Point Of View : बाहरी बाधाओं से शक्तिशाली आपके खुद के अंदर का वजूद है, पहचानें तो सही
Point Of View : अपनों की कीमत को पहचाने, घृणा, लालच और उपेक्षा से नहीं करें संबंधों की हत्या
Point Of View: हमें कोई अधिकार नहीं है कि हम कुछ अपने गलत आदतों या मानवीय दुष्कृतियों जैसे लोभ, लालच, द्वेष आदि के कारण उन अपनों से मुँह मोड़ लेना जिनके बगैर कभी हम जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते थे. आये दिन आप यह पढ़ते हैं कि छोटे-छोटे विवादों में भाई न भाई पर आघात किया, क्या इसे प्रासंगिक कही ना सकती है. वही दोनों भाई जब छोटे होते हैं तो एक के बगैर दूसरा नहीं रह पाता लेकिन घृणा, लालच और उपेक्षा जब दोनों के बीच में आ जाती है तो एक दूसरे के वे शत्रु बन जाते हैं वह भी तब जब वे समझदार हो जाते हैं. क्या यही है हमारी शिक्षा और नैतिकता की चरम स्थिति.
Point Of View : पढ़ें और भी...
रिश्ते खास हैं, इन्हे अंकुरित करें प्रेम से, जिंदा रखें संवाद से और दूर रखें गलतफहमियों से
जाने क्या कहते हैं ये हस्तियां नागरिक विश्वास और समावेशी विकास के सन्दर्भ में
इमोशनल हैं, तो कोई वादा नहीं करें और गुस्से में हों तो इरादा करने से परहेज करें
स्व-अनुशासन के महत्त्व :को समझे और जीवन को बनाएं सार्थक
रखें खुद पर भरोसा,आपकी जीत को कोई ताकत हार में नहीं बदल सकती
Point Of View : आचार्य चाणक्य की ये महत्वपूर्ण 25 कोट्स जो बदल देंगी आपके सोचने और जीने का ढंग
- अहंकार एकमात्र शत्रु है, यह व्यक्ति को स्वयं ही नष्ट कर देता है।
- कोई काम शुरू करने से पहले खुद से तीन प्रशन कीजिये - मै ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते है और क्या मै सफल होऊंगा? और जब गहराई से सोचने पर इन प्रशनो के संतोषजनक उत्तर मिल जाए, तभी आगे बढ़िए |
- व्यक्ति अपने उद्देश्य के लिए बाधाओं को विनाश करना चाहिए, न कि बाधाएं अपने उद्देश्य को।
- सबसे बड़ा गुरु मंत्र - अपने राज़ किसी को भी मत बताओ ये तुम्हे ख़त्म कर देगा |
- यदि तुम किसी को नियंत्रित करना चाहते हो, तो उसका ख्याल रखो कि तुम स्वयं नियंत्रित नहीं हो रहे हो।"
- कभी भी उनसे मित्रता मत कीजिए जो आपसे कम या ज्यादा प्रतिष्ठा के हो, ऐसी मित्रता कभी आपको खुशी नहीं देगी |
- स्व-अनुशासन रखो, दूसरों की बजाय अपनी गलतियों से सीखो।
- आपकी बुद्धि आपकी शक्ति है। यह आपकी सबसे अच्छी दोस्त और नेमिश है।
- जीवन के तीन मंत्र - आनंद में वचन मत दीजिए, क्रोध में उतर मत दीजिये, दुःख में निर्णय मत लीजिए |
- सेवक को तब परखे जब वह काम न कर रहा हो, रिस्तेदार को किसी कठिनाइ में, मित्र को संकट में और पत्नी को घोर विपत्ति में
- जो कुछ तुम्हारे पास है, उसे अच्छे से उपयोग करो। जो कुछ तुम्हारे पास नहीं है, उसे प्राप्त करने के लिए काम करो।
- जब तक तुम डरते रहोगे तुम्हारे जिंदगी के फैसले कोई और लेता रहेगा
- सत्य, क्षमा, सम्मान, स्वाधीनता, न्याय - ये आदर्श एक समान्य व्यक्ति के लिए सबसे बड़ी संपत्ति हैं।
- शत्रु की दुर्बलता जानने तक उसे अपना मित्र बनाए रखे |
- आदमी अपने जन्म से नहीं अपने कर्मो से महान होता है
- व्यक्ति को हमेशा धीमे आदेश दो, क्योंकि वह उन्हें अच्छी तरह से पालन करेगा।
- निरंतर प्रयास करो और उद्यमिता बरतो। इसे नशा कहो, नहीं तो इसमें नष्ट हो जाओगे।
- मैदान में हारा हुआ फिर से जीत सकता है परन्तु मन से हरा हुआ कभीजीत नहीं सकता | आपका आत्मविश्वास ही आपकी सर्वश्रेश्ठ पूंजी है |
- अगर शत्रु में भी गुण दिखे तो उन्हें अपना लेना चाहिए |
- मुर्ख लोगो से वाद-विवाद नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से हम अपना ही समय नष्ट करते है |
- दुर्गुण से चाहने वाला सदैव दुर्गुणों में ही रहता है।
- "एक अच्छे राजा का सबसे बड़ा गुण उसकी बुद्धि है."
