हीराकुंड जलाशय ओडिशा : 130 से अधिक पक्षी प्रजातियां और भी बहुत कुछ-Facts in Brief


हीराकुंड बांध परियोजना, ओडिशा राज्य में महानदी नदी पर बनी एक बहुउद्देशीय परियोजना है, जिसका उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और बिजली उत्पादन करना है. यह  एक विशाल जलाशय है, जो हीराकुंड बांध के निर्माण के कारण बना है। यह जलाशय महानदी नदी पर स्थित है और इसे दुनिया के सबसे बड़े मिट्टी से बने बांधों में से एक माना जाता है। यह क्षेत्र विभिन्न प्रकार के पक्षियों और जलजीवों का प्राकृतिक आवास भी बन चुका है। 

 हीराकुंड बाँध हीराकुंड जलाशय का निर्माण करता है, जिसे हीराकुंड झील के नाम से भी जाना जाता है, यह एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झीलों में से एक है।  ओडिशा में सबसे बड़ा मिट्टी के बांध हीराकुंड जलाशय ने कई उच्च संरक्षण महत्व सहित पुष्प और जीव प्रजातियों की एक श्रृंखला का समर्थन करने के लिए 1957 में काम करना शुरू कर दिया था।

 जलाशय से ज्ञात 54 प्रजातियों की मछलियों में से एक को लुप्तप्राय, छह को निकट संकटग्रस्त और 21 मछली प्रजातियों को आर्थिक महत्व के रूप में वर्गीकृत किया गया है। 

हीराकुंड बांध का इतिहास

हीराकुंड बांध का निर्माण 1948 में शुरू हुआ था और 1953 में बनकर पूरा हुआ। मुख्य उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, जल आपूर्ति और पनबिजली उत्पादन  था। बांध की आधारशिला 12 अप्रैल, 1948 को रखी गई थी और इसका उद्घाटन 13 जनवरी 1957 को पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया था।


हीराकुंड जलाशय: Facts in Brief

  • इस बांध की आधारशिला ओडिशा के तत्कालीन राज्यपाल सर हॉथोर्न लुईस ने रखी थी.
  • स्थिति: संबलपुर ज़िला, ओडिशा
  • निर्माण वर्ष: 1948 में निर्माण कार्य शुरू हुआ और 1957 में पूरा हुआ।
  • लंबाई: लगभग 55 किलोमीटर
  • क्षेत्रफल: लगभग 746 वर्ग किलोमीटर
  • मुख्य उद्देश्य: बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, जल आपूर्ति और पनबिजली उत्पादन

  • 130 से अधिक पक्षी प्रजातियां  जिनमें से  20 प्रजातियां उच्च संरक्षण महत्व की हैं 
  • 300 मेगावाट जलविद्युत उत्पादन
  • 4,36,000 हेक्टेयर सांस्कृतिक क्षेत्र की सिंचाई 
  • 480 मीट्रिक टन मछली का उत्‍पादन 
  •  महानदी डेल्टा में बाढ़ को नियंत्रित करके महत्वपूर्ण जल विज्ञान सेवाएं भी प्रदान करती है।
  • प्रचुर मात्रा में पर्यटन को बढ़ावा
  • प्रतिवर्ष 30,000 से अधिक पर्यटक


मत्स्य पालन के अंतर्गत यहां वर्तमान में सालाना लगभग 480 मीट्रिक टन मछली का उत्‍पादन होता है और यह 7000 मछुआरे परिवारों की आजीविका का मुख्य आधार है। इसी तरह, इस स्थल पर 130 से अधिक पक्षी प्रजातियों को दर्ज किया गया है, जिनमें से 20 प्रजातियां उच्च संरक्षण महत्व की हैं। 

जलाशय लगभग 300 मेगावाट जलविद्युत उत्पादन और 4,36,000 हेक्टेयर सांस्कृतिक क्षेत्र की सिंचाई के लिए पानी का एक स्रोत है। यह आर्द्रभूमि भारत के पूर्वी तट के पारिस्थितिक और सामाजिक-आर्थिक केंद्र महानदी डेल्टा में बाढ़ को नियंत्रित करके महत्वपूर्ण जल विज्ञान सेवाएं भी प्रदान करती है। 

हीराकुंड जलाशय प्रचुर मात्रा में पर्यटन को भी बढ़ावा देता है और इसे संबलपुर के आसपास स्थित उच्च पर्यटन मूल्य स्थलों का एक अभिन्न अंग बनाता है, जिसमें प्रतिवर्ष 30,000 से अधिक पर्यटक आते हैं।

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