आईएनएस जटायु : भारतीय नौसेना ने लक्षद्वीप द्वीप में आईएनएस जटायु को कमीशन किया

INS Jatayu in lakshdweep facts in brief

आईएनएस जटायु को नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, लक्षद्वीप के माननीय प्रशासक श्री प्रफुल्ल के पटेल, वी एडमिरल वी श्रीनिवास, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, दक्षिणी नौसेना की उपस्थिति में मिनिकॉय द्वीप, लक्षद्वीप में कमीशन किया गया । यह लक्षद्वीप द्वीप में भारतीय नौसेना की पकड़ को मजबूत करेगा साथ ही  यह क्षेत्र में क्षमता निर्माण, परिचालन पहुंच और जीविका का विस्तार करता है। 

मिनिकॉय में नौसेना बेस की स्थापना से द्वीपों के व्यापक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए मुख्य भूमि के साथ कनेक्टिविटी बढ़ेगी। आईएनएस जटायु नौसेना प्रभारी अधिकारी (लक्षद्वीप), दक्षिणी नौसेना कमान के परिचालन नियंत्रण में कार्य करेगा।

एक प्रभावशाली कमीशनिंग समारोह में, नौसेना प्रमुख को 50 पुरुषों का गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। यूनिट के पहले कमांडिंग ऑफिसर कमांडर व्रत बघेल ने संस्कृत में मंगलाचरण का पाठ किया और उसके बाद कमीशनिंग वारंट का वाचन किया। कमीशनिंग पट्टिका के अनावरण के बाद, राष्ट्रगान की धुन पर नौसेना ध्वज फहराया गया। राष्ट्रगान के अंतिम स्वर के साथ, मस्तूल पर कमीशनिंग पेनेंट को तोड़ दिया गया। कमीशनिंग समारोह में वाइस एडमिरल संजय जे सिंह, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, पश्चिमी नौसेना कमान, वरिष्ठ नौसेना अधिकारी और विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।

 आईएनएस जटायु सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के दृष्टिकोण को अपनाते हुए भारतीय नौसेना की परिचालन निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

Mahashivratri 2024 Date: महाशिवरात्रि कब और कैसे मनाएं, पूजन सामग्री और अभी बहुत कुछ

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Mahashivratri 2024 Date:
    हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है जिस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का पूजन किया जाता है. भगवन शिव की उपासना करने वाले व्यक्तियों के लिए तो यह खास अवसर होता है, हालाँकि हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष स्थान है जिस दिन का इन्तजार सभी पुरुष और महिलायें करती है 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं साथ ही लोगों की ऐसी मान्यता है की भगवान शंकर की कृपा से उनके घरों में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है. वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन रखा जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार 08 मार्च 2024, शुक्रवार के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया  जाएगा. 

महाशिवरात्रि का इतिहास क्या है?

हिंदू पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि कई कारणों से महत्व रखती है। एक मान्यता यह है कि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था, और यह त्योहार उनके दिव्य मिलन का जश्न मनाने के लिए हर साल मनाया जाता है। साथ ही यह शिव और शक्ति के मिलन का भी प्रतीक है।

शिवरात्रि मनाने का क्या कारण है?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह त्योहार फाल्गुन या माघ महीने के कृष्ण पक्ष के चौदहवें दिन मनाया जाता है। यह त्योहार शिव और पार्वती के विवाह और उस अवसर की याद दिलाता है जब शिव अपना दिव्य नृत्य करते हैं, जिसे तांडव कहा जाता है।

साल में कितनी बार शिवरात्रि आती है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल 2 बार महाशिवरात्रि मनाया जाता है। पहली महाशिवरात्रि फाल्गुन माह में कृष्ण चुतर्दशी तिथि को मनाई जाती है और दूसरी सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।

महाशिवरात्रि के व्रत में शाम को क्या खाते हैं?

उपवास में ड्राई फ्रूट्स खाने की सलाह दी जाती है. महाशिवरात्रि के व्रत में काजू, किशमिश, बादाम, मखाना आदि खा सकते हैं. महाशिवरात्रि के व्रत के दौरान आप साबूदाना की खिचड़ी, लड्डू, हलवा खा सकते हैं.

शिवरात्रि की पूजा में क्या क्या सामान लगता है?

महाशिवरात्रि की पूजा सामग्री (Mahashivratri Puja Samagri)

  • बेलपत्र
  • गंगाजल
  • दूध
  • शिवलिंग: पत्थर, धातु या मिट्टी का
  • गंगाजल:
  • दूध:
  • दही:
  • घी:
  • शहद:
  • फल:
  • फूल:
  • बेलपत्र:
  • धतूरा:
  • भांग:
  • चंदन:
  • दीप:
  • अगरबत्ती:
  • नारियल:
  • पान:
  • सुपारी:
  • कपूर:
  • लौंग:
  • इलायची

पूजन विधि:

  • स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान को साफ करें और गंगाजल छिड़कें।
  • शिवलिंग को गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, फल, फूल, बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन आदि से स्नान कराएं।
  • शिवलिंग पर दीप जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
  • ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
  • शिव चालीसा का पाठ करें।
  • भगवान शिव से अपनी मनोकामना व्यक्त करें।
  • आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।


थाईलैंड का प्राचीन शहर "अयुत्या" जो भगवान राम की जन्मस्थली "अयोध्या" पर रखा गया है: जाने खास बातें


Ayutthaya Thailand: 
1350 में स्थापित अयुत्या का ऐतिहासिक शहर है जोसुखोथाई के बाद सियामी साम्राज्य की दूसरी राजधानी थी। यह 14वीं से 18वीं शताब्दी तक फला-फूला,इस दौरान यह दुनिया के सबसे बड़े और सबसे महानगरीय शहरी क्षेत्रों में से एक बन गया जो वैश्विक कूटनीति और वाणिज्य का केंद्र था। अयुत्या रणनीतिक रूप से शहर को समुद्र से जोड़ने वाली तीन नदियों से घिरे एक द्वीप पर स्थित था। इस स्थान को इसलिए चुना गया क्योंकि यह सियाम की खाड़ी के ज्वारीय क्षेत्र के ऊपर स्थित था,  इससे अन्य देशों के समुद्री युद्धपोतों द्वारा शहर पर हमले को रोका जा सकता था। इस स्थान ने शहर को मौसमी बाढ़ से बचाने में भी मदद की।

बिहार के राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने आज थाईलैंड के प्राचीन शहर अयुत्या का दौरा किया, जिसका नाम भारत में भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या के नाम पर रखा गया है। राज्यपाल 22 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं जो थाईलैंड में 26 दिवसीय प्रदर्शनी के लिए भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष ले गया है।

Ayutthaya Thailand Named After Lord Ram in Ayodhya Facts in Brief
1767 में बर्मी सेना ने शहर पर हमला किया और उसे तहस-नहस कर दिया। बर्मी सेना ने शहर को जला दिया और निवासियों को शहर छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। शहर का पुनर्निर्माण उसी स्थान पर कभी नहीं किया गया और यह आज भी एक व्यापक पुरातात्विक स्थल के रूप में जाना जाता है।


कभी वैश्विक कूटनीति और वाणिज्य का महत्वपूर्ण केंद्र रहा अयुत्या अब पुरातात्विक महत्व का केन्द्र है, जिसकी विशेषता ऊंचे प्रांग (अवशेष टावर) और विशाल अनुपात के बौद्ध मठों के अवशेष हैं, जो शहर के अतीत के आकार और इसकी वास्तुकलाभव्यता का अंदाजा देते हैं।

