ठुमरी उत्सव साहित्य कला परिषद की ओर से आयोजित किये जाने वाले उत्सवो में से एक है। इस साल यह उत्सव काफी लंबे समय के बाद शुरू हुआ है। इस 3 दिवसीय संगीत कार्यक्रम की शुक्रवार को कमानी सभागार, मंडी हाउस में हुई, जो 28 अगस्त तक चलेगा।
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की मधुर यात्रा को दर्शकों के समक्ष रखने वाले वाले इस संगीत समारोह के पहले दिन कई बेहतरीन कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी। पहली प्रस्तुति बहुमुखी गायक पं. भोलानाथ मिश्रा की थी, जिन्होंने नृत्य भाव बंदिश ठुमरी को 'हाठो जाओ जाओ हाठो, मानो मोरी बात सैंया' गीत के साथ प्रस्तुत किया। उनकी अगली प्रस्तुति जाट ताल में एक विलाम्बित ठुमरी और राग तिलक कमोद 'अरे बेदर्दी सैयां, कहे जाने दिल की बात' थी और उसके बाद 'लडाई गई रे पिया रे मोसे नैना' पर खमाज दादरा था।
दिन का दूसरा प्रदर्शन मधुमिता रे का था, जो अपनी प्रस्तुति में ग्वालियर-रामपुर के प्रारूप का अनुसरण करती हैं। कार्यक्रम के दौरान मधुमिता ने राग मिश्र माज खमाज में ठुमरी, दादर में राग पीलू गाना, झूला और काजरी प्रस्तुत की। कार्यक्रम का पहला दिन इंद्राणी मुखर्जी के प्रदर्शन के साथ समाप्त हुआ, जो 2017 के संस्करण का हिस्सा बनने के बाद ठुमरी महोत्सव में शामिल होने के लिए काफी उत्साहित थीं। इंद्राणी मुखर्जी ने पूरब अंग ठुमरी प्रस्तुत की, जो कि सुंदर, स्नेहशील और नाजुक तान से सजी हुई थी।
दिल्लीवासी महोत्सव के दूसरे और तीसरे दिन डॉ. रीता देवी, सोनाली बोस, काकाली मुखर्जी इंद्रेश मिश्रा, सुनंदा शर्मा व पद्मश्री शुभा मुद्गल जैसे प्रख्यात कलाकारों की प्रस्तुति के गवाह बनेंगे।
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