Born in January: जनवरी में पैदा लोगों की विशेषता जानकर आप भी हो जायेंगे हैरान-महत्वाकांक्षी, दृढ़ संकल्प शक्ति के मालिक

Born in January: Know Traits Nature health and much more
Born in January: जनवरी के महीने में पैदा हुए (Born in January ) लोगों की सबसे बड़ी खासियत होती है कि ऐसे लोग महत्वाकांक्षी होने के साथ ही वे पुराने रीति-रिवाजों और परंपराओं के प्रबल समर्थक होते हैं। जनवरी में पैदा होना व्यक्ति आमतौर पर निराशावादी स्वभाव के होते हैं फिर भी वे अपने प्रयासों में सफलता प्राप्त करते हैं। अगर आप संसार मे जनवरी महीने में पैदा होने वाले महान व्यक्तियों  के जीवन का आकलन करेंगे तो यह पाएंगे कि ऐसे लोग दृढ़ संकल्प शक्ति के मालिक होने के साथ ही वे अपने  जीवन में विषम परिस्थितियों के सामने कभी झुकना पसंद नहीं करते हैं। ऐसे लोग रीति-रिवाजों  और अपने सांस्कृतिक और पारम्परिक जीवन पद्धतियों को सम्मान करने वाले  होते हैं.  आइये जानते हैं हिमांशु  रंजन शेखर (ज्योतिषी, अंकशास्त्री और मोटिवेटर ) द्वारा जनवरी में पैदा हुए लोगों की बुनियादी विशेषताओं और लक्षणों के बारे में ।

प्रकृति में महत्वाकांक्षी

जनवरी के महीने में जन्म लेने वाले व्यक्ति अपने जीवन में महत्वाकांक्षी बने रहते हैं और वे आमतौर पर अपने प्रयासों में सफलता प्राप्त करते हैं। दृढ़ संकल्प शक्ति और उनके प्रयासों की कठोरता उनके जीवन में उनकी सफलता के प्रमुख कारक हैं। दार्शनिक विचार और गंभीर प्रकृति का होने के साथ ही ऐसे लोग अपने जीवन में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में काफी सफल होते हैं ।

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सोच विचार का लेते हैं फैसले 

जनवरी के महीने में जन्म लेने वाले व्यक्ति कभी भी किसी योजना या रणनीति को जल्दबाजी में या बिना सोचे-समझे उस पर तार्किक रूप से अमल नहीं करते हैं। वे उसी के लिए रणनीति बनाने से पहले अपनी परियोजना के लिए सभी इनपुट/आउटपुट की पुष्टि करना चाहते हैं। ऐसे व्यक्तियों के लिए संदिग्ध स्वभाव उनके अपने लिए अच्छा नहीं होता क्योंकि वे अपने कार्यों का परिणाम पहले से चाहते हैं और अपने जीवन में कभी भी किसी प्रकार का जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं।

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नियंत्रित होना पसंद नहीं करते 

जनवरी के महीने में जन्में लोग आमतौर पर रीति-रिवाजों या मान्यताओं में भी किसी भी तरह के नियंत्रण को नापसंद करते हैं। उनके लिए जीवन के हर तरीके में आजादी जरूरी है। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, ऐसे व्यक्ति पुराने रीति-रिवाजों और परंपराओं के प्रबल समर्थक होते हैं । बस वे स्थिति या व्यक्तियों द्वारा बनाए गए ऐसे नियमों और रिवाजों से रहेज करते हैं। जनवरी के महीने में जन्म लेने वाले ऐसे व्यक्तियों के लिए यह एक बड़ा विरोधाभास है।

निराशावादी होने के वावजूद झुकना पसंद नहीं करते 

जनवरी के महीने में जन्म लेने वाले जातकों के लक्षणों के अनुसार वे आमतौर पर निराशावादी स्वभाव के होते हैं लेकिन अपने जीवन में विषम परिस्थितियों के सामने कभी झुकना पसंद नहीं करते । उन्होंने अपने चरित्र के निराशावादी स्वभाव के बावजूद अपने जीवन में परिस्थितियों को बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ते ।

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मजबूत काया के मास्टर, लेकिन सकारात्मक रहने की जरूरत

ऐसे व्यक्तियों की प्रकृति के निराशावादी लक्षणों से बचना  चाहिए क्योंकि यह उनके लिए स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ पैदा करता है। ऐसे व्यक्तियों की निराशावादी और नकारात्मकता पाचन संबंधी समस्या पैदा करती है और जो पाचन अंगों को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है। आहार पर ध्यान देना चाहिए और व्यायाम से उन्हें रक्त परिसंचरण को सामान्य रूप से नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। ऐसे व्यक्तियों को ठंडे वातावरण से बचना चाहिए क्योंकि इससे सांस लेने में कुछ समस्या हो सकती है।


भारत की समृद्ध विरासत का संरक्षण: अयोध्या में राम मंदिर, सोमनाथ, काशी विश्वनाथ,चारधाम और अन्य

Indian Heritage Somnath Mahakal Kedarnath Ram Temple Kartar Sahib

भारत अपने समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विविधता से परिपूर्ण देश है। देश में अनेक अत्यधिक महत्वपूर्ण प्राचीन स्थल और विरासत स्मारक मौजूद हैं। भारत सरकार ने देश की कालातीत और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के महत्व को स्वीकार किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने 'विकास भी विरासत भी' के नारे के तहत यह प्रयास किया है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय ज्ञान प्रणालियों, परंपराओं और सांस्कृतिक लोकाचार को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के कार्य को अत्यधिक महत्व दिया है।

सभ्यतागत महत्व के उपेक्षित स्थलों का पुनर्विकास करना सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। मई 2023 तक, सरकार द्वारा भारत की प्राचीन सभ्यता की विरासत को संरक्षित करने के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता दर्शाते हुए देश भर में तीर्थ स्थलों को कवर करने वाली 1584.42 करोड़ रुपये की लागत वाली कुल 45 परियोजनाओं को प्रसाद (पीआरएएसएडी) यानी (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन अभियान) योजना के तहत अनुमोदित किया गया है।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर 

कई दशकों की उपेक्षा के बाद, भारत के लंबे सभ्यतागत इतिहास वाले विभिन्न स्थलों को संरक्षण, पुनरुद्धार और विकास परियोजनाओं के माध्यम से पुनर्जीवित किया गया है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और वाराणसी में कई अन्य परियोजनाओं ने शहर की गलियों, घाटों और मंदिर परिसरों को बदल दिया है। 

महाकाल परियोजना

इसी तरह, उज्जैन में महाकाल लोक परियोजना और गुवाहाटी में मां कामाख्या कॉरिडोर जैसी परियोजनाओं से मंदिर आने वाले तीर्थयात्रियों के अनुभव को समृद्ध करने, उन्हें विश्व स्तरीय सुविधाएं प्रदान करने के साथ-साथ पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