अयुत्या की अपनी यात्रा पर राज्यपाल श्री अर्लेकर ने कहा कि यह शहर भारतीय और थाई सभ्यता के बीच गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध को दर्शाता है जिसे थाईलैंड के लोगों और सरकार ने संरक्षित कर रखा है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बिहार राज्य का राज्यपाल होने के नाते, जो कई बौद्ध विरासतों और बोधगया का स्थान है,

ऐतिहासिक शहर अयुत्या का दौरा करने का अवसर मिलना उनके लिएएक सम्मान है, वह भी खासकर ऐसे समय में जब भारत के अयोध्या शहर में राम मंदिर का उद्घाटन किया गया। उन्होंने कहा कि ये प्राचीन मंदिर, महल और खंडहर न केवल थाईलैंड के समृद्ध इतिहास और संस्कृति की गहरी समझ देते हैं बल्कि हमें आधुनिक थाईलैंड की सांस्कृतिक जड़ों और विरासत की गहराई को समझने में भी मदद करते हैं।

राज्यपाल ने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय किए जाने चाहिए कि भारत में लोग इस सांस्कृतिक जुड़ाव और दुनिया भर में भारतीय संस्कृति के प्रसार के बारे में जागरूक हों।

Point Of View : खुद को वश में करना सीखें, फिरआपकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते

Point Of View खुद को वश में करना एक स्वाभाविक और आत्मिक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत आप अपनी भावनाओं, विचारों, और क्रियाओं को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं। 
बिहार बोर्ड के परीक्षा में एक सब्जी बेचने वाले के लड़के द्वारा राज्य में टॉपर बनने की कहानी को आप क्या कहेंगे. गौतम बुद्ध के उस कथन को  सन्दर्भ में उल्लेख करना अत्यधिक उपयुक्त होगी-"जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते "
 विपरीत परिस्थितियों का जीवन में आना और जाना तो प्रकृति का नियम है जिसे बदलना हमारे वश में नहीं है. कहा भी गया है "परिस्थितियां हमेशा तुम्हारे अनुकूल रहे ऐसी आशा न करो आखिर संसार सिर्फ तुम्हारे लिए थोड़े ही बना है?" लेकिन इन विपरीत परिस्थितियों से निकलना आपके हाथ में हैं और ऐसा करने के लिए सबसे पहले आपको खुद के अंदर आत्मविश्वास पैदा करना सीखना होगा. संसार का कोई भी मोटिवेटर कुछ नहीं कर सकता जबतक आप खुद के अंदर सकारात्मक सोच डेवलप नहीं करेंगे. अपने सकारात्मक सोच और खुद में विश्वास पैदा कर जरूर हीं हम इन आपदाओं से निकलने का मार्ग प्रशस्त कर सकते है. आपने सुनी होगी. "
 सफल होने के लिए सफलता की इच्छा,  असफलता के भय से अधिक होनी चाहिए " भगवान् भी आपके लिए कुछ नहीं कर सकते जबतक कि  आप खुद पर विश्वास करना नहीं सीख  लेते.जी हाँ, आप किसी और यहाँ तक कि  भगवान् पर भरोसा करने से पहले खुद पर  यकीन करने सीख  लें, भगवान खुद भी आपके प्रयासों के आगे नतमस्तक हो जायेंगे। यहां कुछ टिप्स हैं जो आपको खुद को वश में करने में मदद कर सकते हैं:

अपनी भावनाओं को पहचानें: 
सबसे पहले, अपनी भावनाओं को पहचानना सीखें क्योंकि खुद की भावनाओं को सबसे अधिक आप पहचान सकते हैं । जब आप गुस्सा, चिंता, या निराशा महसूस करते हैं, तो इसे स्वीकार करें और इसे दबाने की कोशिश न करें बल्कि खुद हीं इनपर नियंत्रण करने सीखे ।
 अपनी भावनाओं को समझें और स्वीकार करें:
 अपनी भावनाओं को समझने की कोशिश करें। वे क्यों उत्पन्न हो रही हैं? क्या कोई विशेष कारण है? साथ ही अपनी भावनाओं को स्वीकार करें, चाहे वे सकारात्मक हों या नकारात्मक। उन्हें दबाने या नकारने की कोशिश न करें।

अपने विचारों को नियंत्रित करें:
 अपने विचारों को नियंत्रित करना सीखना बहुत जरुरी है क्योंकि हमारे अंदर आने वाले विचार ही हमारे कार्यों को नियंत्रित करते हैं. नकारात्मक विचारों को अपने दिमाग में प्रवेश न करने दें क्योंकि यह आपके मानसिक स्थिति को कमजोर  करेगा और फिर आप खुद को नकारात्मक विचारों के अधीन पा सकते हैं ।

अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत करें:
 अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत करें क्योंकि आपकी मजबूत इच्छाशक्ति हीं आपके ठोस विचारों को गाइड करता है । जब आप किसी लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं, तो हार न मानें और मजबूत इच्छाशक्ति से उन्हें हासिल करने का प्रयास करें. ।

 धैर्य रखें: 
धैर्य रखें क्योंकि आज की दौड़ में जहाँ चारो तरफ कठोर प्रतिस्पर्धा है वहां धैर्य का होना बहुत जरुरी है। खुद को वश में करना एक सतत प्रक्रिया है। हार न मानें।

अनुशासन में रहें: 
अनुशासन को अपना सर्वस्व माने क्योंकि यही वह शक्ति है जो आपको खुद पर नियंत्रण करने में आपकी मदद करता है. खुद के लिए आप नियम बनाएं लेकिन उनके पालन करने में आप खुद हीं मॉनिटरिंग भी करें. नियमित रूप से अभ्यास करें और अपनी दिनचर्या में अनुशासन बनाए रखें।



सच्चाई तो यह है कि जीवन में मिलने वाली सफलता और असफलता के बीच ... जो सबसे बड़ा फैक्टर- इंटेलीजेंस और मिलने वाले सीमित  संसाधन कभी नहीं होते... क्योंकि अगर सिर्फ इंटेलीजेंस और संसाधन हीं  जीवन में सफलता की गारंटी होते  तो फिर औसत दर्जे और सीमित  संसाधनों वाले छात्र जीवन में सफलता प्राप्त कर हीं नहीं  पाते... 



अगर खुद पर यकींन काफी नहीं होता तो फिर उस 13 वर्षीय लड़की ज्योति के बारे में आप क्यां कहेंगे जिसने अपने घायल और लाचार पिता को गुड़गांव(दिल्ली ) से बिहार के दरभंगा तक के हजारों किलोमीटर की दूरी को साइकिल से तय कर मुश्किल से लक्ष्य को हकीकत में बदल डाला. क्या वह खुद में भरोसा और यकीन  की जीत  नहीं है? 

असफलता के भय को समाप्त करने के लिए करें खुद के अंदर साहस का संचार 
याद रखें... अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नही होता... 

 इसमें कोई संदेह नहीं है संसार में ऐसा कोई सफल व्यक्ति नहीं है जो किसी दूसरे की मदद से सफलता प्राप्त किया और इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाया हो... सफल होने के लिए सबसे जरूरी यह है- पॉजिटिव माइंड सेट के साथ अपने भविष्य के लिए बनाये गए आपके पास एक पॉजिटिव इमेज का होना ....  

