घटना उन्हें 'बुद्ध' (जाग्रत) बना देती है, और इसके बाद उन्होंने अपने ज्ञान को लोगों के साथ साझा किया।

महापरिनिर्वाण:

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व तीसरे कारण से भी है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध ने 80 वर्ष की आयु में कुशीनगर (वर्तमान में उत्तर प्रदेश, भारत) में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था, जो उनके जीवन के अंतिम क्षणों को दर्शाता है।

पूर्णिमा को जन्म लेने वाले व्यक्ति होते हैं ईमानदार, उदार, यशस्वी, गुरु और पिता का विशेष स्थान

 हिन्दू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा का खास महत्व है, जो प्रत्येक माह मे मनाई जाती है। एस्ट्रोलॉजी के अनुसार अलग-अलग तिथियों को जन्म लेने  वाले व्यक्तियों में खास लक्षण और गुण  पाए जाते हैं और उसमे अगर आप पूर्णिमा की महत्त्व को देखेंगे तो हिन्दू पंचांग के अनुसार इसका अलग स्थान होता है. गुरु पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा, श्रावण पूर्णिमा सहित अन्य पूर्णिमा है जिनके स्थान होता है. स्वाभाविक है कि पूर्णिमा को जन्म लेने वाले लोग भी खास गुणों से परिपूर्ण होते हैं. 
जैसा कि आप जानते हैं कि पंचांग के अनुसार एकम या प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक कुल 15 तिथियां और अमावस्या होती है. इन अलग-अलग तिथियों को जन्म लेने वाले जातकों की अलग-अलग विशेषता होती है जो उनके व्यवहार से लेकर उनका व्यक्तित्व, सोच, स्वास्थय और विभिन्न गुणों को प्रदर्शित करता है. आज हम बात करेंगे विख्यात कुंडलीशास्त्र, नुमेरोलॉजिस्ट और मोटिवेटर हिमांशु  रंजन शेखर से कि  पूर्णिमा तिथि को जन्म लेने वाले जातकों की क्या होती विशेषता। 

उदार प्रवृति : 

पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले जातक की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि  ऐसे लोग अपने जीवन में काफी उदार प्रवृत्ति वाले होते हैं ऐसे लोग दूसरों के मनोभावों को और भावनाओं को काफी अच्छी तरह समझते हैं.  यह लोग अपने संबंधी या आपने आसपास के लोगों को हमेशा सुखी  देखना चाहते हैं और उनके सुख दुख में हमेशा साथ रहते हैं वह कभी भी अपने संबंधियों के वह हमेशा वह हमेशा अपने संबंधियों और अपने दोस्तों की आवश्यकता के समय उपलब्ध रहते हैं. 

जानें किस दिन को जन्म लेने वाले लोग होते हैं रोमांटिक और अपने पार्टनर के प्रति केयरिंग

भगवान में विशेष अनुरक्ति 

 पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले जातक भगवान में अत्यधिक विश्वास करने वाले होते हैं और उनका ऐसा मान्यता है कि ईश्वर हमेशा उनके लिए उपलब्ध रहते हैं. ईश्वर की  भक्ति और पूजा-पाठ उनके जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा होती है और उनका यह मान्यता है की ईश्वर होता है जो  किसी भी संकट या कष्ट में वह मदद करता है. ऐसे विश्वास का कारण भी होता क्योंकि  ये लोग अपने कार्यो को  अंजाम तक पहुंचाने के दौरान भी ईश्वर को नहीं भूल सकते हैं. 

गुरु/पिता का विशेष स्थान:

पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले जातकों में अपने  गुरु और पिता के प्रति विशेष अनुरक्ति देखी  जाती है. जीवन में किसी भी उपलब्धि या विशेष अवसरों पर  ऐसे लोग अपने पिता और अपने गुरु को विशेष तौर पर याद करना  हैं और सारा श्रेय उन्हें हीं देना पसंद करते हैं. उनका ऐसा मान्यता है कि जीवन में पिता  और टीचर  के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता और जीवन में वाे इनके  प्रति वे काफी अनुराग दिखाते हैं और अपना पथ प्रदर्शक और मोटीवेटर मानते हैं.

वचन के पक्के: 

पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले जातकों की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि वह वचन के काफी  पक्के होते हैं. उनके लिए उनके द्वारा किया गया कोई भी वादा या वचन अपने जीवन से काफी जरूरी है और इसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकते हैं. उनके लिए  अपने द्वारा दिया गया कोई भी वचन या किया गया वादा को हर हाल में पूरा किया जाना और  ऐसे लोग ईमानदारी के साथ उसे पूरा करने की कोशिश भी करते हैं. 

यशस्वी और प्रभावशाली:

पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले जातक काफी यशस्वी और प्रभावशाली होते हैं जो जीवन में काफी प्रभाव छोड़ने में सफल  रहते हैं. ऐसे लोग अपने कर्मों और अपने सोच की वजह से जीवन में काफी आगे बढ़ते हैं साथ ही दुनिया को रोशनी भी दिखाने का काम करते हैं. उन्हें जो भी काम जीवन में मिलती है वे लोग उसे काफी तल्लीनता के साथ करना पसंद करते हैं.

