इससे पहले 2018 में, दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने शहर में सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए सेवलाइफ फाउंडेशन के साथ 2 साल के लिए एमओयू समझौता किया था। इसके बाद, आउटर रिंग रोड पर ब्लैकस्पॉट की पहचान की गई और सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए भलस्वा चौक पर एक परीक्षण किया गया। भलस्वा चौक पर सड़कों को पुनः डिज़ाइन किया गया जिसके बाद यातायात भी सुचारु हो गया और रोड एक्सीडेंट की कोई घटना भी नहीं घटी। इस परियोजना के अंतर्गत पैदल यात्री जोखिम दूरी में 70 % की कमी के माध्यम से सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों में 100 % की कमी दर्ज की गई। इस परिक्षण में आसपास के स्कूली बच्चों सहित 12000 लोग शामिल हुए।
सेवलाइफ फाउंडेशन का 'जीरो फैटलिटी कॉरिडोर' मॉडल 360-डिग्री हस्तक्षेप के माध्यम से सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों की संख्या को कम करने का प्रयास करता है। इसके अंतर्गत 4E- सड़क सुरक्षा: इंजीनियरिंग (Engineering) , प्रवर्तन(Enforcement), आपातकालीन सेवा(Emergency Services) और शिक्षा (Education) को लागू करना शामिल है। शहर में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली चोटों और मौतों को कम करने के लिए, दिल्ली सरकार ने आज सेवलाइफ फाउंडेशन के साथ साझेदारी में शहर के बाकि हिस्सों में भी 'जीरो फैटलिटी कॉरिडोर' मॉडल का विस्तार किया। इस साझेदारी के तहत अगले 2 वर्षों में शहर के विभिन्न जिलों के 8 ब्लैकस्पॉट और 5 दुर्घटना संभावित क्षेत्रों को सुरक्षित बनाया जाएगा।
वर्चुअल इवेंट में बोलते हुए, दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा, “ 2019 में दिल्ली में सड़क दुर्घटनाओं में 1463 लोगों की जान गई । यहां तक कि covid पूर्व परिदृश्य में भी दिल्ली में घातक दुर्घटनाओं की संख्या में 13.5 फीसदी की कमी आई थी और मृत्यु दर में 13.43% की कमी आई है। इस पहल के माध्यम से हमारा लक्ष्य दिल्ली की सड़कों को देश में सबसे सुरक्षित बनाना है।"
सेवलाइफ फाउंडेशन के संस्थापक और सीईओ श्री पीयूष तिवारी ने कहा, “दिल्ली ने सड़क दुर्घटनाओं के मुद्दे को उठाने में संवेदनशील नेतृत्व का प्रदर्शन किया है। सड़क दुर्घटना एक ऐसा मुद्दा है जो सभी पृष्ठभूमि के लोगों को प्रभावित करता है लेकिन कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि के लोग इससे ज़्यादा प्रभावित होते हैं। हमें इस बात की ख़ुशी है की विज्ञान, डेटा-संचालित सड़क सुरक्षा प्रणालियों के माध्यम से सड़कों पर लोगों की जान बचाई जा सकती है।“
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