Chhath Puja 2023: जाने आस्था के महापर्व की विशेषता-सादगी, पवित्रता और अनुशासन


Chhath Puja nahay khay kharna and main stages how to perform

Chhath Puja 2023: छठ पूजा, सूर्योपासना का एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है।  यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि को मनाया जाता है.इस दिन सूर्य देव का पूजन किया जाता है. छठ साल में दो बार मनाया जाता है. चैती छठ - यह विक्रम संवत के चैत्र माह में मनाया जाता है। कार्तिक छठ - यह विक्रम संवत के कार्तिक माह में बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।नियमतः यह व्रत चार दिन तक चलने वाला यह त्योहार है इस व्रत को महिलाये तथा पुरुष सभी मिलजुलकर करते है.

 छठ पूजा एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है। यह त्योहार सूर्य भगवान की पूजा के लिए मनाया जाता है। छठ पूजा के विभिन्न चरण व्रतियों के लिए एक चुनौती होते हैं, लेकिन यह चुनौती व्रतियों को आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाती है। 

छठ पूजा के विभिन्न चरणों की व्याख्या इस प्रकार है:

  • नहाय खाय: 
  • खरना: 
  • संध्या अर्घ्य: 
  • उषा अर्घ्य: 

नहाय खाय

छठ पूजा का पहला चरण नहाय खाय है। यह चरण कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को होता है। इस चरण में व्रती अपने शरीर को शुद्ध करते हैं और उपवास शुरू करते हैं। इस दिन व्रती स्नान करके साफ कपड़े पहनते हैं और फलाहार करते हैं। इस दिन से व्रतियों को 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है।

खरना

छठ पूजा का दूसरा चरण खरना है। यह चरण कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होता है। इस चरण में व्रती खरना का भोजन करते हैं, जो एक पौष्टिक भोजन है। यह भोजन व्रतियों को उपवास के दौरान ऊर्जा प्रदान करता है। इस दिन व्रती सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और खिचड़ी और गुड़ खाकर उपवास शुरू करते हैं। खरना के भोजन में खिचड़ी, गुड़, अरवा चावल, चना, मटर, मूंग, तिल, घी, आदि शामिल होते हैं। खरना के बाद व्रती शाम तक उपवास रखते हैं।

संध्या अर्घ्य

छठ पूजा का तीसरा चरण संध्या अर्घ्य है। यह चरण कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को होता है। इस चरण में व्रती सूर्य भगवान को अर्घ्य देते हैं। यह अर्घ्य सूर्य भगवान को धन्यवाद देने के लिए दिया जाता है। इस दिन व्रती सूर्य भगवान को अर्घ्य देते हैं। अर्घ्य देने के लिए व्रती घर के पास नदी, तालाब या पोखर के किनारे जाते हैं। अर्घ्य में चावल, गुड़, दूध, फल, आदि शामिल होते हैं।

उषा अर्घ्य

छठ पूजा का चौथा चरण उषा अर्घ्य है। यह चरण कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। र्घ्य: इस चरण में व्रती सूर्य भगवान को अर्घ्य देते हैं। यह अर्घ्य सूर्य भगवान को प्रणाम करने के लिए दिया जाता है।इस दिन व्रती सूर्य भगवान को अर्घ्य देते हैं। उषा अर्घ्य देने के लिए व्रती सूर्योदय से पहले घर के पास नदी, तालाब या पोखर के किनारे जाते हैं। उषा अर्घ्य देने के बाद व्रती अपना उपवास तोड़ते हैं।





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