लॉक डाउन, वर्क फ्रॉम होम और मेंटल प्रेसर: ऐसे पाएं नेगेटिव माइंडसेट से छुटकारा
 दोस्तों खुद में यकीन करना इतना कठिन नहीं है... पर  इतना आसान भी नहीं है... आप इसके बगैर दुनिया की तमाम संसाध्नों और मोटिवेशल बातों से भी कुछ हासिल नहीं कर सकते....  जबतक   कि  आप खुद पर यकीन  करना नहीं सीख  लेते... 
याद रखें... अपने ऊपर विजय प्राप्त करना, सबसे बड़ी विजय है.. और एक बार आपने खुद के ऊपर विजय प्राप्त करना सीख लिया.. संसार में आप को कोई ताकत लक्ष्य हासिल करने से रोक नहीं सकती....

खुद को वश में करना कैसे सीखें - कुछ प्रेरणादायक उद्धरण:
1. "अपने विचारों पर नियंत्रण रखो, वरना तुम्हारे विचार तुम्हें नियंत्रित करेंगे।" -
2. "क्रोध एक क्षणिक पागलपन है। यदि तुम उस क्षण में खुद को नियंत्रित नहीं कर सकते, तो तुम पछताओगे।" -
3. "मन एक जंगली घोड़े की तरह है। इसे वश में करना आसान नहीं है, लेकिन असंभव भी नहीं।" -
4. "इच्छाक्ति ही वह शक्ति है जो तुम्हें अपने लक्ष्य तक पहुंचा सकती है।" -
5. "धैर्य एक गुण है। जो धैर्य रख सकता है, वह जीत सकता है।" -
6. "अपनी कमजोरियों को पहचानो और उन पर काम करो।" -
7. "अपनी गलतियों से सीखो और आगे बढ़ो।" -
8. "नकारात्मक विचारों को अपने दिमाग में प्रवेश न करने दो।" -




प्रेम: हमेशा एक नया आरंभ और एक नया सफर शुरू होता है, पढ़ें दिल को छू लेने वाले ये कोट्स

नजरिया जीने का: प्रेम-जीवन के आयाम को पाने का माध्यम है प्रेम @वैलेंटाइन डे

Valentine Day: प्रेम एक ऐसा शब्द है जिसकी व्याख्या करना मुश्किल है। यह एक भावना है जो खुशी, दुख, उत्साह और आशा सहित कई तरह की भावनाओं को शामिल कर सकती है। प्रेम हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हमें खुशी, संतुष्टि और अर्थ प्रदान करता है। यह हमें दूसरों के साथ जुड़ने और संबंध बनाने में मदद करता है। 

प्रेम: एक शक्तिशाली भावना

वास्तव प्रेम एक ऐसे शक्तिशाली भावना है जो हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और सच तो यह है कि यह हमारे जीवन की मायने बदल कर एक नया आयाम देती है। यह हमें खुशी, संतुष्टि और अर्थ प्रदान करता है। यह हमें दूसरों के साथ जुड़ने और संबंध बनाने में मदद करता है। प्रेम दुनिया में एक बेहतर जगह बनाने की शक्ति रखता है।

अक्सर यह कहा जाता है कि हर इंसान को जीवन में प्रेम का होना जरुरी है क्योंकि यही तो है जो हमें न केवल अपने दोस्तों के साथ बल्कि उससे से भी पहले अपने माता पिता, परिवार और हमें अपनी संस्कारों से बांधकर रखता है. 

यह प्रेम ही तो है जो हमें बताता है की निम्न मानवीय गुणों का हमारे लिए क्या महत्त्व है-
खुशी: प्रेम हमें खुशी और संतुष्टि प्रदान करता है। जब हम किसी से प्यार करते हैं, तो हम उस व्यक्ति के साथ रहने और समय बिताने का आनंद लेते हैं। प्रेम हमें खुशी, उत्साह और आशा की भावनाओं से भर देता है।
संबंध: प्रेम हमें दूसरों के साथ जुड़ने और संबंध बनाने में मदद करता है। प्रेम के माध्यम से, हम दूसरों को समझने और उनके साथ सहानुभूति रखने में सक्षम होते हैं। प्रेम हमें एक मजबूत और अर्थपूर्ण संबंध बनाने में मदद करता है।
अर्थ: प्रेम हमें जीवन में अर्थ और उद्देश्य प्रदान करता है। जब हम किसी से प्यार करते हैं, तो हम अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित होते हैं। प्रेम हमें दूसरों की मदद करने और दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करता है।

 दिल को छू लेने वाले कोट्स 

यदि आप वैलेंटाइन डे के अवसर पर कोट्स ढूंढ़ रहे हैं, तो यहाँ कुछ चुनिंदा इम्पोर्टेन्ट वैलेंटाइन डे कोट्स हैं जिन्हे आप आप अपने प्रेमी/प्रेमिका को भेज कर अपने दिल के उदगार को व्यक्त कर सकते हैं. 
  • -प्रेम वह है जो हमें एक दूसरे को स्वीकारने की क्षमता देता है, चाहे हम जैसे भी हों।
  • -तुम्हारे बिना मेरा जीवन रंगहीन है, तुम मेरी ज़िंदगी का सबसे सुंदर रंग हो।
  • -प्रेम में सब कुछ संभव है।
  • -तुम्हारी मुस्कान मेरी दुनिया को रौंगतों से भर देती है, तुम मेरे लिए विशेष हो।
  • -प्रेम वह है जो हमें एक दूसरे को सच्चे रूप से समझने की क्षमता देता है।-
  • -तुम्हारा साथ ही मेरा जीवन समृद्धि से भर जाता है, तुम मेरी सबसे बड़ी धन हो।
  • -प्रेम में हमेशा एक नया आरंभ होता है, एक नया सफर शुरू होता है।-
  • -तुम्हारे साथ होना ही मेरी खुशियों का सबसे बड़ा कारण है, तुम मेरे लिए अनमोल हो।
  • -प्रेम वह है जो दूसरों को खुशी देने में है, खुद को भूल जाने में नहीं।-
  • -तुम्हारे बिना मेरा जीवन अधूरा है, तुम्हारी मौजूदगी ही मेरी पूर्णता है।
  • प्रेम दुनिया में सबसे शक्तिशाली शक्ति है। यह वह है जो हमें एक साथ रखता है, हमें आगे बढ़ाता है और हमें बेहतर बनाता है।" - मदर टेरेसा
  • "प्रेम वह है जो हमें जीवित रखता है। यह वह है जो हमें खुशी देता है। यह वह है जो हमें दुनिया को बेहतर बनाता है।" - पॉल जे. क्रेग
  • "प्रेम वह है जो हमें एक दूसरे के लिए बेहतर बनाता है। यह वह है जो हमें एक साथ लाता है और हमें एक परिवार बनाता है।" - मार्टिन लूथर किंग जूनियर

Basant Panchami 2024: जाने बसंत पंचमी का महत्‍व, इतिहास और कला की देवी सरस्वती की उपासना

vasantchami maa saraswati puja facts in brief

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता सरस्वती जिन्हें विद्या, संगीत और कला की देवी कहा जाता है उनका अवतरण इसी दिन हुआ था और यही वजह  है कि माँ सरस्वती की पूजन इस दिन भक्तों द्वारा की जाती है. खास तौर पर विद्यार्थी इस शुभ दिन पर ज्ञान प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा करते हैं। हालाँकि माँ सरस्वती को कला की देवी माना गया है और इसलिए सभी प्रकार के कला के उपासक इस दिन माँ सरस्वती अर्थात कला की देवी की पूजा करते हैं.  