- "एक देश की शक्ति उसकी सेना में नहीं, बल्कि उसकी जनता में होती है."
- "एक मजबूत अर्थव्यवस्था एक मजबूत राष्ट्र की नींव है."
- "शिक्षा एक राष्ट्र के विकास का सबसे महत्वपूर्ण कारक है."
- "सच्चाई और न्याय ही एक अच्छे समाज की नींव है."
ये केवल कुछ चाणक्य के प्रसिद्ध कोट्स हैं। उनके कार्य और नीति शास्त्र के विचार अनेकों विषयों पर व्यापक रूप से प्रभावशाली हैं।
नजरिया जीने का: पढ़ें और भी...
रिश्ते खास हैं, इन्हे अंकुरित करें प्रेम से, जिंदा रखें संवाद से और दूर रखें गलतफहमियों से
इमोशनल हैं, तो कोई वादा नहीं करें और गुस्से में हों तो इरादा करने से परहेज करें
स्व-अनुशासन के महत्त्व को समझे और जीवन को बनाएं सार्थक
रखें खुद पर भरोसा,आपकी जीत को कोई ताकत हार में नहीं बदल सकती
जाने क्या कहते हैं ये हस्तियां नागरिक विश्वास और समावेशी विकास के सन्दर्भ में
Point Of View : भगवन राम की चरित्र की पांच विशेषताएं जो मर्यादा पुरुषोत्तम बनाती है
भगवान राम के चरित्र की ये महिमाएं हमें जीवन में सत्य, धर्म, दया, वीरता और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।
सत्य:
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम सत्य के पुजारी थे। उन्होंने अपने जीवन में चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, उन्होंने झूठ कभी नहीं बोलै। उन्होंने अपने पिता दशरथ के वचन का पालन करने के लिए 14 साल का वनवास स्वीकार किया लेकिन पुत्र धर्म का त्याग नहीं किया।
धर्म:
भगवान राम धर्म के पालनकर्ता थे। उन्होंने अपने जीवन में हमेशा धर्म के मार्ग पर चलने का प्रयास किया। भाईयों के लिए त्याग और समर्पण के लिए भी वे हमेशा तैयार रहे. उन्होंने सभी भाइयों के प्रति सगे भाई से बढ़कर त्याग और समर्पण का भाव रखा और स्नेह दिया। धर्म का पालन करना उन्होंने तब भी नहीं छोड़ा और उन्होंने रावण जैसे अत्याचारी का वध करके धर्म की रक्षा की।
दया:
भगवान राम दयालु और करुणावान थे। उन्होंने हमेशा दूसरों की मदद करने की कोशिश की। उन्होंने सुग्रीव और हनुमान जैसे अनेकों लोगों की मदद की। भगवान राम ने अपनी दयालुता के कारण उनकी सेना में पशु, मानव व दानव सभी थे और उन्होंने सभी को आगे बढ़ने का मौका दिया।
बेहतर प्रबंधक
भगवान राम न केवल कुशल प्रबंधक थे, बल्कि वे अपने सभी स्वजनों और सहकर्मियों को साथ लेकर चलने वाले थे। वे सभी को विकास का अवसर देते थे व उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग करते थे। सुग्रीव को राज्य, हनुमान, जाम्बवंत व नल-नील को भी उन्होंने समय-समय पर नेतृत्व करने का अधिकार दिया और इसी वजह से लंका जाने के लिए उन्होंने व उनकी सेना ने पत्थरों का सेतु बना लिया था।
नैतिकता:
भगवान राम नैतिकता के आदर्श थे। उन्होंने अपने जीवन में हमेशा नैतिकता का पालन किया। उन्होंने रावण के साथ युद्ध करते समय भी उसके साथ नैतिकता का पालन किया।
Point Of View : जीतने की इच्छाशक्ति से भी जरुरी है कार्य को शुरू करने की हिम्मत का होना
आपकी प्रसन्ता में छिपा है जीवन की सफलता का रहस्य....
बदल सकते हैं आपदा को अवसर में…जानें कैसे
सफर के बीच में उत्पन्न होने वाली परिस्थितियौं तथा मुसीबतों के बारे में सोच कर आप अपने सफर की सफलता पर खुद संदेह करते हैं...
