- समुद्र तल से लगभग 4000 मीटर ऊपर चांगथांग पठार में स्थित है।
- इसका क्षेत्रफल लगभग 19 किमी लंबी और 8 किमी चौड़ी है, जिसके चारों ओर बर्फ से ढकी बंजर पहाड़ियाँ हैं, सुंदर प्रवासी पक्षी और अन्य दुर्लभ जीव इस दृश्य को आश्चर्यजनक बनाते हैं।
- यहाँ पर पाई जाने वाले प्रजातियों मे शामिल है- बार-हेडेड गूज, ब्राउन हेडेड गल, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीबे और हिमालयन हार्स।
- यहां जाने से पहले पर्यटकों के लिए 'इनर लाइन परमिट' जारी किया जाता है जो न केवल विदेशियों बल्कि भारतीयों के लिए अनिवार्य है।
त्सोमोरिरी झील, लद्दाख : Facts in Brief
Who is D Gukesh: भारतीय ग्रैंडमास्टर डोमराजू गुकेश ने इतिहास रचा
भारतीय ग्रैंडमास्टर डी. गुकेश (D. Gukesh) भारत के उभरते हुए शतरंज खिलाड़ियों में से एक हैं। उनका पूरा नाम डोममाराजू गुकेश है। वे अपनी असाधारण प्रतिभा और कम उम्र में हासिल की गई उपलब्धियों के लिए जाने जाते हैं। गुकेश का जन्म 29 मई 2006 को हुआ था और उन्होंने बहुत कम उम्र में शतरंज की दुनिया में अपनी पहचान बनाई।
- चैम्पियनशिप-फिडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप
- स्थल-सिंगापुर
- उन्होंने चीन के डिंग लिरेन को हराकर 18वीं विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीती है
- उनकी सफलता चमत्कार है क्योंकि कार्लसन, क्रैमनिक और कास्पारोव भी 18 साल के थे जब वे विश्व शतरंज चैंपियन बने थे।
- पहली अंतर्राष्ट्रीय सफलता का स्वाद चखा जब उन्होंने 2015 में अंडर 9 एशियाई स्कूल शतरंज चैंपियनशिप जीती और कैंडिडेट मास्टर (CM) का खिताब भी जीता।
- गुकेश जनवरी 2019 में 12 साल 7 महीने की उम्र में इतिहास के दूसरे सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बने।
- जन्म- 29 मई, 2006
- ग्रैंडमास्टर गुकेश के पिता एक ईएनटी सर्जन हैं और उनकी मां पद्मा एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं.
- टाइटल- ग्रैंडमास्टर (2019), इंटरनेशनल मास्टर (2018), कैंडिडेट मास्टर (2015), फिडे मास्टर (2014) फिडे रेटिंग- 2783
दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर: गुकेश 12 साल, 7 महीने और 17 दिन की उम्र में ग्रैंडमास्टर बने। वे दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बनने में सफल रहे, जो सिर्फ सर्गेई कार्याकिन से पीछे हैं।
2022 ओलंपियाड में प्रदर्शन: डी. गुकेश ने 44वें शतरंज ओलंपियाड (चेन्नई, भारत) में शानदार प्रदर्शन किया और स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने अपने बोर्ड पर 9/11 का स्कोर किया।
FIDE रैंकिंग में उभरती प्रतिभा: गुकेश ने लगातार बेहतर प्रदर्शन कर फिडे रैंकिंग में शीर्ष खिलाड़ियों में जगह बनाई और भारत के शतरंज सितारों जैसे विश्वनाथन आनंद और आर. प्रज्ञानंदा के साथ अपनी पहचान बनाई।
सिंकेफील्ड कप 2023: 2023 में गुकेश ने सिंकेफील्ड कप में भाग लिया और अपने प्रदर्शन से विश्व स्तर पर चर्चा बटोरी।
गिद्ध: जानें भारत में कितनी पाई जाती है प्रजातियाँ और कितनी हैं इनकी संख्या
भारत में गिद्धों की नौ प्रजातियां दर्ज की गई हैं। भारत में विशिष्ट क्षेत्रों और पर्यावासों में गिद्धों की संख्या का आकलन नहीं किया गया है। हालांकि, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अलग-अलग समय पर अपने-अपने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में गिद्धों की संख्या का आकलन करते हैं, जिन्हें मंत्रालय के स्तर पर संकलित नहीं किया जाता है। मंत्रालय के पास उपलब्ध विवरण के अनुसार भारत में गिद्धों की अनुमानित संख्या निम्नलिखित है:
प्रजाति का नाम | अनुमानित संख्या (2017) |
लंबी चोंच वाला गिद्ध ( जिप्स इंडिकस ) | 26,500 |
पतली चोंच वाला गिद्ध ( जिप्स टेनुइरोस्ट्रिस ) | 1000 |
सफ़ेद पीठ वाला गिद्ध ( जिप्स बंगालेंसिस ) | 6000 |
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने राज्य सरकारों के सहयोग से प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम के तहत गिद्ध प्रजनन केंद्र स्थापित किए हैं। ये सुविधाएं गंभीर रूप से लुप्तप्राय गिद्ध प्रजातियों जैसे कि लंबी चोंच वाले गिद्ध, सफेद पीठ वाले गिद्ध तथा पतली चोंच वाले गिद्ध के प्रजनन के लिए समर्पित हैं।
- प्रजनन केंद्र
- हरियाणा में पिंजौर गिद्ध प्रजनन केंद्र
- पश्चिम बंगाल में राजाभटखवा गिद्ध संरक्षण प्रजनन केंद्र
उल्लेखनीय प्रजनन केंद्रों में हरियाणा में पिंजौर गिद्ध प्रजनन केंद्र, पश्चिम बंगाल में राजाभटखवा गिद्ध संरक्षण प्रजनन केंद्र आदि शामिल हैं, जहां गिद्धों को बंद कर के पाला जाता है तथा बाद में उन्हें प्राकृतिक पर्यावासों में छोड़ दिया जाता है।
अगस्त 2006 में, भारत के औषधि महानियंत्रक ने पशु चिकित्सा डाइक्लोफेनाक के उपयोग, बिक्री और निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया। भारत सरकार ने पशुओं के उपचार में इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए दवा डाइक्लोफेनाक की शीशी का आकार 3 मिलीलीटर तक सीमित कर दिया है। (Source PIB)
गगनयान मिशन: क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल संरचना के डिजाइन का कार्य पूरा, जानिए मिशन की स्थिति
गगनयान मिशन, मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और तकनीकी प्रयास होने के बावजूद, भारत के लिए महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक लाभ लेकर आया है। ऐसे कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं जहाँ मिशन के सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। गगनयान कार्यक्रम की प्रगति की स्थिति इस प्रकार है:
मानव रेटेड लॉन्च वाहन:
