फिट इंडिया संडेज: राष्ट्रव्यापी अभियान में ओलंपियन, अभिनेता और फिटनेस आइकन सहित प्रतिष्ठित हस्तियां हुईं शामिल


अभिनेता और फिटनेस आइकन सुनील शेट्टी ने फिट इंडिया मूवमेंट द्वारा सीबीआईसी-जीएसटी के सहयोग से आयोजित राष्ट्रव्यापी संडे ऑन साइकिल कार्यक्रम में निरंतर स्वस्थ रहने का जोरदार आह्वान करते हुए कहा, "सम्‍पूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य बीमारी से कहीं सस्ता है। फिटनेस एक दिन की चीज नहीं होनी चाहिए, जैसे कि आज ही साइकिल चलाना, बल्कि समग्र स्वास्थ्य के लिए हर दिन इसका अभ्यास किया जाना चाहिए। तभी कोई फर्क दिखाई पड़ता है।" शेट्टी मुंबई में जीएसटी कमीश्‍नरेट में प्रतिभागियों के साथ शामिल हुए, इसमें अभिनेता की शक्ति और एक ऐसी पहल शामिल हो गइ्र जो तेजी से जन आंदोलन बन रही है।

नई दिल्ली में साइकिल चलाना इस अभियान का सिर्फ़ एक हिस्सा था। बुडापेस्ट में 2024 शतरंज ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीतने वाली शतरंज ग्रैंडमास्टर तानिया सचदेव भी इस अभियान में शामिल हुईं और फिटनेस को बढ़ावा देने वाले संदेश के साथ लोगों में जोश भर दिया। उन्होंने कहा, "फिटनेस के लिए किसी शानदार उपकरण या जिम की ज़रूरत नहीं होती - बस इच्छाशक्ति और अनुशासन की ज़रूरत होती है।" "शतरंज में भी सहनशक्ति बहुत ज़रूरी है। साइकिल चलाना अब मेरी फिटनेस के तरीके का एक बड़ा हिस्सा बन गया है।"

राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में आयोजित इस कार्यक्रम में जुम्बा, रस्सी कूद और योग सत्र शामिल थे, जिसने रविवार को शारीरिक गतिविधि और मानसिक सम्‍पूर्ण स्वास्थ्य के उत्सव में बदल दिया। यह कार्यक्रम देश भर में विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया गया, जिसमें एसएआई आरसी, एसटीसी एनसीओई, खेलो इंडिया सेंटर और सभी प्रमुख सीबीआईसी-जीएसटी केन्‍द्र शामिल थे।

शंकर महादेवन ने अपने वीडियो संदेश में कहा, "भारत साइकिल चलाकर फिटनेस की दिशा में एक कदम बढ़ाने के लिए एकजुट हो रहा है। मैं सभी से आग्रह करता हूं कि वे इस रविवार को हमारे अधिकारियों के साथ जुड़ें और इसे एक यादगार कार्यक्रम बनाएं।" मिलिंद सोमन ने कहा, "फिट हम, तो फिट इंडिया।"

सुनहरी चिकन बॉल्स की रेसिपी – हर बाइट में स्वाद का धमाका!

how to make chiken balls method and ingredients

गर्म, कुरकुरी, सुनहरी चिकन बॉल्स एक स्वादिष्ट स्नैक है जो किसी भी  पार्टी, टी टाइम पार्टी की जान होती है। आप इस स्वादिष्ट नॉन-वेजिटेरियन ऐपेटाइज़र को  घर पर बने मेयोनेज़ में साइट्रस का स्वाद के साथ या  ताज़ी पिसी हुई काली मिर्च की गर्माहट के साथ भी  सर्व कर सकते हैं। खासतौर पर बच्चे इस अधिक लाइक करते हैं क्योंकि उन्हे चिकेन ग्रेवी से अलग एक स्नॅकस लुक मिलती है और आप इसे उनके टिफिन मे डाल सकते हैं। 

चिकन बॉल्स  बाहर से कुरकुरे और अंदर से नरम, रसीले होते हैं और सही सामग्री और विधि अपनाकर आप घर पर ही रेस्टोरेंट जैसा टेस्ट पा सकते हैं। 

आइए जानें इसकी पूरी रेसिपी:

गर्म, कुरकुरी, सुनहरी चिकन बॉल्स बनाने के लिए सबसे जरूरी है कि आप इसे समय देकर बनाएं ताकि यह स्वादिष्ट और खास प्रकार का रेसिपी बन जाए। इसके लिए जरूरी सामग्री निम्न है-

 ज़रूरी सामग्री (Ingredients)

चिकन कीमा – 500 ग्राम

प्याज़ – 1 (बारीक कटा हुआ)

अदरक-लहसुन पेस्ट – 1 टेबलस्पून

हरी मिर्च – 1 (बारीक कटी हुई)

हरा धनिया – 2 टेबलस्पून (कटा हुआ)

काली मिर्च पाउडर – ½ टीस्पून

लाल मिर्च पाउडर – ½ टीस्पून

गरम मसाला – ½ टीस्पून

नमक – स्वादानुसार

ब्रेड क्रम्ब्स – ½ कप

अंडा – 1 (फेंट लें)

कॉर्नफ्लोर – 2 टेबलस्पून

तेल – तलने के लिए

बनाने की विधि (Step-by-step Recipe)

1. तैयारी करें

इस  को बनाने के लिए चिकन को ठंडे पानी से अच्छी तरह धो लें और एक बड़े कटोरे में रख दें। दूसरी तरफ, ओवन को गरम करें और अब एक बड़े बर्तन में चिकन कीमा, बारीक कटा प्याज़, हरी मिर्च, हरा धनिया, अदरक-लहसुन पेस्ट, काली मिर्च, लाल मिर्च पाउडर, गरम मसाला और नमक डालें।

2. मिश्रण बनाएं

अब इस मिश्रण में ब्रेड क्रम्ब्स, अंडा और कॉर्नफ्लोर डालकर अच्छी तरह मिलाएं। अब प्याज़ को चॉपिंग बोर्ड पर रखें और अच्छे से काट लें। फिर पनीर लें और उसे अच्छे से काट लें और चिकन को पीस लें। पनीर और चिकन को अलग-अलग कटोरी में रखें। इसके बाद लहसुन लें और उसे अच्छे से काट लें। मिश्रण को 15-20 मिनट के लिए फ्रिज में रखें ताकि वह सेट हो जाए।

3. बॉल्स बनाएं

अब इस मिश्रण से छोटे-छोटे गोल बॉल्स बनाएं। अगर मिश्रण चिपक रहा हो तो हाथों पर हल्का तेल लगाएं। चिकन बिल्कुल बारीक कीमा होना चाहिए, तब ही बॉल्स अच्छे बनेंगे। आप चाहें तो ब्रेड क्रम्ब्स की जगह सूजी (रवा) भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

4. तलना (Frying)

एक कड़ाही में तेल गरम करें और गरम तेल में मध्यम आंच पर चिकन बॉल्स को गोल्डन ब्राउन और क्रिस्पी होने तक तलें। इसमें कटा हुआ प्याज डालें और पारदर्शी होने तक भूनें। अब एक बड़ा कटोरा लें और उसमें तले हुए प्याज, पिसा हुआ चिकन, बिस्किट मिक्स, कसा हुआ पनीर, कटा हुआ लहसुन और मिर्च के गुच्छे को एक साथ मिलाएँ। इन चिकन बॉल्स को तब तक बेक करें जब तक कि वे भूरे रंग के न हो जाएँ। तेल से निकालकर पेपर नैपकिन पर रखें ताकि अतिरिक्त तेल निकल जाए।

इन चिकन बॉल्स को आप ग्रीन चटनी, मयोनीज़ या टमैटो सॉस के साथ गरमा गरम परोस सकते हैं। चाहें तो इन्हें नूडल्स या फ्राइड राइस के साथ भी परोसा जा सकता है।


मदर्स डे 2025: माँ को खुश करने के दिल छू लेने वाले तरीके


मां एक ऐसा शब्‍द है, जिसमें पूरी दुनिया  दुनिया समाई है और इसके बगैर भला हमारी हैसियत कहाँ है? हमारा वजूद और हमारा व्यक्तित्व तो बहुत बाद का है, जब हम इन शब्दों का मतलब समझने लगते हैं, माँ तो वह होती है जो हमें दुनिया मे लाती है और हमें सांस और भूख और प्यास का अर्थ और उनकी अहमियत समझाती है। जब हमें सही गलत कर फरक नहीं मालूम होता और कुछ भी उठाकर अपने मुंह मे डाल लेने वाले नादानी कर रहे होते हैं, तो वह माँ हीं तो होती है जो हमें बचाती है। बच्‍चों को किसी चीज की कमी न रहे, इसलिए वे कभी काम से छुट्टी नहीं लेती और खुद को भूखा रखकर भी हमें भरपेट भोजन कराती है। न तो कभी वह अपने किसी कि शिकायत करती है और न ही अपना दर्द सुनाती है। ऐसे में बच्‍चों का भी फर्ज है कि उन्‍हें धन्‍यवाद दें और स्‍पेशल फील कराएं।

मदर्स डे पर माँ को खुश कैसे करें:

भावनाएं व्यक्त करें

माँ वह होती है जो अपने हर सपने को पीछे रखकर हमारे सपनों को उड़ान देती है और हमारे सपनों और लक्ष्यों को पाने के लिए वह अपने  खुद की नींदें कुर्बान कर देती है ताकि हम अपनी रातें चैन से गुजार सकें। इसके लिए यह जरूरी है कि हम  अपनी भावनाएं इस प्रकार से व्यक्त करें कि उन्हे यह फ़ील हो सके कि हमारे बच्चे उनके कठिनाइयों को समझ तो रहे हैं।

एक दिन खाना खुद बनाएं

माँ को कभी भी आराम नहीं मिलती और यह वास्तविकता है कि छुट्टियों के दिन जहां हम स्कूल और ऑफिस से वीकेंड पर घर मे होते हैं, माँ जो हमारे साथ स्कूल और ऑफिस के लिए हमारे साथ लंच और ब्रेआकफ़ास्ट तैयार करने मे लगी रहती है, वीकेंड के दिन उनकी परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि हम कुछ अच्छा और खास खाने कि उम्मीद पाले होते हैं। जाहिर है कि माँ कि परेशानी इन  वीकेंड पर बढ़ जाती है और फिर उनके वीकेंड कहाँ गया? उन्हे छुट्टी कब मिली। इसलिए यह जरूरी है कि कभी कभी आप कहना खुद बनाकर माँ को खिलाएं।

उनके चेहरे पर हंसी और संतोष लाएं

सच्चाई तो यही है कि हम माँ द्वारा किए गए त्याग और उनके ममता कि कीमत नहीं चुका सकते लेकिन कम से कम उनके चेहरे पर कम से कम मुस्कान और संतोष तो दे ही सकते हैं। उन्हे यह एहसास दिलाए कि उन्होंने जो हमारे लिए किया है उसका ऋण तो चुकाना संभव नहीं है, हाँ उन्हे हम कम से कम याद करके उनका आभार तो व्यक्त कर ही सकते हैं।

माँ के पुरानी यादों की एलबम बनाएं

माँ के त्याग और उनके ममता को कभी लौटाया तो नहीं जा सकता लेकिन उनके इन गुणों को अगर एक एलबम के रूप मे बनाकर उन्हे भेंट किया जाए तो शायद निश्चित हीं यह माँ के चेहरे पर मुस्कान कि वजह हो सकती है। आप इसे ऐसे भी व्यक्त कर सकते हैं कि एक दिल से लिखा हुआ पत्र माँ को दें जिसमें आप उनके किए गए त्याग और ममता को याद करते हुए उसके लिए अपनी भावनाएं व्यक्त करें।

माँ को आराम दें

जन्म से लेकर हमें पढ़ाने और एक अच्छा इंसान बनाने में माँ का खास योगदान होता है क्योंकि आप जानते हैं कि माँ हीं हमारे प्रथम पाठशाला होती है। फिर माँ हमारे लिए जन्म से लेकर हमारे बड़े होने तक माँ हमेशा काम करते रही है और फिर माँ को आराम भला कब मिल सकती थी। तो फिर आप एक दिन कम से कम माँ को आराम दें और अधिकांश काम खुद से अंजाम दें ताकि माँ को आराम फिल हो सके।


 


 




 


 


 

वडुवूर पक्षी अभयारण्य: साइबेरियन सारस, ग्रे पेलिकन, पेंटेड स्टॉर्क, स्पूनबिल जैसे पक्षियों का स्थल

Vaduvur

Vaduvur Bird Sanctuar: वडुवूर पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु के तिरुवरूर जिले में स्थित है, जो एक बड़ा मानव निर्मित सिंचाई तालाब है, जो कावेरी डेल्टा के हिस्से के साथ नीदमंगलम तालुक में स्थित है. यह तंजावुर से लगभग 25 किमी और तिरुवरूर से 30 किमी दूर स्थित है। यह अभयारण्य हरे-भरे जलाशयों, दलदली भूमि और घास के मैदानों से घिरा हुआ है जो पक्षियों के लिए अनुकूल पर्यावास प्रदान करते हैं। यहाँ कई  प्रकार कि प्रवासी पक्षी जैसे  साइबेरियन सारस, ग्रे पेलिकन, पेंटेड स्टॉर्क, स्पूनबिल, फ्लेमिंगो, ब्लैक-टेल्ड गॉडविट आदि आते हैं। इसके अतिरिक्त स्थानीय पक्षी जैसे  भारतीय बगुला, किंगफिशर, कॉर्मोरेंट, डार्टर्स, एग्रेट आदि का भी स्थल है। 

वडुवूर पक्षी अभयारण्य 112.638 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ है, यह एक बड़ा मानव निर्मित सिंचाई जलाशय और प्रवासी पक्षियों के लिए आश्रय है क्योंकि यह भोजन, आश्रय और प्रजनन के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करता है। 

इन जलाशयों में निवासी और सर्दियों के पानी के पक्षियों की अच्छी आबादी को शरण देने की क्षमता है लेकिन इसकी पुष्टि के लिए कोई अध्ययन नहीं किया गया है। 

सर्वेक्षण किए गए अधिकांश जलाशयों में भारतीय जलाशय बगुला अर्देओला ग्रेई पाया गया। यूरेशियन विजोन अनस पेनेलोप, नॉर्दर्न पिंटेल अनस एक्यूटा, गार्गनी अनस क्वेरक्वेडुला जैसे सर्दियों के जलपक्षी की बड़ी उपस्थिति जलाशयों में दर्ज की गई थी। 

वडुवूर पक्षी अभ्यारण्य में विविध निवास स्थान हैं जिनमें कई इनलेट और आसपास के सिंचित कृषि क्षेत्र शामिल हैं जो पक्षियों के लिए अच्छा घोंसला बनाने और चारागाह प्रदान करते हैं। इस प्रकार, यह स्‍थल उपर्युक्‍त सूचीबद्ध प्रजातियों को उनके जीवन-चक्र के महत्वपूर्ण चरणों के दौरान सहायता प्रदान करती है।

पक्षी प्रजातियाँ

प्रवासी पक्षी: साइबेरियन सारस, ग्रे पेलिकन, पेंटेड स्टॉर्क, स्पूनबिल, फ्लेमिंगो, ब्लैक-टेल्ड गॉडविट।

स्थानीय पक्षी: भारतीय बगुला, किंगफिशर, कॉर्मोरेंट, डार्टर्स, एग्रेट आदि।

Point Of View : सेल्फ डिसिप्लिन के महत्त्व को समझे, जानें स्व-अनुशासन को विकसित करने के टिप्स

Point Of View : सेल्फ डिसिप्लिन के महत्त्व को समझे, विकसित करने के टिप्स, महत्वपूर्ण कोट्स

Point of View: आज की तेज़ रफ़्तार और भागदौड़ वाली दुनिया में जहां जीवन की जद्दोजहद में लोगों का अधिकांश समय बीतता है, यह जरूरी है कि हम  आत्म-अनुशासन के महत्व को समझें और खुद पर अनुशासन को लागू करें। आत्म-अनुशासन या स्व-अनुशासन ही वह शक्ति है जो हमें अपनेआप पर को नियंत्रित करने और गलतियों को चेक करने के लिए बाध्य करता है। स्व-अनुशासन हीं वह पद्धति और उपाय है जो हमें अपने सपनों को पूरा करने में सक्षम बनाती है.

आत्म-अनुशासन एक ऐसी व्यवस्था है जहां आप खुद के लिए नियम बनाते भी हैं, उसे इम्प्लमेन्ट भी करते हैं और आपको उसे मोनिटरिंग भी करना होता है। निश्चित हीं, यह आसान नहीं हैं लेकिन विश्वास करें, यह इतना मुश्किल भी नहीं है। वास्तव मे आत्म-अनुशासन हीं वह चीज है जो ऐसी दिनचर्या बनाता है जो समय और संसाधनों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करती है और आपकी व्यस्त जीवनशैली में आराम करने के लिए खाली समय और कुछ अच्छा करने के लिए आपको तैयार भी करती है। 

सेल्फ डिसिप्लिन लाइफ या स्व-अनुशासन एक शक्तिशाली कौशल है जो आपको अपने जीवन में न केवल महत्वपूर्ण लक्ष्य  हासिल करने आपको मदद करता है बल्कि यह आपके जीवनशैली को एक परफेक्ट लाइफस्टाइल में बदल देता है. सेल्फ डिसिप्लिन लाइफ या स्व-अनुशासन ठीक वैसे ही हैं जैसे हम खुद के लिए नियमों को बनाने वाले होते हैं और उसे पालन करने में खुद को मजबूर भी करते हैं. आप कह सकते हैं यह अपने आप में ठीक वैसे ही है जैसे आप नियम निर्माता भी हैं, पालन करने वाले भी हैं और उन्हें मॉनिटरिंग करने वाले भी खुद है. यह आपको सिखाती है कि अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कैसे अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करने और अपने सपनों को पूरा करने में सक्षम बनाता है. यदि आप स्व-अनुशासन विकसित करना चाहते हैं, तो भले हीं  शुरू में आपक्को कुछ परेशानी हो लेकिन यह असंभव भी नहीं है. आप इन टिप्स की मदद से इसे लागु कर सकते हैं.


सेल्फ डिसिप्लिन लाइफ या स्व-अनुशासन हमारे जीवन में इतना महत्वपूर्ण है जिसके माध्यम से हम बिना किसी अतिरिक्त मोटिवेशनल डोज़ लिए हम अपने जीवन की सार्थकता को साबित कर सकते हैं. सेल्फ डिसिप्लिन लाइफ या स्व-अनुशासन का महत्त्व हमारे जीवन में ठीक ऐसा ही है जैसे कि हमारे शरीर के लिए हवा की जरुरत होती है वैसे ही हमें इस अपने जीवन का अभिन्न अंग की तरह बनाकर अपने साथ रखना होगा. 

आत्म-अनुशासन जीवन का अभ्यास आपको वह करने की क्षमता प्रदान करता है जो आपके जीवन की सार्थकता और सम्पूर्णता को प्राप्त करने में सहायता करती है. क्योंकि आप जानते हैं कि आप अपने मन में किसी भी सपने को प्राप्त करना सीख सकते हैं ... इसलिए जीवन में आत्म अनुशासन के लिए जरुरी पांच स्तंभों को हमेशा याद रखें जो आपको जीवन के किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने और जीवन की सम्पूर्णता की और ले जाती है -स्वीकृति, इच्छाशक्ति, कठोर परिश्रम, मेहनती और दृढ़ता।

स्व-अनुशासन को  विकसित करने के टिप्स 

  • अपने लक्ष्यों को निर्धारित करें और उन्हें प्राप्त करने के लिए एक योजना बनाएं.
  • अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प और समर्पण रखें.
  • अपने आप को नियमित रूप से प्रेरित करें और प्रोत्साहित करें.
  • अपने आप को छोटी-छोटी उपलब्धियों के लिए पुरस्कृत करें.
  • स्व-अनुशासन एक जीवन भर की यात्रा है, लेकिन यह एक यात्रा है जो आपको अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल करने में मदद कर सकती है. इसलिए, आज ही स्व-अनुशासन विकसित करना शुरू करें और अपने सपनों को पूरा करें.