ईमानदारी: 

ईमानदारी पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले लोगों का सबसे प्रमुख विशेषता होती है जीवन जीने के लिए ऐसे लोग ईमानदारी को काफी तवज्जो देते  हैं और जीवन में आगे बढ़ने का सबसे प्रमुख कारण यही होती है कि वे अपने जीवन के  हर क्षेत्र   में  चाहे वह इनके निजी जीवन  हो या परिवारिक जीवन हो सामाजिक जीवन हो या प्रोफेशनल फ्रंट,  हर जगह वह इमानदारी से अपने काम को अंजाम देते हैं,

Point Of View @ Budha Purnima: जानें गौतम बुद्ध के अनुसार-सत्य के राह पर चलने वाला मनुष्य कौन सी दो गलतियाँ करता है

 

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Point Of View : बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वेसाक या बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है, यह खासतौर पर बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और मृत्यु (या परिनिर्वाण) का स्मरण करती है। इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा 23 मई, 2024  को मनाई जा रही है।  हिन्दू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा जो प्रत्येक माह मे मनाई जाती है, इसका खास महत्व है। 

गौतम बुद्ध, जिन्हें "शांत" और "ज्ञानोदय" के प्रतीक के रूप में जाना जाता है, जीवन जीने का एक अनूठा और गहन नजरिया प्रदान करते हैं।गौतम बुद्ध  कहते हैं, अगर आप जीवन में शांति और खुशी चाहते हैं तो कभी भी भूतकाल और भविष्य काल में न उलझें। वह कहते हाँ कि सत्य की राह पर चलने वाला मनुष्य जीवन में दो ही गलतियां कर सकता है- पहला या तो पूरा रास्ता तय नहीं करता और दूसरा कि वह शुरुआत ही नहीं करता।

 बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा गौतम बुद्ध ने अपने जीवन में हमेशा लोगों को अहिंसा और करुणा की शिक्षा दी और आज भी यह सच है कि साथ ही गौतम बुद्ध के विचार और उपदेश हमें जीवन की हकीकत से रूबरू कराते हैं,उनकी शिक्षाएं, जिन्हें "धर्म" कहा जाता है, आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी कि 2500 साल पहले थीं।

बुद्ध से सीखने के कुछ महत्वपूर्ण पहलू:

वर्तमान पर ध्यान दें: बुद्ध हमें वर्तमान क्षण में जीने का महत्व सिखाते हैं। अतीत के पछतावे या भविष्य की चिंता में फंसने के बजाय, हमें वर्तमान क्षण की सुंदरता और संभावनाओं को स्वीकार करना चाहिए। भूतकाल पर ध्यान मत दो, भविष्य के बारे में मत सोचो, अपने मन को वर्तमान क्षण पर केंद्रित करो। 

अपने विचारों को संभालें: "आपके सबसे बड़े दुश्मन को भी उतना नुकसान नहीं पहुँचा सकता जितना कि आपके अपने असुरक्षित विचार।

करुणा और दया: बुद्ध की शिक्षाओं का केंद्र करुणा और दया है। हमें दूसरों के प्रति दयालु और सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए, चाहे वे कोई भी हों। घृणा को घृणा से खत्म नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसे प्रेम से ही खत्म किया जा सकता है जो की एक प्राकृतिक सत्य है.

क्रोध से बचें: गौतम बुद्ध का कहना है कि क्रोध एक दण्ड है साथ  हीं क्रोध एक जहर  और आग है जो तुम्हें जला देगी। उनका कहना है कि क्रोध को हर प्रकार शमन किया जाना जरूरी है अगर जीवन मे शांति कि तलाश है। "किसी विवाद में हम जैसे ही क्रोधित होते हैं, हम सच का मार्ग छोड़ देते हैं और अपने लिए प्रयास करने लगते हैं."

मन को वश में करें: गौतम बुद्ध  ने कहा है कि जिसने अपने मन को वश में कर लिया उसने शांति को प्राप्त कर लिया। इसके लिए सबसे जरूरी इस बात की  हैं कि  हम अपने मन को अपने वश मे करें जो कि संतोष के साथ जीने का अवसर प्रदान करती है। 

अपने कार्यों के प्रति जागरूक रहें:  "हम वही हैं जो बार-बार करते हैं। उत्कृष्टता तब एक क्रिया नहीं बल्कि एक आदत बन जाती है।"

खुद को जानो: बुद्ध ने हमें अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों के बारे में जागरूक होने का महत्व सिखाया। उनका कहना है ki आत्म-जागरूकता से ही हम अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं। स्वयं की विजय सबसे बड़ी विजय है। आप चाहें जितनी किताबें पढ़ लें, कितने भी अच्छे प्रवचन सुन लें, उनका कोई फायदा नहीं होगा, जब तक कि आप उनको अपने जीवन में नहीं अपनाते.

सीखने की यात्रा पर रहें:  सीखने की कभी समाप्ति नहीं होती और यह जीवन का सतत प्रक्रिया है। उनका  कहना है कि  अज्ञानी व्यक्ति एक बैल के समान है वह ज्ञान में नहीं बल्कि आकार में बढ़ता है।

शांति का मार्ग अपनाएं: शांति अपने आप में नहीं आती है; यह उपलब्धि है जिसे बुद्धि, करुणा और साहस से प्राप्त किया जाना चाहिए। नफरत से नफरत कभी खत्म नहीं हो सकती. नफरत को केवल प्यार द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है. यह एक प्राकृतिक सत्य है.

बुद्ध की शिक्षाओं को अपने जीवन में कैसे लागू करें:

  • ध्यान: ध्यान एकाग्रता और आत्म-जागरूकता विकसित करने का एक शक्तिशाली तरीका है।
  • सचेतता: अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों के प्रति सचेत रहने का प्रयास करें।
  • करुणा: दूसरों के प्रति दयालु और सहानुभूतिपूर्ण बनें।
  • मध्यम मार्ग: चरम सीमाओं से बचें और संतुलित जीवन जीने का प्रयास करें।
  • नैतिकता: सदाचारी जीवन जीने का प्रयास करें।
  • गौतम बुद्ध की शिक्षाएं हमें एक अधिक शांतिपूर्ण, खुशहाल और सार्थक जीवन जीने में मदद कर सकती हैं।
गौतम बुद्ध Quotes 