इसका आशय अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित लेने की क्षमता वाले प्रक्षेपण वाहन से है। प्रक्षेपण वाहन की मानव रेटिंग की दिशा में ठोस, तरल और क्रायोजेनिक इंजन सहित प्रणोदन प्रणाली चरणों का ग्राउंड परीक्षण पूरा हो गया है।
क्रू मॉड्यूल एस्केप सिस्टम:
इसका आशय आपातकालीन प्रणाली से है जिसका उद्देश्य प्रक्षेपण के दौरान किसी भी तरह की असफलता की स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों को प्रक्षेपण वाहन से सुरक्षित दूरी पर ले जाना होता है। पांच प्रकार के क्रू एस्केप सिस्टम सॉलिड मोटर्स का डिजाइन और कार्यान्वयन पूरा हो गया है। सभी पांच प्रकार के सॉलिड मोटर्स का स्टेटिक परीक्षण पूरा हो गया है। क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) के प्रदर्शन सत्यापन के लिए पहला टेस्ट व्हीकल मिशन (टीवी-डी 1) सफलतापूर्वक पूरा हो गया है।
ऑर्बिटल मॉड्यूल सिस्टम:
क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल संरचना का डिजाइन पूरा हो गया है। एकीकृत मुख्य पैराशूट एयर ड्रॉप टेस्ट और रेल ट्रैक रॉकेट स्लेज टेस्ट के माध्यम से विभिन्न पैराशूट सिस्टम का परीक्षण किया गया है
गगनयात्री प्रशिक्षण:
प्रशिक्षण कार्यक्रम के तीन में से दो सत्र पूरे हो चुके हैं। स्वतंत्र प्रशिक्षण सिम्युलेटर और स्टेटिक मॉकअप सिम्युलेटर का निर्माण किया गया है।
मुख्य आधारभूत ढांचा:
ऑर्बिटल मॉड्यूल तैयारी सुविधा (ओएमपीएफ), अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सुविधा (एटीएफ) और ऑक्सीजन परीक्षण सुविधा जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं चालू हो चुकी हैं। मिशन कंट्रोल सेंटर (एमसीसी) सुविधाओं का निर्माण और ग्राउंड स्टेशन नेटवर्क की स्थापना का काम पूरा होने वाला है।
गगनयान का पहला मानवरहित मिशन:
मानव-रेटेड लॉन्च वाहन के ठोस और तरल प्रणोदन चरण उड़ान एकीकरण के लिए तैयार हैं। C32 क्रायोजेनिक चरण उड़ान एकीकरण के लिए तैयार किया जा रहा है। क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल संरचना का निर्माण पूरा हो चुका है। उड़ान एकीकरण गतिविधियाँ प्रगति पर हैं।
तकनीकी उन्नति और स्पिन-ऑफ:
नई तकनीकें: क्रायोजेनिक इंजन, हल्के पदार्थ, जीवन रक्षक प्रणाली और रोबोटिक्स जैसी उन्नत तकनीकों के विकास का एयरोस्पेस, ऑटोमोटिव, स्वास्थ्य सेवा और ऊर्जा सहित विभिन्न उद्योगों में अनुप्रयोग होगा।
रोजगार सृजन: इस मिशन से एयरोस्पेस उद्योग, शोध संस्थानों और संबंधित क्षेत्रों में कई अनेक रोजगारों के अनेक अवसर सृजन की उम्मीद है।
आर्थिक विकास: स्वदेशी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का विकास निवेश को आकर्षित करेगा, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देगा और आर्थिक विकास में योगदान देगा।
भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करना:
एसटीईएम शिक्षा: यह मिशन युवा प्रतिभाओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
राष्ट्रीय गौरव: एक सफल मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम राष्ट्रीय गौरव को बढ़ाएगा और भारतीय आबादी में विशिष्ट उपलब्धि की भावना को प्रेरित करेगा।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और कूटनीति:
वैश्विक भागीदारी: यह मिशन अंतरिक्ष यात्रा करने वाले अन्य देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देगा, जिससे ज्ञान साझाकरण और संयुक्त उपक्रमों को बढ़ावा मिलेगा।
राजनयिक प्रभाव: भारत का सफल अंतरिक्ष कार्यक्रम इसकी वैश्विक स्थिति और कूटनीतिक प्रभाव को बढ़ाएगा।
वैज्ञानिक शोध और नवाचार:
सूक्ष्मगुरुत्व प्रयोग: सूक्ष्मगुरुत्व में प्रयोग करने से पदार्थ विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी और चिकित्सा सहित विभिन्न क्षेत्रों में सफलता मिल सकती है।
रिमोट सेंसिंग और पृथ्वी अवलोकन: यह मिशन बेहतर मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन और संसाधन प्रबंधन में योगदान दे सकता है।
सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों में हरियाणा राज्य सहित पूरे भारत में भारतीय उद्योगों और स्टार्ट-अप की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं।(Source PIB)
Cyclone Fengal: Update जानें क्या होता है साइक्लोन और कैसे होता है इसका निर्माण
क्या होता है साइक्लोन?
उष्णकटिबंधीय चक्रवात गर्म महासागरों के ऊपर बनता है जो कम वायुमंडलीय दाब के कारण बनता है और तेज हवा का रूप ले लेता है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर के ऊपर बनते हैं।
साइक्लोन के नामकरण के पीछे का क्या होता है कारण?
क्या आप जानते हैं कि किसी भी साइक्लोन का नामकरण साल 2004 के एक अंतर्राष्ट्रीय समझौते के तहत किया जाता है। विभिन्न क्षेत्रों में स्थित देशों के द्वारा विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की देखरेख में इन तूफ़ानों को नाम प्रदान किया जाता है। सूत्रों के अनुसार हिन्द महासागर क्षेत्र में आने वाले तूफ़ानों के नाम रखने के लिए सितंबर 2004 में एक समझौता हुआ। इस समझौते के तहत हिन्द महासागर क्षेत्र के आठ देश, बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्याँमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड तूफ़ानों के लिए नामों का एक समूह देंगे, जिसमें से बारी-बारी से तूफान का नामकरण होगा। हालाँकि, अब इस समझौते में देशों की संख्या बढ़कर 13 हो गई है। आमतौर पर सदस्य देशों की भाषाओं और संस्कृतियों से प्रेरित होते हैं, और उनका उद्देश्य आसानी से याद रखे जाने वाले और उच्चारण में सरल नाम देना होता है। इस चक्रवाती तूफान का नाम रेमल है. 'रेमल' एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है 'रेत'. यह नाम ओमान का दिया हुआ है.
