यह टनलहिमालय की पीर पंजाल श्रृंखला में औसत समुद्र तल (एमएसएल) से 3000 मीटर (10,000 फीट) की ऊंचाई पर अति-आधुनिक विनिर्देशों के साथ बनाई गई है।
यह टनल मनाली और लेह के बीच सड़क की दूरी 46 किलोमीटर कम करती हैऔर दोनों स्थानों के बीच लगने वालेसमय में भी लगभग 4 से 5 घंटे की बचत करती है।
अटल टनल का दक्षिण पोर्टल (एसपी) मनाली से 25 किलोमीटर दूर 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि इसका उत्तर पोर्टल (एनपी) लाहौल घाटी में तेलिंगसिस्सुगांव के पास 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
यह घोड़े की नाल के आकार में8 मीटर सड़क मार्ग के साथ सिंगल ट्यूब और डबल लेन वाली टनल है। इसकी ओवरहेड निकासी 5.525 मीटर है। यह 10.5 मीटर चौड़ी है और इसमें 3.6x 2.25 मीटर फायर प्रूफ आपातकालीन निकास टनल भी है, जिसे मुख्य टनल में ही बनाया गया है।
अटल टनल को अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन 3000 कारों और 1500 ट्रकों के यातायात घनत्व के लिए डिजाइन किया गया है।
यहटनल सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम,एससीएडीएनियंत्रित अग्निशमन, रोशनी और निगरानी प्रणाली सहित अति-आधुनिक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल प्रणाली से युक्त है।
प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:-
- दोनों पोर्टल पर टनल प्रवेश बैरियर।
- आपातकालीन संचार के लिए प्रत्येक 150 मीटर दूरी पर टेलीफोन कनेक्शन।
- प्रत्येक 60 मीटर दूरी पर फायर हाइड्रेंट तंत्र।
- प्रत्येक 250 मीटर दूरी पर सीसीटीवी कैमरों से युक्त स्वत: किसी घटना का पता लगाने वाली प्रणाली लगी है।
- प्रत्येककिलोमीटर दूरी पर वायु गुणवत्ता निगरानी।
- प्रत्येक 25 मीटर परनिकासी प्रकाश/निकासी संकेत।
- पूरीटनल में प्रसारण प्रणाली।
- प्रत्येक 50 मीटर दूरी पर फायर रेटिड डैम्पर्स।
- प्रत्येक 60 मीटर दूरी पर कैमरे लगे हैं।
जब स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब 03 जून, 2000 को रोहतांग दर्रे के नीचे एक रणनीतिक टनल का निर्माण करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया था। टनल के दक्षिण पोर्टल की पहुंच रोड़ की आधारशिला 26 मई, 2002 रखी गई थी।
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने प्रमुख भूवैज्ञानिक, भूभाग और मौसम की चुनौतियों पर काबू पाने के लिए अथक परिश्रम किया।इन चुनौतियों मे सबसे कठिन प्रखंड587 मीटर लंबा सेरी नाला फॉल्ट जोन शामिल है, दोनों छोर परसफलता 15 अक्टूबर, 2017 को प्राप्तहुईथी।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्रीय मंत्रिमंडलकी बैठक 24 दिसम्बर 2019 को आयोजित हुई थी,जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिए गए योगदान को सम्मान प्रदान करने के लिए रोहतांग टनल का नाम अटल टनल रखने का निर्णय लिया गया था।(Source: PIB)
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