  • भविष्य के सपनों में मत खोओ और भूतकाल में मत उलझो सिर्फ वर्तमान पर ध्यान दो। -गौतम बुद्ध
  • शत्रुओं से बदला लेना चाहिए, न कि शत्रुओं को बदल देना चाहिए। - गौतम बुद्ध
  • क्रोध में हजारों शब्दों को गलत बोलने से अच्छा, मौन वह एक शब्द है जो जीवन में शांति लाता है।
  • अपने विचारों का मालिक बनो, न कि अपने विचारों के गुलाम। - गौतम बुद्ध
  • स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफ़ादारी सबसे बड़ा संबंध है।गौतम बुद्ध
  • घृणा घृणा से नहीं प्रेम से ख़त्म होती है, यह शाश्वत सत्य है। गौतम बुद्ध
  • विवेकी पुरुष विचारों के परिणामों के आधार पर अपने कार्य को निर्णय करता है, और फिर कार्य करता है।-गौतम बुद्ध
  • बुद्धिमान व्यक्ति अपने मन को शांत करता है, जैसे एक झील में पानी को शांत किया जा सकता है, ताकि अन्यत्र मछलियाँ तस्वीरें देख सकें।" - गौतम बुद्ध
  • वहीं जीत है, जो दूसरों को जीतता है।- 
  • किसी विवाद में हम जैसे ही क्रोधित होते हैं हम सच का मार्ग छोड़ देते हैं, और अपने लिए प्रयास करने लगते हैं। -गौतम बुद्ध


Born on Monday: सोमवार को जन्में लोगों कि खूबियां जानकर आप भी हो जायेंगे हैरान, रखें ये नाम

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Born on Monday : सोमवार को जन्मे लोगों की सबसे बड़ी खासियत होती है कि वे मेहनती होने के साथ ही जुझारू प्रवृति के होते हैं। इनके स्वामी मून अर्थात चन्द्रमा होता है और चंद्र का स्वाभाव शांत और शीतलता का होता है. इसके  अनुसार ही सोमवार को जन्म लेने वाले लोग शांत मस्तिष्क वाले होते है साथ ही संवेदनशील, दयालु, विनम्र, देखभाल करने वाले और मातृभाषा सहित अद्वितीय व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं. ऐसे लोगों में दृढ़ संकल्प शक्ति होती है। एस्ट्रोलॉजी के अनुसार आप जानते हैं कि चन्द्र पृथ्वी के बहुत निकट होता है और यही कारण है कि सोमवार को पैदा हुए लोग तर्कसंगत रूप से भावनात्मक रूप से व्यवहार करते हैं और ऐसे व्यक्ति लगातार मिजाज प्रदर्शित करते हैं और इसलिए महत्वपूर्ण निर्णय लेना आसान नहीं होता है। प्रसिद्ध ज्योतिष और राशिफल विशेषज्ञ हिमांशु रंजन शेखर से आप सोमवार को जन्म लेने वाले लोगों के चरित्र, स्वास्थ्य, स्वभाव और बहुत कुछ के बारे में विस्तार से जान सकते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा  एक अद्भुत ग्रह है जो पृथ्वी के बहुत करीब है इसलिए इसका प्रभाव पृथ्वी पर बहुत प्रमुख है। ऐस्टरोलोजी के अनुसार चंद्रमा मन का स्वामी है. यह ग्रह घरेलू जीवन, पारिवारिक संबंधों और आनुवंशिकी को नियंत्रित करता है। चंद्रमा को सोम देवता के रूप में पूजा जाता है और इसे जीवन के सुख-शांति का प्रतीक माना जाता है.


Born On Tuesday: होते हैं साहसी, जुझारू और जल्दी हार नही मानने वाले

सोमवार को जन्मे बच्चों के नाम 

हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार सोमवार को जन्मे लोगों के नाम अक्सर भगवान शिव से जुड़े होते हैं साथ ही सोमवार को चंद्रमा का दिन माना जाता है, और ऐसा मान्यता है कि चंद्रमा भगवान शिव का वाहन है। इसलिए, सोमवार को जन्मे लोगों के नाम अक्सर शिव के नामों या चंद्रमा से संबंधित नामों से लिए जाते हैं। हालाँकि किसी बच्चे के नाम रखने के पीछे बहुत सारे फैक्टर होते हैं जैसे कि राशि, नक्षत्र, धर्म, और परिवार की परंपराआदि. 

रविवार को हुआ है जन्म तो आप होंगे: दृढ इच्छा शक्ति के मालिक

सोमवार को  जन्म लेने वाले बच्चों के नामों के लिए कुछ लोकप्रिय नाम निम्न हो सकते हैं. इनके अलावा, सोमवार को जन्मे लोगों के लिए अन्य नाम भी चुने जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति का नाम उसके जन्म के समय के आधार पर भी रखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति सुबह जल्दी पैदा होता है, तो उसे "उदय" या "प्रभात" जैसे नाम दिया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति शाम को पैदा होता है, तो उसे "शाम" या "सौरभ" जैसे नाम दिया जा सकता है।

लड़कों के लिए

  • शिव
  • शंकर
  • चंद्र
  • कार्तिकेय
  • उदय
  • दीप
  • प्रकाश
  • शांत
  • धीरज

लड़कियों के लिए

  • शिवांगी
  • चंद्रिका
  • उषा
  • दीप्ति
  • शीतल
  • शांति
  • प्रज्ञा
  • भावना
  • श्रद्धा

मेहनती के साथ ही जुझारू प्रवृति 

सोमवार को जन्मे लोग बहुत मेहनती होते हैं। ऐसे व्यक्ति कभी भी शांति से रहना पसंद नहीं करते और हमेशा खुद को व्यस्त रखना चाहते हैं। ऐसे लोग समय का सदुपयोग करने में काफी सक्रिय होते हैं और अगर ये अच्छी और सक्रिय प्रवृत्ति के स्वामी हों तो ऐसे लोग जीवन में कई कार्यों को सफलतापूर्वक अपने हाथ में लेकर उन्हें अंजाम तक पहुंचा सकते हैं।