सेल्फ डिसिप्लिन लाइफ या स्व-अनुशासन: महत्वपूर्ण कोट्स 
  • "सफलता का रहस्य स्व-अनुशासन है." - एलेन वार्क
  • "स्व-अनुशासन ही वह शक्ति है जो आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाती है." - लाओ त्ज़ू
  • "स्व-अनुशासन ही वह कौशल है जो आपको अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाता है." - ब्रूस ली
  • "स्व-अनुशासन ही वह शक्ति है जो आपको अपने जीवन को नियंत्रित करने और अपने सपनों को पूरा करने में सक्षम बनाती है." - नेपोलियन हिल
  • "स्व-अनुशासन ही वह नींव है जिस पर आप अपने जीवन का निर्माण कर सकते हैं." - विलियम जेम्स

आत्म-अनुशासन आपके जीवन के हर प्रयास में बनने वाला अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण कारक है..जो न केवल आपके जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है..बल्कि यह भ्रम की स्थिति में भी आपके जीवन को हमेशा सही रास्ते पर लाता है और यह हमारे जीवन में क्या करना है और क्या नहीं करना है के बीच की रेखा का सीमांकन करता है।



 दैनिक जीवन में आत्म-अनुशासन वह फैक्टर  है जो आपको अपने आवेगों, भावनाओं, प्रतिक्रियाओं और व्यवहारों को नियंत्रित करने के लिए बाध्य  करता है। अपने जीवन में आत्म-अनुशासन के महत्व को नियंत्रित करें और समझें. यह आपको अल्पकालिक संतुष्टि के बदले दीर्घकालिक संतुष्टि और लाभ के बारे में सोचने के लिए परिपूर्ण बनाएगा।




Born on Sunday: सूर्य की तरह चमकते सितारे होते है रविवार को जन्मे लोग-प्रतिभावान, आत्मविश्वासी और आशावादी और नेतृत्व की क्षमता वाले

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Born on Sunday:
 रविवार को जन्म लेने वाले लोगों अर्थात Born on Sunday लोगों को आत्मविश्वासी, करिश्माई और दृढ़ इच्छाशक्ति वाला माना जाता है, जिसमें नेतृत्व करने की स्वाभाविक क्षमता होती है। रविवार का दिन सूर्य से जुड़ा हुआ है, जो जीवन शक्ति और नेतृत्व का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य को रविवार का शासक माना जाता है, और इस दिन जन्मे लोगों को आत्मविश्वासी, करिश्माई और दृढ़ इच्छाशक्ति वाला माना जाता है, जिसमें नेतृत्व करने की स्वाभाविक क्षमता होती है। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रविवार को जन्म लेने वाले व्यक्तियों का सीधा संबंध सूर्य से होता है और इस दिन पैदा होने वाले लोगों में सूर्य सा तेज होने के मान्यता है। सूर्य के तरह ऐसे लोग खुद को स्टार मानते हैं और ये लोग बहुत ही क्रिएटिव प्रवृति के होते हैं चाहे वह जीवन के किसी भी प्रफेशन मे  होते हैं।
ये लोग आस्थावान होते हैं. इसके अलावा इनके परिजनों, दोस्तों और रिश्तेदारों से अच्छे संबंध होते हैं.  रविवार को जन्मे ऐसे शानदार व्यक्तित्व वाले लोग हैं बराक ओबामा, बिल क्लिंटन, ड्वेन जॉनसन, मेरिल स्ट्रीप, एम्मा वाटसन, केट ब्लैंचेट, एंजेलिना जोली और जूलिया रॉबर्ट्स। 

रविवार को  जन्मे लड़की के नाम के लिए आप इन नामों पर विचार कर सकते हैं-
आध्या - पहली शक्ति, देवी दुर्गा का नाम
आलिया - ऊंचा, उच्चतम सामाजिक प्रतिष्ठा
आराध्या - पूजा
आरती - प्रार्थना, दिव्य ज्योति
आरोही - एक संगीतमय स्वर, एक राग
आशना - प्रियतम, मित्र
अदिति - देवताओं की माता, स्वतंत्रता, सुरक्षा
अद्विका - अद्वितीय, एक-सी



होते हैं महफिलों की जान

रविवार को जन्मे लोगों को सबसे बड़ी विशेषता होती है कि उनमें व्यक्तित्व मे एक स्वाभाविक करिश्मा होता है जो दूसरों को उनकी ओर आकर्षित करता है और शायद यही वजह होता है कि ऐसे लोग अक्सर पार्टियों और महफिलों की जान होते हैं। अपनी इसी खासियत के कारण वे सुर्खियों में रहना पसंद करते हैं और दूसरों के साथ घुलना-मिलना पसंद करते हैं।

सूर्य की तरह चमकते सितारे 
रविवार को जन्मे लोग सचमुच सूर्य की तरह चमकते सितारे होते हैं। ज्योतिष के अनुसर अलग-अलग दिन के अनुसार जन्‍में लोगों का व्यक्तित्व भी अलग ही होता है और इस प्रकार से तरह रविवार को जन्‍में लोगों की भी कुछ स्पेशल विशेषताएं होती है. ऐसे लोगों पर भगवान सूर्य की कृपा हमेशा बनी रहती है और यही कारण है कि इसलिये इनके जीवन पर सूर्यदेव काफी गहरा असर छोड़ते हैं। 

रविवार को जन्मे बच्चे का नाम क्या रखें
रविवार को जन्म लेने वाले व्यक्तित्व का जीवन सूर्य के समान चमकीला होता है क्योकि आप जानते हैं कि सूर्य रविवार का स्वामी होते हैं. ऐसे लोग जीवन में थोड़े से संतुष्ट कभी नहीं होना चाहते भले ही वह सफलता हीं क्यों नहीं हो.

रविवार को जन्मे बच्चे का नामकरण और उनको उपयुक्त नाम रखने के लिए अक्सर माता पिता उत्सुक और परेशान रहते हैं. हालाँकि नामकरण के पीछे भी सामान्यत:कुंडली और जन्म के समय ग्रहों की स्थिति और घर के अनुसार रखने की परंपरा होती है और सच तो यह है कि बच्चे का नाम रखने में ज्योतिष और परंपरागत फैक्टर की भूमिका महत्पूर्ण होती है. 

इसके साथ हीं  परिवार की पसंद और आपकी खुद की राय भी जरुरी होत्ती है. हालाँकि  जन्म के दिन के आधार पर नाम रखने की परंपरा के अनुसार बच्चे के नाम का चयन भी हो सकता है। आप चाहें तो रविवार को जन्म लेने वाले बच्चों के लिए निम्न नामों को एक सुझाव के तौर पर ले सकते हैं. 

रविवार को जन्मे बच्चे के लिए कुछ नाम 

सूरज: सूरज रविवार का प्रतीक होता है और यह एक पॉवरफुल नाम हो सकता है।
आदित्य: आदित्य भी सूरज के देवता का नाम है और यह एक प्रसिद्ध हिन्दू नाम है।
दिनेश: दिनेश भी सूरज का एक अन्य नाम हो सकता है, जो रविवार के साथ जुड़ा होता है।
आर्यम: यह एक पॉप्युलर हिन्दू नाम है जो सूर्य के रूप में जाना जाता है।

याद रखें कि नाम चुनते समय व्यक्तिगत पसंद और परंपराओं का महत्वपूर्ण होता है, इसलिए यह आपके परिवार और आपके स्वयं के मूड और समर्थन के आधार पर आधारित होना चाहिए।

रविवार को जन्म लेने वाले लोग दूसरों को प्रेरित करते हैं और अपने जीवम वे बहुत सफल होते हैं तथा काफी सफलताएं  हासिल करते हैं. रविवार को जन्म लेने वाले लोगों का जीवन बहुत खुशहाल और सफल होता है. वे दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत होते हैं और हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं. वे अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल करते हैं और दुनिया को एक बेहतर जगह बनाते हैं.

Sunday को जन्म लेने वाले लोग अपने क्रिएटिव के बदौलत काफी नाम कमाते हैं और जीवन के हर क्षेत्र में सफल होते हैं. 


नेतृत्व की क्षमता 
रविवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति सूर्य के गुणों से युक्त होते हैं और वे भीड़ का हिस्सा शायद ही बनकर रहें. वे हमेशा नेतृत्व करने का हौसला रखते है. ऐसे जातक जातक किसी की अधीनता स्वीकार नहीं करना चाहते हैं और न हीं किसी के अंदर  कार्य करना पसन्द करते हैं. ये अपना रास्ता खुद बनाना चाहते हैं और इसमें अक्सर सफल भी होते हैं. ये अच्छे व्यवस्थापक और कठोर नियम कानून में रहने के अभ्यस्त होते हैं. 

सुन्दर नेत्र और आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी 
रविवार को जन्मे व्यक्ति सुन्दर नेत्रों वाले तथा आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक होते हैं. अपने इष्ट देव भगवान् सूर्य के तरह गंभीर व्यक्तित्व वाले होते हैं. अपने आकर्षक छवि जिसमे इनके व्यक्तित्व और बोलने की कला और दूसरे खूबियों  के कारण अन्य लोगों को शीघ्र ही अपनी ओर आकर्षित कर लेते है.

स्वाभिमानी अपमान स्वीकार नहीं 
रविवार को जन्मे लोगों के लिए स्वाभिमान और आत्म सम्मान की भूख अधिक होती है. यह अपने आत्म-सम्मान और अपने सम्मान के लिए हर प्रकार की कुर्बानी  के लिए तैयार रहते हैं. अपने रिश्तों के साथ हीं साथ अपने वातावरण के प्रति जहाँ ये रहते हैं, बेहद संवेदनशील होते है. किसी की अप्रिय या कड़वी बातों को भूलना इनके लिए आसान नहीं होता है और ये उसे अक्सर काफी दिनों तक भूल नहीं पाते हैं. 

घूमने का शौक़ीन 
रविवार को जन्मे जातक घूमने-फिरने के शौक़ीन होते हैं और एक जगह शायद ही स्थिर रहना चाहें. मजबूरी  के कारण उन्हें ऐसा करना पड़े तो और बात है लेकिन स्वाभाव से ये घूमने के काफी शौक़ीन होते हैं और उसे पूरा भी करते हैं. 

स्पष्ट बोलने वाले और निश्चल 
रविवार को जन्मे व्यक्ति सामान्यत स्पष्ट बोलने वाले होते हैं और स्टेट फॉरवर्ड संबंधों में विश्वास करते हैं. न्यायप्रिय होते हैं लेकिन  बल पूर्वक न्याय हासिल करना अपना धर्म समझते हैं. हालाँकि ये स्वभाव से  निश्छल होते हैं और दूसरों का अहित सोच नहीं सकते हैं. 

अनुशासन युक्त जीवन 
रविवार को जन्मे जातकों में अनुशासन की भावना सर्वोपरि होती है और ये लोग खुद पर भी अनुशासन लागु करने में आगे रहते हैं. सफलता कहाँ तक मिलती है ये दूसरे बातों पर भी निर्भर करती है लेकिन अपनी ओर से अनुशासन में रहने इनकी प्राथमिकता और स्वाभाव होती है. 

महत्वकाँक्षी एवं दृढ इच्छा शक्ति के धनी 
रविवार को जन्में लोग काफी महत्वाकांक्षी होते हैं. जीवन में  ये बड़े-बड़े सपने देखते हैं और उसे पूरा करने के लिए अपनी ओर  से पूर्ण कोशिश भी करते हैं. इनके पास  दृढ इच्छा शक्ति होती है और इसकी मदद से ऐसे जातक अपने उदेश्यों को पूरा करने में जी जान लगा देते हैं और उसे पूरा भी करते है. 

रविवार को जन्म लेने वाले बच्चों के बारे में
आम तौर पर ऐसा माना  जाता है कि रविवार को जन्मे लेने वाला बच्चा आकर्षक,प्रसन्न रहने वाला और बुद्धिमान होता है।  सकारात्मक गुणों से भरपूर होने क्व साथ ही रविवार को पैदा होने बच्चा भाग्यशाली और खुश माना जाता है। 

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।

People Born On Sunday: यहाँ पाएं यूनिक और वैदिक नामों की लिस्ट, जानें रविवार को जन्मे बच्चों की क्या होती है खासियत

 

People born on sunday features  career health nature

People Born On Sunday: रविवार को जन्मे लोगों की सबसे बड़ी विशेषता होती है कि वे अपने भाग्य का निर्माता खुद होते हैं और कड़ी मेहनत और लगन से जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं. ज्योतिष और अस्ट्रालजी के अनुसार सभी नौ ग्रहों मे सूर्य को देवताओं का राजा माना जाता है और ऐसा इसलिए भी कि सौरमंडल का केंद्र सूर्य हैं और सभी ग्रह इसका चक्कर लगाते हैं। रविवार को भगवान सूर्य का दिवस माना जाता है और यदि आप रविवार जो जन्मे बच्चों के लिए नए नाम की तलाश कर रहे हैं तो अपने नामों की लिस्ट में आप भगवान सूर्य देव  के नामों को रख सकते हैं। ईश्वर वैसे तो प्रत्येक व्यक्ति को चाहे  वह किसी भी दिन जन्म लेता है, उसके अंदर ऊर्जा कि अपार संभावना प्रदान करता है। सच्चाई तो यह भी है कि हर व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माता खुद होता है और कड़ी मेहनत और लगन से सफलता प्राप्त कर सकता है। हालांकि सच यह भी है कि हमारे जीवन मे अस्ट्रालजी और ज्योतिष विज्ञान के प्रभाव से भी पूर्णत: इनकार नहीं किया जा सकता।

 कुंडली विज्ञान,एस्ट्रोलॉजी के अनुसार यह कहा जाता है कि रविवार को जन्मे बच्चे विशेष प्रतिभाओं और सकारात्मक गुणों के साथ धन्य होते हैं और  जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त करने की प्रबल संभावना रखते हैं। रविवार को जन्म लेने वाले व्यक्तियों कि सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि वे सूर्य के अनुसार गाइड होते हैं क्योंकि ज्योतिष का अनुसार रविवार को सूर्य का दिवस माना जाता है। आइये जानते हैं रविवार को जन्म लेने वाले लोगों की खासियत, विशेषज्ञ हिमांशु रंजन शेखर (एस्ट्रॉलोजर और मोटिवेटर) द्वारा.

भगवान सूर्य पर बच्चों का नाम रखने के लिए अनेक नामों मे से आप  इन  यूनिक और वैदिक नामों को भी अपनी लिस्ट मे शामिल कर सकते हैं जो खास होने के साथ विशेष और मीनिंगफूल भी है। 

  • भानु
  • प्रभाकर
  • कवीर 
  • चिति
  • भास्कर 
  • आक 
  • आदित्य, 
  • दिनेश,
  • मिहिर
  • सनीश
  • रोहित
  • पुष्ण
  • मित्र
  • ओमकार
  • सूरज
  • दिनकर
रविवार को  जन्मे लड़की के नाम के लिए आप इन नामों पर विचार कर सकते हैं-
आध्या - पहली शक्ति, देवी दुर्गा का नाम
छवि (प्रतिबिंब)
आलिया - ऊंचा, उच्चतम सामाजिक प्रतिष्ठा
आराध्या - पूजा
जीविका (पानी)
आरती - प्रार्थना, दिव्य ज्योति
चारू (सुखद)
आरोही - एक संगीतमय स्वर, एक राग
जामिनी (रात)
दमयंति (सुंदर)
झलक (चमक)
छाया (परछाई)
आशना - प्रियतम, मित्र
अदिति - देवताओं की माता, स्वतंत्रता, सुरक्षा
अद्विका - अद्वितीय, एक-सी
जयश्री (विजय)
जान्हवी (गंगा नदी)
 
 आत्मविश्वास और नेतृत्व: 

रविवार को जन्मे बच्चे आमतौर पर नेतृत्व क्षमता से परिपूर्ण होते हैं और उन्हे जो भी कार्य असाइन किया जाए, उसे वे तल्लीनता और संपूर्णता के साथ अंजाम देते हैं। ऐसे लोग आत्मविश्वास से भरपूर और स्वाभाविक नेता होते हैं। इनमें दूसरों को प्रेरित करने और उनका नेतृत्व करने की स्वाभाविक क्षमता होती है। अक्सर यह किसी भी समूह में अग्रणी की भूमिका निभाते हैं और दूसरों को अपना अनुसरण करने के लिए प्रेरित करते हैं

रचनात्मकता और बुद्धि:

रविवार को जन्मे बच्चों मे रचनात्मकता और कल्पनाशीलता कूट-कूट कर भरी होती है। कल्पनाशीलता और इमैजनैशन पावर इन्हे जीवन मे सफलता के लिए प्रेरित करती है और ऐसे लोग कला, संगीत, लेखन या अन्य रचनात्मक क्षेत्रों में सफल हो सकते हैं। साथ ही, ये शांत और प्रखर बुद्धि वाले होते हैं। सीखने कि क्षमता इनमे गजब कि होती है और ऐसे लोग चीजों के काफी जल्दी और आसानी से सीखते हैं।

उदारता और दया:

 रविवार को जन्मे लोग काफी उदार और दयालु प्रवृति के होते हैं। ऐसे लोग बहुत जल्द किसी के परेशानी से व्यथित हो जाते हैं और उन्मे सेवा और मदद करने कि भावना प्रबल होती है। यह दूसरों की मदद करने और ज़रूरतमंदों की सहायता करने में हमेशा आगे रहते हैं। रविवार को जन्मे लोग सम्मानजनक और मिलनसार होते हैं। यह सभी के साथ अच्छे संबंध बनाते हैं और समाज में सम्मान प्राप्त करते हैं।

ऊर्जावान और उत्साही:

 यह लोग ऊर्जावान और उत्साही होते हैं। यह जीवन का भरपूर आनंद लेते हैं और हर काम को पूरे उत्साह के साथ करते हैं।  यह लोग स्वतंत्र और आत्मनिर्भर होते हैं। यह अपनी ज़िंदगी अपनी शर्तों पर जीना पसंद करते हैं और दूसरों पर निर्भर नहीं रहते हैं।

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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में उल्लिखित टिप्स/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको उस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है. आपसे निवेदन है कि कृपया इन सुझावो को  पेशेवर ज्योतिषीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए तथा अगर आपके पास इन विषयों से सम्बंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं तो हमेशा अपने ज्योतिषी या पेशेवर ज्योतिष/कुंडली सुझाव प्रदाता से अवश्य परामर्श करें।

थर्मोस्फीयर: जानें महत्व, सीमा और अन्य जानकारी Facts in Brief

Thermosphere layer Facts in Brief
थर्मोस्फीयर (या ऊपरी वायुमंडल) 85 किलोमीटर (53 मील) से ऊपर की ऊँचाई वाला क्षेत्र है, जबकि ट्रोपोपॉज़ और मेसोपॉज़ के बीच का क्षेत्र मध्य वायुमंडल ( स्ट्रैटोस्फियर और मेसोस्फीयर ) है जहाँ सौर UV विकिरण का अवशोषण 45 किलोमीटर (28 मील) की ऊँचाई के पास अधिकतम तापमान उत्पन्न करता है और ओजोन परत का कारण बनता है। थर्मोस्फीयर पृथ्वी के वायुमंडल की चौथी परत है जो सूर्य के विकिरण को अवशोषित करती है, जिससे यह बहुत गर्म हो जाती है। 

मेसोस्फीयर के ऊपर बहुत ही दुर्लभ हवा की परत को थर्मोस्फीयर कहा जाता है। सूर्य से आने वाली उच्च-ऊर्जा एक्स-रे और यूवी विकिरण थर्मोस्फीयर में अवशोषित हो जाते हैं, जिससे इसका तापमान सैकड़ों या कई बार हज़ारों डिग्री तक बढ़ जाता है। हालाँकि, इस परत में हवा इतनी पतली होती है कि यह हमें बर्फीली ठंड लगती है! कई मायनों में, थर्मोस्फीयर वायुमंडल के एक हिस्से की तुलना में बाहरी अंतरिक्ष की तरह अधिक है।

  •  हमारे वायुमंडल और बाहरी अंतरिक्ष के बीच की अनुमानित सीमा, जिसे कार्मन रेखा के रूप में जाना जाता है, थर्मोस्फीयर में लगभग 100 किमी की ऊँचाई पर है।
  •  कई उपग्रह वास्तव में थर्मोस्फीयर के भीतर पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं! सूर्य से आने वाली ऊर्जा की मात्रा में भिन्नता इस परत के शीर्ष की ऊँचाई और इसके भीतर के तापमान दोनों पर एक शक्तिशाली प्रभाव डालती है। 
  •  थर्मोस्फीयर का शीर्ष ज़मीन से 500 से 1,000 किमी (311 से 621 मील) ऊपर कहीं भी पाया जा सकता है। 
  • ऊपरी तापमण्डल में तापमान लगभग 500° सेल्सियस (932° फारेनहाइट) से लेकर 2,000° सेल्सियस (3,632° फारेनहाइट) या उससे अधिक तक हो सकता है।

