भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली की शक्ति हमारी संसद में प्रकट होती है, जिसने औपनिवेशिक शासन से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को झेला और कई ऐतिहासिक पड़ाव देखे हैं। मौजूदा भवन ने स्वतंत्र भारत की पहली संसद के रूप में कार्य किया है और भारत के संविधान को अपनाया है।
इस प्रकार, संसद भवन की समृद्ध विरासत का संरक्षण और नवीकरण किया जाना राष्ट्रीय महत्व का विषय है। भारत की लोकतांत्रिक भावना का प्रतीक, संसद भवन सेंट्रल विस्टा के केंद्र में अवस्थित है।
ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन की गई भारत का वर्तमान संसद भवन एक औपनिवेशिक युग की इमारत है, जिसके निर्माण में छह वर्ष (1921-1927) लगे।
मूल रूप से “हाउस ऑफ़ पार्लियामेंट” कहे जाने वाले इस इमारत में ब्रिटिश सरकार की विधान परिषद कार्यरत थी। अधिक स्थान की मांग को पूरा करने के लिए वर्ष 1956 में संसद भवन में दो और मंजिलें जोड़ी गईं।
भारत की समृद्ध लोकतांत्रिक विरासत के 2,500 वर्षों को प्रदर्शित करने के लिए संसद संग्रहालय को वर्ष 2006 में जोड़ा गया। आधुनिक संसद के उद्देश्य के अनुरूप इस इमारत को बड़े पैमाने पर संशोधित किया जाना था।
(सोर्स मिनिस्ट्री ऑफ़ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स, भारत सरकार Official Website)
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