उच्च चरित्र के स्वामी 

सोमवार को जन्मे लोगों की यह विशेषता होती है कि ये उच्च चरित्र के होते हैं और ये अपने चरित्र का बहुत ध्यान रखते हैं। हालांकि जातक विपरीत और विपरीत स्वभाव को जीना पसंद करता है। वासना और भोग जैसे विषयों को ये गलत नहीं समझते लेकिन फिर भी इनके लिए उच्च चरित्र हमेशा महत्वपूर्ण होता है और इसके लिए ये आमतौर पर कोई समझौता पसंद नहीं करते हैं।

धार्मिक/सामाजिक कार्यों में सहभागी

 सोमवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति सामान्यतः धार्मिक प्रकृति के होते हैं, धार्मिक कार्यों एवं पूजा-पाठ में इनकी विशेष रुचि होती है. भले ही ये लंबे समय तक पूजा-पाठ में विश्वास नहीं रखते हों, लेकिन धार्मिक और सामाजिक कार्यों में ये विशेष रुचि दिखाते हैं।

सुख-दुःख में समान भाव 

ऐसा व्यक्ति सुख हो या दुख दोनों ही स्थितियों में समान रहता है और जल्दी विचलित होना पसंद नहीं करता। सुख की स्थिति में भी ये प्राय: अपने को आडम्बर से दूर ही रखते हैं। साथ ही दु:ख या दुर्दशा की स्थिति में भी ये अपना सम्मान नहीं छोड़ते हैं और जल्दबाजी में किसी के सामने हाथ फैलाना पसंद नहीं करते हैं।

स्वास्थ्य और व्यक्तित्व

ऐसे व्यक्तियों का चेहरा आमतौर पर गोल आकार का होता है। ऐसे लोगों को सेहत को लेकर सर्दी या जुकाम को लेकर विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत होगी। ऐसे लोग सर्दी या जुकाम के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं और उन्हें इससे खास परहेज करने की जरूरत होती है। हल्की सर्दी भी उन्हें परेशान करती है और उन्हें सर्दी या जुकाम हो सकता है। इसके साथ ही सोमवार को जन्में जातकों का शरीर वात और कफ से भरपूर होता है इसलिए इन्हें विशेष ध्यान रखना चाहिए।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।

Point Of View : मोदी का करिश्माई व्यक्तित्व, स्पष्ट दृष्टि और मजबूत लोकप्रियता होगी मुख्य चुनौती विपक्ष के लिए


Najariya jine ka Modi His Personality And Positive Things
विपक्षी गठबंधन भले हीं 2024 में जीत के कितने दावे कर ले, लेकिन सच तो यह है प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व, स्पष्ट दृष्टि और मजबूत लोकप्रियता के आगे उसके मनसूबे सफल होने का कोई आसार नजर नहीं आर रहा. सच्चाई तो यह है कि मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व, स्पष्ट दृष्टि और मजबूत लोकप्रियता ने उन्हें भारत के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक बना दिया है। उनकी नीतियों और उनके नेतृत्व ने भारत को कई क्षेत्रों में प्रगति करने में मदद की है।

एक क्वोट्स है जो इस प्रकार है- "यह सोचना कठिन है कि क्या असंभव है। क्योंकि कल का सपना आज की आशा और कल की वास्तविकता है।" ऐसा लगता है कि यह उद्धरण विशेष रूप से भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को ध्यान में रखकर लिखा गया है जो इस पर बिल्कुल फिट बैठता है। मोदी अपने करिश्माई व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं, जो न केवल दूरदर्शी और निर्णायक हैं, बल्कि वे भारत के लोगों के बीच लोकप्रिय भी हैं।

भले ही विपक्षी नेताओं ने आगामी 2024 के चुनाव में मोदी को हराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि वह एक करिश्माई और प्रभावी नेता हैं। वह अपने मजबूत संचार कौशल, लोगों से जुड़ने की क्षमता और भारत के लिए अपने दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व के कुछ उज्जवल और मजबूत बिंदुओं पर अगर गौर करें तो आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि आखिर मोदी क्यों देश ही नहीं बल्कि दुनिया में अपने प्रद्तिंद्वंदियों को पीछ छोड़ कर लोकप्रियता में सबसे शीर्ष पर हैं. 

करिश्माई व्यक्तित्व: 

 मोदी एक स्वाभाविक नेता हैं जो लोगों को प्रेरित और प्रेरित करने में सक्षम हैं। वह एक प्रतिभाशाली वक्ता हैं जो भावनात्मक स्तर पर लोगों से जुड़ने में सक्षम हैं।

दूरदर्शी: 

मोदी  के पास भारत के भविष्य के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण है। वह बड़ा सोचने से डरते नहीं हैं और वह भारत को वैश्विक नेता बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

निर्णायक: 

मोदी एक निर्णायक नेता हैं जो कठोर निर्णय लेने से नहीं डरते। वह जोखिम लेने से नहीं डरते और यथास्थिति को चुनौती देने को तैयार हैं।

कुशलता के साथ पथ पर अग्रसर: 

 मोदी एक कुशल नेता हैं जो काम करवाने में सक्षम हैं। वह कार्य सौंपने से नहीं डरता और वह लोगों को जवाबदेह ठहराने में सक्षम है।

लोकप्रियता: 

 मोदी एक लोकप्रिय नेता हैं जिन्हें भारतीय लोगों के बीच व्यापक समर्थन प्राप्त है। उन्हें एक मजबूत और निर्णायक नेता के रूप में देखा जाता है जो अपने वादों को पूरा करने में सक्षम है।


बेशक, नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व के कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं, जैसे विपक्ष उन पर आरोप लगाता रहता है, हालांकि, उनकी सरकार को लोगों द्वारा दिया गया जनादेश और समर्थन दर्शाता है कि वह असली व्यक्ति हैं जो भारत को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

