बच्चों को "चाहत" और "ज़रूरत" सिखाने का उद्देश्य यह है कि वे निर्णय लेने में सक्षम हों और जीवन के लिए प्राथमिकताएं तय कर सकें। इसे जितना मज़ेदार और इंटरैक्टिव बनाएंगे, उतना ही बेहतर सीखेंगे
याद रखें, यही वो बुनियाद है जिस पर हम अपने बच्चों का भविष्य के महल खड़ा करते हैं। बच्चों को "चाहतें (Wants) और ज़रूरतें (Needs)" के बीच के अंतर को सीखने के लिए आप नीचे दिए गए मज़ेदार और इंटरैक्टिव तरीकों कि हेल्प ले सकते हैं जो न केवल प्रभावी है बल्कि यह आसान भी है-
1. ज़रूरतों और चाहतों के बीच के अंतर को बताएं
ज़रूरतें: बच्चों को समझाएँ कि ज़रूरतें ऐसी चीज़ें हैं जिनकी हमें जीवित रहने और काम करने के लिए बिल्कुल ज़रूरत होती है, जैसे कि खाना, पानी, आश्रय, कपड़े और नींद। वहीं उन्हे समझाएं कि चाहते हमेशा जरूरत नहीं होती बल्कि वे हमारी इच्छा पर निर्भर करती है और हमारे जीवन के लिए वे जरूरी नहीं है जितनी नीड्स होती है। जैसे खिलौने, वीडियो गेम, कैंडी या नवीनतम गैजेट के बगैर जीवन तो सकता है लेकिन कहना और पानी के बिना जीवन काटना काफी मुश्किल होगा ।
2. वास्तविकता मे जीने का मतलब समझाएं :
हमेशा बच्चों को अपने यथार्थ और वास्तविकता मे जीना सिखाएं ताकि वे खयाली और यथार्थ कि जीवन मे फर्क को समझ सकह। । बच्चे को किराने की खरीदारी पर ले जाएँ और उन चीज़ों पर चर्चा करें जिन्हें आप खरीद रहे हैं। उन्हें ज़रूरतों (दूध, ब्रेड, सब्ज़ियाँ) या चाहतों (कुकीज़, कैंडी, सोडा) के रूप में सामग्री को बताएं कि क्या उनमें नीड्स है और क्या wants है। मनोरंजन कि चीजें और जरूरी चीजों के फर्क को समझना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि विलासिता और जरूरी चीजों के फर्क पर एक पैरेंट्स खूबसूरती और प्रभावी ढंग से समझा सकता है।
3. इच्छाओं और ज़रूरतों का चार्ट बनाएँ:
अगर आप बच्चों कि जरूरत और इच्छाओं वाली चीजों को एक चार्ट बनाकर बच्चों को समझाएंगे तो वे अछे से समझ सकेंगे। याद रखें चार्ट के माध्यम से उन्हे दोनों वस्तुओं के बीच के फर्क को समझने मे हेल्प मिलेगी। एक बोर्ड पर या फ्लैशकार्ड पर चीजें लिखें, जैसे "चॉकलेट", "किताबें", "स्कूल बैग", "टीवी", "फल"। बच्चों से पूछें कि इनमें से कौन सी ज़रूरत है और कौन सी चाहत।
आप उनसे पूछे कि अगर उसे जोरों कि भूख लगी है तो फिर उसे क्या चाहिए-चॉकलेट या खाना?" "स्कूल जाने के लिए बैग चाहिए, लेकिन डिज़ाइनर बैग ज़रूरत है या चाहत?"
4 . बजट निर्धारित करें:
कभी भी अपने बच्चों के सामने यह प्रकट नहीं करें कि उनके लिए पैसे का कोई अभाव नहीं है और उसके लिए सबकुछ खरीद सकते हैं। आप अगर इस लायक हैं कि आपके पास पैसे का अभाव नहीं है तो यह और भी अच्छा है लेकिन बच्चों को चाहते और जरूरतों मे अंतर को समझाना कभी भी अभाव मे जीना सिखाना नहीं होता है। हमेशा से एक बजट बनाकर बच्चों को दें और कहें कि वो कैसे अपने जरूरी और चाहत वाली चीजों को उस बजट के भीतर चुनाव करता है। इससे उन्हें पैसे के मूल्य और बजट बनाने के महत्व को समझने में मदद मिलेगी।
5. सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें:
बच्चों को अपने बच्चे को इच्छाओं और ज़रूरतों के बारे में सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें लेकिन इसका ध्यान रखें कि आपका जवाब हमेशा हीं प्रैक्टिकल एप्लिकेशन पर आधारित हो। आप उनके इच्छाओं और ज़रूरतों के बारे में पूछें गए सवालों का जवाब ईमानदारी और धैर्य से दें ताकि उनपर इसका व्यापक असर पद सके। इसके साथ ही बच्चों को जरूरत और चाहतों के अतिरिक्त नैतिक शिक्षा कि भी जानकारी दें तथा यह भी सिखाएं कि हर किसी के पास अपनी ज़रूरतें पूरी करने के साधन नहीं होते। उन्हें दयालु बनाएं ताकि वे दूसरों की मदद के लिए प्रेरित हों।
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