चंद्रयान: वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय लैंडिंग का है लक्ष्य-Facts in Brief


इसरो ने तीन चंद्रयान मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है और चंद्रयान-3 मिशन के परिणामस्वरूप चंद्रमा पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग सफल रही। वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय लैंडिंग के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में क्षमता निर्माण हेतु चंद्रयान मिशनों की एक श्रृंखला की योजना बनाई गई है। 

इस दिशा में भारत सरकार ने चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी है, जिसमें नमूना संग्रह की प्रौद्योगिकियों सहित चंद्रमा पर उतरने और पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी की क्षमता का प्रदर्शन किया जाएगा। चंद्रयान-5/लुपेक्स मिशन की योजना उच्च क्षमता वाले लैंडर को प्रदर्शित करने के लिए बनाई जा रही है, जो मानव लैंडिंग सहित भविष्य के लैंडिंग मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है।

मानकीकरण, स्वदेशीकरण, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के उपयोग और बहुविध कार्यात्मकताओं के एकीकरण के माध्यम से मिशनों की लागत प्रभावशीलता के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।

भारत सरकार ने जून, 2020 को अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों की घोषणा की है, जिससे प्राइवेट प्लेयर्स को भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण स्तर तक बढ़ाने के लिए एंड-टू-एंड सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाया जा सके। भारतीय अंतरिक्ष नीति-2023 को अंतरिक्ष सुधार दृष्टिकोण को लागू करने के लिए एक व्यापक, समग्र और गतिशील ढांचे के रूप में अप्रैल 2023 में जारी किया गया था। 

यह अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था की मूल्य श्रृंखला में गैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीई) की अधिक भागीदारी को बढ़ावा देने में मदद करता है ताकि वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की बड़ी हिस्सेदारी के लिए मजबूत, नवीन और प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष इकोसिस्टम विकसित किया जा सके। 

वर्ष 2021 से अब तक 15 अंतरिक्ष यान मिशन (2 संचार, 9 पृथ्वी अवलोकन, 1 नेविगेशन और 3 अंतरिक्ष विज्ञान), 17 प्रक्षेपण यान मिशन (8 पीएसएलवी, 3 जीएसएलवी, 3 एलवीएम3 और 3 एसएसएलवी) और 5 प्रौद्योगिकी प्रदर्शक सफलतापूर्वक पूरे किए जा चुके हैं। 

इसरो द्वारा अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए गए उल्लेखनीय उपग्रहों में आर्यभट्ट, एस्ट्रोसैट, मंगलयान, चंद्रयान श्रृंखला, एक्सपोसैट, आदित्य-एल1 जैसे अंतरिक्ष विज्ञान मिशन शामिल हैं।

 इसरो ने स्वदेशी उपग्रह आधारित नेविगेशन प्रणाली, आईआरएनएसएस/नाविक श्रृंखला के उपग्रहों को भी सफलतापूर्वक तैनात किया है। इसके अलावा रिसोर्ससैट श्रृंखला और कार्टोसैट श्रृंखला जैसे विभिन्न पृथ्वी अवलोकन उपग्रह भी लॉन्च किए गए। 

संचार उपग्रह खंड में उल्लेखनीय प्रक्षेपणों में इनसैट और जीसैट श्रृंखला जैसे इनसैट-4सी, जीसैट-7ए, जीसैट-11, जीसैट-29, जीसैट-9 आदि शामिल हैं।

2021 से अब तक इसरो की महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ

  • PSLV-C52 ने फरवरी-2022 में EOS-04 उपग्रह (RISAT-1A) के साथ-साथ दो छोटे उपग्रहों - भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (IIST) का एक छात्र उपग्रह (INSPIREsat-1) और इसरो का एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक उपग्रह (INS-2TD) सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जो भारत-भूटान संयुक्त उपग्रह (INS-2B) का अग्रदूत है।
  • जुलाई-2022 में ‘सुरक्षित एवं सतत संचालन प्रबंधन के लिए इसरो प्रणाली (IS4OM) राष्ट्र को समर्पित की गई।
  •  LVM3 M2/OneWeb India-1 और LVM3 M3/OneWeb India-2 मिशन क्रमशः अक्टूबर 2022 और मार्च 2023 में सफलतापूर्वक पूरे किए गए, जो आत्मनिर्भरता का उदाहरण है और वैश्विक वाणिज्यिक लॉन्च सेवा बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त को बढ़ाता है।  PSLV-C54 ने नवंबर 2022 में भारत भूटान सैट (INS-2B) सहित आठ नैनो-उपग्रहों के साथ EOS-06 उपग्रह (ओशनसैट-3) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।
  •  SSLV-D2 का पहला सफल मिशन फरवरी 2023 में तीन उपग्रहों को कीमती कक्षा में स्थापित करके पूरा किया गया।
  •  2023-24 के दौरान कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (ATR) में तीन बार पुन: प्रयोज्य लॉन्च व्हीकल ऑटोनॉमस लैंडिंग एक्सपेरीमेंट (RLV-LEX) सफलतापूर्वक आयोजित किए गए।
  • मई 2023 में GSLV-F12/NVS-01 मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया गया। GSLV ने NVS-01 नेविगेशन उपग्रह को तैनात किया, जो दूसरी पीढ़ी के नेविगेशन उपग्रहों में से पहला है।
  •  चंद्रयान-3: LVM3-M4 ने 14 जुलाई, 2023 को चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। 23 अगस्त, 2023 को ‘शिव शक्ति’ बिंदु (स्टेशन शिव शक्ति) पर विक्रम लैंडर की सुरक्षित और सॉफ्ट-लैंडिंग और चंद्र सतह पर प्रज्ञान रोवर की तैनाती सफलतापूर्वक पूरी की गई।  सितंबर-2023 में PSLV-C57 का उपयोग करके आदित्य-L1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। 6 जनवरी, 2024 को सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु (L1) यानी हेलोऑर्बिट इंसर्शन (HOI) पर अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक स्थापित किया गया।  PSLV-C58/XPOSAT मिशन जनवरी-2024 में सफलतापूर्वक पूरा किया गया।  GSLV F14/INSAT-3DS मिशन (पूरी तरह से MoES द्वारा वित्तपोषित) फरवरी 2024 में सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
  •  एयर ब्रीदिंग प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी के प्रदर्शन के लिए ATV-D03/DFS की दूसरी प्रायोगिक उड़ान जुलाई 2024 में सफलतापूर्वक पूरी की गई।
  • SSLV की तीसरी विकासात्मक उड़ान सफल रही। SSLV-D3 ने EOS-08 को अगस्त 2024 में कक्षा में स्थापित किया।
  • GSAT-N2 को नवंबर 2024 में सफलतापूर्वक पूरा किया गया।

(Source PIB)

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