महाराष्ट्र की राजनीति में आई उठापटक का आज ऐसा पटाक्षेप होगी, शायद हीं किसी ने यह सोचा होगा। आखिरकार बीजेपी ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि क्यों उसे चरित्र और चाल में दूसरी पार्टियों से अलग माना जाता है. महाराष्ट्र की राजनीति पर पकड़ रखने वाले चाणक्य भी देखते रह गया और भाजपा ने रजनीति के बिसात पर वह चाल चली जिससे न केवल उद्धव के हाथ से सरकार गई बल्कि अब पार्टी पर भी एकनाथ शिंदे का कब्ज़ा होना लाजिमी हो गई है. भाजपा ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा के साथ ही महा विकास अघाड़ी की सारे काल्पनिक दावों की धज्जियां उड़ाई दी है।
हालाँकि देवेंद्र फडणवीस राज्य के उपमुख्यमंत्री बने हैं और इसके लिए उन्होंने कहा है कि पार्टी की आज्ञा का पालन कर रहे हैं. हालाँकि इस हाल में भी राज्य में कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की गठबंधन को धूल चटा दिया है.
एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने खुद पर के सता लोलुपता के आरोप को खारिज करने के साथ ही शिव सेना को मुख्य मंत्री बनाकर उद्धव ठाकरे एंड कंपनी को और भी परेशानी में डाल दिया है
महाराष्ट्र में दांव भाजपा ने खेला है उससे अब गठबंधन धर्म नही निभाने के भाजपा की विरोधी पार्टियों के आरोपों की हवा निकल गई है। शिव सेना जिस मुख्य मंत्री पद के लिए कांग्रेस और एन सी पी जैसे विरोधियों से हाथ मिलाई थी, भाजपा ने हिंदुत्व के नाम पर उसी पार्टी के शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर महाराष्ट्र के पार्टियों की बोलती भी बंद कर दी है।
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