 बसंत पंचमी, भारतीय हिंदू परंपराओं में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है,

 जो मुख्य रूप से माँ सरस्वती की पूजा के रूप में मनाया जाता है। इसे माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जो वसंत ऋतु की शुरुआत का संकेत है। यह पर्व भारतीय साहित्य, कला, और शिक्षा की देवी माँ सरस्वती को समर्पित है।


बसंत पंचमी का इतिहास:

हिंदू मिथोलॉजी:

इस पर्व का मूख्य उद्देश्य माँ सरस्वती की पूजा है, जो विद्या, कला, और साहित्य की देवी हैं। हिंदू मिथोलॉजी में, बसंत पंचमी को भगवान ब्रह्मा की पत्नी सरस्वती के अवतार के रूप में माना जाता है।

माँ सरस्वती की पूजा:

इस दिन विद्या, कला, और साहित्य में बढ़त के लिए लोग माँ सरस्वती की पूजा करते हैं। विद्यार्थियों और कलाकारों को इस दिन उनके शिक्षकों और गुरुओं की आराधना करने का भी पर्वाह किया जाता है।

सांस्कृतिक आयोजन:

बसंत पंचमी पर स्कूलों, कॉलेजों, और सांस्कृतिक संस्थानों में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जो छात्रों को शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में प्रोत्साहित करने का उद्देश्य रखते हैं।

बसंत ऋतु का आगमन:

बसंत पंचमी का आयोजन वसंत ऋतु के आगमन के साथ जुड़ा है। इस दिन लोग पुराने और पुराने कपड़े पहनकर रंग-बिरंगी बसंती बुनाई बनाते हैं।

बसंत पंचमी के दिन लोग सरस्वती मंदिरों या नदी तटों पर जाकर पूजा-अर्चना करते हैं और उमड़ी खेतों में फूलों का उपहार भी चढ़ाते हैं। सारे भारतवासी इस दिन को एक नए शुरुआत का संकेत मानते हैं और नई ऊर्जा के साथ नए कार्यों की शुरुआत करते हैं।

बसंत पंचमी पर्व का इतिहास क्या है? 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता सरस्वती जिन्हें विद्या, संगीत और कला की देवी माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि किसी भी कला के उपासक माँ सरस्वती की विशेष आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं ताकि कला के क्षेत्र में वो और भी अच्छा कर सकें. माना जाता है कि माँ सरस्वती का अवतरण इसी दिन हुआ था और यही कारण है कि भक्त इस शुभ दिन पर ज्ञान प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा करते हैं। साथ ही इसे सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है।

बसंत पंचमी का महत्‍व

जैसा कि हम  सभी जानते हैं कि माँ सरस्वती अक्षर के साथ ही कला की देवी मानी जाती है और इस दिन किताबों और वाद्य यंत्रों की पूजा की जाती है. इसके अलावा किसी भी नए काम की शुरुआत के लिए ये दिन बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन मुहूर्त का विचार किए बिना किसी भी शुभ काम की शुरुआत की जा सकती है.


सॉवरेन स्वर्ण बांड योजना 2024: फ़रवरी में इस तिथि को खुलेंगी, जाने कैसे खरीदें और क्या है विशेषताएं

Sovereign Gold Bond Scheme facts in brief features

भारत सरकार ने सॉवरेन स्वर्ण बॉन्ड्स 2023-24 (श्रृंखला-IV), 12-16 फ़रवरी, 2024 की अवधि के लिए खोले जाने जाने का निर्णय किया है. भारत सरकार की अधिसूचना संख्या फ़.संख्या.4(6)-B(W&M)/2023 दिनांक 08 दिसंबर, 2023 के संदर्भ में, सॉवरेन स्वर्ण बॉन्ड्स 2023-24 (श्रृंखला-IV), 12-16 फ़रवरी, 2024 की अवधि के लिए खोली जाएगी। सॉवरेन स्वर्ण बॉन्ड्स 2023-24 (श्रृंखला-IV) की निपटान तिथि 21 फ़रवरी, 2024 होगी।

 इस अभिदान अवधि के दौरान बॉन्ड का निर्गम मूल्य ₹ 6,263 (छह हज़ार दो सौ तिरेसठ रुपये मात्र) प्रति ग्राम होगा, जैसा कि भारतीय रिजर्व बैंक की प्रेस विज्ञप्ति दिनांक 09 फ़रवरी, 2024 में भी प्रकाशित किया गया है।

भारत सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से उन निवेशकों, जो ऑनलाइन आवेदन करते हैं तथा डिजिटल तरीके से भुगतान करते हैं, को निर्गम मूल्य में रु.50 (पचास रुपये मात्र) की छूट देने का फैसला किया है। ऐसे निवेशकों के लिए स्वर्ण बांड का निर्गम मूल्य रु 6,213 (छह हज़ार दो सौ तेरह रुपये मात्र) प्रति ग्राम स्वर्ण होगा।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की विशेषताएं

एसजीबी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (लघु वित्त बैंकों, भुगतान बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर), स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल), क्लियरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआईएल), नामित डाकघरों और मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज जैसे, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड के माध्यम से बेचे जाएंगे। 

उत्पाद का नाम-सॉवरेन स्वर्ण बांड स्कीम 2023-24

निर्गमन-भारत सरकार की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए जाएंगे ।

पात्रता- एसजीबी निवासी व्यक्तियों, हिन्‍दू अविभाजित परिवारों, न्‍यासों, विश्‍वविद्यालयों, धर्मार्थ संस्‍थाओं को ही बेचे जाएंगे।

मूल्‍यवर्ग-एसजीबी को एक ग्राम की मूल यूनिट के साथ ग्राम (ग्रामों) के गुणजों के मूल्‍यवर्ग में वर्गीकृत किया जाएगा।

अवधि- 5वें वर्ष के पश्चात् समय पूर्व मोचन के साथ बांड की अवधि 8 वर्ष की होगी जिसका प्रयोग ब्‍याज की देय तारीखों पर किया जा सकेगा।

न्‍यूनतम मात्रा-न्‍यूनतम अनुमत निवेश एक ग्राम सोना होगा।

अधिकतम सीमा-निवेश की अधिकतम सीमा व्यक्तियों के लिए 4 किलोग्राम, एचयूएफ के लिए 4 किलो ग्राम और ट्रस्टों और सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित समान संस्थाओं के लिए 20 किलो ग्राम प्रति वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) की होगी।  इसके संबंध में, स्‍वघोषणा आवेदन करते समय प्राप्‍त की जाएगी। वार्षिक अधिकतम सीमा में, वित्तीय वर्ष के दौरान विभिन्‍न ट्रांशों के अंतर्गत अभिदत्‍त बांड और द्वितीयक बाजार से खरीदे जाने वाले बांड शामिल होंगे।

संयुक्‍त धारक-संयुक्‍त धारिता के मामले में निवेश सीमा 4 किलो ग्राम केवल प्रथम आवेदक के लिए लागू होगी।

निर्गमन मूल्‍य-एसजीबी का मूल्‍य अभिदान की अवधि से पहले सप्‍ताह के अंतिम तीन कार्य दिवसों के लिए इंडियन बुलियन एंड जूलर्स एसोसिएशन लि. द्वारा प्रकाशित 999 शुद्धता वाले सोने के सामान्‍य औसत के आधार पर भारतीय रुपए में तय किया जाएगा। ऑनलाइन आवेदन करने वालों और इसका भुगतान डिजीटल रूप में करने वालों के लिए स्‍वर्ण बांड का निर्गम मूल्‍य 50 रूपए प्रतिग्राम कम होगा।

भुगतान का विकल्‍प-एसजीबी के लिए भुगतान नकद भुगतान (अधिकतम 20,000 रूपए) या डिमांड ड्राफ्ट या चैक या इलेक्‍ट्रानिक बैंकिंग के जरिए होगा।