अयोध्या में राम मंदिर

एक ऐतिहासिक क्षण में, अगस्त 2020 में अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमिपूजन हुआ और एक भव्य मंदिर का निर्माण जोरों पर है।

चारधाम सड़क परियोजना

एक अन्य उल्लेखनीय प्रयास के तहत 825 किमी लंबी चारधाम सड़क परियोजना है, जो चार पवित्र धामों को निर्बाध बारहमासी सड़क संपर्क प्रदान करती है। प्रधानमंत्री ने इससे पहले 2017 में केदारनाथ में पुनर्निर्माण और विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी थी, जिसमें श्री आदि शंकराचार्य की समाधि भी शामिल थी, जो 2013 की विनाशकारी बाढ़ में तबाह हो गई थी। नवंबर 2021 में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने केदारनाथ में श्री आदि शंकराचार्य की समाधि पर उनकी मूर्ति का अनावरण किया था। इसके अतिरिक्त, गौरीकुंड को केदारनाथ और गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब से जोड़ने वाली दो रोपवे परियोजनाएं पहुंच को और बढ़ाने और भक्तों की आध्यात्मिक यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए तैयार हैं।

सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्घाटन

सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए सरकार के समर्पण के एक और उदाहरण में, प्रधानमंत्री ने गुजरात के सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया, जिसमें सोमनाथ प्रोमेनेड, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ के पुनर्निर्मित मंदिर परिसर शामिल हैं। 

करतारपुर कॉरिडोर 

इसी तरह, करतारपुर कॉरिडोर और एकीकृत चेक पोस्ट का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर था, जिससे श्रद्धालुओं के लिए पाकिस्तान में पवित्र गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में मत्था टेकना आसान हो गया।

बौद्ध सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण: बौद्ध सर्किट

हिमालयी और बौद्ध सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करना भी सरकार के प्रयासों में विशेष रूप से शामिल है। स्वदेश दर्शन योजना के हिस्से के रूप में, सरकार ने भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने वाले विषयगत सर्किट विकसित करने के उद्देश्य से 76 परियोजनाएं शुरू की हैं। बौद्ध सर्किट के लिए विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे भक्तों के लिए बेहतर आध्यात्मिक अनुभव सुनिश्चित हुआ है। 2021 में, कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया गया, जिससे महापरिनिर्वाण मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सके। पर्यटन मंत्रालय उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, गुजरात और आंध्र प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में बौद्ध सर्किट के तहत सक्रिय रूप से स्थलों का विकास कर रहा है। 

इसके अलावा, श्री नरेंद्र मोदी ने मई 2022 में नेपाल के लुंबिनी में तकनीकी रूप से उन्नत भारत अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र की आधारशिला रखी थी, जो बौद्ध विरासत और भारत की सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण और संवर्धन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करता है।

पुरावशेषों  की वापसी 

पुरावशेषों की वापसी के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विरासत को भी महत्वपूर्ण बढ़ावा मिला। 24 अप्रैल, 2023 तक, भारतीय मूल के 251 अमूल्य पुरावशेषों को विभिन्न देशों से वापस प्राप्त किया गया है, जिनमें से 238 को 2014 के बाद से वापस लाया गया है। भारत के अमूल्य पुरावशेषों की वापसी देश के सांस्कृतिक खजाने की सुरक्षा और पुनः प्राप्ति के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का एक सशक्त प्रमाण है।

हृदय (हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड ऑग्मेंटेशन योजना) योजना

हृदय (हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड ऑग्मेंटेशन योजना) योजना के तहत 12 विरासत शहरों का विकास एक असाधारण विरासत के संरक्षक के रूप में खुद को स्थापित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारत प्रभावशाली 40 विश्व विरासत स्थलों का दावा करता है, जिनमें से 32 सांस्कृतिक हैं, 7 प्राकृतिक हैं, और 1 मिश्रित श्रेणी के अंतर्गत है, जो भारत की विरासत की विविधता और समृद्धि को प्रदर्शित करता है। पिछले नौ वर्षों में ही विश्व विरासत स्थलों की सूची में 10 नए स्थलों को जोड़ा गया है। इसके अतिरिक्त, भारत की अस्थायी सूची 2014 में शामिल 15 साइटों से बढ़कर 2022 में 52 हो गई है, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत की वैश्विक मान्यता और बड़ी संख्या में विदेशी यात्रियों को आकर्षित करने की क्षमता का संकेत है।

'काशी तमिल संगमम'

भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को महीने भर चलने वाले 'काशी तमिल संगमम' के माध्यम से भी प्रदर्शित किया गया - जो कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों का जश्न मनाना, देश के शिक्षण के 2 सबसे महत्वपूर्ण स्थानों फिर से पुष्टि करना और उन्हें खोजना है। ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से, सरकार एक भारत श्रेष्ठ भारत के विचार को सशक्त रूप से बढ़ावा देती है, जिसका उद्देश्य देश की संस्कृति का जश्न मनाना है। हाल ही में, देश भर के सभी राज्यों के सभी राजभवनों द्वारा राज्य दिवस मनाने का निर्णय भी एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को उजागर करता है।

इन सभी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं और पहलों के माध्यम से, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण से निर्देशित भारत सरकार ने देश की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। वे देश की समृद्ध संस्कृति के प्रति गहरी जागरूकता और इसकी विरासत को संरक्षित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। सरकार का उद्देश्य भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक खजाने की रक्षा और प्रचार करके, भारतीय इतिहास और संस्कृति की वर्तमान और भावी पीढ़ियों की समझ को समृद्ध करना है। अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की बढ़ती संख्या को आकर्षित करने की क्षमता और विरासत स्थलों को पुनर्जीवित करने के चल रहे प्रयासों के साथ, भारत की प्राचीन सभ्यता और सांस्कृतिक परंपराएं वैश्विक मंच पर चमकती रहेंगी।

(लेखक: नानू भसीन, अपर महानिदेशक; ऋतु कटारिया, सहायक निदेशक, पत्र सूचना कार्यालय; और अपूर्वा महिवाल, यंग प्रोफेशनल, अनुसंधान इकाई, PIB)

(Source: PIB)

मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं? जानें महत्त्व, मनाने की विधि और क्या है इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण?

Makar sankranti 2024 Significance date how to celebrate

मकर संक्रांति एक हिन्दी हिन्दू पर्व है जो हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। मकर संक्रांति एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिसे पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार नई शुरुआत, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है।

इस पर्व का मुख्य उद्देश्य सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को मानना है। जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है. नए साल का सबसे पहला पर्व मकर सक्रांति होता है. मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार माना जाता है. वैसे तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है लेकिन साल 2024 में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा. 