कुल मिलाकर नरेंद्र मोदी एक ऐसी शख्सियत हैं जो अपनी वाकपटुता से विपक्षी नेताओं को मजबूर करने की कला जानते हैं और उनके काम उनकी कार्यकुशलता और लोकप्रियता को साबित करने के लिए काफी हैं।

Point Of View : आखिर नरेंद्र मोदी की कौन से हैं वह खूबियां जो बनाती हैं लोकप्रिय और प्रभावशाली नेता


Point Of View : हाल के लोकसभा चुनाव परिणामों ने फिर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का अवसर प्रदान किया है. भले हीं भाजपा को अकेले बहुमत नहीं मिली लेकिन एन डी ए गठबंधन की सरकार बननी तय है। इंडिया अलायन्स (Indian National Developmental Inclusive Alliance) ने अपने गठन के साथ जो दिवास्वप्न दिखाए थे अब लगता है कि उसका यथार्थ की धरातल पर उतारने में सबसे बड़ी समस्या विपक्षी नेताओं के लिए नरेंद्र मोदी का चमत्कारी व्यक्तित्व हीं बाधा बनी। सच्चाई तो यहीं है कि आज भी पूरी इंडी गठबंधन के सीटों की संख्या अकेले भाजपा से भी कम है। निश्चित हीं मोदी का व्यक्तित्व विपक्ष पर आज भी भारी है। देखते हैं कि आखिर नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व की क्या है वह खासियत जिसका आकर्षण आज भी बरक़रार है. 

अगर आप नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व का आकलन करेंगे तो पाएंगे कि उनकी कार्यकुशलता और कुशल नेतृत्व उनकी सबसे बड़ी खासियत है। वह एक बहुत ही मेहनती और लक्ष्य-उन्मुख नेता हैं साथ ही मुश्किल परिस्थितियों से कभी वह घबराते नहीं है  वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने और बाधाओं को पार करने से नहीं डरते। मोदी ने अपने राजनीतिक जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन उन्होंने हर बार उनका सामना किया है और सफलता प्राप्त की है।

मोदी की कार्यकुशलता और निर्णय लेने की क्षमता का अंदाजा इसी से लगाया जार सकता है कि उनके प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान कभी भी ज्वलंत मुद्दों पर ठोस  निर्णय लेने में विलम्ब नहीं लेते । उन्होंने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण योजनाओं और नीतियों को लागू किया है, जैसे कि स्वच्छ भारत मिशन, डिजिटल इंडिया मिशन, और मेक इन इंडिया। इन योजनाओं और नीतियों ने भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

न केवल प्रधान मंत्री के रूप में बल्कि मोदी की कार्यकुशलता का उदाहरण उनके गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान देखा जा सकता है जहाँ उन्होंने  गुजरात को भारत का सबसे विकसित राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने गुजरात में आर्थिक विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार किए।

निसंदेह मोदी की कार्यकुशलता ने उन्हें भारत के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक बना दिया है। वह एक ऐसे नेता हैं जिन पर लोग भरोसा करते हैं कि वह उनके लिए काम करेंगे।

मोदी के व्यक्तित्व की अन्य खासियतों में शामिल हैं:

उनका संवाद कौशल: 

मोदी एक बहुत ही प्रभावशाली वक्ता हैं और अपनी बातों को वह बेहद प्रभावशाली ढंग से श्रोताओं तक पहुंचते हैं । मोदी की क्षमता और हर वर्ग के श्रोताओं पर उनकी पकड़ का अंदाजा आप इसी से लगा सकते है कि वह किसाओं से लेकर महिलाओं तक और परीक्षा पर चर्चा कर विद्यार्थियों की समस्या पर अपने राय बेबाकी से देता है. वह अपने भाषणों के माध्यम से लोगों को प्रेरित और उत्साहित कर सकते हैं।

उनकी नेतृत्व क्षमता:

 मोदी एक दृढ़निश्चयी और कुशल नेता हैं और उनकी इस क्षमता को उनके विरोधी भी दबी जुबान से स्वीकार करते हैं। वह अपने अनुयायियों को एकजुट कर सकते हैं और उन्हें एक लक्ष्य की ओर ले जा सकते हैं।

उनका विजन: 

मोदी एक दूरदर्शी नेता हैं और देश के साथ एक व्यापक विजन पर काम करते हैं  जिसपर देश वासी भरोसा भी करते हैं. उन्होंने भारत के लिए एक मजबूत और समृद्ध भविष्य की कल्पना की है और उनके हर कदम यह साबित करते हैं जो देशवासी द्वारा उनके ऊपर किया गया भरोसा दिखा

उज्जवल निकम: Person in News-Facts in Brief

Ujjwal Nikam persons in news facts in brief

भाजपा ने वकील उज्ज्वल निकम को मुंबई उत्तर मध्य निर्वाचन क्षेत्र से अपना उम्मीदवार चुना है।

  • श्री निकम 26/11 हमले के मामले में अभियोजक के रूप में अपनी भूमिका के लिए प्रसिद्ध हैं, जो देश भर में सबसे बड़े मामलों में से एक था। उज्जवल निकम 26/11 हमले के बाद पकड़े गए एकमात्र आतंकवादी अजमल कसाब के मुकदमे में सरकारी वकील थे।

मुंबई उत्तर मध्य निर्वाचन क्षेत्र

महाराष्ट्र में स्थित मुंबई उत्तर मध्य निर्वाचन क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं और 20 मई, 2024 को मतदान होगा।

  • उज्जवल निकम ने अपना करियर जलगांव में जिला अभियोजक के रूप में शुरू किया। 30 साल के करियर में, उन्होंने 628 आजीवन कारावास और 37 मृत्युदंड की सजा दिलवाने मे सफलता प्राप्त किए हैं।

