रामागुंडम, तेलंगाना भारत की सबसे बड़ी तैरती सौर ऊर्जा परियोजना है जिसे एनटीपीसी ने 01 जुलाई 2022 से चालू करने कर दिया है। रामागुंडम, तेलंगाना में स्थापित100 मेगावाट रामागुंडम तैरती सौर पीवी परियोजना में से 20 मेगावाट की अंतिम भाग क्षमता के वाणिज्यिक संचालन की घोषणा की गई है। रामागुंडम में 100 मेगावाट की तैरती सौर परियोजना उन्नत तकनीक के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल विशेषताओं से संपन्न है।
रामागुंडम, तेलंगाना Facts In Brief
रामागुंडम में 100 मेगावाट की तैरती सौर परियोजना उन्नत तकनीक के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल विशेषताओं से संपन्न है।
रामागुंडम में 100 मेगावाट की सौर पीवी परियोजना के संचालन के साथ, दक्षिणी क्षेत्र में तैरती सौर क्षमता का कुल वाणिज्यिक संचालन बढ़कर 217 मेगावाट हो गया।
मेसर्स भेल के माध्यम से ईपीसी (इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण) अनुबंध के रूप में 423 करोड़ रुपये की लागत से तैयार यह परियोजना जलाशय के 500 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है।
यह परियोजना 40 खंडों में विभाजित हैं और इनमें से प्रत्येक की क्षमता 2.5 मेगावाट है। प्रत्येक खंड में एक तैरता प्लेटफॉर्म और 11,200 सौर मॉड्यूल की एक सरणी होती है।
तैरते प्लेटफॉर्म में एक इन्वर्टर, ट्रांसफॉर्मर और एक एचटी ब्रेकर होता है।
यह परियोजना इस मायने में अनूठी है कि इन्वर्टर, ट्रांसफॉर्मर, एचटी पैनल और एससीएडीए (पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण) सहित सभी विद्युत उपकरण भी तैरते फेरो सीमेंट प्लेटफॉर्म पर हैं।
प्रति वर्ष लगभग 32.5 लाख क्यूबिक मीटर पानी के वाष्पीकरण से बचा जा सकता है।
प्रति वर्ष 1,65,000 टन कोयले की खपत से बचा जा सकता है और प्रति वर्ष 2,10,000 टन के कार्बन डाय ऑक्साइड (Co2) उत्सर्जन से बचा जा सकता है।
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