इस पर्व का मुख्य उद्देश्य सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को मानना है। मकर संक्रांति को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे मकर संक्रांति, मकर संक्रांति, उत्तरायण, खिचड़ी, तिल संक्रांति आदि।

मकर संक्रांति को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे मकर संक्रांति, मकर संक्रांति, उत्तरायण, खिचड़ी, तिल संक्रांति आदि। हिंदू धर्म में सूर्यदेवता से जुड़े कई प्रमुख त्‍योहारों को मनाने की परंपरा है। उन्‍हीं में से एक है मकर संक्राति। आज मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। शीत ऋतु के पौस मास में जब भगवान भास्‍कर उत्‍तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो सूर्य की इस संक्रांति को मकर संक्राति के रूप में देश भर में मनाया जाता है। 

क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति? 

यह पर्व हिन्दू पंचांग (हिन्दू कैलेंडर) के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश का समय होता है, जिसे उत्तरायण कहा जाता है। इस दिन सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है, जिससे दिन का समय बढ़ने लगता है और रात का समय कम होता है। इससे बर्फीली सर्दीयों में गर्मी और ऊँची रातों का अंत होता है, जिससे लोगों में खुशी और उत्साह की भावना होती है।

मकर संक्रांति के दिन लोग तिल, गुड़, खीर, मूंगफली, रेवड़ी, खिचड़ी आदि का त्योहार मनाते हैं और एक दूसरे को बधाईयां देते हैं। इस दिन लोग मकर स्नान करने, दान करने और मन्दिरों में पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व देते हैं। इसे भारत भर में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है और यह समृद्धि, खुशी, और उत्साह का प्रतीक माना जाता है।

यह पर्व हिन्दू पंचांग (हिन्दू कैलेंडर) के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश का समय होता है, जिसे उत्तरायण कहा जाता है। इस दिन सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है, जिससे दिन का समय बढ़ने लगता है और रात का समय कम होता है। इससे बर्फीली सर्दीयों में गर्मी और ऊँची रातों का अंत होता है, जिससे लोगों में खुशी और उत्साह की भावना होती है।

कैसे मनाते हैं मकर संक्रांति?

मकर संक्रांति के दिन लोग तिल, गुड़, खीर, मूंगफली, रेवड़ी, खिचड़ी आदि का त्योहार मनाते हैं और एक दूसरे को बधाईयां देते हैं। इस दिन लोग मकर स्नान करने, दान करने और मन्दिरों में पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व देते हैं। इसे भारत भर में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है और यह समृद्धि, खुशी, और उत्साह का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति को मनाने के कई कारण हैं, जिनमें से कुछ धार्मिक और कुछ वैज्ञानिक हैं।

धार्मिक कारण

मकर संक्रांति को सूर्य देवता के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। सूर्य देवता को हिंदू धर्म में जीवनदाता माना जाता है। इसलिए, उनकी पूजा करने से नई शुरुआत, समृद्धि और खुशहाली की प्राप्ति होती है।

मकर संक्रांति को उत्तरायण की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है। उत्तरायण काल को शुभ और मंगलकारी माना जाता है। इस काल में दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं।

वैज्ञानिक कारण

मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते हैं। इस दिन से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। इसलिए, इस दिन को नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति के दिन मौसम में बदलाव होता है। इस दिन से ठंड का मौसम खत्म हो जाता है और वसंत ऋतु की शुरुआत होती है। इसलिए, इस दिन को नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति के परंपरागत आयोजन

मकर संक्रांति के दिन कई तरह के परंपरागत आयोजन होते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख आयोजन हैं:

स्नान: मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य प्राप्त होता है।

सूर्य पूजा: मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। सूर्य देवता को अमृत कलश, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित किए जाते हैं।

पतंग उड़ाना: मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाना एक लोकप्रिय परंपरा है। पतंग उड़ाने से खुशहाली और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

खिचड़ी: मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने का भी विशेष महत्व है। खिचड़ी को शुभ और मंगलकारी माना जाता है।


अयोध्या: जाने फैक्ट्स, ऐतिहासिक महत्त्व, पर्यटक स्थल और भी बहुत कुछ

Ayodhya Five Facts in Brief Importance

अयोध्या, सरयू नदी के तट पर बसी एक धार्मिक एवं ऐतिहासिक नगरी है|यह उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है तथा अयोध्या नगर निगम के अंतर्गत इस जनपद का नगरीय क्षेत्र समाहित है. अयोध्या भारतीय सभ्यता और इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण स्थान है, जिसका ऐतिहासिक महत्त्व हमेशा से रहा है. यह भूमि हिन्दू धर्म के एक प्रमुख तीर्थस्थान के रूप में जानी जाती है और रामायण के काव्यिक ग्रंथ महाकाव्य के अनुसार, इसी जगह पर भगवान राम का जन्म हुआ था. हालाँकि 

  • अयोध्या का इतिहास महाभारत काल से भी पहले तक जाता है. साम्राज्य और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में अयोध्या बहुत सारे सम्राटों और राजाओं की राजधानी रही है. रामायण के अनुसार, राजा दशरथ की पुत्र भगवान राम ने यहीं अपना बाल्यकाल बिताया था.
  • अयोध्या का प्राचीन नाम साकेत है, तथा यह प्रभु श्री राम की पावन जन्मस्थली के रूप में हिन्दू धर्मावलम्बियों के आस्था का केंद्र है| अयोध्या प्राचीन समय में कोसल राज्य की राजधानी एवं प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण की पृष्ठभूमि का केंद्र थी |प्रभु श्री राम की जन्मस्थली होने के कारण अयोध्या को मोक्षदायिनी एवं हिन्दुओं की प्रमुख तीर्थस्थली के रूप में माना जाता है |
  • अयोध्या एक प्राचीन शहर है। यह शहर हजारों साल पुराना है। अयोध्या की स्थापना मनु द्वारा की गई थी, जो हिंदू धर्म के पहले मनु थे।
  • क्षेत्रफल: आधिकारिक सुचना के अनुसार एरिया लगभग 2,522 Sq. Km. है. 
  • भाषा: अयोघ्या में सामान्यत: अवधी भाषा बोली जाती है. 
  • अयोध्या: पर्यटक स्थल
  • राम की पैड़ी: राम की पैड़ी सरयू नदी के किनारे स्थित घाटों की एक श्रंखला है जो खास तौर पर पर्यटकों के लिए पिकनिक स्पॉट के रूप में लोगों को आकर्षित करती है. 
  • हनुमान गढ़ी: यह पवनपुत्र हनुमान को समर्पित एक मंदिर है. जैसा कि आप जानते हैं कि अयोघ्या भगवान् राम के लिए प्रसिद्ध है और भगवान् राम जहाँ हैं वहां पर पवन पुत्र हनुमान का होना स्वाभाविक है. कहा जाता है कि हनुमान गढ़ी मंदिर को राजा विक्रमादिय द्वारा करवाया गया था.

