Showing posts with label Life Style. Show all posts
Showing posts with label Life Style. Show all posts

महाशिवरात्रि 2025 : जाने क्यों चढ़ाई जाती है शिवलिंग पर बेलपत्र, क्या कहते हैं वैदिक शास्त्र और शिव पुराण

Mahashivratri Why Belpatra Being Used to worship Lord Shiva
महाशिवरात्रि 2025:   महाशिवरात्रि जिसे भगवान शंकर की पूजा अर्चना किया जाता है, इस वर्ष 26 फरवरी, 2025 को मनाया जाएगा।महाशिवरात्रि का पावन पर्व भगवान भोलेनाथ अर्थात देवों के देव महादेव के भक्तों के लिए खास अवसर है जिस दिन का इंतजार भक्तगण काफी बेसब्री से करते हैं।  हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन को शिव और शक्ति के मिलन के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है और  ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि के खास पर्व  पर भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की पावन स्मृति में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदुओं के बीच महाशिवरात्रि  का गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। भक्त भगवान शिव और देवी पार्वती की अपार भक्ति और समर्पण के साथ प्रार्थना करते हैं। इस खास पर्व के अवसर पर श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा करते हैं और मानते हैं कि इससे उनके जीवन में समृद्धि और खुशियाँ आएंगी।

ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र जो तीन पत्र (तीन पत्तों का सेट) का संग्रह है, त्रिनेत्र जैसा दिखता है. जो भगवान शिव का दूसरा नाम है जिन्हें भगवान के रूप में जाना जाता है त्रि नेत्र के साथ (तीन आंखें।) हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का बेहद खास महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि का त्योहार हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. ऐसी मान्यताएं है कि इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था और इसके उपलक्ष में महाशिवरात्रि का पर्व मनाई जाती है. 

 महाशिवरात्रि के दिन श्रदालु  माता पार्वती और शंकर शंकर  की पूजा करते हैं और हैं और इस अवसर पर भगवन शिव लिंग पर पवित्र जल के साथ फूल, फल चढ़ाते हैं जिसे जलाभिषेक के रूप में जाना जाता है.

महाशिवरात्रि: पूजन विधि 

महाशिवरात्रि के दिन भक्तजन व्रत रखते हैं और रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शिव की पूजा करते हैं। इस दिन शिवलिंग पर जल के अभिषेक करते हैं और इसके लिए शिवलिंग  पर अभिषेक किया जाता है। खास तौर पर की बहुमूल्य पदार्थों जैसे दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल आदि को  अर्पित से किया जाता है। इसके साथ ही शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग और अक्षत आदि भी अर्पित किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति से की गई पूजा से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

लोग उपवास रखते हैं और केवल फल और दूध से संबंधित उत्पादों का सेवन करते हैं। भक्त महाशिवरात्रि के अवसर पर किसी भी प्रकार का अनाज लेने से बचते हैं और उपवास का उपयोग करते हैं जो समझा जाता है कि उपवास से शरीर और हमारी चेतना भी शुद्ध होती है।

 फूल और फलों के अलावा, भक्त भगवान शिव को प्रभावित करने के लिए भांग और धतूरा भी चढ़ाते हैं। ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र भगवन शिव को बहुत प्रिय है इसलिए श्रदालु जो महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव लिंग को अवश्य अर्पित  करते हैं. 

महा शिवरात्रि के अवसर पर सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव की पूजा के लिए के लिए लोग मंदिरों को जाते हैं. 

वैदिक शास्त्र और शिव पुराण कहते हैं कि भक्त माघ या फाल्गुन के महीने में घटते चंद्रमा के 14 वें दिन बेलपत्र के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं जो भगवान शिव को अधिक आनंद प्रदान करते हैं।

वैदिक शास्त्रों और शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने देवी पार्वती से कहा कि जब भक्त फाल्गुन महीने (हिंदी महीने के 12 वें महीने का अंतिम महीना) में घटते चंद्रमा के 14 वें दिन उनकी पूजा करते हैं,  इसे अर्पित करते हैं तो इससे भगवन शिव को  अधिक खुशीहोती है ।

एक और कारण है जिसका विभिन्न पवित्र पुस्तकों में उल्लेख किया गया है कि बेलपत्र जो तीन पत्र (तीन पत्तों का सेट) का संग्रह है, त्रिनेत्र जैसा दिखता है.जो भगवान शिव का दूसरा नाम है जिन्हें भगवान के रूप में जाना जाता है त्रि नेत्र के साथ (तीन आंखें।)

कैसे चढ़ाएं बेलपत्र: 

ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग पर बेलपत्र हमेशा उल्टा चढ़ानी चढ़ानी चाहिए अर्थात बेलपत्र के चिकनी सतह वाली भाग को शिव लिंग से स्पर्श होनी चाहिए. बेलपत्र को चढ़ाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि बेलपत्र को हमेशा हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं। 

अन्य पवित्र ग्रंथ में यह उल्लेख है कि भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह महाशिवरात्रि के दिन हुआ था और तभी से यह पर्व मनाया जाता है।

==========

अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।


Point of View: भगवान शिव के माथे पर लगने वाले तीन क्षैतिज रेखाओं को कहते हैं-त्रिपुंड, जाने खास बातें


महाशिवरात्रि 2025: महाशिवरात्रि 26 फरवरी, 2026 को पूरे उत्साह के साथ मनाई जाएगी। दुनिया भर के शिव भक्तों के लिए महाशिवरात्रि महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। कुछ लोगों के लिए महाशिवरात्रि वह दिन है जब सदियों की प्रतीक्षा, तपस्या और साधना के बाद भगवान शिव और मां पार्वती का मिलन हुआ था। कुछ अन्य लोगों के लिए यह वह रात है जब भगवान शिव ने तांडव किया था, जो ब्रह्मांडीय सृजन, संरक्षण और विनाश का नृत्य है। यह भगवान शिव की पूजा करने का शुभ अवसर है, जिन्हें आमतौर पर सभी देवताओं के देव महादेव के रूप में जाना जाता है। भगवान शिव का रहस्य इतना आसान नहीं है और सच्चाई यह है कि यह एक निरंतर खोज है जो भक्तों को आत्म-ज्ञान और आध्यात्मिक विकास की ओर ले जाती है। 

शिव पुराण और हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव स्वयंभू हैं और उनका न तो कोई आरंभ है और न ही कोई अंत। उनके अस्तित्व के कारण ही यह पूरी दुनिया घूम रही है। जबकि विष्णु पुराण में भगवान शिव का जन्म भगवान विष्णु से हुआ था। नर्मदेश्वर शिवलिंग को भगवान शिव के निराकार स्वरूप की पूजा करने के लिए सबसे अच्छा स्थान माना जाता है। भगवान शिव का रहस्य एक जटिल और बहुआयामी विषय है, जिसके कई पहलू हैं।

हिंदू धर्म में त्रिपुंड का बहुत महत्व है और इसे भगवान शिव के कई पहलुओं का प्रतीक माना जाता है। भगवान शिव के माथे पर त्रिपुंड तीन गुणों (सत्व, रज, तम) का प्रतीक है। इससे पता चलता है कि वे इन तीन गुणों से परे हैं।

विनाश और सृजन का चक्र:

भगवान शिव का रहस्य विनाश और सृजन का चक्र है। यह चक्र हमें जीवन के प्राकृतिक क्रम को समझने और उसके साथ सामंजस्य बिठाने में मदद करता है। भगवान शिव को अक्सर विनाश के देवता के रूप में देखा जाता है, लेकिन वे सृजन के देवता भी हैं। वे 'सृष्टि चक्र' का प्रतीक हैं, जिसमें जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म शामिल हैं। भगवान शिव को अक्सर 'महाकाल' या 'काल' कहा जाता है, जो समय के देवता हैं। समय सभी चीजों को नष्ट कर देता है, और भगवान शिव इस विनाशकारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं।

भगवान शिव को 'नटराज' के नाम से भी जाना जाता है, जो 'नृत्य' के देवता हैं। उनका 'तांडव' नृत्य ब्रह्मांड के विनाश का प्रतीक है, लेकिन यह एक नए ब्रह्मांड के निर्माण का भी प्रतीक है।

ज्ञान और ध्यान:

ज्ञान और ध्यान जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ज्ञान हमें सही और गलत के बीच अंतर करने में मदद करता है, और ध्यान हमें शांत और एकाग्र रहने में मदद करता है। भगवान शिव को ज्ञान और ध्यान का देवता भी माना जाता है। वे योग, तपस्या और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रतीक हैं। भगवान शिव को 'ज्ञान का भण्डार' माना जाता है। वे 'वेद', 'शास्त्र' और सभी प्रकार के 'ज्ञान' के ज्ञाता हैं। भगवान शिव 'ध्यान' के प्रतीक हैं। वे 'समाधि' की अवस्था में रहते हैं, जो 'आत्म-ज्ञान' प्राप्त करने का मार्ग है।

त्रिपुंड:

त्रिपुंड भगवान शिव के माथे पर लगाई जाने वाली तीन क्षैतिज रेखाएं हैं। इसे राख, चंदन या मिट्टी से बनाया जा सकता है। हिंदू धर्म में त्रिपुंड का बहुत महत्व है और इसे भगवान शिव के कई पहलुओं का प्रतीक माना जाता है। भगवान शिव के माथे पर त्रिपुंड तीन गुणों (सत्व, रज, तम) का प्रतीक है। इससे पता चलता है कि वे इन तीन गुणों से परे हैं।