एक कानूनी करियर के रूप में, उज्ज्वल निकम के पास कई हाई-प्रोफाइल कार्य हैं, जिन्होंने उन्हें जीवन में सुर्खियों में रखा है।

  • 1997 में बॉलीवुड निर्माता और टी सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार की हत्या का मामला।
  • भाजपा नेता प्रमोद महाजन की हत्या (2006)।
  • 1993 बम्बई बम विस्फोट

2016 में, उज्ज्वल निकम को भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।

Hanuman Jayanti: हनुमान जयंती कब है? जानिए सही तिथि, पूजन विधि और महत्व


Hanuman Jayanti
: हनुमान जयंती, जिसे हनुमान जन्मोत्सव भी कहा जाता है, चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर मनाई जाती है। इस साल 23/24 अप्रैल, 2024 को यह पर्व पूरे धूम धाम से मनाई जाएगी। धर्मग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार भगवान हनुमान अष्ट चिरंजीवियों में से एक हैं और भगवान श्री राम के प्रबल भक्त हैं। 

भगवान हनुमान का जन्म चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को हुआ था और देश भर में लोग हनुमान जन्मोत्सव के रूप में इस दिन को बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। आम तौर पर, त्योहार चैत्र माह (अप्रैल-मई) में मनाया जाता है। 

यदि आप भारत भूमि का भ्रमण करें, तो आपको अलग-अलग लोग अलग-अलग तरीकों से भगवान हनुमान की पूजा करते हुए पाएंगे। यह उत्तर भारत में चैत्र पूर्णिमा के रूप में सबसे अधिक मनाया जाता है।

भगवान हनुमान जी व्यक्तित्व कि विशालता और उनके अनगिनत कारनामों ने हमेशा से दुनिया भर के विद्वानों, विचारकों और पौराणिक कथाओं का केंद्र बिन्दु रहा है। 

भगवान हनुमान सबसे प्रसिद्ध देवताओं में से एक हैं और ऐसी मान्यता है कि वह आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं। कहा जाता है कि प्रभु हनुमान इस घोर कलयुग मे एक मात्र देवता हैं जो अपने भक्तों के द्वारा कम पूजन पर भी आसानी से उनका कल्याण करते हैं ।

हनुमान जयंती 2024: तिथि और समय

पूर्णिमा तिथि आरंभ - 23 अप्रैल, 2024 - 03:25 पूर्वाह्न

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 24 अप्रैल, 2024 - 05:18 पूर्वाह्न

हनुमान जयंती कैसे मनाएं? 

भगवान हनुमान केसरी और अंजना के पुत्र हैं और उनका जन्म नाम अंजनेय (अंजना का पुत्र) था, लेकिन जीवन भर उन्हें उनके वीरतापूर्ण कार्यों से प्राप्त नामों से संबोधित किया गया था। 

हनुमान जयंती पर सभी भक्तगन प्रभु हनुमान को पूजन करते हैं और उनकी प्रसन्नता के लिए हम भगवान हनुमान के शुभ जन्म की पूजा करते हैं। इस दिन विभिन्न प्रकार के भक्ति कार्यक्रम आयोजन कि जाती है साथ ही प्रभु हनुमान की दिव्यता की पूजा करने के साथ ही उनकी बचपन की लीलाओं, वीरतापूर्ण कृत्यों को याद किया जाता है। 

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान हनुमान अपने गुरु रामचंद्र के चरण कमलों के प्रति काफी समर्पित रहते हैं और इसलिए प्रभु राम को प्रसन्न करके भी लोग भगवान हनुमान को खुश और प्रसन्न करने के लिए मंदिरों और घरों मे पूजन आयोजित करते हैं। भगवान हनुमान की पूजा करने के दो तरीके हैं; पारंपरिक पूजा और हनुमान के गुणों का ध्यान।  

ऐसी मान्यता है कि भगवान इस लोक मे तब तक  तक गुप्त रूप से पृथ्वी पर रहेंगे जब तक भगवान राम का नाम गाया जाएगा , महिमामंडित और स्मरण और पूजा किया जाएगा।

हनुमान जयंती 2024: अनुष्ठान

  • सबसे पहले भक्तगन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें जो कि किसी भी पूजन के आरंभ के लिए प्राथमिक शर्त होती है ।
  •  पूजन स्थल पर या किसी भी पवित्र जगह पर भगवान हनुमान की मूर्ति रखें और देसी घी का दीया जलाएं।
  •  उसके उपरांत भगवान हनुमान के मूर्ति पर लाल फूल चढ़ाएं और हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का जाप करें।
  •  हनुमान मंदिर जाएं और भगवान हनुमान को चोला चढ़ाएं जिसमें - चमेली का तेल, वस्त्र और सिन्दूर शामिल हों।
  • ज्यादातर लोग घर में सुंदर कांड का पाठ कराते हैं।
  •  इस शुभ दिन पर रामायण का पाठ करना भी लाभकारी होता है।


Point Of View : : शक्ति, भक्ति और सेवा के अवतार भगवान हनुमान के इन टिप्स से बढ़ाएं आत्मविश्वास


Najariya  Jine Ka Build Self Confidence with Teaching of Lord Hanuman

Point Of View : शक्ति, भक्ति और सेवा के अवतार, भगवान हनुमान आत्मविश्वास पैदा करने के लिए मूल्यवान सबक प्रदान करते हैं। भगवान हनुमान के जीवन का अध्ययन करके, हम आत्मविश्वास के निर्माण के बारे में बहुमूल्य सबक सीख सकते हैं। उनका जीवन और कार्य उन शिक्षाओं से भरे हुए हैं जो हमें चुनौतियों से उबरने और खुद पर विश्वास करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। अपने आप में उनके अटूट विश्वास, उच्च उद्देश्य के प्रति उनकी भक्ति, उनकी विनम्रता और दूसरों की सेवा करने की उनकी प्रतिबद्धता को अपनाकर, हम अपने भीतर उन्हीं गुणों को विकसित कर सकते हैं और साहस और विश्वास के साथ दुनिया का सामना कर सकते हैं। हनुमान की आत्मा अडिग थी। यहां तक कि जब दुर्गम बाधाओं का सामना करना पड़ा, तब भी वह अटूट विश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ डटे रहे। यह सकारात्मक दृष्टिकोण की शक्ति और बाधाओं को दूर करने की क्षमता में विश्वास का उदाहरण देता है।