स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक इम्फाल: जानें खास बातें

Imphal Missile Destroyer Facts In Brief

वाई-12706 (इम्फाल): 
भारतीय नौसेना, वाई-12706 (इम्फाल), विध्‍वंसक को अपने बेड़े में शामिल करने के लिए पूरी तरह तैयार है। वाई-12706 (इम्फाल) पहला युद्धपोत है जिसका नाम उत्तर पूर्व के एक शहर के नाम पर रखा गया है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और समृद्धि के लिए क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करता है। इसके लिए राष्ट्रपति ने 16 अप्रैल 2019 को मंजूरी दी थी। इसे स्वदेशी रूप से भारतीय नौसेना के संस्‍थानिक संगठन युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है। इसका निर्माण मझगांव डॉक लिमिटेड, मुंबई ने किया है। 

भारतीय नौसेना 26 दिसंबर 2023 को मुख्य अतिथि के रूप में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में नौसेना डॉकयार्ड, मुंबई में अपने नवीनतम स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक इम्फाल को अपने बेड़े में शामिल करने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह आयोजन चार ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के विध्वंसकों में से तीसरे को नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल करने का प्रतीक है।

बंदरगाह और समुद्र दोनों में सख्‍त और व्यापक परीक्षण कार्यक्रम पूरा करने के बाद इम्फाल को 20 अक्टूबर 2023 को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया था।

 ब्रह्मोस मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण 

इम्‍फाल पोत ने नवंबर 2023 में विस्तारित-रेंज सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जो बेड़े में शामिल किए जाने (कमीशनिंग) से पहले किसी भी स्वदेशी युद्धपोत के लिए पहला था, जो नौसेना के युद्ध प्रभावशीलता और अपने अत्याधुनिक स्वदेशी हथियारों और प्लेटफार्मों में विश्वास पर जोर का प्रदर्शन है। इस बड़ी उपलब्धि के बाद, आईएनएस इम्‍फाल के शिखर का अनावरण रक्षा मंत्री ने 28 नवंबर 2023 को नई दिल्ली में मणिपुर के मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में किया। कमीशनिंग के बाद, आईएनएस इम्फाल पश्चिमी नौसेना कमान में शामिल हो जाएगा।

मिसाइल विध्वंसक इम्फाल: Features 

  • नौसैनिक बेड़े में शामिल होने वाला इम्‍फाल एक अत्याधुनिक युद्धपोत है, जिसे भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है और एम/एस एमडीएल द्वारा निर्मित किया गया है।
  •  इसमें एमएसएमई और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) सहित सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों का महत्वपूर्ण योगदान है। 
  • प्रोजेक्ट 15बी (विशाखापत्तनम वर्ग) उन्नत क्षमताओं और अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ प्रोजेक्ट 15ए (कोलकाता वर्ग) और प्रोजेक्ट 15 (दिल्ली वर्ग) स्वदेशी विध्वंसक की श्रृंखला में नवीनतम है। 
  • 163 मीटर लंबाई, 7,400 टन वजन और 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ इम्फाल को भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक माना जा सकता है।
  •  यह ‘आत्म-निर्भर भारत’ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में भारत की बढ़ती जहाज निर्माण क्षमता का प्रमाण है।
  •  इम्फाल ‘अमृत काल’ की राष्ट्रीय दृष्टि के अनुरूप, विकसित भारत का सच्चा अग्रदूत भी है।
  • समुद्र में दुर्जेय गतिशील किला इम्फाल 30 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है और यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों जैसे परिष्कृत ‘अत्याधुनिक’ हथियारों और सेंसर से परिपूर्ण है।
  •  इस युद्ध पोत में एक आधुनिक निगरानी रडार लगा हुआ है, जो इसके तोपखाने हथियार प्रणालियों को लक्ष्य डेटा प्रदान करता है।
  •  इसकी पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताएं स्वदेशी रूप से विकसित रॉकेट लॉन्चर, टॉरपीडो लॉन्चर और एएसडब्ल्यू हेलि‍कॉप्टरों द्वारा प्रदान की जाती हैं। 
  • यह युद्ध पोत परमाणु, जैविक और रासायनिक (एनबीसी) युद्ध के हालात में भी लड़ने में सक्षम है। इसमें उच्च स्तर की स्वचालन और गुप्त विशेषताएं हैं जो उसकी युद्ध क्षमता और उत्तरजीविता को और बढ़ाती हैं।

इम्‍फाल में मौजूद कुछ प्रमुख स्वदेशी उपकरणों/प्रणालियों में स्वदेशी मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, टॉरपीडो ट्यूब, पनडुब्बी रोधी रॉकेट लॉन्चर, सुपर रैपिड गन माउंट के अलावा लड़ाकू प्रबंधन प्रणाली, एकीकृत प्लेटफार्म प्रबंधन प्रणाली, स्वचालित पावर प्रबंधन प्रणाली, फोल्डेबल हैंगर डोर, हेलो ट्रैवर्सिंग सिस्टम, क्लोज-इन वेपन सिस्टम और झुके हुए माउंटेड सोनार शामिल हैं।

 प्रमुख ओईएम के साथ-साथ बीईएल, एलएंडटी, गोदरेज, मरीन इलेक्ट्रिकल, ब्रह्मोस, टेक्निको, किनेको, जीत एंड जीत, सुषमा मरीन, टेक्नो प्रोसेस आदि जैसे एमएसएमई ने शक्तिशाली इम्फाल के निर्माण में योगदान दिया है।

इम्फाल के निर्माण और उसके परीक्षणों में लगा समय किसी भी स्वदेशी विध्वंसक के लिए सबसे कम है।

 इम्फाल युद्धपोत का निर्माण 19 मई 2017 को की शुरु हुआ और इसे 20 अप्रैल 2019 को पानी में उतारा गया था। इम्फाल 28 अप्रैल 2023 को अपने पहले समुद्री परीक्षण के लिए रवाना हुआ और बंदरगाह तथा समुद्र दोनों में परीक्षणों का एक समग्र कार्यक्रम पूरा कर लिया है। 20 अक्टूबर 2023 को इसकी डिलीवरी की गई जो छह महीने की रिकॉर्ड समय सीमा के भीतर इस आकार के जहा

एस्ट्रोसैट द्वारा नए उच्च चुंबकीय क्षेत्र वाले न्यूट्रॉन तारे में पाए गए मिली-सेकंड विस्फोट का पता लगाया

