डेयरी क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’: Facts in Brief


भारत दूध उत्पादन में प्रथम स्थान पर है जो वैश्विक दूध उत्पादन में 25 प्रतिशत का व्‍यापक योगदान देता है। पिछले 9 वर्षों से दूध उत्पादन लगभग 6% की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है, प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 459 ग्राम प्रतिदिन है और यह घरेलू मांग को पूरा करने में आत्मनिर्भर है।

सरकार ने इस दिशा में विभिन्न कदम उठाए हैं जिनमें से एक अहम कदम है पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (एएचआईडीएफ) - यह पशुपालन और डेयरी विभाग की प्रमुख योजनाओं में से एक है जिसका शुभारंभ 24.06.2020 को प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान प्रोत्साहन पैकेज’ के तहत किया गया था और इसे डेयरी प्रसंस्करण अवसंरचना विकास कोष (डीआईडीएफ) के विलय के साथ नए सिरे से व्‍यवस्थित किया गया है और इसे 29110.25 करोड़ रुपये के फंड आकार के साथ अगले तीन वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है।

पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) देश के डेयरी उद्योग की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए निम्नलिखित योजनाओं को कार्यान्वित कर रहा है और इसके साथ ही इसने देश की जीडीपी में डेयरी क्षेत्र का योगदान बढ़ाने में मदद की है:

प्रमुख योजनाएं 

  • राष्ट्रीय गोकुल मिशन: - इसका उद्देश्य स्‍वदेशी गोजातीय नस्लों का विकास एवं संरक्षण करना, गोजातीय आबादी का आनुवंशिक उन्नयन करना, और गोजातीय पशुओं का दूध उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना है।
  • डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम: दूध और दूध उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाना  और संगठित दूध खरीद की हिस्सेदारी बढ़ाना इसका उद्देश्य है।  
  • पशुपालन अवसंरचना विकास कोष: यह दूध प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन संबंधी अवसंरचना के निर्माण/आधुनिकीकरण, इत्‍यादि के लिए है।
  • डेयरी सहकारी समितियों और डेयरी गतिविधियों में लगे किसान उत्पादक संगठनों को सहायता प्रदान करना: कार्यशील पूंजी ऋण पर ब्याज सब्सिडी के रूप में सहायता प्रदान करना।

इसके अलावा, सरकार ने पशुपालन और डेयरी किसानों की कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए उन्‍हें किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सुविधा भी प्रदान की है। (केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​ललन सिंह द्वारा राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी गई जानकारी पर आधारित) (Source PIB)

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