निर्गमन का प्रकार-एसजीबी जी एस अधिनियम, 2006 के अंतर्गत भारत सरकार स्‍टाक के रूप में जारी किए जाएंगे। निवेशकों को इसके लिए होल्‍डिंग प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। ये बांड डिमेट रूप में रूपांतरण हेतु पात्र होंगे।

उन्‍मोचन मूल्‍य-उन्‍मोचन मूल्‍य आईबीजेए द्वारा प्रकाशित 999 की शुद्धता वाले सोने के पिछले तीन कार्य दिवस के लिए अंतिम मूल्य के साधारण औसत के आधार पर भारतीय रूपए में होगा। 

बिक्री के चैनल-एसजीबी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (लघु वित्त बैंकों, भुगतान बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) , स्‍टॉक हाल्‍डिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल), क्लियरिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआईएल) और नामित डाक घरों (जैसा भी अधिसूचित किया जाए) और मान्यता प्राप्त स्‍टॉक एक्‍सचेंजों अर्थात् नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड और बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज से सीधे या एजेंटों के जरिए बेचे जाएंगे।

ब्‍याज दर-निवेशकों को निवेश के आरंभिक मूल्‍य पर 2.50 प्रतिशत प्रति वर्ष की नियत दर पर अर्धवार्षिक रूप से देय होगा।

संपार्श्‍विक-एसजीबी को ऋणों के लिए संपार्श्‍विक के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। मूल्‍य के लिए ऋण (एलटीवी) का अनुपात भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर अधिदेशित साधारण स्वर्ण ऋण के बराबर निहित किया जाएगा। 

केवाईसी प्रलेखन-अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) मानदंड वही होंगे जो वास्‍तविक सोने की खरीद के हैं। केवाईसी दस्‍तावेज जैसे मतदाता पहचानपत्र, आधार कार्ड/पैन या टैन/पासपोर्ट जरूरी होंगे। प्रत्येक आवेदन के साथ आयकर विभाग और अन्य इकाइयों द्वारा जारी किया गया पैन नम्बर लगा होना चाहिए

कर उपचार-आयकर अधिनियम, 1961 (1961 का 43) के उपबंधों के अनुसार एसजीबी पर ब्‍याज करादेय होगा। किसी व्‍यक्‍ति को एसजीबी के उन्‍मोचन से प्राप्‍त पूंजी लाभ कर पर छूट दी गई है। बांड अंतरित किए जाने पर किसी व्‍यक्‍ति को मिलने वाले दीर्घावधिक पूंजी लाभों के लिए सूचीकरण लाभ दिए जाएंगे। 

व्‍यापार योग्‍यता-एसजीबी व्‍यापार योग्‍य होंगे।

एसएलआर पात्रता-केवल ग्रहणाधिकार/दृष्टिबाधक गिरवी रखने की प्रक्रिया के माध्यम से बैंकों द्वारा अर्जित एसजीबी की गणना सांविधिक नकदी अनुपात में की जाएगी।

कमीशन-प्राप्‍तकर्ता कार्यालयों द्वारा एसजीबी के वितरण के लिए कमीशन कुलअभिदान राशि के 1 प्रतिशत की दर पर अदा किया जाएगा और प्राप्‍तकर्ता कार्यालय उनके द्वारा किए गए कारोबार के लिए एजेंटों अथवा उप एजेंटों के साथ प्राप्‍त कमीशन का 50 प्रतिशत भाग साझा करेंगे। 

(श्रोत: वित्त मंत्रालय द्वारा जारी रिलीज़ )

World Cancer Day 2024: जानें क्यों मनाते हैं विश्व कैंसर दिवस, क्या है इतिहास थीम और महत्त्व

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विश्व कैंसर दिवस एक वैश्विक पहल है जो कैंसर और दुनिया भर में व्यक्तियों, समुदायों और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 4 फरवरी को मनाया जाता है। यह एक शक्तिशाली अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है कि हम एक साथ मिलकर इस बीमारी से लड़ सकते हैं और जीवन बचा सकते हैं। दुनियाभर में कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए लोगों को इसके खतरों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है।

इतिहास:

विश्व कैंसर दिवस की अवधारणा का जन्म 1999 में पेरिस में आयोजित न्यू मिलेनियम के लिए कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन में हुआ था। अगले वर्ष, 4 फरवरी 2000 को, कैंसर के खिलाफ पेरिस चार्टर पर हस्ताक्षर के साथ, इस दिन को आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया गया था। इस चार्टर में कैंसर की रोकथाम, शीघ्र पता लगाने, उपचार और उपशामक देखभाल के लिए एक वैश्विक रणनीति की रूपरेखा दी गई है।

महत्व:

विश्व कैंसर दिवस कई कारणों से कैंसर के खिलाफ लड़ाई में अत्यधिक महत्व रखता है:

जागरूकता बढ़ाता है: यह जनता को कैंसर, इसके जोखिम कारकों, शीघ्र पता लगाने के तरीकों और उपलब्ध उपचार विकल्पों के बारे में शिक्षित करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। यह व्यक्तियों को अपने स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लेने और सोच-समझकर निर्णय लेने का अधिकार देता है।

वकालत: यह दिन कैंसर रोगियों, बचे लोगों और उनके परिवारों के लिए एक आवाज प्रदान करता है, नीति निर्माताओं और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों से कैंसर नियंत्रण प्रयासों को प्राथमिकता देने और गुणवत्तापूर्ण देखभाल तक समान पहुंच सुनिश्चित करने का आग्रह करता है।

सहयोग: विश्व कैंसर दिवस कैंसर अनुसंधान, रोकथाम और उपचार में प्रगति में तेजी लाने के लिए सरकारों, गैर सरकारी संगठनों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, शोधकर्ताओं और व्यक्तियों सहित विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।

आशा: यह कैंसर से प्रभावित लाखों लोगों के लिए आशा की किरण के रूप में कार्य करता है, उन्हें याद दिलाता है कि वे इस लड़ाई में अकेले नहीं हैं और बीमारी के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है।

2023-2025 के लिए थीम:

विश्व कैंसर दिवस की वर्तमान थीम है "Close the Care Gap: Everyone Deserves Access to Cancer Care" । यह विषय दुनिया भर में मौजूद कैंसर देखभाल में असमानताओं को संबोधित करने की आवश्यकता पर जोर देता है और यह सुनिश्चित करता है कि हर किसी को, उनकी पृष्ठभूमि या स्थान की परवाह किए बिना, कैंसर की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए आवश्यक आवश्यक सेवाओं तक पहुंच हो।


Point Of View : क्या बिहार के वर्तमान घटनाक्रम नीतीश कुमार के राजनैतिक पतन की शुरुआत है



Point Of View : दबाव की राजनीती के मास्टर स्ट्रोक खेलने में माहिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही खुद को विजेता मानने का मुगालता पाल सकते हैं, लेकिन हाल के घटनाक्रम में उन्होंने एक बार फिर से पलटी मारने की जो कवायद किया है, वह उनके विश्वसनीयता रूपी राजनैतिक पतन का आरंभ है. जिस प्रकार से उन्होंने सत्ता के सुख के लिए गठबंधन के धर्म को भुलाकर सत्तालोलुपता दिखाई है. उसने उनके विश्वनीयता को गंभीर संकट में दाल दिया है. अगर किसी भी कीमत पर मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहना जीत का लक्षण है, तो फिर यह नीतीश कुमार को मुबारक हो, लेकिन उन्हें इसका अंदाजा शायद ही हो कि कभी प्रधान मंत्री मोदी को चुनौती देने वाले विपक्ष का एकमात्र चेहरा होने वाले नीतीश कुमार आज अपनी विश्वसनीयता पूरी तरह खो चुके हैं. इतना ज्यादा कि पचास से कम लोकसभा सीटों पर सिमटने वाले कांग्रेस भी उन्हें आँख दिखा कर संयोजक तो छोड़िये, किसी पद के लायक भी नहीं समझ रही.