चॉकलेट आइसक्रीम रेसिपी: यूं बनाएं घर पर चॉकलेट आइसक्रीम, स्वादिष्ट और आसान भी

How to make chocolate ice cream at home

गर्मी के मौसम का आरंभ होने के साथ ही हमें आइसक्रीम की जरूरत शुरू हो जाती है।  यह एक मज़ेदार और स्वादिष्ट आइसक्रीम अगर घर पर तैयार हो जाए तो फिर क्या कहना क्योंकि आखिर  और घर पर बनी आइसक्रीम से बढ़कर कुछ नहीं है! तो आइए आपको हम सबसे बेहतरीन घर पर बनी चॉकलेट आइसक्रीम बनाने की अपनी रेसिपी शेयर रहा हूँ जो बनाने मे आसान और स्वादिष्ट चॉकलेट से तैयार आइसक्रीम रेसिपी है जिसे  आप घर पर बिना अंडा और बिना आइसक्रीम मेकर के बना सकते हैं-

सामग्री:

  • 2 कप हैवी व्हिपिंग क्रीम (ठंडी)
  • 1 कप कन्डेन्स्ड मिल्क (मीठा दूध)
  • ½ कप कोको पाउडर (unsweetened)
  • ½ कप डार्क चॉकलेट (पिघली हुई)
  • 1 टीस्पून वनीला एक्सट्रैक्ट
  • चॉकलेट चिप्स या ग्रेटेड चॉकलेट (सजाने के लिए – वैकल्पिक)


बनाने की विधि:

इस होममेड चॉकलेट आइसक्रीम रेसिपी को बनाने के लिए कई सारे स्टेप्स शामिल हैं जैसे कुछ देर तक ठंडा करना और साथ मे मिक्स्चर को जमाना भी - लेकिन सबसे अच्छी चॉकलेट आइसक्रीम बनाने में लगने वाला समय से ज्यादा आवश्यक है रेसीपी अच्छा बनना। 

 कोको मिक्स तैयार करें:

एक बाउल में कन्डेन्स्ड मिल्क, कोको पाउडर, वनीला एक्सट्रैक्ट और पिघली हुई डार्क चॉकलेट को अच्छी तरह मिलाएं। एक स्मूद और गाढ़ा मिक्सचर बनाना है।

व्हिपिंग क्रीम फेंटें:

आप जो भी प्रतिशत चाहें, इस्तेमाल करें - बस इतना जान लें कि मिल्क चॉकलेट से आइसक्रीम ज़्यादा मीठी बनेगी और चॉकलेट जितनी डार्क होगी, चॉकलेट का स्वाद उतना ही ज़्यादा तीखा होगा। एक अलग बाउल में हैवी क्रीम को इलेक्ट्रिक बीटर से तब तक फेंटें जब तक सॉफ्ट पीक्स न बन जाएं।

मिक्सिंग:

अब धीरे-धीरे कोको मिक्स को व्हिप्ड क्रीम में मिलाएं। हल्के हाथ से फोल्ड करें ताकि हवा बनी रहे और आइसक्रीम स्मूद बने।

सबसे पहले, एक कटोरे में कंडेंस्ड मिल्क, कोको पाउडर, पिघली हुई चॉकलेट और वेनिला एक्सट्रेक्ट को एक साथ फेंटें जब तक कि यह चिकना न हो जाए।"

एक अलग कटोरे में, ठंडी हैवी क्रीम को तब तक फेंटें जब तक कि उसमें सख्त चोटियाँ न बन जाएँ। इससे आइसक्रीम हल्की और हवादार बनती है।

अब व्हीप्ड क्रीम को चॉकलेट मिश्रण में धीरे से मिलाएँ। मिश्रण को फूला हुआ रखने के लिए इसे धीरे-धीरे करें।

मिश्रण को एक कंटेनर में डालें, ऊपर से चिकना करें और इसे ढक्कन या प्लास्टिक रैप से ढक दें। बेहतरीन नतीजों के लिए कम से कम 6-8 घंटे या रात भर के लिए फ़्रीज़ करें।

उस मलाईदार बनावट को देखें! इसके ऊपर कुछ चॉकलेट चिप्स या शेविंग्स डालें और अपने घर के बने खाने का आनंद लें।

घर पर बनाएं ठंडी ठंडी खरबूजा आइसक्रीम | टेस्ट के साथ पोषण भी, बच्चे भी मांग- मांग कर खाएंगे

घर पर बनाएं ठंडी ठंडी खरबूजा आइसक्रीम | टेस्ट के साथ पोषण भी, बच्चे भी मांग- मांग कर खाएंगे
Melon (खरबूजा) खाने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं खास तौर पर यह गर्मियों में हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है। अक्सर बच्चे खरबूज खाने से मना करते हैं क्योंकि उन्हे इससे शायद टेस्ट को लेकर परेशानी होती है।  वैसे तो बच्चे फ्रूट के नाम से हीं भागते हैं लेकिन क्योंकि खरबूज एक ऋतु फल है और इसलिए भी वे इसे नहीं कहना चाहते हैं। लेकिन गर्मियों को देखते हुए यह हमारे शरीर कि जरूरत है एक तो यह 

शरीर को ठंडक प्रदान करता है, पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है साथ हीं यह  शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। खरबूजे में विटामिन ए, विटामिन सी, और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। 

मेलन आइसक्रीम खाने के फायदे (Benefits):

मेलन हाइड्रेशन में मददगार होता है क्योंकि  खरबूजा 90% तक पानी से भरपूर होता है, जो शरीर को गर्मियों में हाइड्रेट रखता है।

इसके अतिरिक्त यह  लो कैलोरी स्वीट ट्रीट भी है क्योंकि  चीनी की जगह कंडेन्स्ड मिल्क और फल का मीठापन यूज़ करने से ये हेल्दी डिज़र्ट बनता है। इसके साथ हीं मेलोईं विटामिन्स से भरपूर होता है जिसमें  विटामिन A, C और पोटैशियम होता है, जो स्किन और इम्यून सिस्टम के लिए अच्छा है। बच्चों को पोषण के साथ स्वाद बच्चे अक्सर फल नहीं खाते – यह आइसक्रीम उनके लिए एक स्वादिष्ट तरीका है पोषण देने का।

तो फिर हम आपको बता रहे हैं Melon Ice Cream (खरबूजा आइसक्रीम) बनाने कि विधि जिसे बच्चे न नहीं कहेंगे और साथ मे व खरबूजा का सेवन भी कर सकेंगे। 

 मेलन आइसक्रीम बनाने की विधि

Melon Ice Cream (खरबूजा आइसक्रीम)  बनाने के लिए आपको बहुत ज्यादा तैयारी नहीं करनी है क्योंकि इसे आप कुछ स्टेप मे हीं बना लेंगे। हाँ, क्योंकि आइसक्रीम है तो आपको फ्रीजिंग के लिए कुछ समय देना पड़ेगा। तो आइए बनाते हैं Melon Ice Cream (खरबूजा आइसक्रीम) 

 सामग्री (Ingredients):

खरबूजा (Melon) – 2 कप (छोटे टुकड़ों में काटा हुआ, बीज हटाकर)

फ्रेश क्रीम – 1 कप

कंडेन्स्ड मिल्क (Condensed Milk) – ½ कप (स्वादानुसार कम-ज्यादा कर सकते हैं)

दूध (Milk) – ½ कप (उबला और ठंडा)

वेनिला एसेंस – ½ टीस्पून (ऑप्शनल)

बनाने की विधि (Recipe Method):

खरबूजा पीसें: सबसे पहले कटे हुए खरबूजे को मिक्सी में डालकर स्मूद प्यूरी बना लें।

मिक्स करें: इसके बाद अब आप कैट हुए खरबूजे को अब एक बड़े बाउल में खरबूजा प्यूरी, फ्रेश क्रीम, कंडेन्स्ड मिल्क और दूध डालें। अच्छी तरह फेंटें या मिक्सी में हल्का चला लें।

फ्लेवर ऐड करें: इसके लिए ध्यान दें की जो फ्लेवर बच्चे चाहते हैं आप उसे हीं प्राथमिकता दें ताकि बच्चे उसे खा सकें। हम यहाँ पर वेनिला एसेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं। 

फ्रीज़ करें: इस मिक्सचर को एक एयरटाइट कंटेनर में डालें और 6–8 घंटे या ओवरनाइट फ्रीज़र में रख दें।

स्कूप करें और परोसें: एक बार जम जाने के बाद स्कूप निकालें और ठंडी-ठंडी मेलन आइसक्रीम सर्व करें।




Mann Ki Baat: मिलिये कार्यक्रम के इन छुपे प्रतिभाओं से, जो अपने आप में एक आंदोलन हैं


Mann ki Baat Modi Points Quiz gk gs current affairs

PM Modi Mann Ki Baat: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल 27, 2025 को लोकप्रिय कार्यक्रम मन की बात के 121 वें एपिसोड का सम्बोधन किया। कार्यक्रम के आरंभ मे प्रधान मंत्री ने कहा कि  22 अप्रैल को पहलगाम में हुई आतंकी वारदात  के ने देश के हर नागरिक को दुख पहुँचाया है। पीड़ित परिवारों के प्रति हर भारतीय के मन में गहरी संवेदना है। 

आर्यभट्ट Satellite: 50 वर्ष पूरे 

इसी महीने अप्रैल में आर्यभट्ट Satellite की launching के 50 वर्ष पूरे हुए हैं। आज जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, 50 वर्षों की इस यात्रा को याद करते हैं - तो लगता है हमने कितनी लंबी दूरी तय की है। अंतरिक्ष में भारत के सपनों की ये उड़ान एक समय केवल हौंसलों से शुरू हुई थी। राष्ट्र के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा पाले कुछ युवा वैज्ञानिक - उनके पास न तो आज जैसे आधुनिक संसाधन थे, न ही दुनिया की Technology तक वैसी पहुँच थी - अगर कुछ था तो वो था, प्रतिभा, लगन, मेहनत और देश के लिए कुछ करने का जज्बा। बैलगाड़ियों और साइकिलों पर Critical Equipment को खुद लेकर जाते हमारे वैज्ञानिकों की तस्वीरों को आपने भी देखा होगा। उसी लगन और राष्ट्रसेवा की भावना का नतीजा है कि आज इतना कुछ बदल गया है। आज भारत एक Global Space Power बन चुका है। हमने एक साथ 104 Satellite का Launch करके Record बनाया है। हम चंद्रमा के South Pole पर पहुँचने वाले पहले देश बने हैं। भारत ने Mars Orbiter Mission Launch किया है और हम आदित्य - L1 Mission के जरिए सूरज के काफी करीब तक पहुंचे हैं। आज भारत पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा cost effective लेकिन Successful Space Program का नेतृत्व कर रहा है। दुनिया के कई देश अपनी Satellites और Space Mission के लिए ISRO की मदद लेते हैं।

‘सचेत' APP
किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटने में बहुत अहम् होती है - alertness, अर्थात हमारा  सचेत रहना। इस alertness में अब आपको अपने मोबाईल के एक स्पेशल APP से मदद मिल सकती है। ये APP आपको किसी प्राकृतिक आपदा में फंसने से बचा सकते हैं और इसका  नाम भी है ‘सचेत’। ‘सचेत APP’, भारत की National Disaster Management Authority (NDMA) ने तैयार किया है। बाढ़, Cyclone, Land-slide, Tsunami, जंगलों की आग, हिम-स्खलन, आंधी, तूफान या फिर बिजली गिरने जैसी आपदाएँ हो, ‘सचेत APP’ आपको हर प्रकार से informed और protected रखने का प्रयास करता है। इस APP के माध्यम से आप मौसम विभाग से जुड़े updates प्राप्त कर सकते हैं। खास बात ये है कि ‘सचेत APP’ क्षेत्रीय भाषाओं में भी कई सारी जानकारियां उपलब्ध कराता है। 

कर्नाटक के बागलकोट-श्री शैल तेली जी
कर्नाटक के बागलकोट में रहने वाले श्री शैल तेली जी ने मैदानों में सेब उगा दिया है। उनके कुलाली गांव में 35 डिग्री से ज्यादा तापमान में भी सेब के पेड़ फल देने लगे हैं। दरअसल श्री शैल तेली को खेती का शौक था तो उन्होंने सेब की खेती को भी आजमाने की कोशिश की और उन्हें इसमें सफलता भी मिल गई। आज उनके लगाए सेब के पेड़ों पर काफी मात्रा में सेब उगते हैं जिसे बेचने से उन्हें अच्छी कमाई भी हो रही है।

चंपारण का ऐतिहासिक सत्याग्रह
साल 1917, अप्रैल और मई के यही दो महीने - देश में आजादी की एक अनोखी लड़ाई लड़ी जा रही थी। अंग्रेजों के अत्याचार उफान पर थे। गरीबों, वंचितों और किसानों का शोषण अमानवीय स्तर को भी पार कर चुका था। बिहार की उपजाऊ धरती पर ये अंग्रेज किसानों को नील की खेती के लिए मजबूर कर रहे थे। नील की खेती से किसानों के खेत बंजर हो रहे थे, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत को इससे कोई मतलब नहीं था। ऐसे हालात में, 1917 में गांधी जी बिहार के चंपारण पहुंचे हैं। किसानों ने गांधी जी को बताया – हमारी जमीन मर रही है, खाने के लिए अनाज नहीं मिल रहा है। लाखों किसानों की उस पीड़ा से गांधी जी के मन में एक संकल्प उठा। वहीं से चंपारण का ऐतिहासिक सत्याग्रह शुरू हुआ। ‘चंपारण सत्याग्रह’ ये बापू द्वारा भारत में पहला बड़ा प्रयोग था। बापू के सत्याग्रह से पूरी अंग्रेज हुकूमत हिल गई। अंग्रेजों को नील की खेती के लिए किसानों को मजबूर करने वाले कानून को स्थगित करना पड़ा। ये एक ऐसी जीत थी जिसने आजादी की लड़ाई में नया विश्वास फूंका। आप सब जानते होंगें इस सत्याग्रह में बड़ा योगदान बिहार के एक और सपूत का भी था, जो आजादी के बाद देश के पहले राष्ट्रपति बने। वो महान विभूति थे – डॉ०  राजेन्द्र  प्रसाद। उन्होंने ‘चंपारण सत्याग्रह’ पर एक किताब भी लिखी – ‘Satyagraha in Champaran’, ये किताब हर युवा को पढ़नी चाहिए।



120 वें एपिसोड का खास आकर्षण 

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 30, 2025 को लोकप्रिय कार्यक्रम मन की बात के 120 वें एपिसोड का सम्बोधन किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने लोकप्रिय कार्यक्रम मे देश के मई छुपे प्रतिभाओं और कार्यक्रमों का चर्चा किया। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने जिन प्रमुख कार्यक्रमों और हस्तियों का चर्चा किया उनमें शामिल हैं कर्नाटका का  गडग जिला, Fit India Carnival, हनुमान काइन्ड,Textile waste,Somos India  और अन्य। आप 120 वें एपिसोड के हीरो के बारे में विस्तृत जानकारी नीचे पा सकते हैं-

कर्नाटका का  गडग जिला 

कर्नाटका के गडग जिले के लोगों ने भी मिसाल कायम की है। कुछ साल पहले यहाँ के दो गाँव की झीलें पूरी तरह सूख गईं। एक समय ऐसा भी आया जब वहाँ पशुओं के पीने के लिए भी पानी नहीं बचा। धीरे-धीरे झील घास-फूस और झाड़ियों से भर गई। लेकिन गाँव के कुछ लोगों ने झील को पुनर्जीवित करने का फैसला किया और काम में जुट गए। और कहते हैं ना, ‘जहां चाह-वहाँ राह’। गाँव के लोगों के प्रयास देखकर आसपास की सामाजिक संस्थाएं भी उनसे जुड़ गईं। सब लोगों ने मिलकर कचरा और कीचड़ साफ किया और कुछ समय बाद झील वाली जगह बिल्कुल साफ हो गई। अब लोगों को इंतजार है बारिश के मौसम का। वाकई, ये ‘catch the rain’ अभियान का शानदार उदाहरण है।

Fit India Carnival

दिल्ली में एक और भव्य आयोजन ने लोगों को बहुत प्रेरणा दी है, जोश से भर दिया है। एक Innovative Idea के रूप में पहली बार Fit India Carnival का आयोजन किया गया। इसमें अलग-अलग क्षेत्रों के करीब 25 हजार लोगों ने हिस्सा लिया। इन सभी का एक ही लक्ष्य था - Fit रहना और Fitness को लेकर जागरूकता फैलाना। इस आयोजन में शामिल लोगों को उनके स्वास्थ्य के साथ-साथ पोषण से जुड़ी जानकारियाँ भी मिलीं। 

 Rapper Hanumankind (हनुमान काइन्ड) 

हमारे स्वदेशी खेल अब Popular Culture के रूप में घुल-मिल रहे हैं। मशहूर Rapper Hanumankind (हनुमान काइन्ड) को तो आप सभी जानते ही होंगे। आजकल उनका नया Song “Run It Up” काफी Famous हो रहा है। इसमें कलारिपयट्टू, गतका और थांग-ता जैसी हमारी पारंपरिक Martial Arts को शामिल किया गया है। Hanumankind (हनुमान काइन्ड) वाकई मे बधाई के पात्र हैं जिनके प्रयास से हमारी पारंपरिक Martial Arts के बारे में दुनिया के लोग जान पा रहे हैं।

फगवा चौताल-फ़िजी

यह फ़िजी का बहुत ही लोकप्रिय ‘फगवा चौताल’ है।  ये गीत और संगीत हर किसी में जोश भर देता है। यह फ़िजी का बहुत ही लोकप्रिय ‘फगवा चौताल’ है। 

Singapore Indian Fine Arts Society

यह एक संगठन है जो वर्षों से भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने का कार्य कर रहा है। भारतीय नृत्य, संगीत और संस्कृति को संरक्षित करने में जुटे इस संगठन ने अपने गौरवशाली 75 साल पूरे किए हैं।

Textile waste

दरअसल, textile waste पूरी दुनिया के लिए नई चिंता की एक बड़ी वजह बन गया है। आजकल दुनिया-भर में पुराने कपड़ों को जल्द-से-जल्द हटाकर नए कपड़े लेने का चलन बढ़ रहा है। क्या आपने सोचा है कि जो पुराने कपड़े आप पहनना छोड़ देते हैं, उनका क्या होता है? यही textile waste बन जाता है। इस विषय में बहुत सारी global research हो रही है। एक research में यह सामने आया है, सिर्फ एक प्रतिशत से भी कम textile waste को नए कपड़ों में  recycle किया जाता है - एक प्रतिशत से भी कम! भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश है, जहां सबसे ज्यादा textile waste निकलता है। यानि चुनौती हमारे सामने भी बहुत बड़ी है। 
Textile waste से निपटने में कुछ शहर भी अपनी नई पहचान बना रहे हैं। हरियाणा का पानीपत textile recycling के global hub के रूप में उभर रहा है। बेंगलुरू भी Innovative Tech Solutions से अपनी एक अलग पहचान बना रहा है। यहाँ आधे से ज्यादा Textile waste को जमा किया जाता है, जो हमारे दूसरे शहरों के लिए भी एक मिसाल है। इसी प्रकार तमिलनाडु का Tirupur Waste Water Treatment  और renewable energy के माध्यम से textile waste management में जुटा हुआ है।

2025 के योग दिवस

साल 2025 के योग दिवस की theme रखी गई है, ‘Yoga for One Earth One Health’. यानि हम योग के जरिए पूरे विश्व को स्वस्थ बनाने की कामना करते हैं।

Somos India 

 Somos India नाम की team जिसके बारे मे प्रधान मंत्री ने चर्चा किया।  Spanish में इसका अर्थ है - We are India. यह टीम करीब एक दशक से योग और आयुर्वेद को बढ़ावा देने में जुटी है। उनका focus treatment के साथ-साथ educational programmes पर भी है। वे आयुर्वेद और योग से संबंधित जानकारियों को Spanish language में translate भी करवा रहे हैं। 

महुआ के फूल

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में महुआ के फूल से cookies बनाए जा रहे हैं। राजाखोह गांव की चार बहनों के प्रयास से ये cookies बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं। इन महिलाओं का जज्बा देखकर एक बड़ी company ने इन्हें factory में काम करने की training दी। इनसे प्रेरित होकर गांव की कई महिलायें इनके साथ जुड़ गई हैं। इनके बनाए महुआ cookies की मांग तेजी से बढ़ रही है। तेलंगना के आदिलाबाद जिले में भी दो बहनों ने महुआ के फूलों से नया experiment किया है। वो इनसे तरह-तरह के पकवान बनाती हैं, जिन्हें लोग बहुत पसंद करते हैं। उनके पकवानों में आदिवासी संस्कृति की मिठास भी है।

कृष्ण कमल

कृष्ण कमल एक शानदार फूल है जो गुजरात मे पाया जाता है।  गुजरात के एकता नगर में Statue of Unity के आसपास आपको ये कृष्ण कमल बड़ी संख्या में दिखेंगें। ये फूल पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। ये कृष्ण कमल एकता नगर के आरोग्य वन, एकता नर्सरी, विश्व वन और Miyawaki forest में आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं। यहां योजनाबद्ध तरीके से लाखों की संख्या में कृष्ण कमल के पौधे लगाए गए हैं। 