क्षमताओं में अटूट विश्वास

हनुमान का सबसे प्रतिष्ठित पराक्रम समुद्र पार करके लंका तक छलांग लगाना था। यह कार्य केवल शारीरिक शक्ति के बारे में नहीं था, बल्कि अपनी क्षमताओं में उनके अटूट विश्वास के बारे में भी था। उन्हें संदेह और डर का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने खुद पर भरोसा करने और छलांग लगाने का फैसला किया। यह हमें सिखाता है कि खुद पर विश्वास करना हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में पहला कदम है।



साहस के साथ करें चुनौतियों का सामना: 

भगवन कई बाधाओं के बावजूद भी कभी पीछे नहीं हटना, बल्कि साहस और दृढ़ संकल्प के साथ हर चुनौती का सामना करें ।

शक्तिशाली सेवक: 

अपार शक्ति और ताकत के बावजूद, हनुमान जी सदा विनम्र बने रहे और खुद को केवल भगवान राम का सेवक मानते थे और उन्होंने कभी भी मान्यता या प्रशंसा की मांग नहीं की। अपनी पूरी यात्रा के दौरान, हनुमान ने कई बाधाओं और प्रतिकूलताओं का सामना किया। वह कभी पीछे नहीं हटे, बल्कि साहस और दृढ़ संकल्प के साथ हर चुनौती का सामना किया। इससे हमें पता चलता है कि आत्मविश्वास का मतलब डर की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि खुद पर विश्वास के साथ इसका डटकर सामना करने की क्षमता है।

मार्गदर्शन की तलाश: 

अपनी क्षमताओं के साथ भी, उन्होंने महापुरुषों की बुद्धिमत्ता से हमशा सीखने और विकास के महत्व को महत्व दिया, जो याद दिलाता है कि आत्मविश्वास का मतलब सब कुछ जानना नहीं है, बल्कि सीखने और खुद को बेहतर बनाने के लिए ओपन माइंड होना जरुरी  है।

अदम्य भावना:

हनुमान की आत्मा अडिग थी। यहां तक कि जब दुर्गम बाधाओं का सामना करना पड़ा, तब भी वह अटूट विश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ डटे रहे। यह सकारात्मक दृष्टिकोण की जो शक्ति है वह बाधाओं को दूर करने की क्षमता देता है। जब सीता को खोजने में कथित विफलता के कारण हनुमान निराश हो गए, तो उन्हें अपनी असली ताकत याद आई। उन्होंने अपनी भक्ति और योग्यता की स्मृति में एक पर्वत उखाड़कर अर्पित कर दिया। यह अधिनियम दर्शाता है कि हम सभी में अपार क्षमताएं हैं और इसे पहचानने से हमारा आत्मविश्वास बढ़ सकता है।

भगवान राम की सेवा: 

भगवान राम के प्रति हनुमान का समर्पण पूर्ण था जो हमें सिखाता है कि उच्च उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करने से हमें दिशा मिल सकती है और हमारा संकल्प मजबूत हो सकता है। भगवान राम की सेवा: भगवान राम के प्रति हनुमान का समर्पण पूर्ण था। उन्होंने अटूट निष्ठा और विश्वास के साथ उनकी सेवा की, उनके कार्यों पर कभी सवाल नहीं उठाया या उनके उद्देश्य पर संदेह नहीं किया। यह हमें सिखाता है कि उच्च उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करना, चाहे वह व्यक्तिगत लक्ष्य हो या कुछ बड़ा, हमें दिशा दे सकता है और हमारे संकल्प को मजबूत कर सकता है।

असफलताओं का सामना: 

हनुमान को अपनी यात्रा में कई असफलताओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा, खुद को संभाला और आगे बढ़ते रहे। यह हमें सिखाता है कि चुनौतियों पर काबू पाने और असफलताओं से सीखने से आत्मविश्वास बनता है।

टीम वर्क की शक्ति: 

हनुमान ने सीता की खोज में अन्य वानरों और सहयोगियों के साथ काम किया। उन्होंने टीम वर्क और सहयोग के महत्व को समझा, यह पहचानते हुए कि महान चीजें हासिल करने के लिए अक्सर दूसरों के समर्थन और सामूहिक ताकत की आवश्यकता होती है। यह हमें याद दिलाता है कि मजबूत रिश्ते बनाने और समर्थन मांगने से हमारा आत्मविश्वास बढ़ सकता है और हमें और अधिक हासिल करने के लिए सशक्त बनाया जा सकता है।


75 वेटलैंड बर्ड्स सैंक्चुअरी : रामसर स्‍थलों की सूची में 11 और आर्द्रभूमि जुड़ीं, पाएं विस्तृत जानकारी


Wetlands Birds Sanctuaries Ramsar List

एक और जहाँ देश स्वतंत्रता के 75वें वर्ष  मना रहा है ऐसे में भारत के लिए  और  उपलब्धि हासिल हुई है जहाँ 75 रामसर स्थलों को बनाने के लिए रामसर स्‍थलों की सूची में 11 और आर्द्रभूमि शामिल हो गई हैं। 11 नए स्‍थलों में तमिलनाडु में चार (4), ओडिशा में तीन (3), जम्मू और कश्मीर में दो (2) और मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र प्रत्‍येक में एक (1) शामिल हैं। 

