Point Of View: अरविंद केजरीवाल तब अक्सर कहा करते थे कि वे भारत कि राजनीति मे कुछ नया करने आए हैं। और इसमे संदेह भी नहीं है कि उन्होंने भारतीय राजनीति मे एक नए प्रयोग का जन्म दिया। यह केजरीवाल के सोच और स्ट्रैटिजी का हीं नतीजा था जिसके कारण यह संभव हुआ कि भारतीय राजनीति मे जहां कितनी क्षेत्रीय पार्टियां सिर्फ एक राज्य मे शासन करते हुए रह गई, केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी को दिल्ली से बाहर पंजाब मे शासन मे लाए और राष्ट्रीय दल का तमगा भी हासिल करवाने मे सफलता पाई।
दल के जरूरत और भविष्य को लेकर अरविन्द केजरीवाल ने तब कहा था कि आम आदमी पार्टी (आप) भ्रष्टाचार से ग्रस्त भारतीय राजनीति के खिलाफ 'हमारे' संघर्ष का परिणाम है और इसे उन्होंने साबित भी किया।
जैसा कि हम सभी जानते हैं, नवंबर 2012 में, अरविंद केजरीवाल,जो सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के साथ भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान सुर्खियों में रहे थे - ने एक राजनीतिक पार्टी शुरू करने का फैसला किया और आज वही आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल कर चुकी है और विपक्षी गठबंधन का एक प्रमुख घटक है।
हालांकि पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी दिल्ली की उत्पाद शुल्क नीति में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है. उल्लेखनीय है कि केजरीवाल से पहले पार्टी के दो वरिष्ठ नेता मनीष सिसौदिया और संजय सिंह को भी इसी मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है
हालांकि आम आदमी पार्टी के नेताओं ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राजनीतिक साजिश करार दिया है। गिरफ़्तारी के बाद विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के नेताओं जैसे राहुल गांधी, अखिलेश सिंह सहित अन्य नेताओं ने केजरीवाल कि गिरफ़्तारी का विरोध करते हैं इसे सत्तारूढ़ भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है।
केजरीवाल की गिरफ्तारी का समय महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लोकसभा चुनाव 2024 से कुछ हफ्ते पहले हो रहा है। य हालांकि इतना तो तय है कि अरविन्द केजरीवाल कि गिरफ़्तारी आगामी लोक सभा चुनाव मे एक प्रमुख फैक्टर बन सकता है।
सबसे ज्यादा यह आम आदमी पार्टी के लिए काफी यहां है क्योंकि केजरीवाल के नहीं होने से पार्टी के लोक सभा चुनाव मे उसके प्रदर्शन पर बुरा असर पड़ेगा। जाहीर है कि I.N.D.I.A. गठबंधन को भी इसका खामियाजा भुगतना पद सकता हैं क्योंकि केजरीवाल इस गठबंधन के सबसे प्रभावशाली चेहरों मे से एक हैं।
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