दिल्ली को 'झीलों का शहर' बनाएगी केजरीवाल सरकार

Delhi to become city of lakes by Kejriwal Govt

डीजेबी उपाध्यक्ष  सौरभ भारद्वाज ने आज यमुना नदी की सफाई को लेकर की महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक  किया. इसके अंतर्गत  अधिकारियों को दिल्ली को 'झीलों का शहर' बनाने के लिए जल निकायों के कायाकल्प के काम में तेजी लाने का निर्देश दिया गया।

दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष  सौरभ भारद्वाज की अध्यक्षता में यमुना नदी की सफाई, चौबीस घंटे जलापूर्ति, झीलों का कायाकल्प, विभिन्न तंत्रों से जल उत्पादन में वृद्धि, नलकूपों की स्थापना, सीवर कनेक्शन को लेकर समीक्षा बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में दिल्ली में आरओ सिस्टम की स्थापना, जल प्रदूषण करने वाले उद्योगों पर कार्रवाई, जल उपचार क्षमता में वृद्धि, सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्रों की स्थिति, एसटीपी का निर्माण कार्य पूरा करना, सीवर की सफाई और सीवर नेटवर्क का निर्माण और पुनः विकास पर चर्चा हुई।

केजरीवाल सरकार ने ओखला में 16 एमजीडी सीवर ट्रीटमेंटप्लांट में केमिकल के जरिए पानी को ट्रीट करने की पहल की है। इस अनोखी तकनीक की मदद से ओखला एसटीपी में सीवर के पानी का बेहतर तरीके से ट्रीटमेंट किया जा रहा है। यही वजह है कि ओखला एसटीपी में पानी की गुणवत्ता में 82 फीसदी सुधार हुआ है। अपशिष्ट जल के उपचार की वर्तमान क्षमता 632 एमजीडी है, जिसका उपचार 35 सीवेज उपचार संयंत्रों में किया जा रहा है।

यमुना नदी में प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) की ओर से राष्ट्रीय राजधानी में अनधिकृत कॉलोनियों में सीवर लाइन बिछाने का काम कर रही है, ताकि यहां से निकालने वाले पूरे सीवेज को एकत्रित कर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाकर ट्रीट किया जा सके। दिल्ली की सभी 1799 अनधिकृत कॉलोनियों में डीजेबी द्वारा सीवर लाइन बिछाई जाएगी। इनमें से 725 कॉलोनियों में पहले ही सीवर लाइन बिछाने का कार्य पूर्ण हो चुका है। बाकी में विकास का कार्य विभिन्न चरणों में हो रहा है। 

इसके अलावा 18 नालें जो यमुना में गिरते हैं, उसमें से 16 को एसटीपी के लिए डायवर्ट किया गया है। जहां पर गंदे पानी को शोधित किया जा रहा है। यहां से निकालने वाले पूरे सीवेज को एसटीपी तक पहुंचाने के लिए दिल्ली सरकार की ओर से जगह-जगह 116 सीवेज पपिंग स्टेशन (एसपीएस) बनाए गए है। एसपीएस में लगे मोटर पंप के माध्यम से सीवेज को एसटीपी तक भेजा जाता है, जहां इसे ट्रीट कर आगे नालों में डाला जाता है।

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