साइक्लोन का निर्माण
साइक्लोन का निर्माण जटिल प्रक्रियाओं का परिणाम है जिसमें वातावरण के कई तत्व शामिल होते हैं। साइक्लोन का निर्माण आमतौर पर गर्म समुद्री सतहों के ऊपर होता है, जहाँ समुद्र का तापमान 26.5°C या उससे अधिक होता है। गर्म पानी हवा को गर्म करता है, जिससे वह हल्की होकर ऊपर उठती है। जैसे ही गर्म हवा ऊपर उठती है, सतह पर कम दबाव का क्षेत्र बन जाता है। यह कम दबाव वाला क्षेत्र आसपास की ठंडी हवा को खींचता है, जिससे हवा की गति तेज हो जाती है।
साइक्लोन बनने के लिए कुछ महत्वपूर्ण स्थितियां आवश्यक होती हैं:
गर्म समुद्री सतह:
साइक्लोन का निर्माण आमतौर पर गर्म समुद्री सतहों के ऊपर होता है, जहाँ समुद्र का तापमान 26.5°C या उससे अधिक होता है। गर्म पानी हवा को गर्म करता है, जिससे वह हल्की होकर ऊपर उठती है।
कम दबाव का क्षेत्र:
जैसे ही गर्म हवा ऊपर उठती है, सतह पर कम दबाव का क्षेत्र बन जाता है। यह कम दबाव वाला क्षेत्र आसपास की ठंडी हवा को खींचता है, जिससे हवा की गति तेज हो जाती है।
वाष्पीकरण और संघनन:
जब गर्म हवा ऊपर उठती है, तो इसमें मौजूद नमी वाष्पित होती है। ऊँचाई पर पहुँचकर यह नमी संघनित होती है और बादलों का निर्माण करती है। इस प्रक्रिया में ऊष्मा मुक्त होती है, जो हवा को और भी अधिक गर्म करके उसे और तेजी से ऊपर उठाती है।
कैरिओलिस बल:
पृथ्वी के घूमने के कारण हवा की दिशा में एक घूर्णन बल उत्पन्न होता है, जिसे कैरिओलिस बल कहते हैं। यह बल हवा को एक सर्पिल (spiral) आकार में घुमाने में मदद करता है, जिससे साइक्लोन का घूर्णन प्रारंभ होता है।
वायु का चक्रवातीय प्रवाह:
हवा का चक्रवातीय प्रवाह साइक्लोन के केंद्र की ओर होता है, जिससे हवा का दबाव और भी कम हो जाता है। इस प्रक्रिया में, हवा तेजी से घूमने लगती है और साइक्लोन का केंद्र (आँख) स्पष्ट होता है, जहाँ हवा का दबाव सबसे कम होता है।
ऊपरी वायुमंडलीय प्रवाह:
साइक्लोन के शीर्ष पर हवा का बहिर्गमन (outflow) होता है, जिससे निचले स्तर पर हवा के आगमन (inflow) को बनाए रखने में मदद मिलती है। यह प्रवाह साइक्लोन को ऊर्जा प्रदान करता रहता है।
साइक्लोन के प्रकार
साइक्लोन मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:
1. ट्रॉपिकल साइक्लोन: ये साइक्लोन उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बनते हैं, जैसे कि हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और कैरिबियन सागर। ये साइक्लोन बहुत तीव्र होते हैं और इनमें भारी वर्षा और तेज हवाएँ होती हैं। ट्रॉपिकल साइक्लोन को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे कि:
• हुर्रिकेन: उत्तरी अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत महासागर में।
• टाइफून: पश्चिमी प्रशांत महासागर में।
• साइक्लोन: भारतीय महासागर और दक्षिणी प्रशांत महासागर में।
2. एक्स्ट्रा-ट्रॉपिकल साइक्लोन: ये साइक्लोन उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के बाहर बनते हैं और आमतौर पर ठंडे या समशीतोष्ण क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इनका निर्माण वायुमंडल के उच्च और निम्न दबाव क्षेत्रों के परस्पर क्रिया से होता है। ये साइक्लोन आमतौर पर कम तीव्र होते हैं लेकिन फिर भी भारी वर्षा और तेज हवाएं ला सकते हैं।
Man Ki Baat: श्रीराम गोपालन जी, चेन्नई- Facts in Brief
Technology की दुनिया से जुड़े श्रीराम गोपालन जी विदेश में अपने काम के दौरान वे latest technology की दुनिया से जुड़े रहे। लेकिन, वो, बच्चों में पढ़ने और सीखने की आदत विकसित करने के बारे में भी सोचते रहे।
- भारत लौटकर उन्होंने प्रकृत् अरिवगम् को तैयार किया।
- इसमें तीन हजार से अधिक किताबें हैं, जिन्हें पढ़ने के लिए बच्चों में होड़ लगी रहती है।
- किताबों के अलावा इस library में होने वाली कई तरह की activities भी बच्चों को लुभाती हैं।
- Story Telling session हो, Art Workshops हो, Memory Training Classes, Robotics Lesson या फिर Public Speaking, यहां, हर किसी के लिए कुछ-न-कुछ जरूर है, जो उन्हें पसंद आता है।
तुलसी गबार्ड: राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के पद के लिए ट्रम्प द्वारा चयनित, Facts in Brief
Tulsi Gabbard Facts in Brief: तुलसी गबार्ड, जो एक अमेरिकी राजनीतिज्ञ और अमेरिकी कांग्रेस की पहली हिंदू सदस्य रह चुकी हैं, ने अपनी अलग छवि बनाई है। अमेरिकी क्षेत्र अमेरिकी समोआ में जन्मी सुश्री गबार्ड (43) का पालन-पोषण हवाई में हुआ और उन्होंने अपने बचपन का एक साल फिलीपींस में बिताया। गबार्ड, जो आर्मी रिजर्व में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर हैं और इराक में युद्ध का अनुभव रखते हैं, ने लगातार विदेश नीति के विचारों को चुनौती दी है।
- वह पहली बार 21 साल की उम्र में हवाई के प्रतिनिधि सभा के लिए चुनी गईं, लेकिन एक कार्यकाल के बाद उन्हें छोड़ना पड़ा जब उनकी नेशनल गार्ड यूनिट इराक में तैनात हो गई।
- सदन के पहले हिंदू सदस्य के रूप में, उन्होंने "भगवद गीता" पर शपथ ली।
- माता-पिता: माइक गबार्ड, कैरोल पोर्टर गबार्ड
- शिक्षा: हवाई प्रशांत विश्वविद्यालय (2009), अलबामा सैन्य अकादमी (2007)
- सिनेमैटोग्राफर अब्राहम विलियम्स उनके पति हैं।
- गबार्ड 2013 से 2021 तक कांग्रेस में हवाई का प्रतिनिधित्व करते रहे - सदन में सेवा देने वाले पहले हिंदू बने।
- 'फॉर लव ऑफ कंट्री: लीव द डेमोक्रेट पार्टी बिहाइंड' उनकी पहली पुस्तक है।
