Point Of View: भय, क्रोध, गुस्सा, भावनात्मक स्थिति, दुःख या विरह की घड़ी, ख़ुशी के क्षण आदि जीवन के कुछ ऐसे पल होते हैं जो हमारे रोज के जीवन का अभिन्न अंग है. हमारा जीवन इन्ही मनोभाओं और इस प्रकार के अनगिनत रंगों से परिपूर्ण होता है इसमें किसी को संदेह नहीं होनी चाहिए क्योंकि जीवन की परिपूर्णता के लिए यही तो उसके रूप रंग होते हैं जो अलग-अलग रूपों में हमारे सामने आते हैं.
कहने की जरुरत नहीं है दोस्तों कि भले ही भय, क्रोध, गुस्सा, भावनात्मक स्थिति, दुःख या विरह की घड़ी, ख़ुशी के क्षण आदि स्थितियां हमारे जीवन का हिस्सा है और हमें इनसे दो-चार होना है पड़ता है अपने रोज के जीवन में लेकिन क्या इन परिस्थितयों के रुबरु होते हुए क्या जीवन से जुडी महत्वपूर्ण निर्णय लेना न्यायोचित कही जा सकती है.
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क्रोध की स्थिति में संयम रखें
अगर आप जीवन में किसी कारण से काफी क्रोध और गुस्सा की स्थिति में है तो ऐसे स्थिति में भला आपका विवेक आपके पास कहाँ रहता है. अगर आपके विवेक आपके साथ होगा तो कदाचित आप गुस्सा हीं करेंगे और शांति और संयम से मामले को देखकर उसे हल करने का प्रयास करेंगे। लेकिन अगर आप गुस्से में लाल-पीले हो रहें हैं तो आपके लिए यह जरुरी है कि आप संयम का परिचय दें और तत्काल उसे परिस्थिति को वेट एंड वाच की तर्ज पर गुजरने का इंतजार करें.
विश्वास करें, क्रोध और गुस्से की स्थिति में लिया गया निर्णय कभी भी आपके लिए उचित नहीं होती और यह आपके लिए हमेशा प्रतिकूल परिस्थिति का निर्माण करेगी और आपको परेशानी में दाल सकती है.
सुख और दुःख के दिन
कहते हैं न, " सुख के दिन कब बीत जाते हैं पता नहीं चलता ये तो दुःख और विरह के दिन होते हैं जो काटे नहीं कटती.... " हाँ ये सच है कि जीवन में दुःख और सुख का आना-जाना लगा रहता है लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या घोर विपन्नता और दुःख की स्थिति में हमें जीवन से जुडी महत्वपूर्ण निर्णय लेनी चाहिए?
मुंशी प्रेमचद की उस कथन को याद रखें-" गले पर पड़े पैर को सहलाना श्रेयस्कर होता है... " जाहिर है, अगर किसी के पैरों के नीचे आपका गला दबा हो तो फिर आपके लिए चुप रहने और उस संकट की स्थिति से बाहर आने के लिए शांति और समझदारी का रास्ता ही चुनना बेहतर होगी.
भावना और सहानुभूति में वादा नहीं करें
जीवन में भावनात्मक लगाव और सहानुभूति के शब्दों से हमें आमना-सामना होना पड़ता है और जाहिर है कि क्षणिक आवेंग में आकर हमें जल्दबाजी में कोई वादा नहीं करनी चाहिए। खासकर अगर पुरुष या महिला हों लेकिन युवावस्था के दौर में हैं तो आपको विशेष रूप से सावधान रहने की जरुरत है.
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