आज़ादी के 75वें साल में प्रकाशित यह पुस्तक, पहले प्रधानमंत्री से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री तक, हमारे शीर्ष नेतृत्वकर्ताओं के विचारों और कार्यों का निष्पक्ष मूल्यांकन करती है तथा एक लोकतंत्र के रूप में भारत की प्रगति और उसके रास्ते में खड़े अवरोधों के बारे में सोचने का सूत्र देती है।
व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी के दौर में यह किताब तथ्यपरक ढंग से बतलाती है कि जब कभी देश के विकास की ज़रूरतों पर शीर्षस्थ नेतृत्व की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा हावी हुई, भारतीय लोकतंत्र प्रभावित हुआ।
एक अनुभवी पत्रकार की क़लम से देश के सभी प्रधानमंत्रियों का निष्पक्ष आकलन पेश करती यह कृति भारतीय लोकतंत्र में दिलचस्पी रखनेवाले प्रत्येक नागरिक के लिए एक ज़रूरी दस्तावेज़ साबित होगी।
प्रधानमंत्रियों की सफलताओं और विफलताओं की रौशनी में यह किताब ‘भारत के प्रधानमंत्री : देश, दशा, दिशा’ भारतीय लोकतंत्र की विकास-यात्रा को रेखांकित करती है जिसमें उसकी उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ, दोनों दर्ज हैं।
देश जब स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब ‘भारत के प्रधानमंत्री : देश, दशा, दिशा’ किताब एक जरूरी उपहार की तरह है। इसे हर भारतीय नागरिक को पढ़ना चाहिए। सोशल मीडिया के दौर में भ्रामक सूचनाओं का प्रसार चरम पर है। ऐसे में यह किताब स्वतंत्र भारत के क्रमिक नेतृत्व और विकास का वास्तविक लेखाजोखा पेश करती है।
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