मन की बात कार्यक्रम के  119  वें संस्करण का प्रसारण आज फरवरी  23 , 2025 को सम्पन्न हुआ जो नए साल का पहला एपिसोड होगा। देश के इस सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम के प्रसारण मे प्रधान मंत्री मोदी ने जनता को संबोधित करते हुए स्पेस मे अंतरिक्ष मे भारत कि सफलता को बताया। 

118 वीं एपिसोड के हीरो 

थोडासम कैलाश,तेलंगाना


तेलंगाना में आदिलाबाद के सरकारी स्कूल के एक टीचर थोडासम कैलाश जी हैं। Digital गीत-संगीत में उनकी दिलचस्पी हमारी कई Tribal language को बचाने में बहुत महत्वपूर्ण काम कर रही है। उन्होंने AI tools की मदद से कोलामी भाषा में गाना compose कर कमाल कर दिया है। वे AI का उपयोग कोलामी के अलावा भी कई और भाषाओं में गीत तैयार करने के लिए कर रहे हैं। Social media पर उनके track हमारे आदिवासी भाई-बहनों को खूब पसंद आ रहे हैं।

अनुराधा राव, अंडमान निकोबार

अनुराधा राव, अंडमान निकोबार की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि उनकी  कई पीढ़ियों का नाता अंडमान निकोबार आइलैंड से रहा है। अनुराधा जी ने कम उम्र में ही Animal Welfare के लिए खुद को समर्पित कर दिया था। तीन दशकों से उन्होंने हिरण और मोर की रक्षा को अपना mission बनाया। यहां के लोग तो उन्हें ‘Deer Woman’ के नाम से बुलाते हैं। 

उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेल: मिलिये इन छुपी हुई खेल प्रतिभाओं से 

साथियो, आज उत्तराखंड में हुए राष्ट्रीय खेलों का  देश-भर में इन खेलों के कुछ यादगार प्रदर्शनों की खूब चर्चा है।  इस बार के राष्ट्रीय खेलों में teenage champions, उनका नंबर, हैरान करने वाला है। इन खेलों में सबसे ज्यादा Gold Medal जीतने वाली Services की team को प्रधान मंत्री ने बधाई दिया। प्रधान मंत्री ने कहा कि ये खेल प्रतिभाएं ‘खेलो-इंडिया’ अभियान की देन हैं।

  •  हिमाचल प्रदेश के सावन बरवाल, महाराष्ट्र के किरण मात्रे, तेजस शिरसे या आंध्र प्रदेश की ज्योति याराजी, सबने, देश को नई उम्मीदें दी हैं।
  •  उत्तर प्रदेश के Javelin Thrower सचिन यादव और हरियाणा की high jumper पूजा और कर्नाटका की swimmer धिनिधि देसिन्धु ने देशवासियों का दिल जीता।
  •  इन्होंने तीन नए राष्ट्रीय record बनाकर सबको चौंका दिया।
  • 15 साल के shooter गेविन एंटनी, यूपी की Hammer Throw खिलाड़ी 16 साल की अनुष्का यादव। 
  •  मध्य प्रदेश के 19 साल के पोलवाल्टर देव कुमार मीणा ने साबित किया कि भारत का sporting future बेहद प्रतिभावान पीढ़ी के हाथों में है।
  •  उत्तराखंड में हुए National Games ने ये भी दिखाया कि कभी हार ना मानने वाले ‘जीतते’ जरूर हैं। 

Comfort के साथ कोई Champion नहीं बनता। मुझे खुशी है, हमारे युवा एथलीटों के determination और discipline के साथ भारत आज global sporting powerhouse बनने की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है।

Obesity यानि मोटापा

प्रधान मंत्री ने Obesity यानि मोटापा की समस्या पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा की एक fit और Healthy Nation बनने के लिए हमें Obesity की समस्या से निपटना ही होगा। एक study के मुताबिक आज हर आठ में से एक व्यक्ति obesity की समस्या से परेशान है। बीते वर्षों में Obesity के मामले दोगुने हो गए हैं, लेकिन, इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि बच्चों में भी मोटापे की समस्या चार गुणा बढ़ गई है।
 WHO का data बताता है कि 2022 में दुनिया-भर में करीब ढाई सौ करोड़ लोग overweight थे, यानि आवश्यकता से भी कहीं ज्यादा वजन था। ये आँकड़े बेहद गंभीर हैं और हम सभी को सोचने पर मजबूर करते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? अधिक वजन या मोटापा कई तरह की परेशानियों को, बीमारियों को भी जन्म देता है। 
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सब मिलकर छोटे-छोटे प्रयासों से इस चुनौती से निपट सकते हैं, जैसे एक तरीका मैंने सुझाया था, “खाने के तेल में दस पर्सेन्ट (10%) की कमी करना”। आप तय कर लीजिए कि हर महीने 10% कम तेल उपयोग करेंगे। आप तय कर सकते हैं कि जो तेल खाने के लिए खरीदा जाता है, खरीदते समय ही अब 10% कम ही खरीदेंगे। ये Obesity कम करने की दिशा में एक अहम कदम होगा।

Obesity यानि मोटापा पर नीरज चोपड़ा के टिप्स 


Olympic Medalist नीरज चोपड़ा ने मोटापा पर अपने टिप्स को शेयर करते हुए बताया कि -" हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘मन की बात’ में इस बार Obesity के बारे में चर्चा की है, जो हमारे देश के लिए बहुत ही अहम मुद्दा है, और मैं कहीं ना कहीं इस बात को खुद से भी relate करता हूँ, क्योंकि जब मैंने ground पर जाना start किया था तो उस टाइम में भी मेरा भी काफी मोटापा था और जब मैंने training start की अच्छा खाना start किया तो काफी health में मेरे सुधार आया और उसके बाद जब मैं एक professional athlete बन गया तो उसमें भी मेरी काफी help मिली और साथ में बताना चाहूंगा कि जो parents हैं वो खुद भी outdoor sport कोई न कोई खेलें और अपने बच्चों को भी लेकर जाएँ और एक अच्छा healthy life style बनाएं, अच्छा खाएं और अपने शरीर को एक घंटा या जितना भी time आप दे सकते हैं दिन में वो दें exercise के लिए। और मैं एक बात और add करना चाहूंगा अभी हाल ही में हमारे प्रधानमंत्री जी ने बोला था कि जो खाने में use होने वाला oil है उसको 10% तक कम करें, क्योंकि कई बार हम काफी तली हुई चीजें ऐसी चीजें खा लेते हैं जिससे obesity पर काफी impact पड़ता है। तो मैं सभी को कहना चाहूँगा कि इन चीजों से बचें और अपनी health का ध्यान रखें। 

Obesity यानि मोटापा पर बाक्सर  निखत ज़रीन के टिप्स 


निखत ज़रीन जो two times world boxing champion हूं ने मोटापा पर अपने टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि-" जैसे कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘मन की बात’ में Obesity को लेकर जिक्र किया है and  I think it’s a national concern हमें अपनी health को लेकर serious होना चाहिए because  मोटापा जितनी जल्दी से फैल रहा है हमारे इंडिया में, उसको हमें रोकना चाहिए, और कोशिश यही करनी चाहिए कि हम जितना हो सके Healthy lifestyle follow करें। मैं खुद एक athlete हो के कोशिश करती हूं कि मैं Healthy diet follow करूं because अगर मैंने गलती से भी unhealthy diet ले लिया है या मैंने oily चीजे खा ली तो जिसकी वजह से मेरे performance पे impact पड़ता है और मैं Ring में जल्दी थक जाती हूँ and मैं कोशिश यही करती हूँ कि मैं जितना हो सके edible oil  जैसी चीजों को मैं कम इस्तेमाल करूँ और उसकी जगह Healthy diet follow करूँ और daily physical activity करूँ जिसकी वजह से मैं हमेशा fit रहती हूँ and I think हम जैसे common लोग जो हैं, जो daily job पर जाते हैं, काम पर जाते हैं, and I think हर किसी को Health को लेकर serious होना चाहिए और कुछ ना कुछ daily physical activity करनी चाहिए जिसकी वजह से हमें बीमारियों जैसे Heart Attack है और Cancer जैसे बीमारियों से हम दूर रहें और अपने आप को fit रखे ‘क्योंकि हम Fit तो India Fit’."


Obesity यानि मोटापा पर डॉ. देवी शेट्टी जी के टिप्स 


डॉ. देवी शेट्टी जी जो  एक बहुत ही सम्मानित डॉक्टर हैं, वे इस विषय पर निरंतर काम कर रहे हैं। उन्होंने मोटापा पर अपने टिप्स देते हुए बताया कि-" I would like to thank our Honorable Prime Minister for creating an awareness about obesity in his most popular ‘Mann Ki Baat’ programme. Obesity today is not a cosmetic problem; it is a very serious medical problem. Majority of the youngsters in India today are obese. The main cause of obesity today is poor quality of food intake especially excess intake of carbohydrates that is rice, chapatti and sugar and of course large consumption of oil.  Obesity leads to major medical problems like heart disease, high blood pressure, fatty liver and many other complications. So my advice to all the youngsters; Start exercising control your diet and be very very active and watch your weight. Once again I would like to wish all of you very very happy healthy future, Good Luck and God Bless." 

Asiatic Lion, Hangul, Pygmy Hogs और Lion-tailed Macaque


प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम मे बताया कि Asiatic Lion, Hangul, Pygmy Hogs और Lion-tailed Macaque  इसमें क्या समानता है? उन्होंने बताया  कि ये सब दुनिया में कहीं और नहीं पाए जाते हैं, केवल हमारे देश में ही पाए जाते हैं। वाकई हमारे यहाँ वनस्पति और जीव-जंतुओ का एक बहुत ही Vibrant Eco-System है, और ये वन्य जीव, हमारे इतिहास और संस्कृति में रचे-बसे हुए हैं। कई जीव-जन्तु हमारे देवी-देवताओं की सवारी के तौर पर भी देखे जाते हैं। 
मध्य भारत में कई जन-जातियाँ बाघेश्वर की पूजा करती हैं। महाराष्ट्र में वाघोबा के पूजन की परंपरा रही है।
 भगवान अयप्पा का भी बाघ से बहुत गहरा नाता है। सुंदरवन में बोनबीबी की पूजा-अर्चना होती है, जिनकी सवारी बाघ है।
 हमारे यहाँ कर्नाटका के हुली वेशा, तमिलनाडु के पूली और केरला के पुलिकली जैसे कई Cultural Dances हैं, जो Nature और Wild Life के साथ जुड़े हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ मे बताया कि आदिवासी भाई-बहनों का भी बहुत आभार है क्योंकि वो Wildlife Protection से जुड़े कार्यों में बढ़-चढ़कर भागीदारी करते हैं। कर्नाटका के BRT Tiger Reserve में बाघों की आबादी में लगातार वृद्धि हुई है। इसका बहुत Credit Soliga Tribes को जाता है, जो, बाघ की पूजा करते हैं। इनके कारण इस क्षेत्र में man-animal conflict ना के बराबर होता है। 
गुजरात में भी लोगों ने गिर में Asiatic Lions की सुरक्षा और संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने दुनिया को दिखा दिया है कि प्रकृति के साथ co-existence आखिर क्या होता है। 


118 वीं एपिसोड के हीरो 


पिछले एपिसोड अर्थात 117 वें एपिसोड मे प्रधान मंत्री मोदी ने देश एवं विदेश  के अलग-अलग हिस्सों के छुपे हुए जिन प्रतिभाओं के बारे मे चर्चा किया उनमें  शामिल हैं-एरीका ह्युबर, पराग्वे  और अन्य।  

मध्य प्रदेश का Mini Brazil: नशे के बदनाम अड्डे से देश की Football Nursery तक का सफर 
मध्य प्रदेश का Mini Brazil जिसकी चर्चा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के संस्करण मे किया था। क्या आप जानते हैं कि  कभी यह इलाका नशे के लिए बदनाम था। यह इलाका अवैध शराब के लिए बदनाम था और यहाँ के युवा पूरी तरह नशे की गिरफ्त में थे और इसका खामियाजा इस माहौल का सबसे बड़ा नुकसान यहाँ के युवाओं को हो रहा था। लेकिन अब देश मे यह Football क्रांति का जन्म स्थली बन चुकी है जो अब धीरे- धीरे पूरे क्षेत्र में फैल रही है।आज शहडोल और उसके आसपास के काफ़ी बड़े इलाके में 1200 से ज्यादा Football club बन चुके हैं। इसकी चर्चा इसकी चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के जुलाई 2023 के संस्करण मे किया था। आइए जानते हैं कि क्या है नशे के बदनाम अड्डे से देश की Football Nursery तक के सफर की कहानी।

मध्य प्रदेश (एम.पी.) के शहडोल में एक गांव है बिचारपुर। बिचारपुर को Mini Brazil कहा जाता है। Mini Brazil इसलिए, क्योंकि ये गांव आज फुटबाल के उभरते सितारों का गढ़ बन गया है। 
बिचारपुर गांव के Mini Brazil बनने की यात्रा दो-ढाई दशक पहले शुरू हुई थी। उस दौरान, बिचारपुर गांव अवैध शराब के लिए बदनाम था, नशे की गिरफ्त में था। इस माहौल का सबसे बड़ा नुकसान यहाँ के युवाओं को हो रहा था। एक पूर्व National Player और coach रईस एहमद ने इन युवाओं की प्रतिभा को पहचाना। रईस जी के पास संसाधन ज्यादा नहीं थे, लेकिन उन्होंने, पूरी लगन से, युवाओं को, Football सिखाना शुरू किया।
कुछ साल के भीतर ही यहाँ Football इतनी popular हो गयी, कि बिचारपुर गांव की पहचान ही Football से होने लगी। अब यहाँ Football क्रांति नाम से एक प्रोग्राम भी चल रहा है। इस प्रोग्राम के तहत युवाओं को इस खेल से जोड़ा जाता है और उन्हें training दी जाती है। ये प्रोग्राम इतना सफ़ल हुआ है कि बिचारपुर से National और state level के 40 से ज्यादा खिलाड़ी निकले हैं। ये Football क्रांति अब धीरे- धीरे पूरे क्षेत्र में फैल रही है । शहडोल और उसके आसपास के काफ़ी बड़े इलाके में 1200 से ज्यादा Football club बन चुके हैं।
यहाँ से बड़ी संख्या में ऐसे खिलाड़ी निकल रहे है, जो, National level पर खेल रहे हैं | Football के कई बड़े पूर्व खिलाड़ी और coach, आज, यहाँ, युवाओं को, Training दे रहे हैं। एक आदिवासी इलाका जो अवैध शराब के लिए जाना जाता था, नशे के लिए बदनाम था, वो अब देश की Football Nursery बन गया है।  

‘चिटे लुई’-मिज़ोरम 
मिज़ोरम की राजधानी आइजवाल में एक खूबसूरत नदी है ‘चिटे लुई’, जो बरसों की उपेक्षा के चलते, गंदगी और कचरे के ढेर में बदल गई | पिछले कुछ वर्षों में इस नदी को बचाने के लिए प्रयास शुरू हुए हैं | इसके लिए स्थानीय एजेंसियां, स्वयंसेवी संस्थाएं और स्थानीय लोग, मिलकर, save चिटे लुई action plan भी चला रहे हैं | नदी की सफाई के इस अभियान ने waste से wealth creation का अवसर भी बना दिया है | दरअसल, इस नदी में और इसके किनारों पर बहुत बड़ी मात्रा में प्लास्टिक और पॉलिथीन का कचरा भरा हुआ था | नदी को बचाने के लिए काम कर रही संस्था ने, इसी पॉलिथिन से, सड़क बनाने का फैसला लिया, यानि, जो कचरा नदी से निकला, उससे मिज़ोरम के एक गाँव में, राज्य की, पहली प्लास्टिक रोड बनाई गई, यानि, स्वच्छता भी और विकास भी |

 सुल्तान की बावड़ी, उदयपुर, राजस्थान 

राजस्थान के उदयपुर में ऐसी ही सैकड़ों साल पुरानी एक बावड़ी है – ‘सुल्तान की बावड़ी’ | इसे राव सुल्तान सिंह ने बनवाया था, लेकिन, उपेक्षा के कारण धीरे–धीरे ये जगह वीरान होती गयी और कूड़े–कचरे के ढेर में तब्दील हो गयी है | एक दिन कुछ युवा ऐसे ही घूमते हुए इस बावड़ी तक पहुंचे और इसकी स्थिति देखकर बहुत दुखी हुए | इन युवाओं ने उसी क्षण सुल्तान की बावड़ी की तस्वीर और तकदीर बदलने का संकल्प लिया | उन्होंने अपने इस mission को नाम दिया - ‘सुल्तान से सुर-तान’ | 

प्रधान मंत्री ने मन की बात मध्य से बताया कि आप सोच रहे होंगे, कि, ये सुर-तान क्या है| दरअसल, अपने प्रयासों से इन युवाओं ने ना सिर्फ बावड़ी का कायाकल्प किया, बल्कि इसे, संगीत के सुर और तान से भी जोड़ दिया है | सुल्तान की बावड़ी की सफाई के बाद, उसे सजाने के बाद, वहां, सुर और संगीत का कार्यक्रम होता है | इस बदलाव की इतनी चर्चा है, कि, विदेश से भी कई लोग इसे देखने आने लगे हैं | इस सफल प्रयास की सबसे ख़ास बात ये है कि अभियान शुरू करने वाले युवा chartered accountants हैं।  

मन की बात, मार्च 2022
 “माधवपुर मेला” गुजरात के पोरबंदर में समुद्र के पास माधवपुर गाँव में लगता है | लेकिन इसका हिन्दुस्तान के पूर्वी छोर से भी नाता जुड़ता हैजिसके पीछे  एक पौराणिक कथा है | कहा जाता है कि हजारों वर्ष पूर्व भगवान् श्री कृष्ण का विवाह, नार्थ ईस्ट की राजकुमारी रुक्मणि से हुआ था | ये विवाह पोरबंदर के माधवपुर में संपन्न हुआ था और उसी विवाह के प्रतीक के रूप में आज भी वहां माधवपुर मेला लगता है | East और West का ये गहरा नाता, हमारी धरोहर है | समय के साथ अब लोगों के प्रयास से, माधवपुर मेले में नई- नई चीजें भी जुड़ रही हैं |
 हमारे यहाँ कन्या पक्ष को घराती कहा जाता है और इस मेले में अब नार्थ ईस्ट से बहुत से घराती भी आने लगे हैं| एक सप्ताह तक चलने वाले माधवपुर मेले में नार्थ ईस्ट के सभी राज्यों के आर्टिस्ट(artist) पहुंचते हैं, हेंडीक्राफ्ट(handicraft) से जुड़े कलाकार पहुंचतें हैं और इस मेले की रौनक को चार चाँद लग जाते हैं | एक सप्ताह तक भारत के पूरब और पश्चिम की संस्कृतियों का ये मेल, ये माधवपुर मेला, एक भारत - श्रेष्ठ भारत की बहुत सुन्दर मिसाल बना रहा है| 

118 वीं कड़ी के छुपे रुस्तम

के. हिंडुम्बी,लक्षद्वीप 
लक्षद्वीप के कवरत्ती द्वीप पर Nurse के रूप में काम करने वाली के. हिंडुम्बी जी उनका काम भी बहुत प्रेरित करने वाला है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि वो 18 वर्ष पहले सरकारी नौकरी से Retire हो चुकी हैं, लेकिन आज भी उसी करुणा, और स्नेह के साथ, लोगों की सेवा में जुटी हैं जैसे वो पहले करती थीं।

दीपक नाबाम,अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश में दीपक नाबाम जी ने सेवा की अनूठी मिसाल पेश की है। दीपक जी यहां Living-Home चलाते हैं। जहां मानसिक रूप से बीमार, शरीर से असमर्थ लोगों और बुजुर्गों की सेवा की जाती है, यहां पर Drugs की लत के शिकार लोगों की देख-भाल की जाती है। दीपक नाबाम जी ने बिना किसी सहायता के समाज के वंचित लोगों, हिंसा पीड़ित परिवारों, और बेघर लोगों को, सहारा देने का अभियान शुरू किया। आज उनकी सेवा ने एक संस्था का रूप ले लिया है। उनकी संस्था को कई Award से भी सम्मानित किया गया है।

अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल

Firefly-सफलता पूर्वक लॉन्च 
 एक भारतीय space-tech start-up बेंगलुरू के Pixxel (पिक्सेल) ने भारत का पहला निजी satellite constellation – ‘Firefly’ (फायर-फ्लाई), सफलतापूर्वक launch किया है। यह satellite constellation दुनिया का सबसे High-Resolution Hyperspectral Satellite Constellation है। इस उपलब्धि ने, न केवल भारत को आधुनिक space technology में अग्रणी बनाया है, बल्कि, यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। ये सफलता हमारे निजी space sector की बढ़ती ताकत और innovation का प्रतीक है। 