त्रिपुंड के तीन अर्थ हैं:

सृजन, संरक्षण और विनाश: त्रिपुंड की तीन रेखाएं ब्रह्मांड के तीन गुणों का प्रतीक हैं: सृजन, संरक्षण और विनाश। भगवान शिव को इन तीन गुणों का स्वामी माना जाता है। भूत, वर्तमान और भविष्य: त्रिपुंड की तीन रेखाएं समय के तीन पहलुओं का भी प्रतीक हैं: भूत, वर्तमान और भविष्य। भगवान शिव को समय का देवता माना जाता है। आत्मा, मन और शरीर: त्रिपुंड की तीन रेखाएं मनुष्य के तीन पहलुओं का प्रतीक हैं: आत्मा, मन और शरीर। भगवान शिव को इन तीनों पहलुओं का स्वामी माना जाता है। नंदी बैल: नंदी बैल भगवान शिव का वाहन है। यह शक्ति, धैर्य और भक्ति का प्रतीक है। नंदी को आमतौर पर शिव मंदिरों के प्रवेश द्वार पर बैठे देखा जाता है। भगवान शिव का वाहन नंदी बैल 'शक्ति' और 'धैर्य' का प्रतीक है। गंगा नदी: भगवान शिव ने गंगा नदी को अपनी जटाओं में धारण किया है। इससे पता चलता है कि वे 'पवित्रता' और 'शुद्धिकरण' के प्रतीक हैं। अर्धनारीश्वर: भगवान शिव को 'अर्धनारीश्वर' रूप में भी दर्शाया गया है, जिसमें वे आधे पुरुष और आधे महिला हैं। इससे पता चलता है कि वे 'पुरुष-महिला समानता' और 'संपूर्णता' के प्रतीक हैं।

 मृत्युंजय:

भगवान शिव को 'मृत्युंजय' भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'मृत्यु को जीतने वाला'। इससे पता चलता है कि वे 'अमरता' और 'जीवन शक्ति' का प्रतीक हैं।

त्रिनेत्र:

भगवान शिव की तीन आंखें हैं, जो 'भूत, वर्तमान और भविष्य' का प्रतीक हैं। इससे पता चलता है कि वे 'सर्वज्ञ' और 'सर्वव्यापी' हैं।

सांप:

भगवान शिव अपने गले में सांप पहनते हैं। इससे पता चलता है कि वे 'जहर' और 'बुराई' पर विजय प्राप्त करते हैं।

रुद्र:

भगवान शिव को 'रुद्र' भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'विनाशक'। इससे पता चलता है कि वे 'अन्याय' और 'अधर्म' का नाश करते हैं।

============


अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जिसकी आम लोगों से अपेक्षा की जाती है। आपसे अनुरोध है कि कृपया इन सुझावों को पेशेवर सलाह न समझें तथा यदि इन विषयों से संबंधित आपके कोई विशिष्ट प्रश्न हों तो सदैव संबंधित विशेषज्ञ से परामर्श करें।

Mahashivratri 2025 Date: महाशिवरात्रि कब और कैसे मनाएं, जानें इतिहास, पूजन सामग्री और विधि तथा और भी बहुत कुछ

Mahashivratri Date fast vrat pujan vidhi  facts in brief

Mahashivratri 2024 Date: हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है जिस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का पूजन किया जाता है. भगवन शिव की उपासना करने वाले व्यक्तियों के लिए तो यह खास अवसर होता है, हालाँकि हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष स्थान है जिस दिन का इन्तजार सभी पुरुष और महिलायें करती है. 

महाशिवरात्रि का इस अवसर के लिए शिव भक्त सालों का इंतजार करते हैं क्योंकि उनके लिए यह पर्व भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद पाने और उनके योग्य होने के लिए सबसे महान दिन होता है। इस दिन भक्तगण पूजा के लिए विशेष अनुष्ठानों का पूरा करते हैं साथ ही भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों या अपने घर के पास के मंदिरों में करना पसंद करते हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं साथ ही लोगों की ऐसी मान्यता है की भगवान शंकर की कृपा से उनके घरों में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है. वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन रखा जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार 08 मार्च 2024, शुक्रवार के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया  जाएगा. 

महाशिवरात्रि का इतिहास क्या है?

हिंदू पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि कई कारणों से महत्व रखती है। एक मान्यता यह है कि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था, और यह त्योहार उनके दिव्य मिलन का जश्न मनाने के लिए हर साल मनाया जाता है। साथ ही यह शिव और शक्ति के मिलन का भी प्रतीक है।

शिवरात्रि मनाने का क्या कारण है?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह त्योहार फाल्गुन या माघ महीने के कृष्ण पक्ष के चौदहवें दिन मनाया जाता है। यह त्योहार शिव और पार्वती के विवाह और उस अवसर की याद दिलाता है जब शिव अपना दिव्य नृत्य करते हैं, जिसे तांडव कहा जाता है।

साल में कितनी बार शिवरात्रि आती है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल 2 बार महाशिवरात्रि मनाया जाता है। पहली महाशिवरात्रि फाल्गुन माह में कृष्ण चुतर्दशी तिथि को मनाई जाती है और दूसरी सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।

महाशिवरात्रि के व्रत में शाम को क्या खाते हैं?

उपवास में ड्राई फ्रूट्स खाने की सलाह दी जाती है. महाशिवरात्रि के व्रत में काजू, किशमिश, बादाम, मखाना आदि खा सकते हैं. महाशिवरात्रि के व्रत के दौरान आप साबूदाना की खिचड़ी, लड्डू, हलवा खा सकते हैं.

शिवरात्रि की पूजा में क्या क्या सामान लगता है?

महाशिवरात्रि की पूजा सामग्री (Mahashivratri Puja Samagri)

  • बेलपत्र
  • गंगाजल
  • दूध
  • शिवलिंग: पत्थर, धातु या मिट्टी का
  • गंगाजल:
  • दूध:
  • दही:
  • घी:
  • शहद:
  • फल:
  • फूल:
  • बेलपत्र:
  • धतूरा:
  • भांग:
  • चंदन:
  • दीप:
  • अगरबत्ती:
  • नारियल:
  • पान:
  • सुपारी:
  • कपूर:
  • लौंग:
  • इलायची

पूजन विधि:

  • स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान को साफ करें और गंगाजल छिड़कें।
  • शिवलिंग को गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, फल, फूल, बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन आदि से स्नान कराएं।
  • शिवलिंग पर दीप जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
  • ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
  • शिव चालीसा का पाठ करें।
  • भगवान शिव से अपनी मनोकामना व्यक्त करें।
  • आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
======================

अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी है जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं.ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो कि आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा सम्बंधित एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श करें।


Point of View- डायरी लिखने की आदत से बनाएं अपने लाइफ को डिसिप्लिनड, प्रैक्टिकल, अपडेटेड और प्लांड

Inspiring Thoughts Benefit of Diary Writing
Point of View : अनुशासित और प्लांड जीवन शैली आज के टफ लाइफ की सबसे बड़ी जरुरत है।  यह न केवल  हमें अपने अपडेट रखने में मदद करता है बल्कि यह हमारे जीवन में हर सफलता की कुंजी भी है.दोस्तों,अपने जीवन को डिसिप्लिनड और प्रैक्टिकल  बनाने के लिए  हमें डायरी लिखने की आदत विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए। 
इस लेख के माध्यम से आप जान सकते हैं कि डायरी की कला आप कैसे सीख  सकते हैं और यह आपको कैसे जीवन को प्रैक्टिकल और अनुशासित बनाने में मदद करती है। 

दोस्तों, प्रतिदिन डायरी लिखने की आदत वह कला है जो आपको व्यावहारिक अनुशासित तरीके से जीवन जीने का मार्ग प्रदान करती है।.डायरी लिखने की आदत जरूरी है क्योंकि यह न केवल आपके प्रत्येक और आपके जीवन में विकास को मापती है । 

हम सभी जानते हैं कि जीवन में सफलता कभी भी लिफ्ट की तरह नहीं मिलती है है और हमारे जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए इसका कोई शॉर्टकट नहीं है। वास्तव में सफलता एक सीढ़ी के अलावा और कुछ नहीं है जिसे केवल कदम दर कदम बढ़ा  जा सकता है। डायरी लिखना वह प्रक्रिया है जो आपको अनुशासित और संगठित जीवन बनाने का मार्ग प्रदान करती है।

डायरी लिखने से आप अपने बारे में और अपने लक्ष्यों के बारे में भी अपडेट रहेंगे। डायरी लिखने को शौक के तौर पर अपनाने से आपके विचार व्यवस्थित और सुनियोजित तरीके से बने रहेंगे।

डायरी लिखने की कला, जो आपको संपूर्ण, स्मार्ट और समग्र रूप से एक अपडेटेड  व्यक्तित्व बनाएगी।  डायरी  लिखने के कला  से  सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि आप अपने विचारों को व्यवस्थित और योजनाबद्ध तरीके से रख सकते हैं।  

डायरी लिखने से हमें आपके विचारों को व्यवस्थित करने और उन्हें आपके नियमित कार्य के लिए बहुत व्यवस्थित और नियोजित तरीके से  निपटाने में   मदद मिलती है।

हाँ दोस्तों,डायरी लिखना केवल एक शौक नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा उपकरण है जो आपको अपडेट रखने में और आपके दैनिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण चीज़ों के बारे में आपकी मदद करता है।  यह आपके विचारों को नया आयाम देता है साथ ही यह  आपकी रचनात्मकता को प्रेरित करेगा। 

अपनी दैनिक गतिविधियों को दैनिक आधार पर अपनी डायरी में लिखें।  यहां तक ​​कि आपकी सभी महत्वपूर्ण बैठकों/घटनाओं/रणनीतियों को भी अपनी डायरी में तारीख के साथ दर्ज किया जाना चाहिए। 

आप विश्वास नहीं कर सकते, लेकिन यह तथ्य है कि डायरी लिखने की आदत आपके तनाव, चिंता को भी आपके लिए स्वास्थ्य के मोर्चे पर दूर करने में मदद करती है। यह आपके तनाव और चिंता को कम करता है और यह आपको एक शांतिपूर्ण दिमाग रखने की अनुमति देता है जो आपके समग्र विकास और व्यवस्थित जीवन के लिए आवश्यक है।

अपने सभी महत्वपूर्ण आयोजनों/बैठकों/परियोजनाओं/पहलों को अपनी डायरी की क्रमागत तिथि में अंकित करें।  अगले दिन का कार्यक्रम आपकी डायरी में अवश्य रखा जाना चाहिए, चाहे कार्यक्रम अगले सप्ताह/पखवाड़े/माह में निर्धारित हो.याद रखें, आपकी वार्षिक डायरी में वर्ष के सभी 365 दिनों के साथ सभी 12 महीने होते हैं। 

वास्तव में, आप अपनी संपूर्ण 365 दिनों की रणनीतियों को डायरी में लिख सकते हैं लेकिन याद रखें, शाम के समय अपने दैनिक क्रिया कलापों  को दैनिक रूप से लिखना उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि हमारी डायरी के अपने कल के कार्यों की जांच करना, लेकिन एक दिन पहले।

डायरी लेखन की कलाओं का पालन करने में कुछ शुरुआती परेशानी और झिझक होगी, लेकिन मेरा विश्वास कीजिये।  इसे लिखने की आदत आपको तनाव मुक्त और अनुशासित जीवन शैली के साथ एक अद्यतन और व्यावहारिक व्यक्तित्व बनाए रखने में मदद करेगी।

वैलेंटाइन डे स्पेशल 2025: जन्म के दिन से जानें अपने साथी के रोमांटिक मूड और प्यार के बारे में

Valentine day birth day and romantic mood of your partner

वैलेंटाइन डे स्पेशल: वैलेंटाइन वीक शुरू हो चुका है और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जन्म के दिन का प्रभाव व्यक्ति के स्वभाव और रोमांटिक मूड पर भी पड़ता है। सप्ताह के प्रत्येक दिन का संबंध एक विशेष ग्रह से होता है, जो व्यक्ति के व्यक्तित्व और प्रेम भावनाओं को प्रभावित करता है। आइए जानते हैं कि किस दिन जन्मे लोग रोमांस के मामले में कैसे होते हैं—

निश्चित रूप से वैलेंटाइन डे 2025  के अवसर पर अपने साथी के प्यार और रिश्ते के रुझान को जानना आपके लिए फायदेमंद और सहायक होगा।

शनिवार (Saturday) – गंभीर लेकिन गहरे प्रेमी

शनिवार को जन्मे लोग अपने पार्टनर के साथ रिलेशनशिप के मामले में बहुत ज़्यादा ध्यान रखते हैं। शनिवार को जन्मे लोग अपने निजी रिश्तों में कभी भी धोखा नहीं देते और प्यार करते हैं और पार्टनर की रुचि और महत्व को समझते हैं। आम तौर पर ऐसे लोग अपने जीवनसाथी या पार्टनर को उच्च घराने से लेते हैं जो आलीशान जीवन जीते हैं और हाई प्रोफाइल समाज और पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते हैं।

रविवार (Sunday) – आत्मविश्वासी और आकर्षक प्रेमी

रविवार को जन्मे लोग शर्मीले स्वभाव के होते हैं और अपने पार्टनर के सामने अपने प्यार का इज़हार करने की दिशा में पहला कदम नहीं उठा पाते। चूंकि रविवार को जन्मे लोग भगवान सूर्य के अधीन होते हैं और जाहिर है कि ऐसे लोग अपने अहंकार और स्वाभिमान को अपने जीवन में सबसे पहले तरजीह देते हैं। अहंकारी रवैया और स्वाभिमानी स्वभाव उनके पार्टनर के सम्मान को ठेस पहुंचाने का कारक हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप आपसी रिश्तों में विश्वास की कमी होती है। रविवार को जन्मे लोग बाहरी तौर पर शांत रहते हैं लेकिन जब कोई मुद्दा उनके सामने आता है तो वे अपना धैर्य खो देते हैं।

सोमवार (Monday) – संवेदनशील और भावुक प्रेमी

सोमवार को जन्मे लोग अपने पार्टनर के साथ खुशनुमा जीवन जीते हैं। अपने साथी के प्रति देखभाल और प्यार से पेश आना और अपने साथी के प्रति देखभाल और ध्यान देना उनके जीवन का पहला आदर्श वाक्य है। वे अपने साथी के प्रति कोमल स्वभाव और यहां तक ​​कि अपनी बातचीत में नरमी दिखाते हैं। हालांकि ऐसे लोग स्वभाव से शांत रहते हैं, वे स्वतंत्र विचारधारा को प्राथमिकता देते हैं जो उनके रिश्ते में कुछ बाधाएं और भ्रम पैदा करता है। यदि वे अपने बीच के मतभेदों का समाधान ढूंढ लेते हैं तो वैवाहिक जीवन सामंजस्यपूर्ण हो सकता है। ये लोग बेहद इमोशनल, केयरिंग और सच्चे प्रेमी होते हैं साथ हीं अपने पार्टनर की भावनाओं को गहराई से समझते हैं और उन्हें प्राथमिकता देते हैं।

रोमांस में ये कोमलता, मिठास और गहराई पसंद करते हैं तथा कभी-कभी जरूरत से ज्यादा इमोशनल हो सकते हैं, जिससे मूड स्विंग्स हो सकते हैं।

मंगलवार (Tuesday) – जुनूनी और जोशीले प्रेमी

मंगलवार को जन्मे लोग स्वभाव से गुस्सैल होते हैं क्योंकि वे मंगल ग्रह द्वारा शासित होते हैं। क्रोध से भरा स्वभाव और व्यवहार उनके रिश्ते को थोड़ा खट्टा कर देता है जब वे अपने मतभेदों का उचित समाधान खुद ही खोज लेते हैं। ऐसे लोगों को जीवन साथी या दोस्ती के लिए सुंदर/स्मार्ट और आकर्षक साथी मिलते हैं जो उन्हें अपने जीवन में शांति प्रदान करते हैं। हालांकि, क्रोधी स्वभाव उनके रिश्ते में परेशानियां और मतभेद पैदा करता है। हालांकि, मतभेदों के बावजूद, वे इन मुद्दों का उचित समाधान ढूंढ लेते हैं और कुल मिलाकर एक खुशहाल और सुखद जीवन जीते हैं

 बुधवार (Wednesday) – चुलबुले और मज़ेदार प्रेमी

बुधवार को जन्मे लोग सुखद व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं। इसके कारण, वे अपने जीवन में एक मित्र के रूप में कई व्यक्तियों को प्रभावित करने की शक्ति रखते हैं, लेकिन वे कभी भी अपने सच्चे साथी को धोखा नहीं देते हैं। इस तथ्य के बावजूद कि बुधवार को जन्मे लोगों के जीवन में कई दोस्त होते हैं, वे व्यक्तिगत मोर्चे पर एक खुशहाल और परिपूर्ण जीवन जीते हैं क्योंकि वे अपने साथी के गौरव को प्यार और सम्मान करते हैं। 

 गुरुवार (Thursday) – वफादार और आध्यात्मिक प्रेमी

गुरुवार को जन्मे लोगों के संबंध गुरुवार को जन्मे व्यक्ति के लिए स्थिरता, विश्वसनीयता और देखभाल व्यक्तिगत और रिश्ते के लिए सबसे सही विशेषण हैं। उनके व्यक्तिगत संबंधों के बंधन में उनकी समझ और आपसी सहयोग होता है जो ऐसे व्यक्तित्वों के लिए स्थिर और खुशहाल जीवन की नींव रखता है। 

शुक्रवार (Friday) – रोमांटिक और आकर्षक प्रेमी

शुक्रवार को जन्मे लोगों के संबंध शुक्रवार को जन्मे लोग शुक्र द्वारा शासित और शासित होते हैं और वे अपने व्यक्तित्व में कई अनूठी विशेषताओं के स्वामी होते हैं। अपने व्यक्तित्व के साथ कई विशेष गुणों के कारण, ऐसे लोगों में लोगों को आसानी से अपना मुरीद बनाने की विशेष कला होती है और निश्चित रूप से यह उनके प्रेम संबंधों को भ्रम और विश्वास की कमी का एक सेट बनाता है। हालांकि पूर्णता और उदार मानसिकता के कारण ऐसे लोगों का वैवाहिक जीवन अच्छा रहा, उन्हें विश्वास और विश्वास के साथ अपने रिश्ते की स्थिरता पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

=======

अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में बताए गए सुझाव/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको इस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है और इन्हें पेशेवर सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए/पालन नहीं किया जाना चाहिए। हम अनुशंसा करते हैं और आपसे अनुरोध करते हैं कि यदि आपके पास एस्ट्रोलॉजी संबंधित विषय से के बारे मे कोई विशिष्ट प्रश्न हैं, तो हमेशा अपने पेशेवर सेवा प्रदाता से परामर्श करें।

महाकुंभ 2025; महत्व, महत्वपूर्ण तिथियां, शाही स्नान, और अन्य जानकारी


2025 का महाकुंभ मेला 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2024 तक उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक प्रयागराज में आयोजित होने वाला है। महाकुंभ मेला के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मेजबानी के लिए वैश्विक मानकों को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार पूरी तरह से तैयार है। महाकुंभ मेला 2025 आस्था, संस्कृति और इतिहास का एक असाधारण उत्सव है, जो सभी उपस्थित लोगों के लिए एक समृद्ध यात्रा प्रदान करता है। कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसमें लाखों तीर्थयात्री पवित्र नदियों में स्नान के लिए आते हैं। यह स्नान आध्यात्मिक सफाई और नवीनीकरण का प्रतीक है। 

यह हर 12 साल में चार बार होता है, गंगा पर हरिद्वार, शिप्रा पर उज्जैन, गोदावरी पर नासिक और प्रयागराज, जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती मिलती हैं। उत्तर प्रदेश सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, हिंदू धर्म में कुंभ मेला एक धार्मिक तीर्थयात्रा है जो 12 वर्षों के दौरान चार बार मनाई जाती है। 

कुंभ मेले की भौगोलिक स्थिति का अनुसर भारत में चार महत्वपूर्ण स्थानों पर फैली हुई है और जो चार पवित्र नदियों पर स्थित जिन चार तीर्थस्थलों पर आयोजन होता है वे निम्न हैं-

महत्वपूर्ण शहर और नदियाँ

  • हरिद्वार, उत्तराखंड में, गंगा के तट पर
  • उज्जैन, मध्य प्रदेश में, शिप्रा के तट पर
  • नासिक, महाराष्ट्र में, गोदावरी के तट पर
  • प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में, गंगा, यमुना और पौराणिक अदृश्य सरस्वती के संगम पर।


प्रत्येक स्थल का उत्सव सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की ज्योतिषीय स्थितियों के एक अलग सेट पर आधारित है।

कुंभ मेला एक आध्यात्मिक सभा से कहीं अधिक है। यह संस्कृतियों, परंपराओं और भाषाओं का एक जीवंत मिश्रण है, जो एक "लघु-भारत" को प्रदर्शित करता है, जहाँ लाखों लोग बिना किसी औपचारिक निमंत्रण के एक साथ आते हैं। यह आयोजन विभिन्न पृष्ठभूमियों से तपस्वियों, साधुओं, कल्पवासियों और साधकों को एक साथ लाता है, जो भक्ति, तप और एकता का प्रतीक है। 2017 में यूनेस्को द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता प्राप्त, कुंभ मेला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत मूल्यवान है। प्रयागराज 2025 में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक फिर से इस भव्य आयोजन की मेजबानी करेगा, जिसमें अनुष्ठान, संस्कृति और खगोल विज्ञान का मिश्रण होगा।

महाकुंभ मेला 2025: आध्यात्मिकता और नवाचार का एक नया युग

2025 में महाकुंभ मेला प्रयागराज में आध्यात्मिकता, संस्कृति और इतिहास के एक अनूठे मिश्रण का वादा करता है। 13 जनवरी से 26 फरवरी तक, तीर्थयात्री न केवल आध्यात्मिक अनुष्ठानों की एक श्रृंखला में शामिल होंगे, बल्कि एक ऐसी यात्रा पर भी निकलेंगे जो भौतिक, सांस्कृतिक और यहाँ तक कि आध्यात्मिक सीमाओं से परे होगी। 

शहर की जीवंत सड़कें, चहल-पहल भरे बाज़ार और स्थानीय व्यंजन इस अनुभव में एक समृद्ध सांस्कृतिक परत जोड़ते हैं। अखाड़ा शिविर एक अतिरिक्त आध्यात्मिक आयाम प्रदान करते हैं, जहाँ साधु और तपस्वी चर्चा, ध्यान और ज्ञान साझा करने के लिए एक साथ आते हैं। ये तत्व मिलकर महाकुंभ मेला 2025 को आस्था, संस्कृति और इतिहास का एक असाधारण उत्सव बनाते हैं, जो सभी उपस्थित लोगों के लिए एक समृद्ध यात्रा प्रदान करता है।

आगामी 2025 महाकुंभ मेला भी उन्नत सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के साथ भक्तों के अनुभव को बढ़ाने के लिए तैयार है, जो सभी प्रतिभागियों के लिए एक सहज, सुरक्षित और अधिक आकर्षक यात्रा सुनिश्चित करता है। बेहतर सफाई व्यवस्था, विस्तारित परिवहन नेटवर्क और उन्नत सुरक्षा उपायों से एक सहज, सुरक्षित और अधिक समृद्ध अनुभव प्रदान करने की उम्मीद है। अभिनव समाधानों को शामिल करते हुए, 2025 महाकुंभ मेला इस परिमाण के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मेजबानी के लिए वैश्विक मानकों को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार है।

प्रयागराज: समय के साथ जानें शहर कि  यात्रा

एक समृद्ध इतिहास वाला प्रयागराज 600 ईसा पूर्व का है जब वत्स साम्राज्य फला-फूला और कौशाम्बी इसकी राजधानी थी। गौतम बुद्ध ने कौशाम्बी का दौरा किया था। बाद में, सम्राट अशोक ने मौर्य काल के दौरान इसे एक प्रांतीय केंद्र बनाया, जो उनके अखंड स्तंभों से चिह्नित था। शुंग, कुषाण और गुप्त जैसे शासकों ने भी इस क्षेत्र में कलाकृतियाँ और शिलालेख छोड़े।

7वीं शताब्दी में, चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने प्रयागराज को "मूर्तिपूजकों का महान शहर" बताया, जो इसकी मजबूत ब्राह्मणवादी परंपराओं को दर्शाता है। शेर शाह के शासनकाल में इसका महत्व बढ़ गया, जिन्होंने इस क्षेत्र से होकर ग्रैंड ट्रंक रोड का निर्माण कराया। 16वीं शताब्दी में, अकबर ने इसका नाम बदलकर 'इलाहाबास' कर दिया, जिससे यह एक किलेबंद शाही केंद्र और प्रमुख तीर्थ स्थल बन गया, जिसने इसकी आधुनिक प्रासंगिकता के लिए मंच तैयार किया।

प्रयागराज के प्रमुख स्थल और आध्यात्मिक स्थल

त्रिवेणी संगम वह स्थान है जहाँ गंगा, यमुना और रहस्यमयी सरस्वती मिलती हैं। माना जाता है कि अदृश्य सरस्वती कुंभ मेले के दौरान प्रकट होती है, जो ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है। भक्त अपने पापों को धोने के लिए आते हैं, जो इसे कुंभ मेले का केंद्र बनाता है, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक भव्य उत्सव है।

त्रिवेणी संगम पर आने वाले तीर्थयात्री प्रयागराज में कई प्रतिष्ठित मंदिरों का भी भ्रमण करते हैं। संत समर्थ गुरु रामदासजी द्वारा स्थापित दारागंज में श्री लेटे हुए हनुमान जी मंदिर में शिव-पार्वती, गणेश, भैरव, दुर्गा, काली और नवग्रह की मूर्तियाँ हैं। पास में, श्री राम-जानकी और हरित माधव मंदिर आध्यात्मिक वातावरण में चार चांद लगाते हैं। 

नृत्यधारा: भरतनाट्यम के गहरे अध्यात्म, सुरुचिपूर्ण सुंदरता और पारंपरिक समर्पण को भव्यता से प्रस्तुत

आयाम इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा आयोजित नृत्यधारा – द्वितीय ने भरतनाट्यम के गहरे अध्यात्म, उसकी सुरुचिपूर्ण सुंदरता, और पारंपरिक समर्पण को भव्यता से प्रस्तुत किया। यह कार्यक्रम लिटिल थिएटर ग्रुप (LTG) ऑडिटोरियम में संपन्न हुआ, जिसे प्रसिद्ध गुरु श्रीमती सिंधु मिश्रा ने बड़ी ही कुशलता और श्रद्धा के साथ संजोया और कोरियोग्राफ किया।  

यह आयोजन भरतनाट्यम के पारंपरिक बानी पर आधारित था, जिसे विख्यात गुरु के.एन. दंडयुधापाणि पिल्लई ने विकसित किया था। नृत्यधारा ने नृत्य (शुद्ध नृत्य), भाव (अभिव्यक्ति) और ताल (लय) के जटिल समन्वय को जीवंत कर दिया।  

कार्यक्रम का शुभारंभ पुष्पांजलि से हुआ, जिसमें रागम बौली और तालम आदि पर आधारित एक दिव्य प्रस्तुति दी गई। यह प्रस्तुति गुरु, देवता और दर्शकों को समर्पित थी। इसके बाद ध्यान श्लोकम प्रस्तुत किया गया, जो भगवान शिव के अद्वितीय स्वरूप को समर्पित था। इसे प्रसिद्ध संगीतकार श्रीमती सुधा रघुरामन ने रचा और इसमें शिव के वैश्विक और ब्रह्मांडीय स्वरूप को चित्रित किया गया। 

प्रत्येक प्रस्तुति में भरतनाट्यम की शास्त्रीयता और रचनात्मकता का अद्भुत मेल देखने को मिला। शिवाष्टकम में भगवान शिव की महानता को राग भूपाली और ताल खंड चापू पर प्रस्तुत किया गया। इसमें भगवान शिव को असुरों के विनाशक, गणेश के स्नेही पिता, और ब्रह्मांडीय ऊर्जा के प्रतीक के रूप में दिखाया गया।  

इसके बाद तुलसीदास जी के भजन श्री राम चंद्र पर आधारित भरतनाट्यम प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। राग सिंधु भैरवी और आदि ताल पर आधारित इस प्रस्तुति में भगवान राम के गुणों को अत्यंत भावुकता से प्रस्तुत किया गया।  

पदम – यारो इवर यारो में माता सीता और भगवान राम की प्रथम भेंट को भावनात्मक गहराई के साथ प्रस्तुत किया गया। राग भैरवी और ताल आदि पर आधारित इस प्रस्तुति ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। इसके अलावा भो शंभो और तिल्लाना जैसे नृत्यांशों ने भी दर्शकों को अद्भुत आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान किया।  

गुरु श्रीमती सिंधु मिश्रा ने कहा, "नृत्यधारा – द्वितीय समर्पण, श्रद्धा और भरतनाट्यम की शाश्वत सुंदरता का उत्सव है। दर्शकों का अपार स्नेह और समर्थन इस कला रूप की अमरता को प्रमाणित करता है। हमारा उद्देश्य इस अद्भुत परंपरा को संरक्षित रखना और नई पीढ़ी को इसकी ओर प्रेरित करना है।"  

नृत्यधारा – द्वितीय न केवल एक नृत्य प्रस्तुति थी, बल्कि यह भरतनाट्यम की समृद्धता और विविधता का जीवंत उत्सव था। इसने दर्शकों को भरतनाट्यम की अद्वितीय सुंदरता और शाश्वत आकर्षण का अनुभव कराया।

Makar Sankranti 2025: जानें कैसे करें पवित्र स्नान और क्या है मंत्र और महत्व


हिन्दू पंचांग और धर्म के अनुसार ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जो हिन्दू धर्म में अत्यधिक शुभ माना जाता है। पवित्र स्नान से न केवल शरीर शुद्ध होता है बल्कि  यह मन, आत्मा और विचारों की शुद्धि का भी प्रतीक है। इस प्रक्रिया में सच्ची भक्ति और पवित्रता का होना सबसे जरूरी है।

इस दिन स्नान करने से व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक शुद्धता प्राप्त होती है, जिससे आत्मा को शांति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। स्नान के लिए यदि संभव हो, तो पवित्र नदियों (जैसे गंगा, यमुना) या तीर्थस्थानों में स्नान करें हालांकि अगर व्यस्तताओं के कारण वहाँ जाना संभव नहीं हो तो आप अपने घर में स्नान करते समय गंगा जल मिलाकर स्नान करें।

स्नान से पहले की तैयारी

स्नान से पहले मन को शांत करें और सकारात्मक विचार रखना अत्यंत जरूरी होता है क्योंकि स्नान सिर्फ तन से हीं नहीं बल्कि यह मन, आत्मा और विचारों की शुद्धि का भी प्रतीक है। इस प्रक्रिया में सच्ची भक्ति और पवित्रता का होना सबसे जरूरी है। 

हमारे धर्म ग्रंथों मे नदियों की पवित्रता को विशेष रूप से उल्लेख किया गया है जिन्हे माँ के रूप मे पुकारा जाता है। यदि संभव हो, तो पवित्र नदियों (जैसे गंगा, यमुना) या अन्य  तीर्थस्थानों में स्नान करें। हालांकि व्यस्तताओं के कारण अगर आप पवित्र नदी मे नहीं जा सकते तो अपने घर में स्नान करते समय गंगा जल मिलाकर स्नान करें। स्नान आरंभ करने से पहले यह मान्यता है कि जल को हाथ में लेकर भगवान का ध्यान करते हुए आचमन करें।

 स्नान का विधि-विधान

स्नान करने के लिए ऐसी मान्यता हा कि पहले जल को पवित्र करें और फिर शुद्ध मन से हाथ मे जल को हाथ में लेकर संकल्प करें-

"मैं इस स्नान के द्वारा अपने पापों और दोषों को दूर कर, शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्राप्त करना चाहता/चाहती हूं।"

इसके साथ ही इस अवसर पर भगवान सूर्य, विष्णु या शिव का ध्यान करें और उनसे अपने  शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए प्रार्थना करें। 

मंत्रोच्चार करें: स्नान करते समय निम्न मंत्रों का जाप कर सकते हैं:

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति।

नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।

ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।

य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्याभंतर: शुचि:।।

स्नान के बाद के नियम

स्नान के बाद हमेशा शुद्ध और स्वच्छ वस्त्र पहनें क्योंकि स्नान के बाद पूजा और भगवान को ध्यान करने कि प्रक्रिया पूरी करना जरूरी होता है। भगवान को ध्यान और प्रार्थना करें तथा इस अवसर पर आप दान दें। मकर संक्रांति जैसे पावन अवसर पर तिल, गुड़, अन्न, वस्त्र, या धन का दान करें। भोजन में सात्विकता जरूरी है और स्नान के बाद केवल सात्विक भोजन ग्रहण करें। की स्थानों पर लोग दही चूड़ा, तिल और अन्य चीजों से बनी लाई खाते हैं। 

मकर संक्रांति में हमें क्या नहीं करना चाहिए?

जैसा कि पहले ही कहा जा गया है कि मकर संक्रांति का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है क्योंकिइस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जो हिन्दू धर्म में अत्यधिक शुभ माना जाता है। पर कोई भी 'तामसिक' खाद्य पदार्थ न खाएं और न ही घर लाएं । आपको सभी का सम्मान करना चाहिए और इस दिन किसी का अपमान नहीं करना चाहिए न हीं किसी का दिल दुखाना चाहिए। अगर संभव हो तो गरीब या भूखे लोगों को अन्न और वस्त्र दान करनी चाहिए। खुद को कारात्मक विचारों और नकारात्मक वातावरण से दूर रखनी चाहिए साथ ही नकारात्मक  ऊर्जा वाले स्थानों और लोगों से हमें दूर रखनी चाहिए। 

==========

अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में बताए गए सुझाव/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको इस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है और इन्हें पेशेवर सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए/पालन नहीं किया जाना चाहिए। हम अनुशंसा करते हैं और आपसे अनुरोध करते हैं कि यदि आपके पास विषय से संबंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं, तो हमेशा अपने पेशेवर सेवा प्रदाता से परामर्श करें।


मकर संक्रांति 2025: जानें महत्त्व, मनाने की विधि और क्या है इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण?

Makar sankranti 2024 Significance date how to celebrate

मकर संक्रांति एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिसे पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार नई शुरुआत, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है।
हिन्दू पंचांग के अनुआर पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब इसे हीं मकर संक्रांत के नाम से पुकारा जाता है। पंचांग के अनुसार Makar Sankrati 2025 जनवरी 14, 2025  को हर्षोलास के साथ मनाया जाएगा। देश के विभिन्न हिस्सों मे यह अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। इस दिन स्नान और दान-पुण्य जैसे कार्यों का विशेष महत्व माना जाता है. 

इस पर्व का मुख्य उद्देश्य सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को मानना है। जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है. नए साल का सबसे पहला पर्व मकर सक्रांति होता है. मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार माना जाता है. वैसे तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है लेकिन साल 2025 में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा. 

इस पर्व का मुख्य उद्देश्य सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को मानना है। मकर संक्रांति को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे मकर संक्रांति, मकर संक्रांति, उत्तरायण, खिचड़ी, तिल संक्रांति आदि।

मकर संक्रांति को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे मकर संक्रांति, मकर संक्रांति, उत्तरायण, खिचड़ी, तिल संक्रांति आदि। हिंदू धर्म में सूर्यदेवता से जुड़े कई प्रमुख त्‍योहारों को मनाने की परंपरा है। उन्‍हीं में से एक है मकर संक्राति। आज मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। शीत ऋतु के पौस मास में जब भगवान भास्‍कर उत्‍तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो सूर्य की इस संक्रांति को मकर संक्राति के रूप में देश भर में मनाया जाता है। 

क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति? 

यह पर्व हिन्दू पंचांग (हिन्दू कैलेंडर) के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश का समय होता है, जिसे उत्तरायण कहा जाता है। इस दिन सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है, जिससे दिन का समय बढ़ने लगता है और रात का समय कम होता है। इससे बर्फीली सर्दीयों में गर्मी और ऊँची रातों का अंत होता है, जिससे लोगों में खुशी और उत्साह की भावना होती है।

मकर संक्रांति के दिन लोग तिल, गुड़, खीर, मूंगफली, रेवड़ी, खिचड़ी आदि का त्योहार मनाते हैं और एक दूसरे को बधाईयां देते हैं। इस दिन लोग मकर स्नान करने, दान करने और मन्दिरों में पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व देते हैं। इसे भारत भर में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है और यह समृद्धि, खुशी, और उत्साह का प्रतीक माना जाता है।

यह पर्व हिन्दू पंचांग (हिन्दू कैलेंडर) के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश का समय होता है, जिसे उत्तरायण कहा जाता है। इस दिन सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है, जिससे दिन का समय बढ़ने लगता है और रात का समय कम होता है। इससे बर्फीली सर्दीयों में गर्मी और ऊँची रातों का अंत होता है, जिससे लोगों में खुशी और उत्साह की भावना होती है।

कैसे मनाते हैं मकर संक्रांति?

मकर संक्रांति के दिन लोग तिल, गुड़, खीर, मूंगफली, रेवड़ी, खिचड़ी आदि का त्योहार मनाते हैं और एक दूसरे को बधाईयां देते हैं। इस दिन लोग मकर स्नान करने, दान करने और मन्दिरों में पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व देते हैं। इसे भारत भर में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है और यह समृद्धि, खुशी, और उत्साह का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति को मनाने के कई कारण हैं, जिनमें से कुछ धार्मिक और कुछ वैज्ञानिक हैं।

धार्मिक कारण

मकर संक्रांति को सूर्य देवता के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। सूर्य देवता को हिंदू धर्म में जीवनदाता माना जाता है। इसलिए, उनकी पूजा करने से नई शुरुआत, समृद्धि और खुशहाली की प्राप्ति होती है।

मकर संक्रांति को उत्तरायण की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है। उत्तरायण काल को शुभ और मंगलकारी माना जाता है। इस काल में दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं।

वैज्ञानिक कारण

मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते हैं। इस दिन से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। इसलिए, इस दिन को नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति के दिन मौसम में बदलाव होता है। इस दिन से ठंड का मौसम खत्म हो जाता है और वसंत ऋतु की शुरुआत होती है। इसलिए, इस दिन को नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति के परंपरागत आयोजन

मकर संक्रांति के दिन कई तरह के परंपरागत आयोजन होते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख आयोजन हैं:

स्नान: मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य प्राप्त होता है।

सूर्य पूजा: मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। सूर्य देवता को अमृत कलश, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित किए जाते हैं।

पतंग उड़ाना: मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाना एक लोकप्रिय परंपरा है। पतंग उड़ाने से खुशहाली और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

खिचड़ी: मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने का भी विशेष महत्व है। खिचड़ी को शुभ और मंगलकारी माना जाता है।


12 ज्योतिर्लिंग: जानें शिव पुराण मे वर्णित भगवान शंकर के ज्योतिर्लिंग रूपी शिवलिंग के बारे में


हिन्दू देवताओं में भगवान शिव को सर्वोच्च भगवान माना जाता है भगवान सबसे अधिक पूजे जाने वाले देवी-देवताओं में से भी एक है. हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार यह मान्यता है कि सावन के पावन महीने में विधिपूर्वक भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने और उनके निमित्त व्रत रखने से वे अपने सभी भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं. बाबा भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती का भी भक्तों को आशीर्वाद मिलता है। 

भगवान शिव के रहस्य को समझना आसान नहीं है  और सच तो यह है कि यह एक निरंतर खोज है जो भक्तों को आत्म-ज्ञान और आध्यात्मिक विकास की ओर ले जाती है। शिव पुराण और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव स्वयंभू है जिनका न कोई आदि है और न ही कोई अंत। उन्हीं के होने से ये समस्त संसार गतिमान है। जबकि विष्णु पुराण में भगवान शिव का जन्म भगवान विष्णु के द्वारा हुआ है। भगवान शिव के निराकार रूप की पूजा करने के लिए सबसे उत्तम नर्मदेश्वर शिवलिंग (Narmadeshwar Shivling) माना जाता है। 

शिव पुराण में 12 ज्योतिर्लिंग:-

यह मान्यता है कि ये 12 इन  प्राचीन 12 ज्योतिर्लिंग रूपी शिवलिंग में साक्षात भगवान शिव का वास है और हिन्दू धर्म मे इन ज्योतिर्लिंग रूपी शिवलिंग पूजन का विशेष महत्व रहा है। शिव पुराण में 12 ज्योतिर्लिंग का चर्चा है जो निम्न हैं-

1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र स्थित यह ज्योतिर्लिंग सबसे प्राचीन और पृथ्वी का प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव द्वारा की गई है। भारत में बारह पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से पहला प्रकट हुआ था  जहाँ शिव प्रकाश के एक ज्वलंत स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे। यह मंदिर कपिला, हिरन और सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है और अरब सागर की लहरें उस तट को छूती हुई बहती हैं जिस पर यह बना है।

2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग भारत के आन्ध्र प्रदेश राज्य में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर बिराजमान है।

3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन नगरी में स्थित है। यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग दक्षिणमुखी है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है।

4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में इंदौर के पास मालवा क्षेत्र में स्थित है। नर्मदा नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर हिंदुओं की चरम आस्था का केंद्र है जो कि  12 ज्योतिर्लिंगों में एक माना जाता है और यहां पर मां नर्मदा स्वयं ॐ के आकार में बहती है। 

5.  केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिल्ले में हिमालय की केदार नामक चोटी पर स्थित है।

6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे के पास सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है।

7 . काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग को विश्वेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।

8 . त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग के निकट ब्रह्मागिरि नाम क पर्वत है। ब्रह्मागिरि पर्वत से गोदावरी नदी उद्गम स्थान है।

9.  वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग झारखण्ड राज्य के संथाल परगना के पास स्थित है। भगवान शिव के इस वैद्यनाथ धाम को चिताभूमि कहा गया है।

10.  नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारिका क्षेत्र में स्थित है।

11.  रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग स्वयं भगवान श्रीराम ने अपने हाथों से बनाया था।

12.  घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद के पास स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है।

=========

अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में बताए गए सुझाव/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको इस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है और इन्हें पेशेवर सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए/पालन नहीं किया जाना चाहिए। हम अनुशंसा करते हैं और आपसे अनुरोध करते हैं कि यदि आपके पास विषय से संबंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं, तो हमेशा अपने पेशेवर सेवा प्रदाता से परामर्श करें।

Happy New Year 2025: अपनों को भेजें नए साल पर यह महापुरुषों का कोट्स, संदेश, ग्रीटिंग्स

Happy New Year 2025: अपनों को भेजें नए साल पर यह महापुरुषों का कोट्स, संदेश, ग्रीटिंग्स

बस अब हम 2025 में प्रवेश करने से चंद घंटे दूर हैं, यह खुशी, उम्मीद और सकारात्मकता फैलाने का समय है। नए साल का जश्न दोस्तों, परिवार और प्रियजनों को हार्दिक शुभकामनाओं और संदेशों के बिना अधूरा है और सच तो यह है कि नए साल के अवसर पर अपने मित्रों और संबंधियों के बधाई और उनके शुभकामनाओं के बगैर नए साल का इंतजार अधूरा ही रहेगा। तो फिर देर किस बात कि है, अगर आप नए साल की शुभकामनाओं को बेहतरीन तरीके से लिखने के लिए प्रेरणा की तलाश कर रहे हैं, तो हमने आपके संदेशों को अलग बनाने के लिए आइडिया संकलित किए हैं।

नया साल मुबारक हो!

ये साल आपकी ज़िंदगी में नई खुशियाँ, नई आशाएँ और नई उपलब्धियाँ लेकर आए। आपको और आपके परिवार को ढेर सारी शुभकामनाएँ! 

साल बदल रहा है, सपने नहीं!

आपके सपने इस साल नई ऊंचाइयों को छुएं। आपके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे। हैप्पी न्यू ईयर! 

नए साल की हार्दिक शुभकामनाएँ!

ये साल आपको ढेर सारी खुशियाँ, अच्छा स्वास्थ्य और अपार सफलता दे। आप हमेशा मुस्कुराते रहें! 

नया साल नई शुरुआत का संकेत है।

इस साल हर दिन आपके लिए खुशियाँ और प्यार लेकर आए। आपके जीवन में शांति और समृद्धि बनी रहे। हैप्पी न्यू ईयर!

नए साल में आपका हर दिन शुभ हो।

इस साल आपके सभी सपने पूरे हों और आपकी मेहनत रंग लाए। आपको और आपके अपनों को नए साल की शुभकामनाएँ! 

"Write it on your heart that every day is the best day in the year."

– Ralph Waldo Emerson

(अपने दिल पर लिख लें कि हर दिन साल का सबसे अच्छा दिन है।)

"Cheers to a new year and another chance for us to get it right."

– Oprah Winfrey

(नए साल की जय हो और हमें इसे सही करने का एक और मौका मिले।)

"The magic in new beginnings is truly the most powerful of them all."

– Josiyah Martin

(नई शुरुआत में जादू सचमुच सबसे शक्तिशाली होता है।)

"Tomorrow is the first blank page of a 365-page book. Write a good one."

– Brad Paisley

(कल 365 पन्नों की किताब का पहला खाली पन्ना है। इसे अच्छा लिखें।)

"New year—a new chapter, new verse, or just the same old story? Ultimately, we write it. The choice is ours."

– Alex Morritt

(नया साल—एक नया अध्याय, नई पंक्ति, या वही पुरानी कहानी? अंततः, इसे हम लिखते हैं। चुनाव हमारा है।)

"Be at war with your vices, at peace with your neighbors, and let every new year find you a better person."

– Benjamin Franklin

(अपनी बुराइयों से युद्ध करो, अपने पड़ोसियों से शांति रखो, और हर नया साल तुम्हें एक बेहतर व्यक्ति बनाए।)

"Celebrate endings—for they precede new beginnings."

– Jonathan Lockwood Huie



पोस्ट ऑफिस के इन योजनाओं का आप भी उठा सकते हैं लाभ: जानें विशेषताएं

Post Office Scheme and features benefits Facts in brief

पोस्ट ऑफिस मे हमेशा से आम जनता के लिए की सारे योजनाएं प्रयोग मे रहती हैं जिसके अंतर्गत आम जनता निवेश करते हैं। पोस्ट ऑफिस मे लोगों के निवेश पर अच्छा रिटर्न  के साथ साथ बच्चों और वरिष्ठ नागरिक के हितों को ध्यान मे रखते हुए की सारी स्कीम है जिसका लाभ आप उठा सकते हैं। इन योजनाओं मे शामिल हैं-सुकन्या, पीपीएफ, एसएसए, केवीपी, आरडी, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना और अन्य । डाकघरों की ग्राहकों को मुख्य रूप से प्रदान की जाने वाली वित्तीय और योजनाओं का विस्तृत संकलन निम्न हैं जिसका लाभ आप उठाया सकते हैं-

योजना का नाम: डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीओपीएसके)

विशेषताएँ:  

वर्तमान में 442 डाकघर पासपोर्ट सेवा केन्द्रों पर पासपोर्ट सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। 

योजना का नाम: डाकघर बचत खाते (पीओएसए)

विशेषताएँ: 

  • नियमित बचत, निकासी आदि के लिए।
  •  न्यूनतम शेष राशि - 500 रूपये और बेसिक बचत खाते के मामले में शून्य
  •  एटीएम / इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग सुविधा / एनईएफटी और आरटीजीएस
  •  यूपीआई, आईएमपीएस के लिए डाकघर बचत खातों को इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक खाते से जोड़ा गया।

योजना का नाम:  आवर्ती जमा (आरडी)

विशेषताएँ: 

  • न्यूनतम जमा (एकल): 1000/ रूपये या ₹ 100/- रूपये के गुणक में
  • अधिकतम जमा: कोई सीमा नहीं
  • 5 वर्ष की टीडी में निवेश के लिए आयकर छूट
  • विस्तार – कार्यकाल पूरा होने के बाद दो बार

योजना का नाम:  समय जमा (टीडी)1/2/3/5 वर्ष

विशेषताएँ:

  • न्यूनतम जमा (एकल): ₹ 1000/- या ₹ 100/- के गुणक में
  • अधिकतम जमा: कोई सीमा नहीं
  • 5 वर्ष की टीडी में निवेश के लिए आयकर छूट
  • विस्तार – कार्यकाल पूरा होने के बाद दो बार

योजना का नाम:  महीने के आय योजना (एमआईएस)

विशेषताएँ:

  • मासिक आय के स्रोत के लिए
  • न्यूनतम जमा:  1,न्यूनतम जमा:  1,000/- रूपये या इसके गुणकों में
  • अधिकतम जमा:  9 लाख रूपये  (व्यक्तिगत);  15 लाख रूपये (संयुक्त रूप से)
  • अवधि – 5 वर्ष

योजना का नाम:  वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस)

विशेषताएँ:

  • वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष योजना
  • त्रैमासिक आय के स्रोत के लिए
  • न्यूनतम एकल जमा:  1,न्यूनतम एकल जमा:  1,000/ रूपये  या इसके गुणकों में
  • अधिकतम जमा: . 30 लाख  रूपये
  • अवधि – 5 वर्ष तथा तीन वर्ष की प्रत्येक ब्लॉक अवधि की समाप्ति के बाद बढ़ाई जा सकती है

योजना का नाम:  सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ)

विशेषताएँ:

  • न्यूनतम प्रारंभिक जमा: 500/- रूपये
  • अधिकतम जमा: एक वित्तीय वर्ष में  एक लाख पचास हज़ार रूपये
  • न्यूनतम 50/- रूपये के गुणकों में आगामी जमा
  • निवेश के लिए आयकर छूट
  • कर मुक्त ब्याज
  • अवधि – 15 वर्ष और आगे भी बढ़ाई जा सकती है

योजना का नाम: सुकन्या समृद्धि योजना खाता (एसएसए)

विशेषताएँ:

  • बालिकाओं के लिए विशेष योजना
  • न्यूनतम प्रारंभिक जमा: 250/- रूपये
  • अधिकतम जमा: एक वित्तीय वर्ष में  एक लाख पचास हज़ार रूपये
  • न्यूनतम 50/- रूपये के गुणकों में आगामी जमा
  • निवेश के लिए आयकर छूट
  • कर मुक्त ब्याज
  • अवधि – 21 वर्ष

योजना का नाम: राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र – आठवां अंक (एनएससी)

विशेषताएँ:

  • न्यूनतम निवेश - 1,न्यूनतम निवेश - 1,000/- रूपये
  • अधिकतम निवेश: कोई सीमा नहीं - 100/- रूपये के गुणकों में
  • निवेश के लिए आयकर छूट

अवधि – 5 वर्ष

योजना का नाम: किसान विकास पत्र (केवीपी)

विशेषताएँ:

  • न्यूनतम निवेश - 1,न्यूनतम निवेश - 1,000/- रूपये
  • अधिकतम निवेश: कोई सीमा नहीं - 100/- रूपये के गुणकों में
  • परिपक्वता - निवेश की राशि दोगुनी

योजना का नाम: महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र (एमएसएससी)

विशेषताएँ:

  • महिलाओं और बालिकाओं के लिए विशेष योजना
  • 01.04.2023 से 31.03.2025 तक निवेश की अनुमति है
  • न्यूनतम निवेश - 1,न्यूनतम निवेश - 1,000/-रूपये
  • अधिकतम निवेश: प्रति व्यक्ति 2 लाख रूपये - 100/- रूपये के गुणकों में
  • खाते खोलने के बीच 3 महीने का समय अंतराल
  • अवधि – दो वर्ष
  • लॉकअप अवधि – 6 महीने

योजना का नाम: पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना 2021

विशेषताएँ: 

  • महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा चिन्हित लाभार्थियों के लिए विशेष योजना
  • प्रारंभ में 4515 खाते खोले गए और उनमें धनराशि पहुंचाई गई।
  • निवेश बच्चे की आयु के आधार पर भिन्न होता है और परिपक्वता राशि 10 लाख रूपये है
  • 18 से 23 वर्ष की आयु तक 10 लाख रूपये पर एमआईएस ब्याज देय है
  • खाताधारकों की परिपक्वता आयु 23 वर्ष होगी।

योजना का नाम: इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (आईपीपीबी)

विशेषताएँ:

  •  बचत और चालू खाते
  •  वर्चुअल डेबिट कार्ड
  •  घरेलू धन हस्तांतरण सेवाएं
  •  बिल और उपयोगिता भुगतान
  •  आईपीपीबी ग्राहकों के लिए बीमा सेवाएं

(Source PIB)

पॉइंट ऑफ व्यू : अनुपम खेर को फिल्म के शूटिंग के दौरान चेहरे पर लकवा हो गया, फिर भी हिम्मत नहीं हारे


पॉइंट ऑफ व्यू : भारतीय सिनेमा के बेहतरीन अभिनेताओं में से एक अनुपम खेर ने कहा है कि वह खुद अपनी असफलताओं से सफल होने की कहानी हैं। 'हम आपके हैं कौन' की शूटिंग के दौरान उन्हें चेहरे पर लकवा हो गया हो या वह समय जब वह 2004 में लगभग दिवालिया हो गए थे।  लेकिन असफलताओं के बावजूद भी कभी उन्हे अपने  'नेवर गिव अप' वाले  जीवन दर्शन को नहीं छोड़ा।  55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के दौरान गोवा के पणजी स्थित कला अकादमी में आयोजित एक सम्मोहक मास्टर क्लास के साथ छात्रों और प्रतिनिधियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।


श्री खेर ने ‘असफलता की शक्ति’ विषय पर सत्र की शुरुआत यह कहकर की, “मुझे लगता है कि मैं खुद अपनी असफलताओं से सफल होने की कहानी हूँ।” पूरा सत्र वास्तव में जीवन के पाठों पर एक मास्टरक्लास था, जिसमें उनके व्यक्तिगत जीवन की कई कहानियाँ थीं, जो उनके ज्ञान से सुशोभित थीं।

कहानी शिमला से शुरू हुई

अनुपम खेर  के अनुसार  उनकी कहानी शिमला से शुरू हुई जहां चौदह सदस्यों के एक संयुक्त परिवार ने एक ही कमरे में अपना जीवन बिताया जिसमें उनके पिता एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। उनके शब्दों में, वह गरीब थे, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से खुश थे और उनके दादाजी की कही एक बात, "जब लोग बहुत गरीब होते हैं, तो उनके लिए सबसे सस्ती चीज खुशी होती है" उन्हें याद है।

2 पंक्तियों में 27 गलतियाँ कीं

बेहद अनुभवी अभिनेता, अनुपम खेर उस समय को याद करते हैं जब उन्होंने पहली बार स्कूल के एक नाटक में अभिनय किया था जब वह पांचवीं कक्षा में थे। उन्होंने कहा की जब वह सांत्वना पुरस्कार भी जीतने में असफल रहे तो वह दुखी हो गए थे। उस दिन मेरे पिता ने मुझसे कहा था "असफलता एक घटना है, एक व्यक्ति नहीं"। अपनी अगली प्रस्तुति में, इस उभरते अभिनेता ने विलियम शेक्सपियर के नाटक 'मर्चेंट ऑफ वेनिस' में उन्हें दिए गए संवाद की 2 पंक्तियों में 27 गलतियाँ कीं!