हालांकि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि यह नीतीश कुमार के राजनीतिक पतन की शुरुआत है, लेकिन इतना तो तय है कि सुशासन बाबू और विकास पुरुष की ख्याति पाए नीतीश कुमार के लिए 202 4 के बाद का समय और भी जटिल और कष्टप्रद हो सकती है। नीतीश कुमार एक अनुभवी राजनेता हैं और उन्होंने अतीत में भी कई चुनौतियों का सामना किया है और यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बिहार में राजनीतिक परिदृश्य बहुत अस्थिर है। 

यह संभव है कि नीतीश कुमार इन चुनौतियों से उबर सकें और अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत कर सकें, लेकिन, यह भी संभव है कि ये घटनाक्रम नीतीश कुमार के राजनीतिक पतन की शुरुआत हों। समय ही बताएगा कि नीतीश कुमार इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं और इनका उनके राजनीतिक करियर पर क्या प्रभाव पड़ता है।

खुद हीं जिम्मेदार

कहने की जरुरत नहीं कि पिछले कुछ वर्षों में नीतीश कुमार की राजनीतिक स्थिति कमजोर हुई है और इसके लिए काफी हद तक वह खुद हीं जिम्मेदार है। निश्चित हीं बिहार के वर्तमान के घटनाक्रम के बाद उनके राजनैतिक पतन की संभावनाएं बढ़ रही हैं। हालांकि नीतीश कुमार का राजनैतिक पतन इतना आसान भी नहीं हैं क्योंकि भाजपा और महागठबंधन में कम से कम बिहार में कोई टक्कर का चेहरा नहीं है. 

अगर आप देखें तो नीतीश कुमार के राजनितिक रूप से कमजोर और अस्थिर चेहरा के पीछे कई अन्य कारण भी है. 

राजद और जेडीयू के बीच बढ़ती दूरी 

इसका सबसे बड़ा कारण राजद और जेडीयू के बीच बढ़ती दूरी भी बहुत कारण है. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के बीच राजनीतिक गठबंधन के बावजूद, दोनों दलों के बीच दूरी बढ़ती जा रही है। इस दूरी का कारण कई कारक हैं, जिनमें लालू प्रसाद यादव के परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप, नीतीश कुमार के शराबबंदी के फैसले का असफल होना, और दोनों दलों के बीच चुनावी टिकटों को लेकर हुए विवाद शामिल हैं।

भाजपा का बढ़ता प्रभाव 

इसके अतिरिक्त भाजपा का बढ़ता प्रभाव भी नीतीश कुमार के लिए खतरे की घंटी बन चुकी है क्योंकि भाजपा के बढ़त के साथ जनता दल यू का बिहार में सिकुड़ना भी बहुत बड़ा कारन है.  बिहार में भाजपा का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को बिहार में 20 से अधिक सीटें जीतने की उम्मीद है। अगर ऐसा होता है, तो भाजपा बिहार की राजनीति में एक प्रमुख दल बन जाएगा। इस स्थिति में नीतीश कुमार की स्थिति कमजोर हो सकती है।

पार्टी में टूट की आशंका

आंतरिक विरोध और पार्टी में टूट की आशंका भी एक प्रमुख कारण है जिसके कारण नीतीश कुमार परेशानी में थे. हाल के दिनों में पार्टी के अंदर कलह और अध्यक्ष का बदला जाना भी  नीतीश कुमार की सरकार की स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं।

नीतीश कुमार के राजनैतिक पतन के संभावित परिणामों में निम्नलिखित शामिल हैं:

बिहार में राजनीतिक अस्थिरता: नीतीश कुमार की हार से बिहार में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है। इस स्थिति में राज्य में नए चुनाव कराने पड़ सकते हैं।

भाजपा का बिहार में वर्चस्व: भाजपा के बिहार में वर्चस्व बढ़ सकता है। इस स्थिति में राज्य में भाजपा की नीतियों का प्रभाव बढ़ेगा।

राष्ट्रीय राजनीति में बदलाव: नीतीश कुमार के राजनैतिक पतन से राष्ट्रीय राजनीति में भी बदलाव हो सकता है। इस स्थिति में बिहार की राजनीति भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन जाएगा।

क्या है कार्यक्रम 'हमर हाथी - हमर गोठ’ जिसका चर्चा प्रधान मंत्री ने मन की बात में किया है

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मन की बात के 109वीं कड़ी का प्रसारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  किया ने किया जिसमे उन्होंने कार्यक्रम 'हमर हाथी - हमर गोठ’ का चर्चा किया। आइये जानते हैं कि क्या है  'हमर हाथी - हमर गोठ’ कार्यक्रम और प्रधानमंत्री ने क्यों इसका जिक्र किया. 

हमर हाथी - हमर गोठ: Facts in Brief

छत्तीसगढ़ में आकाशवाणी के चार केन्द्रों अंबिकापुर, रायपुर, बिलासपुर और रायगढ़ से हर शाम 'हमर हाथी - हमर गोठ’ कार्यक्रम का प्रसारण किया जाता है और आपको जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ के जंगल और उसके आसपास के इलाके में रहने वाले बड़े ध्यान से इस कार्यक्रम को सुनते हैं।

‘हमर हाथी - हमर गोठ’ कार्यक्रम में बताया जाता है कि हाथियों का झुण्ड जंगल के किस इलाके से गुजर रहा है। ये जानकारी यहाँ के लोगों के बहुत काम आती है। लोगों को जैसे ही रेडियो से हाथियों के झुण्ड के आने की जानकारी मिलती है, वो सावधान हो जाते हैं। जिन रास्तों से हाथी गुजरते हैं, उधर जाने का ख़तरा टल जाता है।

 इससे जहाँ एक ओर हाथियों के झुण्ड से नुकसान की संभावना कम हो रही है, वहीँ हाथियों के बारे में data जुटाने में मदद मिलती है। इस data के उपयोग से भविष्य में हाथियों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी। यहाँ हाथियों से जुड़ी जानकारी social media के जरिए भी लोगों तक पहुंचाई जा रही है। इससे जंगल के आसपास रहने वाले लोगों को हाथियों के साथ तालमेल बिठाना आसान हो गया है। 

छत्तीसगढ़ की इस अनूठी पहल और इसके अनुभवों का लाभ देश के दूसरे वन क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी उठा सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि मन की बात रेडियो कार्यक्रम का आज अर्थात जनवरी 28, 2024 को मन की बात की 109वीं कड़ी का प्रसारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  किया। आज का यह कार्यक्रम नए साल अर्थात 2024 का पहला ‘मन की बात’का कार्यक्रम है।

Valentine Day Special: दिल को छू लेने वाले ये कोट्स भेजें अपने खास को

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वैलेंटाइन डे प्यार का त्योहार है और इस दिन प्रेमी अपने पार्टनर को प्रेम का अहसास दिलाने के लिए खास तैयारियां करते हैं । यह दिन दुनिया भर के प्रेमी जोड़ों के लिए बेहद खास होता है जहाँ प्रेमी कपल इस दिन का पुरे साल इन्तजार करते हैं। इस दिन प्रेमी जोड़े एक-दूसरे के प्रति अपने प्यार का इजहार करते हैं। वे एक-दूसरे को उपहार देते हैं, रोमांटिक डिनर पर जाते हैं, या एक साथ समय बिताते हैं।