Spacde Docking  करने वाला चौथा देश बना भारत 
साथियो, कुछ दिन पहले हमारे वैज्ञानिकों ने space sector में ही एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की। हमारे scientists ने satellites की space docking कराई है। जब अंतरिक्ष में दो spacecraft connect किए जाते हैं, तो, इस प्रक्रिया को Space Docking कहते हैं। यह तकनीक अंतरिक्ष में space station तक supply भेजने और crew mission के लिए अहम है। भारत ऐसा चौथा देश बना है, जिसने ये सफलता हासिल की है।

लोबिया के बीज अंतरिक्ष में ही अंकुरित हुए
साथियो, हमारे वैज्ञानिक अंतरिक्ष में पौधे उगाने और उन्हें जीवित रखने के प्रयास भी कर रहे हैं। इसके लिए ISRO के वैज्ञानिकों ने लोबिया के बीज को चुना। 30 दिसंबर को भेजे गए ये बीज अंतरिक्ष में ही अंकुरित हुए। ये एक बेहद प्रेरणादायक प्रयोग है जो भविष्य में space में सब्जियां उगाने का रास्ता खोलेगा। ये दिखाता है कि हमारे वैज्ञानिक कितनी दूर की सोच के साथ काम कर रहे हैं।

हाथी बंधु-नौगांव, असम 

असम में एक जगह है ‘नौगांव’। ‘नौगांव’ हमारे देश की महान विभूति श्रीमंत शंकरदेव जी का जन्म स्थान भी है। ये जगह बहुत ही सुंदर है। यहाँ हाथियों का भी एक बड़ा ठिकाना है। इस क्षेत्र में कई घटनाएं देखी जा रही थी, जहां हाथियों के झुंड फसलों को बर्बाद कर देते थे, किसान परेशान रहते थे, जिससे आस-पास के करीब 100 गांवों के लोग, बहुत परेशान थे, लेकिन गांववाले, हाथियों की भी मजबूरी समझते थे। 
उन्हें पता था कि हाथी, भूख मिटाने के लिए, खेतों का रूख कर रहे हैं, इसलिए गांववालों ने इसका समाधान निकालने की सोची। गावंवालों की एक टीम बनी, जिसका नाम था ‘हाथी बंधु’। हाथी बंधुओं ने सूझ-बूझ दिखाते हुए करीब 800 बीघा बंजर भूमि पर एक अनूठी कोशिश की। यहाँ गांववालों ने आपस में मिल-जुल कर Napier grass लगाई। इस घास को हाथी बहुत पसंद करते हैं। इसका असर ये हुआ कि हाथियों ने खेतों की ओर जाना कम कर दिया। ये हजारों गांववालों के लिए बहुत राहत की बात है। 

 ‘कुंभ’ एकता का महाकुंभ
प्रधान मंत्री ने मन की बात मे महा कुम्भ का चर्चा करते हुए कहा कि प्रयागराज में महाकुंभ का श्रीगणेश हो चुका है। चिरस्मरणीय जन-सैलाब, अकल्पनीय दृश्य और समता-समरसता का असाधारण संगम! इस बार कुंभ में कई दिव्य योग भी बन रहे हैं। कुंभ का ये उत्सव विविधता में एकता का उत्सव मनाता है। संगम की रेती पर पूरे भारत के, पूरे विश्व के लोग, जुटते हैं। हजारों वर्षों से चली या रही इस परंपरा में कहीं भी कोई भेदभाव नहीं, जातिवाद नहीं। इसमें भारत के दक्षिण से लोग आते हैं, भारत के पूर्व और पश्चिम से लोग आते हैं। कुंभ में गरीब-अमीर सब एक हो जाते हैं। 
सब लोग संगम में डुबकी लगाते हैं, एक साथ भंडारों में भोजन करते हैं, प्रसाद लेते हैं - तभी तो ‘कुंभ’ एकता का महाकुंभ है। कुंभ का आयोजन हमें ये भी बताता है कि कैसे हमारी परम्पराएं पूरे भारत को एक सूत्र में बांधती हैं। उत्तर से दक्षिण तक मान्यताओं को मानने के तरीके एक जैसे ही हैं।
 एक तरफ प्रयागराज, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होता है, वैसे ही, दक्षिण भू-भाग में, गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा और कावेरी नदी के तटों पर पुष्करम होते हैं। ये दोनों ही पर्व हमारी पवित्र नदियों से, उनकी मान्यताओं से, जुड़े हुए हैं। इसी तरह कुंभकोणम से तिरुक्कड-यूर, कूड़-वासल से तिरुचेरई अनेक ऐसे मंदिर हैं, जिनकी परम्पराएं कुंभ से जुड़ी हुई हैं।
केजी मोहम्मद, लक्षद्वीप 
लक्षद्वीप के  केजी मोहम्मद जी के प्रयास अद्भुत हैं। उनकी मेहनत से मिनीकॉय द्वीप का Marine Ecosystem मजबूत हो रहा है। उन्होनें पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई गीत लिखे हैं। उन्हें लक्षद्वीप साहित्य कला अकादमी की तरफ से Best folk song award भी मिल चुका है। केजी मोहम्मद retirement के बाद वहां के museum के साथ जुड़कर भी काम कर रहे हैं।

117वीं कड़ी के छुपे रुस्तम

एरीका ह्युबर, पराग्वे

एरीका ह्युबर जो  पराग्वे  (दक्षिण अमेरिका) कि रहने वाली है वह free आयुर्वेद consultation देती हैं। उलेखनिय है कि पराग्वे में  रहने वाले भारतीयों की संख्या एक हजार से ज्यादा नहीं होगी। पराग्वे में एक अद्भुत प्रयास हो रहा है। वहाँ भारतीय दूतावास में एरीका ह्युबर free आयुर्वेद consultation देती हैं। आयुर्वेद की सलाह लेने के लिए आज उनके पास स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में पहुँच रहे हैं। एरीका ह्युबर ने भले ही engineering की पढ़ाई की हो, लेकिन उनका मन तो आयुर्वेद में ही बसता है। उन्होंने आयुर्वेद से जुड़े Courses किए थे और समय के साथ वे इसमें पारंगत होती चली गई।

कालाहांडी की ‘सब्जी क्रांति’

ओडिशा के कालाहांडी में जहां कभी किसान, पलायन करने को मजबूर थे, वहीं आज, कालाहांडी का गोलामुंडा ब्लॉक एक vegetable hub बन गया है। यह परिवर्तन कैसे आया? इसकी शुरुआत सिर्फ 10 किसानों के एक छोटे से समूह से हुई। इस समूह ने मिलकर एक FPO - ‘किसान उत्पाद संघ’ की स्थापना की, खेती में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया, और आज उनका ये FPO करोड़ों का कारोबार कर रहा है। आज 200 से अधिक किसान इस FPO से जुड़े हैं, जिनमें 45 महिला किसान भी हैं। ये लोग मिलकर 200 एकड़ में टमाटर की खेती कर रहे हैं, 150 एकड़ में करेले का उत्पादन कर रहे हैं। अब इस FPO का सालाना turnover भी बढ़कर डेढ़ करोड़ से ज्यादा हो गया है। आज कालाहांडी की सब्जियां, न केवल ओडिशा के विभिन्न जिलों में, बल्कि, दूसरे राज्यों में भी पहुँच रही हैं, और वहाँ का किसान, अब, आलू और प्याज की खेती की नई तकनीकें सीख रहा है।

 ‘वन भैंसा’ और ‘पहाड़ी मैना’
प्रधान मंत्री नें बताया कि बस्तर, छत्तीसगढ़  में एक अनूठा Olympic शुरू हुआ है! जी हाँ, पहली बार हुए बस्तर Olympic से बस्तर में एक नई क्रांति जन्म ले रही है। ये बहुत ही खुशी की  बात है कि बस्तर Olympic का सपना साकार हुआ है। आपको भी ये जानकार अच्छा लगेगा कि यह उस क्षेत्र में हो रहा है, जो कभी माओवादी हिंसा का गवाह रहा है। बस्तर Olympic का शुभंकर है – ‘वन भैंसा’ और ‘पहाड़ी मैना’। इसमें बस्तर की समृद्ध संस्कृति की झलक दिखती है। इस बस्तर खेल महाकुंभ का मूल मंत्र है –

‘करसाय ता बस्तर बरसाए ता बस्तर’

यानि ‘खेलेगा बस्तर – जीतेगा बस्तर’।

बस्तर Olympic

पहली ही बार में बस्तर Olympic में 7 जिलों के एक लाख 65 हजार खिलाड़ियों ने भाग लिया है। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है – यह हमारे युवाओं के संकल्प की गौरव-गाथा है। Athletics, तीरंदाजी, Badminton, Football, Hockey, Weightlifting, Karate, कबड्डी, खो-खो और Volleyball – हर खेल में हमारे युवाओं ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है। कारी कश्यप जी जो एक छोटे से गांव से आती है  ने तीरंदाजी में रजत पदक जीता है। वे कहती हैं – “बस्तर Olympic ने हमें सिर्फ खेल का मैदान ही नहीं, जीवन में आगे बढ़ने का अवसर दिया है”।
 सुकमा की पायल कवासी जी की बात भी कम प्रेरणादायक नहीं है। Javelin Throw में स्वर्ण पदक जीतने वाली पायल जी कहती हैं – “अनुशासन और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है”। 
सुकमा के दोरनापाल के पुनेम सन्ना जी की कहानी तो नए भारत की प्रेरक कथा है। एक समय नक्सली प्रभाव में आए पुनेम जी आज wheelchair पर दौड़कर मेडल जीत रहे हैं। उनका साहस और हौसला हर किसी के लिए प्रेरणा है। कोडागांव के तीरंदाज रंजू सोरी जी को ‘बस्तर youth Icon’ चुना गया है। उनका मानना है – बस्तर Olympic दूरदराज के युवाओं को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने का अवसर दे रहा है।  

Cancer से मुकाबला 
Cancer से मुकाबले के लिए एक ही मंत्र है - Awareness, Action और Assurance. Awareness यानि cancer और इसके लक्षणों के प्रति जागरूकता, Action यानि समय पर जांच और इलाज, Assurance यानि मरीजों के लिए हर मदद उपलब्ध होने का विश्वास। आईए, हम सब मिलकर cancer के खिलाफ इस लड़ाई को तेजी से आगे ले जाएं और ज्यादा-से-ज्यादा मरीजों की मदद करें।

WAVES summit, दावोस

अगले साल हमारे देश में पहली बार World Audio Visual Entertainment Summit यानि WAVES summit का आयोजन दावोस मे होने वाला है।  उसी तरह WAVES summit में दुनिया-भर के media और entertainment Industry के दिग्गज, creative world के लोग भारत आएंगे। यह summit भारत को global content creation का hub बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस summit की तैयारी में हमारे देश के young creators भी पूरे जोश से जुड़ रहे हैं। जब हमारा देश  5 trillion dollar economy की ओर बढ़ रहे हैं, तब हमारी creator economy एक नई energy ला रही है। प्रधान मंत्री ने  भारत की पूरी entertainment और creative Industry से कहा कि  – चाहे आप young creator हों या established artist, Bollywood से जुड़े हों, या regional cinema से, TV Industry के professional हों, या animation के expert, gaming से जुड़े हों या entertainment technology के Innovator, आप सभी WAVES summit का हिस्सा बनें।

मन की बात: 116वीं कड़ी 

मन की बात कार्यक्रम के  116 वें संस्करण के प्रसारण  नवंबर 24, 2024 को हुआ। इसके साथ हीं देश के इस सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम के प्रसारण मे प्रधान मंत्री मोदी ने जनता को संबोधित किया। इस कार्यक्रम मे प्रधान मंत्री मोदी ने देश के अलग-अलग हिस्सों के छुपे हुए जिन प्रतिभाओं के बारे मे चर्चा किया उनमें  शामिल हैं- वीरेंद्र- लखनऊ, महेश- भोपाल, राजीव-अहमदाबाद ,श्रीराम गोपालन जी, चेन्नई, ‘Food for Thought’ Foundation, हैदराबाद,‘Prayog Library, गोपालगंज बिहार , कूडुगल ट्रस्ट, चेन्नई और अन्य।

 116वीं कड़ी के छुपे रुस्तम


स्वामी विवेकानंद जी की 162वीं जयंती

12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर देश 'युवा दिवस' मनाता है.  इस अवसर पर 11-12 जनवरी को दिल्ली के भारत मंडपम में युवा विचारों का महाकुंभ होने जा रहा है, और इस पहल का नाम है 'विकसित भारत Young Leaders Dialogue’। भारत-भर से करोड़ों युवा इसमें भाग लेंगे। गाँव, block, जिले, राज्य और वहाँ से निकलकर चुने हुए ऐसे दो हजार युवा भारत मंडपम में 'विकसित भारत Young Leaders Dialogue' के लिए जुटेंगे। 
‘विकसित भारत Young Leaders Dialogue'  ऐसा प्रयास है इसमें देश और विदेश से experts आएंगे। अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हस्तियाँ भी रहेंगी। मैं भी इसमें ज्यादा-से-ज्यादा समय उपस्थित रहूँगा। युवाओं को सीधे हमारे सामने अपने Ideas को रखने का अवसर मिलेगा। देश इन Ideas को कैसे आगे लेकर जा सकता है? कैसे एक ठोस roadmap बन सकता है?

 वीरेंद्र, लखनऊ

वीरेंद्र बुजुर्गों को Digital life certificate के काम में मदद करते हैं। आप जानते हैं कि नियमों के मुताबिक सभी Pensioners को साल में एक बार Life Certificate जमा कराना होता है। 2014 तक इसकी प्रक्रिया यह थी इसे बैंकों में जाकर बुजुर्ग को खुद जमा करना पड़ता था आप कल्पना कर सकते हैं कि इससे हमारे बुजुर्गों को कितनी असुविधा होती थी। अब ये व्यवस्था बदल चुकी है। अब Digital Life Certificate देने से चीजें बहुत ही सरल हो गई हैं, बुजुर्गों को बैंक नहीं जाना पड़ता। बुजुर्गों को Technology की वजह से कोई दिक्कत ना आए, इसमें, वीरेंद्र जैसे युवाओं की बड़ी भूमिका है। वो, अपने क्षेत्र के बुजुर्गों को इसके बारे में जागरूक करते रहते हैं। इतना ही नहीं वो बुजुर्गों को tech savvy भी बना रहे हैं ऐसे ही प्रयासों से आज Digital Life certificate पाने वालों की संख्या 80 लाख के आँकड़े को पार कर गई है। इनमें से दो  लाख से ज्यादा ऐसे बुजुर्ग हैं, जिनकी आयु 80 के भी पार हो गई है।


महेश, भोपाल

भोपाल के महेश ने अपने मोहल्ले के कई बुजुर्गों को Mobile के माध्यम से Payment करना सिखाया है। इन बुजुर्गों के पास smart phone तो था, लेकिन, उसका सही उपयोग बताने वाला कोई नहीं था। बुजुर्गों को Digital arrest के खतरे से बचाने के लिए भी युवा आगे आए हैं। 

 राजीव,  अहमदाबाद 

Digital Arrest जैसे अपराध के सबसे ज्यादा शिकार बुजुर्ग ही बनते हैं। ऐसे में उन्हें जागरूक बनाना और  और cyber fraud से बचने में मदद करना बहुत जरूरी है ।अहमदाबाद के राजीव, लोगों को Digital Arrest के खतरे से आगाह करते हैं। हमें बार-बार लोगों को समझाना होगा कि Digital Arrest नाम का सरकार में कोई भी प्रावधान नहीं है - ये सरासर झूठ, लोगों को फ़साने का एक षड्यन्त्र है मुझे खुशी है कि हमारे युवा साथी इस काम में पूरी संवेदनशीलता से हिस्सा ले रहे हैं और दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं।

 श्रीराम गोपालन जी, चेन्नई 

‘किताबें’ इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं, और अब इस दोस्ती को मजबूत करने के लिए, Library से ज्यादा अच्छी जगह और क्या होगी। चेन्नई मे बच्चों के लिए एक ऐसी library तैयार की गई है, जो, creativity और learning का Hub बन चुकी है। इसे प्रकृत् अरिवगम् के नाम से जाना जाता है। इस library का ।dea, technology की दुनिया से जुड़े श्रीराम गोपालन जी की देन है। विदेश में अपने काम के दौरान वे latest technology की दुनिया से जुड़े रहे। लेकिन, वो, बच्चों में पढ़ने और सीखने की आदत विकसित करने के बारे में भी सोचते रहे। भारत लौटकर उन्होंने प्रकृत् अरिवगम् को तैयार किया। इसमें तीन हजार से अधिक किताबें हैं, जिन्हें पढ़ने के लिए बच्चों में होड़ लगी रहती है। किताबों के अलावा इस library में होने वाली कई तरह की activities भी बच्चों को लुभाती हैं। Story Telling session हो, Art Workshops हो, Memory Training Classes, Robotics Lesson या फिर Public Speaking, यहां, हर किसी के लिए कुछ-न-कुछ जरूर है, जो उन्हें पसंद आता है।

‘Food for Thought’ Foundation, हैदराबाद 

‘Food for Thought’ Foundation, हैदराबाद  ने भी कई शानदार libraries बनाई हैं।  इनका भी प्रयास यही है कि बच्चों को ज्यादा-से-ज्यादा विषयों पर ठोस जानकारी के साथ पढ़ने के लिए किताबें मिलें।


‘Prayog Library, गोपालगंज बिहार

 
बिहार में गोपालगंज के ‘Prayog Library’ की चर्चा तो आसपास के कई शहरों में होने लगी है। इस library से करीब 12 गांवों के युवाओं को किताबें पढ़ने की सुविधा मिलने लगी है, साथ ही ये, library पढ़ाई में मदद करने वाली दूसरी जरूरी सुविधाएँ भी उपलब्ध करा रही है। कुछ libraries तो ऐसी हैं, जो, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में students के बहुत काम आ रही हैं।

‘एक पेड़ मां के नाम’ इंदौर

 मध्य प्रदेश के इंदौर में ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत, पेड़ लगाने का record बना है - यहां 24 घंटे में 12 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए गए। इस अभियान की वजह से इंदौर की Revati Hills के बंजर इलाके, अब, green zone में बदल जाएंगे। राजस्थान के जैसलमेर में इस अभियान के द्वारा एक अनोखा record बना - यहां महिलाओं की एक टीम ने एक घंटे में 25 हजार पेड़ लगाए। माताओं ने मां के नाम पेड़ लगाया और दूसरों को भी प्रेरित किया। यहां एक ही जगह पर पाँच हज़ार से ज़्यादा लोगों ने मिलकर पेड़ लगाए - ये भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है । 

कूडुगल ट्रस्ट, चेन्नई 

 गौरेया को तमिल और मलयालम में कुरुवी, तेलुगु में पिच्चुका और कन्नड़ा में गुब्बी के नाम से जाना जाता है। हर भाषा, संस्कृति में, गौरेया को लेकर किस्से-कहानी सुनाए जाते हैं। हमारे आसपास Biodiversity को बनाए रखने में गौरेया का एक बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है, लेकिन, आज शहरों में बड़ी मुश्किल से गौरेया दिखती है । बढ़ते शहरीकरण की वजह से गौरेया हमसे दूर चली गई है । आज की पीढ़ी के ऐसे बहुत से बच्चे हैं, जिन्होंने गौरेया को सिर्फ तस्वीरों या वीडियो में देखा है । ऐसे बच्चों के जीवन में इस प्यारी पक्षी की वापसी के लिए कुछ अनोखे प्रयास हो रहे हैं । 

चेन्नई के कूडुगल ट्रस्ट ने गौरेया की आबादी बढ़ाने के लिए स्कूल के बच्चों को अपने अभियान में शामिल किया है । संस्थान के लोग स्कूलों में जाकर बच्चों को बताते हैं कि गौरेया रोज़मर्रा के जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है । ये संस्थान बच्चों को गौरेया का घोंसला बनाने की training देते है । इसके लिए संस्थान के लोगों ने बच्चों को लकड़ी का एक छोटा सा घर बनाना सिखाया । इसमें गौरेया के रहने, खाने का इंतजाम किया । ये ऐसे घर होते हैं जिन्हें किसी भी इमारत की बाहरी दीवार पर या पेड़ पर लगाया जा सकता है । बच्चों ने इस अभियान में उत्साह के साथ हिस्सा लिया और गौरेया के लिए बड़ी संख्या में घोंसला बनाना शुरू कर दिया ।  पिछले चार वर्षों में संस्था ने गौरेया के लिए ऐसे दस हज़ार घोंसले तैयार किए हैं । कूडुगल ट्रस्ट की इस पहल से आसपास के इलाकों में गौरेया की आबादी बढ़नी शुरू हो गई है। आप भी अपने आसपास ऐसे प्रयास करेंगे तो निश्चित तौर पर गौरेया फिर से हमारे जीवन का हिस्सा बन जाएगी ।

