हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस, दुनिया भर में बालिकाओं को सशक्त बनाने और उनके लिए समाज में सुरक्षित माहौल बनाने की ज़रूरत को पुरजोर तरीके से याद दिलाता है। यह दिन बालिकाओं के अधिकारों और वैश्विक स्तर पर उनसे जुड़ी चुनौतियों के प्रति जागरूक करने के लिए समर्पित है। अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस बालिकाओं को सशक्त बनाने और उनके मानवाधिकारों को सुरक्षित करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
- 2024 का थीम -भविष्य के लिए लड़कियों का दृष्टि कोण
- बीजिंग में 1995 में महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर आयोजित पर विश्व सम्मेलन, दुनिया भर में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 दिसंबर, 2011 को संकल्प संख्या 66/170 को पारित किया और 11 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की गई।
- गर्ल्स विजन फॉर द फ्यूचर: थीम 2024
भारत सरकार ने समाज में बालिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से कई योजनाएं शुरू की हैं-
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना
- सुकन्या समृद्धि योजना
- किशोरियों के लिए योजना (एसएजी)
- मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता
- अभिनव परियोजना ‘उड़ान’
- बालिकाओं को प्रोत्साहन देने की राष्ट्रीय योजना (एनएसआईजीएसई)
Facts in Brief
- आज, 20 से 24 वर्ष की आयु की पाँच में से एक युवती बचपन में ही विवाहित हो गई थी।
- लगभग चार में से एक विवाहित किशोरियों ने यौन या शारीरिक शोषण का अनुभव का सामना करना पड़ा है।
- विश्व स्तर पर, किशोरों में 75% नए एचआईवी संक्रमण लड़कियों में होते हैं।
- तीन में से एक किशोर लड़की एनीमिया से पीड़ित है, जो कुपोषण का एक रूप है।
- लड़कों की तुलना में लगभग दोगुनी संख्या में किशोर लड़कियाँ (चार में से एक) किसी भी तरह की शिक्षा, रोजगार या प्रशिक्षण में नहीं हैं।
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