- 2022 में उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ दी और शुरुआत में एक स्वतंत्र के रूप में पंजीकरण कराया - उन्होंने अपनी पूर्व पार्टी पर "कायरतापूर्ण जागृति" से प्रेरित "युद्ध भड़काने वालों का अभिजात्य गुट" होने का आरोप लगाया।
- पार्टी: रिपब्लिकन पार्टी
- जन्म: 12 अप्रैल 1981 (उम्र 43 वर्ष), लेलोआलोआ, अमेरिकन समोआ
- सुश्री गबार्ड, जिन्होंने इराक और कुवैत में तैनात होकर दो दशकों से अधिक समय तक आर्मी नेशनल गार्ड में सेवा की है, अपने पूर्ववर्ती की तुलना में कुछ हद तक बाहरी व्यक्ति की भूमिका में आएंगी।
- वह 2004 से 2005 तक हवाई नेशनल गार्ड में मेजर के रूप में इराक में तैनात रहीं और अब अमेरिकी सेना रिजर्व में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं।
- ऑपरेशन इराकी फ्रीडम III के दौरान सेवा के लिए उन्हें 2005 में कॉम्बैट मेडिकल बैज से मान्यता मिली।
राष्ट्रीय इक्वाइनअनुसंधान केंद्र, हिसार को मिली विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन का दर्जा: जानें और कौन तीन संस्थान हैं?
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय इक्वाइन अनुसंधान केंद्र, हिसार (आईसीओआर-एनआरसी) को इक्वाइन पिरोप्लाज्मोसिस के लिए विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूओएएच) के संदर्भ प्रयोगशाला के रूप में चुना गया है।
- एनआरसी इक्विन अब अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
- यह चौथी प्रयोगशाला भारत का है जिसे पशुपालन क्षेत्र में डब्ल्यूओएएच संदर्भ प्रयोगशाला का दर्जा प्राप्त हुआ है.
- अन्य तीन प्रयोगशाला जिसे पशुपालन क्षेत्र में डब्ल्यूओएएच संदर्भ प्रयोगशाला का दर्जा प्राप्त हुआ है वे हैं-
- पशु चिकित्सा महाविद्यालय, आईसीएआर- राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल (एवियन इन्फ्लुएंजा)
- कर्नाटक पशु चिकित्सा पशु और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, बैंगलोर (रेबीज)
- आईसीएआर- राष्ट्रीय पशु चिकित्सा महामारी विज्ञान और रोग सूचना विज्ञान संस्थान, बैंगलोर (पीपीआर और लेप्टोस्पायरोसिस)
इक्विन पिरोप्लाज़मोसिस रोग क्या हैः
टिक-जनित प्रोटोजोआ परजीवी बेबेसिया कैबली और थेलेरिया इक्वी के कारण होने वाला इक्वाइन पिरोप्लाज्मोसिस, घोड़ों, गधों, खच्चरों और ज़ेबरा को प्रभावित करता है और इन जानवरों के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करता है , जिसका आर्थिक प्रभाव भी बहुत ज़्यादा होता है।
भारत भर में इसकी सीरोप्रिवलेंस दर 15-25% बताई गई है। कुछ उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में, यह व्यापकता 40% तक पहुँच सकती है,
कठोर नियंत्रण और शीघ्र निदान की आवश्यकता को समझते हुए, पशुपालन और डेयरी विभाग ने नेशनल रिसर्च सेंटर इक्विन को भारत के राष्ट्रीय संदर्भ केंद्र के रूप में प्राथमिकता दी है और संस्थान ने इक्विन पिरोप्लाज्मोसिस के लिए अत्याधुनिक नैदानिक उपकरण विकसित किए हैं, जैसे कि पुनः संयोजक एंटीजन पर आधारित एलिसा, अप्रत्यक्ष फ्लोरोसेंट एंटीबॉडी टेस्ट, एंटीबॉडी का पता लगाने और रक्त स्मीयर परीक्षा के लिए प्रतिस्पर्धी एलिसा, एमएएसपी इन-विट्रो संस्कृति प्रणाली और एंटीजन का पता लगाने के लिए पीसीआर।
नालंदा विश्वविद्यालय, बिहार Facts in Brief
जानें क्या होता है साइक्लोन Facts in Brief
Discovery: पूर्वी और पश्चिमी घाट के इलाकों में मीठे पानी में डायटम की एक नई प्रजाति की खोज
डायटम सूक्ष्म शैवाल हैं जो वैश्विक ऑक्सीजन का 25 प्रतिशत, यानी हमारे द्वारा ली जाने वाली ऑक्सीजन की लगभग हर चौथी सांस का उत्पादन करके हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे जलीय खाद्य श्रृंखला के आधार के रूप में कार्य करते हैं। किसी भी जल रसायन परिवर्तन के प्रति उनकी संवेदनशीलता के कारण, वे जलीय स्वास्थ्य के उत्कृष्ट संकेतक हैं।
डायटम भारत में सबसे पहले दर्ज किए गए सूक्ष्मजीव हैं। इस बारे में एहरनबर्ग की पहली रिपोर्ट 1845 में उनके बड़े प्रकाशन माइक्रोजियोलॉजी में छपी थी। तब से, भारत में कई अध्ययनों में मीठे पानी और समुद्री वातावरण से डायटम दर्ज किए गए हैं। एक मोटे अनुमान के अनुसार लगभग 6,500 डायटम टैक्सा हैं, जिनमें से 30 प्रतिशत भारत के लिए स्थानिक (एक विशेष क्षेत्र तक सीमित) हैं, जो भारत की अनूठी जैव विविधता का प्रमाण हैं। इसके अलावा, विविध जैवभौगोलिक क्षेत्र मीठे पानी से लेकर समुद्री, समुद्र तल से लेकर ऊंचे पहाड़ों और क्षारीय झीलों से लेकर अम्लीय दलदलों तक के आवास विविधता के साथ विभिन्न प्रजातियों के अनुकूल हैं। प्रायद्वीपीय भारत में पूर्वी और पश्चिमी घाट शामिल हैं। इनमें विशिष्ट भौतिक, मृदा और जलवायु प्रवणता हैं जो अद्वितीय भौगोलिक स्थितियों के साथ आवासों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं और डायटम के अनोखे सेट के अनुकूल भी हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का पुणे में स्थित स्वायत्त संस्थान अघारकर अनुसंधान संस्थान (एआरआई) के वैज्ञानिकों ने इंडिकोनेमा की खोज की। इस इंडिकोनेमा में केवल पैर के ध्रुव पर छिद्र क्षेत्र होने के बजाय सिर और पैर के दोनों ध्रुव पर एक छिद्र क्षेत्र है।
बढ़ते मानसून ने भारतीय प्रायद्वीप में वर्षा वन बायोम को संरचित किया है और संबंधित अलग-अलग नमी स्तर बनाया है, जिसकी डायटम वनस्पतियों को आकार देने में प्रत्यक्ष भूमिका है।