 ‘Early Bird’ मैसुरू, कर्नाटक


कर्नाटका के मैसुरू की एक संस्था ने बच्चों के लिए ‘Early Bird’ नाम का अभियान शुरू किया है । ये संस्था बच्चों को पक्षियों के बारे में बताने के लिए खास तरह की library चलाती है ।  इतना ही नहीं, बच्चों में प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का भाव पैदा करने के लिए ‘Nature Education Kit’ तैयार किया है। इस Kit में बच्चों के लिए Story Book, Games, Activity Sheets और jig-saw puzzles हैं । ये संस्था शहर के बच्चों को गांवों में लेकर जाती है और उन्हें पक्षियों के बारे में बताती है । इस संस्था के प्रयासों की वजह से बच्चे पक्षियों की अनेक प्रजातियों को पहचानने लगे हैं । 

‘Kanpur Ploggers Group


साफ-सफाई को लेकर UP के कानपुर में भी अच्छी पहल हो रही है। यहाँ कुछ लोग रोज सुबह Morning Walk पर निकलते हैं और गंगा के घाटों पर फैले Plastic और अन्य कचरे को उठा लेते हैं। इस समूह को ‘Kanpur Ploggers Group’ नाम दिया गया है। इस मुहिम की शुरुआत कुछ दोस्तों ने मिलकर की थी। धीरे-धीरे ये जन भागीदारी का बड़ा अभियान बन गया। शहर के कई लोग इसके साथ जुड़ गए हैं। इसके सदस्य, अब, दुकानों और घरों से भी कचरा उठाने लगे हैं। इस कचरे से Recycle Plant में tree guard तैयार किए जाते हैं, यानि, इस Group के लोग कचरे से बने tree guard से पौधों की सुरक्षा भी करते हैं|

 इतिशा, असम

छोटे-छोटे प्रयासों से कैसी बड़ी सफलता मिलती है, इसका एक उदाहरण असम की इतिशा भी है।  इतिशा की पढ़ाई-लिखाई दिल्ली और पुणे में हुई है। इतिशा corporate दुनिया की चमक-दमक छोड़कर अरुणाचल की सांगती घाटी को साफ बनाने में जुटी हैं। पर्यटकों की वजह से वहां काफी plastic waste जमा होने लगा था। वहां की नदी जो कभी साफ थी वो plastic waste की वजह से प्रदूषित हो गई थी। इसे साफ करने के लिए इतिशा स्थानीय लोगों के साथ मिलकर काम कर रही है। उनके group के लोग वहां आने वाले tourist को जागरूक करते हैं और plastic waste को collect करने के लिए पूरी घाटी में बांस से बने कूड़ेदान लगाते हैं।

 111 वां संस्करण 


मन की बात कार्यक्रम के  111 वें संस्करण के प्रसारण  30, 2024 को संपन्न हुआ। इसके साथ हीं इस लोकप्रिय कार्यक्रम का प्रसारण करीब तीन महीने के बाद प्रारंभ हुआ।

लोक सभा चुनाव के पहले प्रधान मंत्री ने कहा था कि आचार संहिता लागु होने के बाद अब अगले संस्करण  जो कि 111 वां संस्करण होगा उसका प्रसारण अब ठीक 3 महीने के बाद होगा. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 111 शुभ अंक होता है और इससे अच्छा भला और क्या होगा सकता है कि इसके बाद 111 वे अंक का प्रसारण होगा।

मन की बात के पहले एपिसोड  एपिसोड का प्रसारण कब हुआ था?
  • पहला मन की बात कार्यक्रम 3 अक्टूबर 2014 को विजयादशमी के अवसर पर सबसे पहले प्रसारित किया गया था। कार्यक्रम के दूसरे ससंस्करन का प्रसारण इसके बाद 2 नवंबर 2014 को दूसरा प्रसारण किया गया था। 30 अप्रैल 2023 को इसका सौवाँ प्रसारण हुआ।

मन की बात की 111वीं कड़ी : खास हस्तियाँ 
सिद्धो-कान्हू
30 जून का ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन को हमारे आदिवासी भाई-बहन ‘हूल दिवस’ के रूप में मनाते हैं। यह दिन वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस से जुड़ा है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का पुरजोर विरोध किया था। वीर सिद्धो-कान्हू ने हजारों संथाली साथियों को एकजुट करके अंग्रेजों का जी-जान से मुकाबला किया, और जानते हैं ये कब हुआ था ? ये हुआ था 1855 में, यानी ये 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी दो साल पहले हुआ था, तब, झारखंड के संथाल परगना में हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठा लिया था। हमारे संथाली भाई-बहनों पर अंग्रेजों ने बहुत सारे अत्याचार किए थे, उन पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगा दिए थे। इस संघर्ष में अद्भुत वीरता दिखाते हुए वीर सिद्धो और कान्हू शहीद हो गए। झारखंड की भूमि के इन अमर सपूतों का बलिदान आज भी देशवासियों को प्रेरित करता है।

कार्थुम्बी छाता-केरला 
बारिश के इस मौसम में सबके घर में जिस चीज की खोज शुरू हो गई है, वो है ‘छाता’। ‘मन की बात’ में  प्रधान मंत्री म ने  एक खास तरह के छातों के बारे में बताया।  ये छाते तैयार होते हैं हमारे केरला में। वैसे तो केरला की संस्कृति में छातों का विशेष महत्व है। छाते, वहाँ कई परंपराओं और विधि-विधान का अहम हिस्सा होते हैं। लेकिन मैं जिस छाते की बात कर रहा हूँ, वो हैं ‘कार्थुम्बी छाते’ और इन्हें तैयार किया जाता है केरला के अट्टापडी में। ये रंग-बिरंगे छाते बहुत शानदार होते हैं। और खासियत ये इन छातों को केरला की हमारी आदिवासी बहनें तैयार करती हैं। आज देशभर में इन छातों की मांग बढ़ रही हैं। इनकी Online बिक्री भी हो रही है। इन छातों को ‘वट्टालक्की सहकारी कृषि सोसाइटी’ की देखरेख में बनाया जाता है। इस सोसाइटी का नेतृत्व हमारी नारीशक्ति के पास है। महिलाओं के नेतृत्व में अट्टापडी के आदिवासी समुदाय ने Entrepreneurship की अद्भुत मिसाल पेश की है। इस society ने एक बैंबू-हैंडीक्राफ्ट यूनिट की भी स्थापना की है। अब ये लोग एक Retail outlet और एक पारंपरिक cafe खोलने की तैयारी में भी हैं। इनका मकसद सिर्फ अपने छाते और अन्य उत्पाद बेचना ही नहीं, बल्कि ये अपनी परंपरा, अपनी संस्कृति से भी दुनिया को परिचित करा रहे हैं। आज कार्थुम्बी छाते केरला के एक छोटे से गाँव से लेकर Multinational कंपनियों तक का सफर पूरा कर रहे हैं।
कुवैत रेडियो
कुवैत सरकार ने अपने National Radio पर एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया है। और वो भी हिन्दी में। ‘कुवैत रेडियो’ पर हर रविवार को इसका प्रसारण आधे घंटे के लिए किया जाता है। इसमें भारतीय संस्कृति के अलग-अलग रंग शामिल होते हैं। हमारी फिल्में और कला जगत से जुड़ी चर्चाएं वहाँ भारतीय समुदाय के बीच बहुत लोकप्रिय हैं।  कुवैत के स्थानीय लोग भी इसमें खूब दिलचस्पी ले रहे हैं। प्रधान  मंत्री मोदी ने कुवैत की सरकार और वहाँ के लोगों का हृदय से धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने ये शानदार पहल की है।

तुर्कमेनिस्तान: गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी  को सम्मान 

 अब जैसे, तुर्कमेनिस्तान में इस साल मई में वहाँ के राष्ट्रीय कवि की 300वीं जन्म-जयंती मनाई गई। इस अवसर पर तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने दुनिया के 24 प्रसिद्ध कवियों की प्रतिमाओं का अनावरण किया। इनमें से एक प्रतिमा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी की भी है। ये गुरुदेव का सम्मान है, भारत का सम्मान है।

सूरीनाम  और Saint Vincent and the Grenadines
 इसी तरह जून के महीने में दो कैरेबियाई देश सूरीनाम और Saint Vincent and the Grenadines ने अपने Indian heritage को पूरे जोश और उत्साह के साथ celebrate किया। सूरीनाम में हिन्दुस्तानी समुदाय हर साल 5 जून को Indian Arrival Day और प्रवासी दिन के रूप में मनाता है। यहाँ तो हिन्दी के साथ ही भोजपुरी भी खूब बोली जाती है। Saint Vincent and the Grenadines में रहने वाले हमारे भारतीय मूल के भाई-बहनों की संख्या भी करीब छ: हजार है। उन सबको अपनी विरासत पर बहुत गर्व है। एक जून को इन सबने Indian Arrival Day को जिस धूम-धाम से मनाया, उससे उनकी ये भावना साफ झलकती है। दुनियाभर में भारतीय विरासत और संस्कृति का जब ऐसा विस्तार दिखता है तो हर भारतीय को गर्व होता है।

Araku coffee, आंध्र प्रदेश 
 Araku coffee. Araku coffee आंध्र प्रदेश के अल्लुरी सीता राम राजू जिले में बड़ी मात्रा में पैदा होती है। ये अपने rich flavor और aroma के लिए जानी जाती है। Araku coffee की खेती से करीब डेढ़ लाख आदिवासी परिवार जुड़े हुए हैं। Araku coffee को नई ऊंचाई  देने में Girijan cooperative की बहुत बड़ी भूमिका रही है। इसने यहाँ के किसान भाई बहनों को एक साथ लाने का काम किया और उन्हें Araku coffee की खेती के लिए प्रोत्साहन दिया। इससे इन किसानों की कमाई भी बहुत बढ़ गई है। इसका बहुत लाभ कोंडा डोरा आदिवासी समुदाय को भी मिला है। कमाई के साथ साथ उन्हें सम्मान का जीवन भी मिल रहा है। मुझे याद है एक बार विशाखापत्नम में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू गारु के साथ मुझे इस coffee का स्वाद लेने का मौका मिला था। इसके taste की तो पूछिए ही मत ! कमाल की होती है ये coffee ! Araku coffee को कई Global awards मिले हैं। दिल्ली में हुई G-20 समिट में भी coffee छाई हुई थी। आपको जब भी अवसर मिले, आप भी Araku coffee का आनंद जरूर लें।

कब्बन पार्क,  बेंगलुरू 
 बेंगलुरू में एक पार्क है- कब्बन पार्क ! इस पार्क में यहाँ के लोगों ने एक नई परंपरा शुरू की है। यहाँ हफ्ते में एक दिन, हर रविवार बच्चे, युवा और बुजुर्ग आपस में संस्कृत में बात करते हैं। इतना ही नहीं, यहाँ वाद- विवाद के कई session भी संस्कृत में ही आयोजित किए जाते हैं। इनकी इस पहल का नाम है – संस्कृत weekend ! इसकी शुरुआत एक website के जरिए समष्टि गुब्बी जी ने की है। कुछ दिनों पहले ही शुरू हुआ ये प्रयास बेंगलुरूवासियों के बीच देखते ही देखते काफी लोकप्रिय हो गया है। अगर हम सब इस तरह के प्रयास से जुड़ें तो हमें विश्व की इतनी प्राचीन और वैज्ञानिक भाषा से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

संस्कृत बुलेटिन
 आज 30 जून को आकाशवाणी का संस्कृत बुलेटिन अपने प्रसारण के 50 साल पूरे कर रहा है। 50 वर्षों से लगातार इस बुलेटिन ने कितने ही लोगों को संस्कृत से जोड़े रखा है।

 110वां एपिसोड : 25 फरवरी, 2024  
ऊललेखनिय है कि पिछले एपिसोड 25 फरवरी 2024 को प्रधनामंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो प्रोग्राम मन की बात का के 110वां एपिसोड को सम्बोधित किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Modi ) के रेडियो प्रोग्राम मन की बात  ( Mann Ki Baat ) का पिछला एपीसोड 25 फरवरी, 2024  को अर्थात 110वां एपिसोड सुबह 11 बजे से ब्रॉडकास्ट हुआ था।  यहाँ पाएं 110 वें एपिसोड कि खास झलकियां। 

मोहम्मद मानशाह, गान्दरबल (जम्मू-कश्मीर )
जम्मू-कश्मीर में गान्दरबल के मोहम्मद मानशाह जी पिछले तीन दशकों से गोजरी भाषा को संरक्षित करने के प्रयासों में जुटे हैं। वे गुज्जर बकरवाल समुदाय से आते हैं जो कि एक जनजातीय समुदाय है। उन्हें बचपन में पढ़ाई के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ा था, वो रोजाना 20 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करते थे। इस तरह की चुनौतियों के बीच उन्होंने Masters की Degree हासिल की और ऐसे में ही उनका अपनी भाषा को संरक्षित करने का संकल्प दृढ़ हुआ।
साहित्य के क्षेत्र में मानशाह जी के कार्यों का दायरा इतना बड़ा है कि इसे करीब 50 संस्करणों में सहेजा गया है। इनमें कविताएं और लोकगीत भी शामिल हैं। उन्होंने कई किताबों का अनुवाद गोजरी भाषा में किया है।

बनवंग लोसू, अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश में तिरप के बनवंग लोसू जी एक टीचर हैं। उन्होंने वांचो भाषा के प्रसार में अपना अहम योगदान दिया है। यह भाषा अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और असम के कुछ हिस्सों में बोली जाती है। उन्होंने एक Language school बनवाने का काम किया है। 
इसके वांचो भाषा की एक लिपि भी तैयार की है। वो आने वाली पीढ़ियों को भी वांचो भाषा सिखा रहे हैं ताकि इसे लुप्त होने से बचाया जा सके।

 वेंकप्पा अम्बाजी सुगेतकर, कर्नाटक
कर्नाटका के वेंकप्पा अम्बाजी सुगेतकर उनका जीवन भी इस मामले में बहुत प्रेरणादायी है। यहां के बागलकोट के रहने वाले सुगेतकर जी एक लोक गायक हैं। इन्होनें 1000 से अधिक गोंधली गाने गाए हैं, साथ ही, इस भाषा में, कहानियों का भी खूब प्रचार- प्रसार किया है। उन्होंने बिना फीस लिए, सैकड़ों विद्यार्थियों, को Training भी दी है। 

‘मेरा पहला वोट - देश के लिए’
कुछ दिन पहले ही चुनाव आयोग ने एक और अभियान की शुरुआत की है – ‘मेरा पहला वोट - देश के लिए’। इसके जरिए विशेष रूप से first time voters से अधिक-से-अधिक संख्या में मतदान करने का आग्रह किया गया है। भारत को, जोश और ऊर्जा से भरी अपनी युवा शक्ति पर गर्व है। हमारे युवा-साथी चुनावी प्रक्रिया में जितनी अधिक भागीदारी करेंगे, इसके नतीजे देश के लिए उतने ही लाभकारी होंगे। 18 का होने के बाद आपको 18वीं लोकसभा के लिए सदस्य चुनने का मौका मिल रहा है। यानि ये 18वीं लोकसभा भी युवा आकांक्षा का प्रतीक होगी।

बिहार में भोजपुर के भीम सिंह भवेश जी
प्रधान मंत्री ने बताया कि अपने क्षेत्र के मुसहर जाति के लोगों के बीच भीम सिंह भवेश जी के  कार्यों की खूब चर्चा है।  बिहार में मुसहर एक अत्यंत वंचित समुदाय रहा है, बहुत गरीब समुदाय रहा है। भीम सिंह भवेश जी ने इस समुदाय के बच्चों की शिक्षा पर अपना focus किया है, ताकि उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके। उन्होंने मुसहर जाति के करीब 8 हज़ार बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया है। 
उन्होंने एक बड़ी Library भी बनवाई है, जिससे बच्चों को पढाई-लिखाई की बेहतर सुविधा मिल रही है। भीम सिंह जी, अपने समुदाय के सदस्यों के जरूरी Documents बनवाने में, उनके Form भरने में भी मदद करते हैं। इससे जरुरी संसाधनों तक गाँव के लोगों की पहुँच और बेहतर हुई है। लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हो, इसके लिए उन्होंने 100 से अधिक Medical Camps लगवाए हैं।
 जब कोरोना का महासंकट सिर पर था, तब, भीम सिंह जी ने अपने क्षेत्र के लोगों को Vaccine लगवाने के लिए भी बहुत प्रोत्साहित किया। देश के अलग-अलग हिस्सों में भीम सिंह भवेश जी जैसे कई लोग हैं, जो समाज में ऐसे अनेक नेक कार्यों में जुटे हैं। 

ड्रोन दीदी-उत्तर प्रदेश के सीतापुर
उत्तर प्रदेश के सीतापुर की रहने वाली सुनीता देवी हैं जिन्हे ड्रोन दीदी के नाम से जाना जाता है जिनकी चर्चा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 110 वें  संस्करण में किया। सुनीता देवी   बताया की ड्रोन की कृषि सम्बंधित कार्यों के बारे में उन्होंने बताया की  जैसे अभी फसल बड़ी हो रही है। बरसात का मौसम या कुछ भी ऐसे, बरसात में दिक्कत होती खेत में फसल में हम लोग घुस नहीं पा रहे हैं तो कैसे मजदूर अन्दर जाएगा, तो इसके माध्यम से बहुत फायदा किसानों को होगा और वहाँ खेत में घुसना भी नहीं पड़ेगा। हमारा drone जो हम मजदूर लगाकर अपना काम करते हैं वो हमारा drone से मेढ़ पे खड़े होके, हम अपना वो कर सकते हैं, कोई कीड़ा-मकोड़ा अगर खेत के अन्दर है उससे हमें सावधानी भी बरतनी रहेगी, कोई दिक्कत नहीं हो सकती है और किसानों को भी बहुत अच्छा लग रहा है। उन्होंने बताया कि  हमने 35 एकड़ spray कर चुके हैं अभी तक।  
उन्होंने बताया कि किसानों को बहुत संतुष्ट होते हैं कह रहे हैं बहुत अच्छा लग रहा। समय का भी बचत होता है,सारी सुविधा आप खुद देखती हैं, पानी, दवा सब कुछ साथ-साथ में रखती है और  लोगों को सिर्फ आकर खेत बताना पड़ता है कि कहां से कहां तक मेरा खेत है और सारा काम आधे घंटे में ही निपटा देती हूँ।

कल्याणी प्रफुल्ल पाटिल जी, महाराष्ट्र
प्राकृतिक खेती में इन्होने अपना खास योगदान दिया है. उनके अनुसार दस प्रकार के हमारी वनस्पति है उसको एकत्रित करके उससे उन्होंने  organic फवारणी(spray) बनाया जैसे कि जो हम pesticide वगैहरा spray करते तो उस से pest वगैरह जो हमारी मित्र कीट(pest) रहती है वो भी नष्ट हो रहे, और हमारी soil का pollution होता है जो तो तब chemical चीज़े जो पानी में घुल-मिल रही हैं उसकी वजह से हमारी body पर भी हानिकारक परिणाम दिख रहे हैं उस हिसाब से हमने कम से कम pesticide का use कर के।  
  
प्राकृतिक खेती में अनुभव के सम्बन्ध में कल्याणी जी ने बताया कि  हमारी महिलाएं हैं, उनको जो खर्च है, वो, कम लगा और जो product हैं, तो वो समाधान पाकर, हमने, without pest वो किया क्योंकि अब cancer के प्रमाण जो बढ़ रहे हैं जैसे शहरी भागों में तो है ही लेकिन गाँव में भी हमारी उसका प्रमाण बढ़ रहा है तो उस हिसाब से अगर आप अपने आगे के परिवार को अपने सुरक्षित करना है तो ये मार्ग अपनाना जरूरी है इस हिसाब से वो महिलाएं भी सक्रिय सहभाग इसके अन्दर दिखा रही हैं।  

मन की बात: 22 भारतीय 11 विदेशी भाषाओं में ब्रॉडकास्ट

इस खास कार्यक्रम का प्रसारण सुबह  11 बजे से ब्रॉडकास्ट  किया जायेगा जिसका प्रसारण  22 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों के अलावा 11 विदेशी भाषाओं में भी किया जायेगा. इसके अतिरिक्त 11 विदेशी भाषाओं में भी होता है मन की बात का प्रसारण जिसमे शामिल है फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू, फारसी, दारी और स्वाहिली। 

