जीवन में सफलता पाना चाहते हैं तो हमेशा उन नकारात्मक लोगों से मिलने से बचें जो आपको जीवन के सही तरीके से भटकाते हैं...... अपने जीवन में सभी बाधाओं के बावजूद, आत्मविश्वास से भरे रहे यही आत्मविश्वास और आपका संतुलित सोच आपको शांत रहना और हमारी रणनीति की आवश्यकता के अनुसार चुपचाप काम करना सिखाता है....अपने जीवन में भ्रमित दौड़ने के बजाय आत्मविश्वास से चलने की कला सीखें। याद रखें, आत्मविश्वास से चलना भ्रमित दौड़ने से ज्यादा सफल है, किसी का अनुसरण न करें बल्कि सभी से सीखें।
लॉकडाउन और ऑनलाइन पढ़ाई: बच्चों से अधिक है पेरेंट्स की भूमिका, अपनाएँ ये टिप्स
समय के साथ दौड़ या कोई अन्य मोर्चा हमारे जीवन में सफलता के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है ... याद रखें, आपकी रणनीति के अनुसार आत्मविश्वास से चलना आवश्यक है, न कि भ्रमित तरीके से दौड़ना जो आपकी सारी आशा और भविष्य को बर्बाद कर सकता है ...
बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
-अटल बिहारी वाजपेयी
बदल सकते हैं आपदा को अवसर में…जानें कैसे
जीवन में मिलने वाले असफलताएं आपको विचलित और दिशाहीन कर सकती हैं..पर वो क्षणिक हैं... आप अपने प्रोजेक्ट पर काम करते रहें... क्योंकि जरुरी यही है न कि असफलताओं से विचलित हो जाना...
याद रखें... अवव्यस्थित होना और असमंजस का सामना होने सिर्फ आपके लिए समस्या पैदा करती है और या कभी भी आपको शांति नहीं देंगी..
Inspiring Thoughts: डिप्रेशन और फ़्रस्ट्रेशन पर काबू पाने के लिए पाएं नेगेटिव माइंडसेट से छुटकारा
आप अपनी महत्वाकांक्षा को प्राप्त करने के लिए सब कुछ करें जो आपकी पहुँच में हैं.... असफलता की कभी चिंता नहीं करें....
रुक क्यू जाता है मंजिल की तलाश में
तू एक बार ही सही सोच लिया कर
क्या है तेरी मंजिल ये पता कर
ये राह के मुशाफिर तू चला चल
-नरेंद्र वर्मा
नकारात्मक लोगों से मिलने से बचें क्योंकि ये आपके सफलता के जूनून और विश्वास को कुंठित करती है.....
Inspiring Thoughts: साहस को अपनाएँ... सफलता की कहानी खुद लिखें...
गलतियों से डरो नहीं.... उससे सिखने की कोशिश करें क्योंकि वही सबसे बड़ा शिक्षक होती है...
लेकिन याद रखें.. दूसरी की गलतियों से सीखना ज्यादा जरुरी है क्योकि कहा गया है कि अपनी गलतियों से सीखने के लिए उम्र कम पड़ जाएगी...
चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए¸
विपत्ति विप्र जो पड़ें उन्हें ढकेलते हुए।
घटे न हेल मेल हाँ¸ बढ़े न भिन्नता कभी¸
अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी।
तभी समर्थ भाव है कि तारता हुआ तरे
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।
-मैथिलीशरण गुप्त
No comments:
Post a Comment