AstroSat India first multi-wavelength space-based observatory detected bright sub-second X ray bursts

एक व्यापक उपलब्धि हासिल करते हुए एस्ट्रोसैट, जो भारत की पहली मल्टी-वेवलेंथ अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है, ने अल्ट्राहाई चुंबकीय क्षेत्र (मैग्नेटर) के साथ एक नए और विशिष्‍ट न्यूट्रॉन तारे से चमकीले सब-सेकेंड एक्स-रे विस्फोट का पता लगाया है। इससे मैग्नेटर्स की दिलचस्प चरम खगोल भौतिकी स्थितियों को समझने में सहायता मिल सकती है।

मैग्नेटार के बारे में 

मैग्नेटार ऐसे न्यूट्रॉन तारे हैं जिनमें अल्‍ट्राहाई चुंबकीय क्षेत्र होता है जो स्थलीय चुंबकीय क्षेत्र की तुलना में बहुत अधिक मजबूत होता है। सामान्‍य रूप से कहें तो मैग्नेटर का चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से एक क्वाड्रिलियन (एक करोड़ शंख) गुना अधिक मजबूत होता है। उनमें उच्च-ऊर्जा विद्युत चुम्बकीय विकिरण के उत्सर्जन की शक्ति इन वस्तुओं में चुंबकीय क्षेत्र का क्षरण है। इसके अलावा, मैग्नेटर्स मजबूत अस्थायी परिवर्तनशीलता को प्रदर्शित करते हैं, जिसमें सामान्‍य रूप से धीमी गति से घूमना, तेजी से घूमना, चमकीले लेकिन छोटे विस्फोट शामिल होते हैं जो महीनों तक चलते रहते हैं।

ऐसे एक मैग्नेटर को एसजीआर  जे1830-0645 कहा जाता था, जिसकी अक्टूबर 2020 में नासा के स्विफ्ट अंतरिक्ष यान ने खोज की थी। यह अपेक्षाकृत युवा (लगभग 24,000 वर्ष) और पृथक न्यूट्रॉन तारा है।

एस्ट्रोसैट के साथ ब्रॉड-बैंड एक्स-रे ऊर्जा में मैग्नेटर का अध्ययन करने और इसकी विशेषताओं का पता लगाने के उद्देश्‍य के लिए प्रेरित होकर, रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) और दिल्ली विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एस्ट्रोसैट पर दो उपकरणों- बड़े क्षेत्र वाले एक्स-रे आनुपातिक काउंटर (एलएएक्सपीसी) और सॉफ्ट एक्स-रे टेलीस्कोप (एसएक्सटी) का उपयोग करके इस मैग्नेटर का समय और स्‍पेक्‍ट्रल का विश्लेषण किया है। 

“एक मुख्य निष्कर्ष 33 मिलिसेकंड की औसत अवधि के साथ 67 छोटे सब-सेकंड एक्स-रे विस्फोटों का पता लगाना था। इन विस्फोटों में से एक सबसे चमकीला विस्‍फोट लगभग 90 मिलीसेकंड का रहा।” यह जानकारी विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित एक स्वायत्त संस्थान आरआरआई में पोस्ट-डॉक्टरल फेलो और अनुसंधान-पत्र के लेखक डॉ. राहुल शर्मा ने दी।

यह अध्‍ययन रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के मासिक सूचना में प्रकाशित हुआ। जिसमें यह निष्कर्ष निकाला गया है कि एसजीआर जे1830-0645 एक विशिष्‍ट मेगनेटर है जो अपने स्पेक्ट्रा में उत्सर्जन लाइन को प्रदर्शित करता है।

इस अध्ययन में कहा गया है कि उत्सर्जन लाइनों की उपस्थिति और इसकी संभावित उत्पत्ति या तो आयरन की प्रतिदीप्ति, प्रोटॉन साइक्लोट्रॉन लाइन या एक उपकरणीय प्रभाव के कारण हुई जो चर्चा का कारण बनी हुई है।

डॉ. शर्मा ने कहा कि एसजीआर जे1830-0645 में ऊर्जा-निर्भरता कई अन्य मगनेटरों में पाई गई ऊर्जा से भिन्न थी। यहां, न्यूट्रॉन तारे की सतह (0.65 और 2.45 किमी की रेडियस) से उत्पन्न होने वाले दो थर्मल ब्लैकबॉडी उत्सर्जन घटक थे। इस प्रकार, यह शोध मैग्नेटर्स और उनकी चरम खगोलीय स्थितियों के बारे में हमारी समझ को आगे बढ़ाने में योगदान देता है।

हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की सह-लेखिका प्रोफेसर चेतना जैन ने कहा कि हमने यह देखा है कि समग्र एक्स-रे उत्सर्जन के स्पंदित घटक ने ऊर्जा के साथ महत्वपूर्ण भिन्नता दर्शायी है। यह ऊर्जा के लिए लगभग 5 किलोइलेक्ट्रॉन वोल्ट (केवी) तक बढ़ गया और उसके बाद इसमें भारी गिरावट देखी गई। यह प्रवृत्ति कई अन्य मैग्‍नेटरों में पाई गई प्रवृत्ति से अलग है।

शोध दल अब इन अत्यधिक ऊर्जावान उत्सर्जनों की उत्पत्ति को समझने और यह पता लगाने के लिए अपने आगे के अध्ययन का विस्तार करने की योजना बना रहा है कि क्या ये उत्‍सर्जन खगोलीय है या यांत्रिक‍ प्रकृति के हैं। (स्रोत-PIB)

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय 2023: Facts In Brief


भारत ने अपने एनडीसी को अद्यतन किया, जिसके अनुसार देश के सकल घरेलू उत्पाद के सघन उत्‍सर्जन में कटौती करने के मद्देनजर लक्ष्‍य को 2005 के स्तर से 2030 तक 45 प्रतिशत तक बढ़ाना; इसके अलावा गैर-जीवाश्‍म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से पैदा होने वाली बिजली की निर्धारित क्षमता को 2030 तक 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्‍य

जी-20 पहल में गांधीनगर कार्यान्वयन प्रारूप और गांधीनगर सूचना मंच (जीआईआर-जीआईपी) के अंतर्गत जंगल की आग और खनन प्रभावित क्षेत्रों की भूमि बहाली पर वैश्विक गठबंधन; संसाधन दक्षता परिपत्र अर्थव्यवस्था उद्योग गठबंधन आरईसीईआईसी और सतत एवं सशक्‍त नीली/महासागर-आधारित अर्थव्यवस्था (एचएलपीएसआरबीई) के लिए उच्च-स्तरीय सिद्धांतों की शुरूआत