मन की बात : 101वीं कड़ी
International Museum Expo: कुछ दिन पहले ही भारत में International Museum Expo का भी आयोजन किया था। इसमें दुनिया के 1200 से अधिक Museumsकी विशेषताओं को दर्शाया गया
Museo Camera संग्रहालय, गुरुग्राम 
इसमें 1860 के बाद के 8 हजार से ज्यादा कैमरों का collection मौजूद है।
Museum of Possibilities, तमिलनाडु 
इस म्यूज़ीअम  को हमारे दिव्यांगजनों को ध्यान में रखकर,design किया गया है।
मुंबई का छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय 
जिसमें 70 हजार से भी अधिक चीजेंसंरक्षित की गई हैं।
Indian Memory Project 
साल 2010 में स्थापित, एक तरह का Online museum है।
यह दुनियाभर से भेजी गयी तस्वीरों और कहानियों के माध्यम से भारत के गौरवशाली इतिहास की कड़ियों को जोड़ने में जुटा है। विभाजन की विभिषिका से जुड़ी स्मृतियों को भी सामने लाने का प्रयास किया गया है।

FluxGen
यह एक  Start-Up IOT enabled  है जो तकनीक के जरिए water management के विकल्प देता है। ये technology पानी के इस्तेमाल के patterns बताएगा और पानी के प्रभावी इस्तेमाल में मदद करेगा। एक और startupहैLivNSense। ये artificial intelligence और machine learning पर आधारित platform है। इसकी मदद से water distribution की प्रभावी निगरानी की जा सकेगी। इससे ये भी पता चल सकेगा कि कहाँ कितना पानी बर्बाद हो रहा है।

‘कुंभी कागज (KumbhiKagaz)’
यह कुंभी कागज (KumbhiKagaz) भी एक स्टार्ट अप  है जिसने एक विशेष काम शुरू किया है। वे जलकुंभी से कागज बनाने का काम कर रहे हैं, यानी, जो जलकुंभी, कभी, जलस्त्रोतों के लिए एक समस्या समझी जाती थी, उसी से अब कागज बनने लगा है।

शिवाजी शामराव डोले ,  महाराष्ट्र
 महाराष्ट्र के श्रीमान् शिवाजी शामराव डोले जी। शिवाजी डोले, नासिक जिले के एक छोटे से गाँव के रहने वाले हैं। वो गरीब आदिवासी किसान परिवार से आते हैं, और, एक पूर्व सैनिक भी हैं। फौज में रहते हुए उन्होंने अपना जीवन देश के लिए लगाया।Retire होने के बाद उन्होंने कुछ नया सीखने का फैसला किया और Agriculture में Diploma किया, यानी,वो, जय जवान से, जय किसान की तरफ बढ़ चले। अब हर पल उनकी कोशिश यही रहती है कि कैसे कृषि क्षेत्र में अपना अधिक से अधिक योगदान दें। अपने इस अभियान में शिवाजी डोले जी ने 20 लोगों की एक छोटी-सी Team बनाई और कुछ पूर्व सैनिकों को भी इसमें जोड़ा। 
इसके बाद उनकी इस Team ने Venkateshwara Co-Operative Power & Agro Processing Limitedनाम की एक सहकारी संस्था का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया।ये सहकारी संस्था निष्क्रिय पड़ी थी, जिसे revive करने का बीड़ा उन्होंने उठाया। देखते ही देखते आज Venkateshwara Co-Operative का विस्तार कई जिलों में हो गया है। आज ये team महाराष्ट्र और कर्नाटका में काम कर रही है। 
इससे करीब 18 हजार लोग जुड़े हैं, जिनमें काफी संख्या में हमारे Ex-Servicemen भी हैं। नासिक के मालेगाँव में इस team के सदस्य 500 एकड़ से ज्यादा जमीन में Agro Farming कर रहे हैं। ये team जल संरक्षण के लिए भी कई तालाब भी बनवाने में जुटी है। खास बात यह है कि इन्होंने Organic Farming और Dairy भी शुरू की है। अब इनके उगाए अंगूरों को यूरोप में भी export किया जा रहा है। 
इस team की जो दो बड़ी विशेषतायें हैं, जिसने मेरा ध्यान आकर्षित किया है, वो ये है – जय विज्ञान और जय अनुसंधान। इसके सदस्य technology और Modern Agro Practices का अधिक से अधिक उपयोग कर रहे हैं। दूसरी विशेषता ये है कि वे export के लिए जरुरी कई तरह के certifications पर भी focus कर रहे हैं।

109वीं कड़ी: जनवरी 28, 2024 
मन की बात रेडियो कार्यक्रम का जनवरी 28, 2024 को मन की बात की 109वीं कड़ी का प्रसारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  किया। आज का यह कार्यक्रम नए साल अर्थात 2024 का पहला ‘मन की बात’का कार्यक्रम है।
मन की बात रेडियो कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रम है जिसने देश की जनता को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक ओर जहां इंटरनेट और टीवी के साथ ही ओटीटी प्लेटफॉर्म ने मनोरंजन के नए सोपान स्थापित कर रहे हैं ऐसे माहौल में आउटडेटेड हो चुके रेडियो की बदौलत मन की बात एक जन आंदोलन का रूप ले चुका हैं। निश्चित इसका पूरा श्रेय जाता है प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की चमत्कारिक व्यक्तित्व को।

मन की बात रेडियो कार्यक्रम का आज अर्थात जनवरी 28, 2024 को मन की बात की 109वीं कड़ी का प्रसारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  किया। आज का यह कार्यक्रम नए साल अर्थात 2024 का पहला ‘मन की बात’का कार्यक्रम है।

मन की बात की 109वीं कड़ी की खास बातें 

  • इस साल हमारे संविधान के भी 75 वर्ष हो रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के भी 75 वर्ष हो रहे हैं।
  • 26 जनवरी की परेड बहुत ही अद्भुत रही-Women Power  को लेकर।
  • इस बार परेड में मार्च करने वाले 20 दस्तों में से 11 दस्ते महिलाओं के थे।
  • अर्जुन अवार्ड समारोह- इस बार 13 Women Athletes को Arjun Award से सम्मानित किया गया है।
  •  इन women athletes ने अनेकों बड़े टूर्नामेंटों में हिस्सा लिया और भारत का परचम लहराया। 
  • कार्यक्रम का इतिहास:

    • पहला मन की बात 3 अक्टूबर 2014 को प्रसारित किया गया था।
    • 30 अप्रैल 2023 को इसका 100वां प्रसारण हुआ।
    • 2 जून 2017 से यह कार्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध है।

सुश्री यानुंग जामोह लैगो-अरुणाचल प्रदेश 

यानुंग जामोह लैगो की भी तस्वीर आ रही हैं। सुश्री यानुंग अरुणाचल प्रदेश की रहने वाली हैं और हर्बल औषधीय विशेषज्ञ हैं। इन्होंने आदि जनजाति की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को पुनर्जीवित करने के लिए काफी काम किया है। इस योगदान के लिए उन्हें इस बार पद्म सम्मान भी दिया गया है। इसी तरह इस बार छत्तीसगढ़ के हेमचंद मांझी उनको भी पद्म सम्मान मिला है। 

वैद्यराज हेमचंद मांझी-छत्तीसगढ़

वैद्यराज हेमचंद मांझी भी आयुष चिकित्सा पद्धति की मदद से लोगों का इलाज करते हैं। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में गरीब मरीजों की सेवा करते हुए उन्हें 5 दशक से ज्यादा का समय हो रहा है। 

आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा- डेटा  का वर्गीकरण

आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा से जुड़े डेटा और शब्दावली का वर्गीकरण किया है, इसमें, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मदद की है। दोनों के प्रयासों से आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा में बीमारी और इलाज से जुड़ी शब्दावली की coding कर दी गयी है। इस coding की मदद से अब सभी डॉक्टर prescription या अपनी पर्ची पर एक जैसी भाषा लिखेंगे। इसका एक फायदा ये होगा कि अगर आप वो पर्ची लेकर दूसरे डॉक्टर के पास जाएंगे तो डॉक्टर को इसकी पूरी जानकारी उस पर्ची से ही मिल जाएगी। 
आपकी बीमारी, इलाज, कौन-कौन सी दवाएं चली हैं, कब से इलाज चल रहा है, आपको किन चीज़ों से allergy है, ये सब जानने में उस पर्ची से मदद मिलेगी। इसका एक और फायदा उन लोगों को होगा, जो research के काम से जुड़े हैं। दूसरे देशों के वैज्ञानिकों को भी बीमारी, दवाएं और उसके प्रभाव की पूरी जानकारी मिल जाएगी। 
Research बढ़ने और कई वैज्ञानिकों के साथ-साथ जुड़ने से ये चिकित्सा पद्धति और बेहतर परिणाम देंगे और लोगों का इनके प्रति झुकाव बढ़ेगा। मुझे विश्वास है, इन आयुष पद्धतियों से जुड़े हमारे चिकित्सक, इस coding को जल्द से जल्द अपनाएंगे।

कार्यक्रम 'हमर हाथी - हमर गोठ’: छत्तीसगढ़ 

छत्तीसगढ़ में आकाशवाणी के चार केन्द्रों अंबिकापुर, रायपुर, बिलासपुर और रायगढ़ से हर शाम इस कार्यक्रम का प्रसारण होता है और आपको जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ के जंगल और उसके आसपास के इलाके में रहने वाले बड़े ध्यान से इस कार्यक्रम को सुनते हैं। ‘हमर हाथी - हमर गोठ’ कार्यक्रम में बताया जाता है कि हाथियों का झुण्ड जंगल के किस इलाके से गुजर रहा है। ये जानकारी यहाँ के लोगों के बहुत काम आती है। लोगों को जैसे ही रेडियो से हाथियों के झुण्ड के आने की जानकारी मिलती है, वो सावधान हो जाते हैं। जिन रास्तों से हाथी गुजरते हैं, उधर जाने का ख़तरा टल जाता है। इससे जहाँ एक ओर हाथियों के झुण्ड से नुकसान की संभावना कम हो रही है, वहीँ हाथियों के बारे में data जुटाने में मदद मिलती है। इस data के उपयोग से भविष्य में हाथियों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी। यहाँ हाथियों से जुड़ी जानकारी social media के जरिए भी लोगों तक पहुंचाई जा रही है। इससे जंगल के आसपास रहने वाले लोगों को हाथियों के साथ तालमेल बिठाना आसान हो गया है। छत्तीसगढ़ की इस अनूठी पहल और इसके अनुभवों का लाभ देश के दूसरे वन क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी उठा सकते हैं।

Beach Games-दीव

Beach Games  का आयोजन दीव के अन्दर उसका आयोजन हुआ था।  ‘दीव’ केन्द्रशासित प्रदेश है, सोमनाथ के बिलकुल पास है। इस साल की शुरुआत में ही दीव में इन Beach Games का आयोजन किया गया। ये भारत का पहला multi-sports beach games था। इनमें  Tug of war, Sea swimming, pencaksilat, मलखंब, Beach volleyball, Beach कबड्डी, Beach soccer,और Beach Boxing जैसे competition हुए। इनमें हर प्रतियोगी को अपनी प्रतिभा दिखाने का भरपूर मौका मिला। इस Tournament  में ऐसे राज्यों से भी बहुत से खिलाड़ी आए,जिनका दूर दूर तक समंदर से कोई नाता नहीं है। इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा Medal  भी मध्य प्रदेश ने जीते, जहाँ कोई Sea Beach नहीं है। खेलों के प्रति यही Temperament  किसी भी देश को sports की दुनिया का सरताज बनाता है।

 पिछले दिनों नवंबर 26, 2023 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 107 वे मन की बात रेडियो कार्यक्रम के संस्करण के अंतर्गत सम्बोधन किया. यूपी के रामसिंह, आंध्र प्रदेश के बेल्जिपुरम, तमिलनाडू के लोगनाथन जिनकी चर्चा पी एम ने किया है  प्रत्येक महीने आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम ने कई ऐतिहासिक ऊंचाइयों को छुआ है और इसमें  किसी को संदेह नहीं होने चाहिए। 

मन की बात: Facts in Brief 
  • शुरुआत: मन की बात रेडियो कार्यक्रम की शुरुआत 26 मई, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी।
  • प्रसारण: यह कार्यक्रम हर महीने के अंतिम रविवार को प्रसारित होता है।
  • प्रसारण का समय: यह कार्यक्रम सुबह 11:00 बजे से 11:15 बजे तक प्रसारित होता है।
  • प्रसारण के माध्यम: यह कार्यक्रम All India Radio (AIR) के सभी चैनलों पर प्रसारित होता है। इसके अलावा, इसे Doordarshan, YouTube, Twitter, Facebook और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी प्रसारित किया जाता है।
  • श्रोताओं की संख्या: इस कार्यक्रम को हर महीने करोड़ों लोग सुनते हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार, 2023 में इस कार्यक्रम को लगभग 100 करोड़ लोग सुन चुके हैं।

राम सिंह बौद्ध जी: उत्तर प्रदेश
मुझे उत्तर प्रदेश में अमरोहा के राम सिंह बौद्ध जी  पिछले कई दशकों से रेडियो संग्रह करने के काम में जुटे हैं। उनका कहना है कि ‘मन की बात’ के बाद से, उनके Radio Museum के प्रति लोगों की उत्सुकता और बढ़ गई है। उनका कहना है कि ‘मन की बात’ के बाद से, उनके Radio Museum के प्रति लोगों की उत्सुकता और बढ़ गई है।

बेल्जिपुरम Youth club’:  काकुलम आँध्रप्रदेश 
आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में है और इसका नाम ‘बेल्जिपुरम Youth club’है।Skill development पर focus कर ‘बेल्जिपुरमYouth club’ने करीब 7000 महिलाओं को सशक्त बनाया है। इनमें से अधिकांश महिलाएं आज अपने दम पर अपना कुछ काम कर रही हैं। इस संस्था ने बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को भी कोई ना कोई हुनर सिखाकर उन्हें उस दुष्चक्र से बाहर निकालने में मदद की है।‘

बेल्जिपुरमYouth club’की टीम ने किसान उत्पाद संघ यानि FPOs से जुड़े किसानों को भी नई Skill सिखाई जिससे बड़ी संख्या में किसान सशक्त हुए हैं। स्वच्छता को लेकर भी ये Youth club गांव–गांव में जागरूकता फैला रहा है। इसने अनेक शौचालयों का निर्माण की भी मदद की है।

लोगनाथन: कोयम्बटूर,   तमिलनाडु 
तमिलनाडु के कोयम्बटूर में रहने वाले लोगानाथन जी भी बेमिसाल हैं। बचपन में गरीब बच्चों के फटे कपड़ों को देखकर वे अक्सर परेशान हो जाते थे। इसके बाद उन्होंने ऐसे बच्चों की मदद का प्रण लिया और अपनी कमाई का एक हिस्सा इन्हें दान देना शुरू कर दिया। जब पैसे की कमी पड़ी तो लोगानाथन जी ने Toilets तक साफ़ किये ताकि जरूरतमंद बच्चों की मदद हो सके। वे पिछले 25 सालों से पूरी तरह समर्पित भाव से अपने इस काम में जुटे हैं और अब तक 1500 से अधिक बच्चों की मदद कर चुके हैं। 

सफाई संडे सूरत 
सूरत में स्वक्षता अभियान का आरंभ जिसमे ताप्ती नदी की सफाई की गई. लगभग 50 हजार की संख्या में युवाओं ने जमीनी स्तर पर शुरू किया गया. 

प्रधान मंत्री ने विदेशों में होने वाले शादियों पर कहा कि शादी और व्याह जैसे त्यौहार अपने देश में करना लोकल पर वोकल ध्यान देने की जरुरत. 

सऊदी अरब में संस्कृत मेले का आयोजन 
सऊदी अरब में ‘संस्कृत उत्सव’ नाम का एक आयोजन हुआ। यह अपने आप में बहुत अनूठा था, क्योंकि ये पूरा कार्यक्रम ही संस्कृत में था। संवाद, संगीत, नृत्य सब कुछ संस्कृत में, इसमें, वहाँ के स्थानीय लोगों की भागीदारी भी देखी गयी।

श्रीनगर में ‘छऊ’ पर्व का आयोजन

15  से 17 नवम्बर तक एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना के साथ श्रीनगर में ‘छऊ’ पर्व का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सबने ‘छऊ’ नृत्य का आनंद उठाया। श्रीनगर के नौजवानों को ‘छऊ’ नृत्य की training देने के लिए एक workshop का भी आयोजन हुआ। इसी प्रकार, कुछ सप्ताह पहले ही कठुआ जिले में ‘बसोहली उत्सव’ आयोजित किया गया। ये जगह जम्मू से150 किलोमीटर दूर है। इस उत्सव में स्थानीय कला, लोक नृत्य और पारंपरिक रामलीला का आयोजन हुआ।


अंबाजी:  ‘भादरवी पूनम मेले’ का आयोजन
कुछ सप्ताह पहले वहां अंबाजी में ‘भादरवी पूनम मेले’ का आयोजन किया गया था इस मेले में 50 लाख से ज्यादा लोग आए।ये मेला प्रतिवर्ष होता है। इसकी सबसे ख़ास बात ये रही कि मेले में आये लोगों ने गब्बर हिल के एक बड़े हिस्से में सफाई अभियान चलाया। मंदिरों के आसपास के पूरे क्षेत्र को स्वच्छ रखने का ये अभियान बहुत प्रेरणादायी है।

एक तरफ जहां टेलीविजन और इंटरनेट का युग नए नए मनोरंजन का आयाम प्रस्तुत कर रहा है, ऐसे समय में लगभग आउटडेटेड हो चुका रेडियो कार्यक्रम मन की बात जनांदोलन बन चुका हैं निसंदेह इसका पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को जाता है।  उल्लेखनीय है कि मन की बात  का पहले संस्करण कार्यक्रम 3 अक्टूबर 2014 को विजयादशमी के अवसर पर प्रसारित किया गया था। प्रत्येक महीने में इसका आयोजन होता है और 30 अप्रैल 2023 को इसका सौवाँ प्रसारण हुआ था ।


हाल हीं में 29 अक्टूबर 2023 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 106वीं कड़ी के अंतर्गत सम्बोधन किया.  जब पूरा देश  त्योहारों की उमंग में डूबा है ऐसे समय में मन की बात के 106वीं कड़ी के सम्बोधन में  मन की बात के 106वीं कड़ी के सम्बोधन में प्रधान  मंत्री ने जिन खास  मुद्दों को याद किया उनमे शामिल है-गांधी जयन्ती के अवसर पर दिल्ली में खादी की रिकॉर्ड बिक्री, मेरा युवा भारत, यानी MYBharat. MYBharat संगठन, लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म-जयंती,हमारा साहित्य, literature, कन्याकुमारी के थिरु ए. के. पेरूमल जी 15 नवंबर को पूरा देश जनजातीय गौरव दिवस तथा और भी बहुत कुछ. 