पहली बार मुंबई

यह बात उस समय की है जब नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) के गोल्ड मेडलिस्ट युवा अभिनेता अनुपम खेर पहली बार मुंबई आए थे। खेर ने कहा, "चूंकि मैं पहले से ही एनएसडी गोल्ड मेडलिस्ट था, इसलिए मुझे पहले मौके पर ही इस सपनों के शहर में अपनी जीत का विश्वास था।" लेकिन कुछ ही महीनों में उन्हें रहने के लिए बांद्रा पूर्व रेलवे स्टेशन पर शिफ्ट होना पड़ा जहां वह 27 दिनों तक रहे।


लेकिन कई उतार-चढ़ाव के बाद श्री खेर की फिल्म 'सारांश'को पुरस्कृत किया गया। श्री खेर ने याद किया कि 1984 में उन्होंने पहली बार दिल्ली में इफ्फी का दौरा किया था। इस मास्टरक्लास के साथ इफ्फी में उनकी पहली यात्रा को 40 साल हो गए हैं।

हम आपके हैं कौन' की शूटिंग के दौरान उन्हें चेहरे पर लकवा

अनुपम खेर के लिए जीवन उतार-चढ़ाव भरा रहा है। लेकिन हर बुरे दौर में, चाहे वह 'हम आपके हैं कौन' की शूटिंग के दौरान उन्हें चेहरे पर लकवा हो गया हो या वह समय जब वह 2004 में लगभग दिवालिया हो गए थे, हर बार उन्होंने अपने पिता और दादा से मिली सीख पर ही काम किया।

नेवर गिव अप

श्री खेर की उतार-चढ़ाव भरी जीवन यात्रा को सुनकर सभी दर्शक अवाक रह गये। लेकिन अपने आकर्षक व्यक्तित्व, संवाद और अभिनय से इस 68 वर्षीय अनुभवी अभिनेता ने 'नेवर गिव अप' जैसे अपने जीवन दर्शन के टॉनिक से सभी दर्शकों को सहजता से मंत्रमुग्ध कर दिया!(Source PIB)

Children Day Speech in Hindi: बच्चों के प्रति पंडित नेहरू के इन विचारों के बिना आपके भाषण और सोच अधूरा है


भारत में हर साल 14 नवंबर को मनाया जाने वाला बाल दिवस विशेष महत्व रखता है जिसे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के उपलक्ष्य में बच्चों के प्रति उनके स्नेह और प्रेम को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। इस साल अर्थात 2024 मे मनाए जाने वाले बाल दिवस इसलिए भी खास है क्योंकि  यह देश के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की 135वीं जयंती है।

पंडित नेहरू को बच्चों से लगाव सर्वविदित है और यही कारण है कि बच्चे उन्हें "चाचा नेहरू" के नाम से पुकारते थे। प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का मानना था कि बच्चे देश का भविष्य हैं, और उनके अच्छे भविष्य के लिए शिक्षा और अच्छे संस्कार बेहद जरूरी हैं। 

प्यार से "चाचा नेहरू" के नाम से मशहूर पंडित नेहरू का मानना था कि  एक राष्ट्र की प्रगति के लिए एक पूर्ण बचपन महत्वपूर्ण है। वह कहा करते थे कि " बच्चे आज के भारत का भविष्य हैं। जिस तरह से हम उनका पालन-पोषण करेंगे, वही हमारे देश का कल निर्धारित करेगा।" 

बच्चों कि प्रति उनकी प्रेम, समर्पण और जुनून ने उन्हें 1964 में बाल दिवस की स्थापना करने के लिए प्रेरित किया, यह दिन भारत के भविष्य को आकार देने वाले युवा दिमागों का जश्न मनाने के लिए समर्पित था।

बच्चों कि मासूमियत और उत्सुकता को समझना आसान नहीं होता और इसे विश्वास करना  बिल्कुल असंभव सा प्रतीत होता है कि पंडित नेहरू अपने तमाम व्यस्तताओं के बावजूद वह बच्चों कि मासूमियत और उत्सुकता के कायल थे। वह कहा करते थे- "हम वास्तविकता में तब तक इंसान नहीं बन सकते जब तक हममें बच्चों जैसी मासूमियत और उत्सुकता न हो।" उनका कहना था कि "हर छोटा बच्चा एक फूल की तरह है, उसकी सुगंध और मासूमियत का ख्याल रखना हमारा कर्तव्य है।"

बच्चों को शिक्षित करने और उनके लिए शिक्षा का पर्याप्त प्रयास करने में पंडित नेहरू ने कोई कसर नहीं छोड़ा और बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए वह सदा समर्पित रहे। वह कहा करते थे-"शिक्षा वह माध्यम है जिससे एक बच्चा न केवल ज्ञान प्राप्त करता है, बल्कि वह खुद को और समाज को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित होता है।"

अगर आप  विभिन्न बाल दिवस कार्यक्रमों की तैयारी कर रहे हैं, तो आपको भाषण देने के लिए अगर आप आमंत्रित हैं तो यहां पंडित नेहरू के कुछ प्रेरणादायक विचार दिए गए हैं जो आपके लिए विशेष रूप से सहायता देंगे :

  • "बच्चे आज के भारत का भविष्य हैं। जिस तरह से हम उनका पालन-पोषण करेंगे, वही हमारे देश का कल निर्धारित करेगा।"
  • "बच्चे हमारे देश के भविष्य हैं।"
  • "बच्चों को देश के इतिहास और संस्कृति के बारे में जानना चाहिए।"
  • "हम वास्तविकता में तब तक इंसान नहीं बन सकते जब तक हममें बच्चों जैसी मासूमियत और उत्सुकता न हो।"
  • "मुझे बच्चों से बहुत प्यार है। वे मुझे देश का भविष्य लगते हैं।"
  • "जिंदगी को अपने मासूम नजरिए से देखने के लिए बच्चों से बेहतर कोई तरीका नहीं है। उनके चेहरे की मुस्कान में दुनिया का भविष्य छिपा है।"
  • "बच्चे हमारे जीवन में रंग लाते हैं।"
  • "हर छोटा बच्चा एक फूल की तरह है, उसकी सुगंध और मासूमियत का ख्याल रखना हमारा कर्तव्य है।"
  • "बच्चों को स्वतंत्रता से सोचने और सीखने का मौका देना चाहिए।"
  • "शिक्षा वह माध्यम है जिससे एक बच्चा न केवल ज्ञान प्राप्त करता है, बल्कि वह खुद को और समाज को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित होता है।"


अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति होंगे डोनाल्ड ट्रंप: Facts In Brief

अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति होंगे डोनाल्ड ट्रंप: Facts In Brief

अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति होंगे डोनाल्ड ट्रंप।  चुनाव परिणामों से यह स्पष्ट हो चुका है कि अमेरिका की 538 सीटों में से ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी को 277 सीटें मिली हैं. अमीरिकी राष्ट्रपति चुनाव मे बहुमत के लिए 270 सीटों की जरूरत होती है. वहीं, कमला हैरिस मैजिक की  डेमोक्रेटिक पार्टी ने 224 सीटों पर जीत दर्ज की है.

डोनाल्ड ट्रम्प (जन्म 14 जून, 1946, न्यूयॉर्क, न्यूयॉर्क, यू.एस.) संयुक्त राज्य अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति (2017-21) रह चुके  हैं; 

 डोनाल्ड ट्रम्प की जीवनी

  • पूरा नाम: डोनाल्ड जॉन ट्रम्प
  • जन्म: 14 जून, 1946
  • जन्मस्थान: क्वींस, न्यूयॉर्क शहर, न्यूयॉर्क, यूएसए
  • माता-पिता: फ्रेड ट्रम्प (पिता), मैरी मैकलियोड ट्रम्प (माता)
  • जीवनसाथी: इवाना ट्रम्प (विवाह 1977; विवाह 1992), मार्ला मेपल्स (विवाह 1993; विवाह 1999), मेलानिया ट्रम्प (विवाह 2005)
  • बच्चे: डोनाल्ड जूनियर, इवांका, एरिक, टिफ़नी, बैरन
  • राजनीतिक दल: रिपब्लिकन


  • 2004 में, ट्रम्प NBC रियलिटी टीवी शो, द अपरेंटिस के लॉन्च के साथ एक घरेलू नाम बन गए।

2016 राष्ट्रपति चुनाव:

  • 2015 में, ट्रम्प ने रिपब्लिकन के रूप में राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की और इस दौरान वह काफी सुर्खियों मे रहे।
  •  इस दौरान और अपनी बेबाक बयानबाजी और "अमेरिका को फिर से महान बनाने" के वादों से जल्दी ही ध्यान आकर्षित किया।
  • डॉनल्ड जॉन ट्रम्‍प 9 नवम्बर 2016 को संयुक्त राज्य अमेरिका के 45 वे राष्ट्रपति बने थे। वे रिपब्लिकन पार्टी से उम्मीदवार थे तथा इन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को पराजित कर विजय श्री प्राप्त की।



राष्ट्रपति पद (2017-2021):

ट्रम्प का 20 जनवरी, 2017 को संयुक्त राज्य अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति के रूप में शपथग्रहण हुआ।


  • उन्होंने 1977 में अपनी पहली पत्नी इवाना ट्रम्प से शादी की, जिनसे उनके तीन बच्चे हुए: डोनाल्ड जूनियर, इवांका और एरिक। 
  • 1992 में उनके तलाक के बाद, ट्रम्प ने 1993 में अभिनेत्री मार्ला मेपल्स से शादी की, जिनसे 1999 में उनके तलाक से पहले उनकी एक बेटी टिफ़नी थी। 
  • 2005 में, ट्रम्प ने पूर्व मॉडल मेलानिया नॉस से शादी की, और इस जोड़े का एक बेटा बैरन ट्रम्प है।