Makar Sankranti 2025: जानें कैसे करें पवित्र स्नान और क्या है मंत्र और महत्व


हिन्दू पंचांग और धर्म के अनुसार ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जो हिन्दू धर्म में अत्यधिक शुभ माना जाता है। पवित्र स्नान से न केवल शरीर शुद्ध होता है बल्कि  यह मन, आत्मा और विचारों की शुद्धि का भी प्रतीक है। इस प्रक्रिया में सच्ची भक्ति और पवित्रता का होना सबसे जरूरी है।

इस दिन स्नान करने से व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक शुद्धता प्राप्त होती है, जिससे आत्मा को शांति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। स्नान के लिए यदि संभव हो, तो पवित्र नदियों (जैसे गंगा, यमुना) या तीर्थस्थानों में स्नान करें हालांकि अगर व्यस्तताओं के कारण वहाँ जाना संभव नहीं हो तो आप अपने घर में स्नान करते समय गंगा जल मिलाकर स्नान करें।

स्नान से पहले की तैयारी

स्नान से पहले मन को शांत करें और सकारात्मक विचार रखना अत्यंत जरूरी होता है क्योंकि स्नान सिर्फ तन से हीं नहीं बल्कि यह मन, आत्मा और विचारों की शुद्धि का भी प्रतीक है। इस प्रक्रिया में सच्ची भक्ति और पवित्रता का होना सबसे जरूरी है। 

हमारे धर्म ग्रंथों मे नदियों की पवित्रता को विशेष रूप से उल्लेख किया गया है जिन्हे माँ के रूप मे पुकारा जाता है। यदि संभव हो, तो पवित्र नदियों (जैसे गंगा, यमुना) या अन्य  तीर्थस्थानों में स्नान करें। हालांकि व्यस्तताओं के कारण अगर आप पवित्र नदी मे नहीं जा सकते तो अपने घर में स्नान करते समय गंगा जल मिलाकर स्नान करें। स्नान आरंभ करने से पहले यह मान्यता है कि जल को हाथ में लेकर भगवान का ध्यान करते हुए आचमन करें।

 स्नान का विधि-विधान

स्नान करने के लिए ऐसी मान्यता हा कि पहले जल को पवित्र करें और फिर शुद्ध मन से हाथ मे जल को हाथ में लेकर संकल्प करें-

"मैं इस स्नान के द्वारा अपने पापों और दोषों को दूर कर, शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्राप्त करना चाहता/चाहती हूं।"

इसके साथ ही इस अवसर पर भगवान सूर्य, विष्णु या शिव का ध्यान करें और उनसे अपने  शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए प्रार्थना करें। 

मंत्रोच्चार करें: स्नान करते समय निम्न मंत्रों का जाप कर सकते हैं:

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति।

नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।

ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।

य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्याभंतर: शुचि:।।

स्नान के बाद के नियम

स्नान के बाद हमेशा शुद्ध और स्वच्छ वस्त्र पहनें क्योंकि स्नान के बाद पूजा और भगवान को ध्यान करने कि प्रक्रिया पूरी करना जरूरी होता है। भगवान को ध्यान और प्रार्थना करें तथा इस अवसर पर आप दान दें। मकर संक्रांति जैसे पावन अवसर पर तिल, गुड़, अन्न, वस्त्र, या धन का दान करें। भोजन में सात्विकता जरूरी है और स्नान के बाद केवल सात्विक भोजन ग्रहण करें। की स्थानों पर लोग दही चूड़ा, तिल और अन्य चीजों से बनी लाई खाते हैं। 

मकर संक्रांति में हमें क्या नहीं करना चाहिए?

जैसा कि पहले ही कहा जा गया है कि मकर संक्रांति का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है क्योंकिइस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जो हिन्दू धर्म में अत्यधिक शुभ माना जाता है। पर कोई भी 'तामसिक' खाद्य पदार्थ न खाएं और न ही घर लाएं । आपको सभी का सम्मान करना चाहिए और इस दिन किसी का अपमान नहीं करना चाहिए न हीं किसी का दिल दुखाना चाहिए। अगर संभव हो तो गरीब या भूखे लोगों को अन्न और वस्त्र दान करनी चाहिए। खुद को कारात्मक विचारों और नकारात्मक वातावरण से दूर रखनी चाहिए साथ ही नकारात्मक  ऊर्जा वाले स्थानों और लोगों से हमें दूर रखनी चाहिए। 

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में बताए गए सुझाव/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको इस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है और इन्हें पेशेवर सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए/पालन नहीं किया जाना चाहिए। हम अनुशंसा करते हैं और आपसे अनुरोध करते हैं कि यदि आपके पास विषय से संबंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं, तो हमेशा अपने पेशेवर सेवा प्रदाता से परामर्श करें।


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