फाइकोलोजिया पत्रिका में प्रकाशित शोध में बताया गया है कि इंडिकोनेमा की एक प्रजाति पूर्वी घाट से और दूसरी पश्चिमी घाट से पाई गई है। दो पर्वत प्रणालियों के बीच स्थानिक तत्वों को साझा करने का एक समान पैटर्न अन्य स्थानिक-समृद्ध समूहों, जैसे सरीसृपों के लिए देखा गया है।
इसके अलावा, इस समूह की रूपात्मक विशेषताओं के आधार पर, शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि इंडिकोनेमा पूर्वी अफ्रीका में स्थानिक प्रजाति एफ्रोसिमबेला की सहोदर है। शुरुआती अध्ययनों में पाया गया कि भारत और पूर्वी अफ्रीका तथा मेडागास्कर की गोम्फोनेमा प्रजातियों के बीच समानताओं को वर्तमान अध्ययन समूह भी मानता है। पूर्ववर्ती एसईआरबी, जो अब एएनआरएफ बन गया है, ने कहा है कि यह खोज डायटम जैवभौगोलिकी के रहस्यों को उजागर करने और भारत के विविध परिदृश्यों की जैव विविधता को आकार देने में उनकी भूमिका के लिए चल रहे शोध काफी महत्वपूर्ण हैं। (Source PIB)
11 October: अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस, Facts, Date Significance
- 2024 का थीम -भविष्य के लिए लड़कियों का दृष्टि कोण
- बीजिंग में 1995 में महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर आयोजित पर विश्व सम्मेलन, दुनिया भर में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 दिसंबर, 2011 को संकल्प संख्या 66/170 को पारित किया और 11 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की गई।
- गर्ल्स विजन फॉर द फ्यूचर: थीम 2024
भारत सरकार ने समाज में बालिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से कई योजनाएं शुरू की हैं-
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना
- सुकन्या समृद्धि योजना
- किशोरियों के लिए योजना (एसएजी)
- मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता
- अभिनव परियोजना ‘उड़ान’
- बालिकाओं को प्रोत्साहन देने की राष्ट्रीय योजना (एनएसआईजीएसई)
- आज, 20 से 24 वर्ष की आयु की पाँच में से एक युवती बचपन में ही विवाहित हो गई थी।
- लगभग चार में से एक विवाहित किशोरियों ने यौन या शारीरिक शोषण का अनुभव का सामना करना पड़ा है।
- विश्व स्तर पर, किशोरों में 75% नए एचआईवी संक्रमण लड़कियों में होते हैं।
- तीन में से एक किशोर लड़की एनीमिया से पीड़ित है, जो कुपोषण का एक रूप है।
- लड़कों की तुलना में लगभग दोगुनी संख्या में किशोर लड़कियाँ (चार में से एक) किसी भी तरह की शिक्षा, रोजगार या प्रशिक्षण में नहीं हैं।
Point Of View : Sardar Vallabhbhai Patel-जानें लौह महत्वूर्ण Quotes
Point Of View : सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) जिन्हे लौह पुरुष के नाम से जाना जाता है वह भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री थे. सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) पेशे से एक वकील थे और उनका जिनका जन्म 31 अक्टूबर को हुआ था। सरदार पटेल ने अपने कुशलता और अपने सामर्थ्य के बल पर लगभग हर रियासत को भारत में विलय के लिए राजी कर लिया था । पटेल का अहिंसा के वारे में कहना था कि -"जिनके पास शस्त्र चलाने का हुनर हैं लेकिन फिर भी वे उसे अपनी म्यान में रखते हैं असल में वे अहिंसा के पुजारी हैं. कायर अगर अहिंसा की बात करे तो वह व्यर्थ हैं"
- आम प्रयास से हम देश को एक नई महानता तक ले जा सकते हैं, जबकि एकता की कमी हमें नयी आपदाओं में डाल देगी।
- जो तलवार चलाना जानते हुए भी अपनी तलवार को म्यान में रखता है उसी को सच्ची अहिंसा कहते है।
- अविश्वास भय का प्रमुख कारण होता है।
- इस मिट्टी में कुछ खास बात है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास बना रहा है।
- "शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है. विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं।"
- मान-सम्मान किसी के देने से नहीं मिलते, अपनी योग्यतानुसार मिलते हैं।
- हर भारतीय को अब भूल जाना चाहिए कि वह राजपूत, एक सिख या जाट है। उन्हें याद रखना चाहिए कि वह एक भारतीय है और उसके पास अपने देश में हर अधिकार है लेकिन कुछ कर्तव्यों के साथ।
- कठिन समय में कायर बहाना ढूंढते हैं तो वहीं, बहादुर व्यक्ति रास्ता खोजते है।
- अहिंसा को विचार, शब्द और कर्म में देखा जाना चाहिए। हमारी अहिंसा का स्तर हमारी सफलता का मापक होगा।
- बोलने में मर्यादा मत छोड़ना, गालियाँ देना तो कायरों का काम है।
ज़ोरावर: भारतीय लाइट टैंक का सफल परीक्षण, जाने खास बातें
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भारतीय लाइट टैंक ज़ोरावर के सफल प्रारंभिक ऑटोमोटिव परीक्षण किए। यह ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनाती में सक्षम अत्यधिक बहुउपयोगी प्लेटफ़ॉर्म है। रेगिस्तानी इलाकों में किए गए फील्ड परीक्षणों के दौरान, लाइट टैंक ने असाधारण प्रदर्शन करते हुए सभी इच्छित उद्देश्यों को कुशलतापूर्वक पूरा किया। प्रारंभिक चरण में, टैंक के फायरिंग प्रदर्शन का कड़ाई से मूल्यांकन किया गया और इसने निर्दिष्ट लक्ष्यों पर आवश्यक सटीकता हासिल की।
ज़ोरावर: Facts in Brief
- डीआरडीओ की इकाई सीवीआरडीई द्वारा लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के सहयोग से सफलतापूर्वक विकसित किया गया है।
- यह एंफिबियस है. यानी जमीन पर चल सकता है, साथ ही नदियों में तैर सकता है. किसी भी तरह के जलस्रोत को पार कर सकता है.