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने सीओपी 28 के अवसर पर ग्रीन क्रेडिट पहल का शुभारंभ किया  
  • प्रधानमंत्री ने विश्व पर्यावरण दिवस पर तटरेखा आवास और मूर्त आय (मिष्‍टी) के लिए मैंग्रोव पहल का शुभारंभ
  • बाघ सहित बिग कैट प्रजातियों के वैश्विक स्‍तर पर संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट गठबंधन (आईबीसीए) का प्रधानमंत्री द्वारा शुभारंभ
  • भारत राज्य वन रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 के अनुसार भारत में कुल वन और वृक्षावरण  क्षेत्र 80.9 मिलियन हेक्टेयर है यह देश के भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 प्रतिशत है
  • पर्यावरण स्‍वीकृति प्रस्तावों को बढ़ाने के लिए गतिशक्ति पोर्टल का परिवेश 2.0 के साथ एकीकरण

इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान 2023 

  1.  भारत एक व्यापक कूलिंग एक्शन प्लान तैयार करने वाला विश्व का प्रथम देश है, जो अन्य बातों के साथ-साथ 20 वर्ष की निर्धारित समयावधि में कूलिंग की मांग को कम करने, रेफ्रिजरेंट संक्रमण, ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और बेहतर प्रौद्योगिकी विकल्पों को शामिल करते हुए सभी क्षेत्रों में कूलिंग की दिशा में एक एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करता है। 
  2. हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन फेज ऑउट मैनेंजमैंट प्लान (एचपीएमपी) चरण-II के कार्यान्वयन के दौरान, भारत ने कठोर फोम के निर्माण में हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन (एचसीएफसी)- 141बी के उपयोग को पूरी तरह से समाप्त कर दिया और भारत इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने वाले विकासशील देशों में पहला देश है। 
  3. 1 जनवरी, 2020 को निर्धारित लक्ष्य से 35 प्रतिशत की कमी के लक्ष्य के मुकाबले, भारत ने 44 प्रतिशत की कमी हासिल की और यह समतापमंडलीय ओजोन परत के संरक्षण में भारत के प्रयासों को प्रदर्शित करता है।

 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का 28वां सत्र (सीओपी-28)

भारत के एक अंतर-मंत्रालयी प्रतिनिधिमंडल ने 30 नवंबर' 2023 से 13 दिसंबर' 2023 तक दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी 28) के 28वें सत्र में भाग लिया।

रामसर स्‍थलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि

  • देश की रामसर स्‍थलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि: 2014 के बाद से, देश भर में 49 नई आर्द्रभूमियों को रामसर (अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि) स्थलों के रूप में चिन्हित किया गया है, जिससे इनकी कुल संख्या 75 हो गई है। 
  • वर्तमान में, एशिया में रामसर स्‍थलों का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क भारत में है।
  •  पर्यावरण दिवस 2023 पर, सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से रामसर स्‍थलों के संरक्षण के लिए अमृत धरोहर योजना शुरू की गई है। 
  • सभी 75 रामसर साइटों की जीव-जंतु सूची 1 सितंबर 2023 को (जेडएसआई) द्वारा प्रकाशित की जा चुकी है और 75 रामसर स्‍थलों के लिए पुष्प सूची बनाने की तैयार की जा रही है।


20 अक्टूबर 2022 को मिशन लाईफ का भारत के माननीय प्रधानमंत्री के द्वारा शुभारंभ किया गया था। 2021 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी सीओपी 26) में, माननीय प्रधानमंत्री ने वैश्विक जलवायु परिवर्तन कार्रवाई में सकारात्मक सुधार के लिए व्यक्तिगत व्यवहार को अग्रणी रखने के लिए मिशन लाईफ की घोषणा की।

वन्यजीव 2023 

चीता का अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण: नामीबिया से 8 चीतों और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को क्रमशः सितंबर 22 और फरवरी 2023 में कुनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित किया गया है। देश से 1940 के अंत/1950 के दशक की शुरुआत में चीता विलुप्त हो गया था।

प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष: अगस्त 2023 में जारी नवीनतम बाघ की गणना रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया की 75% से अधिक बाघ आबादी का घर है। बाघ अनुमान (2022) के अंतर्गत उत्कृष्ट श्रेणी वाले 12 बाघ अभयारण्यों में बाघों की संख्या 2014 की 2226 से बढ़कर 2023 में 3,682 हो गई है। बाघ सहित वैश्विक बिग कैट के संरक्षण के लिए 9 अप्रैल 2023 को भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (आईबीसीए) का शुभारंभ किया गया है।

वनस्पतियों, जीवों और हर्बेरियम दस्तावेजों का डिजिटलीकरण: बीएसआई और जेडएसआई ने भारतीय जीव-जंतुओं के प्रकार और गैर-प्रकार के नमूनों के 45000 चित्रों के साथ 16500 नमूनों का डिजिटलीकरण किया है। जेडएसआई ने 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ देश भर के सभी 10 जैव-भौगोलिक क्षेत्रों से जीव-जंतुओं का दस्तावेज़ीकरण पूरा कर लिया है। 11 आईएचआर राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर) में 6124 स्प्रिंग्स का डेटा हिमाल जियो पोर्टल पर स्थानिक रूप से ऑनलाइन जियो-टैग किया गया है।

संरक्षित क्षेत्रों की संख्या में बढ़ोत्‍तरी: देश में संरक्षित क्षेत्रों की संख्या, जो वर्ष 2014 में 745 थी, बढ़कर 998 हो गई है। यह देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 5.28 प्रतिशत है। देश में सामुदायिक आरक्षित क्षेत्रों की संख्या वर्ष 2014 में 43 थी, जो बढ़कर वर्तमान में 220 हो गई है।

वन और वृक्ष आवरण में वृद्धि: भारत राज्य वन रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 के अनुसार, भारत में कुल वन और वृक्ष आवरण 80.9 मिलियन हेक्टेयर है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 प्रतिशत होता है। इसमें से, 2019 की तुलना में, वन आवरण में 1,540 वर्ग किमी और वृक्ष आवरण में 721 वर्ग किमी की वृद्धि देखी गई है। 2020 की तुलना में, अक्टूबर 2023 तक, 589.70 करोड़ पौधे लगाए गए और कुल 8.77 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र वृक्षारोपण के तहत कवर किया गया।

तटरेखा आवास और मूर्त आय के लिए वनस्‍पति गरान पहल (मिश्ती): माननीय प्रधानमंत्री द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून 2023) पर तटरेखा आवास और मूर्त आय (मिश्ती) के लिए वनस्‍पति गरान पहल शुरू की गई थी। 

