भारतीय खिलौना मेला 2021 आत्‍मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम है : प्रधानमंत्री

 

Indian Toy Fare 2021 Facts you need to know
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा  है कि खिलौना मेला सिर्फ एक व्यावसायिक या आर्थिक आयोजन ही नहीं है। यह कार्यक्रम देश की खेल और हर्ष की सदियों पुरानी संस्कृति को मजबूत बनाने की एक कड़ी भी है। उन्होंने कहा कि यह खिलौना मेला एक ऐसा मंच है जहां कोई भी व्‍यक्ति खिलौने के डिजाइन, नवाचार, प्रौद्योगिकी, विपणन और पैकेजिंग के बारे में विचार-विमर्श करने के साथ-साथ अपने अनुभव को भी साझा कर सकता है। उन्होंने कहा कि दुनिया ने सिंधु घाटी की सभ्यता, मोहनजो-दारो और हड़प्पा के युग से खिलौनों के बारे में अनुसंधान किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भारतीय खिलौना मेला 2021 का उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री ने कर्नाटक के चन्नपटना, उत्तर प्रदेश के वाराणसी और राजस्थान के जयपुर के खिलौना निर्माताओं से बातचीत की। इस खिलौना मेले के माध्यम से सरकार और उद्योग इस बारे में मिलकर चर्चा करेंगे कि इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने और निर्यात को बढ़ावा देने के माध्यम से भारत को किस प्रकार खिलौनों के विनिर्माण और स्रोत का अगला वैश्विक केंद्र बनाया जा सकता है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि देश में बने खिलौनों ने बच्चों के सर्वांगीण विकास में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पुन: उपयोग और रिसाइकिलिंग भारतीय जीवन शैली का एक हिस्सा रहा है, ऐसा ही हमारे खिलौनों में भी देखा गया है। अधिकांश भारतीय खिलौने प्राकृतिक और पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं से बने होते हैं। इनमें उपयोग किए जाने वाले रंग भी प्राकृतिक और सुरक्षित होते हैं। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरे विश्‍व में, हर क्षेत्र में, भारतीय दृष्टिकोण और भारतीय विचारों की बात की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह भारतीय खेलों और खिलौनों की एक विशेषता है कि उनमें ज्ञान, विज्ञान, मनोरंजन और मनोविज्ञान का समावेश होता है। उन्होंने कहा कि जब बच्चे लट्टू के साथ खेलना सीखते हैं, तो उन्हें लट्टू खेल में गुरुत्वाकर्षण और संतुलन का पाठ पढ़ाता है।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि इसमें बड़े पैमाने पर खेल आधारित और गतिविधि आधारित शिक्षा का समावेश किया गया है। यह ऐसी शिक्षा प्रणाली है जिसमें बच्चों में तार्किक और रचनात्मक सोच के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि खिलौनों के क्षेत्र में भारत की अपनी परंपरा और प्रौद्योगिकी है। भारत में अवधारणाएं और क्षमता भी है। हम विश्‍व को दोबारा पर्यावरण के अनुकूल खिलौनों की ओर वापस ले जा सकते हैं।  हमारे सॉफ्टवेयर इंजीनियर कंप्यूटर गेम के माध्यम से भारत की कहानियों का विश्‍व में प्रसार कर सकते हैं। लेकिन इन सबके बावजूद  100 बिलियन डॉलर के विश्‍व खिलौना बाजार में आज भारत की हिस्सेदारी बहुत कम है। देश में 85 प्रतिशत खिलौने विदेशों से आ रहे हैं। उन्होंने इस स्थिति को बदलने की जरूरत पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर आज ‘मेड इन इंडिया’ की मांग है, तो भारत में हस्तनिर्मित की मांग भी समान रूप से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि आज लोग खिलौने को एक केवल एक उत्पाद के रूप में ही नहीं खरीदते हैं, बल्कि उस खिलौने से जुड़े अनुभव से भी जुड़ना चाहते हैं। इसलिए हमें भारत में हस्‍तनिर्मित उत्‍पाद को भी बढ़ावा देना होगा।


No comments:

Post a Comment