वैलेंटाइन डे हमें यह याद दिलाता है कि हमारे जीवन में प्यार कितना महत्वपूर्ण है। यह हमें अपने साथी के प्रति अपना प्यार व्यक्त करने का मौका देता है।

वैलेंटाइन डे को मनाने के कई तरीके हो सकते हैं और यह खास आपके और आपके पार्टनर की समझ और पसंद पर निर्भर करता है। आखिर आप और आपके पार्टनर को एक दूसरे से अधिक कौन समझ सकता है और इसके लिए आप खुद ही तय करें कि अपने साथी के साथ कैसे यादगार शाम बना सकते हैं. इसके लिए आप एक रोमांटिक डिनर पर जा सकते हैं, एक साथ पार्क में घूम सकते हैं, या एक साथ किसी फिल्म देख सकते हैं। आप अपने साथी को एक उपहार दे सकते हैं, या उसे एक प्यारा सा ग्रीटिंग कार्ड लिख सकते हैं।



अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए आप निम्न पंक्तियों की मदद ले सकते हैं जो आपके पार्टनर को आपके लिए और भी खास बनाने में मदद करेंगी. 

1. तुम 

विश्वास मैं कैसे दूँ, 

जीने की हो प्रेरणा हो तुम 

तेरा कोई विकल्प नहीं, 

कुछ पाने का संकल्प हो तुम 

मेरे इच्छाओं की सीमा हो,

अभिलाषाओं का अंत हो तुम. 


26 जनवरी 2024: जानें गणतंत्र दिवस परेड में आने वाले प्रमुख अतिथियों की लिस्ट(1950-2024)

26 जनवरी 2024: जानें  गणतंत्र दिवस परेड  में आने वाले प्रमुख अतिथियों की लिस्ट(1950-2024)

भारत सरकार हर साल एक विदेशी नेता को गणतंत्र दिवस परेड के लिए आमंत्रित करती है। यह आमंत्रण भारत और उस देश के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए किया जाता है। 75वें गणतंत्र दिवस के मौके पर इस बार के मेहमान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन हैं। यह छठी बार है, जब कोई फ्रांसीसी नेता गणतंत्र दिवस समारोह में मुथ्य अतिथि होंगे। इमैनुएल मैक्रों छठे फ्रांसीसी नेता हैं जो 2024 गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि होंगे. फ्रांस के पूर्व प्रधानमंत्री जैक्स शिराक ने 1976 और 1998 में दो बार इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई.

भारत एक स्वतंत्र, संप्रभु और लोकतांत्रिक देश है जिसने 26 जनवरी 1950 को अपना संविधान लागू किया था. भारत के एक गणराज्य बनने की खुशी में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप मनाया जाता है.

वर्ष-    अतिथि का नाम-देश

  • 1950-राष्ट्रपति सुकर्णो-इंडोनेशिया
  • 1951-राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह-नेपाल
  • 1952-कोई निमंत्रण नहीं
  • 1953-कोई निमंत्रण नहीं
  • 1954-राजा जिग्मे दोरजी वांगचुक-भूटान
  • 1955-गवर्नर-जनरल मलिक गुलाम मुहम्मद-पाकिस्तान
  • 1956-राजकोष के चांसलर आरए बटलर
  • मुख्य न्यायाधीश कोटारो तनाका-यूनाइटेड किंगडमजापान
  • 1957-रक्षा मंत्री जॉर्जी ज़ुकोव-सोवियत संघ
  • 1958-मार्शल ये जियानिंग-चीन
  • 1959-एडिनबर्ग के ड्यूक प्रिंस फिलिप-यूनाइटेड किंगडम
  • 1960-राष्ट्रपति क्लिमेंट वोरोशिलो-सोवियत संघ
  • 1961-क्वीन एलिजाबेथ II-यूनाइटेड किंगडम
  • 1962-प्रधान मंत्री विगो काम्पमैन-डेनमार्क
  • 1963-राजा नोरोडोम सिहानोक-कंबोडिया
  • 1964-चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ लॉर्ड लुईस माउंटबेटन-यूनाइटेड किंगडम
  • 1965-खाद्य एवं कृषि मंत्री राणा अब्दुल हामिद-पाकिस्तान
  • 1966-कोई निमंत्रण नहीं-
  • 1967-राजा मोहम्मद ज़हीर शाह-अफ़ग़ानिस्तान
  • 1968-प्रधान मंत्री एलेक्सी कोसिगिन-सोवियत संघ
  • राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज़ टीटो एसएफआर यूगोस्लाविया
  • 1969-बुल्गारिया के प्रधान मंत्री टोडर ज़िवकोव बुल्गारिया
  • 1970-बेल्जियम के राजा बाउडौइन-बेल्जियम
  • 1971-राष्ट्रपति जूलियस न्येरेरे तंजानिया
  • 1972-प्रधान मंत्री शिवसागर रामगुलाम-मॉरीशस
  • 1973-राष्ट्रपति मोबुतु सेसे सेको-ज़ैरे
  • 1974-राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज़ टीटो-एसएफआर यूगोस्लाविया
  • प्रधान मंत्री सिरिमावो रतवाटे डायस भंडारनायके-श्रीलंका
  • 1975-राष्ट्रपति केनेथ कौंडा-जाम्बिया
  • 1976-प्रधान मंत्री जैक्स शिराक-फ्रांस
  • 1977-प्रथम सचिव एडवर्ड गिरेक-पोलैंड
  • 1978-राष्ट्रपति पैट्रिक हिलेरी-आयरलैंड
  • 1979-प्रधान मंत्री मैल्कम फ़्रेज़र-ऑस्ट्रेलिया
  • 1980-राष्ट्रपति वैलेरी गिस्कार्ड डी’एस्टाइंग-फ्रांस
  • 1981-राष्ट्रपति जोस लोपेज़ पोर्टिलो-मेक्सिको
  • 1982-राजा जुआन कार्लोस प्रथम-स्पेन
  • 1983-राष्ट्रपति शेहु शगारी-नाइजीरिया
  • 1984-राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक-भूटान
  • 1985-राष्ट्रपति राउल अल्फोन्सिन-अर्जेंटीना
  • 1986-प्रधान मंत्री एंड्रियास पापंड्रेउ-यूनान
  • 1987-राष्ट्रपति एलन गार्सिया-पेरू
  • 1988-राष्ट्रपति जुनियस जयवर्धने-श्रीलंका
  • 1989-महासचिव गुयेन वान लिन्ह-वियतनाम
  • 1990-प्रधान मंत्री अनिरुद्ध जुगनुथ-मॉरीशस
  • 1991-राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम-मालदीव
  • 1992-राष्ट्रपति मारियो सोरेस-पुर्तगाल
  • 1993-प्रधान मंत्री जॉन मेजर-यूनाइटेड किंगडम
  • 1994-प्रधान मंत्री गोह चोक टोंग-सिंगापुर
  • 1995-राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला-दक्षिण अफ्रीका
  • 1996-राष्ट्रपति डॉ. फर्नांडो हेनरिक कार्डोसो-ब्राज़िल
  • 1997-प्रधान मंत्री बासदेव पांडे-त्रिनिदाद और टोबैगो
  • 1998-राष्ट्रपति जैक्स शिराक-फ्रांस
  • 1999-राजा बीरेंद्र बीर बिक्रम शाह देव-नेपाल
  • 2000-राष्ट्रपति ओलुसेगुन ओबासंजो-नाइजीरिया
  • 2001-राष्ट्रपति अब्देलअज़ीज़ बुउटफ्लिका-एलजीरिया
  • 2002-राष्ट्रपति कसाम उतीम-मॉरीशस
  • 2003-राष्ट्रपति मोहम्मद खातमी-ईरान
  • 2004-राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा-ब्राज़िल
  • 2005-राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक-भूटान
  • 2006-किंग अब्दुल्ला बिन अब्दुलअज़ीज़ अल-सऊद[ सऊदी अरब
  • 2007-राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन-रूस
  • 2008-राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी-फ्रांस
  • 2009-राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव-कजाखस्तान
  • 2010-राष्ट्रपति ली म्युंग बाक-कोरियान गणतन्त्र
  • 2011-राष्ट्रपति सुसीलो बंबांग युधोयोनो-इंडोनेशिया
  • 2012-प्रधान मंत्री यिंगलक शिनावात्रा-थाईलैंड
  • 2013-भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक-भूटान
  • 2014-प्रधान मंत्री शिंजो आबे-जापान
  • 2015-राष्ट्रपति बराक ओबामा-संयुक्त राज्य अमेरिका
  • 2016-राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद-फ्रांस
  • 2017-क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद-संयुक्त अरब अमीरात
  • 2018-सभी दस आसियान देशों के प्रमुख
  • 2019-राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा-दक्षिण अफ्रीका
  • 2020-राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो-ब्राज़िल
  • 2021-प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन (अपनी यात्रा रद्द)-यूनाइटेड किंगडम
  • 2022=
  • 2023-राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी-मिस्र
  • 2024-इमैनुएल मैक्रों -फ्रांस के राष्ट्रपति 

लक्ष्य द्वीप: जानें इतिहास, पर्यटन स्थल, कैसे जाएँ, जाने का अनुकूल महीना और भी बहुत कुछ


लक्षद्वीप भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश है जो अरब सागर में स्थित है। यह 36 द्वीपों से बना है, जिनमें से 11 द्वीपों पर रहने वाले लोग हैं। मलयालम और संस्कृत में लक्षद्वीप का अर्थ है ‘एक सौ हजार द्वीप।  लक्ष्द्वीप का इतिहास प्राचीन काल से चला आ रहा है। लक्ष्यदीप के ऐतिहासिक महत्त्व पर नजर डालें तो ऐसी प्रमाण है है कि इस क्षेत्र पर कई सभ्यताओं ने शासन किया है, जिनमें चोल, चोल और पुर्तगाली शामिल हैं। 

लक्षद्वीप क्यों प्रसिद्ध है?
भारत वन राज्य रिपोर्ट 2021 के अनुसार, लक्षद्वीप में वन क्षेत्र 27.10 वर्ग किमी है। जो कि इसके भौगोलिक क्षेत्रफल का 90.33 प्रतिशत है। लगभग 82 प्रतिशत भूभाग निजी स्वामित्व वाले नारियल के बागानों से आच्छादित है लक्षद्वीप का पिट्टी द्वीप भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत पक्षी अभयारण्य लिए प्रसिद्ध है।

यह एक यूनियन संघ शाषित राज्य क्षेत्र है और इसमें 12 एटोल, तीन रीफ, पांच जलमग्न बैंक और दस बसे हुए द्वीप हैं। द्वीपों में 32 वर्ग किमी शामिल हैं राजधानी कवरत्ती है और यह यूटी के प्रमुख शहर भी है।


लक्षद्वीप के पर्यटन स्थल

अगाती द्वीप: अगाती द्वीप लक्ष्द्वीप का सबसे बड़ा द्वीप है। यह अपनी सुंदर समुद्र तटों, पारंपरिक संस्कृति और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। अगाती द्वीप पर कई पर्यटन आकर्षण हैं, जिनमें शामिल हैं:

बंगारम

बांगरम एक छोटे टिड्ड्रॉप आकार का द्वीप है, जो अग्टाटी और कवड़ती के करीब है।  थिन्नकरा और परली के दो छोटे द्वीप भी वही लैगून द्वारा संलग्न बांगरम के करीब स्थित हैं। इस रिजॉर्ट के मेहमान अग्टाटी से नाव हस्तांतरण या हेलीकाप्टर ट्रांसफर का लाभ ले सकते हैं। लक्षद्वीप में एकमात्र निर्जन द्वीप सहारा होने के कारण इसे अपना आकर्षण मिला है। विख्यात विशेष पर्यटकों के लिए एक आदर्श गंतव्य, बांगरम ने अंतरराष्ट्रीय पर्यटक मानचित्र में अपनी उपस्थिति बना ली है।

मंजेरी बीच: यह लक्ष्द्वीप का सबसे लोकप्रिय समुद्र तट है। यह अपनी सफेद रेत, नीले पानी और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है।

अगाती लाइटहाउस: यह द्वीप का सबसे पुराना लाइटहाउस है। यह 1889 में बनाया गया था।

अगाती मस्जिद: यह द्वीप की सबसे बड़ी मस्जिद है। यह 17 वीं शताब्दी में बनाया गया था।

मिनिकॉय द्वीप: मिनिकॉय द्वीप लक्ष्द्वीप का सबसे दक्षिणी द्वीप है। यह अपनी समृद्ध संस्कृति और विदेशी वातावरण के लिए जाना जाता है। यह 10.6 किमी लंबा है और एंड्रट के बाद दूसरा सबसे बड़ा द्वीप है. ब्रिटिश द्वारा 1885 में बनाया गया एक 300 फुट लंबा लाइटहाउस एक शानदार मील का पत्थर है। 

मिनिकॉय द्वीप पर कई पर्यटन आकर्षण हैं, जिनमें शामिल हैं:

चार्ली बीच: यह द्वीप का सबसे लोकप्रिय समुद्र तट है। यह अपनी सफेद रेत, नीले पानी और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है।

मिनिकॉय लाइटहाउस: यह द्वीप का सबसे ऊँचा लाइटहाउस है। यह 1885 में बनाया गया था।

मिनिकॉय बाजार: यह द्वीप का सबसे बड़ा बाजार है। यह अपने पारंपरिक हस्तशिल्प, व्यंजनों और संस्कृति के लिए जाना जाता है।

कवारात्टी द्वीप: कवात्ती प्रशासन का मुख्यालय और सबसे विकसित द्वीप है द्वीप पर 52 मस्जिद फैले हुए हैं, उज्रा मस्जिद सबसे सुंदर है।

 कवारात्टी द्वीप लक्ष्द्वीप का दूसरा सबसे बड़ा द्वीप है। यह अपनी प्राचीन संस्कृति और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। कवारात्टी द्वीप पर कई पर्यटन आकर्षण हैं, जिनमें शामिल हैं: 

कवारात्टी बीच: यह द्वीप का दूसरा सबसे लोकप्रिय समुद्र तट है। यह अपनी सफेद रेत, नीले पानी और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है।

कवारात्टी किला: यह 17 वीं शताब्दी में बनाया गया एक पुर्तगाली किला है।

कवारात्टी मस्जिद: यह द्वीप की दूसरी सबसे बड़ी मस्जिद है। यह 16 वीं शताब्दी में बनाया गया था।

लक्षद्वीप कैसे जाएँ

लक्षद्वीप भारत के दक्षिणी तट से लगभग 300 किलोमीटर दूर स्थित है। आप लक्ष्द्वीप के लिए सीधी उड़ान या जहाज से यात्रा कर सकते हैं।

लक्षद्वीप जाने का अनुकूल महीना

लक्षद्वीप जाने का सबसे अच्छा समय नवंबर से मार्च के बीच है। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और बारिश कम होती है।