ब्लू फ्लैग समुद्र तट: 2014 में, भारत में कोई ब्लू फ्लैग प्रमाणित समुद्र तट नहीं था। भारत सरकार ने समुद्र तट विकास कार्य शुरू किया और 2020 में 8 समुद्र तटों को ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्रदान किया गया। 2022 में, कुल 12 समुद्र तटों को ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्राप्त हुआ।

परिवेश: परिवेश एक वेब आधारित, भूमिका आधारित वर्कफ़्लो अनुप्रयोग है, जिसे केंद्रीय, राज्य और जिला स्तर के अधिकारियों से पर्यावरण, वन, वन्यजीव और सीआरजेड मंजूरी प्राप्त करने के लिए समर्थकों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों की ऑनलाइन प्रस्तुति और निगरानी के लिए विकसित किया गया है।

(Source PIB)


रामसर स्‍थलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि: Facts in Brief


देश की रामसर स्‍थलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि: 2014 के बाद से, देश भर में 49 नई आर्द्रभूमियों को रामसर (अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि) स्थलों के रूप में चिन्हित किया गया है, जिससे इनकी कुल संख्या 75 हो गई है। 

  1. वर्तमान में, एशिया में रामसर स्‍थलों का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क भारत में है।
  2.  पर्यावरण दिवस 2023 पर, सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से रामसर स्‍थलों के संरक्षण के लिए अमृत धरोहर योजना शुरू की गई है। 
  3. सभी 75 रामसर साइटों की जीव-जंतु सूची 1 सितंबर 2023 को (जेडएसआई) द्वारा प्रकाशित की जा चुकी है और 75 रामसर स्‍थलों के लिए पुष्प सूची बनाने की तैयार की जा रही है।

(सोर्स: PIB) 

वन्यजीव 2023 : Facts in Brief


चीता का अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण: नामीबिया से 8 चीतों और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को क्रमशः सितंबर 22 और फरवरी 2023 में कुनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित किया गया है। देश से 1940 के अंत/1950 के दशक की शुरुआत में चीता विलुप्त हो गया था।

प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष: अगस्त 2023 में जारी नवीनतम बाघ की गणना रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया की 75% से अधिक बाघ आबादी का घर है। बाघ अनुमान (2022) के अंतर्गत उत्कृष्ट श्रेणी वाले 12 बाघ अभयारण्यों में बाघों की संख्या 2014 की 2226 से बढ़कर 2023 में 3,682 हो गई है। बाघ सहित वैश्विक बिग कैट के संरक्षण के लिए 9 अप्रैल 2023 को भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (आईबीसीए) का शुभारंभ किया गया है।

वनस्पतियों, जीवों और हर्बेरियम दस्तावेजों का डिजिटलीकरण: बीएसआई और जेडएसआई ने भारतीय जीव-जंतुओं के प्रकार और गैर-प्रकार के नमूनों के 45000 चित्रों के साथ 16500 नमूनों का डिजिटलीकरण किया है। जेडएसआई ने 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ देश भर के सभी 10 जैव-भौगोलिक क्षेत्रों से जीव-जंतुओं का दस्तावेज़ीकरण पूरा कर लिया है।

 11 आईएचआर राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर) में 6124 स्प्रिंग्स का डेटा हिमाल जियो पोर्टल पर स्थानिक रूप से ऑनलाइन जियो-टैग किया गया है।

(सोर्स: PIB) 

इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान 2023 : Facts in Brief


भारत एक व्यापक कूलिंग एक्शन प्लान तैयार करने वाला विश्व का प्रथम देश है, जो अन्य बातों के साथ-साथ 20 वर्ष की निर्धारित समयावधि में कूलिंग की मांग को कम करने, रेफ्रिजरेंट संक्रमण, ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और बेहतर प्रौद्योगिकी विकल्पों को शामिल करते हुए सभी क्षेत्रों में कूलिंग की दिशा में एक एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करता है। 

  • हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन फेज ऑउट मैनेंजमैंट प्लान (एचपीएमपी) चरण-II के कार्यान्वयन के दौरान, भारत ने कठोर फोम के निर्माण में हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन (एचसीएफसी)- 141बी के उपयोग को पूरी तरह से समाप्त कर दिया. 
  •  भारत इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने वाले विकासशील देशों में पहला देश है। 
  • 1 जनवरी, 2020 को निर्धारित लक्ष्य से 35 प्रतिशत की कमी के लक्ष्य के मुकाबले, भारत ने 44 प्रतिशत की कमी हासिल की और यह समतापमंडलीय ओजोन परत के संरक्षण में भारत के प्रयासों को प्रदर्शित करता है।

(सोर्स: PIB) 

Video-भरवां टमाटर की सब्जी स्पेशल डिश: बनाएं खास तरीके से, पाइये रेस्टोरेंट का स्वाद

bharwan tamatar ki recipi tomato recipis

भरवां टमाटर की सब्जी स्पेशल डिश है जिसको बनाने की विधि आप यहाँ देख सकते हैं. भरवां टमाटर की सब्जी एक खास स्टाइल से जिसे आप  बिहारी स्टाइल भी कह सकते हैं, यहाँ बिना किसी खास तेल या मसाले के भरवां टमाटर की सब्जी बनाने का एक स्वादिष्ट तरीका प्रस्तुत है.  यह एक सरल रेसिपी है जिसमें टमाटर को भरकर बनाई जाती है, और उसे एक अद्भुत ग्रेवी के साथ परोसा जा सकता है।

भरवां टमाटर की सब्जी रेसिपी: सामग्री:

  • टमाटर - 4  (मध्यम आकार के)  
  • प्याज - 2
  • धनिया पाउडर - 1 चमच
  • लाल मिर्च पाउडर - 1/2 चमच
  • हल्दी पाउडर - 1/2 चमच
  • गरम मसाला - 1/2 चमच
  • अदरक-लहसुन का पेस्ट - 1 चमच
  • नमक - स्वाद के अनुसार
  • तेल - 2 बड़े चमच
  • हरा धनिया - सजाने के लिए



ग्रेवी के लिए:

टमाटर प्यूरी - 1 कप

अदरक-लहसुन का पेस्ट - 1 चमच

जीरा - 1/2 चमच

लाल मिर्च पाउडर - 1 चमच

धनिया पाउडर - 1 चमच

गरम मसाला - 1/2 चमच

नमक - स्वाद के अनुसार

टमाटर के बीज निकालते समय ध्यान रखें कि टमाटर फट न जाए। आप अपनी पसंद के अनुसार भरवां टमाटर में अन्य सामग्री भी मिला सकते हैं, जैसे कि पनीर, मूंगफली, या काजू। टमाटर को ग्रेवी में पकाने के लिए, आप 2 कप पानी या 1 कप टमाटर की प्यूरी डाल सकते हैं।