- इसका वजन मात्र 25 टन है. इसमें 105 मिलिमीटर की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) भी लगा सकते हैं.
- इस टैंक का नाम जनरल ज़ोरावर सिंह कहलूरिया के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1841 में चीन-सिख युद्ध के समय कैलाश-मानसरोवर पर मिलिट्री एक्सपेडिशन किया था.
ज़ोरावर को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की इकाई, लड़ाकू वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (सीवीआरडीई) द्वारा लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के सहयोग से सफलतापूर्वक विकसित किया गया है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) सहित अनेक भारतीय उद्योगों ने विभिन्न उप-प्रणालियों के विकास में योगदान देते हुए देश के भीतर स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षमताओं के सामर्थ्यब को प्रदर्शित किया।
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने भारतीय लाइट टैंक के सफल परीक्षणों के लिए डीआरडीओ, भारतीय सेना और सभी संबद्ध उद्योग भागीदारों की सराहना की। उन्होंने इस उपलब्धि को महत्वपूर्ण रक्षा प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों में भारत के आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर करार दिया है।
देश मे इन 7 जगहों पर होगी पीएम मित्र पार्कों की स्थापना : जानें खास बातें
केंद्रीय वस्त्र राज्य मंत्री श्री पबित्रा मार्गेरिटा द्वारा राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी गई जानकारी के मुतबिक सरकार ने 2027-28 तक के सात वर्षों की अवधि के दौरान 4,445 करोड़ रुपये के परिव्यय से प्लग एंड प्ले सुविधा सहित विश्वस्तरीय अवसंरचना वाली ग्रीनफील्ड/ब्राउनफील्ड साइटों पर 7 पीएम मेगा एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान (पीएम मित्र) पार्क स्थापित करने को मंजूरी दी है। सरकार ने पीएम मित्र पार्कों की स्थापना के लिए तमिलनाडु (विरुद्धनगर), तेलंगाना (वारंगल), गुजरात (नवसारी), कर्नाटक (कलबुर्गी), मध्य प्रदेश (धार), उत्तर प्रदेश (लखनऊ), महाराष्ट्र (अमरावती) जैसे 7 साइटों (स्थलों) को अंतिम रूप दिया है।
- तमिलनाडु (विरुद्धनगर),
- तेलंगाना (वारंगल),
- गुजरात (नवसारी),
- कर्नाटक (कलबुर्गी),
- मध्य प्रदेश (धार),
- उत्तर प्रदेश (लखनऊ),
- महाराष्ट्र (अमरावती)
इनके पूरा हो जाने पर यह परिकल्पना की गई है कि प्रत्येक पार्क से लगभग 10,000 करोड़ रुपये का निवेश (विदेशी और घरेलू दोनों) होगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था और वस्त्र परिवेश लाभान्वित होगा।
सभी 5 ग्रीनफील्ड साइटों अर्थात गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के संबंध में विशेष कंपनियों (एसपीवी) का गठन कर लिया गया है। महाराष्ट्र और तेलंगाना जैसे ब्राउनफील्ड साइटों के संबंध में मौजूदा कार्यान्वयन व्यवस्था को तय दिशानिर्देशों के अनुसार जारी रखने की अनुमति दी गई है।
पीएम मित्र पार्क योजना के तहत ग्रीनफील्ड पीएम मित्र और ब्राउनफील्ड पीएम पार्क के विकास के लिए भारत सरकार की ओर से ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड पीएम मित्र के लिए क्रमशः 500 करोड़ रुपये और 200 करोड़ रुपये प्रति पार्क की अधिकतम सहायता के साथ परियोजना लागत के 30 प्रतिशत की दर से कोर अवसंरचना के निर्माण के लिए विकास पूंजी सहायता (डीसीएस) देने का प्रावधान है।
इसके अतिरिक्त, पीएम मित्र पार्कों में शीघ्र स्थापना के लिए विनिर्माण इकाइयों को प्रोत्साहित करने के लिए पीएम-मित्र के अंतर्गत अलग-अलग इकाइयों को प्रति पार्क अधिकतम 300 करोड़ रुपये की प्रतिस्पर्धी प्रोत्साहन सहायता (सीआईएस) और योजना के दिशा-निर्देशों के तहत भी सहायता प्रदान की जाती है। (Source PIB)
डेयरी क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’: Facts in Brief
सरकार ने इस दिशा में विभिन्न कदम उठाए हैं जिनमें से एक अहम कदम है पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (एएचआईडीएफ) - यह पशुपालन और डेयरी विभाग की प्रमुख योजनाओं में से एक है जिसका शुभारंभ 24.06.2020 को प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान प्रोत्साहन पैकेज’ के तहत किया गया था और इसे डेयरी प्रसंस्करण अवसंरचना विकास कोष (डीआईडीएफ) के विलय के साथ नए सिरे से व्यवस्थित किया गया है और इसे 29110.25 करोड़ रुपये के फंड आकार के साथ अगले तीन वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है।
पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) देश के डेयरी उद्योग की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए निम्नलिखित योजनाओं को कार्यान्वित कर रहा है और इसके साथ ही इसने देश की जीडीपी में डेयरी क्षेत्र का योगदान बढ़ाने में मदद की है:
प्रमुख योजनाएं
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन: - इसका उद्देश्य स्वदेशी गोजातीय नस्लों का विकास एवं संरक्षण करना, गोजातीय आबादी का आनुवंशिक उन्नयन करना, और गोजातीय पशुओं का दूध उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना है।
- डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम: दूध और दूध उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाना और संगठित दूध खरीद की हिस्सेदारी बढ़ाना इसका उद्देश्य है।
- पशुपालन अवसंरचना विकास कोष: यह दूध प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन संबंधी अवसंरचना के निर्माण/आधुनिकीकरण, इत्यादि के लिए है।
- डेयरी सहकारी समितियों और डेयरी गतिविधियों में लगे किसान उत्पादक संगठनों को सहायता प्रदान करना: कार्यशील पूंजी ऋण पर ब्याज सब्सिडी के रूप में सहायता प्रदान करना।