याद रखें आप सफर में सामान्य रूप से घटने वाले घटनाओं की तैयार तो घर पर कर सकते हैं, लेकिन सफर के दौरा न पैदा होने वाले अप्रत्याशित रूप से सामने आने वाली घटनाओं से निबटने के लिए सहायक होंगी आपकी अनुभव, संकल्प शक्ति, निर्णय लेने की क्षमता और उससे भी जरुरी सही और गलत के बीच के फर्क करने वाले एनालिटिकल माइंड।
हम काम की अधिकता से नहीं, उसे बोझ समझने से थकते हैं.. बदलें इस माइंडसेट को
आपने सुना तो होगा है-"A thought without action is abortion..." तो याद रखें,प्लान को एक्शन लेकर उसपर क्रियान्वयन करना जितना जरुरी है, इससे भी जरुरी है पूरी तैयारी के साथ उस कार्य को शुरू कर देने की हिम्मत और हौसला का होना.
Point Of View : क्षमा मांगने से अच्छा है आप अनुशासन को अपनाएं, गलतियों को चेक करें
Point Of View : भगवान राम के व्यक्तित्व में पाएं उदारता,त्याग, निष्ठा, पितृभक्ति, वत्सलता और भी बहुत कुछ
Point Of View: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का चरित्र अपने आप में अतुलनीय है जहाँ माता-पिता,गुरु,पत्नी,बंधु,सेवक,शत्रु-सभी अन्य कई सम्बन्धो की विशालता समाहित है और अनुकरणीय हैं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रामउनके जीवन कथाएं उदाहरण स्वरूप के रूप में प्रस्तुत की जाती हैं। भगवान राम ने अपने जीवन और परिवार में सम्बन्धों के बीच विभिन्न आदर्शों को स्थापित करते हुए एक उदाहरण सेतु प्रस्थान किया है। इन भावनाओं को कुशलता से पालन करने के लिए, निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण तत्व हैं:
निष्ठा (Faithfulness): भगवान राम ने अपने पत्नी सीता में निष्ठा और वचनबद्धता दिखाई। वे उनके प्रति पूर्ण समर्पण और सम्मान रखते थे।
त्याग (Sacrifice): भगवान राम ने राज्य के लिए अपनी सुखद और आरामदायक जीवनस्था को त्याग करके वनवास ग्रहण किया। इससे वे अपने परिवार के प्रति कर्तव्यपरायणता का प्रतीक बने।
बंधुत्व (Brotherhood): भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण के प्रति गहरी प्रेम और बंधुत्व दिखाया। वे उन्हें सहायता और समर्थन प्रदान करते थे।
शालीन स्नेहभाव (Gentle Affection): भगवान राम ने अपने परिवार और सभी लोगों के प्रति शालीन स्नेहभाव रखा। वे मित्रता, प्यार और सम्मान के साथ सभी के साथ व्यवहार करते थे।
उदारता (Generosity): भगवान राम ने अपनी उदारता का प्रदर्शन किया और अन्य लोगों की मदद करने में आनंद लिया। वे दान और सेवा के माध्यम से समाज के प्रति अपना समर्पण दिखाते थे।
वत्सलता (Parental Love): भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ के प्रति वत्सलता और सम्मान दिखाया। वे उनकी आज्ञाओं का पालन करते थे और पितृभक्ति में प्रमुख थे।
ये उदाहरण भगवान राम के चरित्र में प्रमुख भावों की झलक दिखाते हैं और यह बताते हैं कि उन्होंने अपने सभी सम्बन्धों में उच्च आदर्शों को स्थापित करते हुए अपने सभी कर्तव्यों का पालन किया। इसके अलावा, उनका जीवन और उपदेश धार्मिक साहित्य में महत्वपूर्ण माने जाते हैं और लोगों के बीच सद्भाव, न्याय, और धार्मिक आदर्शों को प्रचारित करते हैं।
नजरिया जीने का: पढ़ें और भी...
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स्व-अनुशासन के महत्त्व को समझे और जीवन को बनाएं सार्थक
रखें खुद पर भरोसा,आपकी जीत को कोई ताकत हार में नहीं बदल सकती
Point Of View : संघर्ष नहीं निष्फल होगा, बेशक आज नही तो कल होगा
Point Of View : जीवन में सफलता के लिए ढेरों टिप्स ही सकते हैं और इनमें कई तो इतने शॉर्टकट होते हैं जो आपको गुमराह भी कर सकते हैं। लेकिन आपका हार्ड वर्क अर्थात कठिन परिश्रम और धैर्य आपका कभी भी साथ नहीं छोड़ सकता और इसमें हमें किसी प्रकार का संदेह और भ्रम नहीं होनी चाहिए। दोस्तो, इतना तो हम सभी जानते हैं कि अगर हमें सूरज बनना है तो मार्ग में हमें जलना होगा और अगर शाम होते अपने घर पहुंचना है तो तपते रेगिस्तान पर हमें हर हाल में चलना होगा।
चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए¸
विपत्ति विप्र जो पड़ें उन्हें ढकेलते हुए।
घटे न हेल मेल हाँ¸ बढ़े न भिन्नता कभी¸
अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी।
तभी समर्थ भाव है कि तारता हुआ तरे
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।
-मैथिलीशरण गुप्त
Point Of View : जानें कैसे रखे खुद को करें मोटीवेट खासकर आज के तनाव भरे जीवन में
Point Of View : दोस्तों, आज कल के भाग दौड़ वाले जीवन में तनाव और परेशानियों का होना एक सामान्य सी बात है और इससे अलग हटकर जीवन की कल्पना बिल्कुल ही बेमानी है.जीवन में घर से लेकर बाहर तक अर्थात आपके व्यक्तिगत, पारिवारिक और प्रोफेशनल फ्रंट पर समस्याओं का होना स्वाभाविक प्रक्रिया है और आप जीवन में आगे बढ़ने के लिए इससे दो-चार होना पड़ेगा. जाहिर है कि हमारे व्यक्तिगत, पारिवारिक और प्रोफेशनल लाइफ अक्सर हमें निराश और अकेला महसूस करा सकते हैं, लेकिन यहां कुछ कदम हैं जिन्हें आप अपने आजीवनिक रुटीन में शामिल करके खुद को मोटीवेट कर सकते हैं:
अपने लक्ष्यों को स्पष्ट करें:
अपने लंबे और छोटे मस्तिष्कियों के लक्ष्य सेट करें। अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में क्या प्राप्त करना चाहते हैं और अपने लक्ष्यों को वास्तविक, मापनीय और संभवानुभवी बनाएं।
छोटे उद्दीपनों का आनंद लें:
छोटी-छोटी सफलताएं दिखाने वाले कार्यों को संगठित करें और उन्हें पूरा करने पर खुद को प्रोत्साहित करें। इससे आपकी मनोदशा और मोटिवेशन बढ़ेगा।
इम्तिहान होगा हर मोड़ पर,
हार कर मत बैठ जाना किसी मोड़ पर,
तकदीर बदल जाएगी अगले मोड़ पर,
तुम अपने मन की आवाज सुनो।
-नरेंद्र वर्मा
जाने भगवान शिव ने प्रमुख अवतारों के बारे में: Facts in Brief
सकारात्मक सोच बनाएं:
अपने दिमाग में सकारात्मक विचारों को प्रोत्साहित करें और नकारात्मक सोच को छोड़ें। सकारात्मक मंत्र या वाक्यों का उपयोग करें, जैसे कि "मैं समर्थ हूँ" या "मैं यह कर सकता हूँ"।
स्वास्थ्य का ध्यान रखें:
ध्यान दें कि आप अपने शरीर की देखभाल कर रहे हैं। नियमित रूप से व्यायाम करें, स्वस्थ खानपान का ध्यान रखें और पर्याप्त नींद लें। एक स्वस्थ शरीर और मस्तिष्क खुद को मोटीवेट करने में मदद करेगा।
स्वतंत्रता और उत्साह का समर्थन करें:
अपने स्वतंत्रता को बनाए रखें और जो कुछ आपको खुश और संतुष्ट बनाता है, उसे करने का प्रयास करें। आपके लिए प्रासंगिक गतिविधियों, रुचियों और उत्साहजनक कार्यों के समर्थन में दोस्तों और परिवार का सहयोग लें।
याद रखें, मोटिवेशन एक नियमित प्रक्रिया है और अवश्यंभावी रूप से बदलती रहती है। आपके जीवन में तनाव के दौर से गुजरने के दौरान धैर्य रखें और अपनी प्रतियोगिता को स्थायी रूप से बढ़ाने के लिए संघर्ष करें।
नजरिया जीने का: पढ़ें और भी...
रिश्ते खास हैं, इन्हे अंकुरित करें प्रेम से, जिंदा रखें संवाद से और दूर रखें गलतफहमियों से
इमोशनल हैं, तो कोई वादा नहीं करें और गुस्से में हों तो इरादा करने से परहेज करें
स्व-अनुशासन के महत्त्व को समझे और जीवन को बनाएं सार्थक
रखें खुद पर भरोसा,आपकी जीत को कोई ताकत हार में नहीं बदल सकती
जाने क्या कहते हैं ये हस्तियां नागरिक विश्वास और समावेशी विकास के सन्दर्भ में