टमाटर की सब्जी:

टमाटरों को धोकर, बीच से काट लें और बीज निकाल दें। एक कटोरे में गोभी, आलू, प्याज, लहसुन, हरी मिर्च, अदरक, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर और गरम मसाला डालकर अच्छी तरह मिला लें।

इस मिश्रण से भरवां टमाटर बना लें। एक कढ़ाई में तेल गरम करें और भरवां टमाटर डालकर धीमी आंच पर 3-4 मिनट तक भूनें।

टमाटरों को ढककर 10-15 मिनट तक पकाएं। टमाटर पक जाने पर गैस बंद कर दें और हरे धनिये से गार्निश करके परोसें

ग्रेवी:

एक पैन में कस्टर्ड ऑयल गरम करें। जीरा और हींग डालें और सुधारा निकालें।

अब इसमें प्याज और अदरक-लहसुन का पेस्ट डालें और साute करें।

इसमें लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, गरम मसाला डालें और अच्छे से मिला कर पकाएं।

फिर इसमें टमाटर प्यूरी, कस्टर्ड पाउडर, नमक, और शहद डालें।

अच्छे से मिला कर कस्टर्ड ऑयल के साथ धीरे-धीरे मिलाएं।

अब इसमें क्रीम डालें और अच्छे से मिला कर 2-3 मिनट के लिए पकाएं।

आपकी भरवां टमाटर की सब्जी तैयार है, जो एक नए और रुचिकर अंदाज़ में आपके परिवार को पसंद आ सकती है।

एडमिरल कप 2023: जानें खास बातें


एडमिरल कप' सेलिंग रेगाटा के 12वें संस्करण का समापन 08 दिसंबर 2023 को एझिमाला स्थित भारतीय नौसेना अकादमी (आईएनए) के एट्टीकुलम बीच पर एक शानदार अभिनन्दन समारोह के साथ पूरा हुआ। मिडशिपमैन एवलोन एंटोनियो और मिडशिपमैन क्रिएटी कार्लो लियोनार्डो के नेतृत्व में उतरी इटली की टीम ने एडमिरल कप 2023 पर कब्जा किया। 

  • भारतीय टीम इस प्रतियोगिता की उपविजेता रही। 
  • मिडशिपमैन पीपीके रेड्डी और कैडेट जीवाई रेड्डी के प्रतिनिधित्व में टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन किया। ब्रिटेन टीम की कमान ब्रिटिश नौसेना के अधिकारी कैडेट लुसी बेल और मिडशिपमैन आरोन मिडलटन ने संभाली तथा जर्मनी का नेतृत्व जर्मनी के कैडेट बेकमैन कार्ल व कैडेट हिंज एंटोन ने किया।
  •  रूस के सीमैन गोर्कुनोव पेट्र ने पुरुष वर्ग की व्यक्तिगत स्पर्धा में पहला स्थान हासिल किया, उनके बाद इटली के मिडशिपमैन एवलोन एंटोनियो दूसरे और भारत के मिडशिपमैन पीपीके रेड्डी तीसरे स्थान पर रहे। ब्रिटेन की ऑफिसर कैडेट लुसी बेल महिला वर्ग की व्यक्तिगत स्पर्धा पर पहले स्थान पर रहीं, उनके बाद इंडोनेशिया की कैडेट सांगला एल्मा साल्सडिला ने दूसरा स्थान प्राप्त किया और भारत की कैडेट जान्हवी सिंह ने तीसरा स्थान हासिल किया।
  • मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय नौसेना अकादमी के कमांडेंट वाइस एडमिरल पुनीत के बहल ने समापन समारोह के दौरान विजेताओं को 'एडमिरल कप', उपविजेता की ट्रॉफी और व्यक्तिगत पुरस्कार प्रदान किए। 
  • एडमिरल कप सेलिंग रेगाटा 2023 के इस संस्करण में 20 देशों तथा भारतीय नौसेना अकादमी, एझिमाला और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला की भारतीय टीमों ने भाग लिया।

Assembly Election Result 2023 Live: तेलंगाना में केसीआर की हार का क्षेत्रीय पार्टियों के लिए कई सबक


तेलंगाना में केसीआर को मिली व्यापक हार ने साबित  दिया है कि क्षेत्रीय पार्टियों को दिवास्वप्न दिखना छोड़कर अब अपने राज्यों पर फोकस करनी चाहिए न की राज्य की जनता की उपेक्षा कर मोदी मोदी का माला जपना चाहिए. केसीआर की पार्टी को 36 सीटों पर बढ़त और लगभग 52 सीटों पर उनके उम्मीदवारों का पीछे चलना यह साबित करता है की तेलंगाना की जनता ने उन्हें ठुकरा दिया है. मोदी के विकल्प के रुप में देखने वाले अन्य नेताओं जो रीजनल पार्टी के मुख्यमंत्री हैं के लिए यह साफ संकेत है की केंद्र में मोदी का विकल्प बनने के लिए उन्हें काफी वक्त लगेंगे क्योंकि मोदी को आज भी देश की जनता सर्वमान्य नेता मानती है. 

भाजपा को तीनों राज्यों में मिली बढ़त इस बात का साफ संकेत दे रहा  है कि क्षेत्रीय पार्टियों की शक्ति कम हो रही है। केसीआर ने तेलंगाना में 2014 में एक नए राज्य के गठन के बाद से सत्ता में कब्जा किया हुआ था। उनकी हार से यह संकेत मिल सकता है कि क्षेत्रीय पार्टियां अब भीड़ को आकर्षित करने में उतनी सक्षम नहीं हैं जितनी पहले थीं।

दूसरी तरफ, क्षेत्रीय पार्टियों के लिए, केसीआर की हार से यह सबक निकलता है कि उन्हें अपने जनाधार को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। उन्हें लोगों की चिंताओं को समझने और उनसे जुड़ने की जरूरत है। उन्हें नए विचारों और दृष्टिकोणों को भी अपनाने की जरूरत है।

यहां कुछ विशिष्ट कदम दिए गए हैं जो क्षेत्रीय पार्टियां केसीआर की हार से सीख सकती हैं:

अपने संगठनों को मजबूत करें। क्षेत्रीय पार्टियों को अपने संगठनों को मजबूत करने और लोगों के साथ मजबूत संबंध बनाने की जरूरत है। उन्हें अपने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने और उन्हें लोगों के बीच जाकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

अपनी नीतियों को अपडेट करें। क्षेत्रीय पार्टियों को अपनी नीतियों को अपडेट करने और लोगों की बदलती जरूरतों को पूरा करने की जरूरत है। उन्हें नए विचारों और दृष्टिकोणों को अपनाने के लिए खुले रहने की