इसके अलावा, सरकार ने पशुपालन और डेयरी किसानों की कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सुविधा भी प्रदान की है। (केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह द्वारा राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी गई जानकारी पर आधारित) (Source PIB)
नालंदा विश्वविद्यालय, बिहार Facts in Brief
जानें क्या होता है साइक्लोन Facts in Brief
Stamp Collection: देखें भाखड़ा नांगल डैम का दुर्लभ डाक टिकट-Facts in Brief
भाखड़ा बांध सतलुज नदी पर बना कंक्रीट का गुरुत्वाकर्षण बांध है और यह उत्तर भारत में पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सीमा के पास है। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में भाखड़ा गांव के पास एक घाटी में स्थित यह बांध, जो नांगल टाउनशिप से लगभग 13 किमी ऊपर की ओर है, 225.55 मीटर (740 फीट) ऊंचा एशिया का दूसरा सबसे ऊंचा बांध है, जो भारत में 261 मीटर ऊंचे टिहरी बांध के बाद है। इसका जलाशय, जिसे "गोबिंद सागर" के नाम से जाना जाता है, 9.34 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी संग्रहीत करता है।इस डैम का निर्माण भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पहल पर किया गया था और इसे 22 अक्टूबर 1963 को राष्ट्र को समर्पित किया गया।
भाखड़ा डैम के मुख्य बिंदु:
- स्थान: बिलासपुर जिला, हिमाचल प्रदेश
- नदी: सतलुज नदी
- ऊँचाई: 226 मीटर (741 फीट)
- लंबाई: 518.25 मीटर (1,700 फीट)
- जलाशय: इस बांध से बनने वाले जलाशय को 'गोबिंद सागर' कहा जाता है, जिसका नाम सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के नाम पर रखा गया है।
- जल संग्रहण क्षमता: 9.34 अरब घन मीटर (7.5 मिलियन एकड़-फीट)
- उद्देश्य: सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण और पीने के पानी की आपूर्ति।
- ऊर्जा उत्पादन: इस बांध में स्थित जल विद्युत संयंत्र से लगभग 1,325 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है।
नालंदा विश्वविद्यालय, बिहार: जिसकी विरासत आज भी विद्वानों और छात्रों को प्रेरित करती है-Five Facts
नालंदा विश्वविद्यालय वास्तव में एक अद्वितीय संस्थान था और इसका दुनिया में ज्ञान के विकास पर गहरा प्रभाव पड़ा। यह शिक्षा के महत्व और दुनिया को बदलने के लिए ज्ञान की शक्ति की याद दिलाता है।
- इसकी स्थापना 5वीं शताब्दी ई. में गुप्त साम्राज्य द्वारा की गई थी। यह दुनिया के पहले विश्वविद्यालयों में से एक था, और इसने पूरे एशिया से विद्वानों को आकर्षित किया।
- यह बौद्ध धर्म, दर्शन, गणित, खगोल विज्ञान और चिकित्सा के अध्ययन का केंद्र था।
- इसमें 9 मिलियन से अधिक पुस्तकों वाला एक बड़ा पुस्तकालय था।
- इसे 1193 ई. में बख्तियार खिलजी की आक्रमणकारी सेना ने नष्ट कर दिया था।
- इसे 21वीं सदी में एक आधुनिक विश्वविद्यालय के रूप में फिर से बनाया गया।
- नालंदा विश्वविद्यालय 700 से अधिक वर्षों तक दुनिया में शिक्षा के सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक था।
- यह एक ऐसा स्थान था जहाँ पूरे एशिया से विद्वान दर्शन, धर्म और विज्ञान के महान प्रश्नों का अध्ययन और बहस करने आते थे।
- नालंदा का विनाश दुनिया में ज्ञान के विकास के लिए एक बड़ा झटका था, लेकिन इसकी विरासत आज भी विद्वानों और छात्रों को प्रेरित करती है।
- विश्वविद्यालय को 8 कॉलेजों में विभाजित किया गया था, जिनमें से प्रत्येक एक अलग विषय में विशेषज्ञता रखता था।
- नालंदा के छात्रों को बौद्ध धर्म, दर्शन, गणित, खगोल विज्ञान और चिकित्सा सहित कई विषयों का अध्ययन करना पड़ता था। विश्वविद्यालय में 9 मिलियन से अधिक पुस्तकों वाला एक बड़ा पुस्तकालय था। नालंदा के शिक्षकों का बहुत सम्मान किया जाता था और वे पूरे एशिया से आते थे।
- विश्वविद्यालय संस्कृत से अन्य भाषाओं में ग्रंथों के अनुवाद का केंद्र था। नालंदा विश्वविद्यालय बौद्ध धर्म के प्रसार का एक प्रमुख केंद्र था।
मोदी 3.0: मिलिये उन पूर्व मुख्यमंत्रियों से जो अब टीम मोदी के हिस्सा हैं
उल्लेखनीय है कि आज से शुरू होने वाले मोदी 3.0 मंत्रिमंडल मे एनडीए के सहयोगी पार्टियों जिनमे शामिल हैं चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जेडीयू, चिराग पासवान की एलजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना, पवन कल्याण की अगुवाई वाली जन सेना और जयंत चौधरी की आरएलडी। इन दलों से भी आज की मंत्रियों ने शपथ लिया।
मिलिये उन
मुख्यमंत्रियों से जिन्होंने अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्री पद पूर्व मे सफलता
पूर्वक संभाला और अब से मोदी 3.0 मे मंत्री पद का शपथ लिए हैं।
राजनाथ सिंह: लखनऊ, उत्तर प्रदेश से भाजपा
सांसद के रूप मे चुनकर आए हैं। पिछली केन्द्रीय सरकार मे वे रक्षा मंत्री का पद
संभाल चुके हैं।
- राज्य-उत्तर प्रदेश
- मुख्यमंत्री काल- 2000 से 2002 तक
- क्रम 19वां
- पार्टी-भाजपा
- राज्य- मध्य प्रदेश
- मुख्यमंत्री काल- 2005 से 2018 तक और फिर 2020 से 2023
- पार्टी-भाजपा
मनोहर लाल खट्टर: करनाल, हरियाणा से भाजपा के रूप मे चुनकर आए हैं।
- राज्य- हरियाणा
- मुख्यमंत्री काल- 2014 से मार्च 2024 तक
- क्रम 10वां
- पार्टी-भाजपा
सर्बानंद सोनोवाल: डिब्रूगढ़, असम से भाजपा के सांसद के रूप मे चुनकर आए हैं।
- राज्य- असम
- मुख्यमंत्री काल- 2016 से 2021 तक
- क्रम 14 वां
- पार्टी- भाजपा
एचडी कुमारस्वामी: कर्नाटक
से मंड्या से जेडी(एस) के संसद के रूप मे चुनकर आए हैं।
- राज्य- कर्नाटक
- मुख्यमंत्री काल- 2006 से 2007 और 2018 से 2019 तक
- पार्टी- जेडी(एस
जीतन राम मांझी: वह बिहार के गया संसदीय क्षेत्र से हम पार्टी कि टिकट पर साँसद चुनकर आए हैं।
- राज्य- बिहार
- मुख्यमंत्री काल- 2014 से फरवरी 2015
- क्रम 23 वां
- पार्टी- भाजपा
Exit Poll 2024: एग्जिट पोल क्या है, कैसे सम्पन्न होते हैं और कितनी होती है इसकी सटीकता?