मन की बात की 106वीं कड़ी अक्टूबर 29, 2023 Facts in Brief

मन की बात के 106वीं कड़ी के सम्बोधन में प्रधान मंत्री ने एक बार फिर से इस कार्यकर्म में उन हीरो का जिक्र किया जिन्होंने देश और समाज को एक नहीं दिशा और ऊंचाई दिया है.  जैसा कि जाहिर है, इस कार्यक्रम में प्रधान मंत्री उन लोगों का ज़िक्र करते हैं जो हमारे Heroes हैं और जिन्होंने इस कार्यक्रम को जीवंत बनाया है। तो आइये  106वीं कड़ी के अंतर्गत सम्बोधन में प्रधान मंत्री ने मन की बात के जिन Heroes का चर्चा किया उन पर एक नजर डालते हैं. 
15 नवंबर-भगवान बिरसा मुंडा की जन्म-जयंती-जनजातीय गौरव दिवस 
15 नवंबर को पूरा देश जनजातीय गौरव दिवस मनाएगा। यह विशेष दिन भगवान बिरसा मुंडा की जन्म-जयंती से जुड़ा है। भगवान बिरसा मुंडा हम सब के ह्रदय में बसे हैं। सच्चा साहस क्या है और अपनी संकल्प शक्ति पर अडिग रहना किसे कहते हैं, ये हम उनके जीवन से सीख सकते हैं। उन्होंने विदेशी शासन को कभी स्वीकार नहीं किया।

 उन्होंने ऐसे समाज की परिकल्पना की थी, जहाँ अन्याय के लिए कोई जगह नहीं थी। वे चाहते थे कि हर व्यक्ति को सम्मान और समानता का जीवन मिले। भगवान बिरसा मुंडा ने प्रकृति के साथ सद्भाव से रहना इस पर भी हमेशा जोर दिया। आज भी हम देख सकते हैं कि हमारे आदिवासी भाई-बहन प्रकृति की देखभाल और उसके संरक्षण के लिए हर तरह से समर्पित हैं। हम सब के लिए, हमारे आदिवासी भाई-बहनों का ये काम बहुत बड़ी प्रेरणा है।

कन्याकुमारी के थिरु ए. के. पेरूमल
कन्याकुमारी के थिरु ए. के. पेरूमल जी का काम भी बहुत प्रेरित करने वाला है। उन्होंने तमिलनाडु के ये जो storytelling tradition है उसको संरक्षित करने का सराहनीय काम किया है। वे अपने इस मिशन में पिछले 40 सालों से जुटे हैं। इसके लिए वे तमिलनाडु के अलग-अलग हिस्सों में Travel करते हैं और Folk Art Forms को खोज कर उसे अपनी Book का हिस्सा बनाते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उन्होंने अब तक ऐसी करीब 100 किताबें लिख डाली हैं। इसके अलावा पेरूमल जी का एक और भी Passion है। तमिलनाडु के Temple Culture के बारे में Research करना उन्हें बहुत पसंद है। उन्होंने Leather Puppets पर भी काफी Research की है, जिसका लाभ वहाँ के स्थानीय लोक कलाकारों को हो रहा है। शिवशंकरी जी और ए. के. पेरूमल जी के प्रयास हर किसी के लिए एक मिसाल हैं। भारत को अपनी संस्कृति को सुरक्षित करने वाले ऐसे हर प्रयास पर गर्व है, जो हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूती देने के साथ ही देश का नाम, देश का मान, सब कुछ बढ़ाये।

तमिल की प्रसिद्ध लेखिका बहन शिवशंकरी जी

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिल की प्रसिद्ध लेखिका बहन शिवशंकरी जी का चर्चा किया. उन्होंने बताया कि शिवशंकरी जी ने एक Project किया है – Knit India, Through Literature इसका मतलब है – साहित्य से देश को एक धागे में पिरोना और जोड़ना। वे इस Project पर बीते 16 सालों से काम कर रही है। इस Project के जरिए उन्होंने 18 भारतीय भाषाओं में लिखे साहित्य का अनुवाद किया है। 

उन्होंने कई बार कन्याकुमारी से कश्मीर तक और इंफाल से जैसलमेर तक देशभर में यात्राएँ की, ताकि अलग - अलग राज्यों के लेखकों और कवियों के Interview कर सकें। शिवशंकरी जी ने अलग - अलग जगहों पर अपनी यात्रा की, travel commentary के साथ उन्हें Publish किया है। यह तमिल और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में है।
 इस Project में चार बड़े volumes हैं और हर volume भारत के अलग-अलग हिस्से को समर्पित है। 

असम स्थित Akshar Forum खास स्कूल 

प्रधान मंत्री ने बतायाकि सम के Kamrup Metropolitan District में Akshar Forum इस नाम का एक School बच्चों में, Sustainable Development की भावना भरने का, संस्कार का, एक निरंतर काम कर रहा है। यहां पढ़ने वाले विद्यार्थी हर हफ्ते Plastic Waste जमा करते हैं, जिसका उपयोग Eco- Friendly ईटें और चाबी की Chain जैसे सामान बनाने में होता है। यहां Students को Recycling और Plastic Waste से Products बनाना भी सिखाया जाता है। कम आयु में ही पर्यावरण के प्रति ये जागरूकता, इन बच्चों को देश का एक कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनाने में बहुत मदद करेगी।  

मन की बात, मार्च 2022

 “माधवपुर मेला” गुजरात के पोरबंदर में समुद्र के पास माधवपुर गाँव में लगता है | लेकिन इसका हिन्दुस्तान के पूर्वी छोर से भी नाता जुड़ता हैजिसके पीछे  एक पौराणिक कथा है | कहा जाता है कि हजारों वर्ष पूर्व भगवान् श्री कृष्ण का विवाह, नार्थ ईस्ट की राजकुमारी रुक्मणि से हुआ था | ये विवाह पोरबंदर के माधवपुर में संपन्न हुआ था और उसी विवाह के प्रतीक के रूप में आज भी वहां माधवपुर मेला लगता है | East और West का ये गहरा नाता, हमारी धरोहर है | समय के साथ अब लोगों के प्रयास से, माधवपुर मेले में नई- नई चीजें भी जुड़ रही हैं | हमारे यहाँ कन्या पक्ष को घराती कहा जाता है और इस मेले में अब नार्थ ईस्ट से बहुत से घराती भी आने लगे हैं| एक सप्ताह तक चलने वाले माधवपुर मेले में नार्थ ईस्ट के सभी राज्यों के आर्टिस्ट(artist) पहुंचते हैं, हेंडीक्राफ्ट(handicraft) से जुड़े कलाकार पहुंचतें हैं और इस मेले की रौनक को चार चाँद लग जाते हैं | एक सप्ताह तक भारत के पूरब और पश्चिम की संस्कृतियों का ये मेल, ये माधवपुर मेला, एक भारत - श्रेष्ठ भारत की बहुत सुन्दर मिसाल बना रहा है| 

मीराबाई की 525वीं जन्म-जयंती

 देश इस वर्ष महान संत मीराबाई की 525वीं जन्म-जयंती मना रहा है। वो देशभर के लोगों के लिए कई वजहों से एक प्रेरणाशक्ति रही हैं। अगर किसी की संगीत में रूचि हो, तो वो संगीत के प्रति समर्पण का बड़ा उदाहरण ही है, अगर कोई कविताओं का प्रेमी हो, तो भक्तिरस में डूबे मीराबाई के भजन, उसे अलग ही आनंद देते हैं, अगर कोई दैवीय शक्ति में विश्वास रखता हो, तो मीराबाई का श्रीकृष्ण में लीन हो जाना उसके लिए एक बड़ी प्रेरणा बन सकता है। मीराबाई, संत रविदास को अपना गुरु मानती थी। वो कहती भी थी- 

गुरु मिलिया रैदास, दीन्ही ज्ञान की गुटकी। 

प्रधान मंन्त्री ने बताया कि देश की माताओं-बहनों और बेटियों के लिए मीराबाई आज भी प्रेरणापुंज हैं। उस कालखंड में भी उन्होंने अपने भीतर की आवाज़ को ही सुना और रुढ़िवादी धारणाओं के खिलाफ खड़ी हुई। एक संत के रूप में भी वे हम सबको प्रेरित करती हैं। वे भारतीय समाज और संस्कृति को तब सशक्त करने के लिए आगे आईं, जब देश कई प्रकार के हमले झेल रहा था। सरलता और सादगी में कितनी शक्ति होती है, ये हमें मीराबाई के जीवनकाल से पता चलता है।

अंबाजी मंदिर, गुजरात

प्रधान मंत्री ने गुजरात के तीर्थक्षेत्र अंबाजी मंदिर के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि  यह एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है, जहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां अंबे के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यहां गब्बर पर्वत के रास्ते में आपको विभिन्न प्रकार की योग मुद्राओं और आसनों की प्रतिमाएं दिखाई देंगी। क्या आप जानते हैं कि इन प्रतिमाओं की खास क्या बात है ? दरअसल ये Scrap से बने Sculpture हैं, एक प्रकार से कबाड़ से बने हुए और जो बेहद अद्दभुत हैं। यानि ये प्रतिमाएं इस्तेमाल हो चुकी, कबाड़ में फेक दी गयी पुरानी चीजों से बनाई गई हैं। अंबाजी शक्ति पीठ पर देवी मां के दर्शन के साथ-साथ ये प्रतिमाएं भी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई हैं। 

MYBharat संगठन

प्रधान मंत्री ने घोषणा किया कि MYBharat संगठन की जो भारत के युवाओं को राष्ट्रनिर्माण के विभिन्न आयोजनों में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर देगा। उन्होंने कहाः कि, "31 अक्टूबर को एक बहुत बड़े राष्ट्रव्यापी संगठन की नींव रखी जा रही है और वो भी सरदार साहब की जन्मजयन्ती के दिन। इस संगठन का नाम है – मेरा युवा भारत, यानी MYBharat. MYBharat संगठन, भारत के युवाओं को राष्ट्रनिर्माण के विभिन्न आयोजनों में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर देगा। 

ये, विकसित भारत के निर्माण में भारत की युवा शक्ति को एकजुट करने का एक अनोखा प्रयास है। मेरा युवा भारत की वेबसाइट MYBharat भी शुरू होने वाली है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किय कि  MYBharat.Gov.in पर register करें और विभिन्न कार्यक्रम के लिए Sign Up करें। 

वल्लभभाई पटेल की जन्म-जयंती- 31 अक्टूबर 

हम भारतवासी सरदार पटेल को कई वजहों से याद करते हैं, और श्रद्धापूर्वक नमन करते हैं। सबसे बड़ी वजह है – देश की 580 से ज्यादा रियासतों को जोड़ने में उनकी अतुलनीय भूमिका।  हर साल 31 अक्टूबर को गुजरात में Statue of Unity पर एकता दिवस से जुड़ा मुख्य समारोह होता है। इस बार इसके अलावा दिल्ली में कर्तव्य पथ पर एक बहुत ही विशेष कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। आपको याद होगा, मैंने पिछले दिनों देश के हर गाँव से, हर घर से मिट्टी संग्रह करने का आग्रह किया गया था।

 हर घर से मिट्टी संग्रह करने के बाद उसे कलश में रखा गया और फिर अमृत कलश यात्राएं निकाली गईं। देश के कोने-कोने से एकत्रित की गयी ये माटी, ये हजारों अमृत कलश यात्राएं अब दिल्ली पहुँच रही हैं। यहाँ दिल्ली में उस मिट्टी को एक विशाल भारत कलश में डाला जाएगा और इसी पवित्र मिट्टी से दिल्ली में ‘अमृत वाटिका’ का निर्माण होगा।

 यह देश की राजधानी के हृदय में अमृत महोत्सव की भव्य विरासत के रूप में मौजूद रहेगी। 31 अक्टूबर को ही देशभर में पिछले ढ़ाई साल से चल रहे आजादी के अमृत महोत्सव का समापन होगा। आजादी के अमृत महोत्सव में, लोगों ने अपने स्थानीय इतिहास को, एक नई पहचान दी है। इस दौरान सामुदायिक सेवा की भी अद्भुत मिसाल देखने को मिली है।

Special Olympics World Summer Games 

प्रधान मंत्री ने Special Olympics World Summer Games का चर्चा भी मन की बात के 106 थे संस्करण में किया जिसका आयोजन बर्लिन में हुआ था। ये प्रतियोगिता हमारे Intellectual Disabilities वाले एथलीटों की अद्भुत क्षमता को सामने लाती है। इस प्रतियोगिता में भारतीय दल ने 75 Gold Medals सहित 200 पदक जीते। Roller skating हो, Beach Volleyball हो, Football हो, या Tennis, भारतीय खिलाड़ियों ने Medals की झड़ी लगा दी। इन पदक विजेताओं की Life Journey काफ़ी Inspiring रही है।
 हरियाणा के रणवीर सैनी ने Golf में Gold Medal जीता है। बचपन से ही Autism से जूझ रहे रणवीर के लिए कोई भी चुनौती Golf को लेकर उनके जुनून को कम नहीं कर पाई। उनकी माँ तो यहाँ तक कहती हैं कि परिवार में आज सब Golfer बन गए हैं। पुडुचेरी के 16 साल के टी-विशाल ने चार Medal जीते। गोवा की सिया सरोदे ने Powerlifting में 2 Gold Medals सहित चार पदक अपने नाम किये। 9 साल की उम्र में अपनी माँ को खोने के बाद भी उन्होंने खुद को निराश नहीं होने दिया। छत्तीसगढ़ के दुर्ग के रहने वाले अनुराग प्रसाद ने Powerlifting में तीन Gold और एक Silver Medal जीता है। ऐसे ही प्रेरक गाथा झारखंड के इंदु प्रकाश की है, जिन्होंने Cycling में दो Medal जीते हैं। ब

हुत ही साधारण परिवार से आने के बावजूद, इंदु ने गरीबी को कभी अपनी सफलता के सामने दीवार नहीं बनने दिया। मुझे विश्वास है कि इन खेलों में भारतीय खिलाड़ियों की सफलता Intellectual Disabilities का मुकाबला कर रहे अन्य बच्चों और परिवारों को भी प्रेरित करेगी। प्रधानमंत्री ने लोगों से कहा किआपके गाँव में, आपके गाँव के अगल-बगल में, ऐसे बच्चे, जिन्होंने इस खेलकूद में हिस्सा लिया है या विजयी हुए हैं, आप सपरिवार उनके साथ जाइए। उनको बधाई दीजिये। और कुछ पल उन बच्चों के साथ बिताइए। आपको एक नया ही अनुभव होगा। परमात्मा ने उनके अन्दर एक ऐसी शक्ति भरी है आपको भी उसके दर्शन का मौका मिलेगा।

आदिवासी योद्धाओं का समृद्ध इतिहास 

प्रधान मंत्री ने कहा कि देश आदिवासी समाज का कृतज्ञ है, जिन्होंने राष्ट्र के स्वाभिमान और उत्थान को हमेशा सर्वोपरि रखा है। भारतवर्ष में आदिवासी योद्धाओं का समृद्ध इतिहास रहा है। इसी भारत भूमि पर महान तिलका मांझी ने अन्याय के खिलाफ बिगुल फूंका था। इसी धरती से सिद्धो-कान्हू ने समानता की आवाज उठाई। हमें गर्व है कि जिन योद्धा टंट्या भील ने हमारी धरती पर जन्म लिया।
 हम शहीद वीर नारायण सिंह को पूरी श्रद्धा के साथ याद करते हैं, जो कठिन परिस्थितियों में अपने लोगों के साथ खड़े रहे। वीर रामजी गोंड हों, वीर गुंडाधुर हों, भीमा नायक हों, उनका साहस आज भी हमें प्रेरित करता है। अल्लूरी सीताराम राजू ने आदिवासी भाई-बहनों में जो अलख जगाई, उसे देश आज भी याद करता है।

 North East में कियांग नोबांग और रानी गाइदिन्ल्यू जैसे स्वतंत्रता सेनानियों से भी हमें काफी प्रेरणा मिलती है। आदिवासी समाज से ही देश को राजमोहिनी देवी और रानी कमलापति जैसी वीरांगनाएं मिलीं। देश इस समय आदिवासी समाज को प्रेरणा देने वाली रानी दुर्गावती जी की 500वीं जयंती मना रही हैं। 

मन की बात -100वीं कड़ी

मन की बात की 100वीं कड़ी में आज प्रधान मंत्री ने देश को सम्बोधन किया. 3 अक्टूबर, 2014,  विजय दशमी के दिन ‘मन की बात’ की यात्रा शुरू हुई  थी। विजय दशमी यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व। 

इस अवसर पर प्रधान मंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा- यकीन नहीं होता कि ‘मन की बात’ को इतने महीने और इतने साल गुजर गए। हर एपिसोड अपने आप में खास रहा। हर बार, नए उदाहरणों की नवीनता, हर बार देशवासियों की नई सफलताओं का विस्तार। ‘मन की बात’ में पूरे देश के कोने-कोने से लोग जुड़े, हर आयु-वर्ग के लोग जुड़े। बेटी-बचाओ बेटी-पढ़ाओ की बात हो, स्वच्छ भारत आन्दोलन हो, खादी के प्रति प्रेम हो या प्रकृति की बात, आजादी का अमृत महोत्सव हो या फिर अमृत सरोवर की बात, ‘मन की बात’ जिस विषय से जुड़ा, वो, जन-आंदोलन बन गया, और इसे  लोगों ने बना दिया। 

प्रधान मंत्री के अनुसार मन की बात’ में जिन लोगों का हम ज़िक्र करते हैं वे सब हमारे Heroes हैं जिन्होंने इस कार्यक्रम को जीवंत बनाया है। आज जब यह 100वें एपिसोड के पड़ाव पर पहुंचे हैं, तो फिर प्रधन मंत्री मोदी ने  इन सारे Heroes और उनकी यात्रा के बारे में विस्तार से चर्चा किया ।

हरियाणा के भाई सुनील जगलान जी।

सुनील जगलान जी का मेरे मन पर इतना प्रभाव इसलिए पड़ा क्योंकि हरियाणा में Gender Ratio पर काफी चर्चा होती थी. प्रधान मंत्री ने  भी ‘बेटी बचाओ-बेटी पढाओ’ का अभियान हरियाणा से ही शुरू किया था। और इसी बीच जब सुनील जी के ‘Selfie With Daughter’ Campaign पर प्रधान मंत्री की नजर पडी। 

छत्तीसगढ़ के देउर गाँव 

छत्तीसगढ़ के देउर गाँव की महिलाओं की चर्चा पहले किया जा चूका है. ये महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के जरिए गाँव के चौराहों, सड़कों और मंदिरों के सफाई के लिए अभियान चलाती हैं। 

 तमिलनाडु की वो आदिवासी महिलाएं


तमिलनाडु की वो आदिवासी महिलाएं, जिन्होंने हज़ारों Eco-Friendly Terracotta Cups (टेराकोटा कप्स) निर्यात किए, उनसे भी देश ने खूब प्रेरणा ली। तमिलनाडु में ही 20 हजार महिलाओं ने साथ आकर वेल्लोर में नाग नदी को पुनर्जीवित किया था। 

मंजूर अहमद, जम्मू-कश्मीर 

मंजूर अहमद। ‘मन की बात’ में, जम्मू-कश्मीर की Pencil Slates (पेन्सिल स्लेट्स) के बारे में बताते हुए मंजूर अहमद  जी का जिक्र पहले के मन की बात  संस्करण में हुआ था।
प्रधानमंत्री  द्वारा यह पूछने पर की ये पेंसिल- स्लेट्स वाला काम कैसा चल रहा है, मंजूर जी  ने बताया कि बहुत अच्छे से चल रहा है सर बहुत अच्छे से, जब से सर  आपने हमारी बात, ‘मन की बात’ में कही सर तब से बहुत काम बढ़ गया सर और दूसरों को भी रोज़गार यहाँ बहुत बढ़ा है इस काम में।

विशाखापट्नम के वेंकट मुरली प्रसाद जी

विशाखापट्नम के वेंकट मुरली प्रसाद जी ने एक आत्मनिर्भर भारत Chart Share किया था। उन्होंने बताया था कि वो कैसे ज्यादा से ज्यादा भारतीय products ही इस्तेमाल करेंगे। जब बेतिया के प्रमोद जी ने LED बल्ब बनाने की छोटी यूनिट लगाई या गढ़मुक्तेश्वर के संतोष जी ने mats बनाने का काम किया, ‘मन की बात’ ही उनके उत्पादों को सबके सामने लाने का माध्यम बना। हमने Make in India के अनेक उदाहरणों से लेकर Space Start-ups तक की चर्चा ‘मन की बात’ में की है।
 

मणिपुर की बहन विजयशांति देवी जी

मणिपुर की बहन विजयशांति देवी जी का भी जिक्र पहले की मन की बात सेक्सकरन में किया था। विजयशांति जी कमल के रेशों से कपड़े बनाती हैं। ‘मन की बात’ में उनके इस अनोखे eco-friendly idea की बात हुई तो उनका काम और popular हो गया।

प्रदीप सांगवान जी 


‘मन की बात’ के पहले के संस्करण में प्रधान मंत्री ने  प्रदीप सांगवान जी के ‘हीलिंग हिमालयाज़’ अभियान की चर्चा की थी। प्रदीप जी ने बताया कि शुरुआत बहुत nervous हुई थी बहुत डर था इस बात को लेके कि जिंदगी भर ये कर पाएँगे कि नहीं कर पाएँगे पर थोड़ा support मिला और 2020 तक हम बहुत struggle भी कर रहे थे honestly। लोग बहुत कम जुड़ रहे थे बहुत सारे ऐसे लोग थे जो कि support नहीं कर पा रहे थे। हमारी मुहिम को इतना तवज्जो भी नहीं दे रहे थे। But 2020 के बाद जब ‘मन की बात’ में जिक्र हुआ उसके बाद बहुत सारी चीज़े बदल गई। मतलब पहले हम, साल में 6-7 cleaning drive कर पाते थे, 10 cleaning drive कर पाते थे। आज की date में हम daily bases पे पाँच टन कचरा इक्कठा करते हैं। अलग-अलग location से। 

झारखण्ड के संजय कश्यप जी


झारखण्ड के गांवों में Digital Library चलाने वाले संजय कश्यप जी हों, Covid के दौरान E-learning के जरिये कई बच्चों की मदद करने वाली हेमलता N.K. जी हों, ऐसे अनेक शिक्षकों के उदाहरण हमने ‘मन की बात’ में लिये हैं। हमने Cultural Preservation के प्रयासों को भी ‘मन की बात’ में लगातार जगह दी है।