भारत में स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में देश में 13,26,677 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हुए कुल 75 रामसर स्थलों को बनाने के लिए रामसर स्‍थलों की सूची में 11 और आर्द्रभूमि शामिल हो गई हैं।

11 नए स्‍थलों में तमिलनाडु में चार (4), ओडिशा में तीन (3), जम्मू और कश्मीर में दो (2) और मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र प्रत्‍येक में एक (1) शामिल हैं। इन स्थलों को नामित करने से इन आर्द्रभूमियों के संरक्षण और प्रबंधन तथा इनके संसाधनों के कौशलपूर्ण रूप से उपयोग करने में सहायता मिलेगी।

1971 में ईरान के रामसर में रामसर संधि पत्र पर हस्ताक्षर के अनुबंध करने वाले पक्षों में से भारत एक है। भारत ने 1 फरवरी, 1982 को इस पर हस्ताक्षर किए। 1982 से 2013 के दौरान, रामसर स्‍थलों की सूची में कुल 26 स्‍थलों को जोड़ा गया, हालांकि, इस दौरान 2014 से 2022 तक, देश ने रामसर स्थलों की सूची में 49 नई आर्द्रभूमि जोड़ी हैं।

इस वर्ष (2022) के दौरान ही कुल 28 स्थलों को रामसर स्थल घोषित किया गया है। रामसर प्रमाण पत्र में अंकित स्‍थल की तिथि के आधार पर इस वर्ष (2022) के लिए 19 स्‍थल और पिछले वर्ष (2021) के लिए 14 स्‍थल हैं।

तमिलनाडु में अधिकतम संख्या है। रामसर स्थलों की संख्या (14), इसके पश्‍चात उत्‍तर प्रदेश में रामसर के 10 स्थल हैं। 

रामसर स्थलों के रूप में नामित 11 आर्द्रभूमियों का संक्षिप्त विवरण
आद्रभूमि का नाम-राज्‍य
  1. तंपारा झील-ओडिशा
  2. हीराकुंड जलाशय-ओडिशा
  3. अंशुपा झील-ओडिशा
  4. यशवंत सागर-मध्‍य प्रदेश
  5. चित्रांगुडी पक्षी अभ्यारण्य-तमिलनाडु
  6. सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स-तमिलनाडु
  7. वडुवूर पक्षी अभयारण्य-तमिलनाडु
  8. कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य-तमिलनाडु
  9. ठाणे क्रीक-महाराष्‍ट्र
  10. हाइगम वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व-जम्‍मू और कश्‍मीर
  11. शालबुग वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व-जम्‍मू और कश्‍मीर

 

कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु: Facts in Brief


Kanjirankulam Bird Sanctuary: कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु में सबसे बड़ा पक्षी अभयारण्य है जो रामनाथपुरम जिले के कांजीरनकुलम गांव के भीतर स्थित है। केबीएस का अनुमानित क्षेत्र कीला (निचला) कांजीरनकुलम (66.66 हेक्टेयर) और मेला (ऊपरी) कांजीरनकुलम (30.231 हेक्टेयर) के बीच विभाजित है।  तमिलनाडु में  कुल सत्रह घोषित पक्षी अभयारण्य हैं हालांकि कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य सर्दियों के दौरान करीब 40 प्रजातियों के पक्षियों को आकर्षित करता है। यह मछलियों के भोजन, अंडे देने की जगह, नर्सरी और/या प्रवास पथ का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिस पर आर्द्रभूमि के भीतर या अन्य जगहों पर मछली का भंडार निर्भर करता है।
 बरसात के मौसम में बांधों के भीतर जमा होने वाला अतिरिक्त पानी बाद में कृषि कार्यों में उपयोग किया जाता है। अभयारण्य एक कुशल बाढ़ नियंत्रण, बाढ़ भंडारण तंत्र के लिए भंडार स्थान के रूप में कार्य करता है। 
भारत के तमिलनाडु के मुदुकुलथुर रामनाथपुरम जिले के पास कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य 1989 में घोषित एक संरक्षित क्षेत्र है। यह कई प्रवासी बगुले प्रजातियों के लिए घोंसले बनाने के स्‍थल के रूप में प्रसिद्ध है यहां बगुले बबूल के पेड़ों पर प्रवास करते हैं। 

प्रवासी जलपक्षियों की प्रजनन आबादी अक्टूबर और फरवरी के बीच यहां आती है और इसमें चित्रित सारस, सफेद आइबिस, ब्लैक आइबिस, लिटिल एग्रेट, ग्रेट एग्रेट शामिल हैं। यह स्‍थल आईबीए के रूप में जाना जाता है क्योंकि यहां स्पॉट-बिल पेलिकन पेलेकैनस फिलिपेन्सिस नस्लों उपस्थिति दर्ज की गई है। 

आर्द्रभूमि समृद्ध जैव विविधता प्रदर्शित करती है जिसमें स्पॉट-बिल पेलिकन, ओरिएंटल डार्टर, ओरिएंटल व्हाइट आईबिस और पेंटेड स्टॉर्क जैसी कई विश्व स्तर पर निकट-खतरे वाली प्रजातियां शामिल हैं और आमतौर पर किनारे और पानी के भीतर रहने वाले पक्षी जैसे ग्रीनशंक, प्लोवर, स्टिल्ट और मधुमक्खी खाने वाली बुलबुल, कोयल, स्टारलिंग, बारबेट्स जैसे वन पक्षी भी शामिल हैं। 

ये स्‍थल पक्षियों के प्रजनन, घोंसले के शिकार, आश्रय, चारागाह और ठहरने के स्‍थलों के रूप में कार्य करते हैं। यह आर्द्रभूमि आईयूसीएन रेडलिस्ट विलुप्‍त होने की कगार पर एवियन प्रजातियों जैसे स्टर्ना ऑरेंटिया (रिवर टर्न) का पालन करती है।