एग्जिट पोल एक काफी व्यापक प्रक्रिया होती है और इसके सटीकता के लिए काफी सफाई और प्रोफेशनल तरीके से इन्हे कन्डक्ट किया जाता है। इस पर विस्तृत जानकारी यहाँ दी गई है-
सर्वेक्षण की रूपरेखा:
यह एग्जिट पोल प्रक्रिया सबसे पहली चरण होती है जिसमें संबंधित एजेंसी एक प्रश्नावली बनाते हैं जिसमें मतदाता ने चुनाव में किसे चुना, उनकी जनसांख्यिकीय जानकारी जैसे आयु, लिंग, जाति, आदि क्या है और प्रमुख मुद्दों पर उनकी राय के बारे में प्रश्न शामिल होते हैं।
नमूनाकरण योजना:
इसके बाद यह सुनिश्चित किया जाता है कि सर्वेक्षण के परिणाम समग्र मतदान आबादी को दर्शाते हैं साथ ही मतदान केंद्रों का एक प्रतिनिधि नमूना के लिए चुना जाता है। इस नमूने को अक्सर विविध भौगोलिक क्षेत्रों और समुदायों के प्रकारों को शामिल करने के लिए वर्गीकृत किया जाता है।
मतदान केंद्रों का चयन:
मतदान केंद्रों का चयन भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि की सारे फैक्टर जैसे मतदान पैटर्न, जनसांख्यिकी और भूगोल आदि का अध्ययन करने के बाद इनका निर्धारण किया जाता है। इसका लक्ष्य शहरी, उपनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों के व्यापक और प्रतिनिधि मिश्रण को कवर करना है।
साक्षात्कारकर्ताओं को प्रशिक्षित करना:
साक्षात्कारकर्ताओं का प्रोफेशनल और विद्वान होना जरूरी है क्योंकि उन्हे मतदाताओं से लगातार और गैर-हस्तक्षेपपूर्ण तरीके से संपर्क कर प्रश्न कर उनकी सटीकता के साथ उनका विचार जानना जरूरी होता है। इसके लिए प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित किया जाता है, ताकि उच्च प्रतिक्रिया दर और सटीक डेटा संग्रह सुनिश्चित किया जा सके। उन्हें पूर्वाग्रह से बचने के लिए सर्वेक्षण के लिए यादृच्छिक रूप से मतदाताओं का चयन करने के तरीके के बारे में निर्देश दिया जाता है।
सर्वेक्षण का संचालन करना:
चुनाव के दिन, साक्षात्कारकर्ता खुद को चयनित मतदान केंद्रों के बाहर रखते हैं और मतदाताओं के बाहर निकलते ही यादृच्छिक रूप से उनसे संपर्क करते हैं। वे आमतौर पर एक व्यवस्थित यादृच्छिक नमूनाकरण पद्धति का उपयोग करते हैं, जैसे कि हर मतदाता से संपर्क करना।
मतदाताओं को सर्वेक्षण को गुमनाम रूप से पूरा करने के लिए कहा जाता है, जो सेटअप के आधार पर कागज पर या इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जा सकता है।
डेटा एकत्र करना और उसका विश्लेषण करना:
फिर एकत्रित किए गए आंकड़ों को जमा कर उनका अध्ययन भी काफी जरूरी चरण होता है। पूरे किए गए सर्वेक्षणों को एकत्र किया जाता है और डेटा प्रविष्टि और विश्लेषण के लिए एक केंद्रीय स्थान पर भेजा जाता है। इस प्रक्रिया में कागजी सर्वेक्षणों के लिए मैन्युअल प्रविष्टि या डिजिटल सर्वेक्षणों के लिए सीधे इलेक्ट्रॉनिक प्रसारण शामिल हो सकते हैं।
मतदाता डेटा को तौलने के लिए सांख्यिकीय विधियों का उपयोग करते हैं, किसी भी नमूना पूर्वाग्रह को ठीक करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि नमूना व्यापक मतदान आबादी को सटीक रूप से दर्शाता है।
मतदान के लिए समायोजन:
मतदाता वास्तविक मतदाता मतदान के आधार पर अपने मॉडल को समायोजित करते हैं, जो प्रारंभिक नमूने की प्रतिनिधित्व क्षमता को प्रभावित कर सकता है। इसमें जनसांख्यिकीय समूह द्वारा ज्ञात मतदान पैटर्न के साथ संरेखित करने के लिए सर्वेक्षण डेटा को फिर से भारित करना शामिल हो सकता है।
परिणाम जारी करना:
एग्जिट पोल के प्रारंभिक परिणाम अक्सर मतदान बंद होने के तुरंत बाद उपलब्ध होते हैं, लेकिन चुनाव परिणाम को प्रभावित करने से बचने के लिए आमतौर पर सभी मतदान केंद्रों के बंद होने तक उन्हें प्रतिबंधित कर दिया जाता है।
अंतिम परिणाम और विस्तृत विश्लेषण बाद में जारी किए जाते हैं, जो मतदान पैटर्न, जनसांख्यिकीय रुझान और मतदाता प्रेरणाओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।
एग्जिट पोल चुनावों को समझने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण हो सकते हैं, लेकिन वे अचूक नहीं हैं। वे गैर-प्रतिक्रिया पूर्वाग्रह, गलत नमूनाकरण और उत्तरदाताओं की अपनी वास्तविक मतदान पसंद का खुलासा करने की अनिच्छा जैसे कारकों से प्रभावित हो सकते हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, जब सख्ती से आयोजित किया जाता है, तो एग्जिट पोल चुनावी परिणामों और मतदाता व्यवहार के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं।